राजनीतिक दल
· राजनीतिक दलों की जरूरत क्यों?
o राजनीतिक दल का अर्थ
o राजनीतिक दल के कार्य
o राजनीतिक दल की जरूरत
·
कितने राजनीतिक
दल?
·
राजनीति की
नैतिक ताकत
·
राजनीति दलों
में जनभागीदारी
·
राष्ट्रीय
दल
·
क्षेत्रीय
दल
·
राजनीतिक
दलों के लिए चुनौतियां
· दलों को कैसे सुधारा जा सकता है?
सारांश
परिचय :
लोकतांत्रिक
शासन व्यवस्था को बनाने, संविधान रचने, चुनावी राजनीति और सरकार के गठन तथा संचालन में राजनीतिक दलों
की भूमिका होती है।
राजनीतिक दलों की जरूरत क्यो?
· अक्सर आम जनता संविधान, लोकतंत्र और अन्य सत्ता संबंधी बातों को राजनीतिक दलों से जोड़कर
ही देखती है और सभी अच्छाई या बुराईयों के लिए राजनीतिक दलों को ही जिम्मेदार ठहराती
है। ऐसी स्थितियों के बीच क्या हमें सचमुच राजनीतिक दलों की जरूरत है और हैं तो क्यों?
इसे समझने के लिए सभी बिंदुओं को समझना होगा।
राजनीतिक दल का अर्थ -
· एक ऐसा समूह जिसका निर्माण चुनाव लड़ने और सरकार बनाने के उद्देश्य
से हुआ हो। राजनीतिक दल में शामिल लोग कुछ नीतियों और कार्यक्रमों पर सहमत होते हैं
जिसका लक्ष्य सामाजिक भलाई होता है।
· अलग अलग राजनीतिक
दलों के लिए सामाजिक भलाई का पैमाना अलग अलग हो सकता है और इसी आधार पर दल लोगों को
यह समझाने का प्रयास करते हैं कि वे दूसरों से बेहतर हैं।
· किसी राजनीतिक
दल की पहचान उसकी नीतियों और उसके सामाजिक आधार से तय होती है। राजनीतिक दल किसी समाज
के बुनियादी राजनीतिक विभाजन को भी दर्शाते हैं।
· राजनीतिक दल के तीन प्रमुख अवयव होते हैं -
1. नेता 2.सक्रिय
सदस्य 3.
अनुयायी अथवा समर्थक
राजनीतिक दलों के कार्य -
· चुनाव लड़ना
·
नीतियां ओर
कार्यक्रम बनाना
·
कानून निर्माण
·
सरकार बनाना
और चलाना
·
विपक्ष की
भूमिका निभाना
·
सरकार की
कल्याणकारी योजनाओं का प्रचार प्रसार
· जनमत का निर्माण करना
राजनीति दल की जरूरत -
· लोकतंत्र में राजनीतिक पार्टी एक अभिन्न हिस्सा होती है। कल्पान
कीजिए कि यदि कोई राजनीतिक दल न हो तो हर उम्मीदवार एक स्वतंत्र उम्मीदवार होगा। जैसे
भारत में लोकसभा में कुल 543 सदस्य हैं। यदि हर सदस्य
स्वतंत्र रूप से चुनाव जीत कर आयेगा तो स्थिति बड़ी भयावह हो जायेगी। क्योंकि प्रत्येक
सदस्य सिर्फ अपने चुनावी क्षेत्र के लिए सोचेगा और राष्ट्र हित को दरकिनार कर देगा।
राजनीतिक दलों की अपनी एक विचारधारा होती है। विभिन्न सोच के राजनेताओं को एक मंच पर
लाने का काम ये दल करते हैं ताकि वे सभी मिलकर किसी भी बड़े मुद्दे पर एक जैसी सोच बना
सकें।
·
राजनीतिक
दल जनता की इच्छा सरकार को बताते हैं।
·
देश की समस्याएं
सरकार के सामने राजनीतिक दल ही रखते है।
·
राजनीतिक
दल देश के लिए भावी योजनाएं तैयार करते हैं।
· राजनीतिक दल लोकतंत्र की एक अनिवार्य शर्त हैं।
कितने राजनीतिक दल?
· लोकतंत्र में नागरिकों का कोई भी समूह राजनीतिक दल बना सकता
है और यही वजह है कि भारतीय निर्वाचन आयोग में 750 से ज्यादा राजनीतिक दल
पंजीबद्ध हैं।
· इतने सारे
दलों के बीच सवाल ये है कि आखिर किसी देश में राजनीतिक दलों की संख्या कितनी होना चाहिए
क्योंकि 750 से ज्यादा दलों के पंजीबद्ध होने के बावजूद प्रभावी केवल कुछ
ही हो पाए हैं।
· एकदलीय शासन
व्यवस्था - जहाँ सिर्फ एक ही दल को सरकार बनाने की अनुमति होती है। जैसे - चीन में
हमेशा सरकार कम्युनिस्ट पार्टी की ही बनती है। हालांकि चीन में लोगों को नया राजनीतिक
दल बनाने की आजादी है किन्तु चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं होती है। एक दलीय व्यवस्था
लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं होती।
· द्विदलीय
शासन व्यवस्था - कुछ देशों में सत्ता आमतौर पर दो ही दलों के बीच बदलती रहती है। जैसे
- अमरीका और ब्रिटेन
· बहुदलीय शासन
व्यवस्था - जब अनेक दल सत्ता के लिए होड़ में हों और दो दलों से ज्यादा के लिए अपने
दम पर या दूसरों से
· गठबंधन सरकार
- बहुदलीय व्यवस्था में जब अनेक राजनीतिक दल आपस में मिल कर सत्ता में साझेदारी करते
हैं तो इसे गठबंधन सरकार कहते हैं।
· 2004 में भारत में तीन प्रमुख
गठबंधन थे - 1. राष्ट्रीय
जनतांत्रिक गठबंधन 2. संयुक्त
प्रगतिशील गठबंधन 3. वाम
मोर्चा
· बेहतर दलीय
व्यवस्था -इसका कोई सटीक जवाब दे पाना मुमकिन नहीं है क्योंकि विभिन्न देशों की जनसंख्या
एवं विविधता अलग प्रकार की होती है कुछ देशों में अधिक विविधता नहीं होती है तो कुछ
देशों में बहुत अधिक विविधता होती है ऐसे में कोई एक आदर्श व्यवस्था नहीं हो सकती।
· कोई भी देश
खुद से इस तरह की शासन व्यवस्था का चयन नहीं करता अपितु यह सब लंबे दौर के कामकाज के
साथ स्वयं विकसित होता है।
· भारत में बहुदलीय व्यवस्था का कारण - भारत के विविधताओं से भरा
देश है जिसमें दो या तीन पार्टियां इतने बड़े मुल्क की सारी सामाजिक और भौगोलिक विविधताओं
को समेट पाने में अक्षम हैं।
राजनीति की नैतिक ताकत -
· अनेक बार लोग आंदोलनों को मशविरा देते हैं कि आप खुद ही राजनीतिक
ढांचा तैयार करें किन्तु राजनीतिक दलों के प्रति लोगों का रवैया प्रायः निराशाजनक होता
है किन्तु लोकतंत्र में अगाध विश्वास होने के कारण लोग स्थापित राजनीतिक दलों के माध्यम
से ही अपनी राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करते हैं और आंदोलन से निकले लोग अक्सर राजनीतिक
ढांचें में सफल नहीं हो पाते। हाँ इसका अपवाद जरूर सामने आता रहता है जैसे आम आदमी
पार्टी का उदय और सरकार बनाना।
राजनीतिक दलों में जनभागीदारी -
· दक्षिण एशिया में लोगों का राजनीतिक दलों पर विश्वास कम होता
जा रहा है।
·
संपूर्ण संसार
में राजनीतिक दल ही एक ऐसी संस्था है , जिस पर लोग सबसे कम भरोसा करते हैं। इसके बाद भी राजनीतिक दलों
के कामकाज में लोग बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं।
· स्वयं को किसी राजनीतिक दल का सदस्य बताने वाले भारतीयों का
अनुपात कनाडा, स्पेन,
जापान तथा दक्षिण कोरिया जैसे विकसित देशों से भी ज्यादा है
पिछले तीन दशकों के दौरान भारत में राजनीतिक दलों की सदस्यता का अनुपात धीरे-धीरे बढ़ता
गया है इससे पता लग रहा है कि लोग विभिन्न राजनीतिक दलों से जुड़ते जरूर है।
राष्ट्रीय दल -
· अगर कोई दल लोकसभा चुनाव में पड़े कुल वोट का अथवा चार राज्यों
के विधानसभा चुनाव में पड़े कुल वोटों का 6 प्रतिशत हासिल करता है
