भूमंडलीकृत विश्व का बनना कक्षा 10

भूमंडलीकृत विश्व का बनना


महत्वपूर्ण तथ्य

वैश्वीकरण :-

    ·  वैश्वीकरण एक आर्थिक प्रणाली है और यह 50 वर्षों से उभरती है।

   · वैश्विक दुनिया के निर्माण को समझने के लिए हमें व्यापार के इतिहास, प्रवासन और लोगों को काम की तलाश और वैश्विक आवाजाही को समझना होगा।

पूर्व आधुनिक दुनिया :-

   · दुनिया के विभिन्न देश व्यापार और विचारों तथा संस्कृति के आदान प्रदान के कारण एक दूसरे से आपस में जुड़े हुए हैं। आधुनिक युग में आपसी संपर्क तेजी से बढ़ा है लेकिन सिंधु पाटी की सभ्यता के युग में भी विभिन्न देशों के बीच आपसी संपर्क हुआ करता था।

    · मानव समाजों में लगातार नजदीकी आती जा रही है।

   · यात्रियों, व्यापारियों, पुजारी और तीर्थयात्रियों ने सामान, पैसा, विचार, कौशल, आविष्कार और यहां तक कि रोगाणु और बीमारियों ने भी लंबी दूरी तय की।

    · सिंधु घाटी सभ्यता पश्चिम एशिया से जुड़ी हुई थी।

    · मालदीव से भारतीय मुद्रा पश्चिम एशिया और चीन तक पहुंची।

   · बीमारियों को फैलाने वाले कीटाणुओं के वैश्विक प्रसार में स्पष्टता सातवीं सदी से तेरहवीं तक दिखाई देती है।

सिल्क रूट (रेशम मार्ग) से जुड़ती दुनिया :-

   · सिल्क रूट : चीन को पश्चिमी देशों और अन्य देशों से जोड़ने वाला व्यापार मार्ग जिससे रेशम का व्यापर होता था सिल्क रूट कहलाता है।

    · उस जमाने में कई सिल्क रूट थे।

    · सिल्क रूट ईसा युग की शुरुआत के पहले से ही अस्तित्व में था और पंद्रहवीं सदी तक बरकरार था।

   · सिल्क रूट से होकर चीन के बर्तन (चीनी पॉटरी) दूसरे देशों तक जाते थे। इसी प्रकार यूरोप से एशिया तक सोना और चाँदी इसी सिल्क रूट से आते थे।

    · सिल्क रूट के रास्ते ही ईसाई , इस्लाम और बौद्ध धर्म दुनिया के विभिन्न भागों में पहुँच पाए थे।

    · रेशम मार्गों को दुनिया के सबसे दूर के हिस्सों को जोड़ने वाला सबसे महत्वपूर्ण मार्ग माना जाता था।

   · रूट दुनिया के विभिन्न हिस्सों के बीच व्यापार और सांस्कृतिक संबंधों का एक बड़ा स्रोत साबित हुआ।

भोजन की यात्रा :-

    · हमारे खाद्य पदार्थ दूर देशों के बीच सांस्कृतिक आदान प्रदान के कई उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।

   · नूडल्स चीन की देन है जो वहाँ से दुनिया के दूसरे भागों तक पहुँचा। भारत में हम इसके देशी संस्करण सेवइयों को वर्षों से इस्तेमाल करते हैं। इसी नूडल का इटैलियन रूप है स्पैघेत्ती।

    · पास्ता अरबी यात्रियों के साथ सिसली (इटली) पहुंचा।

    · आज के कई आम खाद्य पदार्थ : जैसे आलू , मिर्च टमाटर , मक्का , सोया , मूंगफली और शकरकंद यूरोप में तब आए जब क्रिस्टोफर कोलंबस ने गलती से अमेरिकी महाद्वीपों को खोज निकाला।

    · आलू के आने से यूरोप के लोगों की जिंदगी में भारी बदलाव आए । आलू के आने के बाद ही यूरोप के लोग इस स्थिति में आ पाए कि बेहतर खाना खा सकें और अधिक दिन तक जी सकें। आयरलैंड के किसान आलू पर इतने निर्भर हो चुके थे कि 1840 के दशक के मध्य में किसी बीमारी से आलू की फसल तबाह हो गई तो कई लाख लोग भूख से मर गए। उस अकाल को आइरिस अकाल के नाम से जाना जाता है।

विजय, बीमारी और व्यापार :-

    · सोलहवीं सदी में यूरोप के नाविकों ने एशिया और अमेरिका के देशों के लिए समुद्री मार्ग खोज लिया था।

   · नए समुद्री मार्ग की खोज ने न सिर्फ व्यापार को फैलाने में मदद की बल्कि विश्व के अन्य भागों में यूरोप के जीत की नींव भी रखी ।

   · अमेरिका के पास खनिजों का अपार भंडार था और इस महाद्वीप में अनाज भी प्रचुर मात्रा में था। अमेरिका के अनाज और खनिजों ने दुनिया के अन्य भाग के लोगों का जीवन पूरी तरह से बदल दिया।

    · किंवदंतियों में अमेरिका के लोग एल डोराडो को सोने का नगर मानने लगे थे।

    · सोलहवीं सदी के मध्य तक पुर्तगाल और स्पेन द्वारा अमेरिकी उपनिवेशों की अहम शुरुआत हो चुकी थी। लेकिन यूरोपियन की यह जीत किसी हथियार के कारण नहीं बल्कि एक चेचक की बीमारी के कारण संभव हो पाई थी।

    · यूरोप के लोगों पर चेचक का आक्रमण पहले ही हो चुका था इसलिए उन्होंने इस बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता विकसित कर ली थी। लेकिन अमेरिका तब तक दुनिया के अन्य भागों से अलग थलग था इसलिए अमेरिकियों के शरीर में इस बीमारी से लड़ने के लिए प्रतिरोधन क्षमता नहीं थी । जब यूरोप के लोग वहाँ पहुँचे तो वे अपने साथ चेचक के जीवाणु भी ले गए। इस का परिणाम यह हुआ कि चेचक ने अमेरिका के कुछ भागों की पूरी आबादी साफ कर दी । इस तरह यूरोपियन आसानी से अमेरिका पर जीत हासिल कर पाए।

    · अठारहवीं सदी तक भारत और चीन दुनिया के सबसे धनी देश हुआ करते थे । जबकि उन्नीसवीं सदी तक यूरोप में गरीबी और भूख का बोलबाला था। धार्मिक कट्टरता थी। लेकिन पंद्रहवीं सदी से ही चीन ने बाहरी संपर्क कम करना शुरु कर दिया था और दुनिया के बाकी हिस्सों से अलग थलग हो गया था ।

    · चीन के घटते प्रभाव और अमेरिका के बढ़ते प्रभाव के कारण विश्व के व्यापार का केंद्र बिंदु यूरोप की तरफ शिफ्ट कर गया।

उन्नीसवीं शताब्दी (1815-1914)

    · उन्नीसवीं सदी में दुनिया तेजी से बदल रही थी। इस अवधि में सामाजिक , राजनीतिक , आर्थिक और तकनीकी के क्षेत्र में बड़े जटिल बदलाव हुए। उन बदलावों की वजह से विभिन्न देशों के रिश्तों के समीकरण में अभूतपूर्व बदलाव आए।

    · अर्थशास्त्री मानते हैं कि आर्थिक आदान प्रदान तीन प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं :

1. व्यापार का आदान प्रदान

2. श्रम का आदान प्रदान

3. पूँजी का आदान प्रदान

आइए इन तीनों को समझने के लिए ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर नजर डालें ।

विश्व अर्थव्यवस्था का उदय :-

    · विश्व अर्थव्यवस्था के उदय में औद्योगिक यूरोप में खाद्य उत्पादन और उसके उपभोग के बदलते रूझानों को समझना होगा।

    · सामान्य तौर पर हर देश खाद्य आत्मनिर्भरता हासिल करना चाहता है किन्तु उन्नीसवीं सदी में ब्रिटेन ने ऐसा नहीं किया क्योंकि यदि ब्रिटेन ऐसा करता तो वहां के लोगों का जीवन स्तर गिर जाता। ।

 कॉर्न लॉ (मकई कानून)

    · बडे़ भूस्वामी समूहों के दबाव में सरकार ने मक्का के आयात को प्रतिबंधित कर दिया।

    · खाद्य पदार्थों के महंगे हो जाने पर सरकार ने कॉर्न लॉ वापस ले लिया।

    · कॉर्न कानूनों के खत्म हो जाने के बाद, आयातित खाद्य पदार्थ देश में उत्पादित खाद्य पदार्थ से भी सस्ता पड़ता था।

    · ब्रिटिश किसान आयात के साथ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ थे। भूमि के विशाल क्षेत्रों में खेती बंद हो गई और लोग बेरोजगार होते चले गए। जैसे ही खाद्य पदार्थों की कीमतें गिरी, ब्रिटेन में खपत बढ़ गई। इसी के साथ ब्रिटेन में औद्योगिक प्रगति काफी तेज हो गई।

    · ब्रिटेन में तेजी से औद्योगिक विकास के कारण आय में वृद्धि हुई तो जरूरतें बढ़ीं और आयात बढ़ा।

    · ब्रिटेन की जरूरतों को पूरा करने के लिए पूर्वी यूरोप, रूस, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में खेती का रकबा बढ़ने लगा।

    · इन इलाकों में खेती करने के लिए मजदूरों की मांग बढ़ने लगी तो दुनिया भर से लोग अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया जाकर बसने लगे।

    · खाद्य पदार्थां के परिवहन के लिए रेल्वे और अन्य माध्यमों तथा संचार के साधनों का विकास हुआ।

तकनीक की भूमिका :-

    · 19 वीं सदी की दुनिया पर तकनीक के द्वारा रेलवे, भाप के जहाज और टेलीग्राफ के परिवर्तन पर बहुत प्रभाव पड़ा।

    · पानी के जहाजों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक आ जाने के बाद मांस के लिए अब जिंदा जानवरों का परिवहन बंद हो गया तथा मांस ही भेजा जाना लगा। इसके बाद एूरोप के गरीबों को भी सस्था मांस उपलब्ध होने लगा।

    · यूरोप की जीवन स्थिति सुधरी तो वहां के देशों में शांति स्थापित होने लगी और साम्राज्यवादी मंसूबे पनपने लगे।

उन्नीसवीं सदी का उत्तरार्ध और उपनिवेशवाद :-

    · यूरोपियन्सको उत्पादित माल की बिक्री के लिए नए बाजार की खोज तथा कच्चे माल की जरूरत हुई इधर कुस्तुनतुनिया के पतन के बाद एशिया से सीधा संपर्क टूट गया तो नए मार्गों की खोज शुरू हुई।

    · जब यूरोपीय नाविक और व्यापारी अमेरिका और भारत आए तो सत्ता और राजनीति का खेल करते हुए अपने उपनिवेश स्थापित करने लगे।एक तरफ व्यापार के फैलने से यूरोप के लोगों की जिंदगी बेहतर हो गई तो दूसरी तरफ उपनिवेशों के लोगों पर इसका बुरा प्रभाव पड़ा।अफ्रीका जैसे महाद्वीप को तो इन यूरोपीय महाशक्तियों ने प्रसाद की तरह बांट लिया।

    · 1890 आते आते संयुक्त राज्य अमेरिका भी जो कि खुद एक समय ब्रिटेन का उपनिवेश था एक औपनिवेशिक ताकत बन गया।

रिंडरपेस्ट या मवेशियों का प्लेग :-

    · रिंडरपेस्ट मवेशियों में होने वाली एक बीमारी है।

    · अफ्रीका एक वैसा महादेश था जहाँ पर जमीन और खनिजों का अकूत भंडार था। यूरोपीय लोग खनिज और बागानों से धन कमाने के लिए अफ्रिका पहुंचे थे। लेकिन उन्हें वहाँ मजदूरों की भारी कमी झेलनी पड़ी। क्योंकि स्थानीय लोग मेहनताना देने के बावजूद काम नहीं करना चाहते थे। दरअसल अफ्रीका की आबादी बहुत कम थी और वे वहां उपलब्ध संसाधनों के साथ सुख से अपना जीवन जी रहे थे।

    · यूरोपीय लोगों ने अफ्रीकी लोगों को अपना मजदूर बनाने इतना अधिक टैक्स लगाया गया कि उस कर केवल वो ही अदा कर पाते थे। जो खानों और बागानों में काम करते थे ।

    · उत्तराधिकार सहित अनेक कानून बदल दिए गए। जमीन पर अधिकार भी सीमित कर दिया गया। तभी वहां रिंडरपेस्ट रोग फैल गया।

रिंडरपेस्ट का प्रकोप :-

    · रिंडरपेस्ट की बीमारी 1880 के आखिरी दशक में तब सामने आई जब पूर्वी अफ्रीका के एरिट्रिया पर हमला करने वाले इतावली सैनिकों का पेट भरने एशियाई जानवर लाए गए।

    · रिंडरपेस्ट बीमारी सारे महाद्वीप में फैल गई तथा अफ्रीका के नब्बे प्रतिशत मवेशियों की आबादी खत्म हो गई।

    · मवेशियों पर निर्भर अफ्रीकियों के लिए मवेशियों का नुकसान होने का मतलब था रोजी रोटी पर खतरा । अब उनके पास खानों और बागानों में मजदूरी करने के अलावा और कोई चारा नहीं था । इस तरह से मवेशियों की एक बीमारी ने यूरोपियन को अफ्रीका में अपना उपनिवेश फैलाने में मदद की ।

भारत से गिरमिटिया (अनुबंधित) मजदूरों का पलायन :-

    · मजदूर जो किसी खास मालिक के लिए खास अवधि के लिए काम करने को प्रतिबद्ध होते हैं अनुबंधित मजदूर कहलाते हैं । आधुनिक बिहार , उत्तर प्रदेश , मध्य भारत और तामिलनाडु के सूखाग्रस्त इलाकों से कई गरीब लोग बंधुआ मजदूर बन गए। इन लोगों को मुख्य रूप से कैरेबियन आइलैंड , मॉरिशस और फिजी भेजा गया। कई को सीलोन और मलाया भी भेजा गया । भारत में कई बंधुआ मजदूरों को असम के चाय बागानों में भी काम पर लगाया गया।

    · बीसवीं सदी के आरंभ से भारत के राष्ट्रवादी लोग बंधुआ मजदूर के सिस्टम का विरोध करने लगे थे । इस सिस्टम को 1921 में समाप्त कर दिया गया।

    · गिरमिटिया मजदूर जिस प्रलोभन में आकर सुखी जीवन के लिए विदेष गए थे वहां उनको वैसा नहीं मिला तो विरोध होने लगे और मालिक तथा मजदूरों में संघर्ष होने लगे।

    · इस प्रथा को नई दास प्रथा बताया गया।

    ·विदेशों में गए मजदूर अपने साथ अपनी संस्कृति, पर्व और परंपराओं को भी लेकर गए। अलग अलग स्थानों से पहुंचे मजदूरों की संस्कृतियां और परंपराएं मिली तो मिश्रित संस्कृति भी पनपी। जैसे - त्रिनिदाद के मुहर्रम पर्व में होसे मेला और जमैका रास्ताफारियानवाद धर्म।

विदेशों में भारतीय उद्यमी :-

    · भारत के नामी बैंकर और व्यवसायियों में शिकारीपुरी श्रॉफ और नट्टुकोट्टई चेट्टियार का नाम आता है । वे दक्षिणी और केंद्रीय एशिया में कृषि निर्यात में पूँजी लगाते थे। भारत में और विश्व के विभिन्न भागों में पैसा भेजने के लिए उनका अपना ही एक परिष्कृत सिस्टम हुआ करता था ।

    · भारत के व्यवसायी और महाजन उपनिवेशी शासकों के साथ वहां पहुंच चुके थे। हैदराबाद के सिंधी व्यवसायी तो यूरोपियन उपनिवेशों से भी आगे निकल गये थे। 1860 के दशक तक उन्होंने पूरी दुनिया के महत्वपूर्ण बंदरगाहों फलते फूलते इंपोरियम भी बना लिये थे।

भारतीय व्यापार , उपनिवेश और वैश्विक व्यवस्था :-

    · भारत से महीन कपास के कपड़े वर्षों से यूरोप निर्यात होते रहे थे। लेकिन औद्योगीकरण के बाद स्थानीय उत्पादकों ने ब्रिटिश सरकार को भारत से आने वाले कपास के कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने के लिए बाध्य किया। इससे ब्रिटेन में बने कपड़े भारत के बाजारों में भारी मात्रा में आने लगे। 1800 के आसपास भारत के सूती कपड़ों को निर्यात 30 प्रतिशत था जो 1870 तक 03 प्रतिशत रह गया।

    · लेकिन कच्चे माल का निर्यात 1812 से 1817 के बीच 5 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत हो गया।

    · इस दौरान निर्यात किए गए सामानों में नील ( इंडिगो ) में तेजी से बढ़ोतरी हुई। भारत से सबसे ज्यादा निर्यात होने वाला सामान था अफीम जो मुख्य रूप से चीन जाता था ।

