अध्याय - 2
भारतीय अर्थव्यस्था के क्षेत्रक
इस अध्याय की मुख्य बातेंः
· आर्थिक कार्यों के क्षेत्रक
· तीन क्षेत्रकों की तुलना
· क्षेत्रकों में एतिहासिक परिवर्तन
· उत्पादन में तृतीयक क्षेत्र का बढ़ता महत्व
· अधिकांश लोग कहाँ नियोजित हैं ?
· अतिरिक्त रोजगार का सृजन कैसे हो ?
· संगठित और असंगठित के रूप में क्षेत्रकों का विभाजन
· असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों का संरक्षण कैसे हो ?
· स्वामित्व आधारित क्षेत्रक - सर्वाजनिक और निजी
आर्थिक गतिविधि :- ऐसे क्रियाकलाप जिनको करके जीवनयापन के लिए आय की प्राप्ति
की जाती है।
किसी भी अर्थव्यवस्था को तीन क्षेत्रक या सेक्टर में बाँटा जाता
है :-
प्राथमिक क्षेत्र (Primary Sector)
· अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र जहाँ प्राकृतिक संसाधनों को कच्चे
तौर पर प्राप्त किया जाता है; यथा-उत्खनन, कृषि कार्य, पशुपालन, मछली पालन, इत्यादि। इसी क्षेत्रक को कृषि एवं संबध्द गतिविधियाँ (Agriculture and
allied activities) भी कहा जाता है।
द्वितीयक क्षेत्र (Secondary Sector)
· अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र जो प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों
को अपनी गतिविधियों में कच्चे माल (Raw Material) की तरह उपयोग करता है द्वितीयक क्षेत्र कहलाता है। उदाहरण
के लिए लौह एवं इस्पात उद्योग, वस्त्र उद्योग, वाहन, बिस्किट, केक इत्यादि उद्योग। वास्तव में इस क्षेत्रक में विनिर्माण
(Manufacturing) कार्य होता है यही
कारण है कि इसे औद्योगिक क्षेत्रक भी कहा जाता है।
तृतीयक क्षेत्र (Tertiary Sector)
· इस क्षेत्रक में विभिन्न प्रकार की सेवाओं का उत्पादन किया जाता
है; यथा-बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, चिकित्सा, पर्यटन इत्यादि। इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्र के रूप में भी जाना
जाता है।
· सार्वजनिक क्षेत्र :- जिसमें अधिकांश परिसम्पतियों पर सरकार का स्वामित्व होता
है और सरकार ही सभी सेवाएँ उपलब्ध करवाती है ।
· निजी क्षेत्र :-
वह क्षेत्र जिसमें परिसम्पत्तियों का स्वामित्व और सेवाओं का वितरण एक व्यक्ति या कम्पनी
के हाथों में होती है ।
· सकल घरेलू उत्पाद :- किसी विशेष वर्ष में प्रत्येक क्षेत्रक द्वारा उत्पादित
अंतिम वस्तुओं व सेवाओं का मूल्य उस वर्ष में देश के कुल उत्पादन की जानकारी प्रदान
करता है ।
क्षेत्रकों में ऐतिहासिक
परिवर्तन :-
· अधिकांशतया देशों के विकास के क्रम में विकास की प्रारंभिक अवस्था
में प्राथमिक क्षेत्र ही आर्थिक सक्रियता का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रक रहा है। जैसे
- जैसे कृषि प्रणाली परिवर्तित होती गई और कृषि क्षेत्रक समृद्ध होता गया लोग अन्य
दूसरे कार्यों जैसे शिल्पकला, व्यापार आदि में संलग्न हुई तो लगभग सौ वर्षों के लंबे अंतराल
में विनिर्माण का महत्व बढ़ने लगा और द्वितीयक क्षेत्रक में सफल हुए देश विकसित देशों
की श्रेणी में आ गए। विगत सौ वर्षों में विकसित देशों में तृतीयक क्षेत्रक की ओर पुनः
बदलाव हुआ है।
उत्पादन में तृतीयक क्षेत्रक
का बढ़ता महत्व :-
· भारत में पिछले चालीस वर्षों में सबसे अधिक वृद्धि तृतीयक क्षेत्रक
में हुई है।
· भारत में प्राथमिक क्षेत्रक को प्रतिस्थापित करते हुए तृतीयक
क्षेत्रक सबसे बड़ा सबसे बड़े उत्पादक क्षेत्रक के रूप में उभरा।
· इस तीव्र वृद्धि के कई कारण हैं जैसे सेवाओं का समुचित प्रबंधन
, परिवहन
, भंडारण
की अच्छी सुविधाएँ , व्यापार
का अधिक विकास , शिक्षा
की उपलब्धता आदि।
· किसी भी देश में अनेक सेवाओं जैसे अस्पताल परिवहन, बैंक, डाक
तार आदि की आवश्यकता होती है । कृषि एवं उद्योग के विकास में परिवहन व्यापार भण्डारण
जैसी सेवाओं का विकास होता है ।
· आय बढ़ने से कई सेवाओं जैसे रेस्तरा,
पर्यटन, शापिंग निजी अस्पताल तथा विद्यालय आदि की मांग शुरू कर देते
है । सूचना और संचार प्रौद्योगिकी पर आधारित कुछ नवीन सेवाएँ महत्वपूर्ण एवं अपरिहार्य
हो गई है।
· रोजगार की उपलब्धता - नियोजन की दृष्टि से देखें तो आज भी प्राथमिक
क्षेत्रक ही सबसे बड़ा नियोक्ता है।
· तीनों क्षेत्रकों में उत्पादन में तो वृद्धि हुई किन्तु राजगार
उपलब्ध्ता में वृद्धि दर्ज नहीं हुई।
· अल्प बेरोजगारी :- जब किसी काम में जितने लोगो की जरूरत हो उससे ज्यादा लोग
काम में लगे हो और वह अपनी उत्पादन क्षमता से कम योग्यता से काम कर रहे है । प्रच्छन्न
तथा छुपी बेरोजगारी भी कहते है । कृषि क्षेत्र में अल्प बेरोजगारी की समस्या अधिक है
अर्थात् यदि हम कुछ लोगों को कृषि क्षेत्र से हटा भी देते हैं तो उत्पादन में विशेष
प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
· शिक्षित बेरोज़गारी :- जब शिक्षित , प्रशिक्षित व्यक्तियों को उनकी योग्यता के अनुसार काम नहीं मिलता
।
· कुशल श्रमिक :- जिसने किसी कार्य के लिए उचित प्रशिक्षण प्राप्त किया है
।
· अकुशल श्रमिक :-जिन्होंने कोई प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है ।
· संगठित क्षेत्रक :- इसमें वे उद्यम या कार्य आते हैं ,
जहाँ रोजगार की अवधि निश्चित होती है। ये सरकार द्वारा पंजीकृत
होते हैं तथा निर्धारित नियमों व विनियमों का अनुपालन करते हैं।
· असंगठित क्षेत्रक :- छोटी - छोटी और बिखरी हुई ईकाइयाँ , जो अधिकाशंतः
सरकारी नियंत्रण से बाहर रहती हैं , से निर्मित होता है । यहाँ प्रायः सरकारी नियमों का पालन नहीं
किया जाता।
· भूमिहीन किसान , कृषि श्रमिक , छोटे व सीमान्त किसान ,
काश्तकार , बँटाईदार , शिल्पी आदि । शहरी क्षेत्रों में औद्योगिक श्रमिक , निमार्ण
श्रमिक , व्यापार
व परिवहन में कार्यरत , कबाड़
व बोझा ढोने वाले लोगों को संरक्षण की आवश्यकता होती है।
· दोहरी गणना की समस्या :- ये समस्या तब उत्पन्न होती है जब राष्ट्रीय आय की गणना के
लिए सभी उत्पादों के उत्पादन मूल्य को जोड़ा जाता है । क्योंकि इसमें कच्चे माल का मूल्य
भी जुड़ जाता है । अतः समाधान के लिए केवल अंतिम उत्पाद के मूल्य की गणना की जानी चाहिए।
महात्मा
गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005
(मनरेगा)
· इस अधिनियम का तहत ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को आजीविका सुरक्षा
प्रदान करना है, जो एक
वित्तीय वर्ष में सौ दिनों की मजदूरी रोजगार की गारंटी देता है। इस स्कीम के तहत व्यस्क
(18 साल से ऊपर) सदस्य अकुशल कार्य में लगकर मजदूरी करते हैं।
· केंद्र सरकार अकुशल श्रम की पूरी लागत और सामग्री की लागत का
75% (शेष
राज्यों द्वारा वहन किया जाता है) वहन करती है।
· यह एक मांग-संचालित, सामाजिक सुरक्षा और श्रम कानून है,
जिसका उद्देश्य ‘काम के अधिकार’ को लागू करना है।
· यह स्कीम भारत सरकार का ग्रामीण विकास मंत्रालय राज्य सरकारों
के साथ मिलकर योजना के कार्यान्वयन की निगरानी करती है।
· केन्द्रीय सरकार ने भारत के 625 जिलों में काम का अधिकार लागू करने का एक कानून बनाया है ।
काम का अधिकार :-
· सक्षम व जरूरतमंद बेरोज़गार ग्रामीण लोगों को प्रत्येक वर्ष 100 दिन के रोजगार की गारन्टी सरकार के द्वारा दी जाती है और काम
उपलब्ध कराने में असफल रहने पर बेरोज़गारी भत्ता दिया जाएगा।
· ध्यातव्य है कि सूखाग्रस्त क्षेत्रों और जनजातीय इलाकों में
मनरेगा के तहत 150 दिनों के रोज़गार का प्रावधान है।
असंगठित क्षेत्रक के
श्रमिकों का संरक्षण कैसे हो ?
· संगठित क्षेत्र में रोजगार की अनुपलब्धता होने पर असंठित क्षेत्र
में कार्य करना मजबूरी हो जाती है। ऐसे में इस क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक विकास
के लिए संरक्षण और सहायता अनिवार्य है।
अध्याय के
अंत में दिए गए प्रश्नों के उत्तर
अभ्यास
1. कोष्ठक में दिए गए सही विकल्प का प्रयोग कर रिक्त
स्थानों की पूर्ति कीजिए -
(क) सेवा क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में
वृद्धि ................... (हुई है/नहीं हुई है)
(ख) .................................... क्षेत्रक के श्रमिक
वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं। (तृतीयक/कृषि)
(ग) ..................................... क्षेत्रक के अधिकांश
श्रमिकों को रोज़गार-सुरक्षा प्राप्त होती है। (संगठित/असंगठित)
(घ) भारत में ......................... अनुपात में श्रमिक असंगठित
क्षेत्रक में काम कर रहे हैं। (बड़े/छोटे)
(ड) कपास एक .................... उत्पाद है और कपड़ा एक
..................... उत्पाद है। (प्राकृतिक/विनिर्मित)
(च) प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों की गतिविधियाँ
................ हैं। (स्वतंत्र/परस्पर निर्भर)
उत्तर - (क) - नहीं हुई है, (ख) - तृतीयक, (ग) - संगठित, (घ) - बड़े, (ड) - प्राकृतिक-विनिर्मित, (च) - परस्पर निर्भर
2. सही उत्तर
का चयन करें -
(अ) सार्वजनिक
और निजी क्षेत्रक आधार पर विभाजित हैं;
(क) रोजगार की शर्तों
(ख) आर्थिक गतिविधि के स्वभाव
(ग) उद्यमों के स्वामित्व
(घ) उद्यम में नियोजित श्रमिकों की संख्या
उत्तर - (ग) उद्यमों के स्वामित्व
(ब) एक वस्तु
का अधिकांशतः प्राकृतिक प्रक्रिया से उत्पादन गतिविधि है।
(क) प्राथमिक
(ख) द्वितीयक
(ग) तृतीयक
(घ) सूचना प्रौद्योगिकी
उत्तर - (क) प्राथमिक
(स) किसी वर्ष
में उत्पादित कुल मूल्य को स. घ. उ. कहते हैं।
(क) सभी वस्तुओं और सेवाओं
(ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(ग) सभी मध्यवर्ती वस्तुओं और सेवाओं
(घ) सभी मध्यवर्ती एवं अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
उत्तर - (ख) सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
(द) स.घ.उ. के
पदों में वर्ष 2013-14 के बीच तृतीयक क्षेत्रक की हिस्सेदारी
................... प्रतिशत है।
(क) 20 से 30
(ख) 30 से 40
(ग) 50 से 60
(घ) 60 से 70
उत्तर - (घ) 60 से 70
3. निम्नलिखित का मेल कीजिए -
कृषि क्षेत्रक की समस्याएँ कुछ संभावित उपाय
1. असिंचित भूमि (अ)
कृषि-आधारित मिलों की स्थापना
2. फसलों का कम मूल्य (ब)
सहकारी विपणन समितियाँ
3. कर्ज भार (स) सरकार द्वारा खाद्यान्नों की वसूली
4. मंदी काल में रोज़गार का अभाव (द) सरकार
द्वारा नहरों का निर्माण
5.
कटाई के तुरन्त बाद स्थानीय (य)
कम ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना
व्यापारियों को अपना
अनाज बेचने
की विवशता
उत्तर - 1. - (द) , 2. - (स) , 3. - (य) , 4. - (अ),
5. - (ब)
4. विषम की पहचान करें और बताइए
क्यों?