और कम से कम चार लोकसभा सीट पर जीत दर्ज करता है तो उसे राष्ट्रीय दल की मान्यता मिलती
है।
·
2019 में देश में सात राष्ट्रीय
स्तर के मान्यता प्राप्त दल हैं।
· 2023 में देश में छः राष्ट्रीय स्तर के मान्यता प्राप्त दल हैं।
राज्य स्तरीय राजनीतिक दल -
· जब कोई राजनीतिक दल राज्य विधानसभा के चुनाव में पड़े कुल मतों
का 6 प्रतिषत या उससे अधिक हासिल करती है और कम से कम दो सीटों पर
जीत दर्ज करती है तो उसे राज्य के राजनीतिक दल के रूप में मान्यता मिलती है।
प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दल - 2019
क्रं. |
राजनीतिक दल का नाम |
स्थापना वर्ष |
संस्थापक नेता |
प्रमुख नेता |
चुनाव चिन्ह |
विचारधारा |
अन्य महत्वपूर्ण |
1 |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1885 |
ए.ओ.ह्यूम |
महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिह |
हाथ का पंजा |
मध्यमार्गी, धर्मनिरपेक्ष, अल्पसंख्यक हितैषी,समाजवादी |
दुनिया की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक है। |
2 |
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया |
1925 |
एम एन रॉय |
अवनि मुखर्जी आदि |
गेंहूं की बाली और हंसिया |
मार्क्सवाद-लेनिनवाद, धर्म निरपेक्ष, लोकतंत्र में आस्था |
केरल, पंजाब, पं.बंगाल आदि राज्यों में स्थिति
ठीक है। |
3 |
बहुजन समाज पार्टी |
1984 |
कांशीराम |
साहूजी महाराज, महात्मा फुले, पेरियार स्वामी और अंबेडकर से प्रेरित |
हाथी |
बहुजन समाज जिसमें दलित, पिछड़ा वर्ग, आदिवासी उत्थान |
उ.प्र. और पंजाब में प्रभावी |
4 |
भारतीय जनता पार्टी |
1951/1980 |
श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय |
अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी,नरेन्द्र मोदी आदि |
कमल का फूल |
समग्र मानवतावाद, राष्ट्रवाद, हिन्दुत्व |
वर्तमान में केन्द्र में सरकार |
5 |
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया -
मार्क्ससिस्ट |
1964 |
ज्योति बसु, नंबूदरिपाद |
सीताराम येचुरि आदि |
हथौड़ा और हंसिया |
मार्क्सवाद-लेनिनवाद, धर्म निरपेक्ष, लोकतंत्र में आस्था, साम्प्रदायिकता विरोधी |
केरल, त्रिपुरा और प. बंगाल में मजबूत |
6 |
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी |
1999 |
शरद पवार |
पी.ए.संगमा, तारिक अनवर आदि |
घड़ी |
लोकतंत्र,गांधीवादी, संघवाद, राष्ट्रवादी विचार |
महाराष्ट्र में सक्रिय |
7 |
तृणमूल कांग्रेस |
1998 |
ममता बनर्जी |
- |
पुष्प और तृण |
धर्मनिरपेक्षता और संघवाद |
पश्चिम बंगाल में सरकार में है। |
क्रं. |
राजनीतिक दल का नाम |
स्थापना वर्ष |
संस्थापक नेता |
प्रमुख नेता |
चुनाव चिन्ह |
विचारधारा |
अन्य महत्वपूर्ण |
1 |
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस |
1885 |
ए.ओ.ह्यूम |
महात्मा गांधी, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिह |
हाथ का पंजा |
मध्यमार्गी, धर्मनिरपेक्ष, अल्पसंख्यक हितैषी,समाजवादी |
दुनिया की सबसे पुरानी पार्टियों में से एक है। |
2 |
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया |
1925 |
एम एन रॉय |
अवनि मुखर्जी आदि |
गेंहूं की बाली और हंसिया |
मार्क्सवाद-लेनिनवाद, धर्म निरपेक्ष, लोकतंत्र में आस्था |
केरल, पंजाब, पं.बंगाल आदि राज्यों में स्थिति
ठीक है। |
3 |
बहुजन समाज पार्टी |
1984 |
कांशीराम |
साहूजी महाराज, महात्मा फुले, पेरियार स्वामी और अंबेडकर से प्रेरित |
हाथी |
बहुजन समाज जिसमें दलित, पिछड़ा वर्ग, आदिवासी उत्थान |
उ.प्र. और पंजाब में प्रभावी |
4 |
भारतीय जनता पार्टी |
1951/1980 |
श्यामा प्रसाद मुखर्जी, दीनदयाल उपाध्याय |
अटल बिहारी बाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी,नरेन्द्र मोदी आदि |
कमल का फूल |
समग्र मानवतावाद, राष्ट्रवाद, हिन्दुत्व |
वर्तमान में केन्द्र में सरकार |
5 |
आम आदमी पार्टी |
2012 |
अरविंद केजरीवाल |
मनीष सिसौदिया, संजय सिंह |
झाड़ू |
कोई विशेष विचारधारा नहीं।व्यवस्था परिवर्तन का विचार |
दिल्ली, गोवा,पंजाब, गुजरात |
6 |
नेशनल पीपल्स पार्टी |
2013 |
पी.ए.संगमा |
कॉनरॉड संगमा |
पुस्तक |
आदिवासियों के मुद्दे |
पश्चिमोत्तर में सक्रिय |
· बीजू जनता दल
·
सिक्किम लोकतांत्रिक
मोर्चा
·
मि.जो. नेशनल
फ्रंट
· तेलंगाना राष्ट्र समिति
राजनीतिक दलों के लिए चुनौतियाँ -
· लोकतंत्र का सबसे ज्यादा प्रकट रूप राजनीतिक दल ही हैं। अतः
लोकतंत्र के कामकाज की समीक्षा के दौरान गुण अथवा दोष के लिए राजनीतिक दलों को ही जिम्मेदार
ठहराया जाता है।
राजनीतिक दलों के लिए प्रमुख चुनौतियाँ -
· पार्टी के भीतर आंतरिक लोकतंत्र का न होना - पार्टियों का निर्णय कुछेक हाथों में ही केन्द्रित होता है
जिससे निष्ठावान कार्यकर्त्ता हाशिए पर चला जाता है।
·
पार्टी में
वंशवाद - अधिकांश पार्टियों में पार्टी
का प्रमुख लीडर अपना उत्तराधिकारी अपने ही परिवार या कुटंब के व्यक्ति को बनाता है
जिससे पार्टी के प्रति समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्त्ता सुप्रीम लीडर नहीं बन पाता।
·
पैसा और अपराधी
तत्वों की घुसपैठ - चुनावों बढ़ते धनबल और
बाहुबल के कारण गरीब और कमजोर लोग राजनीतिक गतिविधियों से दूर होते जाते हैं।
· विकल्पहीनता की स्थिति - विभिन्न राजनीतिक दलों के विचार और सिद्धांतों में इतनी साम्यता
देखी जा रही है कि पार्टियों का विकल्प दिखाई ही नहीं देता और जनता मे दल विश्वास खोने
लगते हैं।
दलों को कैसे सुधारा जा सकता है?
· दल - बदल कानून को मजबूत बनाया जाए तथा पार्टी के लीडर की शक्तियां
नेतृत्व समूह में समाहित की जाए।
·
बाहुबल ओर
धनबल के प्रयोग के लिए बने कानूनों का कड़ाई से पालन हो।
·
राजनीतिक
दलों में भी आंतरिक लोकतंत्र की अनिवार्यता हो तथा उनके आय के स्रोतों पर नजर रखने
की व्यवस्था बनाई जाए।
·
पार्टियों
के आंतरिक कामकाज पर नजर रखने के कानून बनें ताकि वे अनैतिक गठबंधन न कर सकें।
·
राजनीतिक
दलों को स्पष्ट निर्देष हों कि कम से कम एक तिहाई महिला उम्मीदवारों को टिकिट दें।
·
चुनाव का
खर्च सरकार उठाए।
अध्याय के अंत में दिए गए प्रश्नों के उत्तर -
1. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं
की चर्चा करें।
उत्तर - लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की प्रमुख भूमिका -
1.