   · भारत से ब्रिटेन को कच्चे माल और अनाज का निर्यात बढ़ने लगा और ब्रिटेन से तैयार माल का आयात बढ़ने लगा। इससे एक ऐसी स्थिति आ गई जब व्यापार बाढ़ा (Trade Surplus) ब्रिटेन के हित में हो गया। भारत के बाजार से जो आमदनी होती थी उसका इस्तेमाल ब्रिटेन अन्य उपनिवेशों की देखरेख करने के लिए करता था और भारत में रहने वाले अपने ऑफिसर को ’ होम चार्ज ’ देने के लिए करता था।

युद्ध के बाद के समझौते :-

    · दूसरा विश्व युद्ध जो धुरी शक्तियों (जर्मनी, जापान और इटली) तथा मित्र राष्ट्र( ब्रिटेन, फ्रांस, सोवियत संघ और अमेरिका) के बीच लड़ा गया था।

    · यह युद्ध पहले के युद्धों की तुलना में बिलकुल अलग था। इस युद्ध में आम नागरिक अधिक संख्या में मारे गये थे और कई महत्वपूर्ण शहर बुरी तरह बरबाद हो चुके थे।

    · दूसरे विश्व युद्ध के बाद की स्थिति में सुधार मुख्य रूप से दो बातों से प्रभावित हुए थे ।

o  पश्चिम में अमेरिका का एक प्रबल आर्थिक , राजनैतिक और सामरिक शक्ति के रूप में उदय।

o  सोवियत यूनियन का एक कृषि प्रधान अर्थव्यवस्था से विश्व शक्ति के रूप में परिवर्तन।

युद्धोत्तर बंदोबस्त और ब्रेटन-वुड्स संस्थान :-

    · विश्व के नेताओं की मीटिंग हुई जिसमें युद्ध के बाद के संभावित सुधारों पर चर्चा की गई। उन्होंने दो बातों पर ज्यादा ध्यान दिया जिन्हें नीचे दिया गया है ।

1. औद्योगिक देशों में आर्थिक संतुलन को बरकरार रखना और पूर्ण रोजगार दिलवाना।

2. पूँजी ,सामान और कामगारों के प्रवाह पर बाहरी दुनिया के प्रभाव को नियंत्रित करना।

    · युद्ध के बाद अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था के लिए जुलाई 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में आर्थिक स्थिरता और पूर्ण रोजगार के लिए सहमति बनी।

    · ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की स्थापना की गई।

    · युद्ध के बाद पुर्ननिर्माण के लिए पैसों की जरूरतों के वास्ते विष्व बैंक ( अंतर्राष्ट्रीय पुर्ननिर्माण एवं विकास बैंक) का गठन किया गया।

    · ब्रेटन वुड्स व्यवस्था के अंतर्गत आर्थिक लेन देन की व्यवस्था अमेरिकी डॉलर के साथ विनिमय दरों पर तय हुआ। डॉलर का मूल्य सोने की कीमतों से तय किया गया तथा रूप्या और डॉर का विनिमय दर भी निर्धारित हुआ।

प्रारंभिक युद्धोत्तर वर्ष

    · 1950 से 1970 के बीच तकनीक और उद्यम का विश्वव्यापी प्रसार हुआ। विकासशील देश भी विकसित देशों के बराबर आने के लिए तकनीक से चलने वाले संयंत्र और और उपकरणों का आयात करने लगे।

अनौपनिवेशिकरण और स्वतंत्रता

    · दूसरे विश्व युद्ध के बाद दुनिया के बहुत सारे देश औपनिवेशिक दासता से मुक्त होने लगे। किन्तु ये देश उपनिवेशकाल में बदहाल हो चके थे ऐसे में आई.एम.एफ. और विश्व बैंक जो औद्योगिक देशों के सहयोग के लिए बनाया गया था अब विकासशील देशों पर भी ध्यान देने लगे।

    · स्वाधीन होने के बाद भी ब्रिटेन और फ्रांस तथा अमेरिका जैसे देश इन नव स्वाधीन देशों के संसाधनों का दोहन करते रहे तो नयी अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के लिए जी-77 समूह का गठन किया गया।

ब्रेटन वुड्स का समापन और वैश्वीकरण की शुरूआत

    · समय बीतने के साथ अमेरिका का प्रभाव कम होने लगा और विनिमय की स्थित दरों की व्यवस्था असफल हो गई तो अस्थिर विनिमय दर व्यवस्था शुरू हुई।

    · सत्तर के दशक में वित्तीय जरूरतों के लिए अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों का दरवाजे विकासशील देशों के लिए खोल दिए गए परन्तु एवज में निजी विदेशी बैंको से दूरियां बनाने को कहा जाने लगा।

    · विकासशील देश अंतराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से कर्ज लेकर कर्ज संक टमें फंसते गए। जैसे अफ्रीकी देश और लैटिन अमेरीकी देश।

    · बहुराष्ट्रीय कंपनियां कम वेतन संरचना वाले देशों में सक्रिय होने लगीं।

    · 1949 की क्रांति के बाद चीन दुनिया से अलग थलग था। चीन में मजदूरी दर भी कम थी। इसलिए लागत कम होती जिससे कंपनियां चीन की तरफ आकर्षित हुईं।

    · विकासशील देशों जैसे भारत, चीन और ब्राजील जैसे देशों में कंपनियां के आने से विश्व अर्थव्यवस्था में भारी बदलाव आए।

महत्त्वपूर्ण शब्दावली

1.वीटो-इसे निषेधाधिकार भी कहा जाता है। इसके माध्यम से एक ही सदस्य की असहमति द्वारा किसी भी प्रस्ताव को खारिज किया जा सकता है।

2.आयात शुल्क यह किसी दूसरे देश से आने वाली वस्तुओं पर वसूल किया जाने वाला एक कर होता है। यह कर या शुल्क उस स्थान पर लिया जाता है जहाँ से वह वस्तु देश में आती है अर्थात् किसी सड़क सीमा बन्दरगाह अथवा हवाई अड्डे पर।

3.विनिमय दर - इस व्यवस्था के माध्यम से अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की सुविधा हेतु विभिन्न देशों की राष्ट्रीय मुद्राओं को एक-दूसरे से जोड़ा जाता है। यह दो प्रकार की होती है स्थिर विनिमय दर और परिवर्तनशील विनिमय दर कहा जाता है।

4.स्थिर विनिमय दर-जब विनिमय दर स्थिर होती है और उसमें आने वाले उतार-चढ़ावों को नियंत्रित करने हेतु सरकारों को हस्तक्षेप करना होता है तो इस प्रकार की विनिमय दर को स्थिर विनिमय दर कहा जाता है।

5. लचीली विनिमय दर-इस प्रकार की विनिमय दर विदेशी मुद्रा बाजार में विभिन्न मुद्राओं की माँग या आपूर्ति के आधार पर सिद्धान्ततः सरकारों के हस्तक्षेप के बिना ही घटती या बढ़ती रहती है।

6.वैश्वीकरण - विश्व को आर्थिक रूप से एकीकृत करने की प्रक्रिया।

7.कौड़ियों-प्राचीन काल में पैसे या मुद्रा के रूप में प्रयुक्त की आने वाली वस्तुएँ

8.कुटीर उद्योग-ग्रामीण क्षेत्रों में घरों में चलाए जाने वाले उद्योग।

9. पूजी का प्रवाह- इस प्रकार के प्रवाह में पूँजीपति अपनी पूँजी को दूर स्थित क्षेत्रों में अल्प या दीर्घ अवधि के लिए निवेश कर देते हैं।

10. सिल्क मार्ग-जमीन या समुद्र से होकर गुजरने वाले ये मार्ग न केवल एशिया के विशाल क्षेत्रों को एक-दूसरे से जोड़ते थे, बल्कि एशिया को यूरोप और उत्तरी अफ्रीका से जोइते थे। इस मार्ग से ही चीन से पश्चिमी देशों को विशेष रूप से रेशम (सिल्क) का निर्यात किया जाता था। इसी कारण इस मार्ग को सिल्क मार्ग कहा जाता था।

11. प्राथमिक उत्पाद जो उत्पाद सीधे प्रकृति की सहायता से प्राप्त किए जाते हैं, उन्हें प्राथमिक उत्पाद’ कहा जाता है, जैसे- कृषि उत्पादों में गेहूँ और कपास और खनिज उत्पादों में कोयला आदि।

12. उपनिवेशवाद-अपने राजनीतिक, आर्थिक हितों की पूर्ति के लिए एक शक्तिशाली देश के द्वारा किसी दूसरे देश की अर्थव्यवस्था और उसके शासन पर कब्जा करके उसका शोषण करना ‘उपनिदेशवाद’ कहा जाता है।

13. कॉर्न लॉ-ब्रिटेन में बड़े भू-स्वामियों के दबाव में आकर वहाँ की सरकार ने मक्का के आयात पर पाबन्दी लगा दी। जिन कानूनों के आधार पर यह पाबन्दी लगायी गयी थी. उन्हें ही ’कॉर्न-लॉ’ कहा जाता था।

14. होसे-त्रिनिदाद में आप्रवासी लोगों के द्वारा मुहर्रम के सालाना जुलूस को एक विशाल उत्सवी मेले का रूप दिया गया था। इस मेले को ही ’होसे कहा जाता है।

15. गिरमिटिया मजदूर-औपनिवेशिक शासन के समय अनेक लोगों को काम करने के लिए फिजी, गुयाना, वेस्टइंडीज आदि स्थानों पर ले जाया गया था। इन मजदूरों को ही बाद में गिरमिटिया मजदूर कहा जाने लगा। मजदूरों को एक अनुबंध (एग्रीमेंट) के तहत ले जाया जाता था। बाद में इस अनुबंध को गिरमिट’ कहा जाने लगा।

16. व्यापार अधिशेष - वह व्यापारिक स्थिति, जिसमें आपसी व्यापार से किसी देश को लाभ हो, उसे ‘व्यापार अधिशेष’ कहा जाता है।

17. हायर परवेज-वस्तुओं को खरीदने की वह व्यवस्था, जिसमें खरीदार उस वस्तु की कीमत किश्तों (साप्ताहिक या मासिक) में चुकाता है, ’हायर परचेज के नाम से जानी जाती है।

महत्त्वपूर्ण तिथियाँ

1. 15वीं शताब्दी कोलम्बस द्वारा अमेरिका की खोज।

2. 19वीं शताब्दी- श्रमिकों की अनुबंध व्यवस्था का आरम्भ।

3. 1820 ई-चीन के साथ अफीम का व्यापार शुरू होना।

4. 1660 ई. इस दशक में संसार के बन्दरगाहों पर बड़े एम्पोरियम खोले गए।

5. 1885 ई. यूरोपीय के शक्तिशाली देशों की वर्लिन में बैठक।

6.1890 ई.- अफ्रीका में रिडरपेस्ट नामक बीमारी का प्रसार ।

7. 19वीं सदी का अन्त-उपनिवेशवाद का विस्तार ।

8. 1914-1919 ई. प्रथम विश्वयुद्ध ।

9.1920 ई. अमेरिका में बृहत् उत्पादन पद्धति के आधार पर उत्पादन का शुरू होना।

10.1929 ई.- विश्व में आर्थिक महामंदी का संकट।

11.1944 ई.-ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर विश्व के बड़े देशों का मौद्रिक एवं आर्थिक सम्मेलन। साथ ही मुद्राकोष-आई.एम.एफ. और विश्व बैंक का गठन।

12. 1939 ई. और 1945 ई.-द्वितीय विश्वयुद्ध । 1947 ई. विश्व बैंक और आई.एम.एफ. का औपचारिक रूप से कार्य आरम्भ करना।

13. 1949 ई.-चीन की क्रांति।

14.1970 ई. बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का एशिया के देशों में विस्तार ।

- अध्याय के अंत में दिए गए प्रश्नों के उत्तर -

1. सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान - प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरीका महाद्वीपों के बारे में चुनें।

उत्तर - सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान - प्रदान के दो उदाहरण -

(i) एशिया से - एशिया से यूरोप और अफ्रीका को जोड़ने वाले व्यापारिक मार्ग जिनको रेशम मार्ग कहते हैं।

एशिया के अन्य प्राचीन उदाहरण –

i. सिंधु घाटी से मैसोपोटामिया के बीच होने वाला व्यापार जो लगभग 3000 ई.पू. होता था।

ii. मालदीव के समुद्र से प्राप्त कौड़ियों का व्यापार चीन और पूर्वी अफ्रीका तक होता था।

(ii) अमेरिका का उदाहरण - आलू, सोयाबीन, मूंगफली, मक्का, टमाटर मिर्च आधी अमेरिका में पैदा होते थे जिन्हें आज सारे विश्व में खाया जाता है। यह सभी चीजें अमेरिका में उत्पन्न होती थी। इन सभी चीजों को आज पूरे विश्व में खाने का साधन बन गया है।

2. बताएं कि पूर्व - आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी?

उत्तर - अपनी खोज से पहले लाखों साल से अमेरीका का बाकी दुनिया से कोई सम्पर्क नहीं था। लेकिन जब अमेरीका की खोज के बाद यूरोपीय देशों ने अपनी आवाजाही वहाँ शुरू की तो इस आवागमन में यूरोपीय देशों से बीमारियां भी अमेरीका में पहुंचने लगीं। लाखों वर्षों तक दुनिया से अलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में चेचक से बचाव की रोग - प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी और जब यूरोपीय शक्तियों ने वहां अपने उपनिवेश बनाने शुरू किए तो यही वो बीमारी थी जिसने यूरोपीयों को अमेरीका में स्थापित होने में सहायता दी। इस कारण से यूरोपीय शक्तियों को अमेरिका के लोगों के विरुद्ध सैन्य अस्त्रों का प्रयोग नहीं करना पड़ा।

चेचक एक घातक बीमारी थी जिसने लगभग सभी अमेरिकी समुदायों को समाप्त कर दिया। इस प्रकार घुसपैठियों (यूरोपीय देश) की जीत का रास्ता साफ होता चला गया। एक बार जब यह बीमारी फैल गई तो धीरे-धीरे यह पूरे विश्व में फैल गई थी। इस प्रकार पूर्व - आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भूभागों के उपनिवेशीकरण में मदद की।

3. निम्नलिखित के प्रभावों की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणियां लिखेः-

क. कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला।

उत्तर - कॉर्न लॉ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला यह थाः-

कॉर्न लॉ ब्रिटेन से सम्बन्धित है, यह उस समय ब्रिटेन में आया था, जब ब्रिटेन में जनसंख्या वृद्धि हो रही थी, जिसके कारण शहरीकरण बढ़ रहा था। लोगो के पास कृषि करने के लिए भूमि भी नहीं थी, जिसके कारण लोग कृषि नहीं कर पा रहे थे और जिसके कारण अनाजों के भाव बहुत बढ़ गए थे और उस दौरान बड़े बड़े भूस्वामी द्वारा सरकार पर दबाव बनाया गया था। कि वह मक्के का आयात बाहरी देशों से बंद कर दे मक्के का आयात बाहरी देशों से बंद करने एक कानून लाया गया जिसे “कॉर्न लॉ“ के नाम से जाना गया इसके फलस्वरूप मक्का के दाम बहुत बढ़ चुके थे, इस कारण ब्रिटिश की जनता ने इसको हटाने के लिए ब्रिटिश सरकार से मांग की थी, कि “कॉर्न लॉ “को हटाया जाए। कॉर्न लॉ के हटाने के परिणाम निम्नलिखित रूप से सामने आए -

1.कॉर्न लॉ के समाप्त हो जाने पर खाद्य पदार्थों का आयात बहुत कम कीमत पर किया जाने लगा।

2. आयात किए गए खाद्य पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद पदार्थों से भी कम थी।

3. आयातित माल की कीमत का मुकाबला न कर सकने के कारण ब्रिटिश किसानों की हालत खराब हो गई।

4. विशाल भू - भागों पर खेती बंद हो गई। हजारों लोग बेरोजगार हो जाने के कारण या तो शहरों में या दूसरे देशों में जाने लगे।

ख. अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना।

उत्तर - अफ्रीका में रिंडरपेस्ट के आने से लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था में भयावह प्रभाव पड़ा।

1. अफ्रीका में पशुओं की बीमारी ‘ रिंडरपेस्ट ’ का सबसे पहले 1880 के दशक के बाद के वर्षों में पता चला, जब पूर्वी अफ्रीका में एरिट्रीया पर हमला कर रहे इटली के सैनिकों का पेट भरने के लिए एशियाई देशों से पशु लाए जाते थे। यह बीमारी ब्रिटिश अधिपत्य वाले एशियाई देशों से आने वाले पशुओं के द्वारा यहां आई थी।