(क) पर्यटन-निर्देशक , धोबी, दर्जी, कुम्हार
(ख) शिक्षक, डॉक्टर, सब्जी विक्रेता, वकील
(ग) डाकिया, मोची, सैनिक, पुलिस
कांस्टेबल
(घ) एम.टी.एन.एल., भारतीय रेल, एयर इण्डिया, जेट एयरवेज, ऑल इण्डिया रेडियो।
उत्तर -
(क) निम्नलिखित में कुम्हार असंगत
है क्योंकि यह द्वितीयक क्षेत्रक से संबंधित व्यवसाय है।
(ख) सब्जी विक्रेता असंगत है क्योंकि
यह प्रत्यक्ष रूप में वस्तुएँ उपलब्ध कराता है जबकि शिक्षक, डॉ
व वकील अपनी सेवाएं बेचते हैं।
(ग) उपरोक्त में डाकिया,
सैनिक तथा पुलिस कॉन्स्टेबल सरकारी क्षेत्र में कार्यरत होते हैं जबकि
मोची निजी क्षेत्र में संबंधित है। अतः मोची असंगत है।
(घ) निम्नलिखित में सहारा एयरलाइंस
एक निजी स्वामित्व वाली कंपनी है जबकि बाकी तीनों सरकारी कंपनियां है।
5. एक शोध छात्र ने सूरत शहर में
काम करने वाले लोगों का अध्ययन करके निम्न आँकड़े जुटाए –
कार्य स्थान |
रोजगार की प्रकृति |
श्रमिकों का प्रतिशत |
सरकार द्वारा पंजीकृत कार्यालयों और कारखानों
में |
संगठित |
15 |
औपचारिक अधिकार-पत्र सहित बाज़ारों में
अपनी दुकान, कार्यालय
और क्लिनिक |
संगठित |
15 |
सड़कों पर काम करते लोग निर्माण श्रमिक, घरेलू श्रमिक |
असंगठित |
20 |
छोटी कार्यशालाओं में काम करते लोग,जो प्रायः सरकार द्वारा पंजीकृत नहीं हैं |
असंगठित |
50 |
तालिका को पूरा कीजिए।
इस शहर में असंगठित क्षेत्रक में श्रमिकों की
प्रतिशतता क्या है?
उत्तर - संगठित, असंगठित, असंगठित।
असंगठित क्षेत्रक में 70 प्रतिशत
श्रमिक काम करते हैं।
6. क्या आप
मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता
है? व्याख्या कीजिए
कि कैसे?
उत्तर - हाँ, हम मानते हैं कि आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन की उपयोगिता है क्योंकि
विभिन्न लोग विभिन्न आर्थिक गतिविधियों से जुड़े होते हैं। आर्थिक गतिविधियों का प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र में विभाजन कई दृष्टिकोण से उपयोगी
है। जैसे -
1. कल्याणकारी योजना बनाने
में सरकार को सहयोग - इससे अर्थशास्त्रियों को किसी भी अर्थव्यवस्था में उपस्थित
समस्याओं और अवसरों को समझने में मदद मिलती है। इससे मिली सूचना के आधार पर सरकार समाज
कल्याण के कार्यक्रम बना सकती है और सुधारों को लागू कर सकती है ताकि अर्थव्यवस्था
में वृद्धि हो और रोजगार के नये अवसर तैयार हों।
2. रोजगार सृजन में सहयोगी
- आर्थिक गतिविधियों का विभाजन विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति दिखाता है।
उदाहरण के लिए, भारत जैसे विकासशील देश
में,
ज्यादातर लोग प्राथमिक क्षेत्र में लगे हुए हैं जिन्हें कृषि
और संबंधित क्षेत्र भी कहा जाता है। दूसरी ओर, विकसित देशों में, जैसे अमरीका में अधिकांश लोग माध्यमिक और तृतीयक क्षेत्रों में
कार्यरत हैं।
3. आर्थिक विकास
में लोगों के योगदान की जानकारी
- इसके द्वारा में हम घरेलू सकल उत्पाद में प्राथमिक, द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्र के योगदान को आसानी से समझ सकते
हैं।
7. इस अध्याय
में आए प्रत्येक क्षेत्रक को रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद (स.घ.उ.) पर ही क्यों केन्द्रित
करना चाहिए? क्या अन्य वाद-पदों का परीक्षण किया जा सकता है? चर्चा करें।
उत्तर - इस अध्याय में आए प्रत्येक क्षेत्र को रोजगार और सकल
घरेलू उत्पाद पर ही केंद्रित करना चाहिए क्योंकि वर्तमान विश्व में किसी देश की अर्थव्यवस्था
का मानक सकल घरेलू उत्पाद को ही माना जाता है। इसी से पूरी अर्थव्यवस्था की स्थिति
का पता चलता है और विभिन्न क्षेत्रकों का योगदान समझ में आता है। हमारे देश के संदर्भ
में देखा जाए तो रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद ही हमारी पंचवर्षीय योजनाओं के प्राथमिक
लक्ष्य रहे हैं। इसलिए सकल घरेलू उत्पाद का अपना महत्व है। रोजगार के अवसरों से किसी
भी अर्थव्यवस्था की सही सेहत का पता चलता है। इसलिए रोजगार की आँकड़े भी महत्वपूर्ण
होते हैं।
इसके अलावा कुछ अन्य लक्ष्य भी हो सकते हैं,जैसेः
1. देश
में संतुलित क्षेत्रीय विकास
2. देश
की जनता में आय और धन की समानता
3. निर्धनता
निवारण
4. आत्मनिर्भर
भारत
5. प्रौद्योगिकी
विकास
8. जीविका
के लिए काम करने वाले अपने आसपास के वयस्कों के सभी कार्यों की लंबी सूची बनाइए। उन्हें
आप किस तरीके से वर्गीकृत कर सकते हैं? अपने चयन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर - हमारे आसपास के वयस्कों की सूची जो जीविका के लिए काम
करते हैं -
डॉक्टर, वकील, शिक्षक, इंजीनियर, दुकानदार, नाई, धोबी, ईंट
बनाने वाले, किसान, डेयरी वाला, गन्ना फेक्ट्री मालिक, टेलर, पुलिस
वाले,
मछली उत्पादक आदि।
(अ) जीविका के लिए काम करने वाले अपने आसपास के उपरोक्त व्यस्कों
को हम विभिन्न आधारों पर वर्गीकृत कर सकते हैं। जैसेः उनके कार्य के प्रकृति किस प्रकार
की है। रोजगार की दशाओं के आधार पर या उद्यम के स्वामित्व के आधार पर या कार्य के प्रकृति
के आधार पर हम विभिन्न आर्थिक क्रियाओं को निम्न तीन क्षेत्रों मे बांटते हैंः
(अ) प्राथमिक क्षेत्र-
इसके अंतर्गत उन सभी क्रियाओं को शामिल किया जाता है जिनमें मुख्यतः प्राकृतिक संसाधनों
का उपयोग होता है जैसे- किसान, डेयरी
वाला,
मछली उत्पादक।
(ब) द्वितीयक क्षेत्र-
इस क्षेत्र को विनिर्माण क्षेत्र भी कहा जाता है। इसके अंतर्गत प्राथमिक अथवा प्राकृतिक
संसाधनों का प्रयोग करके उनसे वस्तुओं का निर्माण किया जाता है। जैसे -ईंट बनाने वाले, गन्ना फैक्ट्र का मालिक।
(स) तृतीयक क्षेत्र- यह
क्षेत्र मुख्यतः वे सेवाएं प्रदान करता है जो कि प्राथमिक तथा द्वितीयक क्षेत्र के
विकास में सहयोगी सिद्ध होती है। जैसे - डॉक्टर, वकील, शिक्षक, इंजीनियर, दुकानदार, नाई, धोबी, टेलर, पुलिस
वाले।
इसके अंतर्गत सभी प्रकार
के सार्वजनिक व निजी उद्यमों जैसे बैंकिंग, बीमा, रेलवे
तथा संचार एवं परिवहन आदि को शामिल किया जाता है।
(ब )इसी प्रकार रोजगार दशाओं के आधार पर भी लोगों को वर्गीकृत
किया जा सकता है कि वे संगठित क्षेत्र में कार्यरत है या असंगठित क्षेत्र में।
(स) तीसरे व्यावसायिक इकाइयों के स्वामित्व के आधार पर भी उनकी
आर्थिक गतिविधियों को वर्गीकृत किया जा सकता है कि क्या वे सार्वजनिक क्षेत्र के अधीन
कार्यरत हैं या निजी क्षेत्र के।
9. तृतीयक
क्षेत्रक अन्य क्षेत्रकों से कैसे भिन्न है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।
उत्तर - तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ प्राथमिक और द्वितीयक
क्षेत्रकों के विकास में मदद करती हैं। ये गतिविधियाँ, स्वतः, वस्तुओं
का उत्पादन नहीं करती हैं, लेकिन वे
उत्पादन प्रक्रिया के लिए सहायता करती हैं। तृतीयक क्षेत्र अन्य क्षेत्रों से भिन्न
कैसे है इसे इस तुलनात्मक अध्ययन से समझा जा सकता है :-
तृतीयक क्षेत्रक |
प्राथमिक क्षेत्रक |
द्वितीयक क्षेत्रक |
व्यापार, परिवहन , संचार, शिक्षा, स्वास्थ्य और बीमा आदि सम्मिलित है। |
कृषि , वानिकी, पशुपालन, मछलीपालन, खनन आदि सम्मिलित है। |
विनिर्माण सम्मिलित है। |
इस क्षेत्रक में मानसिक श्रम की आवश्यकता
पड़ती है। |
इस क्षेत्रक में शारीरिक श्रम की अधिक
आवश्यकता पड़ती है। |
इस क्षेत्रक में मशीनों द्वारा श्रम कराया
जाता है। |
इस क्षेत्रक में कोई भौतिक उत्पाद प्राप्त
न होकर अभौतिक उत्पाद प्राप्त होते हैं। जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य आदि |
इस क्षेत्रक का उत्पाद कोई भौतिक वस्तु
होता है। जैसे फसल, खनिज आदि |
इस क्षेत्रक का अंतिम उत्पाद भी कोई भौतिक
वस्तु ही होता है। जैसे सीमेंट, बिस्किट आदि |
इस क्षेत्रक में कार्य करने वाले डॉक्टर, शिक्षक, दुकानदार आदि होते हैं। |
इस क्षेत्रक में कार्य करने वाले किसान, पशुपालक, मछलीउत्पादक आदि होते हैं। |
इस क्षेत्रक में कार्य करने वाले श्रमिक, उद्योगपति आदि होते हैं। |
10. प्रच्छन्न बेरोजगारी से आप क्या समझते हैं? शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से उदाहरण देकर व्याख्या कीजिए।
उत्तर - प्रछन्न बेरोजगारी अथात छिपी हुई बेरोजगारी इसका अभिप्राय
ऐसी बेरोजगारी से है जब लोग प्रत्यक्ष रूप में तो काम में लगे दिखाई देते हैं, परन्तु वास्तव में उनकी उत्पादकता शून्य होती है। अर्थात यदि
उनको काम पर से हटा भी दिया जाए तो कुल उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
ग्रामीण क्षेत्र
का उदाहरण - भारत में भी कृषि क्षेत्र
में बड़े पैमाने पर प्रच्छन्न अथवा छिपी हुई बेरोजगारी पाई जाती है। गाँवों में ऐसा
अक्सर देखने को मिलता है कि जिस खेत पर काम करने के लिए एक दो लोग काफी होते हैं उसी
खेत पर कई लोग काम करते रहते हैं। अतिरिक्त लोग उस खेत पर इसलिए काम कर रहे होते हैं
क्योंकि उनके पास करने को कोई बेहतर विकल्प नहीं होता है।
शहरी क्षेत्र
का उदाहरण - शहरी क्षेत्रों में किसी
दुकान पर आपको एक ही परिवार अनेक सदस्य काम करते दिखते होगे जबकि उनको अलग अलग दुकान
चलाना चाहिए लेकिन सही अवसर और धन के अभाव में उन्हें एक ही दुकान पर काम करने को बाध्य
होना पड़ता है।
11. खुली बेरोजगारी और प्रच्छन्न
बेरोजगारी के बीच विभेद कीजिए।
उत्तर - खुली बेरोजगारी
- जब किसी देश की श्रम शक्ति को पर्याप्त रोजगार के अवसर नहीं मिलते हैं, तो इस स्थिति को खुली बेरोजगारी कहा जाता है। इस प्रकार की बेरोजगारी
आमतौर पर हमारे देश के औद्योगिक क्षेत्र में पाई जाती है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में
भूमिहीन खेतिहर मजदूरों में भी पाई जाती है।
प्रच्छन्न
बेरोजगारी - प्रछन्न बेरोजगारी अथात
छिपी हुई बेरोजगारी इसका अभिप्राय ऐसी बेरोजगारी से है जब लोग प्रत्यक्ष रूप में तो
काम में लगे दिखाई देते हैं, परन्तु
वास्तव में उनकी उत्पादकता शून्य होती है। अर्थात यदि उनको काम पर से हटा भी दिया जाए
तो कुल उत्पादन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस प्रकार की बेरोजगारी आम तौर पर असंगठित
क्षेत्र में पाई जाती है जहां या तो काम लगातार उपलब्ध नहीं होता है या एक ही काम के
लिए बहुत से लोगों को नियोजित किया जाता है जिसके लिए इतने हाथों की आवश्यकता नहीं
होती है।
12. “भारतीय
अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्रक कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा
है।” क्या आप इससे सहमत है? अपने उत्तर के समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर - सहमति होने पर :
“भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्र कोई महत्वपूर्ण
भूमिका नहीं निभा रहा है“ इस बात से हम आंशिक रूप से सहमत है क्योंकि :
उत्पादन में वृद्धि के अनुपात में रोजगार में तृतीयक क्षेत्र
का हिस्सा नहीं बढ़ा है। 2013-14 में, सेवा क्षेत्र में सकल घरेलु उत्पाद में हिस्सेदारी लगभग 70 प्रतिशत है, जबकि रोजगार की उपलब्धता में हिस्सेदारी 31 प्रतिशत ही है। इसलिए, अभी भी देश में आधे से अधिक श्रमिक प्राथमिक क्षेत्र में काम
कर रहे हैं।
सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित नई सेवाएं महत्वपूर्ण हो गई हैं, लेकिन सेवा क्षेत्र की सभी सेवाएं अच्छी तरह से विकसित नहीं
हो रही हैं। एक छोर पर अत्यधिक कुशल और शिक्षित श्रमिक हैं, लेकिन दूसरी ओर छोटे दुकानदारों, छोटे मोटे उपकरणों की मरम्मत करने वालों, परिवहन जैसी सेवाओं में लगे श्रमिकों की एक बहुत बड़ी संख्या
है। ये व्यक्ति बमुश्किल जीविकोपार्जन करते हैं और फिर भी वे इन सेवाओं को करते हैं
क्योंकि उनके लिए काम का कोई वैकल्पिक अवसर उपलब्ध नहीं है। ऐसे व्यक्ति भारतीय अर्थव्यवस्था
के विकास में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा सकते हैं। यह सेवा क्षेत्र का वह हिस्सा
है जो महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभा रहा है।
असहमति होने पर -
उत्तरः किसी भी अर्थव्यवस्था के विकास के दृष्टिकोण से तृतीयक
क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद में बढ़ता योगदान एक अच्छा संकेत माना जाता हैं। यदि भारतीय
अर्थव्यवस्था के संदर्भ में देखा जाए तो हम इस कथन से पूर्णतः सहमत नहीं हैं कि भारतीय
अर्थव्यवस्था के विकास में तृतीयक क्षेत्र की कोई महत्त्वपूर्ण भूमिका नहीं हैं। क्योंकि
योजनाकाल के दौरान वर्ष 1973 से
2013 तक 40 वर्षों
यद्दपि सभी क्षेत्रों में उत्पादन में वृध्दि हुई हैं, परंतु तृतीयक क्षेत्र के उत्पादन में सर्वाधिक वृध्दि हुई है।
इसी प्रकार यदि रोज़गार के आधार पर तृतीयक क्षेत्र के महत्त्व का आकलन किया जाए तो भी
हम पाते हैं की 1978 से
2018 के दौरान तृतीयक क्षेत्र में रोज़गार वृध्दि की दर लगभग 18 प्रतिशत से बढ़कर 31 प्रतिशत रही है जो द्वितीयक और प्राथमिक क्षेत्रक की अपेक्षा
कही ज़्यादा हैं।
13. भारत में
सेवा क्षेत्रक दो विभिन्न प्रकार के लोग नियोजित करता हैं। ये लोग कौन हैं?