चुनाव लड़नाः राजनीतिक दल के उम्मीदवारों का चयन दल के नेता द्वारा अथवा
सदस्यों तथा समर्थको द्वारा होता है। प्रत्येक राजनीतिक दल चुनाव जीतना चाहता है ताकि
सत्ता प्राप्त कर यह अपनी नीतियों को क्रियान्वित
कर सके।
2.
सरकारी नीति को दिशा निर्देशः राजनीतिक दल अपनी अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को मतदाता के सामने रखते है। जनता इनमें से अपनी पसंद की नीतियों
अथवा कार्यक्रमों को चुनती है। इससे को जनता
की पसंद नापसंद के बारे में पता चलता है।
3.
कानून निर्माणः राजनीतिक दल कानून निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
विधायिका में राजनीतिक दल के सदस्य होते हैं। कोई भी कानून विधायिका में ही तैयार होता
है जिसमें राजनीतिक दलों के सदस्यों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
4.
सरकार का संचालन तथा नीतियों
एवं कार्यक्रमों का संचालनः चुनाव में
जिस राजनीतिक दल को सफलता मिलती है वह सरकार का निर्माण करता है तथा अपनी नीतियों एवं
कार्यक्रमों को क्रियान्वित करता है।
5. सरकार की
आलोचनाः चुनाव में असफल राजनीतिक दल
संसद में विपक्ष की भूमिका निभाते हैं। विपक्ष सरकारी नीतियों के बारे में सरकार की
आलोचना करता है।
2. राजनीतिक दलों के सामने क्या चुनौतियां हैं?
उत्तर - राजनीतिक दलों के सामने अनेक चुनौतियां हैं जिसके कारण
बहुत से लोग अपना असंतोष व्यक्त करते हैंः
1.
पार्टियों के भीतर आंतरिक लोकतंत्र
का अभावः
अ. पार्टियों में सभी कार्यकर्ताओं
को अपना परामर्श प्रस्तुत करने का मौका नहीं मिलता।
ब. कुछ बड़े नेताओं द्वारा ही
पार्टी के फैसले लिए जाते हैं।
2.
पैसा और अपराधी तत्वों का प्रभुत्वः
अ.
चुनाव में अपने वादों को और उपलब्धियों को लोगों तक बताने के लिए प्रचार करना होता
है जिसके लिए पैसे की जरूरत होती है।
ब. पार्टियों में ऐसे लोगों
को स्थान दिया जाता है जो पार्टी के लिए पैसा जुटा सकें।
स. और कभी-कभी तो पार्टियां
पैसा जुटाने के लिए आपराधिक तत्वों का भी सहारा ले लेती है।
3.
वंशवादः क्योंकि अधिकांश दलों में पारदर्शिता का अभाव होता है इसलिए
उनके नेता अपने रिश्तेदारों और चमचों को ही अपनी पार्टी में आगे बढ़ाते हैं।
3. राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करें, इसके लिए उन्हें
मज़बूत बनाने के कुछ सुझाव दें।
उत्तर - राजनैतिक दल अपना काम-काज बेहतर ढंग से करें,
इसके लिए उन्हें मजबूत बनाने हेतु निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते
हैं-
1.
कानून का निर्माणः राजनीतिक दलों के आंतरिक कामकाज को व्यवस्थित करने के लिए कानून
का निर्माण किया जाना चाहिए। सभी दल अपने-अपने सदस्यों की सूची रखें,
अपने संविधान का पालन करें, दल में विवाद की स्थिति में एक स्वतन्त्र प्राधिकारी को पंच
बनाएँ, दल के सबसे
बड़े पदों के लिए खुला चुनाव कराएँ। इन समस्त व्यवस्थाओं को अनिवार्य किया जाना चाहिए।
2.
महिलाओं के लिए आरक्षण की व्यवस्थाः राजनीतिक दलों को महिलाओं को एक न्यूनतम अनुपात (लगभग एक-तिहाई)
में चुनाव में टिकट दिया जाना चाहिए। इसके अतिरिक्त दल के प्रमुख पदों पर महिलाओं के
लिए आरक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
3.
चुनाव खर्च का सरकार द्वारा
वहनः विभिन्न प्रकार के चुनावों
का खर्चा सरकार द्वारा वहन किया जाना चाहिए। सरकार को चुनावों हेतु विभिन्न राजनीतिक
दलों को धन प्रदान करना चाहिए। यह धन नकद रूप में अथवा मदद जैसे-पेट्रेल,
कागज, फोन आदि के रूप में हो सकता है।
4. राजनीतिक
दलों पर जनता द्वारा दबाव बनानाः राजनीतिक
दलों पर जनता द्वारा दबाव बनाया जाय इस हेतु पत्र लिखने, प्रचार करने एवं आन्दोलन के माध्यम से जनता यह कार्य कर सकती
है। आम नागरिक दबाव समूह, आन्दोलन एवं मीडिया के माध्यम से यह कार्य कर सकता है। अपनी
छवि खराब होने के भय से राजनीतिक दल अपने में सुधार करेंगे।
4. राजनीतिक दल का क्या अर्थ होता है?
उत्तर - राजनीतिक दल का अर्थः-राजनीतिक दल को लोगों के एक ऐसे
संगठित समूह के रूप में समझा जा सकता है जो चुनाव लड़ने व सरकार में राजनीतिक सत्ता
प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करता है। समाज के सामूहिक हित को ध्यान में रखकर
यह समूह कुछ नीतियाँ एवं कार्यक्रम तय करता है। इसके तीन प्रमुख अंग (अवयव) हैं-नेता,
सक्रिय सदस्य एवं अनुयायी या समर्थक।
5. किसी भी राजनीतिक दल के क्या गुण होते हैं?
उत्तर - राजनीतिक दल के गुण निम्न प्रकार से है :
(क) अच्छी तरह संगठित : एक राजनीतिक दल अच्छी
तरह से संगठित होता है तथा उसके सदस्य नियंत्रण में रहते हैं । वह अपने मन से ही दल
द्वारा बनाए नियमों को मानते हैं तथा इन्हें मानते हुए हुए अपनी सुविधाओं को भी भूल
जाते हैं। वह दल का अनुशासन बाकी प्रत्येक चीज से ऊपर रखते हैं।
(ख) एक जैसे कार्यक्रम : राजनीतिक दल की एक
और विशेषता यह है कि इसके सदस्य एक जैसे कार्यक्रम पर विश्वास रखते हैं तथा उन पर भी
सहमत भी होते हैं। यह प्रत्येक स्तर पर उन कार्यक्रमों को ऊपर ही रखते हैं।
(ग) सत्ता प्राप्त करने का एकमात्र देश उद्देश्य : प्रत्येक दल का एकमात्र
उद्देश्य होता है तथा वह होता है कि किसी भी प्रकार सत्ता प्राप्त करना। इसके लिए वह
चुनाव लड़ते हैं तथा बाबर प्राप्त करने का प्रयास करते हैं । अगर वह अकेले बहुमत प्राप्त
नहीं कर पाते तो और दलों के साथ गठबंधन बनाकर सरकार का निर्माण करते हैं।
(घ) संवैधानिक तरीकों में अधिक विश्वासः कोई भी राजनीतिक दल हो उसे अपने देश के संविधान में अधिक विश्वास
होता है।
(च) चुनाव जीतने के पश्चात अपने किए गए वादों पर अमल करनाः प्रत्येक राजनीतिक दल का यह प्रयास रहता है कि चुनाव से पहले
अपने घोषणा पत्र में की गई नीतियों को सबसे पहले पूरा करें।
(छ) लोकतंत्र के लिए आवश्यकः लोकतंत्र में राजनीतिक दलों का होना अत्यंत आवश्यक है नहीं
तो आपस में तालमेल नहीं रहेगा और तानाशाही स्थापित हो सकती है।
6. चुनाव लड़ने और सरकार में सत्ता संभालने के लिए
एकजुट हुए लोगों के समूह को “राजनीतिक दल”कहते हैं।
01 अंक की तैयारी
हेतु महत्वपूर्ण प्रश्नोंत्तर
- सही विकल्प चुनिए -
1. इनमें से कौन बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक हैं?
अ. कांशीराम ब.
साहू महाराज स. बी.आर. अम्बेडकर द.
ज्योतिबा फुले
2. भारतीय जनता पार्टी का मुख्य प्रेरक सिद्धांत क्या है?
अ. बहुजन
समाज़ ब. क्रांतिकारी लोकतंत्र स.