क्योंकि लोग एक स्थान से दूसरे स्थान जाते हैं तो लोग अपनी यात्राओं में तरह-तरह की चीजें, पैसा, मूल्य - मान्यताएं, विचार, हुनर, आविष्कार और यहां तक की कीटाणु और बीमारियां भी साथ लेकर चलते रहे हैं।

2. यह बीमारी पूर्वी अफ्रीका से आरंभ होकर सम्पूर्ण अफ्रीका में फैल गई। रिंडरपेस्ट नामक इस बीमारी ने अपनी चपेट में आने वाले 90% पशुओं को मार दिया। जबकि बागान मालिकों, खान मालिकों तथा औपनिवेशिक सरकारों ने अपनी सत्ता को और शक्तिशाली बनाने तथा अफ्रीकियों को श्रम बाजार से धकेलने के लिए बचे - खुचे पशुओं को भी अपने अधिकार में ले लिया।

3. पशुओं के मर जाने पर अफ्रीकियों की रोजी - रोटी के साधन समाप्त हो गए। बचे हुए पशु संसाधनों पर अपना अधिकार हो जाने से यूरोपिय उपनिवेशकारों को पूरे अफ्रीका पर अपना अधिकार कर लेने का मौका मिल गया। इस प्रकार वे अफ्रीकी जो वेतन और पैसे से नहीं खरीदे जा सके अपने पशुओं के खात्मे के बाद यूरोपीयों के गुलाम बनने मजबूर हो गए। अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना बहुत ही खतरनाक था।

ग. विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत।

उत्तर - विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौत का कारण था -

प्रथम विश्वयुद्ध में यूरोप के मृतकों और घायलों में अधिकतर कामकाजी उम्र के लोग थे। इस युद्ध में होने वाले विनाश के कारण यूरोप में काम करने वाले लोगों की संख्या बहुत कम हो गई। परिवार के सदस्य कम हो जाने पर परिवारों की आय भी कम हो गई। इस कारण अब औरतों को ही घर से बाहर निकलना पड़ता था। अपना और अपने बच्चों का पेट भरने के लिए उन्हें घर से बाहर निकलना पड़ता था। इस प्रकार इस युद्ध ने सामाजिक व्यवस्था में बड़ा बदलाव लाया।

घ. भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव।

उत्तर - भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव निम्नलिखित रुप से पड़ा -

वैश्विक आर्थिक मंदी की शुरूवात 1929 से हुई और यह संकट तीस के दशक के मध्य तक बना रहा। इस दौरान दुनिया के ज्यादातर हिस्सों के उत्पादन, रोजगार, आय और व्यापार में भयानक गिरावट दर्ज की गई। बीसवीं सदी तक वैश्विक अर्थव्यवस्था इतनी एकीकृत हो चुकी थी कि दुनिया के एक हिस्से में होने वाले आर्थिक संकट की कंपकपी बाकी हिस्सों तक भी पहुंच जाती थी। भारत में भी इसका प्रभाव देखने को मिला। जो कि इस प्रकार था -

1. इतनी ज्यादा गिरावट आई थी कि 1928 - 1934 के मध्य देश का आयात - निर्यात घटकर आधा रह गया।

2. भारत में गेहूं की कीमत 50% और पटसन की कीमत 60% से भी अधिक घट गई।

3. किसान जो पहले से ही थोड़ा-बहुत कर्ज में रहते थे, अब वह और भी कर्ज में डूब गए।

4. भारतीय ग्रामीणों में जब असंतोष फैल रहा था तो उसी समय गांधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ कर दिया।

5. इसके बावजूद भी निश्चित आय वाले शहरी लोगों की हालत ठीक रही। उन्हें किसी भी चीज का नुकसान नहीं हुआ। सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करने के बावजूद भी शहरी लोगों की हालत ठीक रही। क्योंकि शहर औद्योगीकरण की तरफ बगसर होने लगे थे।

ड. बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला।

उत्तर - बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला पर भारी प्रभाव पड़ा -

1.1920 के दशक में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की स्थापना की गई। 70 के दशक के मध्य में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में कई परिवर्तन आए। अब विकासशील देश अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों से कर्जे और विकास संबंधी सहायता ले सकते थे।

2. पचास और साठ के दशकों में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का विश्वव्यापी प्रसार हुआ। चूँकि अधिकतर सरकारें बाहर से आने वाली चीजों पर भारी आयात शुल्क वसूल करने लगी थीं अतः बड़ी कंपनियों ने अपने संयंत्रों को उन्ही देशों में लगाने प्रारंभ कर दिए जहां वे अपने उत्पाद बेचना चाहते थे और उन्हें घरेलू उत्पादकों के रूप में काम करना पड़ता था।

3.70 के दशक में एशियाई देशों में बेरोजगारी बढ़ने लगी थी। अतः इन कंपनियों ने एशिया के ऐसे देशो में उत्पादन केन्द्रित किए जहां वेतन कम देना पड़ता था। चीन में अन्य एशियाई देशों के मुकाबले सबसे कम वेतन देना पड़ता था। अतः इन कंपनियों ने यहाँ पर अत्यधिक निवेश किया। इससे अर्थव्यवस्था में भारी परिवर्तन आए। जिसने विश्व के आर्थिक भूगोल को बदल दिया।

4. खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें।

उत्तर - खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण इस प्रकार हैं -

1. रेलवे और जलपोतों के निर्माण से सामान का दूसरे देशों के बाजारों में पहुंचाना आसान हो गया और लागत भी घट गई।

2. जलपोतों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक आ जाने के कारण मांस - मछली, सब्जी, फल आदि जल्दी खराब हो जाने वाली वस्तुओं को लंबी दूरी तक ले जाना संभव हो गया। इससे इन वस्तुओं की कीमत भी कम हो गई।

5. ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है?

उत्तर - ब्रेटन वुड्स समझौते का अर्थ है - अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण और विकास बैंक  और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (ब्रेटन वुड्स की जुड़वां संतान) की स्थापना एक साथ वर्ष 1944 में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन के दौरान हुई थी। ब्रेटन वुड्स सम्मेलन को आधिकारिक तौर पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक और वित्तीय सम्मेलन के रूप में जाना जाता है। इसका तात्कालिक उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध और विश्वव्यापी संकट से जूझ रहे सदस्य देशों की मदद करना था।

इसी अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को प्रायः ब्रेटन वुड्स व्यवस्था भी कहा जाता है।

चर्चा करें -

6. कल्पना कीजिए कि आप कैरीबियाई क्षेत्र में काम करने वाले गिरमिटिया मजदूर हैं। इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम एक पत्र लिखें।

उत्तर -

6 अगस्त 2021

सम्मानीय माता जी एवं पिता जी सहित समस्त स्वजन,

मैं यहां कुशलपूर्वक हूं और मुझे आशा है कि आप सभी ठीक हैं। मैं आपकी कुशलता के लिए ईश्वर से मंगल कामना करता हूं। यहां एक गिरमिटिया मजदूर के रूप में इसलिए आया था ताकि मैं अपने घर की आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकूं और आप लोगों की बुढ़ापे में अच्छी प्रकार सेवा कर सकूं। परंतु यहां आने से पता चला कि यहां का जीवन कुछ और ही है।

यहां भोजन, स्वास्थ्य और सोने के लिए मकान आदि का कोई प्रबंध नहीं है। हमें अपनी क्षमता से अधिक काम करना पड़ता है। वेतन भी बहुत कम मिलता है। यदि किसी दिन कोई गलती हो जाती है तो जुर्माना देना पड़ता है। कभी-कभी सजा भी सहन करनी पड़ती है, यहां तक की कई बार कोड़े भी पड़ जाते हैं। हमारा जीवन कष्टमय और नारकीय है।

अनुबंध समाप्त होते ही मैं घर वापस आना चाहता हूं। आप अपना, माता जी का तथा बच्चों का ख्याल रखना। शेष घर आने पर।

आपका बेटा

मनीष।

7. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित एक - एक उदाहरण दे और उनके बारे में संक्षेप में लिखें।

उत्तर - अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमयों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या इस प्रकार हैः-

1. पूंजी

2. व्यापार

3. श्रम।

1. पूंजी - इसमें पूँजी की गतिशीलता शामिल है। पूंजी के प्रवाह से पूंजीपति खदानों, उद्योगों और बागानों में निवेश करते थे। कुछ प्रमुख भारतीय पूंजीपतियों ने न केवल भारत में बल्कि अफ्रीका और कई यूरोपीय देशों में भी पूंजी का निवेश किया था।

2. व्यापार - इस प्रवाह का अर्थ है वस्तुओं का व्यापार। वाणिज्य, व्यापार, आयात और निर्यात के कारण देश की अर्थव्यवस्था में तो सुधार था ही, साथ में रोजगार के अवसर भी पैदा होते थे। ब्रिटेन में कपड़ा उद्योग कच्चे माल के लिए भारतीय कपास के निर्माता पर निर्भर था।

3. श्रम - इसमें रोजगार की तलाश में लोगों का प्रवास शामिल है। प्राचीन काल से ही श्रमिक एक स्थान से दूसरे स्थान पर आते - जाते रहते हैं। अमेरिका एवं अफ्रीका में उपनिवेश बनने के बाद भारतीय मजदूरों को अनुबंध व्यवस्था के आधार पर वहां के खेत और उद्योगों में काम करने के लिए भेजा जाता था।

8. महामंदी के कारणों की व्याख्या करें।

उत्तर - साल 1929 की वैश्विक महामंदी के कारण -

इसके प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

अति उत्पादन की समस्या- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान अमेरिका और जापान में बड़े-बड़े कल कारखाने खोले गये थे। इन कारखानों में बड़ी मात्रा में उत्पादन होता था। इनमें युद्ध के दौरान जितनी वस्तुओं का निर्माण किया जाता था, उतनी ही वस्तुओं का निर्माण युद्ध के बाद भी जारी था। जिसका परिणाम यह हुआ कि, बाजा़र में वस्तुएं भरी पड़ी थीं लेकिन उन्हें खरीदने वाला कोई नहीं था।

यह समस्या कृषि के क्षेत्र में सबसे ज़्यादा थी। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कृषि उपज के अति उत्पादन से अनाज की कीमतें बेहद निचले स्तर पर पहुंच गईं थी और किसानों की आय घट गई थी। अपनी आय के स्तर को बनाये रखने के लिये किसानों ने और अधिक उत्पादन करना शुरू कर दिया था। जिसके चलते ऐसी स्थिति आ गई थी कि बाज़ार में कृषि उपजों की आमद और बढ़ गई और कीमतें और भी कम हो गईं; लेकिन खरीदारों के न आने से अनाज पड़ा-पड़ा सड़ने लगा था।

अमेरिकी शेयर बाज़ार में गिरावट- 23 अक्टूबर 1929 को न्यूयार्क-स्टॉक एक्सचेंज में शेयरों का मूल्य अचानक से 50 अरब डॉलर गिर गया था। अमेरिकी सरकार और पूँजीपतियों के प्रयास से स्थिति कुछ ठीक हुई लेकिन अगले महीने यानी नवंबर में फिर से शेयरों की कीमत बहुत घट गई थी। शेयर बाज़ार के इस तरह से धड़ाम होने पर बड़े-बड़े निवेशकों का दिवाला निकल गया था। इसके बाद अमेरिका में जो फैसले लिये गए उनका प्रभाव अन्य देशों पर भी बहुत गहरा पड़ा था।

क़र्ज़ की समस्या- महामंदी का दूसरा कारण युद्धकालीन क़र्ज़ था। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तत्कालीन यूरोपीय राष्ट्रों ने अमेरिका से बहुत बड़ी राशि क़र्ज़ के रूप में ली थी। यहाँ तक कि, ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देश भी अमेरिकी क़र्ज़ के बोझ तले दबे हुये थे। शुरुआत में अमेरिका युद्ध में शामिल नहीं हुआ था लेकिन वह अपने मित्रराष्ट्रों को लगातार क़र्ज़ दे रहा था। पर जब अमेरिकी उद्यमियों को संकट के संकेत मिले तो उनके होश उड़ गए और अमेरिका ने साल 1929 की शरद ऋतु में यह घोषणा कर दी कि अब वह किसी भी देश को क़र्ज़ नहीं देगा। इस घोषणा का मुख्य कारण स्वयं अमेरिका में मूल्यपात था।

यह भी जानना ज़रूरी है कि, वर्ष 1928 के पहले छह माह तक विदेशों में अमेरिका का क़र्जा़ एक अरब डॉलर था, जो कि साल भर के भीतर घटकर केवल चौथाई रह गया था। जो देश अमेरिकी क़र्जे़ पर अधिक निर्भर थे उन पर गहरा संकट मंडराने लगा था। साथ ही, पूरी दुनिया की क्रयशक्ति घट गई थी।

इतना ही नहीं, अमेरिका की इस घोषणा से यूरोप के बड़े-बड़े बैंक धराशायी हो गये थे। ब्रिटेन समेत कई देशों की मुद्राओं की कीमतें बुरी तरह से गिर गईं थी। लैटिन अमेरिका एवं अन्य स्थानों पर कृषि उत्पादों और कच्चे मालों की कीमतों में भी कमी आ गई थी।

उच्च कर- अमेरिकी सरकार ने अपनी अर्थव्यवस्था को इस महामंदी से बचाने के लिये आयातित उत्पादों पर सीमा शुल्क बढ़ाकर दो गुना कर दिया था। इस फैसले ने वैश्विक व्यापार को बुरी तरह प्रभावित किया था।

धन का असमान वितरण- उस दौरान अमेरिका में 3-4% लोगों के पास करीब 50 फीसदी धन था और वही अमीर लोग अर्थव्यवस्था को नियंत्रित कर रहे थे। धन का समान वितरण न होने से अधिकांश लोग गरीब थे।

9. जी - 77 देशों से आप क्या समझते हैं। जी - 77 को किस आधार पर ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है। व्याख्या करें।

उत्तर - जी - 77 देश विकासशील देशों का एक समूह है, जिसने एक नए अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के लिए आवाज उठाई थी।

1. द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति पर दुनिया का एक बहुत बड़ा भाग यूरोपीय शक्तियों के अधीन था। अगले दो दशकों में एशिया और अफ्रीका के अधिकतर उपनिवेश स्वतंत्र राष्ट्र बन चुके थे।

2. ये सभी देश गरीबी और संसाधनों की कमी से जूझ रहे थे। उनकी अर्थव्यवस्था और लंबे समय तक औपनिवेशिक शासन के कारण अस्त - व्यस्त हो चुके थे।

3. आई. एम. एफ. और विश्व बैंक का गठन केवल औद्योगिक देशों की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया था। भूतपूर्व उपनिवेशों में गरीबी की समस्या और विकास की कमी से निपटने में दक्ष नहीं थे, अर्थात स्वतंत्र नहीं थे।

4. यूरोप और जापान अपनी अर्थव्यवस्थाओं के पुनर्गठन के लिए आईएमएफ और विश्व बैंक पर निर्भरता नहीं दिखा रहे थे, इसी कारण 1950 के दशक के आखिरी वर्षों में ब्रेटन वुड्स संस्थान विकासशील देशों पर भी और अधिक ध्यान देने लगी।

5. संसार के अल्पविकसित भाग पश्चिमी साम्राज्यों के उपनिवेश थे जिन्हें स्वाधीन राष्ट्र के रूप में भी गरीबी और पिछड़ेपन से छुटकारा पाने के लिए अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से सहायता लेनी पड़ी। जिन पर भूतपूर्व औपनिवेशिक शक्तियों का ही प्रभाव था।

6. अधिकतर विकासशील देशों को पचास और साठ के दशक में पश्चिमी अर्थव्यवस्था की तेज प्रगति से कोई लाभ नहीं हुआ। इस बात को ध्यान में रखते हुए उन्होंने एक नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के लिए आवाज उठाई और समूह 77 के रूप में संगठित हो गए।

इस सरकार से जी - 77 को ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है।

परियोजना कार्य

1. उन्नीसवीं सदी के दौरान दक्षिण अफ्रीका में स्वर्ण हीरा खदानों के बारे में और जानकारियां इकट्ठी करें। सोना और हीरा कंपनियों पर किसका नियंत्रण था? खनिक लोग कौन थे और उनका जीवन कैसा था?

