प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी कक्षा 9

प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी

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1.   प्राकृतिक वनस्पति तथा वन्य प्राणी Class9 : सम्पूर्ण अध्याय  

 

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महत्वपूर्ण तथ्य

वनस्पति तथा वन्य प्राणियों में विविधता के कारण

1. धरातल

भू - भाग

1. उपजाऊ भूमि पर कृषि की जाती है।

2. कृषि से अनाज तथा अर्थव्यवस्था चलती है।

3. ऊबड़ तथा असमतल जमीन पर जंगल तथा घास के मैदान हैं।

4. जंगलों में वन्यप्राणी मिलते हैं।

मृदा

1. मृदा के अलग - अलग प्रकारों से वनस्पति में विविधता आती है।

2. मरूस्थली मृदा में कंटीले वन तथा झाड़ियां होती हैं।

3. नदी के डेल्टा क्षेत्र में पर्णपाती वन पाए जाते हैं।

4. पर्वतों की ढलानों पर मृदा की गहरी परत होने से शंकुधारी वन पाए जाते हैं।

2. जलवायु

तापमान

1.   ऊँचाई 915 मीटर से ऊपर होने पर तापमान में गिरावट आती है जिससे वनस्पति उगने में कठिनाई होती है। 

वनस्पति खंड

तापमान

टिप्पणी

उष्ण

240 से. से अधिक

कोई पाला नहीं

उपोष्ण

170 से. से 240 से.

कभी - कभी पाला

शीतोष्ण

70 से. से 170 से.

कभी पाला कभी बर्फ

अल्पाइन

70 से. से कम

बर्फ

 

सूर्य का प्रकाश

1. प्रकाश अधिक समय तक मिलने के कारण वृक्ष गर्मी की ऋतु में जल्दी बढ़ते हैं।

2. सूर्य के प्रकाश प्रभाव समय, अक्षांश, समुद्र तल से ऊँचाई तथा ऋतु पर निर्भर करता है।

वर्षण

1. अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में सघन वन पाए जाते हैं।

अल्पाइन जलवायु उस ऊँचाई की जलवायु को कहते हैं जो वृक्ष रेखा के ऊपर हो। किसी जगह की जलवायु अल्पाइन है तभी कहा जा सकता है जब वहाँ किसी भी महीने का औसत तापमान 100 सेल्सियस से ऊपर नहीं होता है।





 पाठ्यपुस्तक में दिए गए प्रश्नों के उत्तर :-

वैकल्पिक प्रश्न-

(i) रबड़ का संबंध किस प्रकार की वनस्पति से है?

(क) टुंड्रा                                                                         (ख) हिमालय

(ग) मैंग्रोव                                                                     (घ) उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन

उत्तर :- (घ) उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन

(ii) सिनकोना के वृक्ष कितनी वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं?

(क) 100 सेमी                                                            (ख) 70 सेमी

(ग) 50 सेमी                                                                (घ) 50 सेमी से कम वर्षा

उत्तर :- (क) 100 सेमी

(iii) सिमलीपाल जीवमण्डल निचय कौन से राज्य में स्थित है?

(क) पंजाब                                                                     (ख) दिल्ली

(ग) ओडिशा                                                                  (घ) पश्चिम बंगाल

उत्तर :- (ग) ओडिशा

(iv) भारत में कौन-से जीवमण्डल निचय विश्व के जीवमण्डल निचयों के लिए गए हैं?

(क) मानस                                                                    (ख) मन्नार की खाड़ी

(ग) नीलगिरि                                                               (घ) नंदादेवी

उत्तर :- (घ) नंदा देवी

प्रश्न 2. संक्षिप्त उत्तर वाले प्रश्न-

(1) भारत में पादपों तथा जीवों का वितरण किन तत्त्वों द्वारा निर्धारित होता है?

उत्तर :- भारत में पादपों एवं जीवों के वितरण को निर्धारित करने वाले तत्त्व दो प्रकार के हैं :-    

1. धरातल तथा 2. जलवायु।

इसमें धरातल के अंतर्गत भू-भाग तथा मृदा आते हैं।

जबकि जलवायु के अंर्तगत तापमान, सूर्य का प्रकाश, वर्षण आदि।

(2) जीवमण्डल निचय से क्या अभिप्राय है? कोई दो उदाहरण दो।

उत्तर :- जीवमण्डल निचय-जैवविविधता को सुरक्षित एवं संरक्षित रखने के लिए स्थापित क्षेत्रों को जीवमण्डल निचय कहते है। एक संरक्षित जीवमण्डल जिसका संरक्षण इस प्रकार किया जाता है कि न केवल इसकी जैविक भिन्नता संरक्षित की जाती है अपितु इसके संसाधनों का प्रयोग भी स्थानीय समुदायों के लाभ हेतु टिकाऊ तरीके से किया जाता है। उदाहरण, नीलगिरी, सुंदरवन।

(3) कोई दो वन्य प्राणियों के नाम बताइए जो कि उष्ण कटिबंधीय वर्षा और पर्वतीय वनस्पति में मिलते हैं।

उत्तर :- उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन       -     लंगूर, बंदर, हाथी।

पर्वतीय वनस्पति                         -             घने बालों वाली भेड़, लाल पांडा, आइवेक्स।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में अंतर कीजिए-

(i) वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत।

(ii) सदाबहार और पर्णपाती वन।

उत्तरः  (i) वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत में अंतर-

क्रमांक

वनस्पति जगत

प्राणी जगत

1

वनस्पति जगत का संबंध पेड़ पौधों से है। इसके अंतर्गत छोटे बड़े पौधे, फूल तथा वृक्षों की बात की जाती है।

प्राणी जगत का संबंध जानवरों से है। इसके अंतर्गत कीड़े मकोड़े, पक्षी तथा मछलियों की बात की जाती है।

2

पौधों को दो वर्गों-फूल वाले पौधे तथा बिना फूल वाले पौधे के रूप में बाँटा जाता है।

भोजन की आदत के आधार पर प्राणियों को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-1. शाकाहारी जीव,2. मांसाहारी जीव।

3

भारत में पेड़ पौधों की 47000 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं।

भारत में प्राणियों की 90000 प्रकार की प्रजातियां पाई जाती हैं।

4

प्राकृतिक वनस्पति के आवरण में वन, झाड़ियों तथा घास भूमियों को शामिल किया जाता है।