समग्र मानवतावाद द. आधुनिकता
3. पार्टियों के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा कथन सही नहीं
है -
अ. राजनीतिक
दलों पर लोगों का ज्यादा भरोसा नहीं होता है।
ब. दलों में
अक्सर बड़े नेताओं के घोटालों की गूंज सुनाई देती है।
स. सरकार
चलाने के लिए पार्टियों का होना जरूरी नहीं है।
द. राजनीतिक
दलों में परिवारवाद दिखई देता है।
4. राजनीतिक दल में शामिल होते हैं -
अ. नेता
- सक्रिय सदस्य - अनुयायी ब.
शासकीय कर्मचारी - परिजन - नेता
स. समाजसेवी
- किसान - मजूदर द.
छात्र - शिक्षक - महिलाएं
5. किशन पटनायक किस प्रदेश से संबंधित हैं?
अ. कर्नाटक ब. बिहार स. झारखंड द. ओडिशा
6. बहुदलीय शासन व्यवस्था है -
अ. चीन ब. अमेरिका स. ब्रिटेन द. भारत
7. भारत का सबसे पुराना राजनीतिक दल है -
अ. भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस ब.
भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी
स. भारतीय
जनता पार्टी द.
बहुजन समाज पार्टी
8. जनसंघ के संस्थापक कौन थे?
अ. जयप्रकाश
नारायण ब. श्यामा
प्रसाद मुखर्जी
स. अटल बिहारी
बाजपेयी द. लाल कृष्ण
आडवाणी
9. दलीय व्यवस्था किस प्रकार के शासन के लिए अनिवार्य हैं?
अ. लोकतंत्र ब. राजतंत्र स. कुलीन तंत्र द. अधिनायकवाद
10. किस संगठन ने राजनीतिक दलों के लिए सांगठनिक चुनाव
कराना और आयकर रिटर्न भरना अनिवार्य बनाया है?
अ. संसद ब. केन्द्रीय सतर्कता विभाग स. चुनाव आयोग द. सर्वोच्च न्यायालय
11. निम्न में से कौन सा एक राष्ट्रीय दल नहीं है?
अ. ऑल इंडिया
तृणमूल कांग्रेस ब.
राष्ट्रवादी कांग्रेस
स. बहुजन
समाज पार्टी द.
तेलुगु देशम पार्टी
12. ई.व्ही.एम. का प्रयोग किस दशक से आरंभ हुआ?
अ. 1920 ब. 1990 स. 1890 द. 1980
13. बर्लुस्कोनी कहाँ के प्रधानमंत्री थे?
अ. जापान ब. जर्मनी
स. इटली द. कनाडा
14. रिपब्लिकन पार्टी (संयुक्त राज्य अमेरिका) का चुनाव
चिन्ह क्या है?
अ. मोर
ब. हाथी स. कुर्सी द. घोड़ा
- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
1. चुनाव लड़ने और सरकार में सत्ता संभालने के लिए एकजुट हुए लोगों
के समूह को .................................. कहते हैं।
2. तेलुगुदेशम पार्टी ....................... है।
3. बहुमत प्राप्त
न कर पाने वाले दल .................... कहलाते हैं।
4. जिस दल का शासन हो यानी कि सत्ता में उसे
.................... कहते हैं।
5. बर्लुस्कोनी ....................... देश के
प्रधानमंत्री थे।
6. 1993
में गठित फोर्जा इतालिया के नेता
............................. थे।
- सत्य/असत्य लिखिए -
1. अमरीका तथा ब्रिटेन में द्विदलीय व्यवस्था है।
2. ओडिशा की सरकार ने कोरियाई कम्पनी पोस्को को लौह अयस्क खनन की
अनुमति दी।
3. चीन में बहुदलीय शासन व्यवस्था है।
4. विभिन्न दलों की सस्य संख्या दक्षिण एषिया में शेष विष्व की
अपेक्षा कहीं ज्यादा है।
5. जार्ज बुश ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्रपति थे।
6. करीब 100 साल पहले दुनिया के कुछ
ही देशों में गिनती के राजनीतिक दल थे।
7. राजनीतिक दल राजनीतिक पदों को भरते हैं और राजनीतिक सत्ता का
इस्तेमाल करते हैं।
- एक वाक्य में उत्तर दीजिए -
1. ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस किसके नेतृत्व में बनी।
2. भारतीय चुनाव आयोग में पंजीकृत राजनीतिक दलों की संख्या कितनी
है?
3. राजनीतिक दल को मान्यता कौन देता है?
4. बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कौन थे?
5. मुहम्मद युनुस किस देश के प्रमुख अर्थशास्त्री हैं?
6. बांग्लादेश का नया राजनीतिक दल कौन सा था?
- सही जोड़ी बनाइए -
क ख
1. इंडियन नेशनल कांग्रेस अ.
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन
2. भारतीय जनता पार्टी ब. क्षेत्रीय दल
3. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी
स. संयुक्त प्रगतिशील
गठबंधन
4. तेलुगु देशम पार्टी द. वाम मोर्चा
उत्तरमाला
बहुविकल्पीय
प्रश्नों के उत्तर |
सत्य/असत्य |
01 शब्द/वाक्य
में उत्तर |
||||||
1 |
अ |
|
1 |
सत्य |
1 |
ममता बनर्जी |
||
2 |
स |
|
2 |
सत्य |
2 |
750से ज्यादा |
||
3 |
स |
|
3 |
असत्य |
3 |
चुनाव आयोग |
||
4 |
अ |
|
4 |
सत्य |
4 |
कांशीराम |
||
5 |
द |
|
5 |
असत्य |
5 |
बांग्लादेश |
||
6 |
द |
|
6 |
सत्य |
6 |
नागरिक शक्ति |
||
7 |
अ |
|
7 |
सत्य |
||||
8 |
ब |
|
रिक्त
स्थानों की पूर्ती |
सही
जोड़ी |
||||
9 |
अ |
|
1 |
राजनीतिक दल |
1 |
स |
||
10 |
स |
|
2 |
क्षेत्रीय दल |
2 |
अ |
||
11 |
द |
|
3 |
विपक्षी दल |
3 |
द |
||
12 |
ब |
|
4 |
शासक दल |
4 |
ब |
||
13 |
स |
|
5 |
इटली |
||||
14 |
ब |
|
6 |
बर्लुस्कोनी |
1. राजनीतिक दल का प्रमुख गुण क्या है?
उत्तरः राजनीतिक
दल एक संगठित समूह होता है।
2. किसी दल की पहचान किससे तय होती है?
उत्तरः किसी
दल की पहचान उसकी नीतियों और उसके सामाजिक आधार से तय होती है।
3. शासक दल से क्या आशय है?
उत्तरः जिस
दल का शासन हो या जिस दल की सरकार बनी हो, उसे शासक दल कहते हैं।
4. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई?
उत्तरः भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना सन् 1885 में हुई।
5. संयुक्त राज्य अमेरिका में किस प्रकार की दलीय व्यवस्था है?
उत्तरः संयुक्त
राज्य अमेरिका में द्विदलीय राजनीतिक व्यवस्था है।
6. भारत के किन्हीं दो क्षेत्रीय राजनीतिक दलों के नाम लिखिए।
उत्तरः द्रविड
मुनेत्र कड़गम, अन्ना द्रविड
मुनेत्र कड़गम।
7. राजनीतिक दल की परिभाषा दीजिए।
उत्तरः राजनीतिक
दल लोगों का एक ऐसा राजनैतिक संगठित समूह है जो संवैधानिक उपायों जैसे चुनाव लड़कर सत्ता
प्राप्त करने के लिए प्रयत्नशील रहता है।
8. बहुजन समाज पार्टी के प्रेरणा स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः बहुजन
समाज पार्टी के प्रेरणा स्रोत महात्मा फुले, पेरियार, रामास्वामी तथा डॉ. अम्बेडकर हैं।
9. एक राजनीतिक दल के तत्त्वों के नाम लिखिए।
उत्तरः एक
राजनीतिक दल के तीन तत्त्व होते हैं। ये हैं- 1. नेतागण, 2. सक्रिय
सदस्य और 3. समर्थक सदस्य।
10. राजनीतिक दल के कोई दो कार्य लिखिए।
उत्तरः राजनीतिक
दल के दो प्रमुख कार्य हैं-
1. चुनाव लड़ना और
2. सरकार बनाना या विपक्ष
की भूमिका निभाना।
11. भारत में राजनीतिक दल चुनावों में उम्मीदवारों का चुनाव कैसे
करते हैं?