हल - उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान, जोहान्सबर्ग में सोने और किम्बरली में हीरे की खोज की गई थी। इसके बाद, यूरोपीय प्रवासियों ने दक्षिण अफ्रीका में सोने और हीरे का खनन शुरू किया। 1886 के बाद से, खनन व्यवसाय अत्यधिक लाभदायक हो गया। वास्तव में, दक्षिण अफ्रीका ने 1886 से 1914 तक (प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत तक) दुनिया के 27% सोने का उत्पादन किया। सेसिल रोड्स सोने और हीरे के खनन का अधिकार हासिल करने वाले पहले ब्रिटिश थे और उन्होंने उपनिवेशित भूमि पर नियंत्रण स्थापित किया। उस ने डी बीयर्स नामक हीरा कंपनी की स्थापना की, जो अब दुनिया की सबसे बड़ी हीरा उत्पादक कंपनी है। खनन कंपनियों को यूरोपीय और अमेरिकियों दोनों द्वारा नियंत्रित किया गया था क्योंकि साम्राज्यवाद के उच्चतम दौर में कई गोरे दक्षिण अफ्रीका में बस गए थे। उनका उद्देश्य खनन उद्योग से भारी मुनाफा कमाना था। उनके द्वारा तकनीकी प्रगति और सर्वोत्तम खनन तकनीकें लाई गईं।

खनिक - खनन क्षेत्रों में, श्रमिक मुख्य रूप से अफ्रीकी मूल के थे और उनमें से अधिकांश औपनिवेशिक क्षेत्र के अन्य हिस्सों से दक्षिण अफ्रीका लाए गए थे। इनकी स्थिति बड़ी दयनीय होती थी। उनसे अत्यधिक कार्य लिया जाता था। इनकी सुरक्षा का ध्यान नहीं रखा जाता था। इनको बाड़ो में बंद कर दिया जाता था तथा इनको खुलेआम घूमने-फिरने नहीं दिया जाता था। यदि कोई मजद्गूर भागने का प्रयास करता तो उसे पकड़ लिया जाता था तथा कठोर दंड दिया जाता था, कभी-कभी तो जान से भी मार दिया जाता था।

मूल अफ्रीकी कामगारों को गोरे कामगारों की तुलना में 10 गुना कम वेतन दिया जाता था। दक्षिण अफ्रीका में सोने और हीरे के खनन कार्यों की शुरुआत ने 1890 के दशक से रंगभेद आंदोलन (नस्लवाद आंदोलन) का विकास किया। 1889 में, यूरोपीय औद्योगिक देशों द्वारा मूल अफ्रीकी लोगों के वेतन को कम करने के लिए चैंबर ऑफ माइन्स की स्थापना की गई थी। खदानों की लाभप्रदता बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया था। इसने अफ्रीकी अश्वेतों के कष्टों को और बढ़ा दिया क्योंकि वे रंगभेद आंदोलन और मौद्रिक दिवालियेपन के संपर्क में थे।

2. जब हम कहते हैं कि सोलहवीं सदी में दुनिया सिकुड़ने लगी थी तो इसका क्या तात्पर्य है?

उत्तर- जब हम कहते हैं कि सोलहवीं सदी में दुनिया सिकुड़ने लगी थी तो इसका तात्पर्य है कि - विश्व के विभिन्न महाद्वीपों के व्यक्तियों के मध्य पारस्परिक सम्बन्धों में वृद्धि होना।

3. फ्लो चार्ट के माध्यम से दर्शाइए कि जब ब्रिटेन ने खाद्य पदार्थों के आयात का निर्णय लिया तो उसके कारण अमेरीका और ऑस्ट्रेलिया की ओर पलायन करने वालों की संख्या क्यों बढ़ने लगी?

हल - फ्लो चार्ट



4. कल्पना कीजिए कि आप आयरलैंड से अमरीका में आए एक खेत मजदूर हैं। इस बारे में एक पैराग्राफ लिखिए कि आपने यहाँ आने का फेसला क्यों किया और अब आप अपनी रोजी - रोटी कमाने के लिए क्या करते हैं?

हल - नमस्ते! मैं एंड्रयू हूं । मैं आयरलैंड का निवासी हूं और अपने देश में किसान का काम करता था। मैं रविवार को ही अमेरिका पहुंचा हूं। आयरलैंड में रोजगार और भोजन की कमी की समस्या तीव्र गति से बढ़ रही है। इस वजह से मुझे यहाँ आना पड़ा। बहुत से लोग नौकरी के अवसरों की तलाश में इस नई दुनिया की ओर पलायन कर रहे हैं। सस्ते खाद्य पदार्थों के आयात ने हमारे देश में बेरोजगारी की समस्या को जन्म दिया। अतः रोजगार की तलाश में, मैंने अमेरिका जाने का फैसला किया। नई दुनिया में, लोगों को कृषि भूमि के बड़े हिस्से पर काम करने का अवसर मिलेगा। अमेरिका में मैं अपने मालिक के खेत के पास रहता हूं और उसके खेत में फसल उगाता हूं। मैं अब खुशी-खुशी नौकरी कर रहा हूं और मेरे घर में अब रोटी रख सकता हूं।

5. पटसन (जूट) उगाने वालों के विलाप में पटसन की खेती से किसके मुनाफे का जिक्र आया है? स्पष्ट कीजिए।

हल - पटसन (जूट) उगाने वालों के विलाप में पटसन की खेती से व्यापारी और बिचौलियों के मुनाफे का जिक्र आया है क्योंकि वे पटसन उगाने वालों को कम दाम का भुगतान करते थे। बंगाल के जूट/पटसन उगाने वाले उत्पादकों की हालत बिगड़ती जा रही थी क्योंकि वे कच्चा पटसन उगाते थे। जब टाट का निर्यात बन्द हो गया तो कच्चे पटसन की कीमत 60 प्रतिशत से भी ज्यादा गिर गयी, किसानों ने दिन फिरने की उम्मीद में या बेहतर आमदनी के लिए उपज बढ़ाने के वास्ते कर्ज ले लिए। वे दिनोंदिन कर्ज में डूबते जा रहे थे। इसी विपत्ति को ध्यान में रखते हुए कवि काश्तकारों से कहता है कि चाहे तुम कितनी भी मेहनत कर लो पर जब फसल कटेगी तब इसकी कुछ भी कीमत नहीं रहेगी। बनिए लोग तुम्हें उसका 5 रुपया मन देंगे तथा खुद सारा मुनाफा ले लेंगे। अतः इस विलाप में बनियों के मुनाफे का जिक्र आया है जो किसानों, काश्तकारों से फसल खरीद कर अंग्रेजों को बेचा करते थे।

6. संक्षेप में बताएं कि दो महायुद्धों के बीच जो आर्थिक परिस्थितियां पैदा हुईं उनसे अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं ने क्या सबक सीखे?

हल - दो महायुद्धों के बीच मिले आर्थिक अनुभवों से अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं ने दो अहम सबक सीखे -

(1) औद्योगिक देशों की आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित करना होगा।

(2) बाहरी दुनिया के साथ आर्थिक सम्बन्धों में पूर्ण रोजगार, पूँजी की आवाजाही को नियंत्रित रखना होगा।

अतः एक अंतर्राष्ट्रीय स्वीकृति वाला फ्रेमवर्क तैयार करना होगा। जिसके आधार पर विश्व अर्थव्यवस्था के सुधार हेतु सहमति बने।

01 अंक के लिए प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

1. प्राचीन काल में दुनिया को जोड़ने वाले पहले लोग कौन थे और क्यों?

(अं) पुजारी और तीर्थयात्रियों ने ज्ञान और आध्यात्मिक पूर्ति के लिए विशाल दूरी तय की

(ब) यात्रियों, व्यापारियों, पुजारियों और तीर्थयात्रियों ने ज्ञान, अवसर, आध्यात्मिक पूर्ति के लिए या उत्पीड़न से बचने के लिए विशाल दूरी तय की

(स) व्यापारी

(द) उपरोक्त सभी

2. ‘वैश्वीकरण’ आज मुख्य रूप से संदर्भित करता हैः

(अ) व्यापार, काम की तलाश में लोगों का प्रवास                             (ब) पूंजी का संचालन

(स) एक आर्थिक प्रणाली जो पिछले 50 वर्षों में उभरी है                    (द) वैश्विक समाजों के बीच सांस्कृतिक संबंध

3. 3000 ईसापूर्व सिंधु घाटी की सभ्यता के व्यापारिक संबंध थेः

(अ) पश्चिमी एशिया से            (ब) पूर्वी एशिया से                (स) मध्य एशिया से               (द) यूरोप से

4. मुद्रा के रूप में इस्तेमाल की जाने वाली कौड़ियों को किस स्थान से प्राप्त किया जाता था?

(अ) मालदीव                       (ब) श्रीलंका                         (स) चीन                             (द) पूर्वी अफ्रीका

5. ‘वैश्वीकरण’ आज मुख्य रूप से संदर्भित करता हैः

(अ) व्यापार, काम की तलाश में लोगों का प्रवास                             (ब) पूंजी का संचालन

(स) एक आर्थिक प्रणाली जो पिछले 50 वर्षों में उभरी है                    (द) वैश्विक समाजों के बीच सांस्कृतिक संबंध

6. बीमारी फैलाने वाले कीटाणुओं का दूर-दूर पहुँचने का इतिहास कब तक का ज्ञात है?

(अ) पांचवी सदी ई.पू.            (ब) सातवीं सदी ईसवी           (स) तेरहवीं सदी ईसवी           (द) इक्कीसवी सदी

7. पश्चिमी तट के क्षेत्र में पाई गई नवीं सदी के बाद की स्मृतिशिलाओं पर बने जलपोतों की तस्वीरों से मुख्यतः क्या जानकारी प्राप्त होती है?

(अ) मूर्तिकला के इतिहास की                                 (ब) पत्थरों पर नक्काशी के ज्ञान की

(स) प्राचीन कालीन समुद्री व्यापार की                       (द) जलपोत निर्माण की

8. एशिया को यूरोप और अफ्रीका से जोड़ने वाले प्राचीन मार्ग को क्या कहते हैं?

(अ) महाद्वीपीय मार्ग              (ब) रेशम मार्ग                   (स) यूरेशियन मार्ग                    (द) चीनी महामार्ग

9. रेशम मार्ग में किस देश के रेशम का व्यापार होता था?

(अ) चीन                            (ब) जावा                  (स) भारत                 (द) जापान

10. रेशम मार्ग का विस्तार था

(अ) केवल स्थल पर              (ब) केवल समुद्रों पर              (स) स्थल और समुद्रों दोनों पर                 (द) केवल राजमार्ग पर

11. रेशम मार्ग का अस्तित्व कब से कब तक रहा?

(अ) ईसापूर्व से पंद्रहवीं सदी तक                             (ब) सातवीं सदी से सोलहवीं सदी तक

(स) उन्नीसवीं सदी तक                                         (द) बीसवीं सदी तक

12. निम्नलिखित में से किसने शुरूवाती समय में रेशम मार्ग से यात्रा नहीं की होगी?

(अ) व्यापारी                        (ब) ईसाई मिशनरी                 (स) मुस्लिम धर्मोपदेशक                    (द) पर्यटक

13. नूडल्स पर आधारित पश्चिमी झटपट तैयार होने वाला खाद्य पदार्थ है -

(अ) पास्ता                          (ब) सत्तू                              (स) स्पैघेत्ती                         (द) सिवैइयां

14. नूडल्स किस देश से विश्व में पहुंचा?

(अ) अरब                           (ब) इटली                           (स) चीन                             (द) जापान

15. आलू, सोया, मूंगफली,मक्का,टमाटर,मिर्च,षकरकंद आदि लगभग कितने साल पहले हमारे पूर्वजों के पास नहीं थे?

(अ) 500 वर्ष पहले               (ब) 400 वर्ष पहले                (स) 300 वर्ष पहले                (द) 200 वर्ष पहले

16. आलू, सोया, मूंगफली,मक्का,टमाटर,मिर्च,शकरकंद आदि मूलतः कहाँ पाए जाते थे?

(अ) यूरोप                           (ब) अमेरिका                       (स) अफ्रीका                        (द) ऑस्ट्रेलिया

17. स्पैघेती क्या है?

(अ) झटपट तैयार होने वाला खाद्य पदार्थ                             (ब) देर से तैयार होने वाला खाद्य पदार्थ

(स) सोया बड़ी की तरह का एक खाद्य व्यंजन                        (द) मांसाहारी खाद्य व्यंजन

18. नूडल्स का मूल स्थान है

(अ) चीन                            (ब) भारत                  (स) इटली                           (द) जापान

19. अमेरिका से क्या तात्पर्य है?

(अ) उत्तरी अमेरिका               (ब) दक्षिणी अमेरिका             (स) कैरेबियन द्वीप समूह                    (द) उपरोक्त सभी

20. आलू का अकाल किस देश में पड़ने पर 1840 को लाखों लोग भुखमरी के कारण मारे गए?

(अ) नीदरलैंड                       (ब) आयरलैंड                      (स) इंग्लैंड                           (द) पोलैंड

21. 1845-1849 के बीच आयरलैंड में लाखों लोगों की मौत का क्या कारण था?

(अ) आलू अकाल                (ब) चेचक बीमारी                 (स) विदेशी आक्रमण             (द) सूखा

22. दक्षिण अमेरिका में एल डोराडो क्या है?

(अ) वह स्थान जहाँ कोलंबस उतरा था            (ब) जहाँ चांदी की खदानें थीं

(स) सोने का शहर                                     (द) एक प्रसिद्ध दास बाज़ार

23. पेरू और मैक्सिको क्यों प्रसिद्ध है?

(अ) कीमती धातु की खदानों के लिए             (ब) दास व्यापार के लिए

(स) कृषि उत्पादन के लिए                           (द) विदेशी व्यापार के लिए

24. अमेरिका को उपनिवेश बनाने की शुरूवात किसने की?

(अ) पुर्तगालों ने                    (ब) स्पैनिशों ने           (स) दोनों ने                (द) दोनों ने नहीं

25. चेचक के कीटाणुओं के कारण किस देश को पराजय का सामना करना पड़ा?

(अ) भारत                           (ब) जापान                (स) ऑस्ट्रेलिया                    (द) अमेरिका

26. कॉर्न लॉ का संबंध किस देश से है?

(अ) ब्रिटेन                           (ब) रूस                   (स) जर्मनी                           (द) अमेरिका

27. उन्नीसवीं सदी में यूरोप के लगभग कितने लोग अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में जाकर बस गए?

(अ) लगभग पांच लाख          (ब) लगभग पांच करोड़           (स) लगभग पांच अरब           (द) लगभग दस करोड़

28. ब्रिटिश सरकार ने पंजाब की भूमि को किन फसलों के उत्पादन कर ब्रिटेन निर्यात हेतु चुना?

(अ) गेंहूँ और कपास              (ब) गन्ना और सोयाबीन         (स) चावल और दाल             (द) मक्का और बाजरा

29. आरंभिक बीसवीं सदी के विश्व व्यापार में प्राथमिक उत्पादों ( गेहूँ, कपास और कोयला) का हिस्सा कितने प्रतिशत था?

(अ) 50 प्रतिशत                   (ब) 60 प्रतिशत                    (स) 70 प्रतिशत                    (द) अस्सी प्रतिशत

30. लंदन का सबसे पुराना पशु बाजार कहाँ लगता था?

(अ) बर्मिंघम                        (ब) लीडस                          (स) स्मिथफील्ड                   (द) ग्लासगो

31. अफ्रीकी महाद्वीप के देशों का बंटवारा किस सम्मेलन में हुआ?

(अ) वियना सम्मेलन              (ब) बर्लिन सम्मेलन               (स) फ्रैंकफर्ट सम्मेलन             (द) वाशिंगटन सम्मेलन

32. रिंडरपेस्ट क्या था?

(अ) एक नगर                       (ब) एक रोग                        (स) एक व्यक्ति                     (द) एक व्यापार

33. किस महाद्वीप के लोग उन्नीसवीं सदी तक आजीविका के लिए वेतन और पैसे पर निर्भर नहीं होते थे?

(अ) अमेरिका                      (ब) ऑस्ट्रेलिया                    (स) अफ्रीका                        (द) यूरोप

34. होसे क्या है?

(अ) त्रिनिदाद में मुहर्रम का जुलुस                            (ब) एक तरह का दास व्यापार

(स) तमिल अप्रवसियों की श्रीलंका यात्रा                   (द) अफ्रीकी पशु मेला

35. रास्ताफारियानवाद क्या है?

(अ) एक विशाल यात्रा           (ब) एक विद्रोही धर्म              (स) एक सूफी संगीत              (द) एक प्रसिद्ध दास बाज़ार

36. गिरमिटिया मजदूर व्यवस्था को कब समाप्त किया गया?

(अ) 1857 में                       (ब) 1921 में                       (स) 1942 में                       (द) 1947 में

37. श्रॉफ और चेट्टियार कौन थे?

(अ) मजदूर और किसान          (ब) बैंकर और व्यापारी           (स) किसान और चरवाहे          (द) मजदूर और उद्योगपति

38. हैदराबादी सिंधी व्यापारियों ने कब बंदरगाहों पर बड़े - बड़े एम्पोरियम खोल दिए?

(अ) 1780 के दशक में           (ब) 1860 के दशक में            (स) 1910 के दशक में           (द) 1930 के दशक में

39. ब्रिटेन की सरकार भारत में उपजने वाली अफीम का निर्यात किस देश को करती थी?

(अ) फ्रांस                           (ब) रूस                             (स) चीन                   (द) जापान

40. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान निम्नलिखित देशों में से किसे धुरी शक्तियाँ माना गया ?