प्राणियों को तीन वर्गों में बाँटा गया है-(i) थल-चर, (ii) जल-चर, (iii) नभ-चर।

5

वनस्पति जगत के अंतर्गत औषधीय किस्म के पादप आते हैं।

प्राणियों को मानव अपनी जरूरतों के मुताबिक उपयोग में लाता है।


 (ii) सदाबहार और पर्णपाती वन में अन्तर-

क्रमांक

सदाबहार वन

पर्णपाती वन

1

वे वन जिनमें पतझड़ का समय समय अलग अलग होने से सदैव हरे भरे दिखते हैं। सदाबहार वन होते हैं।

वे वन जिनके वृ़क्ष वर्ष में छः से आठ सप्ताह तक अपने पत्ते गिरा देते हैं। पर्णपाती वन कहलाते हैं।

2

सदाबहार वन 200 से.मी. से अधिक वर्षा वाले भागों पर पाए जाते हैं।

पर्णपाती वन 70 से.मी. से 200 से.मी. के बीच वर्षा वाले भागों में पाए जाते हैं।

3

इन वनों में आबनूस, महोगनी, रोजवुड, रबड़ और सिंकोना वृक्ष उगते हैं।

इन वन क्षेत्रों में सागोन, बांस, साल,शीशम, चंदन, खैर, कुसुम, अर्जुन तथा शहतूत जैसे वृक्ष उगते हैं।

4

इन वनों में हाथी, बंदर, लैमूर, हिरण तथा एक सींग वाले गैंडे पाए जाते हैं।

इन वनों में सिंह, शेर, सुअर, हिरण, छिपकली, सांप आदि पाए जाते हैं।

5

भारत में पश्चिमी घाट के वन, असम, तमिलनाडु आदि भागों में ये वन पाए जाते हैं।

भारत प्रायद्वीपीय भागों तथा झारखंड, छत्तीसगढ़, प.उड़ीसा आदि भागों में ये वन पाए जाते हैं।

प्रश्न 4. भारत में विभिन्न प्रकार की पाई जाने वाली वनस्पति के नाम बताएँ और अधिक ऊँचाई पर पाई जाने वाली वनस्पति का ब्यौरा दीजिए।

उत्तरः भारत में पायी जाने वाली प्रमुख वनस्पतियाँ इस प्रकार हैं-

1. उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन,

2. उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन,

3. उष्ण कटिबन्धीय कैंटीले वन तथा झाड़ियाँ,

4. पर्वतीय वन,

5. मैंग्रोव वन।

अधिक ऊँचाई पर पाए जाने वाले वनों का विवरण इस प्रकार है-

पर्वतीय क्षेत्रों में तापमान की कमी तथा ऊँचाई के साथ-साथ प्राकृतिक वनस्पति में भी अंतर दिखाई देता है। वनस्पति में जिस प्रकार का अंतर हम उष्ण कटिबंधीय प्रदेशों से टुंड्रा की ओर देखते हैं उसी प्रकार का अंतर पर्वतीय भागों में ऊँचाई के साथ-साथ देखने को मिलता है।

 

ऊँचाई

पाई जाने वाली वनस्पति

टिप्पणी

1000 मी. से 2000 मी. तक

आर्द्र शीतोष्ण कटिबंधीय वन

 

जैसे :- ओक तथा चेस्टनट     

 

1500 मी. से 3000 मी. तक

शंकुधारी वन पाए जाते हैं।

 

जैसे :- चीड़, देवदार, सिल्वर फर, स्प्रूस, सीडर आदि।

 

3600 मी से अधिक पर

अल्पाइन वनस्पति

 

जैसे :- मॉस, लिचन घास, टुंड्रा वनस्पति

 

प्रश्न 5. भारत में बहुत संख्या में जीव और पादप प्रजातियाँ संकटग्रस्त हैं, उदाहरण सहित कारण दीजिए।

उत्तरः भारत में बड़ी संख्या में जीव एवं पादप प्रजातियाँ संकटापन्न हैं। लगभग 1300 पादप प्रजातियाँ भारत में संकट में हैं जबकि 20 पादप प्रजातियाँ विलुप्त हो चुकी हैं।

बहुत बड़ी संख्या में पादप और जीव प्रजातियों के संकटग्रस्त होने के निम्नलिखित कारण हैं-

1. कृषि, उद्योग एवं आवास हेतु वनों की तेजी से कटाई।

2. विदेशी प्रजातियों का भारत में प्रवेश।

3. व्यापारियों द्वारा अपने व्यवसाय के विकास के लिए जंगली जानवरों का बड़े पैमाने पर अवैध शिकार।

4. रासायनिक और औद्योगिक अवशिष्ट पदार्थों तथा तेजाबी जमाव के कारण जीवों की मृत्य।

उदाहरण :-

एमेंटोटेक्सस एसामिका (एस्सम कैटकिन यू) - अरुणाचल प्रदेश

ये शंकुधारी वृक्ष केवल अरुणाचल प्रदेश के डेली घाटी और तुरु पहाड़ी में पाए जाते हैं। प्रजनन की कम दर ने इस पौधे की प्रजाति को लुप्त कर दिया है।

इलेक्स खसियाना - शिलांग (मेघालय)

मेघालय में केवल शिलांग पहाड़ी में ही ये झाड़ियां मिलती हैं इनके केवल तीन से चार पौधे ही शेष हैं।

डायोस्पाइरोस सेलीबिका (ईबोनी) - कर्नाटक

यह अपने गहरे रंग और उच्च गुणवत्ता की लकड़ी के लिए प्रसिद्ध है। फर्नीचर के लिये इसका अत्यधिक उपयोग और अंधाधुन्ध कटाई से इन पेड़ो के क्षेत्र समाप्त हो गए हैं।

पेटरोकार्पस सांतालिनस (लाल चंदन) - पूर्वी घाट

यह दक्षिण भारत में चंदन की एकमात्र दुर्लभ प्रजाति है। यह औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध है। अत्यधिक कटाई और निवास स्थान क्षति होने के कारण यह लुप्तप्राय है।

क्लोरोफाइटम ट्यूबरोसम (मूसली) - तमिलनाडु

यह फूल का पौधा केवल अफ्रीका और भारत के अंदरूनी हिस्सों में पाया जाता है। यह एक प्रसिद्ध आयुर्वेदिक दवा है। जो जीवन शक्ति और ताकत देता है। अंधाधुंध दोहन ने पौधे को खतरे में डाल दिया है।

वास्तव में मानव द्वारा पर्यावरण से छेड़छाड़ तथा पेड़-पौधों एवं जीवों के अत्यधिक दोहन से पारिस्थितिक सन्तुलन बिगड़ गया है। इसी कारण पेड़-पौधों तथा वन्य प्राणियों की कुछ प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है। जीवों की प्रजातियां जो विलुप्ति की कगार पर हैं।

1. उत्तरी भारतीय नदियों का कछुआ

इस प्रजाति का कछुआ दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया की नदियों में पाया जाता है परन्तु यह भारत सहित अधिकतर देशों में विलुप्ति के कगार पर है. म्यांमार, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम में पहले ही लुप्त हो चुकी इस प्रजाति का चीन में व्यापार करना अवैध है और यह बड़े संकट में है.