उत्तरः भारत
में राजनीतिक दलों के नेता ही चुनावों में उम्मीदवारों का चुनाव करते हैं।
12. विपक्षी दल क्या करता है?
उत्तरः विपक्षी
दल सरकार की गलत नीतियों और असफलताओं की आलोचना करते हुए अपनी राय को जनता के समक्ष
रखता है।
13. लोकतन्त्र में राजनीतिक दल की क्या आवश्यकता है?
उत्तरः लोकतन्त्र
में जवाबदेही या उत्तरदायी सरकार हेतु राजनीतिक दलों की आवश्यकता है।
14. एकदलीय व्यवस्था से आप क्या समझते हैं?
उत्तरः जब
किसी देश में केवल एक ही दल को सरकार बनाने की अनुमति होती है तो उसे एकदलीय व्यवस्था
कहते हैं।
15. द्विदलीय व्यवस्था से क्या आशय है?
उत्तरः जहाँ
सिर्फ दो ही दल सरकार बनाने के प्रबल दावेदार होते हैं, उसे द्विदलीय व्यवस्था कहते हैं।
16. बहुदलीय व्यवस्था को स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः जब
दो से अधिक दल सत्ता के लिए होड़ में हों तो उसे बहुदलीय व्यवस्था कहते हैं।
17. गठबंधन या मोर्चा किसे कहते हैं?
उत्तरः जब
किसी बहुदलीय व्यवस्था वाले लोकतांत्रिक राज्य में चुनाव लड़ने तथा सत्ता प्राप्ति हेतु
अनेक राजनैतिक दल आपस में हाथ मिला लेते हैं, तो उसे गठबंधन या मोर्चा कहते हैं।
18. विश्व के संघीय व्यवस्था वाले लोकतन्त्रों में कितने तरह के
राजनीतिक दल हैं?
उत्तरः विश्व
के संघीय व्यवस्था वाले लोकतन्त्रों में दो तरह के राजनीतिक दल हैं-
· प्रान्त स्तरीय राजनीतिक दल और
· राष्ट्रीय या संघीय राजनीतिक दल।
19. राष्ट्रीय राजनीतिक दल कौनसे दल कहलाते हैं?
उत्तरः जो
दल संघ की सभी इकाइयों में या अनेक इकाइयों में अपना अस्तित्व रखते हैं,
उन्हें राष्ट्रीय राजनीतिक दल कहा जाता है।
20. मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल से क्या आशय है?
उत्तरः चुनाव
आयोग द्वारा पंजीकृत राजनीतिक दलों को मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल कहते हैं।
21. भारत के दो राष्ट्रीय दलों के नाम लिखिए।
उत्तरः भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस,
भारतीय जनता पार्टी।
22. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की विचारधारा का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस’ की विचारधारा में राष्ट्रवाद, धर्मनिरपेक्षता, कमजोर तथा अल्पसंख्यकों के हितों पर बल दिया जाता है।
23. कम्युनिस्ट पार्टी किन सिद्धान्तों में आस्था रखती है?
उत्तरः भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवाद-लेनिनवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतन्त्र के सिद्धान्तों में आस्था रखती
है।
24. राजनीतिक दलों की दो प्रमुख चुनौतियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः राजनीतिक
दलों के भीतर आन्तरिक लोकतन्त्र नहीं है।
राजनीतिक दल वंशवादी नेतृत्व की चुनौती झेल रहे
हैं।
25. भारत में राजनीतिक दलों में सुधार के लिए सरकार ने क्या कदम
उठाया है?
उत्तरः सरकार
ने विधायकों और सांसदों को दल-बदल करने से रोकने के लिए दल-बदल विरोधी कानून बनाया
है।
26. राजनीतिक दलों में सुधार के लिए चुनाव आयोग के किसी एक कदम का
उल्लेख कीजिए।
उत्तरः चुनाव
आयोग ने सभी दलों के लिए सांगठनिक चुनाव कराना और आयकर रिटर्न भरना जरूरी बना दिया
है।
27. राजनीतिक दलों में सुधार के लिए कोई दो सुझाव दें।
उत्तरः 1. राजनीतिक
दलों के आन्तरिक लोकतन्त्र हेतु कानून बनाया जाये।
2. चुनाव का खर्च सरकार उठाये।
28. अधिकतर लोग आमतौर पर राजनीतिक दलों के बारे में क्या राय रखते
हैं?
उत्तरः अधिकतर
लोग आमतौर पर अपनी लोकतांत्रिक व्यवस्था और राजनीतिक जीवन की हर बुराई के लिए दलों
को ही जिम्मेवार मानते हैं।
वे सामाजिक
और राजनैतिक विभाजनों के लिए भी दलों को ही दोषी मानते हैं।
29. राजनीतिक दल के कोई चार कार्य बताइए।
उत्तरः
1) राजनीतिक दल चुनाव लड़ते हैं।
2) ये अलग-अलग नीतियों एवं कार्यक्रमों को जनता के समक्ष रखते हैं।
3) राजनैतिक दल सरकार बनाते व चलाते हैं।
4) ये देश के कानून निर्माण में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
30. तब क्या होगा जब राजनीतिक दल नहीं होंगे?
उत्तरः अगर
राजनीतिक दल नहीं होंगे तो चुनाव में प्रत्येक उम्मीदवार स्वतन्त्र रूप से खड़ा हो जायेगा।
कोई उम्मीदवार सरकार की नीति सम्बन्धी कोई वायदा जनता के सम्मुख नहीं कर पायेगा। वह
केवल अपने क्षेत्र के कार्यों के प्रति ही जिम्मेदारी लेगा। कोई भी देश के प्रति उत्तरदायी
नहीं होगा।
31. राजनीतिक दल जनमत का निर्माण किस प्रकार करते हैं?
उत्तरः राजनीतिक
दल मुद्दों को उठाते हैं और उन पर बहस करते हैं। विभिन्न दलों द्वारा विभिन्न समस्याओं
के बारे में जनता के समक्ष जो अलग-अलग राय रखी जाती है, उन्हीं के इर्द-गिर्द ही समाज या जनता अपना जनमत बनाती है।
32. राजनीतिक दल की विपक्ष की भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
उत्तरः विधायिका
में बहुमत हासिल न कर पाने वाले राजनीतिक दल शासक दल के विरोधी पक्ष की भूमिका निभाते
हैं। वे विधायिका में सत्ता पक्ष से प्रश्न पूछकर उन्हें कटघरे में खड़ा करते हैं तथा
जनता के समक्ष जनसभाओं द्वारा जन-जागरूकता को बढ़ाते हैं तथा सरकार को नियन्त्रण में
रखते हैं।
33. भारत में बहुदलीय व्यवस्था क्यों है?
उत्तरः हर
देश अपनी विशेष परिस्थितियों के अनुरूप दलीय व्यवस्था विकसित करता है। भारत की सामाजिक
और भौगोलिक विविधताओं को समेट पाने में दो-तीन पार्टियाँ अक्षम हैं,
इसलिए यहाँ बहुदलीय व्यवस्था विकसित हुई है।
34. राजनीतिक दल की वंशवाद की चुनौती से क्या आशय है?