(अ) नात्सी जर्मनी, जापान, इटली                            (ब) ब्रिटेन, जर्मनी, रूस

(स) फ्रांस, जर्मनी, इटली                                       (द) ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और अमेरिका

41. अमेरिका के मास प्रोडक्सन (बृहत उत्पादन) पद्धति से बनी पहली कार कौन सी थी?

(अ) टी – मॉडल                   (ब) वोल्कसवेगन                  (स) सुजुकी                (द) फोर्ड

42. आर्थिक महामंदी की शुरूवात कब से हुई ?

(अ) 1919                          (ब) 1929                          (स) 1939                (द) 1949

43. किस युद्ध ने अमेरिका को कर्जदार से कर्जदाता देश बना दिया? ?

(अ) प्रथम विश्व युद्ध           (ब) बाल्कन युद्ध                   (स) शीत युद्ध             (द) वाटरलू का युद्ध

44. 1920 के दशक के मध्य बहुत सारे देशों ने किस देश से कर्जे लेकर अपनी निवेश संबंधी जरूरतों को पूरा किया?

(अ) ब्रिटेन                           (ब) चीन                             (स) फ्रांस                  (द) अमेरिका

45. द्वितीय विश्व युद्ध में मारे गए लोगों की संख्या का प्रतिशत कुल जनसंख्या की तुलना में कितना था ?

(अ) 2 प्रतिशत                     (ब) 3 प्रतिशत                      (स) 4 प्रतिशत            (द) 5 प्रतिशत

46. ब्रेटन वुड्स कहां स्थित है?

(अ) ब्रिटेन                           (ब) रूस                             (स) अमेरिका             (द) जापान

47. ब्रेटन वुड्स की जुड़वा (ब्रेटन वुड्स ट्विन) संतान कहते हैं -

(अ) विश्व बैंक और आई एम एफ                            (ब) अमेरिका और रूस

(स) इटली और जर्मनी                                          (द) डॉलर और रूपिया

48. ब्रेटन वुड्स की जुड़वा संतान की प्रतिक्रिया किसे कहते हैं -

(अ) नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली                        (ब) वीटो

(स) एम एन सी                                                   (द) ट्रेड यूनियन

49. विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के निर्णयों पर वीटो करने का अधिकार किस देश के पास है?

(अ) चीन                  (ब) रूस                   (स) ब्रिटेन                 (द) अमेरिका

50. इनमें से कौन सा ब्रेटन वुड्स सम्मेलन का परिणाम है -

(अ) अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन                         (ब) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष

(स) यूनेस्को                                             (द) सुरक्षा परिषद

51. विदेशी व्यापार में लाभ और घाटे से निपटने के लिए बनाया गया वित्तीय संगठन है

(अ) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष                 (ब) विश्व बैंक             (स) जी-77               (द) एम एन सी

52. द्वितीय विश्व युद्व के दौरान केन्द्रीय शक्ति समूह वाले देश -

(अ) जर्मनी, इटली, जापान                                     (ब) ऑस्ट्रिया, जर्मनी, इटली

(स) फ्रांस, जापान, इटली                                       (द) जापान, जर्मनी, तुर्की

53. इनमें से मित्र राष्ट्र कौन थे -

(अ) जर्मनी, इटली, जापान                                     (ब) ब्रिटेन,फ्रांस,रूस

(स) फ्रांस, जापान, इटली                                       (द) जापान, जर्मनी, तुर्की

54. लंबी दूरी तक खराब होने वाली वस्तुओं को ले जाना संभव हुआ -

(अ) रेल्वे में सुधार से                                            (ब) हवाई सेवाओं के विस्तार से

(स) भाप इंजन की खोज से                                    (द) वातानुकूलित जहाजों के निर्माण से

55. अफ्रीकी लोगों पर यूरोपीय लोगों ने नियंत्रण कैसे हासिल किया?

(अ) युद्ध में जीत कर                                            (ब) पशुधन पर नियंत्रण स्थापित कर

(स) रिंडरपेस्ट बीमारी के कारण                               (द) जादू टोना करके

56. महामंदी का आरंभ किस देश से और कब हुआ?

(अ) जर्मनी, 1929                (ब) ब्रिटेन,1930                   (स) भारत,1926                  (द) अमेरिका,1929

57. विकासशील देशों ने अपनी आर्थिक प्रणाली मजबूत करने कौन सा संगठन बनाया?

(अ) G -77              (ब) World Bank            (स) FICCI             (द) IMF

58. अठारहवीं सदी तक दुनिया के सबसे धनि देश होते थे -

(अ) जर्मनी और ब्रिटेन            (ब) ब्रिटेन और फ्रांस              (स) भारत और चीन               (द) चीन और जापान

59. निम्नलिखित में से कौन नोबल पुरूस्कार विजेता है?

(अ) शिवनरैन चंद्रपॉल            (ब) रामनरेश सरवन               (स) रामेश धवन                    (द) वी.एस.नायपॉल

60. एक साथ अभूत से देशों में काम करने वाली कम्पनी -

(अ) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष       (ब) विश्व बैंक                       (स) जी-77                         (द) एम एन सी

61. अंतर्राष्ट्रीय पुर्ननिर्माण और विकास बैंक जिसका गठन विश्व युद्ध के बाद पुर्ननिर्माण के लिए पैसे जुटाने के उद्देश्य से किया गया था।

(अ) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष       (ब) विश्व बैंक                       (स) जी-77                         (द) एम एन सी

62. शुरूवाती बहुराष्ट्रीय कंपनियों की स्थापना कब हुई?

(अ) 1950 के दशक में           (ब) 1940 के दशक में            (स) 1930 के दशक में           (द) 1920 के दशक में

63. वैश्वीकरण के आरंभ का एक प्रमुख पहलु है -

(अ) औपनिवेशीकरण                                 (ब) विनिमय दरों में सुधार होना          

(स) आपसी प्रतिस्पर्धा                                (द) उद्योगों का कम वेतन वाले देशों में ले जाना

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -

1. बौद्ध धर्म का जन्म .............. देश में हुआ था। (चीन/भारत)

2. क्रिस्टोफर कोलम्बस ने ................. देश की खोज की। (अमेरिका/भारत)

3.................... को उपनिवेशीकरण में सहयोगी जैविक हथियार माना जाता है।(कोरोना/चेचक)

4. 1890 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था की निर्भरता ................ पर थी। (कृषि/उद्योग)

5. भारत में केनॉल बस्तियों का निर्माण ................ राज्य में किया गया। (पंजाब/राजस्थान)

6. अफ्रीका पर कब्जा जमाने के लिए 1885 में .............. में एक बैठक हुई थी।(बर्लिन/लंदन)

7. वेतन की अपेक्षा जमीन और पालतु पशुओं पर निर्भरता वाला महाद्वीप ........... था।(अफ्रीका/अमेरिका)

8. एरिट्रिया ........................ जगह पर स्थित है। (पूर्वी अफ्रीका/पश्चिमी अफ्रीका)

9. अफ्रीका के पूर्व में ................. महासागर स्थित है। (अटलांटिक/प्रशांत)

10. स्टैनली अमेरीका के निवासी थे। उनका व्यवसाय ..................... था। (पत्रकार/व्यापार)

सही जोड़ी बनाइए –

स्तम्भ ‘क’

स्तम्भ ‘ख’

    1-   क्रिस्टोफर कोलम्बस

क. गिरमिटिया मजदूर के वंशज

    2-   रामनरेश सरवन

ख. अमेरीका की खोज

    3-   हेनरी मॉर्टन स्टैनली

ग. लंदन का पशु बाजार

    4-   स्मिथफील्ड

घ. अमेरीकी अन्वेषणकर्ता

    5-   जॉन मीनॉर्ड कीन्स

च. ब्रेटनवुड्स

    6-   माउंट वाशिंगटन होटल

छ. एक अर्थशास्त्री

                        

एक वाक्य/शब्द में उत्तर दीजिए -

1. 3000 ईसापूर्व सिंधुघाटी सभ्यता से जुड़ा क्षेत्र कौन सा था?

2. सिसली कहाँ स्थित है?

3. खोजे जाने के पूर्व लाखों साल तक दुनिया के सम्पर्क में नहीं आना वाला देश कौन सा था?

4. पेरू और मैक्सिको की खदानों से कौन सा खनिज निकलता था?

5. अमेरिका को सबसे पहले किन यूरोपीय देशों ने अपना उपनिवेश बनाया?

6. प्रथम विश्वयुद्ध में मित्र देश कौन कौन थे?

7. प्रथम विश्व युद्ध में धुरी राष्ट्र कोन कौन थे?

8. अमेरिका की खोज किसने की थी?

9. उत्तरी अमेरीका, दक्षिणी अमेरिका और कैरिबियन द्वीप समूह मिलकर क्या कहलाए?

10. विश्व व्यापार में चीन की भूमिका घटने के कारण किस देश का महत्व बढ़ा?

11. अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक विनिमय के तीन प्रमुख प्रवाह कोन से हैं?

12. अनुबंधित श्रमिक व्यवस्था को कब समाप्त कर दिया गया?

13. 1860 के दशक में किन भारतीयों ने दुनिया भर के बंदरगाहों पर अपने एम्पोरियम खोले?

14. ब्रेटनवुड्स किस देश में स्थित है?

15. हिटलर ने रूस पर हमला कब किया था?

16. मई 1634 में किसने लिखा था कि ‘‘छोटी चेचक उपनिवेषकारों के लिए ईश्वर का वरदान है।’’ - जॉन विनथॉर्प

17. हेनरी मार्टन स्टेनली कौन था? - अमेरीकी खोजी पत्रकार

18. किस गिरमिटिया मजदूर के भारतीय वंशज को नोबल पुरूस्कार मिला ? - वी.एस.नायपॉल

19. मुद्रा के एक प्रारंभिक रूप का नाम बताइए।   

20. रोग वाहक कीटाणुओं के लंबी दूरी के फैलाव का पता किस सदी तक लगाया जा सकता है? सातवीं शताब्दी।

सत्य/असत्य लिखिए -

1. सत्तर के दशक में एशियाई देशों में बेरोजगारी बढ़ने लगी। सत्य

2. पचास और साठ के दशक में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का विश्वव्यापी प्रसार हुआ। सत्य

3. प्रथम विश्वयुद्ध को द्वितीय आधुनिक युद्ध भी कहा जाता है। असत्य

4. प्राचीनकाल से ही भारतीयों ने अपने पड़ौसियों से संबंध बना रखे थे। सत्य

5. फ्रांस की खोज क्रिस्टोफर कोलम्बस ने की। असत्य

6. गिरमिटिया मजदूर व्यवस्था को नयी दास प्रथा का नाम दिया गया । सत्य

उत्तरमाला

बहुविकल्पीय प्रश्न

1

12

23

34

45

56

2

13

24

35

46

57

3

14

25

36

47

58

4

15

26

37

48

59

5

16

27

38

49

60

6

17

28

39

50

61

7

18

29

40

51

62

8

19

30

41

52

63

9

20

31

42

53

10

21

32

43

54

11

22

33

44

55

                   

 रिक्त स्थानों की पूर्ती

1.भारत , 2.अमेरिका, 3.- चेचक, 4. कृषि, 5.पंजाब,

6.- बर्लिन, 7.अफ्रीका, 8. - पूर्वी अफ्रीका , 9.अटलांटिक, 10. - पत्रकार

सही जोड़ी

1.       , 2. क, 3. घ, 4. ग, 5. छ, 6. च

 एक वाक्य में उत्तर

1.पश्चिम एशिया, 2.इटली।, 3.अमेरिका, 4.चांदी, 5.पुर्तगाल और स्पेन, 6.ब्रिटेन,फ्रांस और रूस

7.जर्मनी, तुर्की और ऑस्ट्रिया-हंगरी , 8.क्रिस्टोफर कोलम्बस, 9.अमेरिका, 10.अमेरिका

11.वस्तु प्रवाह, श्रम प्रवाह, पूंजी प्रवाह, 12.1921 में, 13.हैदराबादी सिंधी व्यापारी, 14.अमेरिका, 15.जुलाई 1941 को

16.  जॉन विनथॉर्प, 17. अमेरीकी खोजी पत्रकार, 18. वी.एस.नायपॉल, 19. कौड़ी    , 20. सातवीं शताब्दी।

सत्य/असत्य

1. – सत्य, 2. -  सत्य, 3. – असत्य, 4. – सत्य, 5. – असत्य, 6. - सत्य

===००===

अतिलघु उत्तरीय प्रश्न (2 अंक) 

(e-Classes By Manish Sir)

प्रश्न 1. भूमंडलीकरण या वैश्वीकरण से क्या तात्पर्य है?

उत्तर - एक देश की अर्थव्यवस्था को दूसरे देश की अर्थव्यवस्था से तथा संपूर्ण विश्व के विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्था का एक-दूसरे से विभिन्न क्षेत्रों के माध्यम से जुड़ा होना ही भूमंडलीकरण या वैश्वीकरण कहलाता है।

प्रश्न 2. प्राचीन काल में मानव समाज आपस में कैसे जुड़े थे?

उत्तर - प्राचीन काल में मानव समाज यात्रियों, व्यापारियों, पुजारियों और तीर्थयात्रियों द्वारा आपस में जुड़े हुए थे जिन्होंने ज्ञान, अवसर और आध्यात्मिक पूर्ति के लिए या उत्पीड़न से बचने के लिए बहुत दूर की यात्रा की।

प्रश्न 3. सबसे पुराना समुद्री व्यापार में भारत की सक्रियता कैसे ज्ञात होती है?

उत्तर - 3000 ईसा पूर्व में सिंधु घाटी सभ्यताआ का व्यापार वर्तमान पश्चिम एशिया के साथ होता था।

प्रश्न 4. सिल्क रूट से किन चीजों का आदान - प्रदान होता था?

उत्तर - सिल्क रूट से चीनी पॉटरी, भारत व दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से मसाला व कपड़े दुनिया के दूसरे भागों में पहुचते थे तथा सोना और चांदी भारत आते थे।

प्रश्न 5. रेशम मार्ग क्यों महत्त्वपूर्ण था?

उत्तर- रेशम मार्ग एक ऐसा मार्ग था जो एशिया के विशाल भागों को परस्पर जोड़ने के साथ ही यूरोप तथा उत्तरी अफ्रीका से जा मिलता था। यह मार्ग ईसा पूर्व में ही अस्तित्व में आ चुका था और लगभग 15वीं शताब्दी तक अस्तित्व में था, इस मार्ग से अधिकांशतः रेशम का व्यापार होता था इसलिए इसे रेशम मार्ग कहा जाता था।

प्रश्न 6. यूरोप में सबसे गरीब लोगों के जीवन पर आलू का क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर - आलू की नई फसलों ने यूरोप में गरीबों के जीवन में एक बड़ा बदलाव किया क्योंकि वे बेहतर खाने लगे और लंबे समय तक जीवित रहे। आयरलैंड में सबसे गरीब किसान इतने निर्भर हो गए कि 1840 के दशक के मध्य में जब बीमारी ने आलू की फसल को नष्ट कर दिया, तो हजारों लोग भूख से मर गए।

प्रश्न 7. 16वीं शताब्दी में अमेरिका की खोज ने व्यापार और जीवन को हर जगह कैसे बदल दिया? एक उदाहरण दीजिए।

उत्तर - वर्तमान पेरू और मैक्सिको में स्थित खानों से कीमती धातुओं, विशेष रूप से चांदी, ने यूरोप की संपत्ति को बढ़ाया और एशिया के साथ अपने व्यापार को वित्तीय रूप से पोषित किया।

प्रश्न 8. अमेरिका को जीतने में स्पेनिश विजेताओं का सबसे शक्तिशाली हथियार कौन सा था?

उत्तर - स्पेनिश विजेताओं का सबसे शक्तिशाली हथियार पारंपरिक सैन्य हथियार बिल्कुल नहीं था। यह चेचक जैसे रोगाणु थे जिससे अमेरीका के अस्सी प्रतिशत मूल निवासी खत्म हो गए।

प्रश्न 9. उन्नीसवीं सदी में यूरोप के लोग यूरोप को छोड़ अमेरिका क्यों गए?

उत्तर - इसके कारण गरीबी, भूख, बीमारियाँ, धार्मिक संघर्ष और धार्मिक असंतुष्टों का उत्पीड़न थे।

प्रश्न 10. अमेरिका में अठारहवीं शताब्दी तक, बागान कैसे काम करते थे और वहां क्या उगाया जाता था?

उत्तर - अठारहवीं शताब्दी तक अमेरिका में, अफ्रीका से पकड़े गए दासों द्वारा वृक्षारोपण का काम किया जाता था। वे यूरोपीय बाजारों के लिए कपास और चीनी उगाते थे।

प्रश्न 11. कॉर्न लॉ क्या थे? उन्हें क्यों पारित किया गया?

