जलवायु
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1. जलवायु : परिचय (भाग - 1)
2. जलवायु:जलवायवी नियंत्रण तथा
भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक (भाग-2)
अ. अक्षांश ब. ऊँचाई
3. जलवायु:वायुदाब और पवन
तंत्र (भाग-3)
4. जलवायु:ऊपरी वायु
परिसंचरण तथा पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ एवं उष्ण कटिबंधीय चक्रवात (भाग-4)
5. जलवायु: भारतीय मानसून और इसे प्रभावित करने वाले
कारक (भाग - 5)
6. जलवायु:मानसून का आगमन और
वापसी
7. जलवायु: ऋतुएं (शीत ऋतु
और ग्रीष्म ऋतु) /Climate: The Winter and The Summer (भाग -7)
8. जलवायु:ऋतुएं (वर्षा
ऋतु:
मानसून का आगमन)/
Climate:
Advansing of Monsoon(The Rainy Season) (भाग -8)
9. जलवायु:ऋतुएं (परिवर्तनीय
ऋतु:
मानसून का प्रस्थान)/
Climate:
Retreating/Post Monsoon (The Transition Season) (भाग -9)
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महत्वपूर्ण तथ्य :
· जलवायु मौसमी
अवस्थाओं तथा अन्य विविधताओं का योग है।
· भारत की जलवायु
को मानसूनी जलवायु कहा जाता है।
· मानसून शब्द
की उत्पत्ति अरबी भाषा के शब्द मौसिम से हुई है। जिसका अर्थ है- मौसम।
· किसी क्षेत्र
की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक- अक्षांश, ऊँचाई,
वायुदाब,पवन तन्त्र,
समुद्र से दूरी, महासागरीय धारायें तथा
उच्चावच हैं।
· लू- ये धूलभरी, गर्म और शुष्क पवनें होती हैं जो मई-जून में दिन के समय भारत
के उत्तर एवं उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों में चलती हैं ।
· विश्व में
सबसे अधिक वर्षा मासिनराम में होती है।
· जेट धारा-ऊपरी
क्षोभमंडल के संकीर्ण क्षेत्र में तीव्र वेग से बहने वाली पवन होती है ।
· एलनीनो एक
गर्म जलधारा है। यह पेरु के तट पर उत्पन्न होती है, और पेरु की शीतधारा को अस्थायी रूप से हटाकर उसका स्थान ले लेती
है।
· मानसून का
फटना- अचानक ही कई दिनों तक वर्षा का लगातार होना और प्रचंड रूप रखना मानसून का फटना
कहलाता है।
· वर्षा ऋतु
में भारत में हवायें समुद्र से स्थल की ओर चलने लगती हैं,जिन्हें
हम मानसूनी हवायें कहते हैं।
· मानसूनी हवाओं
को दो भागों में बांटा जाता है
1) दक्षिणी-पश्चिमी मानसून
2) उत्तरी-पूर्वी मानसून।
·
भारत में
अधिकांश वर्षा दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से होती है।
·
भारत की ऋतुएँ
- भारत में मुख्य रूप से चार ऋतुएँ
पायी जाती हैं।
1) शीत ऋतु -
मध्य नवम्बर से फरवरी तक
2) ग्रीष्म ऋतु -
मार्च से मई तक
3) वर्षा ऋतु -
जून से सितम्बर
4) लौटते हुए मानसून की ऋतु - अक्टूबर से नवम्बर
·
भारत में
शीत ऋतु में सर्वाधिक वर्षा प्राप्त करने वाला स्थान - तमिलनाडु
·
भारत में
वार्षिक वर्षा का लगभग 80% प्राप्त होता
है - दक्षिण पश्चिमी मानसून से
·
भारत में
औसत वार्षिक वर्षा - 118 सेमी
·
एशिया महाद्वीप
में सर्वाधिक वायुदाब तंत्र क्षेत्र स्थित है-
बैकाल झील के पास
·
मेघालय के
मासिनराम नामक स्थान पर 1300 मीटर से अधिक वर्षा का
कारण - बंगाल खाड़ी शाखा
·
शीत ऋतु में
भारत में सर्वाधिक वायुदाब वाला क्षेत्र - उत्तरी पश्चिमी राजस्थान
·
अक्टूबर-नवंबर
माह में सर्वाधिक वर्षा होती है - कोरोमंडल तट
·
भारत के पश्चिमी
तट पर वर्षा होती है - दक्षिणी पश्चिमी मानसून से
·
भारत की जलवायु
की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है - पवनों की दिशा में मौसमी परिवर्तन
·
भारतीय मानसून
का सर्वप्रथम वर्णन किया था - अल मसूदी ( अरबी विद्वान)
·
दक्षिण पश्चिम
मानसून सर्वप्रथम प्रवेश करता है - केरल में
·
किस राज्य