उत्तरः वंशवाद
की चुनौती से यह आशय है कि अनेक दलों में शीर्ष पद पर हमेशा एक ही परिवार के लोग आते
हैं । यह दल के अन्य सदस्यों के साथ अन्याय है। इससे अनुभवहीन और बिना जनाधार वाले
लोग ताकत वाले पदों पर पहुँच जाते हैं। यह प्रवृत्ति लगभग पूरे विश्व के राजनीतिक दलों
में विद्यमान है।
35. राजनीतिक दलों के बीच विकल्पहीनता की स्थिति की चुनौती को स्पष्ट
कीजिए।
उत्तरः सार्थक
विकल्प का मतलब होता है कि विभिन्न पार्टियों की नीतियों और कार्यक्रमों में महत्त्वपूर्ण
अन्तर हो। हाल के वर्षों में दलों के बीच यह वैचारिक अन्तर कम होता गया है और यह प्रवृत्ति
दुनिया भर में दिखती है। अतः जो लोग इससे अलग नीतियाँ चाहते हैं उनके लिए कोई विकल्प
उपलब्ध नहीं है।
- 03 अंकों (75 शब्दों में लघुत्तरीय) के लिए प्रश्नोत्तर-
1. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की विभिन्न भूमिकाओं की चर्चा कीजिए
उत्तर - लोकतंत्र
में राजनीतिक दलों की भूमिका निम्न प्रकार से होती है -
अ. जनमत तैयार
करना - राजनीतिक दल देश की समस्याओं
को जना के सामने रखकर जनमत तैयार करते हैं। इसके लिए वे विभिन्न माध्यमों जैसे - पत्र-पत्रिकाओं,
आदि का उपयोग करते हैं।
ब. मध्यस्थता - राजनीतिक दल सरकार और लोगों के बीच की महत्वपूर्ण कड़ी होते
हैं। जनता के लिए सरकारी अधिकारी की तुलना में अपने स्थानीय नेता से मिलकर अपनी समस्याओं
के समाधान के अवसर ज्यादा होते हैं।
स. आलोचना - बहुमत प्राप्त दल जो कि सरकार चलाता है उसकी खामियों को उजागर
करने का कार्य अल्पमत में आए राजनीतिक दल करते हैं।
द. राजनीतिक
शिक्षा - राजनीतिक दल नागरिकों को
राजनीतिक शिक्षा देने का भी कार्य करते हैं। चुनाव के दिनों में वे जनता के अधिकारों
का बखान करते हुए स्वयं की नीतियों को सामने रखते हैं जिससे जनता राजनीतिक रूप से षिक्षित
हाती है।
इ. शासन पर
अधिकार रखना - राजनीति दलों का अंतिम उद्देश्य
सत्ता प्राप्ति होता है। इसके लिए वे अपने उम्मीदवारों को जनता के सामने उतारते हैं
और उसकी जीत के प्रयास करते हैं।
फ. संसदीय
सरकार के लिए अनिवार्य - संसदीय
शासन व्यवस्था में जनता अपनी भागीदारी राजनीतिक दलों के माध्यम से प्रकट करती है। जिसमें
एक पक्ष शासक होता है तो दूसरा पक्ष विपक्षी।
ग. कानून
निर्माण - राजनीतिक दल कानून निर्माण में महती भूमिका निभाते
हैं।
2. राजनीतिक दलों के सामने क्या चुनौतियां हैं?
उत्तर - राजनीतिक
दलों के सामने निम्नलिखित चुनौतियां हैं -
अ. आंतरिक
लोकतंत्र की कमी -
पार्टी के
प्रत्येक सदस्य को निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेने का अवसर नहीं मिलता है। सारी
ताकत एक या कुछेक नेताओं के हाथ में ही सिमट जाती है और जो उनके फैसलों से अहमत होते
हैं उनको पार्टी में महत्व नहीं मिलता अथवा अलग हो जाना पड़ता है।
ब. वंशवाद
की चुनौती -
अधिकांश दल
पारदर्शी तरीके से कामकाज नहीं करते हैं। फैसला लेने वाले नेता अपने ही परिवार अथवा
वंश के व्यक्ति को पार्टी में प्रमुख पदों पर जगह देते हैं। सामान्य कार्यकर्त्ता के
लिए बड़े पदों तक पहुंचना कठिन कार्य हो जाता है।
स. पैसा और
अपराधी तत्वों का बोलबाला -
चूँकि सभी
पार्टियों का अंतिम लक्ष्य किसी भी तरह सत्ता प्राप्ति होता है अतः जायज और नाजायज
तरीकों का प्रयोग करने से नहीं चूकते। इसी कारण पार्टी में बाहुबलियों और अमीरों का
बोलबाला हो जाता है। ऐसे में सामान्य कार्यकर्त्ता के लिए चुनाव लड़ना और जीतना एक स्वप्न
मात्र रह जाता है।
द. पार्टियों
के बीच विकल्पहीनता की चुनौती -
विभिन्न राजनीतिक
पार्टियों की मूल विचारधारा भले ही आदर्श हो किन्तु व्यवहार में सभी पार्टियों की नीतियों
और कार्यक्रम में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता है। और जनता सभी को एक ही तराजू में तौलने
लगती है जिससे नए राजनीतिक विकल्प की तलाश बनी रहती है।।
3. राजनीतिक दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करें, इसके लिए मजबूत
बनाने के कुछ सुझाव दें।
उत्तर - राजनीतिक
दल अपना कामकाज बेहतर ढंग से करें, इसके लिए प्रमुख सुझाव निम्नलिखित हैं -
(1) सांसदों और विधायकों को दल-बदल करने से रोकने के लिए संविधान
में संषोधन किया गया। निर्वाचित प्रतिनिधियों के मंत्रिपद या पैसे के लोभ मे दल-बदल
करने में आई तेजी को देखते हुए ऐसा किया गया था किन्तु नए कानून की आड़ में अपनी पार्टी
में कर्ताधर्ताओं के विरोधी स्वर उठाना कठिन हो गया है।
(2) राजनीतिक दलों का निर्माण जाति, भाषा या क्षेत्र के आधार पर न करके विशुद्ध राजनीति तथा सिद्धांतों
के आधार पर किया जाना चाहिए इससे प्रांतीय तथा राष्ट्रीय एकता के भाव उत्पन्न होंगे।
(3) उच्चतम न्यायालय द्वारा पैसे तथा अपराधियों के प्रभाव को कम
करने के लिए उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड तथा संपत्ति का ब्यौरा मांगा जाना लगा
है। सभी जानकारी एक शपथ पत्र के रूप में दी जाना अनिवार्य कर दी गई है। राजनीतिक दलों
को भी शुचिता बनाए रखने पर काम करना चाहिए।
(4) राजनीतिक दल अपनी रीति नीतियों का ब्यौरा सरकार को जमा करा दे
और चुनाव प्रचार प्रसार का काम सरकार के द्वारा किया जावे इससे राजनीतिक दलों की विकल्पहीनता
के बीच जनता के अंदर से सामान्य नागरिक भी उम्मीदवारी रखने में हिचकेगा नहीं।
4. किसी भी राजनीतिक दल के क्या गुण होते हैं?
उत्तर -राजनीतिक
दल एक ऐसा संगठन होता है जिसके सदस्यों में एक जैसे विचार होते हैं,
एक जैसी नीतियों होती है और जो देश की विभिन्न समस्याओं पर एकमत
होते हैं। एक राजनीतिक दल में निम्नांकित गुण होते हैं-
(क) एक विशेष संगठन - हर एक राजनीतिक दल का एक संगठित ढांचा होता है। नीचे से लेकर
ऊपर तक के पदाधिकारियों को चुनने की विशेष व्यवस्था होती है। हर एक सदस्य को यह पता
होता है कि उसे क्या करना है। ऐसे व्यवस्थित संगठन के बिना कोई राजनीतिक दल लम्बे समय
तक टिक नहीं सकता।
(ख) विचारधारा में एकता - एक सुव्यवस्थित संगठन के साथ किसी भी राजनीतिक दल में विचारधारा
की एकता का होना आवश्यक है। हर एक दल के लक्ष्य होते हैं जो ये लोगों के सामने रखते
हैं, उनका विश्वास प्राप्त
करते हैं और चुनाव जीतने के प्रयत्न करते हैं। पार्टी का हर सदस्य इस उद्देश्यों और
नीतियों को प्राप्त करने में प्रयत्नशील रहते हैं।
(ग) संवैधानिक तरीकों में अडिग विश्वास - कोई भी राजनीतिक दल हो उसे अपने देश के संविधान में अडिग
विश्वास होता है। वे स्वच्छ और स्वतंत्र चुनाव पद्धति में विश्वास रखते हैं और चुनावों
के परिणामों से अपनी सहमति प्रकट करते हैं। किसी भी हालत में वे गुण्डाबाजी और चुनाव
केन्द्रों पर कब्जा करने की नहीं सोचते।
(घ) जीतने के पश्चात् अपनी नीतियों पर अमल करना - हर राजनीतिक दल, यदि वह अपनी सरकार बना लेता है, उन नीतियों को पूरा करने का प्रयत्न करता है जो उसने अपने अपने
घोषणा-पत्रों में दे रखी होती है।
5. राजनीतिक दलों को कैसे सुधारा जा सकता है?