उत्तर - सरकार को कॉर्न (मकई) के आयात को प्रतिबंधित करने की अनुमति देने वाले कानूनों को कॉर्न ला के रूप में जाना जाता था। जमींदार समूहों के दबाव में सरकार ने ये कानून पारित किए थे।

प्रश्न 12. ब्रिटेन में भोजन की बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए उठाए गए दो कदमों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर - ब्रिटिश मांग को पूरा करने के लिए खाद्य उत्पादन का विस्तार करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए गए -

1. पूर्वी यूरोप, रूस, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भूमि को मंजूरी दी गई थी।

2. नए बंदरगाहों का निर्माण किया गया और नई गोदियों का विस्तार माल ढुलाई हेतु किया गया।

प्रश्न 13. भारत में केनाल कालोनी किस प्रांत में बनाई गई?

उत्तर - केनॉल कालोनियों में नई नहरों द्वारा सिंचित क्षेत्र शामिल थे। इन्हें पंजाब के अन्य हिस्सों के किसानों द्वारा बसाया गया था।

प्रश्न 14. यूरोपियन अफ्रीका की ओर क्यों आकर्षित हुए ?

उत्तर - भूमि और खनिजों के विशाल संसाधनों के कारण यूरोपीय लोग अफ्रीका की ओर आकर्षित हुए। वे यूरोप को निर्यात के लिए फसलों और खनिजों का उत्पादन करने के लिए वृक्षारोपण और खान स्थापित करने की आशा रखते थे।

प्रश्न 15. गिरमिटिया-मजदूर से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर - एक अनुबंध जिस पर हस्ताक्षर करने के बाद कोई मजदूर एक निश्चित समयावधि तक अपने मालिक का बंधुआ बनकर रहता था। अनुबंध को अंग्रेजी में एग्रीमेंट कहते हैं जिस भारतीय अपनी भाषा उच्चारण में गिरमिट बोलते थे। ऐसे मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर कहा जाता था।

प्रश्न 16. उन्नीसवीं सदी में भारतीय गिरमिटिया प्रवासियों के मुख्य गंतव्य क्या थे?

उत्तर - मुख्य गंतव्य कैरेबियन द्वीप समूह थे, यानी त्रिनिदाद, गुयाना और सूरीनाम, मॉरीशस और फिजी।

प्रश्न 17.  19 वी सदी में भारतीय मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर के रूप में काम की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ा?

उत्तर - 19 वी सदी में भारतीय मजदूरों को गिरमिटिया मजदूर के रूप में काम की तलाश में पलायन करने के लिए मजबूर होना इसके कारण निम्नलिखित हैं -

1. कुटीर उद्योगों का पतन।

2. भूमि के किराए में वृद्धि।

3. खानों और वृक्षारोपण के लिए भूमि की सफाई।

प्रश्न 20. कुछ महत्वपूर्ण व्यक्तियों के नाम बताइए जो भारत से गिरमिटिया मजदूर प्रवासियों के वंशज हैं। इस व्यवस्था को कब समाप्त किया गया?

उत्तर - भारत से गिरमिटिया मजदूर प्रवासियों के वंशज

1. वी.एस. नायपॉल - नोबल पुरस्कार विजेता लेखक।

2. शिवनारायण चंद्रपॉल - क्रिकेटर।

3. रामनरेश सरवन - क्रिकेटर।

इस व्यवस्था को 1921 में समाप्त किया गया।

प्रश्न 21. कौन सी फसल भारत में उगाई जाती थी और अंग्रेजों द्वारा चीन को निर्यात की जाती थी? इसका महत्व क्या था?

उत्तरः ब्रिटेन की सरकार भारत में अफीम की खेती करवाती थी और उसे चीन को निर्यात करती थी। अफीम के निर्यात से अर्जित धन का उपयोग चीन से चाय और अन्य आयातों के लिए किया जाता था।

प्रश्न 22. ’होम चार्ज’ (देशी खर्चे) क्या थे?

उत्तर - भारत के साथ व्यापार में हमेशा ब्रिटेन को लाभ होता था। जिससे ब्रिटेन के देशी खर्च पूरे किए जाते थे। जिनमें ब्रिटिश अधिकारियों और व्यापारियों द्वारा नगद भेजना, भारत के विदेशी ऋण पर ब्याज भुगतान, और भारत में ब्रिटिश अधिकारियों की पेंशन शामिल थी।

प्रश्न 23. प्रथम विश्व युद्ध को प्रथम आधुनिक औद्योगिक युद्ध क्यों कहा जाता है ?

उत्तर - प्रथम विश्व युद्ध जिन मशीनगनों, टैंकों, वायुयानों, रासायनिक हथियारों आदि के माध्यम से लड़ा गया ये आधुनिक बड़े पैमाने के उद्योग के उत्पाद थे। अतः प्रथम विश्व युद्ध को प्रथम आधुनिक औद्योगिक युद्ध कहा जाता है।

प्रश्न 24. ’असेंबली लाइन’ विधि की एक विशेषता का वर्णन कीजिए। उत्पादन के इस तरीके की प्रेरणा कहाँ से मिली थी?

उत्तर - ’असेंबली लाइन’ पद्धति वाहनों के उत्पादन का तरीका समय और पैसे दोनों की बचत करने वाला होता था जिसमें श्रमिकों को मषीनी रूप से और लगातार एक ही कार्य को दोहराते हुए बार -बार करना पड़ता था। - जैसे कि एक विशेष भाग को कार में फिट करना - कन्वेयर बेल्ट द्वारा निर्धारित गति से। इस तरीके की प्रेरणा षिकागो के बूचड़खाने से मिली थी।

प्रश्न 25. मास प्रोडक्शन का क्या लाभ था?

उत्तर - मास प्रोडक्शन से  उत्पादन ने वस्तुओं की लागत और कीमतों को कम किया।

प्रश्न 26. महामंदी कब से कब तक हुई थी? महामंदी के लिए जिम्मेदार कोई एक कारक बताइए।

उत्तर - महामंदी 1929 के आसपास शुरू हुई और 1980 के दशक के मध्य तक चली। कृषि अतिउत्पादन और गिरती कृषि कीमतें महामंदी के लिए जिम्मेदार कारकों में से एक थीं।

प्रश्न 27. भारत पर महामंदी के दो प्रभावों का वर्णन करें।

उत्तर - भारत पर महामंदी के दो प्रभाव निम्नानुसार हुए -

1. 1928 और 1934 के बीच भारत का निर्यात और आयात लगभग आधा हो गया।

2. गेहूं की कीमतों में भी 50 फीसदी की गिरावट आई है।

प्रश्न 28. महामंदी के दौरान भारतीय किसान अपने खर्चे कैसे पूरा करते थे?

उत्तर - भारतीय किसानों ने अपनी बचत का इस्तेमाल किया, जमीनें गिरवी रखीं, और अपने खर्चों को पूरा करने के लिए जो भी आभूषण और कीमती धातुएं थीं, उन्हें बेच दिया।

प्रश्न 29. प्रसिद्ध अर्थशास्त्री जॉन मेनार्ड कीन्स ने महामंदी के दौरान भारतीय सोने के निर्यात के बारे में क्या कहा?

उत्तर - उन्होंने सोचा कि भारतीय सोने के निर्यात ने वैश्विक आर्थिक सुधार को बढ़ावा दिया है।

प्रश्न 30. जुलाई 1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन द्वारा किन संस्थानों की स्थापना की गई और क्यों?

उत्तर - जुलाई 1944 में ब्रेटन वुड्स सम्मेलन द्वारा अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और पुनर्निर्माण और विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय बैंक, जिसे विश्व बैंक के नाम से जाना जाता है, नामक संस्थानों की स्थापना की गई।

ब्रेटन वुड्स जुड़वां के रूप में जाने जाने वाले इन संस्थानों को युद्ध के बाद के निर्माण के वित्तपोषण के लिए स्थापित किया गया था।

प्रश्न 31. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए राष्ट्रों को किन समस्याओं का सामना करना पड़ा?

उत्तर - इन राष्ट्रों को नीचे वर्णित समस्याओं का सामना करना पड़ा -

1. गरीबी,

2. संसाधनों की कमी,

3. उनकी अर्थव्यवस्थाएं औपनिवेशिक शासन की लंबी अवधि से विकलांग थीं।

प्रश्न 32. नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली से क्या तात्पर्य है?

उत्तर- इसका तात्पर्य एक ऐसी व्यवस्था से था, जिसमें विकासशील देश अपने संसाधनों पर सही मायनों में नियंत्रण कर सके, जिसमें उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिले, कच्चे माल के सही दाम मिलें और अपने तैयार मालों को विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर पहुँच मिल सके।

प्रश्न 33. आयात शुल्क से क्या तात्पर्य है?

उत्तर- किसी दूसरे देश से आने वाली चीजों पर वसूल किया जाने वाला शुल्क। यह कर या शुल्क उस जगह लिया जाता है जिस जगह से वह चीज देश में प्रवेश करती है यानी सीमा पर, बंदरगाह पर या हवाई अड्डे पर।

प्रश्न 34. व्यापार अधिशेष की परिभाषा दीजिए। भारत के साथ ब्रिटेन को व्यापार अधिशेष कैसे प्राप्त होता था?

उत्तर- व्यापार अधिशेष के अन्तर्गत निर्यात की कीमत आयात से अधिक होती है। ब्रिटेन में भारत से खनिज सम्पदा और खाद्यान्न भेजा जाता था और उसके बदले में ब्रिटेन के उद्योगों में तैयार माल भारत में आयात होता था उसकी बाजार कीमत भेजे गए माल से कहीं ज्यादा होती थी।

प्रश्न 35. 19वीं सदी के आखिरी दशकों में यूरोपीय राष्ट्रों द्वारा उपनिवेश कायम करने के क्या प्रभाव पड़े?

उत्तर- उन्नीसवीं सदी के आखिरी दशकों में यूरोपीय राष्ट्रों द्वारा उपनिवेश कायम करने पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े

(i) एशिया और अफ्रीका महाद्वीप में कष्टदायक आर्थिक, सामाजिक और पारिस्थितिकीय परिवर्तन आए।

(ii) साम्राज्यवादी देशों ने अफ्रीका देशों को आपस में एक टेबिल पर बैठकर बाँट लिया था।

लघु उत्तरीय प्रश्न (3 अंक)

प्रश्न 1. अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक आदान-प्रदान के दोरान कौन से तीन प्रकार के प्रवाह थे?

उत्तर - अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक आदान-प्रदान के दोरान निम्नलिखित तीन प्रकार के प्रवाह थे :-

1. व्यापार का प्रवाह यानी माल का व्यापार।

2. श्रम का प्रवाह यानी रोजगार की तलाश में लोगों का पलायन।

3. लंबी दूरी पर अल्पकालिक या लंबी अवधि के निवेश के लिए पूंजी की आवाजाही।

प्रश्न 2. 1929 की महामंदी का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर- 1929 की महामंदी का प्रभाव भारत पर भी पड़ा। महामंदी ने भारतीय व्यापार को फौरन प्रभावित किया। 1928 से 1934 के बीच देश के आयात-निर्यात घटकर लगभग आधे रह गए थे। 1928 से 1934 के बीच भारत में गेहूँ की कीमत 50 प्रतिशत गिर गई। शहरी निवासियों के मुकाबले किसानों और काश्तकारों को ज्यादा नुकसान हुआ। यद्यपि कृषि उत्पादों की कीमत तेजी से नीचे गिरी लेकिन सरकार ने लगान वसूली में छूट देने से इन्कार कर दिया। सबसे बुरी मार उन काश्तकारों पर पड़ी जो विश्व बाजार के लिए - उपज पैदा करते थे। टाट का निर्यात बंद होने से कच्चे पटसन की कीमतों में 60 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट आ गई। मंदी के इन्हीं सालों में भारत कीमती धातुओं खासतौर से सोने का निर्यात करने लगा। 1931 में मंदी अपने चरम पर थी और ग्रामीण भारत असंतोष व उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा था। यह मंदी शहरी भारत के लिए अधिक दुखदायी नहीं रही। कीमतें गिरते जाने के बावजूद शहरों में रहने वाले ऐसे लोगों की हालत ठीक रही जिनकी आय निश्चित थी।

प्रश्न 3. हमारे खाद्य पदार्थ विभिन्न देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का किस प्रकार उदाहरण पेश करते हैं?

उत्तर - हमारे खाद्य पदार्थ दूर देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कई उदाहरण पेश करते हैं। जब भी व्यापारी और मुसाफिर किसी नए देश में जाते थे, जाने-अनजाने वहाँ नयी फसलों के बीज बो आते थे। माना जाता है कि नूडल्स चीन से पश्चिम में पहुँचे या संभव है कि पास्ता अरब यात्रियों के द्वारा पाँचवीं सदी में सिसली पहुँचा। इसी तरह के आहार भारत और जापान में भी पाए जाते हैं। आलू, सोया, मूँगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकंद और ऐसे ही बहुत सारे खाद्य पदार्थ लगभग पाँच सौ साल पहले हमारे पूर्वजों के पास नहीं थे। ये खाद्य पदार्थ यूरोप और एशिया में तब पहुँचे जब कोलंबस ने अमेरिका को खोजा। इन अनुमानों के आधार पर इतना जरूर कहा जा सकता है कि आधुनिक काल से पहले भी दूर देशों के बीच सांस्कृतिक लेन-देन चल रहा होगा।

प्रश्न 4. अमेरिका की खोज से दुनिया में होने वाले परिवर्तनों का वर्णन कीजिए।

उत्तर- 16वीं सदी में जब यूरोपीय जहाजियों ने एशिया तक का समुद्री रास्ता ढूंढ़ लिया और जब वे अमेरिका तक जा पहुँचे तो दुनिया छोटी-सी दिखाई देने लगी। कई सदियों से हिंद महासागर के पानी में फलता-फूलता व्यापार तरह-तरह के सामान, लोग, ज्ञान और परंपराएँ एक जगह से दूसरी जगह आ जा रही थीं। भारतीय उपमहाद्वीप इसमें अहम भूमिका रखता था। यूरोपियों के आगमन से यह आवाजाही बढ़ने लगी। अब तक अमेरिका का दुनिया से कोई संपर्क नहीं था लेकिन 16वीं सदी से उसकी विशाल भूमि और बेहिसाब फसलें व खनिज पदार्थ हर दिशा में जीवन का रंग-रूप बदलने लगी। 17वीं सदी के आते-आते पूरे यूरोप में दक्षिण अमेरिका की धन-संपदा के बारे में तरह-तरह के किस्से बनने लगे थे। 16वीं सदी के मध्य तक आते-आते पुर्तगाली और स्पेनिश सेनाओं की विजय का सिलसिला शुरू हो गया था। उन्होंने अमेरिका को उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया था। इस प्रकार दुनिया में बहुत महत्त्वपूर्ण परिवर्तन होने शुरू हो गए थे।

प्रश्न 5. 19वीं सदी के अंत में विश्व में किस प्रकार उपनिवेशवाद फैला?

उत्तर- 19वीं सदी के आखिरी दशकों में व्यापार बढ़ा और बाजार तेजी से फैलने लगे। यह केवल फैलते व्यापार और संपन्नता का ही दौर नहीं था। व्यापार में बढ़ोतरी और विश्व अर्थव्यवस्था के साथ निकटता का एक परिणाम यह हुआ कि दुनिया के बहुत सारे भागों में स्वतंत्रता और आजीविका के साधन छिनने लगे। 19वीं सदी के आखिरी दशकों में यूरोपियों की विजयों से बहुत सारे कष्टदायक आर्थिक, सामाजिक और पारिस्थितिकीय परिवर्तन आए और औपनिवेशिक समाजों को विश्व अर्थव्यवस्था में समाहित कर लिया गया। 1885 में यूरोप के ताकतवर देशों की बर्लिन में एक बैठक हुई, जिसमें अफ्रीका के नक्शे पर लकीरें खींचकर उनको आपस में बाँट लिया गया। 19वीं सदी के अंत में ब्रिटेन और फ्रांस ने अपने शासन वाले विदेशी क्षेत्रफल में भारी वृद्धि कर ली थी। बेल्जियम और जर्मनी नयी औपनिवेशिक ताकतों के रूप में सामने आए। 1890 के दशक के आखिरी वर्षों में संयुक्त राज्य अमेरिका भी औपनिवेशिक ताकत बन गया।

प्रश्न 6. भारत के सूती वस्त्र उद्योग पर उपनिवेशवाद का क्या प्रभाव पड़ा?