में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर शाखा दोनों से वर्षा होती है - पंजाब
·
शीत ऋतु में
पश्चिम उत्तर भारत में वर्षा का कारण है - पश्चिमी विक्षोभ
· आम्र वर्षा
है - ग्रीष्म ऋतु के अंत में होने वाली पूर्व मानसूनी वर्षा जिसके कारण आम जल्दी पक
जाते हैं। इसे आम्र वर्षा कहते हैं। यह केरल और कर्नाटक में होती है।
· ग्रीष्म काल
में आने वाले तूफानों को काल बैसाखी कहा जाता है - पश्चिम बंगाल में
· मौसम तथा
जलवायु के तत्त्व जैसे - तापमान वायुमंडलीय दाब पवन आर्द्ता तथा वर्षण एक ही होते है।
·
मानसून शब्द
की व्युत्पत्ति अरबी शब्द मौसम से हुई है जिसका शाब्दिक अर्थ है मौसम ।
·
मानसून का
अर्थ एक वर्ष के दौरान वायु की दिशा में ऋतु के अनुसार परिवर्तन है ।
· भारत की जलवायु
को मानसूनी जलवायु कहा जाता है । इस प्रकार कि जलवायु मुख्यतः दक्षिण तथा दक्षिण -
पूर्व एशिया में पाई जाती है ।
· महासागरीय
धाराएँ समुद्र से तट की ओर चलने वाली हवाओं के साथ तटीय क्षेत्रों की जलवायु को प्रभावित
करती है उदाहरण के लिए कोई भी तटीय क्षेत्र जहाँ गर्म या ठंडी जलधाराएँ बहती है और
वायु की दिशा समुद्र से तट की ओर हो तब वह तट गर्म या ठंडा हो जाएगा ।
· देश का लगभग
आधा भाग कर्क वृत के दक्षिण में स्थित है जो उष्ण कटिबन्धीय क्षेत्र है । कर्क वृत
के उत्तर में स्थित शेष भाग उपोष्ण कटिबंधीय हैं ।
·
भारत के उत्तर
में हिमालय पर्वत है इसकी औसत ऊंचाई लगभग 6,000 मीटर है ।
·
भारत का तटीय
क्षेत्र भी विशाल है जहाँ अधिकतम ऊँचाई लगभग 30 मीटर है ।
· भारत में
जलवायु तथा संबंधित मौसम अवस्थाएँ निम्नलिखित है :- 1) वायु दाब एवं धरातलीय पवनें (2) ऊपरी वायु परिसंचरण (3) पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ एवं (4) उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात
· कोरिआलिस
बल :- पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न आभासी बल को कोरिआलिस बल कहते है इस बल के
कारण पवनें उत्तरी गोलार्द्ध में दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर विक्षेपित
हो जाती है इसे फेरेल का नियम भी कहा जाता हैं ।
· जेट धारा
:- ये एक संकरी पट्टी में क्षोभमंडल में अत्यधिक ऊँचाई 12,000 मीटर से अधिक वाली पश्चिमी
हवाएं होती हैं इनकी गति गर्मी में 110 कि.मी. प्रति घंटा एवं सर्दी में 184 कि.मी. प्रति घंटा होती
हैं । बहुत - सी अलग - अलग जेट धाराओं को पहचान गया है । उनमें सबसे स्थिर मध्य अक्षांशीय
एवं उपोष्ण कटिबंधीय जेट धाराएं हैं ।
· जेट धाराएँ
लगभग 270 से 300 उत्तर अक्षांशों के बीच
स्थित होती हैं इसलिए इन्हें उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएं कहा जाता है ।
· पूर्वी जेट
धारा जिसे उष्ण कटिबंधीय पूर्वी जेट धारा कहा जाता है गर्मी के महीनों में प्रायद्वीपीय
भारत के ऊपर लगभग 400 उत्तरी अक्षांश में प्रवाहित
होती है ।
· दाब की अवस्था
में परिवर्तन का सबंध एलनीनो से है ।
· एलनीनो
:- ठंडी पेरू जलधारा के स्थान पर अस्थायी तौर पर गर्म जलधारा के विकास को एलनीनो का
नाम दिया गया है ।
· एलनीनो स्पैनिश
शब्द है जिसका अर्थ होता है बच्चा तथा जो कि बेबी क्राइस्ट को व्यक्त करता है, क्योंकि यह धारा क्रिसमस के समय बहना शुरू करती है । एलनीनो
की उपस्थिति समुद्र की सतह के तापमान को बढ़ा देती है ।
· मानसिराम
विश्व में सबसे अधिक वर्षा वाला क्षेत्र है तथा स्टैलेग्माईट एवं स्टैलेकटाइट गुफाओं
के लिए प्रसिद्ध है।
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अभ्यास
1. नीचे दिए गए चार विकल्पों में से सही उत्तर चुनें।
(i) नीचे दिए गए स्थानों
में किस स्थान पर विश्व में सबसे अधिक वर्षा होती है?