उत्तर - भारत में सेवा क्षेत्र निम्नलिखित दो अलग-अलग प्रकार
के लोगों को रोजगार देता है। वे हैंः
(1) सेवाओं में शामिल लोग जो माल के उत्पादन में सीधे मदद कर सकते
हैं। उदाहरण के लिए, परिवहन, भंडारण, संचार, वित्त आदि में शामिल लोग।
(2) ऐसी सेवाओं में शामिल लोग जो माल के उत्पादन में सीधे मदद नहीं
कर सकते हैं उदा. शिक्षक, डॉक्टर, नाई, मोची वकील
आदि। उन्हें सहायक कार्यकर्ता कहा जा सकता है, जिसका अर्थ है जो प्राथमिक सेवा प्रदाताओं को सेवाएं देते हैं।
14. “ असंगठित
क्षेत्रक में श्रमिकों का शोषण किया जाता है।” क्या आप इस विचार से सहमत हैं? अपने उत्तर के
समर्थन में कारण दीजिए।
उत्तर - हां, असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों का शोषण किया जाता है। यह निम्नलिखित
बिंदुओं से स्पष्ट होगाः
1. काम के घंटों की कोई निश्चित संख्या नहीं है। श्रमिक आमतौर
पर बिना ओवरटाइम के 10-12 घंटे
काम करते हैं।
2. उन्हें दैनिक वेतन के अलावा अन्य भत्ते नहीं मिलते हैं।
3. वहां मजदूरों की सुरक्षा के लिए सरकारी नियमों और विनियमों
का पालन नहीं किया जाता है।
4. नौकरी की सुरक्षा नहीं है।
5. नौकरियां कम वेतन वाली हैं इस क्षेत्र के श्रमिक आम तौर पर
अनपढ़,
अज्ञानी और असंगठित होते हैं। इसलिए वे सौदेबाजी या अच्छी मजदूरी
हासिल करने की स्थिति में नहीं हैं।
6. बहुत गरीब होने के कारण वे हमेशा कर्ज में डूबे रहते हैं। इसलिए, उन्हें कम मजदूरी स्वीकार करने के लिए आसानी से तैयार किया जा
सकता है।
15. अर्थव्यवस्था
में गतिविधियाँ रोजगार की परिस्थितियों के आधार पर कैसे वर्गीकृत की जाती हैं?
उत्तर - रोजगार की स्थिति के आधार पर, अर्थव्यवस्था में गतिविधियों को संगठित और असंगठित क्षेत्रों
में वर्गीकृत किया जाता है।
संगठित क्षेत्र
की गतिविधियाँ - संगठित क्षेत्र की
गतिविधियों में उन क्षेत्रों को शामिल किया जाता हैं जहाँ रोज़गार की अवधि नियमित होती
है। ये क्षेत्र सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं तथा इन्हें विभिन्न सरकारी नियमो एवं
विनियमो जैसे- न्यूनतम मज़दूरी अधिनियम, कारख़ाना अधिनियम आदि उल्लेखित होते हैं।
असंगठित क्षेत्र
की गतिविधियों - इसके विपरीत असंगठित
क्षेत्र प्रायः छोटी-छोटी और बिखरी इकाइयों से निर्मित होता है जो प्रायः सरकारी नियंत्रण
से बाहर होती हैं। इस क्षेत्र में नियम और विनियम तो होते हैं, परंतु उनकी अनुपालना नहीं होती। इस क्षेत्र में श्रमिकों को
प्रायः कम वेतन मिलता है तथा संगठित क्षेत्र के श्रमिकों की तुलना में अन्य सुविधाएँ
भी न के बराबर मिलती है।
16. संगठित
और असंगठित क्षेत्रकों में विद्यमान रोजगार-परिस्थितियों की तुलना करें।
उत्तर –
संगठित क्षेत्रक |
असंगठित क्षेत्रक |
1. वे उद्यम अथवा कार्य स्थान जहाँ रोजगार की अवधि नियमित होती
है। |
1.
यहाँ रोजगार की अवधि नियमित नहीं होती
है। |
2. लोगों के पास सुनिष्चित काम होता है। |
2.
रोजगार सुरक्षित नहीं होता है। |
3. सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं तथा विनियमित होते हैं। |
3.
नियम या विनियम तो होते हैं किंतु कड़ाइ्र
से पालन नहीं होता है। |
4. अतिरिक्त कार्य पर बोनस आदि मिलता है। |
4.
नियोक्ता पर निर्भर करता है कि अतिरिक्त
कार्य पर बोनस दे भी सकता है अथवा नही भी दे सकता। |
5. न्यूनतम मजदूरी अथवा मानदेय का प्रावधान होता है। |
5.
न्यूनतम मजदूरी का प्रावधान तो होता है
किन्तु पालन नहीं होता है। |
17. मनरेगा 2005 (MNREGA- 2005) के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर - मनरेगा 2005 (MNREGA- 2005)
के उद्देश्यों की व्याख्या
1. मनरेगा 2005 यानी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 को लागू करने का उद्देश्य काम के अधिकार को लागू करना है।
2. अधिनियम को 200 जिलों में लागू किया जाना है।
3. इस अधिनियम के तहत, जो लोग सक्षम हैं, और जिन्हें काम की आवश्यकता है, उन्हें सरकार द्वारा एक वर्ष में 100 दिनों के रोजगार की गारंटी दी गई है।
4. अगर सरकार रोजगार देने के अपने कर्तव्य में विफल रहती है, तो वह लोगों को बेरोजगारी भत्ता देगी।
5. इस अधिनियम के तहत जिन प्रकार के कार्यों से भविष्य में भूमि
से उत्पादन बढ़ाने में मदद मिलेगी, उन्हें
वरीयता दी जाएगी।
18. अपने क्षेत्र
से उदाहरण लेकर सार्वजनिक और निजी क्षेत्रक की गतिविधियों एवं कार्यों की तुलना तथा
वैषम्य कीजिए।
उत्तर –
निजी क्षेत्र |
सार्वजनिक क्षेत्र |
(1)
सब्जी की दुकानें, किराना दुकानें, मिठाई की दुकानें, अनाज की दुकानें आदि निजी क्षेत्र में हैं। |
(1) सार्वजनिक वितरण प्रणाली की राशन दुकानों से जो अनाज और दूध
उत्पाद आदि बेचते हैं, सार्वजनिक क्षेत्र में हैं। |
(2)
ये निजी व्यक्तियों के स्वामित्व में
हैं। |
(2) ये राशन दुकानों सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम हैं जो सरकार
के स्वामित्व में हैं |
(3)
उत्पाद आम तौर पर अच्छी गुणवत्ता के होते
हैं। |
(3) उत्पाद आम तौर पर औसत या खराब गुणवत्ता के होते हैं। |
(4)
वस्तुओं का मूल्य थोड़ी अधिक हो सकती हैं |
(4) वस्तुओं का मूल्य बाजार दरों से कम हैं। |
(5)
रिलायंस, टाटा, एयरटेल जैसी कंपनियां टेलीफोन और टीवी सेवाएं प्रदान करती
हैं जो बहुत अच्छे स्तर की हैं। |
(5) एमटीएनएल, बी एस एन एलआदि टेलीफोन सेवाएं प्रदान करता है। उनकी सेवाओं
के खिलाफ शिकायतें हैं। कई मौकों पर, टेलीफोन खराब हो जाते हैं, लेकिन उस अवधि के लिए वे चार्ज नहीं करते हैं। |
(6)
दुकानदार बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के
मुफ्त होम डिलीवरी सेवा प्रदान करते हैं। |
(6) राशन दुकानें जनता को मुफ्त होम डिलीवरी सेवा प्रदान नहीं
करती है। |
19. अपने क्षेत्र से एक-एक उदाहरण देकर निम्न तालिका को पूरा कीजिए और चर्चा कीजिएः
क्षेत्रक |
सुव्यवस्थित प्रबंध वाले
संगठन |
कुव्यवस्थित प्रबंध वाले
संगठन |
सार्वजनिक क्षेत्रक |
एन.टी.पी.सी. |
बी.एस.एन.एल |
निजी क्षेत्रक |
टाटा कम्पनी |
निजी ठेकेदार |
20. सार्वजनिक क्षेत्रक की गतिविधियों के कुछ उदाहरण दीजिए और व्याख्या कीजिए कि सरकार द्वारा इन गतिविधियों का कार्यान्वयन क्यों किया जाता है?
उत्तर - सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की सार्वजनिक गतिविधियों
के कार्यान्वयन के निम्नलिखित कारण हैं।
1. ऐसी योजनाएँ जिनमे दीर्घकालीन निवेश किया जाता है तथा जिनकी
परिपक्वता अवधि लम्बी होती हैं अर्थात् जो काफ़ी देर से प्रतिफल प्रदान करती हैं, में सार्वजनिक निवेश आवश्यक हो जाता है क्योंकि निजी क्षेत्र
द्वारा प्रायः ऐसी योजनाओं में निवेश नहीं किया जाता।
2. निजी क्षेत्र द्वारा किए जाने वाले शोषण से लोगों की सुरक्षा
के लिए सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की सार्वजनिक गतिविधियों का कार्यान्वयन किया जाता
हैं।
3. निजी क्षेत्रक का ध्येय लाभ अर्जित करना होता है जिससे अनेक
वस्तुए अथवा सेवाएं निजी क्षेत्रक उचित मूल्य पर उपलब्ध नहीं करा पाता है तब सार्वजनिक
क्षेत्रक जो कि लाभ के ध्येय से कार्य नहीं करता है उसे आगे आना पड़ता है।
4. कल्याणकारी योजनाओं में निजी क्षेत्रक की भूमिका नगण्य रहती
है जैसे किसानों से बाजार मूल्य में अनाज क्रय करके अत्यंत कम दामों में निर्धन लोगों
में वितरित करना।
इस प्रकार की सुविधाओं के कुछ प्रमुख उदाहरण है-
अखिल भारतीय
आयुर्विज्ञान संस्थान- लोगों को
उच्च गुणवता वाली स्वास्थ्य सेवाएँ उचित दरों पर उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा
इस संस्थान की स्थापना की गई हैं।
भारतीय रेल- लोगों को सस्ती दरों पर यात्रा एवं मालभाड़े की सुविधाएँ उपलब्ध
कराने के लिए भारतीय रेल एक महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक उपक्रम है।
नेशनल थर्मल
पॉवर करपोरेशन लिमिटेड- लोगों को
सस्ती दर पर बिजली उपलब्ध कराने तथा निजी क्षेत्र में ख़ासकर छोटे पैनाने के उद्दोगो
को प्रोत्साहित करने के लिए इस संस्थान की स्थापना की गई है।
21. व्याख्या
कीजिए कि एक देश के आर्थिक विकास में सार्वजनिक क्षेत्रक कैसे योगदान करता है?
उत्तर - निम्नलिखित तरीकों से सार्वजनिक क्षेत्र किसी राष्ट्र
के आर्थिक विकास में योगदान देता हैः
1. यह बुनियादी ढांचे के निर्माण और विस्तार के माध्यम से तेजी
से आर्थिक विकास को बढ़ावा देता है।
2. यह रोजगार के अवसर पैदा करता है।
3. यह विकास के लिए वित्तीय संसाधन उत्पन्न करता है।
4. यह आय, धन
की समानता और इस प्रकार, एक संतुलित
क्षेत्रीय विकास सुनिश्चित कर रहा है।
5. यह लघु, मध्यम
और कुटीर उद्योगों के विकास को प्रोत्साहित करता है।
6. यह मध्यम दरों पर माल की आसान उपलब्धता सुनिश्चित करता है।
7. स्वास्थ्य और शैक्षिक सेवाओं के माध्यम से सामुदायिक विकास
यानी मानव विकास सूचकांक (HDI) में योगदान
देता है।
22. असंगठित
क्षेत्रक के श्रमिकों को निम्नलिखित मुद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है- मजदूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य।
उदाहरण सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर - असंगठित क्षेत्रक के मज़दूरो को मज़दूरी, सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे मद्दों पर संरक्षण की आवश्यकता है।
इसे निम्न प्रकार से स्पष्ट किया जा सकता है-
मज़दूरी- असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को प्रायः 10-12 घंटे तक बिना किसी ओवरटाइम के साथ काम करना पड़ता है। साथ ही
उन्हें मज़दूरी के अलावा अन्य सुविधाएँ भी नहीं मिलतीं। इसके अलावा असंगठित क्षेत्र
के श्रमिकों में प्रायः रोज़गार सुरक्षा का अभाव पाया जाता है, क्योंकि इनके रोज़गार की प्रकृति प्रायः अनियमित होती है। चूँकि
ये पहले से ही क़र्ज़ के बोझ से दबे होते है अतः ये प्रायः कम मज़दूरी दरों पर कार्य करने
के लिए तैयार हो जाते हैं।
सुरक्षा- असंगठित क्षेत्र के श्रमिक प्रायः अत्यधिक जोखिम वाले क्षेत्रों
जैसे ईंट उद्योग, कोयले की
खानों आदि में कार्य करते है, अतः
सुरक्षा उनके सम्मुख प्रमुख मुद्दा होती है।
स्वास्थ्य- चूँकि ये श्रमिक प्रायः अत्यधिक जोखिमपूर्ण कार्य-परिस्थितियों
में कार्य करते हैं और दूसरे उनकी मज़दूरी भी प्रायः कम होती है। फलस्वरूप पर्याप्त
पोषण के अभाव में इनकी स्वास्थ्य संबंधी स्थिति संतोषजनक नहीं रहती। अतः इस संदर्भ
में भी उपयुक्त क़दम उठाए जाने की आवश्यकता है।
23. अहमदाबाद
में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि नगर के 15,00,000 श्रमिकों में से 11,00,000 श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम करते थे। वर्ष
1997-98 में नगर
की कुल आय 600 करोड़ रुपए थी इसमें से 320 करोड़ रुपए संगठित क्षेत्रक से प्राप्त होती थी।
इस आँकड़े को तालिका में प्रदर्शित कीजिए। नगर में और अधिक रोजगार-सृजन के लिए किन तरीकों
पर विचार किया जाना चाहिए?