2. लाल ताज और सिर वाला कछुआ

यह ताजे पानी में रहने वाली कछुए की एक और प्रजाति है जो अस्तित्व के संकट से जूझ रही ही. इस प्रजाति के कछुए के सिर पर लाल रंग की धारियां होती हैं. यह भारत, नेपाल और बांग्लादेश की गहरी नदियों में पाया जाता है. लगातार लुप्त होते इस कछुए को गंभीर रूप से संकट में पड़ी प्रजातियों की श्रेणी में रखा गया है.

3. संकरे सिर और नर्म कवच वाला भारतीय कछुआ

यह अन्य कछुओं की तरह बिल्कुल नहीं दिखता. इसका शरीर छोटा है. जैतूनी हरे रंग का यह कछुआ भारत में दुर्लभ है. इसका वैज्ञानिक नाम चित्रा इंडिका है. आईसीयूएन के मुताबिक ये कछुए ज्यादातर समय गहरी नदी की तलहटी में रेत के ऊपर रहते हैं

4. बेडडोम टोड

पश्चिमी घाटों में पाया जाने वाला यह मेंढक समुद्र तल से 4500 फीट की उंचाई पर रह सकता है. इनकी संख्या का कोई अनुमान नहीं है क्योंकि यह दुर्लभ प्रजाति के हैं. आईयूसीएन ने इसे इसलिए दुर्लभ प्रजाति में शामिल कर लिया है क्योंकि जिन प्राकृतिक परिस्थितियों में यह रहता है, वे अब गंभीर रूप से संकट में हैं या सिकुड़ती जा रही हैं.

5. ऊंचाई पर रहने वाला कस्तूरी मृग

यह हिरण उत्तराखंड का राज्य पशु घोषित किया गया है. यह अत्यधिक ऊंचे इलाकों में पाया जाता है. केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी और अस्कोट मस्क डियर सेंचुरी में यह पाया जाता है. पिछले 24 सालों में इनकी संख्या में तेजी से कमी आई है.

6.  इंडियन पेंगोलिन

चींटी खाने वाला यह प्राणि भारत में काफी कम दिखने वाला दुर्लभ जीव है. मांस और खाल, दोनों के लिए इसका बड़े पैमाने पर शिकार किया जाता है. गैर कानूनी तरीके से इसे चीन और वियतनाम जैसे देशों में भी भेजा जाता है.

आईयूसीएन ने इस बेहद खतरे में पड़ी प्रजाति का दर्जा दिया है. डब्लूडब्लूएफ के मुताबिक 2009 से 13 के बीच 3000 से ज्यादा पेंगोलिन का अवैध शिकार किया गया.

प्रश्न 6. भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी क्यों है?

उत्तरः भारत में लगभग प्रकृति की सभी विशेषताएँ विद्यमान हैं जैसे-पर्वत, मैदान, मरुस्थल, पठार, सागरीय तट, सदानीरा नदियाँ, द्वीप एवं मीठे तथा खारे पानी की झीलें। ये सभी कारक भारत में वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत की वृद्धि एवं विकास : के लिए अजैविक विविधता के लिए  अनुकूल हैं। विश्व की कुल जैवविविधता का 12 प्रतिशत भारत में पाया जाता है। भारत में लगभग 47000 विभिन्न जातियों के पौधे पाए जाने के कारण यह देश विश्व में दसवें स्थान पर और एशिया के देशों में चौथे स्थान पर है। भारत में लगभग 15000 फूलों के पौधे हैं जो कि विश्व में फूलों के पौधे का 6 प्रतिशत है। इस देश में बहुत से बिना फूलों के पौधे हैं जैसे फर्न, शैवाल (एलेगी) तथा कवक (फंजाई) भी पाए जाते हैं।

भारत में लगभग 90000 जातियों के जानवर तथा ताजे और समुद्री पानी की विभिन्न प्रकार की मछलियाँ पाई जाती हैं। देश के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की मृदा, आर्द्रता एवं तापमान में अत्यधिक भिन्नता के साथ अलग-अलग प्रकार का वातावरण पाया जाता है। पूरे देश में वर्षा का वितरण भी असमान है। वनस्पति जगत एवं प्राणी जगत की विभिन्न प्रजातियों को अलग-अलग प्रकार की वातावरण संबंधी परिस्थितियाँ एवं विभिन्न प्रकार की मृदा चाहिए होती है। इसलिए भारत वनस्पति जगत तथा प्राणी जगत की धरोहर में धनी है।

मानचित्र कौशल

भारत के मानचित्र पर निम्नलिखित दिखाएँ और अंकित करें –

(i)       उष्ण कटिबंधीय वर्षा वन

(ii)       उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन

(iii)      दो जीव मंडल निचय भारत के उत्तरी,दक्षिणी,पूर्वी और पश्चिमी भाग

 

उत्तर -


अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्र क्र 01 - सही विकल्प चुनकर लिखिए

प्रश्न 1. भारत में सबसे कम वन क्षेत्र वाला राज्य है ।

(अ) असम                        (ब) राजस्थान                  (स) झारखण्ड                  (द) हरियाणा


प्रश्न 2. सुन्दरी वृक्ष पाया जाता है।

(अ) उष्ण कटिबन्धीय वन में                (ब) हिमालयीन वन में                             

(स) मैंग्रोव वन में,                               (द) उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन में।


प्रश्न 3. राजस्थान की प्राकृतिक वनस्पति है-

(अ) आर्द्र उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन                      (ब) अल्पाइन प्रकार के वन,

(स) उष्ण कटिबन्धीय कंटीले वन                                   (द) आर्द्र उष्ण कटिबन्धीय अर्द्ध सदाबहार वन।


प्रश्न 4. भारतीय सिंहों का प्राकृतिक आवास आरक्षित क्षेत्र है ।

(अ) गुजरात का गिर क्षेत्र                                                  (ब) असम का काजीरंगा वन क्षेत्र

(स) पश्चिम बंगाल का सुन्दरवन                                        (द) नीलगिरि वन क्षेत्र।


प्रश्न 5. कौन-सी औषधीय वनस्पति नहीं हैं?