उत्तर - भारत में पैदा होने वाली महीन कपास का यूरोपीय देशों को निर्यात किया जाता था। औद्योगीकरण के बाद ब्रिटेन में भी कपास का उत्पादन बढ़ने लगा था। इस कारण वहाँ के उद्योगपतियों ने सरकार पर दबाव डाला कि वह कपास तथा सूती वस्त्रों के आयात पर रोक लगाए। फलस्वरूप ब्रिटेन में आयतित कपड़ों पर सीमा शुल्क थोप दिए गए। वहाँ महीन भारतीय कपड़े का आयात कम होने लगा। 19वीं सदी की शुरुआत में ही ब्रिटिश कपड़ा उत्पादक दूसरे देशों में भी अपने कपड़ों के लिए नए-नए बाजार ढूँढ़ने लगे थे। सीमा-शुल्क की व्यवस्था के कारण ब्रिटिश बाजारों से बेदखल हो जाने के बाद भारतीय कपड़ों को दूसरे अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में भी भारी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ा। सन् 1800 के आसपास निर्यात में सूती कपड़े का प्रतिशत 30 था जो 1815 में घटकर 15 प्रतिशत रह गया। 1870 तक यह अनुपात केवल  3 प्रतिशत रह गया।

प्रश्न 7. प्रथम विश्वयुद्ध के ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए।

उत्तर - प्रथम विश्व युद्ध से पहले ब्रिटेन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था थी। युद्ध के बाद सबसे लंबा संकट उसे ही झेलना पड़ा। युद्ध के बाद भारतीय बाजार में पहले वाली (वर्चस्व वाली) स्थिति प्राप्त करना ब्रिटेन के लिए बहुत मुश्किल हो गया था। युद्ध के खर्चे की भरपाई करने के लिए ब्रिटेन ने अमेरिका से जमकर कर्जे लिए थे। इसका परिणाम यह हुआ कि युद्ध खत्म होने तक ब्रिटेन भारी विदेशी कर्जों में दब चुका था। युद्ध के कारण आर्थिक उछाल का जो माहौल था अब वह खत्म हो चुका था, जिससे उत्पादन गिरने लगा और बेरोजगारी बढ़ गई। सरकार ने भारी भरकम युद्ध संबंधी व्यय में भी कटौती शुरू कर दी ताकि शांतिकालीन करों के सहारे ही उनकी भरपाई की जा सके। इन सारे प्रयासों से रोजगार भारी तादाद में खत्म हो गए। 1921 में हर पाँच में से एक ब्रिटिश मजदूर के पास काम नहीं था।

प्रश्न 8. अफ्रीका में रिंडरपेस्ट आने के प्रभावों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर - जमीन और मवेशी अफ्रीकी लोगों की आय के मुख्य स्रोत थे। जब यूरोपियनों ने अफ्रीकी लोगों को श्रमिक बनाना चाहा तो उन्होंने इनकार कर दिया। रिंडरपेस्ट पशुओं का एक रोग है जो अफ्रीकी पशुओं में फैल गया था। इसके फैलने से अफ्रीका के 90 प्रतिशत मवेशी मौत का शिकार हुए। पशुओं के मारे जाने से अफ्रीकियों के रोजी-रोटी के साधन नष्ट हो गए। अपनी सत्ता को और सुदृढ़ करने तथा अफ्रीकियों को श्रम बाजार में ढकेलने के लिए वहाँ के बागान मालिकों, खान मालिकों और औपनिवेशिक सरकारों ने बचे हुए पशु अपने कब्जे में ले लिए। इस प्रकार बचे हुए पशु संसाधनों पर कब्जे से यूरोपीय उपनिवेशकारों को पूरे अफ्रीका को जीतने व गुलाम बना लेने का सुनहरा अवसर हाथ लग गया था।

प्रश्न 9. सिल्क मार्ग ने किस प्रकार विश्व को जोड़ने का प्रयास किया?

उत्तर- सिल्क मार्ग वह मार्ग था जिसके द्वारा चीनी रेशम का व्यापार होता था। यह मार्ग जमीन और समुद्र दोनों में थे। इन मार्गों ने विश्व को जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जो निम्नलिखित थी

(i) ये मार्ग एशिया के विशाल क्षेत्रों को जोड़ने के साथ-साथ एशिया,यूरोप और उत्तरी अमेरिका महाद्वीपों को भी आपस में जोड़ते थे।

(ii) इन मार्गों द्वारा रेशम के साथ-साथ चीनी पॉटरी का भी निर्यात होता था। साथ ही भारत व दक्षिण पूर्व एशिया से कपड़े, मसाले और चीन व विश्व के अन्य भागों में जाते थे।

(iii) इन सामानों की कीमत यूरोप द्वारा सोने व चाँदी के रूप में चुकाई जाती थी।

(iv) इन मार्गों द्वारा व्यापार के साथ-साथ सांस्कृतिक व धार्मिक आदान-प्रदान भी होता था।

(v) बौद्ध धर्म, ईसाई धर्म, मुस्लिम धर्म इसी मार्ग द्वारा ही संभवतः विश्व के अन्य भागों में फैले।

प्रश्न 10. वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था पर प्रकाश डालिए।

उत्तर - 1890 में वैश्विक कृषि अर्थव्यवस्था का उदय हो गया था। इसके कारण श्रम विस्थापन रुझानों, पूँजी प्रवाह, पारिस्थितिकी और तकनीक में कई बदलाव आए, जो इस प्रकार थे

(i) इसमें खाद्य पदार्थ गाँव या कस्बों की बजाए विश्व के अन्य स्थानों से पहुंचने लगे।

(ii) इस व्यवस्था में जमीन के मालिक स्वयं कृषि कार्य नहीं करते थे। वे यह कार्य औद्योगिक मजदूरों से करवाने लगे।

(iii) खाद्य पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुँचाने के लिए रेलनेटवर्क, पानी के जहाजों का प्रयोग किया जाने लगा।

(iv) दक्षिणी यूरोप, एशिया, अफ्रीका तथा कैरीबियन द्वीप समूह के मजदूरों को ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन तथा अमेरिका ले जाकर कम वेतन पर कार्य करवाया गया।

प्रश्न 11. 19 वीं शताब्दी की अनुबंध व्यवस्था (नयी दास प्रथा) ने एक नई संस्कृति को जन्म दिया। कैसे?

उत्तर - 19वीं शताब्दी की अनुबंध व्यवस्था (नयी दास प्रथा) द्वारा एशिया, अफ्रीका व चीन आदि देशों और महाद्वीपों से आए लोगों ने अपने नए स्थानों पर एक नई संस्कृति को जन्म दिया। इसका स्वरूप निम्नलिखित था

(i) त्रिनिदाद में मुहर्रम के सालाना जुलूस को एक विशाल उत्सवी मेले का रूप दे दिया गया, जिसे ’होसे हुसैन’ के नाम से जाना गया। इसमें सभी धर्मों व नस्लों के मजदूर हिस्सा लेते थे।

(ii) भारतीय आप्रवासियों व कैरीबियन द्वीप समूह के लोगों ने मिलकर एक नए धर्म ’रास्ताफरियानवाद’ को जन्म दिया। बाद में जैमेका के रैगे गायक बॉव मालें ने इसे विश्व ख्याति दिलाई।

(iii) त्रिनिदाद, गुयाना में मशहूर चटनी म्यूजिक भी भारतीय आप्रवासियों की देन है जो उनकी रचनात्मक अभिव्यक्ति का प्रतीक है। इस प्रकार ’नई दास प्रथा’ ने नई सांस्कृतिक वातावरण को जन्म दिया जो अनुबंधित श्रमिकों की नई जगहों पर नई पहचान बनी।

प्रश्न 12. सत्रहवीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए। एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिकी महाद्वीपों के बारे में चुनिए ।

उत्तर - एशिया (चीन)- 15वीं शताब्दी तक बहुत सारे ’सिल्क मार्ग’ अस्तित्व में आ चुके थे। इसी रास्ते से चीनी पॉटरी जाती थी और इसी रास्ते से भारत व दक्षिण-पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले दुनिया के दूसरे भागों में पहुँचते थे। वापसी में सोने-चाँदी जैसी कीमती धातुएँ यूरोप से एशिया पहुँचती थी।

अमेरिका-सोलहवीं सदी में जब यूरोपीय जहाजियों ने एशिया तक का समुद्री रास्ता खोज लिया और वे अमेरिका तक जा पहुँचे तो अमेरिका की विशाल भूमि और बेहिसाब फसलें और खनिज पदार्थ हर दिशा में जीवन का रंग-रूप बदलने लगे। आज के पेरू और मैक्सिको में मौजूद खानों से निकलने वाली कीमती धातुओं, खासतौर से चाँदी ने भी यूरोप की संपदा को बढ़ाया और पश्चिम कि एशिया के साथ होने वाले उसके व्यापार को गति प्रदान की।

प्रश्न 13. ब्रेटन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है ?

उत्तर - युद्धोत्तर अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य यह था कि औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोज़गार बनाए रखा जाए। इस फ्रेमवर्क पर जुलाई 1944 में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रेटन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति बनी थी। इसी को ब्रेटन वुड्स समझौते के नाम से जाना जाता है।

सदस्य देशों के विदेश व्यापार में लाभ और घाटे से निपटने के लिए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में ही अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना की गई। युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के लिए पैसे का इंतजाम करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक का गठन किया गया। इसी वजह से विश्व बैंक और आई.एम.एफ. को ब्रेटन वुड्स संस्थान या ब्रिटेन वुड्स ट्विन भी कहा जाता है। इसी आधार अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था को अक्सर ब्रेटन वुड्स व्यवस्था भी कहा जाता है।

प्रश्न 14. महामंदी के कारणों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर - 1929 में आर्थिक महामंदी की शुरुआत हुई। इस मंदी के प्रमुख न कारण निम्नलिखित थे

(i) औद्योगिक क्रांति के कारण अमेरिका तथा ब्रिटेन में बड़े पैमाने पर उत्पादन कार्य होने लगा था। 1930 तक तैयार माल का इतना बड़ा भण्डार एकत्र हो गया कि उनका कोई खरीददार न रहा।

(ii) कृषि क्षेत्र में अति उत्पादन के कारण कृषि उत्पादों की कीमतें गिरने लगी। किसानों ने अपनी घटती आय को बढ़ाने के लिए अधिक उत्पादन करना शुरू कर दिया किंतु इससे कीमतें और गिरने लगी। खरीददारों के अभाव में कृषि उपज पड़ी पड़ी सड़ने लगी।

(iii) संकट से पूर्व बहुत-से देश अमेरिका से कर्ज लेकर अपनी अर्थव्यवस्था चलाते थे। 1928 के कुछ समय पहले विदेशों में अमेरिका का कर्ज एक अरब डॉलर था। साल भर के भीतर यह कर्ज घटकर केवल चौथाई रह गया था। जो देश अमेरिकी कर्ज पर सबसे ज्यादा निर्भर थे उनके सामने गहरा संकट खड़ा हो गया।

(iv) यूरोप में कई बड़े बैंक धराशायी हो गये। कई देशों की मुद्रा की कीमत बुरी तरह गिर गई। अमेरिकी सरकार इस महामंदी से अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आयातित पदार्थों पर दो गुना सीमा शुल्क वसूल करने लगी।

(v) अमेरिका के शेयर बाजार में शेयरों की कीमत में गिरावट आ गई। इसकी वजह से वहाँ लाखों व्यापारियों का दीवाला निकल गया।

प्रश्न 15. जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं? जी-77 को किस आधार पर ब्रेटन वुड्स । की जुड़वाँ संतानों की प्रतिक्रिया कहा जा सकता है? व्याख्या कीजिए।

उत्तर- वे विकासशील देश जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए थे किंतु 50 से 60 के दशक में पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं की तेज प्रगति से उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ। इस समस्या को देखते हुए उन्होंने एक नई अंतर्राष्ट्रीय  आर्थिक प्रणाली के लिए आवाज उठाई और अपना एक संगठन बनाया जिसे समूह-77 या जी-77 के नाम से जाना जाता है। ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक का जन्म हुआ था

जिन्हें ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानें कहा जाता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक पर केवल कुछ शक्तिशाली विकसित देशों का ही प्रभुत्व था इसलिए उनसे विकासशील देशों को कोई लाभ नहीं हुआ। इसलिए ब्रेटन वुड्स की जुड़वाँ संतानों विश्व बैंक और अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष की प्रतिक्रिया स्वरूप विकासशील देशों ने जी-77 नामक संगठन बनाकर नई आर्थिक प्रणाली की माँग की ताकि उनके आर्थिक उद्देश्य पूरे हो सकें। उनके प्रमुख आर्थिक उद्देश्यथे-अपने संसाधनों पर उनका पूरा नियंत्रण हो, कच्चे माल के सही दाम मिले और अपने तैयार मालों को विकसित देशों के बाजारों से बेचने के लिए बेहतर पहुँच मिले।

प्रश्न 6. अठारहवीं सदी के पहले और बाद के विश्व व्यापार के केंद्रों का वर्णन कीजिए।

उत्तर - अठारहवीं शताब्दी से पहले विश्व व्यापार का केंद्र एशिया था। चीन और भारत दुनिया के सबसे अमीर देशों में शामिल थे। वे एशियाई व्यापार में भी पूर्व-प्रतिष्ठित थे। हालाँकि पंद्रहवीं शताब्दी से, चीन ने विदेशी संपर्कों को प्रतिबंधित कर दिया और अलगाव में पीछे हट गया। चीन की घटती भूमिका और अमेरिका के बढ़ते महत्व ने धीरे-धीरे विश्व व्यापार के केंद्र को पश्चिम की ओर बढ़ा दिया। यूरोप अब विश्व व्यापार के केंद्र के रूप में उभरा।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (4 अंक)

प्रश्न 1. बताइए पूर्व-आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार ने अमेरिकी भू-भागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद की ?

उत्तर -

(1) 16वीं सदी के मध्य तक पुर्तगाली और स्पेनिश सेनाओं की। विजय का सिलसिला शुरू हो गया था। उन्होंने अमेरिका को उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया था।

(2) यूरोपीय सेनाएँ केवल अपनी सैनिक ताकत के दम पर नहीं जीतती थीं। स्पेनिश विजेताओं के पास तो कोई परंपरागत किस्म का सैनिक हथियार नहीं था। यह हथियार तो चेचक जैसे थे जो स्पेनिश सैनिकों और अफ़सरों के साथ वहाँ जा पहुंचे थे।

(3) लाखों साल से दुनिया से अलग-थलग रहने के कारण अमेरिका के लोगों के शरीर में यूरोप से आने वाली इन बीमारियों से बचने की रोग-प्रतिरोधी क्षमता नहीं थी।

(4) इस नए स्थान पर चेचक बहुत मारक साबित हुई। एक बार संक्रमण शुरू होने के बाद तो यह बीमारी पूरे महाद्वीप में फैल गई।

(5) जहाँ यूरोपीय लोग नहीं पहुँचे थे, वहाँ के लोग भी इसकी चपेट में आने लगे। इसने सभी समुदायों को खत्म कर डाला। इस तरह घुसपैठियों की जीत का रास्ता आसान होता चला गया।

(6) बंदूकों को तो खरीदकर या छीनकर हमलावरों के खिलाफ़ भी इस्तेमाल किया जा सकता था, परन्तु चेचक जैसी बीमारियों के मामले में तो ऐसा नहीं किया जा सकता था क्योंकि हमलावरों के पास उससे बचाव का तरीका भी था और उनके शरीर में रोग-प्रतिरोधी क्षमता भी विकसित हो चुकी थी। इस तरह से बिना किसी चुनौती के बड़े साम्राज्यों को जीतकर अमेरिका में उपनिवेशों की स्थापना हुई।

प्रश्न 2. खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दीजिए।

उत्तर - 1890 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था सामने आ चुकी थी। इससे तकनीक में भी बदलाव आ चुके थे। खाद्य उपलब्धता पर भी तकनीक का प्रभाव पड़ने लगा जो इस प्रकार था

1. रेलवे का विकास -अब भोजन किसी आस-पास के गाँव या कस्बे से नहीं बल्कि हज़ारों मील दूर से आने लगा था। खाद्य पदार्थों को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने के लिए रेलवे का इस्तेमाल किया जाता था। पानी के जहाजों से इसे दूसरे देशों में पहुँचाया जाता था।

2. नहरों का विकास-खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव का बहुत अच्छा उदाहरण हम पंजाब में देखते हैं। यहाँ ब्रिटिश भारतीय सरकार ने अर्द्ध-रेगिस्तानी परती जमीनों को उपजाऊ बनाने के लिए नहरों का जाल बिछा दिया ताकि निर्यात के लिए गेहूं की खेती की जा सके। इससे पंजाब में गेहूं का उत्पादन कई गुना बढ़ गया और गेहूँ को बाहर बेचा जाने लगा।

3. रेफ्रिजरेशन तकनीक का विकास - 1870 के दशक तक अमेरिका से यूरोप को मांस का निर्यात नहीं किया जाता था। उस समय जिंदा जानवर ही भेजे जाते थे, जिन्हें यूरोप ले जाकर काटा जाता था। लेकिन जिंदा जानवर बहुत ज्यादा जगह घेरते थे। काफी संख्या में ये लंबे सफर में मर जाते थे। अधिकांश का वजन गिर जाता था या वे खाने लायक नहीं रहते थे। इसलिए मांस खाना एक महँगा सौदा था। नई तकनीक के आने पर यह स्थिति बदल गई। पानी के जहाज़ों में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित कर दी गई, जिससे जल्दी खराब होने वाली चीजों को भी लंबी यात्राओं पर ले जाया जा सकता था। अब अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड सब जगह से जानवरों की बजाए उनका मांस ही यूरोप भेजा जाने लगा। इससे न केवल समुद्री यात्रा में आने वाला खर्चा कम हो गया। बल्कि यूरोप में मांस के दाम भी गिर गए। अब अधिकांश लोगों के भोजन में मांसाहार शामिल हो गया।