उत्तर - आंकड़ों की तालिका निम्नानुसार होगी –
अर्थव्यवस्था के क्षेत्र |
कार्यरत श्रमिकों की संख्या |
आय (करोड़ रु. में) |
संगठित |
400000 |
320 |
असंगठित |
1100000 |
280 |
कुल |
1500000 |
600 |
शहर में अधिक रोजगार सृजन के लिए निम्न तरीकों पर विचार किया
जा सकता हैः
· रोजगार- पाकर शिक्षा की व्यवस्था की जानी चाहिए।
· विशेष रूप से तकनीकी तथा व्यवसायिक शिक्षा पर बल दिया जाए।
· सरकार उद्योगों में श्रम प्रधान तकनीकों को बढ़ावा दे ताकि बड़े
पैमाने पर लोगों को रोजगार प्रदान किया जा सके।
· लघु तथा कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहित किया जाए।
24. निम्नलिखित
तालिका में तीनों क्षेत्रकों का सकल घरेलू उत्पाद (स.घ.उ.) रुपए (करोड़) में दिया गया
हैः
वर्ष |
प्राथमिक |
द्वितीयक |
तृतीयक |
2000 |
52, 000 |
48, 500 |
1, 33, 500 |
2013 |
8, 00, 500 |
10, 74, 000 |
38, 68, 000 |
(क) वर्ष 2000 एवं 2013 के लिए स.घ.उ. में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना कीजिए।
(ख) इन आँकड़ों को अध्याय में दिए आलेख-2 के समान एक दण्ड-आलेख के रूप में प्रदर्शित कीजिए।
(ग) दण्ड-आलेख से हम क्या निष्कर्ष प्राप्त करते है?
उत्तर - (क) वर्ष 2000 एवं 2013 के लिए स.घ.उ. में तीनों क्षेत्रकों की हिस्सेदारी की गणना
–
वर्ष |
प्राथमिक % |
द्वितीयक % |
तृतीयक % |
2000 |
22 |
21 |
57 |
2013 |
14 |
19 |
67 |
क्रियाकलाप 1. “आर्थिक गतिविधियों, को तीन अलग-अलग क्षेत्रकों में बांटा गया है, फिर भी ये तीनों
एकदूसरे पर अत्यधिक निर्भर हैं।“ चर्चा करें। क्या आप इस विचार से सहमत हैं कि प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक
क्षेत्र एक दूसरे पर निर्भर हैं?
उत्तर - प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र अन्योन्याश्रित हैं जैसा कि नीचे
बताया गया है -
जब हम प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करके वस्तुओं का उत्पादन करते
हैं तो यह प्राथमिक क्षेत्र की गतिविधि होती है। यह प्राथमिक है क्योंकि यह अन्य सभी
उत्पादों के लिए आधार बनाता है जिन्हें हम बाद में बनाते हैं।
द्वितीयक क्षेत्र उन गतिविधियों को शामिल करता है जिनमें प्राकृतिक
उत्पादों को गैर मषीनीकृत रूप से या मशीनों द्वारा अन्य रूपों में बदल दिया जाता है।
उदाहरण के लिए गेहूं का उपयोग रोटी बनाने के लिए किया जाता है। इसलिए प्राथमिक और द्वितीयक
क्षेत्रों के बीच परस्पर निर्भरता है।
प्राथमिक और माध्यमिक क्षेत्रों के विकास में मदद करने वाली
गतिविधियाँ तृतीयक क्षेत्र के अंतर्गत आती हैं। ये गतिविधियाँ अपने आप में एक अच्छा
उत्पादन नहीं करती हैं, लेकिन वे
उत्पादन प्रक्रिया के लिए एक सहायता या समर्थन हैं। परिवहन, भंडारण, संचार
और बैंकिंग तृतीयक गतिविधियों के कुछ उदाहरण हैं।
तालिका 2.1 आर्थिक गतिविधियों के उदाहरण
उदाहरण |
यह क्या प्रदर्शित
करता है? |
कल्पना करें कि यदि किसान
किसी चीनी मिल को गन्ना बेचने से इंकार कर दें, तो क्या होगा। मिल बंद हो जाएगी। |
यह द्वितीयक या औद्योगिक
क्षेत्रक का उदाहरण है, जो प्राथमिक क्षेत्रक पर निर्भर है। |
कल्पना करें कि यदि कम्पनियाँ
भारतीय बाज़ार से कपास नहीं खरीदती और अन्य देशों से कपास आयात करने का निर्णय करती
हैं, तो कपास
की खेती का क्या होगा? भारत में कपास की खेती कम लाभकारी रह जाएगी
और यदि किसान शीघ्रता से अन्य फसलों की ओर उन्मुख नहीं होते हैं, तो वे
दिवालिया भी हो सकते हैं तथा कपास की कीमत गिर जाएगी। |
|
किसान, ट्रैक्टर, पम्पसेट, बिजली, कीटनाशक
और उर्वरक जैसी अनेक वस्तुएँ खरीदते हैं। कल्पना करें कि यदि उर्वरकों और पम्पसेटों
की कीमत बढ़ जाती है, तो क्या होगा? खेती
पर लागत बढ़ जाएगी और किसानों का लाभ कम हो जाएगा। |
|
औद्योगिक और सेवा क्षेत्रकों
में काम करने वाले लोगों को भोजन की आवश्यकता होती है। कल्पना करें कि यदि ट्रांसपोर्टरों
ने हड़ताल कर दी है और ग्रामीण क्षेत्रों से सब्जियाँ, दूध इत्यादि
ले जाने से इंकार कर दिया, तो कया होगा? शहरी क्षेत्रों में भोजन की कमी हो जाएगी और
किसान अपने उत्पाद बेचने में असमर्थ हो जायेंगे। |
|
आओ इन पर विचार करें -
1. विभिन्न क्षेत्रकों की परस्पर-निर्भरता दिखाते हुए उपर्युक्त
सारणी को भरें।
उदाहरण |
यह क्या प्रदर्शित करता है? |
कल्पना करें कि यदि किसान किसी चीनी मिल
को गन्ना बेचने से इंकार कर दें, तो क्या होगा। मिल बंद हो जाएगी। |
यह द्वितीयक या औद्योगिक क्षेत्रक का
उदाहरण है, जो प्राथमिक
क्षेत्रक पर निर्भर है। |
कल्पना करें कि यदि कम्पनियाँ भारतीय बाज़ार से कपास नहीं खरीदती और अन्य देशों से कपास आयात करने का निर्णय करती हैं, तो कपास की खेती का क्या होगा? भारत में कपास की खेती कम लाभकारी रह जाएगी और यदि किसान शीघ्रता से अन्य फसलों की ओर उन्मुख नहीं होते हैं, तो वे दिवालिया भी हो सकते हैं तथा कपास की कीमत गिर जाएगी। |
यह दर्शाता है कि प्राथमिक क्षेत्र किस
प्रकार द्वितीयक या औद्योगिक क्षेत्र पर निर्भर है। |
किसान, ट्रैक्टर, पम्पसेट, बिजली, कीटनाशक और उर्वरक जैसी अनेक वस्तुएँ खरीदते हैं। कल्पना करें
कि यदि उर्वरकों और पम्पसेटों की कीमत बढ़ जाती है, तो क्या होगा? खेती पर लागत बढ़ जाएगी और किसानों का लाभ कम हो जाएगा। |
यह प्राथमिक क्षेत्र के उदाहरण दिखाता
है क्योंकि कृषि को इस क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकृत किया गया है जो द्वितीयक क्षेत्र
पर निर्भर है जिसके तहत उद्योग को वर्गीकृत किया गया है। |
औद्योगिक और सेवा क्षेत्रकों में काम
करने वाले लोगों को भोजन की आवश्यकता होती है। कल्पना करें कि यदि ट्रांसपोर्टरों
ने हड़ताल कर दी है और ग्रामीण क्षेत्रों से सब्जियाँ, दूध इत्यादि ले जाने से इंकार कर दिया, तो कया होगा? शहरी क्षेत्रों में भोजन की कमी हो जाएगी और किसान अपने उत्पाद
बेचने में असमर्थ हो जायेंगे। |
यह द्वितीयक क्षेत्र के प्राथमिक और तृतीयक
क्षेत्र पर निर्भर होने का एक उदाहरण है। |
2. पुस्तक
में वर्णित उदाहरणों से भिन्न उदाहरणों के आधार पर प्राथमिक, द्वितीयक और
तृतीयक क्षेत्रकों के अंतर की व्याख्या करें।
हल - प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में अंतर की व्याख्या –
प्राथमिक क्षेत्रक |
द्वितीयक क्षेत्रक |
तृतीयक क्षेत्रक |
(i) जब हम प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके
किसी वस्तु का उत्पादन करते हैं। तो इसे प्राथमिक क्षेत्रक कहते हैं। |
जब प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण प्रणाली
द्वारा अन्य रूपों में परिवर्तित किया जाता है तो ऐसी गतिविधियों को द्वितीयक क्षेत्रक
कहते हैं। |
इस क्षेत्रक में किसी वस्तु का उत्पादन
नहीं होता अपितु इसकी गतिविधियां प्राथमिक और द्वितीयक क्षेत्रक के विकास में मदद
करती हैं। |
(ii) इस क्षेत्रक को कृषि एवं सहायक क्षेत्रक
भी कहते हैं। |
इस क्षेत्रक को औद्योगिक क्षेत्रक भी
कहते हैं। |
इस क्षेत्रक को सेवा क्षेत्रक भी कहते
हैं। |
(iii) उदाहरण - कृषि, खनन, मत्स्य उत्पादन, डेयरी उत्पादन आदि। |
उदाहरण - सोना से आभूषण बनाना, कपास से वस्त्र बनाना, गन्ने से चीनी बनाना आदि। |
उदाहरण - दूरसंचार, बीमा, बैंकिंग, शिक्षा आदि। |
3. निम्नलिखित
व्यवसायों को प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों में विभाजित करें;
दर्जी पुजारी
कुम्हार
टोकरी बुनकर कूरियर पहुँचाने वाला मधुमक्खी पालक
फूल की खेती करने वाला दियासलाई कारखाना में श्रमिक अंतरिक्ष
- यात्री
दूध-विक्रेता महाजन
कॉल सेंटर का कर्मचारी
मछुआरा माली
उत्तर - व्यवसायों का आर्थिक गतिविधियों के आधार पर विभाजन निम्नानुसार
किया जा सकता है –
प्राथमिक क्षेत्रक |
द्वितीयक क्षेत्रक |
तृतीयक क्षेत्रक |
फूल की खेती करने वाला, मछुआरा, माली |
कुम्हार, टोकरी बुनकर, मधुमक्खी पालक, दियासलाई
कारखाना में श्रमिक |
दर्जी, पुजारी, कूरियर पहुँचाने वाला, अंतरिक्ष - यात्री, दूध-विक्रेता, महाजन, कॉल सेंटर का कर्मचारी, |
4. विद्यालय
में छात्रों को प्रायः प्राथमिक और द्वितीयक अथवा वरिष्ठ और कनिष्ठ वर्गों में विभाजित
किया जाता है। इस विभाजन की कसौटी क्या है? क्या आप मानते हैं कि यह विभाजन उपयुक्त है? चर्चा करें।
उत्तर - एक स्कूल में छात्रों को अक्सर प्राथमिक और माध्यमिक
या कनिष्ठ और वरिष्ठ में वर्गीकृत किया जाता है। यह वह मानदंड है जिसका उपयोग किसी
छात्र के मानक को आसानी से पहचानने के लिए किया जाता है, चाहे किसी छात्र के मानक की पहचान करना हो या अन्य छात्रों और
शिक्षकों के प्रति उसके स्वभाव के बारे में जानना हो या छात्रों के ज्ञान को जानना
हो। तो ये कुछ मूल बातें हैं जिन पर छात्रों को विभिन्न श्रेणियों या कक्षाओं में वर्गीकृत
किया जाता है। किसी भी तरह का जातिवाद नहीं है, बस यह जानने का तरीका है कि कौन सा छात्र सीनियर है या जूनियर
जो औसत है, कौन टॉपर है या कौन निम्न
स्तर पर है।
और हाँ, मेरी
राय में इस प्रकार का वर्गीकरण उपयोगी है क्योंकि उन सभी को उनकी उम्र के आधार पर वर्गीकृत
करना संभव नहीं है।
आओ - इन पर विचार करें
1. विकसित देशों का
इतिहास क्षेत्रकों में हुए परिवर्तन के संबंध में क्या संकेत करता है?