(अ) तुलसी                       (ब) नीम                            (स) सर्पगंधा                     (द) सागौन


प्रश्न 6. संसार की 5 लाख जीव प्रजातियों में भारत में कितनी प्रजातियाँ पायी जाती हैं?

(अ) 50,000 लगभग                 (ब) 5,000 लगभग      (स) 90,000 लगभग              (द) 15,000 लगभग


प्रश्न 7. पादप उद्यानों को वित्तीय तथा तकनीकी सहायता देने की परियोजना कब प्रारम्भ की गई?

(अ) 1972                       (ब) 1982                        (स) 1992                        (द) 2002


प्रश्न 8. भारत में वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम कब पारित हुआ?

(अ) 1971                       (ब) 1972                        (स) 1970                        (द) 1975


प्रश्न 9. यदि आपको सर्दी, जुकाम और खाँसी है तो आप किस वनस्पति का उपयोग करेंगे?

(अ) बबूल                         (ब) तुलसी                        (स) नीम                           (द) जामुन


प्रश्न 10. कान्हा राष्ट्रीय उद्यान मध्य प्रदेश में कहाँ स्थित है?

(अ) जबलपुर                   (ब) नरसिंहपुर                 (स) होशंगाबाद      (द) मण्डला।


प्र क्र 02 - रिक्त स्थान पूर्ति

1.    जो वनस्पति मूल रूप से भारतीय है, उसे .................... वनस्पति कहते हैं। (देशज/विदेशज)

2.    जो वनस्पति भारत के बाहर से आती है, उन्हें ............... वनस्पति कहते हैं। (देशज/विदेशज)

3.    भारत में प्रथम जीव आरक्षित क्षेत्र ............................... में स्थापित किया गया। (नीलगिरी/सुंदरवन)

4.    .......................... में भारत में वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम पारित हुआ। (1972/1947)

5.    ........................... राष्ट्रीय उद्यान में बाघ नहीं पाये जाते हैं। (माधव/कान्हा)

6.    देश में सिंहों का प्राकृतिक आवास स्थल गुजरात का ......................... जंगल है। (गिर क्षेत्र/कच्छ का रण)

7.    कान्हा राष्ट्रीय उद्यान ................................... जिले में स्थित है। (मंडला/बालाघाट)

8.    सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान .................................... जिले में हैं। (होशंगाबाद/नरसिहपुर)

9.    ज्वारीय वन में ......................................... वृक्ष पाया जाता है। (सिनकोना/सुन्दरी)

10.   सुन्दरी वृक्ष ................................................ में पाया जाता है। (मैन्ग्रोव वन/कंटीले वन)

11.   राजस्थान की ....................... प्राकृतिक वनस्पति है। (उष्ण कटिबंधीय कंटीले वन/उपोष्ण कटिबंधीय वन)

 

प्र क्र 03 -  सही जोड़ी बनाइये

स्तंभ - (i)                स्तंभ - (ii)

(i) सुंदरवन               (अ) मध्यप्रदेश

(ii) शेष अचलम           (ब) पश्चिम बंगाल

(iii) पंचमढ़ी              (स) आँध्रप्रदेश

(iv) नीलगिरी             (द) मेघालय

(v) डिब्रू साईकवोवा         (ई) तमिलनाडु

(vi) नाकरेक              (फ) असम

प्र क्र 04 -  सत्य/असत्य बताइए

प्रश्न 1. गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा में सुन्दरी वृक्ष पाये जाते हैं।

प्रश्न 2. जो वनस्पति मूल रूप से भारतीय नहीं है, उसे देशज वनस्पति कहते हैं।

प्रश्न 3. सदाबहार वनों के क्षेत्र में 200 से.मी. से अधिक वर्षा होती है।

प्रश्न 4. मध्य प्रदेश में 45% क्षेत्र में वन है।

प्रश्न 5. तुलसी वनस्पति का जुकाम व खाँसी के लिए उपयोग होता है।

प्र क्र 05 -  एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1. ऐसी प्राकृतिक वनस्पति जिस पर लंबे समय से मानव का प्रभाव नहीं पड़ा है।

प्रश्न 2. ऐसे वन जो एक ऋतु विशेष से पत्ते गिरा देते हैं।

प्रश्न 3. भारत में वनों का कुल क्षेत्रफल भारत के क्षेत्रफल का कितना है?

प्रश्न 4. भारल तथा कियांग कहाँ पाए जाते हैं?

प्रश्न 5. सुन्दरी वृक्ष पाया जाता है।

प्रश्न 6. अल्पकाल के लिए आने वाले पक्षी को कहते हैं।

प्रश्न 7. प्रवासी पक्षियों के दो नाम लिखिए।

प्रश्न 8. भारतीय सिंहों का प्राकृतिक आवास आरक्षित क्षेत्र।

प्रश्न 9. राजस्थान की प्राकृतिक वनस्पति है।

प्रश्न 10. रॉयल बंगाल टाइगर पाया जाता है।

 उत्तरमाला

सही विकल्प चुनिए

1

2

3

4

5

6

7

8

9

10


रिक्त स्थानों की पूर्ती

1.    देशज , 2.    विदेशज, 3.    नीलगिरि , 4.    1972 , 5.    माधव (शिवपुरी), 6.    गिर क्षेत्र , 7.    मण्डला,

8.    होशंगाबाद , 9.    सुन्दरी,  10.   मैंग्रोव वन ,  11.   उष्ण कटिबन्धीय कटीले वन।


सही जोड़ी

 (i) - (ब), (ii) - (स), (iii) - (अ), (iv) - (ई), (v) - (फ), (vi) - (द)

सत्य और असत्य
 1. सत्य , 2. सत्य , 3. सत्य , 4. सत्य , 5. सत्य 

एक वाक्य में उत्तर 

1. अक्षत वनस्पति, 2.  पर्णपाती, 3. 21.05 प्रतिशत, 4. हिमालयी क्षेत्रों में, 5. गंगाब्रह्मपुत्र डेल्टा में , 6. प्रवासी पक्षी, 7. साइबेरियन सारस तथा फ्लैंमिंगो, 8.  गुजरात का गिर क्षेत्र, 9. उष्ण-कटिबन्धीय कँटीले वन, 10. सुंदरवन (पश्चिम बंगाल में)
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अति लघु उत्तरीय प्रश्न (02 अंक)

प्रश्न 1. किसी क्षेत्र की वनस्पति को प्रभावित करने वाले तत्वों का नाम लिखिए।

उत्तरः किसी क्षेत्र की वनस्पति को प्रभावित करने वाले तत्वों में वर्षा, तापमान, आर्द्रता, मिट्टी, समुद्र तल से ऊँचाई तथा भूगर्भिक संरचना महत्त्वपूर्ण है।

प्रश्न 2. प्राकृतिक आधार पर वनों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?