उत्तर -लोकतंत्र
के कामकाज के लिए राजनीतिक पार्टियाँ बहुत ही महत्त्वपूर्ण है। चूंकि दल ही लोकतंत्र
का सबसे ज्यादा प्रकट रूप है। इसलिए यह स्वाभाविक है कि लोकतंत्र के कामकाज की गड़बड़ियों
के लिए लोग राजनीतिक दल को ही दोषी ठहराते हैं। अतः चुनौतियों का सामना करने के लिए
दलों को सुधारने के लिए कुछ सुझाव निम्नांकित हैं-
(क) विधायकों और सांसदों को दल बदल करने से रोकने के लिए संविधान
में संशोधन किया गया। नए कानून के अनुसार अपना दल बदलने वाले सांसद या विधायक को अपनी
सीट भी गँवानी होगी। उन्हें इसे मानना होता है।
(ख) उच्चतम न्यायालय ने पैसे और अपराधियों का प्रभाव कम करने
के लिए यह आदेश जारी किया है कि चुनाव लड़ने वाले हर उम्मीदवार को अपनी सम्पत्ति का
और अपने खिलाफ चल रहे आपराधिक मामलों का ब्यौरा एक शपथपत्र के माध्यम से देना अनिवार्य
कर दिया गया है।
(ग) चुनाव आयोग ने एक आदेश के जरिए सभी दलों के लिए संगठित चुनाव
करना और आयकर का रिटर्न भरना जरूरी कर दिया है। इनके अलावे राजनीतिक दलों पर लोगों
द्वारा दबाव बनाकर जैसे आन्दोलन और मीडिया आदि के द्वारा भी संभव हो सकता है। इस प्रकार
लोकतंत्र मजबूत हो सकता है।
6. लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की जरूरत क्यों है?
उत्तर -लोकतंत्र
में राजनीतिक दलों की जरूरत निम्न कारणों से है-
(क) विश्व में बड़े-बड़े देश हैं जिनमें लोकतांत्रिक व्यवस्था है
क्योंकि इन बड़े देशों में एक व्यक्ति द्वारा शासन संभव नहीं है,
इसलिए कई लोगों के समूह मिलकर शासन करते हैं। ऐसी स्थिति में
लोगों को एक समूह के रूप में संगठित करने के लिए राजनीतिक दल की जरूरत होती है।
(ख) लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के मतों द्वारा शासन वर्ग
का चुनाव होता है। इसके लिए एक देश या प्रांत को कई चुनाव क्षेत्रों में विभाजित किया
जाता है।
राजनीतिक
दल ही चुनावों में जनता का प्रतिनिधित्व करने वाले अपने उम्मीदवार खड़ा करते हैं और
बहुमत मिलने पर सरकार का गठन करते हैं। एक व्यक्ति द्वारा एक क्षेत्र में चुनाव जीतकर
सरकार का गठन करना संभव नहीं है ऐसी स्थिति में राजनीतिक दल की जरूरत होती है।
(ग) राजनीतिक दल में एक विचारधारा के लोग सम्मिलित होते हैं जो
चुनाव में बहुमत मिलने पर सरकार का गठन करते हैं और पूरे कार्यकाल तक शासन करते हैं।
लेकिन अगर विभिन्न विचारधाराओं के लोग जो विभिन्न चुनाव क्षेत्रों से जीतकर सरकार का
गठन करते हैं।
यदि उनमें
कोई मतभेद उत्पन्न हो जाता है तो उनके द्वारा गठित सरकार क्षणिक ही होगी। ऐसी स्थिति
में प्रभावी राजनीतिक दलों की जरूरत होती है।
जो सत्ता
में आने पर ठीक से सरकार संचालित कर सके। इस प्रकार हम कह सकते है कि लोकतंत्र को प्रभावी
और दृढ़ बनाने में राजनीतिक दल महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
7. संघीय राजनीतिक दल और प्रान्तीय दल में क्या अंतर
है ?
उत्तर -राष्ट्रीय
राजनीतिक दल और प्रान्तीय दल में अन्तर- विश्व के संघीय व्यवस्था वाले लोकतंत्र में
दो तरह के राजनीतिक दल हैं-
· संघीय इकाइयों में से सिर्फ एक इकाई में अस्तित्व रखने वाले
दल और अनेक या संघ की सभी इकाइयों में अस्तित्व रखने वाले दल। कई पार्टियों पूरे देश
में फैली हुई हैं और उन्हें राष्ट्रीय पार्टी कहा जाता हैं इन दलों की विभिन्न राज्यों
में इकाइयाँ हैं।
·
देश की हर
पार्टी को चुनाव आयोग में अपना पंजीकरण कराना पड़ता है आयोग सभी दलों को समान मानता
है पर यह बड़े और स्थापित दलों को कुछ विशेष सुविधाएँ देता है। इन पार्टियों को मान्यता
प्राप्त दल कहते हैं।
·
अगर कोई दल
लोकसभा चुनाव में पड़े कुल वोट का अथवा चार राज्यों के विधान सभा चुनाव में पड़े कुछ
वोटों का 6% हासिल करता
है तो उसे राष्ट्रीय राजनीतिक दल की मान्यता मिलती है। जैसे- भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस,
भारतीय जनता पार्टी।
· जब कोई पार्टी राज्य विधान सभा के चुनाव में पड़े कुल मतों का
6 फीसदी या उससे अधिक हासिल करती है और कम से कम दो सीटों पर जीत
दर्ज करती है तो उसे अपने राज्य के राजनीतिक दल के रूप में मान्यता मिल जाती है। जैसे-
समाजवादी पार्टी, समता
पार्टी आदि।
8. क्षेत्रीय दलों से क्या तात्पर्य है ? क्षेत्रीय दल, राष्ट्रीय दलों
से किस तरह भिन्न होते हैं ?
उत्तर -क्षेत्रीय
दलों का अर्थ-क्षेत्रीय दल भारत में ऐसे राजनीतिक दल हैं जिनका प्रभाव पूरे राष्ट्र
या देश में न होकर केवल अपने क्षेत्रों या किसी प्रांत तक ही सीमित होता है।
क्षेत्रीय
दलों का प्रभाव एवं कार्य क्षेत्र किसी विशेष राज्य तथा क्षेत्र तक ही सीमित होता है।
कई बार तो इन दलों का निर्माण केवल किसी क्षेत्र की किसी विशेष मांग को उभारने के लिए
ही किया जाता है।
भारत के प्रमुख
क्षेत्रीय दल हैं तमिलनाडु में- अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (ए० आई० ए० डी० एम० के०)
और द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डी० एम० के०), आंध्र प्रदेश में- तेलगु देशम तथा जम्मू कश्मीर में- नेशनल काँफ्रेंस।
राष्ट्रीय दलों व क्षेत्रीय दलों में अंतर-
(क) राष्ट्रीय दल वे होते हैं जिनका प्रभाव सारे राष्ट्र या देश
में होता है। इन दलों का कार्यक्षेत्र देश का कोई प्रांत या क्षेत्र न होकर बल्कि पूरा
देश होता है। परन्तु क्षेत्रीय दल वे होते हैं जिनका प्रभाव तथा कार्यक्षेत्र देश के
एक प्रांत या क्षेत्र तक ही सीमित होता है।
(ख) राष्ट्रीय दलों की शाखाएँ देश के अधिकतर राज्यों में फैली
हुई होती हैं और इनके सदस्य भी भिन्न-भिन्न प्रांतों में रहने वाले लोग होते हैं परन्तु
क्षेत्रीय दलों की शाखाएँ एक प्रांत या क्षेत्र तक ही सीमित होती है।
9. क्षेत्रीय दलों का क्या महत्व है ?
उत्तर -क्षेत्रीय
दलों की भूमिका अथवा महत्वदृ भारत जैसे विस्तृत देश के लिए क्षेत्रीय दलों का होना
एक स्वाभाविक सी बात है। इन दलों का अपना महत्व और अपनी भूमिका होती है।
(क) ये क्षेत्रीय दल किसी क्षेत्र विशेष में रहने वाले लोगों
की समस्याओं से सम्बन्धित होते हैं इसलिए अपने-अपने क्षेत्र के लोगों की अधिक सेवा
कर पाते हैं।
(ख) जब इन दलों के सदस्य संसद के लिए चुने जाते हैं तो वे अपनी
स्थानीय समस्याओं की ओर सारे राष्ट्र का ध्यान आकर्षित करते हैं।
(ग) साधारणतयाः ऐसे दल विरोधी दल को मजबूत करते हैं इसलिए केन्द्रीय
सरकार को सतर्क रखने का महत्त्वपूर्ण कार्य करते हैं।
10. भारत के राष्ट्रीय दलों से आप क्या समझते हैं
? इनकी क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर -भारत
में इस समय अनेक राष्ट्रीय दल एवं क्षेत्रीय दल हैं।
राष्ट्रीय
दलों की विशेषताएँ-
(क) राष्ट्रीय दल ऐसे दलों को कहते हैं जिन्हें पिछले चुनाव में
कुल मतों का कम से कम 6 प्रतिशत भाग और वह भी
कम से कम 4 राज्यों में प्राप्त हुआ हो। ऐसे दलों को चुनाव आयोग राष्ट्रीय
दल का दर्जा दे देता है।
(ख) ऐसे दल देशव्यापी मसलों की ओर सोचते है और क्षेत्रीय मसले
क्षेत्रीय पार्टियों के लिए छोड़ देते है।
(ग) उन्हें सारे देश के लोगों को ध्यान में रखकर अपनी नीतियों
का निर्धारण करना पड़ता है।
(घ) ऐसे दलों का ध्यान केन्द्र में सरकार बनाने की ओर अधिक होता
है और वे केन्द्र में या तो सत्ता दल या विरोधी दल की भूमिका निभाते हैं।
भारत के राष्ट्रीय
दल - इस समय भारतीय संसद में निम्नांकित मुख्य राष्ट्रीय दल हैं-
(क) भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस.