उत्तर - विकसित देशों का इतिहास क्षेत्रकों के बीच हुए बदलावों
के बारे में संकेत देता है कि आरंभिक समय में विकसित देश कृषि पर अर्थात प्राथमिक क्षेत्रक
पर निर्भर होते थे इसके बाद वे उद्योगों पर अर्थात द्वितीयक क्षेत्रक पर निर्भर हुए।
अब लगभग पिछले 100 वर्षों में
इन देशों में तृतीयक क्षेत्रक में निर्भरता अत्यधिक दिखाई देती है अर्थात तब से अब
तक द्वितीयक क्षेत्र से तृतीयक क्षेत्रक में आर्थिक निर्भरता स्थानांतरित होते दिखती
है,
जिसका अर्थ है कि विनिर्माण उद्योग की तुलना में तृतीयक क्षेत्र
या सेवा क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र बन गया है और विकसित
देशों में भी सबसे अधिक संख्या में लोग इसी क्षेत्र में कार्यरत हैं।
अन्य उत्तर -
प्राथमिक
क्षेत्र के प्रारंभिक चरण -
· कृषि क्षेत्र आर्थिक गतिविधि का सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र था।
अधिकांश लोग खेती में लगे हुए थे और अपने स्वयं के उपभोग के लिए अनाज का उत्पादन करते
थे।
· हालाँकि समय बीतने के साथ कृषि क्षेत्र ने अधिक भोजन का उत्पादन
किया। इसने ट्रांसपोर्टर, प्रशासक और
सेना जैसी कई गतिविधियों को जन्म दिया। खरीद-बिक्री बढ़ी।
· लेकिन उत्पादित अधिकांश सामान प्राकृतिक उत्पाद थे।
· अधिकांश लोग अभी भी प्राथमिक क्षेत्र में कार्यरत थे।
द्वितीयक
क्षेत्र -
· निर्माण के नए तरीकों की शुरुआत के साथ, कारखानों का उदय हुआ।
· कारखानों में अधिक माल का उत्पादन होता था।
· यह द्वितीयक क्षेत्र की शुरुआत थी। यह धीरे-धीरे कुल उत्पादन
और रोजगार में महत्वपूर्ण हो गया।
तृतीयक क्षेत्र
- पिछले 100 वर्षों में निम्नलिखित कारकों के कारण द्वितीयक
क्षेत्र से तृतीयक क्षेत्र में परिवर्तन हुआ हैः
· अस्पतालों/स्कूलों/पुलिस थानों आदि की आवश्यकता।
· कृषि और उद्योग का विकास और परिवहन, स्टोरेज आदि जैसी सेवाओं की आवश्यकता।
· आय के स्तर में वृद्धि और पर्यटन, खरीदारी आदि की अधिक मांग।
· सूचना प्रौद्योगिकी का आगमन। ’
इस प्रकार समय के साथ एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में परिवर्तन
हुआ।
2. अव्यवस्थित वाक्यांश से स. घ. उ.
गणना हेतु महत्त्वपूर्ण पहलुओं को व्यवस्थित एवं सही करें।
उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं की गणना करने के लिए हम
उनकी संख्याओं को जोड़ देते हैं। हम विगत पाँच वर्षों में उत्पादित सभी वस्तुओं की गणना
करते हैं। चूँकि हमें किसी चीज़ को छोड़ना नहीं चाहिए इसलिए हम इन वस्तुओं और सेवाओं
के मूल्य का योगफल प्राप्त करते हैं।
उत्तर - हम एक विशेष वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और
सेवाओं के मूल्य की गणना करते हैं। सकल घरेलू उत्पाद ही यह दर्शाता है कि किसी अर्थव्यवस्था
में एक वित्तीय वर्ष में वस्तुओं और सेवाओं का प्रवाह कितना होता है। और सकल घरेलू
उत्पाद की गणना करने के लिए किसी विशेष वर्ष में उत्पादित सभी अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
की गणना करना आवश्यक है।
3. अपने शिक्षक के साथ
चर्चा करें कि आप मूल्य की विधि का उपयोग करके प्रत्येक चरण में जोड़े गए वस्तु या सेवा
के मूल्य की गणना कैसे करेंगे।
उत्तर - व्याख्याः
· प्रारंभ में किसी वस्तु या सेवा का कुल मूल्य निर्माण की लागत
से ही शुरू हो जाता है।
· विनिर्माण प्रक्रिया में कच्चे माल की खरीदी और उद्योग के लिए
सर्वोत्तम कच्चे माल के चयन की लागत शामिल है।
· इसके अलावा, उत्पादन प्रक्रिया की लागत में एक पूर्ण उत्पाद का उत्पादन उसके
परिष्करण बिंदु तक शामिल होता है।
· अंत में, वितरण
प्रक्रिया में अंतिम पैकेजिंग और ग्राहकों को उत्पादों की बिक्री की लागत शामिल होती
है।
इस तरह, प्रत्येक चरण में, लागत जोड़ी जाती है।
आओ-इन पर विचार करें
आरेख का अवलोकन करते हुए निम्नलिखित का उत्तर दें-
1. 1973-74 में सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्रक कौन था?
उत्तर - 1973-74 में सबसे बड़ा उतपादक क्षेत्र प्राथमिक क्षेत्रक है।
2. 2013-14 में सबसे बड़ा उत्पादक क्षेत्रक कौन था?
उत्तर - 2013-14 में सबसे बड़ा उतपादक क्षेत्रक तृतीयक क्षेत्रक है।
3. क्या आप
बता सकते हैं कि तीस वर्षों में किस क्षेत्रक में सबसे अधिक संवृद्धि हुई?
उत्तर - तीस वर्षों में तृतीयक क्षेत्रक में सबसे अधिक संवृद्धि
हुई है।
4. 2013-14 में भारत का जी. डी. पी. क्या है?
उत्तर - 2013-14 में भारत की जी.डी.पी. 5500000 करोड़ रूपये से अधिक है।
आओ इन पर विचार करें
1. आलेख 2 और 3 में दिए गए आँकड़े
का प्रयोग कर सारणी की पूर्ति करें और नीचे दिए गए प्रश्नों का उत्तर दें। यदि आँकड़े
कुछ वर्षों के नहीं हैं, तो उन्हें नज़रअंदाज़ किया जा सकता है।
तालिका 2.2 स. घ. उ.
और रोजगार में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी
|
1973-74 |
1977-78 |
2013-14 |
2017-18 |
स.घ.उ. में हिस्सेदारी |
40% |
- |
11% |
- |
रोजगार में हिस्सेदारी |
- |
71% |
- |
44% |
40 वर्षों में
प्राथमिक क्षेत्रक में आप क्या परिवर्तन देखते हैं?
उत्तर - तालिका से यह देखा जा सकता है कि चालीस वर्षों में सकल
घरेलू उत्पाद में प्राथमिक क्षेत्रक की हिस्सेदारी 40% से घटकर 11% हो गई है, क्योंकि 1973-74 में यह 40%
थी फिर 2013-14 में 11%
हो गई। रोजगार के क्षेत्र में भी इसी तरह कमी दिखाई देती है 1977-78 में रोजगार में हिस्सेदारी 71% थी और 2017-18 में यह घट़कर 44% हो गई । इस तरह से स्पष्ट है कि 40 वर्षों में प्राथमिक क्षेत्रक पर निर्भरता में कमी आई है।
2. सही उत्तर का चयन
करें -
अल्प बेरोजगारी तब होती है जब लोग -
(अ) काम करना
नहीं चाहते हैं।
(ब) सुस्त ढंग
से काम कर रहे हैं।
(स) अपनी क्षमता
से कम काम कर रहे हैं।
(द) उनके काम
के लिए भुगतान नहीं किया जाता है।
उत्तर - यह बहुत स्पष्ट है कि अल्प-रोजगार तब होता है जब विभिन्न
लोग अपनी क्षमता से कम काम कर रहे होते हैं। इसे छिपी हुई बेरोजगारी के रूप में भी
जाना जाता है क्योंकि नौकरी के अवसर नहीं होने के कारण लोग दूसरी नौकरी खोजने में असमर्थ
होते हैं और जिस स्थान पर वे काम कर रहे हैं वह पहले से ही कर्मचारियों से भरा हुआ
है इसलिए अन्य कर्मचारियों की कोई आवश्यकता नहीं है फिर भी ये लोग जिनके पास कोई अन्य
नौकरी नहीं है इसमें कार्य लगे हुए हैं। अतः सही उत्तर होगा।
(स) अपनी क्षमता से कम काम कर रहे हैं।
3. विकसित देशों में
देखे गए लक्षण की भारत में हुए परिवर्तनों से तुलना करें और वैषम्य बतायें। भारत में
क्षेत्रों के बीच किस प्रकार के परिवर्तन वांछित थे, जो नहीं हुए?
उत्तर - विकसित देशों के मामले में, अर्थव्यवस्था का विकास सबसे तार्किक पैटर्न पर हुआ। प्राथमिक
क्षेत्र में वृद्धि के बाद द्वितीयक क्षेत्र में वृद्धि हुई। उसके बाद, तृतीयक क्षेत्र का विकास हुआ। रोजगार सृजन ने भी विभिन्न क्षेत्रों
में संबंधित परिवर्तनों के साथ तालमेल बिठाया। भारत का मामला कुछ अलग है। प्राथमिक
क्षेत्र के विकास के बाद द्वितीयक क्षेत्र का विकास नहीं हुआ, बल्कि तृतीयक क्षेत्र ने अग्रणी भूमिका निभाई। लेकिन द्वितीयक
या तृतीयक क्षेत्र में रोजगार सृजन गति नहीं रख सका। अभी भी अन्य दो क्षेत्रों की तुलना
में बड़ी संख्या में लोग रोजगार के लिए प्राथमिक क्षेत्र पर निर्भर हैं;। यह एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति को दर्शाता है क्योंकि प्राथमिक
क्षेत्र छिपी हुई बेरोजगारी की समस्या से घिरा हुआ है।
4. हमें अल्प बेरोजगारी
के संबंध में क्यों विचार करना चाहिए?
उत्तर - अल्प-रोजगार के दुष्परिणाम बेरोजगारी के समान ही होते
हैं। ये दोनों कारक गरीबी को बढ़ाने में योगदान करते हैं। पर्याप्त आय के बिना, परिवार उतना नहीं खरीद सकते। उपभोक्ता मांग कम हो जाती है, और कॉर्पोरेट विकास धीमा हो जाता है। नतीजतन, देश का सकल घरेलू उत्पाद छोटा है, और रोजगार वृद्धि भी कम है।
हमें अल्प-रोजगार के बारे में चिंतित होना चाहिए क्योंकि यह
किसी व्यक्ति की अर्जन क्षमता को कम करता है, जिसके परिणामस्वरूप जीवन स्तर निम्न होता है। यह अंततः गरीबी
का कारण बन सकता है।
किसी भी संस्कृति में, अल्प-रोजगार एक चिंताजनक प्रवृत्ति है। यह चुनाव के माध्यम से
नहीं है कि एक व्यक्ति अल्प-रोजगार है, बल्कि आवश्यकता से है। अल्प-रोजगार न केवल कार्यबल की बल्कि
समाज की आर्थिक क्षमता का भी एहसास करने में विफल रहता है। इसका अन्य श्रमिकों के आर्थिक
प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। अंत में, समाज और देश के लिए बेरोजगारी की उच्च लागत है।
आओ इन पर विचार करें
1. आपके विचार से म.गाँ.रा.ग्रा.रो.गा.अ.
को “काम का अधिकार’ क्यों कहा गया है?
उत्तर - राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम 2005 को सरकार द्वारा रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए शुरू किया
गया था ताकि लोग अपनी आजीविका कमाने में सक्षम हो सकें। यह प्रत्येक परिवार के एक सदस्य
के लिए कम से कम 100 दिनों के
काम की गारंटी देता है। यह कार्यक्रम संविधान के अनुसार मौलिक अधिकारों में से एक को
पूरा करता है और अधिकार ’काम करने का अधिकार’ है।
किसी देश के प्रत्येक नागरिक को काम करने का अधिकार है और यदि
सरकार अधिक से अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने में असमर्थ है तो उसे विशेष रूप से
समाज के उन वर्गों को दैनिक मजदूरी का भुगतान करना होगा जो गरीब हैं। इसलिए इस कार्यक्रम
को ’काम का अधिकार’ कहा जाता है।
2. कल्पना कीजिए, कि आप ग्राम के प्रधान
हैं और उस हैसियत से कुछ ऐसे क्रियाकलापों का सुझाव दीजिए जिसे आप मानते हैं कि उससे
लोगों की आय में वृद्धि होगी और उसे इस अधिनियम के अन्तर्गत शामिल किया जाना चाहिए।
चर्चा करें।
उत्तर - गतिविधियां इस प्रकार हैं..
(i) जल संरक्षण और जल संचयन सबसे महत्वपूर्ण चीजें
हैं जिन्हें इस अधिनियम के तहत शामिल किया जाना चाहिए।
(ii) सूखे की समस्या को रोकने के लिए नलकूप खोदे
जाने चाहिए।
(iii) फसलों के लिए नहरों की सिंचाई के लिए सिंचाई
पैनल स्थापित किए जाने चाहिए।
(iv) अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति और अन्य
की भूमि पर सिंचाई सुविधा का प्रावधान करना।
(v) पारंपरिक जल निकायों जैसे तालाबों का नवीनीकरण।
(vi) कृषि और बागवानी के लिए भूमि का विकास किया
जाना चाहिए।
(vii) बाढ़ को नियंत्रित करने और ऐसी किसी भी आपदा
से बचाने के लिए चेक डैम का निर्माण किया जाना चाहिए।
(viii) ग्रामीण संपर्क में सुधार के लिए और गांवों
तक हर मौसम में पहुंच प्रदान करने के लिए सड़कों का निर्माण किया जाना चाहिए।
3. यदि किसानों को सिंचाई
और विपणन सुविधाएँ उपलब्ध कराई जाती है तो रोज़गार और आय में वृद्धि कैसे होगी?
उत्तर - यदि किसानों को सिंचाई और विपणन सुविधाएं प्रदान की
जाती हैं,
तो इससे उन्हें कम समय में दूसरी फसल प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
इससे रोजगार सृजन में मदद मिलेगी और आय में वृद्धि होगी।
विपणन सुविधाओं से किसानों को अपना अनाज बेचने भटकना नहीं पड़ेगा
और उनकी उपज का उचित मूल्य प्राप्त होगा जिससे आमदनी में वृद्धि होगी यह लोगों को परिवहन
और भंडारण जैसी कृषि संबंधी गतिविधियों में भी रोजगार प्रदान करेगा।
यदि किसी बांध का निर्माण किया जाता है और सिंचाई के मुद्दे
को हल करने के लिए नहरों को खोदा जाता है तो कृषि भूमि कृषि क्षेत्र में ही रोजगार
पैदा कर सकती है।
4. शहरी क्षेत्रों में
रोज़गार में वृद्धि कैसे की जा सकती है?