उत्तरः प्राकृतिक आधार पर वनों को पाँच भागों में बाँटा जा सकता है :-

1. उष्ण कटिबन्धीय सदाबहार वन

2. उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन

3. पर्वतीय वन

4. मैंग्रोव वन

5. उष्ण कटिबन्धीय कँटीले वन।

प्रश्न 3. उन वन्य प्राणियों के नाम लिखिए जो अब विलुप्त होने के कगार पर हैं?

उत्तरः गैंडा, चीता, शेर, सोन चिड़िया आदि वन्य प्राणी अब विलुप्त होने के कगार पर हैं।

प्रश्न 4. भारत की वनस्पति में इतनी विविधता क्यों हैं?

उत्तरः दक्षिण से लेकर उत्तर ध्रुव तक विविध प्रकार की जलवायु के कारण भारत में अनेक प्रकार की वनस्पतियाँ पाई जाती हैं जो समान आकार के अन्य देशों में बहुत कम मिलती हैं। यहाँ लगभग 47,000 प्रकार के पेड़-पौधे पाए जाते हैं।

प्रश्न 5. पारिस्थितिक तन्त्र से क्या तात्पर्य है?

उत्तरः भौतिक पर्यावरण और उसमें रहने वाले जीवों के सम्मिलित रूप को पारिस्थितिक तन्त्र या पारितन्त्र कहते हैं।

प्रश्न 6. भारत में सबसे कम वन क्षेत्र किस राज्य में है?

उत्तर : हरियाणा

लघु उत्तरीय प्रश्न (03 अंक)

प्रश्न 1. टुंड्रा वनस्पति किसे कहते हैं?

उत्तरः भौतिक भूगोल में, टुण्ड्रा एक बायोम है जहां वृक्षों की वृद्धि कम तापमान और अपेक्षाकृत छोटे मौसम के कारण प्रभावित होती है। टुंड्रा शब्द फिनिश भाषा से आया है जिसका अर्थ “ऊँची भूमि”, “वृक्षविहीन पर्वतीय रास्ता” होता है। इस क्षेत्र की वनस्पति को टुन्ड्रा वनस्पति कहते हैं। किसी टुंड्रा प्रदेश और जंगल के बीच की पारिस्थितिक सीमा वृक्ष रेखा कहलाती है।

प्रश्न 2. सागौन, बबूल, खैर और चन्दन वृक्षों का एक-एक मुख्य उपयोग लिखिए।

उत्तरः   बबूल        -            दन्त मंजन

सागौन       -          इमारती लकड़ी व फर्नीचर

खैर         -            कत्था

चन्दन       -          अगरबत्ती।

प्रश्न 3. भारत के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों के नाम लिखिए और बताइए कि ये किन-किन प्रदेशों में स्थित हैं?

उत्तरः   काजीरंगा           -     असम

रणथम्भौर          -     राजस्थान

बांधवगढ़           -     मध्य प्रदेश

कान्हा किसली   -     मध्य प्रदेश

माधव (शिवपुरी)     -     मध्य प्रदेश

नन्दादेवी           -     उत्तराखण्ड।

प्रश्न 4. मनुष्य के जीवित रहने के लिये पारितन्त्र का संरक्षण क्यों आवश्यक है?

उत्तरः पारितन्त्र का विकास लाखों करोड़ों वर्षों में हुआ है। पारितन्त्र के अन्तर्गत आने वाले पौधों तथा जीव-जन्तुओं में गहरा सम्बन्ध होता है। मानव भी अपने अस्तित्व एवं विकास के लिये पारितन्त्र के जीव-जन्तुओं और वनस्पति पर आश्रित हो जाता है। पारितन्त्र से छेड़छाड़ करने से अत्यन्त गम्भीर परिणाम हो सकते हैं अतः पारितन्त्र का संरक्षण आवश्यक है।

प्रश्न 5. भारत की समृद्ध जैव विविधता के लिए किन्हीं तीन प्रमुख खतरों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर : भारत की समृद्ध जैव विविधता को खतरा हैः

(1) लालची शिकारियों द्वारा शिकार करना।

(2) रासायनिक और औद्योगिक कचरे के कारण प्रदूषण।

(3) खेती, आवास, रेलवे विस्तार आदि के लिए जंगलों की अंधाधुंध कटाई।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न (04 अंक)

प्रश्न 1. भारतीय वनस्पति के प्रमुख कटिबन्धों के नाम लिखिए। ज्वारीय वन का वर्णन कीजिए।

उत्तरः भारतीय वनस्पति के चार प्रमुख कटिबन्ध निम्नलिखित हैं :

1.   उष्ण कटिबन्धीय वर्षा वन

2.   उष्ण कटिबन्धीय पर्णपाती वन

3.   कँटीले वन तथा झाड़ियाँ

4.   ज्वारीय वन।

ज्वारीय वन :

ये वन तट के सहारे नदियों के ज्वारीय क्षेत्र में पाये जाते हैं। ज्वारीय क्षेत्र में मिलने के कारण इन वनों को ज्वारीय वन कहा जाता है। इन वनों में ताड़, नारियल, मैंग्रोव, नीपा, फोनेक्स, कैज्युराइना आदि के वृक्षों की प्रधानता होती है। गंगा तथा ब्रह्मपुत्र नदियों के डेल्टा में सुन्दरी नामक वृक्ष पाये जाते हैं। इन वनों में सागरीय जल भरा रहता है, अतः इनमें आने-जाने के लिए नावों का प्रयोग किया जाता है। इन वनों के वृक्षों की छाल खारे जल के प्रभाव से नमकीन तथा लकड़ी कठोर हो जाती है। इन वृक्षों की कठोर लकड़ी का उपयोग नाव बनाने तथा नमकीन छाल का उपयोग चमड़ा रंगने में किया जाता है।

प्रश्न 2. वनस्पति तथा जीव-जन्तु में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः  वनस्पति तथा जीव-जन्तु

क्रमांक

वनस्पति

जीव-जन्तु

1.