प्रश्न 3. 18 वीं शताब्दी के अंत में हुए उन परिवर्तनों का वर्णन कीजिए जिन्होंने ब्रिटेन के स्वरूप को बदल दिया।

उत्तर - 18वीं शताब्दी के अंत में ब्रिटेन में कुछ ऐसे परिवर्तन हुए जिन्होंने इसके स्वरूप को बदल दिया। ये परिवर्तन निम्नलिखित थे

(1) 18वीं सदी के आखिरी दशकों में ब्रिटेन की आबादी तेजी से बढ़ने लगी थी। इससे देश में भोजन की माँग बढ़ी।

(2) जैसे-जैसे शहर फैले और उद्योग बढ़ने लगे, कृषि उत्पादों की माँग भी बढ़ने लगी।

(3) कृषि उत्पाद महंगे होने लगे।

(4) बड़े भू-स्वामियों के दबाव में आकर सरकार ने मक्का के आयात पर ’कॉर्न-लॉ’ द्वारा पाबंदी लगा दी।

(5) खाद्य पदार्थों की ऊँची कीमतों से परेशान उद्योगपतियों और शहरी बाशिंदों ने सरकार को मजबूर कर दिया कि वह कॉर्न लॉ को समाप्त कर दें।

(6) कॉर्न-लॉ के खत्म होने के बाद कम कीमत पर खाद्य पदार्थों का आयात किया जाने लगा। आयातित खाद्य पदार्थों की लागत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से भी कम थी। फलस्वरूप ब्रिटिश किसानों की हालत बिगड़ने लगी क्योंकि वे आयातित माल की कीमत का मुकाबला नहीं कर सकते थे।

(7) विशाल भू-भागों पर खेती बंद हो गई थी। हज़ारों लोग बेरोज़गार हो गए।

(8) खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट आई तो ब्रिटेन में उपभोग का स्तर बढ़ गया।

(9) 19वीं सदी के मध्य में ब्रिटेन की औद्योगिक प्रगति काफी तेज़ रही जिससे लोगों की आय में वृद्धि हुई।

(10) खाद्य पदार्थों का और ज्यादा मात्रा में आयात होने लगा।

(11) दुनिया के हर हिस्से में ब्रिटेन का पेट भरने के लिए ज़मीनों को साफ करके खेती की जाने लगी। इन कृषि क्षेत्रों को बंदरगाहों से जोड़ने के लिए रेलवे का विकास किया।

(12) ज्यादा मात्रा में माल ढुलाई के लिए नई गोदियाँ बनाई और पुरानी गोदियों को फैलाया गया।

(13) नयी ज़मीनों पर खेती करने के लिए यह ज़रूरी था कि दूसरे इलाकों के लोग वहाँ आकर बस गए।

(14) इन सारे कामों के लिए पूँजी और श्रम की ज़रूरत थी। इसके लिए लंदन जैसे वित्तीय केंद्रों से पूँजी आने लगी।

(15) 1890 तक तकनीकी परिवर्तन हो चुके थे। भोजन किसी आस-पास के गाँव या कस्बे से नहीं बल्कि हज़ारों मील दूर से आने लगा था।

(16) अपने खेतों पर खुद काम करने वाले किसान ही खाद्य पदार्थ पैदा नहीं कर रहे थे। अब यह काम ऐसे औद्योगिक मज़दूर करने लगे थे जो संभवतः हाल ही में वहाँ आए थे।

(17) खाद्य पदार्थों को एक जगह से दूसरी जगह पहुँचाने के लिए रेलवे का इस्तेमाल किया जाता था। पानी के जहाज़ों से इसे दूसरे देशों में पहुँचाया जाता था। इन जहाजों पर दक्षिण यूरोप, एशिया और अफ्रीका के मज़दूरों से बहुत कम वेतन पर काम करवाया जाता था।

प्रश्न 4. यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों ने किस प्रकार अफ्रीका को गुलाम बनाया ?

उत्तर - यूरोपीय औपनिवेशिक शक्तियों ने अफ्रीका को गुलाम इस प्रकार बनाया

(1) प्राचीन काल से ही अफ्रीका में जमीन की कोई कमी नहीं रही जबकि वहाँ की आबादी बहुत कम थी। सदियों तक अफ्रीकियों की ज़िंदगी व कामकाज ज़मीन और पालतू पशुओं के सहारे ही चलता रहा है।

(2) वहाँ पैसे या वेतन पर काम करने का चलन नहीं था। 19वीं सदी के आखिर में अफ्रीका में ऐसे उपभोक्ता बहुत कम थे, जिन्हें वेतन के पैसे से खरीदा जा सकता था।

(3) 19वीं सदी के अंत में यूरोपीय ताकतें अफ्रीका के विशाल भू-क्षेत्र और खनिज भंडारों को देखकर इस महाद्वीप की ओर आकर्षित हुई थीं।

(4) यूरोपीय लोग अफ्रीका में बागानी खेती करने और खादानों का दोहन करना चाहते थे ताकि उन्हें वापस यूरोप भेजा जा सके।

(5) लेकिन वहाँ के लोग वेतन पर काम नहीं करना चाहते थे। अतः मजदूरों की भर्ती के लिए मालिकों ने कई तरीके अपनाए।

(6) उन पर भारी-भरकम कर लाद दिए गए जिनका भुगतान केवल तभी किया जा सकता था जब करदाता खादानों या बागानों में काम करता हो। खानकर्मियों को बाड़ों में बंद कर दिया गया।

(7) उनके खुलेआम घूमने-फिरने पर पाबंदी लगा दी गई।

(8) तभी वहाँ रिडरपेस्ट नामक विनाशकारी पशु रोग फैल गया। यह बीमारी ब्रिटिश आधिपत्य वाले एशियाई देशों से आये जानवरों के जरिए फैली थी।

(9) अफ्रीका के पूर्वी हिस्से से शुरू होकर बीमारी पूरे महाद्वीप में जंगल की आग की तरह फैल गई।

(10) इस बीमारी ने अफ्रीका के 90 प्रतिशत मवेशियों को मौत की नींद सुला दिया।

(11) पशुओं के खत्म हो जाने से अफ्रीकियों के रोजी-रोटी के साधन ही खत्म हो गए।

(12) अपनी सत्ता को और मज़बूत करने तथा अफ्रीकियों को श्रम बाज़ार में ढकेलने के लिए वहाँ के बागान मालिकों, खान मालिकों और औपनिवेशिक सरकारों ने बचे-खुचे पशु भी अपने कब्जे में ले लिए।

(13) इससे यूरोपीय उपनिवेशकारों को पूरे अफ्रीका को जीतने व उसे गुलाम बना लेने का बेहतरीन मौका हाथ लग गया।

प्रश्न 5. 19वीं सदी की अनुबंध व्यवस्था, जिसे नयी दास प्रथा भी कहा जाता था, का अर्थ बताइए। भारत के संदर्भ में इसका उल्लेख कीजिए।

या

उन्नीसवीं शताब्दी में भारत से विदेश को श्रमिकों को क्यों ले जाया गया? ये श्रमिक अधिकतर किस प्रदेश के थे? उन्हें किस शर्त पर स्वदेश लौटने की छूट दी जाती थी?

उत्तर - 19वीं सदी की अनुबंध व्यवस्था को काफी लोगों ने ’नयी दास प्रथा’ का नाम दिया है। 19वीं सदी में भारत और चीन के लाखों मज़दूरों को बागानों, खादानों और सड़क व रेलवे निर्माण परियोजनाओं में काम करने के लिए दूर-दूर के देशों में ले जाया जाता था।

भारत के संदर्भ में-भारतीय अनुबंधित श्रमिकों को खास तरह के अनुबंध या एग्रीमेंट के तहत ले जाया जाता था। इन अनुबंधों में यह शर्त होती थी कि यदि मजदूर अपने मालिक के बागानों में पाँच साल काम कर लेंगे तो वे स्वदेश लौट सकते हैं।

भारत के ज्यादातर अनुबंधित श्रमिक मौजूदा पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य भारत और तमिलनाडु के सूखे इलाकों से जाते थे। 19वीं सदी के मध्य में इन इलाकों में भारी बदलाव आने लगे थे। कुटीर उद्योग खत्म हो रहे थे, ज़मीनों का किराया बढ़ रहा था। खानों और बागानों के लिए ज़मीनों को साफ किया जा रहा था। इन परिवर्तनों से गरीबों के जीवन पर गहरा असर पड़ा। वे बँटाई पर ज़मीन तो ले लेते थे लेकिन उसका भाड़ा नहीं चुका पाते थे। काम की तलाश में उन्हें इ अपने घर-बार छोड़ने पड़े। भारतीय अनुबंधित श्रमिकों को मुख्य रूप से कैरीबियाई द्वीप समूह, मॉरीशस व फ़िजी से लाया जाता था। तमिल अप्रवासी भ सीलोन और मलाया जाकर काम करते थे। अधिकांश अनुबंधित श्रमिकों को असम के चाय बागानों में काम करवाने के लिए ले जाया जाता था।

मजदूरों की भर्ती का काम मालिकों के एजेंट किया करते थे। एजेंटों को कमीशन मिलता था। अधिकतर अप्रवासी अपने गाँव में होने वाले उत्पीड़न और गरीबी से बचने के लिए भी इन अनुबंधों को मान लेते थे। एजेंट भी भावी अप्रवासियों को फुसलाने के लिए झूठी जानकारियाँ देते थे।

प्रश्न 6. वर्णन करें कि कैसे प्राचीन काल में मानव समाज लगातार अधिक परस्पर जुड़े हुए हैं।

                    या

प्राचीन काल में राष्ट्रों के बीच अंतर्संबंध के किन्हीं तीन स्रोतों का उल्लेख कीजिए।

उत्तर - यह कहना सही है कि मानव समाज निम्नलिखित तरीकों से लगातार अधिक परस्पर जुड़े हुए हैं -

1. प्राचीन काल से, यात्रियों, व्यापारियों, पुजारियों और तीर्थयात्रियों ने ज्ञान, अवसरों और आध्यात्मिक पूर्ति या उत्पीड़न से बचने के लिए बहुत दूर की यात्रा की।

2. वे सामान, पैसा, मूल्य, कौशल, विचार, आविष्कार और यहां तक कि रोगाणु और रोग भी ले गए।

3. 3000 ईसा पूर्व के रूप में एक सक्रिय तटीय व्यापार ने सिंधु घाटी सभ्यता को वर्तमान पश्चिम एशिया के साथ जोड़ा।

4. एक सहस्राब्दी से अधिक के लिए, कौड़ी (हिंदी काउड़ी या सी-शेल में) मुद्रा के रूप में उपयोग की जाती थी। मालदीव से उन्होंने चीन और पूर्वी अफ्रीका के लिए अपना रास्ता खोज लिया।

5. रोग फैलाने वाले कीटाणुओं के लंबी दूरी के फैलाव का पता सातवीं शताब्दी से लगाया जाता है। तेरहवीं शताब्दी तक यह एक अचूक कड़ी बन गई थी।

6. नौवीं शताब्दी से, पश्चिमी तट में पाए जाने वाले स्मारक पत्थरों में जहाजों की छवियां नियमित रूप से दिखाई देती हैं, जो समुद्री व्यापार के महत्व को दर्शाती हैं।

प्रश्न 7. “भोजन लंबी दूरी के सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कई उदाहरण प्रस्तुत करता है।“ अपने उत्तर की पुष्टि तीन उदाहरणों से करें।

उत्तर - भोजन लंबी दूरी के सांस्कृतिक आदान-प्रदान के कई उदाहरण प्रस्तुत करता है जिनका उल्लेख नीचे किया गया है -

1. यात्रियों और व्यापारियों ने अपनी यात्रा की भूमि में नई फसलों की शुरुआत की। यहां तक कि दुनिया के दूर के हिस्सों में ’तैयार’ खाद्य पदार्थ भी समान मूल साझा कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, नूडल्स ने स्पेगेटी बनने के लिए चीन से पश्चिम की यात्रा की।

2. अरब व्यापारी पास्ता को पांचवीं शताब्दी के सिसिली (इटली) में ले गए। इसी तरह के खाद्य पदार्थ भारतीयों और जापानी लोगों के लिए जाने जाते थे। उनकी उत्पत्ति का पता नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन तथ्य यह है कि पूर्व-आधुनिक दुनिया में भी लंबी दूरी का सांस्कृतिक संपर्क था।

3. हमारे प्रमुख आम खाद्य पदार्थ आलू, सोया, मूंगफली, मक्का, टमाटर, मिर्च, शकरकंद हैं। ये लगभग पाँच शताब्दी पहले तक भारत में ज्ञात नहीं थे। क्रिस्टोफर कोलंबस द्वारा अमेरिका की खोज के बाद इन्हें यूरोप और एशिया में पेश किया गया था। दरअसल हमारे कई आम खाद्य पदार्थ अमेरिका के मूल निवासियों यानी अमेरिकी भारतीयों से आए थे।

प्रश्न 8. सोलहवीं सदी पूर्व-आधुनिक दुनिया की मुख्य विशेषताओं का वर्णन करें। अमेरिका के लिए नए समुद्री मार्गों की खोज के साथ यह विषेषता कैसे बदल गयीं? कथन की व्याख्या करने के लिए कोई तीन उदाहरण दीजिए।

उत्तर - (अ) सोलहवीं शताब्दी से पहले पूर्व-मध्य दुनिया की मुख्य विशेषताएं नीचे दी गई हैं -

1. सोलहवीं शताब्दी से पहले, हिंद महासागर अपने पानी को पार करते हुए माल, लोगों, ज्ञान, रीति-रिवाजों आदि के साथ एक हलचल भरे व्यापार के लिए जाना जाता था।

2. भारतीय उपमहाद्वीप इन प्रवाहों के केंद्र में था और उनके नेटवर्क में एक महत्वपूर्ण बिंदु था। हालाँकि यूरोपीय लोगों के प्रवेश ने इनमें से कुछ प्रवाह को यूरोप की ओर विस्तारित या पुनर्निर्देशित करने में मदद की।

(ब) सोलहवीं शताब्दी में, यूरोपीय नाविकों ने एशिया के लिए समुद्री मार्ग की खोज की और पश्चिमी महासागर को सफलतापूर्वक पार कर अमेरिका तक पहुंचा। इन खोजों के साथ, पूर्व-आधुनिक दुनिया सिकुड़ गई और निम्नलिखित तरीकों से बदल गई -

1. अमेरिका की खोज के साथ, इसकी विशाल भूमि, प्रचुर मात्रा में फसलें और खनिज बदल गए व्यापार और दुनिया में हर जगह रहता है।

2. वर्तमान पेरू और मैक्सिको में स्थित खानों से कीमती धातुओं, विशेष रूप से चांदी, ने यूरोप की संपत्ति को बढ़ाया और एशिया के साथ अपने व्यापार को वित्तपोषित किया।

3. सत्रहवीं शताब्दी के यूरोप में दक्षिण अमेरिका की प्रचुर संपत्ति के बारे में किंवदंतियाँ फैलीं। इस प्रकार सोने के टेबल वाले शहर एल डोराडो की तलाश में कई अभियान भेजे गए।

प्रश्न 9. वैश्वीकरण के सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों का वर्णन कीजिए।

उत्तर - वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव -

1. सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में नए अवसरों का सृजन।

2. विदेशी पूँजी निवेश को बढावा ।

3. रोजगार में वृद्धि।

4. जीवन स्तर में सुधार ।

5. भारतीय कंपनियों का बहुराष्ट्रिय कंपनियों के रूप में उदय।

6. बाजार में अनेक बस्तुओं की उपलब्धता।

वैश्वीकरण का नकारात्मक प्रभावः

1. लघु और कुटीर उद्योगों पर बुरा प्रभाव ।

2. बाजार में बढती प्रतियोगिता से भारतीय उत्पादों की माँग कम ।

3. केवल शहरों तक सीमित ग्रामीण क्षेत्र में कम प्रभाव ।

4. केवल सूचना और संचार टेकनॉलॉजी एवं इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र तक ही सीमित।

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अभ्यास हेतु विश्लेषणात्मक प्रश्न

1. ब्रेटन वुड्स प्रणाली के प्रभावों का वर्णन करें।

2. ब्रेटन वुड्स प्रणाली के अंत और 'वैश्वीकरण' की शुरुआत के लिए जिम्मेदार कारकों का वर्णन करें।

3. युद्ध के बीच के आर्थिक अनुभवों से राजनेताओं और अर्थशास्त्रियों द्वारा लिए गए दो शिक्षाओं का वर्णन कीजिए।



धन्यवाद

आप सफल हों

https://youtube.com/eClassesbymanishsir

 

 


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