उत्तर - शहरी क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिएः
(i) बुनियादी उद्योगों में निवेश करना आवश्यक है
ताकि अधिक से अधिक लोगों को रोजगार मिले।
(ii) स्थानीय और अंतर-नगरीय परिवहन में सुधार करना
जिससे परिवहन उद्योग में काम करने वाले लोगों की संख्या में वृद्धि होगी।
(iii) व्यावसायिक शिक्षा पाठ्यक्रमों को बढ़ाना
जिससे अन्य तरीकों से भी नौकरी के अवसर बढ़ेंगे जिससे लोग आसानी से व्यावसायिक नौकरियों
के लिए खुद को शिक्षित कर सकें।
(vi) प्रोत्साहन देकर शहरी क्षेत्रों में उद्योग
की क्षमता को रोजगार के अवसरों में वृद्धि की जा सकती है।
आओ - इन पर विचार करें
1. निम्नलिखित उदाहरणों
को देखें। इनमें से कौन असंगठित क्षेत्रक की गतिविधियाँ हैं?
· विद्यालय में पढ़ाता एक शिक्षक
· अपने खेत की सिंचाई करता एक किसान
· बाज़ार में अपनी पीठ पर सीमेन्ट की बोरी ढोता हुआ
एक श्रमिक
· अस्पताल में मरीज का इलाज करता एक डॉक्टर
· एक ठेकेदार के अधीन काम करता एक दैनिक मज़दूरी
वाला श्रमिक
· एक बडे कारखाने में काम करने जाता एक कारखाना
श्रमिक
· अपने घर में काम करता एक करघा बुनकर।
उत्तर - असंगठित क्षेत्र का उदाहरण इस प्रकार है..
· बाजार में अपनी पीठ पर सीमेंट का थैला ले जाते हुए एक हेड लोड
कार्यकर्ता।
· किसान अपने खेत की सिंचाई कर रहा है।
· एक ठेकेदार के अधीन काम करने वाला दिहाड़ी मजदूर।
· उसके घर में काम करने वाली एक हथकरघा बुनकर।
2. संगठित क्षेत्रक
में नियमित काम करने वाले एक व्यक्ति और असंगठित क्षेत्रक में काम करने वाले किसी दूसरे
व्यक्ति से बात करें। सभी पहलुओं पर उनकी कार्य-स्थितियों की तुलना करें।
उत्तर - संगठित और असंगठित क्षेत्रों में काम करने की स्थिति
की तुलना इस प्रकार हैः
संगठित क्षेत्र |
असंगठित क्षेत्र |
(अ) संगठित क्षेत्र में श्रमिक प्रतिदिन निश्चित घंटों के लिए
कार्य करते हैं। अतिरिक्त घंटों के मामले में उन्हें उनके काम के अनुसार अतिरिक्त
भुगतान किया जाता है। |
असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के काम के
घंटे निश्चित नहीं होते हैं, लेकिन तुलनात्मक रूप से वे संगठित श्रमिकों की तुलना में अधिक
काम करते हैं |
(ब) वेतन मासिक आधार पर वितरित किया जाता है, आमतौर पर हर महीने के एक निश्चित दिन पर अथवा कोई साप्ताहिक
अवकाश लेने पर किसी प्रकार की कटौती नहीं। |
वेतन का भुगतान दैनिक आधार पर किया जाता
है और कभी-कभी भुगतान नहीं किया जाता है क्योंकि वे किसी भी नियम का पालन नहीं करते
हैं और किसी भी प्रकार का साप्ताहिक अवकाश प्रदान नहीं किया जाता है। |
(स) नियुक्ति के समय एक नियुक्ति पत्र दिया जाता है जिसमें
काम और कंपनी के सभी नियम और शर्तें बताई जाती हैं। |
इस तरह का कोई नहीं है नियुक्ति पत्र
और यही कारण है कि बिना कोई अग्रिम सूचना दिए वे अपना रोजगार खो देते हैं । |
(द) भविष्य निधि, ग्रेच्युटी, चिकित्सा लाभ और बहुत कुछ सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। |
कोई सुविधा प्रदान नहीं की जाती है यहां
तक कि सभी श्रमिक जोखिम में काम करते हैं। |
3. असंगठित और संगठित
क्षेत्रक के बीच आप विभेद कैसे करेंगे? अपने शब्दों में व्याख्या करें।
उत्तर - संगठित क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र के बीच अंतर इस प्रकार
हैः
विशिष्ट |
संगठित क्षेत्र |
असंगठित क्षेत्र |
क्षेत्र के मायने |
नियमित काम करना तथा निर्धारित घंटे और
साप्ताहिक अवकाश। |
यह आम तौर पर छोटी इकाइयों और व्यवसायों
और दुकानों आदि से जुड़ा होता है। |
नियमों और विनियमों का पालन |
सरकार द्वारा स्थापित सभी नियमों का पालन
किया जाता है। |
किसी भी नियम का पालन नहीं किया जाता
है,
हालांकि ये उनके लिए सरकार द्वारा स्थापित
किए गए हैं |
कार्य की प्रकृति और रोजगार |
कार्य लंबे समय तक सामान्य और सुनिश्चित
होता है और कर्मचारियों को बिना किसी वास्तविक कारण के निष्कासित नहीं किया जा सकता
है। |
कर्मचारी को काम से निकालने के लिए किसी
कारण की आवश्यकता नहीं है उन्हें किसी भी समय बिना किसी के पूर्व सूचना के निष्कासित
किया जा सकता है। |
उदाहरण |
एक बड़े कारखाने के कुशल श्रमिक अथवा एक
कार्यालय में क्लर्क। |
दिहाड़ी मजदूर या एक दुकान में काम करने
वाला और एक हथकरघा बुनकर। |
4. संगठित एवं असंगठित
क्षेत्रक में भारत के सभी श्रमिकों की अनुमानित संख्या नीचे दी गई सारणी में दी गई
है। सारणी को सावधानी से पढ़ें। विलुप्त आँकड़ों की पूर्ति करें और प्रश्नों का उत्तर
दें।
तालिका 2.2 विभिन्न
क्षेत्रकों में श्रमिकों की अनुमानित संख्या (दस लाख में )
क्षेत्रक |
संगठित |
असंगठित |
कुल |
प्राथमिक |
1 |
231 |
232 |
द्वितीयक |
41 |
74 |
115 |
तृतीयक |
40 |
88 |
128 |
कुल |
85 |
|
|
कुल प्रतिशत में |
|
|
100% |
· असंगठित क्षेत्रक में कृषि में लगे लोगों का प्रतिशत
क्या है?
उत्तर - 232 +
1 = 231 ( कुल
प्रतिशत = 99.56)
· क्या आप सहमत हैं कि कृषि असंगठित क्षेत्रक की गतिविधि
है? क्यों?
उत्तर - हाँ, यह कहा जा सकता है कि हमारे देश में कृषि असंगठित क्षेत्र की
एक गतिविधि है और इसके कारण हैंः
(अ) कृषि में लगे लोगों को ठीक से भुगतान नहीं किया जाता है और
नियमित आधार पर भी नहीं जो पहला नकारात्मक बिंदु है।
(ब) कृषि क्षेत्र में अल्परोजगार का मुद्दा है। इस क्षेत्र में
आवश्यकता से अधिक लोग लगे हुए हैं।
(स) किसान अपनी ऋण आवश्यकताओं के लिए साहूकारों और रिश्तेदारों
पर निर्भर हैं।
· यदि हम सम्पूर्ण देश पर नजर डालते हैं तो पाते हैं
कि भारत में ........................... :श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में हैं। भारत में
लगभग ........................% श्रमिकों को ही संगठित क्षेत्रक में रोज़गार उपलब्ध
है।
उत्तर – 83%
, 17%
01 अंक की तैयारी
हेतु महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
बहुविकल्पीय प्रश्न -
1. हम गन्ने का
उपयोग कच्चे माल के रूप में करते हैं तो हम बनाते हैं -
क. चीनी या गुड़ ख.
मिठाई ग. शरबत घ. उपरोक्त सभी
2. देश में आधे
से अधिक श्रमिक किस क्षेत्र में कार्यरत हैं?
क. मत्स्य पालन ख.
कृषि ग. टोकरी बनाना घ.
इनमें से किसी में नहीं
3. वह क्षेत्र जो मुख्य रूप से सरकार के नियंत्रण से बाहर और बिखरी हुई इकाइयों की विशेषता है, कहा जाता है
क. संगठित क्षेत्र ख.
असंगठित क्षेत्र ग. निश्चित क्षेत्र घ. अस्थायी क्षेत्र
4. परिवहन, भण्डारण, संचार और बैंकिंग
सेवाएं किस क्षेत्र के उदाहरण हैं?
क. प्राथमिक ख.
द्वितीयक ग. तृतीयक घ. विनिर्माण
5. आर्थिक गतिविधियों
को कितने क्षेत्रकों में वर्गीकृत किया गया है?
क. एक ख.
दो ग. तीन घ. चार
6. उद्योगों को
अर्थव्यवस्था के किस क्षेत्र में रखा गया है?
क. प्राथमिक ख.
द्वितीयक ग. तृतीयक घ. विनिर्माण
7. किसी वर्ष में
उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य क्या कहलाता है?
क. प्रति व्यक्ति आय ख.
राष्ट्रीय आय ग. सकल घरेलू उत्पाद घ. औसत आय
8. महात्मा गाँधी
राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम किस वर्ष लागू किया गया?
क. 2004 ख. 2005 ग. 2006 घ. 2007
9. निम्न में से
कौन सा क्षेत्र सबसे अधिक रोजगार देता है?
क. प्राथमिक ख.
द्वितीयक ग. तृतीयक घ. विनिर्माण
10. जैसे जैसे
अर्थव्यवस्था विकसित होती है, राष्ट्रीय आय में तृतीयक क्षेत्र का अंश -
क. बढ़ता जाता है। ख.
घटता जाता है। ग. बढ़ता है तत्पश्चात घटता
है। घ. घटता है तत्पश्चात बढ़ता है।
11. बाजार
के विस्तार में सहायक होते हैं -
क. परिवहन के साधन ख.
संचार के साधन ग. बैंक एवं वित्तीय संस्थान घ. उपर्युक्त सभी
12. कृषि क्षेत्र
सम्मिलित है -
क. प्राथमिक ख.
द्वितीयक ग. तृतीयक घ. विनिर्माण
13. सेवा क्षेत्र
रोजगार प्रदान करता है -
क. प्रत्यक्ष रूप से ख.
अप्रत्यक्ष रूप से ग. प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष
दोनों रूप से घ. उपर्युक्त में से कोई नहीं
14. सेवा क्षेत्र
के निरंतर विकास का कारण है -
क. सरकारी हस्तक्षेप ख.
कृषि एवं उद्योगों का विकास ग. सोच
में परिवर्तन घ. उपरोक्त सभी
15. सूचना
प्रौद्योगिकी किस क्षेत्रक का हिस्सा है?
क. प्राथमिक ख.
द्वितीयक ग. तृतीयक घ. विनिर्माण
16. कृषि में
आवष्यकता से अधिक लोग लगे हुए हैं। इस कथन से किस प्रकार की बेरोजगारी का पता चलता
है?
क. अल्प बेरोजगारी ख.
शिक्षित बेरोजगारी ग. मौसमी बेरोजगारी घ. स्वैच्छिक बेरोजगारी
17. अल्प बेरोजगारी
तब होती है जब लोग -
क. काम करना नही चाहते हैं। ख. सुस्त ढंग से काम कर रहे हैं।
ग. अपनी क्षमता से कम काम कर रहे हैं। घ. उनके काम के लिए भुगतान नहीं किया जाता
है।
18. इनमें
से कौन असंगठित क्षेत्र की गतिविधि है?
क. विद्यालय में पढ़ाता शिक्षक ख. अस्पताल में मरीज का इलाज
करता डॉक्टर
ग. एक बड़े कारखाने में काम करने जाता एक कारखाना श्रमिक घ. एक ठेकेदार के यहाँ काम करता दैनिक मजदूरी वाला
श्रमिक
19. सार्वजनिक
क्षेत्र का उद्यम नहीं है -
क. टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड ख. रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड
ग. इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इन्वेस्टमेंट कार्पारेषन ऑफ इंडिया
घ. नेशनल थर्मल पॉवर कार्पोरेशन
20. अर्थव्यवस्था
में प्रत्येक क्षेत्र के अंतिम उत्पाद की ही गणना क्यो की जाती है ?
क. बेरोजगारी से बचने के लिए ख. दोहरी गणना कि समस्या से बचने के लिए
ग. अधिक लागत की समस्या से बचने के लिए घ. इनमें से कोई नहीं
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
1. सेवा
क्षेत्रक में रोजगार में उत्पादन के समान अनुपात में वृद्धि ................।
2. ..................... क्षेत्रक के श्रमिक वस्तुओं का उत्पादन नहीं करते हैं।
3. ................. क्षेत्रक के अधिकांश श्रमिकों को रोजगार सुरक्षा प्राप्त होती
है।
4. भारत
में ............................. अनुपात में श्रमिक असंगठित क्षेत्रक में काम कर
रहे हैं।
5. कपास
एक ...................... उत्पाद है और कपड़ा एक ............ उत्पाद है।
6. प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रकों की गतिविधियाँ
.................... हैं।
7. ....................... दिखाता है कि किसी देश की अर्थव्यवस्था कितनी बड़ी है।
8. टाटा
आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड तथा रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ................. सेक्टर
के उदाहरण हैं।
9. केवल
.................. वस्तुओं और और सेवाओं को शामिल करना ही समझ आता है।
10. ................... सेक्टर में कुछ आवश्यक सेवाएं भी शामिल हैं जो सीधे तौर पर मदद
नहीं कर सकतीं।
11. ................ सेक्टर उन उद्यमों को कवर करता है जहां रोजगार की शर्तें नियमित
हैं।
12. यदि हम सम्पूर्ण
देश पर नजर डालते हैं तो पाते हैं कि भारत में .............. : श्रमिक असंठित क्षेत्र
में हैं। भारत में लगभग ................. : श्रमिकों को ही संगठित क्षेत्रक में रोजगार
उपलब्ध हैं।
सही जोड़ी मिलाइए –
कृषि क्षेत्रक की समस्याएं |
कुछ संभावित उपाय |
1. असिंचित भूमि |
अ. कृषि
आधारित मिलों की स्थापना |
2. फसलों का कम मूल्य |
ब. सहकारी
विपणन समितियां |
3. कर्ज भार |
स. सरकार
द्वारा खाद्यान्नों की वसूली |
4. मंदी काल में रोजगार का अभाव |
द. सरकार
द्वारा नहरों का निर्माण |
5. कटाई के तुरंत बाद स्थानीय व्यापारियों को अपना अनाज बेचने की विवशता गरीब राज्य है। |
इ. कम
ब्याज पर बैंकों द्वारा साख उपलब्ध कराना |
एक वाक्य में उत्तर दीजिए -
1. तीनों क्षेत्रकों के उत्पादन के योग को क्या हैं?