(ख) राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी,
(ग) भारतीय जनता पार्टी.
(घ) कम्युनिस्ट पार्टी आफ इण्डिया तथा
(ङ) कम्युनिस्ट पार्टी ( मार्क्सवादी),
(च) बहुजन समाज पार्टी
11. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पर एक संक्षिप्त टिप्पणी
लिखें।
उत्तर - भारतीय
राष्ट्रीय कांग्रेस
1885 में गठित इस दल में कई
बार विभाजन हुए हैं। आजादी के बाद राष्ट्रीय और प्रांतीय स्तर पर अनेक दशकों तक इसने
प्रमुख भूमिका निभाई है।
जवाहरलाल
नेहरू की अगुवाई में इस दल ने भारत को एक आधुनिक धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य
बनाने का प्रयास किया। 1971 तक लगातार और फिर 1980 से 1989 तक इसने देश पर शासन किया।
1989 के बाद से इस दल के जन-समर्थन
में कमी आई पर अभी यह पूरे देश और समाज के सभी वर्गों में अपना आधार बनाए हुए है। अपने
वैचारिक रूझान में मध्यमार्गी (न वामपंथी न दक्षिणपंथी) इस दल ने धर्मनिरपेक्षता और
कमजोर वर्गों तथा अल्पसंख्यक समुदायों के हितों को अपना मुख्य एजेंडा बनाया है।
यह दल नई
आर्थिक नीतियों का समर्थक है पर इस बात को लेकर भी सचेत है कि इन नीतियों का गरीब और
कमजोर वर्गों पर बुरा असर न पड़े।
12. भारतीय जनता पार्टी पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर -भारतीय
जनता पार्टी - पुराने भारतीय जनसंघ को पुनर्जीवित करके 1980 में यह पार्टी बनी। भारत
की प्राचीन संस्कृति और मूल्यों से प्रेरणा लेकर मजबूत और आधुनिक भारत बनाने का लक्ष्यः
भारतीय राष्ट्रवाद और राजनीति की इसकी अवधारणा में सांस्कृतिक राष्ट्रवाद (या हिन्दुत्व)
एक प्रमुख तत्व है।
पार्टी जम्मू
और कश्मीर को क्षेत्रीय और राजनीतिक स्तर पर विशेष दर्जा देने के खिलाफ है। यह देश
में रहने वाले सभी धर्म के लोगों के लिए समान नागरिक संहिता बनाने और धर्मातरण पर रोक
लगाने के पक्ष में है।
1990 के दशक में इसके समर्थन
का आधार काफी व्यापक हुआ। पहले देश के उत्तरी और पश्चिमी तथा शहरी इलाकों तक ही सिमटी
रहने वाली इस पार्टी ने इस दशक में दक्षिण, पूर्व, पूर्वोत्तर तथा देश के ग्रामीण इलाकों में अपना आधार बढ़ाया।
राष्ट्रीय
जनतांत्रिक गठबंधन के नेता की हैसियत से यह पार्टी 1998 में सत्ता में आई। गठबंधन
में कई प्रांतीय और क्षेत्रीय दल शामिल थे।
13. बहुजन समाज पार्टी पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर - बहुजन
समाज पार्टी - स्व० कांशीराम के नेतृत्व में 1984 में गठन। बहुजन समाज जिसमें
दलित, आदिवासी,
पिछड़ी जातियाँ और धार्मिक अल्पसंख्यक शामिल हैं,
के लिए राजनीतिक सत्ता पाने का प्रयास और उनका प्रतिनिधिन्च
करने का दावा। पार्टी साहू महाराज, महात्मा फुले, पेरियार रामास्वामी नायकर
और बाबा साहब अंबेडकर के विचारों और शिक्षाओं से प्रेरणा लेती है।
दलितों और
कमजोर वर्ग के लोगों के कल्याण और उनके हितों की रक्षा के मुद्दों पर सबसे ज्यादा सक्रिय
इस पार्टी का मुख्य आधार उत्तर प्रदेश में है. पर मध्य प्रदेश,
छत्तीसगढ़, उत्तराखण्ड, दिल्ली और पंजाब में भी यह पार्टी पर्याप्त ताकतवर है।
अलग-अलग पार्टियों
से अलग-अलग अवसरों पर समर्थन लेकर इसने उत्तर प्रदेश में तीन बार सरकार बनाई।
14. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी पर एक संक्षिप्त
टिप्पणी लिखें।
उत्तर -राष्ट्रवादी
कांग्रेस पार्टी, कांग्रेस
पार्टी में विभाजन के बाद 1999 में यह पार्टी बनी। लोकतंत्र,
गांधीवादी धर्मनिरपेक्षता, समता, सामाजिक न्याय और संघवाद में आस्था।
यह पार्टी
सरकार के प्रमुख पदों को सिर्फ भारत में जन्मे नागरिकों के लिए आरक्षित करना चाहती
है। महाराष्ट्र में प्रमुख ताकत होने के साथ ही यह मेघालय, मणिपुर और असम में भी ताकतवर है। कांग्रेस के साथ महाराष्ट्र
सरकार में भागीदार।
15. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी- मार्क्सवादी (सी० पी०
आई० एम०) पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर -भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी-1964 में स्थापित;
मार्क्सवादी-लेनिनवादी में आस्था। समाजवाद,
धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की समर्थक तथा साम्राज्यवाद और सांप्रदायिकता
की विरोधी।
यह पार्टी
भारत में सामाजिक-आर्थिक न्याय का लक्ष्य साधने में लोकतांत्रिक चुनावों को सहायक और
उपयोगी मानती है। पश्चिम बंगाल. केरल और त्रिपुरा में बहुत मजबूत आधार। गरीबों,
कारखाना मजदूरों. खेतिहर मजदूरों और बुद्धिजीवियों के बीच अच्छी
पकड़।
यह पार्टी
देश में पूँजी और सामानों की मुक्त आवाजाही की अनुमति देने वाली नई आर्थिक नीतियों
की आलोचक है। पश्चिम बंगाल में लगातार 30 वर्षों से शासन में। 2004 के चुनाव में इसने करीब
6 फीसदी वोट और लोकसभा की 43 सीटें हासिल की।
16. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सी० पी० आई०) पर एक
संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।
उत्तर - भारतीय
कम्युनिस्ट पार्टी (सी० पी० आई०) - 1925 में गठित । मार्क्सवादी-लेनिनवाद,
धर्मनिरपेक्षता
और लोकतंत्र में आस्था।
अलगाववादी
और सांप्रदायिक ताकतों की विरोधी। यह पार्टी संसदीय लोकतंत्र को मजदूर वर्ग,
किसानों और गरीबों के हितों को आगे बढ़ाने का एक उपकरण मानती
है।
1964 की फूट (जिसमें माकपा
इससे अलग हुई) के बाद इसका जनाधार सिकुड़ता चला गया लेकिन केरल,
पश्चिम बंगाल, पंजाब, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में अभी भी ठीकठाक स्थिति है।
बहरहाल,
इसका समर्थन धीरे-धीरे कम होता गया है। 2004 के चुनाव में इसे 1.4 फीसदी वोट और लोकसभा की
10 सीटें हासिल हुई। मजबूत वाम मोर्चा बनाने के लिए सभी वामपंथी
दलों को साथ लाने की पक्षधर।
===०००===
आप सफल हों
धन्यवाद