प्राकृतिक वनस्पति के आवरण में वन, घास भूमियाँ तथा झाड़ियाँ शामिल हैं।

जीव-जन्तुओं में मछलियाँ, पक्षी, स्तनधारी पश, छोटे कीट, कृमि आदि शामिल हैं।

2.

भारत में पेड़-पौधों की 47,000 प्रकार की जातियाँ पायी जाती हैं।

यहाँ लगभग 90,000 जातियों के जीव-जन्तु पाये जाते हैं।

3.

वनस्पति सूर्य से प्राप्त ऊर्जा को खाद्य ऊर्जा में बदल सकती है।

जीव-जन्तु अस्तित्व के लिए पूर्णरूपेण वनस्पति जगत पर आधारित हैं।

4.

पौधों को दो वर्गों-फूल वाले पौधे तथा बिना फूल वाले पौधे के रूप में बाँटा जाता है।

जीव-जन्तुओं को दो वर्गों में बाँटा जा सकता है-                       (1) शाकाहारी जीव तथा (2) माँसाहारी जीव।

5.

वनस्पति जीव-जन्तुओं की पूरक है।

जीव-जन्तु वनस्पति जगत के पूरक हैं।



प्रश्न 3. भारत में प्रायः औषधि के लिये प्रयोग होने वाले कुछ प्रमुख पादप-सर्पगंधा, तुलसी, नीम, जामुन, बबूल, कचनार व अर्जुन के उपयोग बताइए।

उत्तरः   सर्पगंधा     -             रक्तचाप के निदान के लिए

तुलसी       -             जुकाम और खाँसी के लिए

नीम         -             जैव व जीवाणु प्रतिरोध हेतु

जामुन       -             पाचन क्रिया को ठीक करने, मधुमेह में उपयोगी

बबूल        -             फुन्सी में लाभदायक व शारीरिक शक्ति में वृद्धि हेतु उपयोगी

कचनार    -             फोड़ा व दमा रोग के लिये उपयोगी

अर्जुन       -             कान का दर्द ठीक करने व रक्तचाप को नियन्त्रित करने के लिए।

प्रश्न 4. प्रायद्वीपीय पर्वतीय वनों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।

उत्तरः

    1.   इन वनों में अधिक ऊँचाई वाले भागों में अविकसित वनों या झाड़ियों के साथ खुली हुई विकसित तरंगित घास भूमि पायी जाती है।

    2.   इन वनों में पेड़ों के नीचे वनस्पति का जाल पाया जाता है। इसमें परपोषी पौधे, काई व बारीक पत्तियों वाले पौधे प्रमुख होते हैं।

    3.   ये वन नीलगिरि, अन्नामलाई, पालनी, पश्चिमी घाट व महाबलेश्वर, सतपुड़ा व मैकल पहाड़ियों पर पाये जाते हैं।

    4.   इन वनों में पाया जाने वाले मैग्लोनिया, लारेल, एल्म सामान्य वृक्ष हैं। जबकि सिनकोना व यूकेलिप्टस वृक्षों को विदेश से लाकर लगाया गया है।

प्रश्न 5. आर्द्र तथा शुष्क पर्णपाती वन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।

उत्तरः आर्द्र तथा शुष्क पर्णपाती वन

क्रमांक

आर्द्र पर्णपाती वन

शुष्क पर्णपाती वन

1.

इन वनों का विस्तार उत्तरी-पूर्वी राज्यों, हिमालय के गिरिपाद क्षेत्रों, झारखण्ड, पश्चिमी उड़ीसा, छत्तीसगढ़ तथा पश्चिमी घाट से पूर्वी ढाल पर है।

यह प्रायद्वीपीय पठार के वर्षा वाले भागों में पाये ये जाते हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश में पाये जाते हैं।

2.

ये वन उन क्षेत्रों में पाये जाते हैं जहाँ वर्षा की मात्रा 100 सेमी से 200 सेमी होती है।

शुष्क पर्णपाती वन 70 से 100 सेमी वार्षिक वर्षा वाले क्षेत्र में पाए जाते हैं।

3.

सागौन इन वनों का प्रमुख वृक्ष है। बाँस, साल शीशम, चन्दन तथा खैर महत्त्वपूर्ण व्यापारिक प्रजातियाँ हैं।

विस्तृत क्षेत्रों में सागौन तथा अन्य वृक्ष उगते हैं। अधिक सूखे भागों में झाड़ियाँ तथा कँटीले वनों का विस्तार पाया जाता है।

प्रश्न 6. “वन पर्यावरण के महत्त्वपूर्ण अंग हैं।” इस कथन को स्पष्ट कीजिए।

अथवा

पर्यावरण सन्तुलन के लिए वन क्यों आवश्यक हैं? कोई चार कारण बताइए।

उत्तरः वनों एवं पर्यावरण में घनिष्ठ सम्बन्ध है। यह निम्न तथ्यों से स्पष्ट है :-

    1.   वन वायुमण्डल को शुद्ध रखते हैं और वायु प्रदूषण को कम करते हैं।

    2.   वन वायुमण्डल को ऑक्सीजन प्रदान करते हैं।

    3.   वन वायु के तापमान को बनाये रखते हैं, जिससे वर्षा होती है।

    4.   वन जलवायु को सम रखते हैं।

    5.   वन जल के बहाव को रोकते हैं, जिससे भूमि का कटाव रुक जाता है तथा भूगर्भीय जल-स्तर में वृद्धि होती है।

प्रश्न 7. जीव-आरक्षित क्षेत्र (बायोस्फीयर रिजर्व) किसे कहते हैं? ऐसे दो क्षेत्रों के नाम बताइए।

उत्तरः भारत में जैव-विविधता की सुरक्षा के लिए अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। इस योजना के अन्तर्गत नीलगिरि में भारत का प्रथम जीव-आरक्षित क्षेत्र (बायोस्फीयर रिजर्व) स्थापित किया गया है। यह कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के सीमावर्ती क्षेत्रों में फैला है। इसका क्षेत्रफल 5500 वर्ग किमी है। इस योजना के अन्तर्गत प्रत्येक जन्तु तथा पौधे का रक्षण अनिवार्य है। इसकी स्थापना 1986 में की गयी थी। उत्तराखण्ड के हिमालय क्षेत्र में नन्दादेवी का जीव-आरक्षित क्षेत्र 1988 में स्थापित किया गया था।

प्रश्न 8. पारिस्थितिक सन्तुलन के लिए वन क्यों आवश्यक हैं?               अथवा

वन संरक्षण क्यों आवश्यक है?