2. 1973-2003 की अवधि में किस क्षेत्र ने उत्पादन में सबसे अधिक वृद्धि दर्ज
की?
3. विकसित देशों में कौन सा क्षेत्रक सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है?
4. सार्वजनिक क्षेत्र का उद्देश्य क्या है?
5. मनरेगा का पूरा नाम क्या है?
6. 2013-14 में भारत की जी डी पी क्या थी?
7. भारत के लगभग कितनें जिलों में काम का अधिकार लागू है?
8. तृतीयक क्षेत्र को अन्य किस नाम से बुलाते हैं।
9. अर्थव्यवस्था के उस क्षेत्र का नाम बताइए जो कृषि और उद्योग
के संचालन में सहायता पहुँचाता है?
10. असंगठित क्षेत्रक में कृषि में लगे लोगों का प्रतिषत क्या है?
सत्य/असत्य लिखिए -
1. मध्यवर्ती वस्तुएं , अंतिम वस्तुओं और सेवाओं के निर्माण में इस्तेमाल की जाती हैं।
2. भारत में 60 प्रतिशत जनसंख्या 5-29 वर्ष आयु की है। जिनमें से 51 प्रतिशत विद्यालय नहीं जाते हैं।
3. काम का अधिकार और मनरेगा अलग अलग हैं।
4. भारत के लगभग आधे बच्चे कुपोषण के षिकार हैं।
5. किसी भी अर्थव्यवस्था को पाँच क्षेत्रकों में बांटा जाता है।
---000---
बहुविकल्पीय प्रश्नों के उत्तर
1 क. 11 घ.
2 ख.
12 क.
3 ख. 13 ग.
4 ग.
14 घ.
5 ग.
15 ग.
6 ख.
16 क.
7 ग.
17 ग.
8 ख. 18 घ.
9 क. 19 ख.
10 क. 20 ख.
रिक्त स्थानों की पूर्ति
1 - नहीं हुई, 2 – तृतीयक, 3- संगठित , 4 – बड़ी, 5
- प्राकृतिक
,
विनिर्मित, 6- परस्पर, 7- जी डी पी, 8- निजी, 9 -अंतिम, 10
- प्राथमिक, 11 – संगठित, 12 - 18, 82
सही जोड़ी मिलाइए
1 – द, 2 - स, 3 – इ, 4 –
अ, 5 – ब
एक वाक्य/शब्द में उत्तर
1-सकल घरेलू उत्पाद, 2- तृतीयक, 3- तृतीयक, 4
- केवल लाभ कमाना नहीं, 5 - ग्रामीण रोजगार गांरटी अधिनियम
6 - 55500000 करोड़
रूपये, 7 – 625, 8 - सेवा क्षेत्र, 9 - सेवा क्षेत्र, 10 - 99 प्रतिशत
से अधिक
सत्य/असत्य
1 - सत्य, 2
- सत्य, 3 - असत्य, 4 - सत्य, 5
- असत्य
---000---
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (02 अंक)
1. आर्थिक गतिविधियों
के तीन क्षेत्र कौन से हैं?
उत्तर - आर्थिक गतिविधियों के तीन क्षेत्रक निम्नलिखित हैं
-
(1) प्राथमिक या कृषि और संबंधित क्षेत्र।
(2) द्वितीयक या औद्योगिक क्षेत्र।
(3) तृतीयक या सेवा क्षेत्र।
2. प्राथमिक क्षेत्र
को कृषि और संबंधित क्षेत्रक क्यों कहा जाता है?
उत्तर - चूंकि हमें मिलने वाले अधिकांश प्राकृतिक उत्पाद कृषि, डेयरी, मत्स्यन
और वानिकी हैं। जो कि कृषि और उसके सहायक क्षेत्र से प्राप्त होते हैं इसलिए इस क्षेत्र
को कृषि और संबंधित क्षेत्र भी कहा जाता है।
3. कौन सा व्यवसाय
प्राथमिक क्षेत्र से संबंधित है? किसी एक का उल्लेख कीजिए।
उत्तर - प्राथमिक क्षेत्रक से संबंधित व्यवसाय निम्नलिखित हैं
- डेयरी,
मछली पकड़ने और वानिकी।
4. किस क्षेत्र
में सभी प्राकृतिक उत्पादों को विनिर्माण के माध्यम से अन्य रूपों में बदल दिया जाता
है?
उत्तर - द्वितीयक क्षेत्र।
5. द्वितीयक
क्षेत्र को औद्योगिक क्षेत्रक क्यों कहा जाता है ?
उत्तर - प्रथमिक क्षेत्रक के उत्पादों को संवर्धित कर अन्य रूपों
में परिवर्तित करने के लिए विनिर्माण प्रणाली अपनाई जाती है वह उद्योगों के द्वारा
होती है अतः इसे औद्योगिक क्षेत्र भी कहा जाता है।
6. उदाहरण के साथ
तृतीयक क्षेत्रक की कोई एक विशेषता बताइए।
उत्तर - तृतीयक क्षेत्र की गतिविधियाँ स्वयं कोई उत्पादन नहीं
करती हैं,
लेकिन वे उत्पादन प्रक्रिया में सहयोगी होती हैं। उदाहरण के
लिए प्राथमिक या द्वितीयक क्षेत्र में उत्पादित वस्तुओं को बाजारों में भेजने के लिए
परिवहन की आवश्यकता होती है।
7. तृतीयक क्षेत्रक
को सेवा क्षेत्रक क्यों कहा जाता है?
उत्तर - सेवा क्षेत्र वस्तुओं के बजाय सेवाओं का उत्पादन करता
है,
इसलिए इसे सेवा क्षेत्र कहा जाता है जैसे, शिक्षक, बैंकिंग
आदि।
8. निम्नलिखित
व्यवसायों को प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्रों के अंतर्गत वर्गीकृत
करेंः धोबी, डेयरी, मछली पकड़ने, गुड़ निर्माण, एटीएम बूथ।
उत्तर - प्राथमिक क्षेत्र
- डेयरी,
मछली पकड़ना।
द्वितीयक क्षेत्र - गुड़ निर्माण ।
तृतीयक क्षेत्र - धोबी, एटीएम बूथ।
9. हम किसी
विशेष वर्ष के लिए किसी क्षेत्रक का कुल उत्पादन कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर - किसी विशेष वर्ष के दौरान प्रत्येक क्षेत्रक में उत्पादित
अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य उस वर्ष के लिए कुल उत्पादन की जानकारी प्रदान करता
है।
10. हम किसी
देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) कैसे प्राप्त करते हैं?
उत्तर - तीन क्षेत्रों में उत्पादन का योगफल से किसी देश का
सकल घरेलू उत्पाद प्राप्त होता है।
11. मनरेगा
2005 को ’काम
का अधिकार’ क्यों कहा जाता है?
उत्तर - मनरेगा 2005 को ’काम का अधिकार’ कहा जाता है क्योंकि यह सरकार द्वारा साल
में 100 दिन के रोजगार की गारंटी देता है।
12. योजना आयोग
के अनुमान के अनुसार अकेले शिक्षा के क्षेत्र में कितने रोजगार सृजित किए जा सकते हैं?
उत्तर - योजना आयोग का अनुमान है कि अकेले शिक्षा क्षेत्र में
करीब 20 लाख रोजगार पैदा किये जा सकते हैं।
13. संगठित
क्षेत्र की मुख्य विशेषता बताइए।
उत्तर - संगठित क्षेत्र उन उद्यमों या कार्यस्थलों को शामिल
करता है जहां रोजगार की शर्तें नियमित होती हैं।
14. असंगठित
क्षेत्र की विशेषताएं क्या हैं? किसी एक का उल्लेख कीजिए।
उत्तर - असंगठित क्षेत्र में ओवरटाइम, सवैतनिक अवकाश, अवकाश, बीमारी
के कारण छुट्टी आदि का कोई प्रावधान नहीं है;
15. ग्रामीण
क्षेत्रों में असंगठित क्षेत्र में लोगों के कौन से समूह कार्यरत हैं?
उत्तर - ग्रामीण क्षेत्रों में, असंगठित क्षेत्र में ज्यादातर भूमिहीन खेतिहर मजदूर, छोटे और सीमांत किसान, दुकानदार और बुनकर, बढ़ई आदि शामिल हैं।
16. शहरी क्षेत्रों
में कौन से श्रमिक/लोग असंगठित क्षेत्र की श्रेणी में आते हैं?
उत्तर - शहरी क्षेत्रों में, असंगठित क्षेत्र में मुख्य रूप से लघु उद्योग में श्रमिक, निर्माण, व्यापार
और परिवहन आदि में आकस्मिक श्रमिक शामिल हैं।
17. अनुसूचित
जाति, जनजाति और पिछड़े
समुदायों के अधिकांश श्रमिक किस क्षेत्र में कार्यरत हैं?
उत्तर - असंगठित क्षेत्र।
18. स्वामित्व
के आधार पर आर्थिक गतिविधियों को क्षेत्रकों में वर्गीकृत करें। उदाहरण दो।
उत्तर - स्वामित्व के संदर्भ में, क्षेत्रों को सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में विभाजित किया
जा सकता है।
सार्वजनिक क्षेत्र - रेलवे।
निजी क्षेत्र- टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी लिमिटेड।
19. सार्वजनिक
और निजी क्षेत्र के उद्यमों के उद्देश्य क्या हैं? एक-एक बताएं।
उत्तर -
सार्वजनिक क्षेत्र -
जन कल्याण और लाभ कमाने के लिए नहीं।
निजी क्षेत्र -
लाभ कमाने के लिए।
20. किन्हीं
दो गतिविधियों का उल्लेख कीजिए जो सरकार के प्राथमिक उत्तरदायित्व हैं।
उत्तर - सभी के लिए स्वास्थ्य और शिक्षा की सुविधा उपलब्ध कराना।
21. योजना आयोग
के अनुसार पर्यटन क्षेत्र में कितने रोजगार सृजित किए जा सकते हैं?
उत्तर - प्रतिवर्ष 35 लाख रोजगार
लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर ( 03/04 अंक )
1. आर्थिक
गतिविधियों के तीन क्षेत्रों को उदाहरणों की सहायता से स्पष्ट कीजिए।
अथवा
आर्थिक गतिविधियों से आप क्या समझते हैं ? आर्थिक गतिविधियों
के विभिन्न क्षेत्रों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर -
(1) आर्थिक गतिविधियाँ - वे गतिविधियाँ जो आय उत्पन्न करती हैं, आर्थिक गतिविधियाँ कहलाती हैं जैसे, व्यवसाय करना, बैंक में काम करना आदि।
(2) आर्थिक गतिविधियों के क्षेत्र - आर्थिक गतिविधियों को तीन क्षेत्रों में वर्गीकृत किया जाता
है जो नीचे दिए गए हैं -
प्राथमिक
क्षेत्र -
· अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र जहाँ प्राकृतिक संसाधनों को कच्चे
तौर पर प्राप्त किया जाता है; यथा-उत्खनन, कृषि कार्य, पशुपालन, मछली
पालन,
इत्यादि। इसी क्षेत्रक को कृषि एवं संबध्द गतिविधियाँ भी कहा
जाता है।
द्वितीयक
क्षेत्र -
· अर्थव्यवस्था का वह क्षेत्र जो प्राथमिक क्षेत्र के उत्पादों
को अपनी गतिविधियों में कच्चे माल की तरह उपयोग करता है द्वितीयक क्षेत्र कहलाता है।
उदाहरण के लिए लौह एवं इस्पात उद्योग, वस्त्र उद्योग, वाहन, बिस्किट, केक इत्यादि उद्योग। वास्तव में इस क्षेत्रक में विनिर्माण कार्य
होता है यही कारण है कि इसे औद्योगिक क्षेत्रक भी कहा जाता है।
तृतीयक क्षेत्र
-
· इस क्षेत्रक में विभिन्न प्रकार की सेवाओं का उत्पादन किया जाता
है;
यथा-बैंकिंग, बीमा, शिक्षा, चिकित्सा, पर्यटन
इत्यादि। इस क्षेत्र को सेवा क्षेत्र के रूप में भी जाना जाता है।
2. उन आवश्यक
सेवाओं का वर्णन करें जो सेवा क्षेत्र में शामिल हैं और जो वस्तुओं के उत्पादन में
सीधे मदद नहीं कर सकती हैं।
उत्तर - सेवा क्षेत्र में शामिल आवश्यक सेवाएं, जो वस्तुओं के उत्पादन में सीधे मदद नहीं कर सकती हैं, निम्नलिखित हैं - शिक्षक, डॉक्टर।
व्यक्तिगत सेवाएं प्रदान करने वाले व्यक्ति जैसे धोबी, नाई, मोची, वकील और लोगों को प्रशासनिक और लेखा कार्य करने के लिए।
हाल ही में सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित कुछ नई सेवाएं जैसे
इंटरनेट कैफे, एटीएम बूथ, कॉल सेंटर, सॉफ्टवेयर
कंपनियां महत्वपूर्ण हो गई हैं।
3. मध्यवर्ती
वस्तुओं और अंतिम वस्तुओं के बीच किन्हीं तीन अंतरों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर - मध्यवर्ती और अंतिम वस्तुओं के बीच तीन अंतर नीचे दिए
गए हैंः
मध्यवर्ती वस्तु |
अंतिम वस्तु |
(1)
मध्यवर्ती वस्तुओं का उपयोग अंतिम वस्तुओं
और सेवाओं के उत्पादन में किया जाता है। अंतिम माल के मूल्य में उन सभी मध्यवर्ती
वस्तुओं का मूल्य शामिल होता है जिनका उपयोग अंतिम सामान बनाने में किया जाता है। |
(1) इन वस्तुओं का उपयोग अंतिम उपभोग के लिए किया जाता है। |
(2)
दोहरी गिनती की समस्या से बचने के लिए
मध्यवर्ती वस्तुओं को सकल घरेलू उत्पाद में शामिल नहीं किया जाता है। उदाहरण के लिए
यदि गेहूँ और गेहूँ के आटे के मूल्य की गणना की जाती है तो हम मूल्य को दो या तीन
बार गिनेंगे। |
(2) किसी देश की जीडीपी जानने के लिए अंतिम वस्तुओं और सेवाओं
के मूल्य को शामिल किया जाता है। तीन क्षेत्रों के उत्पादन का योग जीडीपी देता है। |
(3)
उदाहरण के लिए, किसी कारखाने में बिस्कुट बनाने में प्रयुक्त गेहूँ और गेहूँ
का आटा मध्यवर्ती वस्तुएँ हैं. |
(3) उदाहरण के लिए बिस्कुट अंतिम वस्तु है। इन्हें बाजार में खपत
के लिए बेचा जाता है। इसमें मध्यवर्ती वस्तुओं का मूल्य पहले से ही शामिल होता है। |
4. सकल घरेलू
उत्पाद क्या है? भारत में सकल घरेलू उत्पाद को मापने का कार्य कौन से विभाग करते
हैं?