उत्तरः वनों को काटे जाने के कारण पर्यावरण प्रदूषित हुआ है तथा पारिस्थितिकी में भी परिवर्तन आया है। इसी प्रकार वर्तमान युग में अधिकांश देशों में वनों का क्षेत्रफल कम हो रहा है। इस कमी के कारण भू-अपरदन, अनावृष्टि, बाढ़ आदि समस्याएँ आज मानव के समक्ष आ खड़ी हैं। अतः वायु प्रदूषण की समस्या आज के मानव के सामने सबसे बड़ी समस्या के रूप में उपस्थित हुई है। इसी कारण वन-संरक्षण पारिस्थितिक सन्तुलन के लिए आवश्यक है।

प्रश्न 9. वनों के विनाश के क्या कारण हैं?

उत्तरः वनों के विनाश के कारण :-

    1.   जनसंख्या में तीव्र वृद्धि होने से कृषि भूमि की प्राप्ति के लिए वनों को काटकर खेती की जा रही है।

    2.   इमारती लकड़ी और चारे की बढ़ती माँग तथा वन्य भूमि के खेती के लिए उपयोग से वनों पर जबरदस्त प्रभाव पड़ा रहा है।

    3.   ईंधन के रूप में प्रयोग करने हेतु लकड़ी काटी जा रही है।

    4.   आवागमन के साधनों, रेल, सड़क मार्गों के विकास हेतु वनों को काटा जा रहा है।

    5.   आवास समस्या की पूर्ति के लिए वनों को काटकर रिहायशी भूमि का विस्तार किया जा रहा है।

प्रश्न 10. कँटीले वनों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।

उत्तरः जिन क्षेत्रों में 70 सेमी से भी कम वार्षिक वर्षा होती है। वहाँ कँटीले वन तथा झाड़ियाँ पायी जाती हैं। इस प्रकार की वनस्पति देश के उत्तर-पश्चिमी भागों में पायी जाती है। इसकी प्रमुख विशेषताएँ निम्न हैं :-

1. इन वनों के वृक्षों का आकार छोटा, पत्तियाँ छोटी तथा जड़ें लम्बी होती हैं।

2. इन वनों के कीकर, बबूल, खैर तथा खजूर उपयोगी वृक्ष हैं।

3. इन वनों में वृक्ष दूर-दूर पाये जाते हैं।

4. कँटीली झाड़ियों में चूहे, खरगोश, लोमड़ी, भेड़िये, जंगली गधा, घोड़े, ऊँट तथा सिंह पाये जाते हैं।

प्रश्न 11. मध्य प्रदेश में पाये जाने वाले जीव-जन्तुओं व प्रमुख वन्य-जीव अभ्यारण्यों के नाम लिखिए।                       अथवा

मध्य प्रदेश में पाये जाने वाले जीव-जन्तुओं व प्रमुख राष्ट्रीय उद्यानों का वर्णन कीजिये।

उत्तरः वन सम्पदा की दृष्टि से मध्य प्रदेश सम्पन्न राज्य है। यहाँ कुल भूमि का लगभग 30 प्रतिशत भाग वनों से घिरा हुआ है जिसमें विभिन्न प्रकार के वन्य-पशु एवं जीव-जन्तु पाये जाते हैं। मध्य प्रदेश के प्रमुख वन्य-पशु, जीव व पक्षी, काला हिरण, तेंदुआ, चिंकारा, बन्दर, गौर, नीलगाय, चीतल, साँभर, शेर, भालू, घड़ियाल, मगर, कछुआ, सोन चिड़िया, खरमौर आदि हैं। इन वन्य पशुओं, जीवों व पक्षियों को सुरक्षित आवास उपलब्ध कराने एवं प्रजातीय सुरक्षा हेतु वन्य जीव अभ्यारण्य एवं राष्ट्रीय उद्यान विकसित किये गये हैं जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं :-

मध्य प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यान

बांधवगढ़           -     मध्य प्रदेश

कान्हा किसली                -     मध्य प्रदेश

माधव (शिवपुरी)     -     मध्य प्रदेश

प्रश्न 12. टुंड्रा किसे कहते हैं?

उत्तर :- टुण्ड्रा एक प्रकार का बायोम (जैवक्षेत्र) है। फ़िनिश भाषा से टुण्ड्रा शब्द आया है, जिसका अर्थ होता है- ’ऊँची भूमि’ या ’वृक्षविहीन पर्वतीय रास्ते’।

ध्रुवीय क्षेत्र के रेगिस्तान ठंडे होते हैं तथा वर्ष भर बर्फ से ढके रहते हैं। यहाँ वर्षा नगण्य होती है तथा धरती की सतह पर सदैव बर्फ की चादर-सी बिछी रहती है। जिन क्षेत्रों में जमाव बिंदु एक विशेष मौसम में ही होता है, उन ठंडे रेगिस्तानों को ही ’टुण्ड्रा’ कहते हैं। यहाँ पूरे वर्ष तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस से कम रहता है। ऐसे स्थान सदैव बर्फ आच्छादित रहते हैं।

टुंड्रा वनस्पति

इस क्षेत्र में मुख्य रूप से बौनी झाड़ियाँ, घास, लाइकेन, काई और दलदली पौधे उगते हैं। विश्व के कुछ टुण्ड्रा प्रदेशों में छितरे हुए वृक्ष भी पाये जाते हैं।

टुंड्रा जीव

इस इलाके में रेनडीयर, कैरिबो, ध्रुवीय भालू, लोमड़ी, मस्क बैल तथा खरगोश आदि स्थानीय जीव पाये जाते हैं। यहाँ सील, ह्वेल और वालरस आदि जलचर जीव हैं। ग्रीष्म ऋतु में अनेक प्रकार के पक्षी भी यहाँ पाए जाते हैं।

प्रश्न 13. अल्पाइन वनस्पति क्या होती है?