अथवा
जीडीपी क्या है? भारत में सकल
घरेलू उत्पाद को मापने का कार्य कौन करता है? यह कार्य कैसे किया जाता है? इसका महत्व क्या
है?
उत्तर -
सकल घरेलू
उत्पाद - किसी विशेष वर्ष के दौरान
प्रत्येक क्षेत्र में उत्पादित अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य उस वर्ष के लिए क्षेत्र
का कुल उत्पादन प्रदान करता है। और तीन क्षेत्रों में उत्पादन के योग को सकल घरेलू
उत्पाद या जीडीपी कहा जाता है।
सकल घरेलू
उत्पाद का मापन - सकल घरेलू उत्पाद को
मापने का कार्य केंद्र सरकार के मंत्रालय द्वारा किया जाता है। मंत्रालय सभी भारतीय
राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न सरकारी विभागों की मदद से वस्तुओं और
सेवाओं की कुल मात्रा और उनकी कीमतों से संबंधित जानकारी एकत्र करता है और फिर सकल
घरेलू उत्पाद का अनुमान लगाता है।
जीडीपी का
महत्व - किसी देश की जीडीपी देश
की अर्थव्यवस्था के आकार को दर्शाती है। यह दर्शाता है कि देश गरीब है या अमीर और रोजगार
और लोगों की स्थिति।
5. पिछले दशक
में कौन सा क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था में सबसे बड़े उत्पादक क्षेत्र के रूप में उभरा
है? कारण दीजिए।
अथवा
तृतीयक क्षेत्रक का अर्थ बताइए। इस क्षेत्र के
विकास में योगदान देने वाले किन्हीं तीन कारकों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर -
(1) तृतीयक क्षेत्र उन गतिविधियों से संबंधित है जो प्राथमिक और
माध्यमिक क्षेत्रों के विकास में मदद करती हैं। ये गतिविधियाँ अपने आप में एक अच्छा
उत्पादन नहीं करती हैं, लेकिन वे
उत्पादन प्रक्रिया के लिए एक सहायता या समर्थन हैं।
(2) प्राथमिक क्षेत्र के स्थान पर तृतीयक क्षेत्र के भारत में महत्वपूर्ण
क्षेत्र बनने के कारण इस प्रकार हैंः
कल्याणकारी
राज्य और बुनियादी सेवाओं की अवधारणा - भारत जैसे आधुनिक कल्याणकारी राज्य में अस्पताल, शैक्षणिक संस्थान, पोस्ट और टेलीग्राफ सेवाएं, पुलिस स्टेशन, अदालतें, परिवहन, बैंक और बीमा कंपनियों जैसी बुनियादी सेवाओं की आवश्यकता होती
है। ये एक जरूरत बन गए हैं। इन सेवाओं को प्रदान करना राज्य की जिम्मेदारी है। ये सभी
सेवाएं सेवा क्षेत्र की श्रेणी में आती हैं।
कृषि और उद्योग
का विकास - कृषि और उद्योग के विकास
से परिवहन, भंडारण और अन्य सेवाओं
का विकास होता है। जैसे-जैसे ये क्षेत्र अधिक विकास करते हैं, सेवा क्षेत्र का भी विस्तार होता है और उसी के अनुसार इसका महत्व
बढ़ता जाता है।
आय में वृद्धि - हाल के वर्षों में, कुछ वर्गों के लोगों की आय में वृद्धि हुई है। इसके परिणामस्वरूप, पर्यटन, खरीदारी
और निजी अस्पतालों आदि की मांग बढ़ गई है। इससे तृतीयक क्षेत्र का महत्व बढ़ गया है।
सूचना प्रौद्योगिकी
का विकास - सूचना और संचार प्रौद्योगिकी
के विकास ने तृतीयक क्षेत्र के महत्व को बढ़ा दिया है क्योंकि अब अधिकांश लोग इन सेवाओं
जैसे मोबाइल फोन, इंटरनेट कैफे
आदि का लाभ उठाना चाहते हैं। इन सेवाओं का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है।
उपरोक्त कारकों को ध्यान में रखते हुए तृतीयक क्षेत्र का अन्य
क्षेत्रों की तुलना में तेजी से विकास हुआ है।
6. ग्रामीण
क्षेत्र में अधिक रोजगार सृजित करने के कोई तीन उपाय सुझाइए
अथवा
कृषि क्षेत्र में अधिक रोजगार सृजित करने के तरीकों
की व्याख्या करें।
अथवा
कृषि क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी को दूर
करने के लिए अपनाए जा सकने वाले उपायों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर - कृषि क्षेत्र में रोजगार की कमी दिखाई पड़ती है अथवा
प्रछन्न बेरोजगारी दिखती है। प्रच्छन्न बेरोजगारी को दूर करने के लिए निम्नलिखित कदम
उठाए जा सकते हैं -
· छोटे किसानों को दूसरी फसल उगाने में सक्षम बनाने के लिए सरकार
या बैंकों द्वारा कुओं और नलकूपों जैसी अधिक सिंचाई सुविधाओं के लिए ऋण प्रदान किया
जाना चाहिए।
· नए बांध और नहरें बनाई जानी चाहिए। इससे कृषि क्षेत्र में रोजगार
के अवसर बढ़ेंगे।
· न केवल किसानों को बल्कि परिवहन और व्यापार जैसी सेवाओं में
भी अन्य लोगों को उत्पादक रोजगार प्रदान करने के लिए परिवहन और भंडारण सुविधाओं में
सुधार किया जाना चाहिए।
· किसानों को खेती में सुधार के लिए बैंकों को कृषि ऋण उपलब्ध
कराना चाहिए।
· दाल मिल, कोल्ड
स्टोरेज,
होई कलेक्शन सेंटर, सब्जियों के प्रसंस्करण जैसे उद्योग ग्रामीण या अर्ध-ग्रामीण
क्षेत्रों में स्थापित किए जाने चाहिए। ऐसे उद्योगों को ग्रामीण क्षेत्रों से कच्चा
माल मिलेगा और ग्रामीण लोगों के लिए रोजगार के अधिक अवसर पैदा होंगे।
· ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल खोले जाने चाहिए। इससे शिक्षा के
क्षेत्र में करीब 20 लाख लोगों
को रोजगार मिलेगा।
· ग्रामीण क्षेत्रों में औषधालय एवं अस्पताल खोलकर स्वास्थ्य सेवाओं
में सुधार किया जाए। इससे डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों के लिए रोजगार का सृजन होगा।
· ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अधिक अवसर पैदा करने के लिए
सरकार द्वारा पर्यटन, क्षेत्रीय
शिल्प उद्योग या सूचना प्रौद्योगिकी को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
· लघु अवधि के उपाय के रूप में, सरकार ने भारत के 200 जिलों में काम के अधिकार को लागू किया है। इसे राष्ट्रीय ग्रामीण
रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) 2005 कहा जाता है।
7. असंगठित
क्षेत्र के श्रमिकों की सुरक्षा के लिए सरकार को क्या कदम उठाने चाहिए?
उत्तर - असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सुरक्षा और सहायता प्रदान
करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जाने चाहिए -
· छोटे किसानों, जिनमें 80%
ग्रामीण परिवार शामिल हैं, को बीज, कृषि आदानों, ऋण, भंडारण सुविधाओं
और विपणन दुकानों की खरीद में सहायता की जानी चाहिए।
· शहरी क्षेत्रों में, सरकार को कच्चे माल की खरीद और माल के विपणन में लघु उद्योग
की मदद करनी चाहिए।
· ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आकस्मिक श्रमिकों के हितों को
कानून द्वारा संरक्षित किया जाना चाहिए।
· सरकार को सभी विशेष रूप से निम्न जातियों के साथ समान व्यवहार
सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
· न्यूनतम मजदूरी अधिनियम को सख्ती से लागू किया जाए।
· सरकार को काम के घंटों के नियमन और चिकित्सा सुविधाओं आदि के
अनुदान को सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए।
· सरकार को उन नियोक्ताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए जो
जाति,
पंथ और लिंग के आधार पर भेदभाव करते हैं।
8. सार्वजनिक
और निजी क्षेत्र के बीच अंतर।
उत्तर - सार्वजनिक क्षेत्र और निजी क्षेत्र के बीच अंतर इस प्रकार
हैंः
सार्वजनिक क्षेत्र |
निजी क्षेत्र |
(1)
अधिकांश संपत्ति सरकार के स्वामित्व में
है,
जैसे, रेलवे और पोस्ट और टेलीग्राफ विभाग। |
संपत्ति का स्वामित्व निजी व्यक्तियों
के पास होता है जैसे, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी। |
(2)
सभी सेवाएं सरकार द्वारा प्रदान की जाती
हैं |
सेवाओं की डिलीवरी निजी व्यक्तियों या
कंपनियों के हाथों में होती है। |
(3)
सार्वजनिक क्षेत्रों की गतिविधियाँ समग्र
रूप से राष्ट्र के हित द्वारा निर्देशित होती हैं। उदाहरण सड़कों, पुलों, बंदरगाहों का निर्माण और बिजली पैदा करना है। |
इन गतिविधियों को मुनाफा कमाने के मकसद
से निर्देशित किया जाता है। ऐसी सेवाएं प्राप्त करने के लिए, हम इन व्यक्तियों या कंपनियों को पैसे देते हैं |
(4)
सार्वजनिक क्षेत्र में, कर्मचारियों को सेवा की सुरक्षा और अन्य लाभ जैसे पेंशन, ग्रेच्युटी, छुट्टी, चिकित्सा सुविधाएं मिलती हैं। |
निजी क्षेत्र में कर्मचारियों की नौकरियां
कम सुरक्षित होती हैं। उन्हें पेंशन और नियमित काम जैसे अन्य लाभ नहीं मिलते हैं। |
9. आधुनिक
सरकारें बिना लाभ अर्जित किए विभिन्न गतिविधियों पर बहुत सारा पैसा क्यों खर्च करती
हैं?
उत्तर - आधुनिक सरकारें बिना लाभ अर्जित किए विभिन्न गतिविधियों
पर बहुत सारा पैसा खर्च करती हैं जिनके कारण निम्नलिखित हैं -
लोगों का
कल्याण - आधुनिक राज्य एक कल्याणकारी
राज्य है जो अपने नागरिकों के हितों की देखभाल करता है। लोग विभिन्न प्रकार के करों
का भुगतान करते हैं और उम्मीद करते हैं कि सरकार लोगों के कल्याण के लिए नीतियों का
पालन करेगी। इसलिए, आम तौर पर
वे गतिविधियाँ जो लाभ उत्पन्न नहीं करती हैं और निजी क्षेत्र द्वारा नहीं की जाती हैं, सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा की जाती हैं। इस प्रकार, सरकार द्वारा रेलवे या डाक और टेलीग्राफ जैसी सेवाएं प्रदान
की जाती हैं।
बड़ा व्यय - कुछ गतिविधियों जैसे सड़कों के निर्माण आदि के लिए बड़ी मात्रा
में व्यय की आवश्यकता होती है जिसे निजी क्षेत्र द्वारा वहन नहीं किया जा सकता है।
इसलिए,
सरकार लोकतंत्र में लोगों के हित में ऐसी गतिविधियां करती है।
कुछ गतिविधियाँ
जिन्हें सरकार के समर्थन की आवश्यकता होती है - कुछ गतिविधियाँ
ऐसी होती हैं जिन्हें सब्सिडी के रूप में सरकार के समर्थन की आवश्यकता होती है जैसे
कि राशन की दुकानों के माध्यम से गरीबों के लिए खाद्यान्न का प्रावधान। सरकार गेहूँ, धान आदि ऊँचे दामों पर खरीदती है लेकिन ’राशन की दुकानों’ पर
कम दामों पर बेचती है। इस तरह की गतिविधियों को निजी क्षेत्र द्वारा नहीं लिया जा सकता
है।
सरकार का
कर्तव्य - लोगों के जीवन स्तर को ऊपर
उठाना सरकार का कर्तव्य है। देश के सबसे गरीब और सबसे उपेक्षित क्षेत्रों की देखभाल
करने के लिए उसे गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की व्यवस्था करनी चाहिए।
इस प्रकार, सरकार विभिन्न गतिविधियाँ
करती है और उन पर बहुत पैसा खर्च करती है।
अभ्यास हेतु विश्लेषणात्मक प्रश्न
1. क्या निजीकरण अच्छा है? क्या बुनियादी सार्वजनिक सेवाओं का भी निजीकरण कर देना चाहिए?
2. अंतिम वस्तुओं और सेवाओं का क्या अर्थ है?
3. मध्यवर्ती वस्तुएँ और सेवाएँ क्या हैं?
4. "अल्परोजगार की समस्या केवल कृषि तक ही सीमित नहीं है"। उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए।
5. कौन से मूल्य सार्वजनिक क्षेत्र से जुड़े हैं?
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धन्यवाद
आप सफल हों