उत्तर :- अल्पाइन जलवायु उस ऊँचाई की जलवायु को कहते हैं जो वृक्ष रेखा के ऊपर हो। किसी जगह की जलवायु अल्पाइन है तभी कहा जा सकता है जब वहाँ किसी भी महीने का औसत तापमान 100 सेल्सियस से ऊपर नहीं होता है।

जैसे-जैसे ऊँचाई बढ़ती जाती है, वैसे-वैसे तापमान में गिरावट आती है। इसकी वजह है हवा की गिरावट दर। प्रति किलोमीटर ऊँचाई में तापमान 100 सेल्सियस गिरता है। इसकी वजह यह है कि ऊँचाई में हवा ठंडी होती जाती है क्योंकि दबाव कम होने के कारण वह फैलती है।

अतः पहाड़ों में 100 मीटर ऊँचा जाना तकरीबन अक्षांश में 80 किलोमीटर ध्रुव की ओर जाने के बराबर होता है, हालांकि यह ताल्लुक महज़ अन्दाज़ा है क्योंकि स्थानीय कारण भी, जैसे समुद्र से स्थान की दूरी इत्यादि, जलवायु को बड़े पैमाने में प्रभावित करते हैं। मुख्य रूप से इन इलाकों में हिमपात ही होता है जो अक्सर तेज़ गति की हवाओं के साथ होता है।

अल्पाइन जलवायु वाले पहाड़ी क्षेत्रों में, प्रमुख बायोम अल्पाइन टुण्ड्रा होता है।

पाठ्यपुस्तक आधारित परियोजना/गतिविधियां

1. हिमालय के दक्षिणी ढलानों पर पूर्वी ढलानों की अपेक्षा ज्यादा सघन वनस्पति क्यों हैं?

उत्तर :- सूर्य का प्रकाश अधिक समय तक मिलने के कारण वृक्ष गर्मी की ऋतु में जल्दी बढ़ते हैं। अतः हिमालय पर्वतीय क्षेत्र की दक्षिणी ढलानों पर अधिक सूर्यताप मिलने के कारण उत्तरी ढलानों की अपेक्षा अधिक सघन वनस्पति पायी जाती है।

2. पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलानों पर पूर्वी ढलानों की अपेक्षा अधिक सघन वनस्पति क्यों है?

उत्तर :- पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलान पवनाभिमुख होने के कारण यहाँ पर 250 सेमी और 400 सेमी के बीच भारी वर्षा होती है। जब ये हवा पूर्वी ढलान की तरफ तो इनकी शक्ति और आर्द्रता कम हो जाती है जिसके वजह से यहाँ कम बारिश होती है। और उन क्षेत्रों में वनस्पति सघन होती है जहाँ अधिक वर्षा होती है। अतः पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलानों पर पूर्वी ढलानों की अपेक्षा अधिक सघन वनस्पति होती है।


3. यदि वनस्पति और जानवर धरती से अदृश्य हो जाएँ? क्या मनुष्य उन अवस्थाओं में जीवित रह पायेगा? जैव विविधता क्यों अनिवार्य है? और इसका संरक्षण क्यों आवश्यक है?

उत्तर : हम जानते हैं कि सभी मनुष्यों को जीवित रहने के लिए खाना चाहिए। हमें पौधों और जानवरों से भोजन मिलता है इस दुनिया में शाकाहारियों की तुलना में अधिक मांसाहारी हैं यदि सभी जानवर विलुप्त हो जाएंगे तो इस दुनिया की पूरी आबादी अपने भोजन के लिए पौधों पर निर्भर हो जाएगी। पौधों को पौष्टिक भोजन की आवश्यकता होती है और मिट्टी में मौजूद सूक्ष्म जीवों को कार्बनिक पदार्थों को पोषक तत्वों में विघटित करने और पौधों को आपूर्ति करने की आवश्यकता होती है, ऐसे में यदि सूक्ष्म जीव विलुप्त हो जाए तो उन पौधों का विकास ही संभव नहीं होगा।

दूसरा, अगर इस धरती पर सारे ही जानवर नष्ट हो जाए तो हमारे वायुमंडल में कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाएगी और यह ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनेगी जो ओजोन परत को नष्ट कर देता हैम और अंत में मनुष्य भी विलुप्त होने का सामना कर सकते हैं।

दुर्भाग्य से, अगर सभी जानवरों की मृत्यु हो गई तो यह कई पौधों का विलुप्ति का कारण भी बनेगी। जानवरों के बिना, कई पौधे परागण नहीं पाएंगे, इसलिए हम कई खाद्य फसलों को खो देंगे। बाकी हाथ-परागण हो सकता है, लेकिन हर किसी को खिलाने के लिए पर्याप्त पैमाने पर नहीं।

वहीं दूसरी ओर कीड़े, बीटल्स और अन्य जानवरों के सहयोग के बिना फसलों को व्यवस्थित रूप से बढ़ाने के लिए मिट्टी की स्थिति को बनाए रखना असंभव तो नहीं है, मगर यह करना मुश्किल जरूर होगा। क्योंकि हर काम इंसानी हाथों द्वारा करना और वो भी जो प्रकृति का काम है यह इतना सरल नहीं होता। साथ ही परागणकों और बीज फैलाने वाले कारक भी जानवरों पर निर्भर होते हैं।

जानवर भी इस पृथ्वी को सुचारू रूप से चलाने के लिए अहम भूमिका निभाते हैं। यह कई परेशानियों को ले कर आएगी इससे वर्षा का भी अचानक नुकसान होगा, वायुमंडलीय परिवर्तन और जलवायु परिवर्तन होगा। अपघटन की कमी के कारण बड़े पैमाने पर भुखमरी से बड़े पैमाने पर बीमारी हो सकती है।

अतः जैव विविधता अनिवार्य है क्योंकि सभी जीव जंतु, वनस्पति और मनुष्य एक चक्र में एक दूसरे पर निर्भर हैं।

मौजूदा दौर में मानव जिस तरह प्रकृति की अनदेखी कर रहा है उससे वो खुद को विलुप्ति की कगार पर पहुंचा रहा है। और लोगों को पता था कि यह हो रहा है और इसके लिए तैयार है, तो संभवतः हम मानवता के कुछ अंश को संरक्षित करने का प्रबंधन कर सकते हैं। लेकिन, इस तथ्य के बारे में हमारी उदासीनता को देखते हुए कि हम पहले से ही एक बड़े पैमाने पर विलुप्त होने के कारण अगली शताब्दी में 30-50% प्रजातियों को नष्ट करने की उम्मीद कर रहे हैं, मुझे संदेह है कि हम भी कोशिश करेंगे।

हमें जल्दी ही इस पर ध्यान देना होगा क्योंकि कहीं ऐसा न हो जब तक हम इस विषय पर अपनी गंभीरता व्यक्त करें तब तक काफी देर न हो जाए। हमें जल्द से जल्द इस पर अहम पहल करनी होगी। ताकि यह कल्पना हमेशा कल्पना पर ही सिमिति रहे, कभी यथार्थ में न हो। क्योंकि इस परेशानी ने अगर यथार्थ रूप धारण कर लिया तो इससे निपटपाना सम्पूर्ण मानव जाति के लिए बेहद मुश्किलों वाला हो जाएगा।





धन्यवाद

आप सफल हों

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