(क) सिलचर (ख)
चेरापूंजी
(ग) मासिनराम (घ)
गुवाहाटी
उत्तर - मासिनराम।
(ii) ग्रीष्म ऋतु में उत्तरी मैदानों में बहने वाली पवन को निम्नलिखित
में से क्या कहा जाता है?
(क) काल वैशाखी (ख)
व्यापारिक पवनें
(ग) लू (घ)
इनमें से कोई नहीं
उत्तर - लू।
(iii) निम्नलिखित में से कौन-सा कारण भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में
शीत ऋतु में होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी
है-
(क) चक्रवातीय अवदाब (ख)
पश्चिमी विक्षोभ
(ग) मानसून की वापसी (घ)
दक्षिण-पश्चिम मानसून
उत्तर - पश्चिमी विक्षोभ।
(vi) भारत में मानसून का आगमन निम्नलिखित में से कब होता है-
(क) मई के प्रारंभ में (ख)
जून के प्रारंभ में
(ग) जुलाई के प्रारंभ में (घ)
अगस्त के प्रारंभ में
उत्तर - जून के प्रारंभ में।
(v) निम्नलिखित में से कौन-सी भारत में शीत ऋतु की विशेषता है?
(क) गर्म दिन एवं गर्म रातें (ख) गर्म दिन एवं ठंडी रातें
(ग) ठंडा दिन एवं ठंडी रातें (घ) ठंडा दिन एवं गर्म रातें
उत्तर - गर्म दिन एवं ठंडी रातें।
2. निम्न प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में दीजिए।
(i) भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कौन-कौन से कारक हैं?
उत्तर - भारत की
जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं -
(1) अक्षांश
(2) ऊँचाई
(3) वायुदाब एंव पवन तंत्र
(4) समुद्र से दुरी
(5) महासागरीय धाराएँ
(6) उच्चावच लक्षण ।
(ii) भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्यों है?
उत्तर - भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु के निम्नलिखित कारण
हैं :
(1) भारत की जलवायु मानसूनी पवनों से बहुत अधिक प्रभावित है । मानसून
का प्रभाव उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में लगभग 200 उत्तर एवं 200 के बीच रहता है।
(2) स्थल तथा जल के गर्म एवं ठंडे होने की विभेदी प्रक्रिया के कारण
भारत के स्थल भाग पर निम्न दाब का क्षेत्र उत्पन्न होता है, जबकि इसके आस-पास के समुद्रों के ऊपर उच्च दाब का क्षेत्र बनता
है।
(3) ग्रीष्म ऋतु के दिनों में अंतः उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र
की स्थिति गंगा के मैदान की ओर खिसक जाती है।
(4) हिन्द महासागर में मेडागास्कर के पूर्व लगभग 200 दक्षिण अक्षांश के ऊपर
उच्च दाब वाला क्षेत्र होता है। इस उच्च दाब वाले क्षेत्र की स्थिति एवं तीव्रता भारतीय
मानसून को प्रभावित करती है ।
(5) ग्रीष्म ऋतु में हिमालय के उत्तर-पश्चिमी जेट धाराओं का तथा
भारतीय प्रायद्वीप के ऊपर उष्ण कटिबंधीय पूर्वी जेट धाराओं का प्रभाव होता है।
(6) एलनीनो दक्षिणी दोलन की घटना सक्रिय रहती है।
(iii) भारत के किस भाग
में दैनिक तापमान अधिक होता है एवं क्यों?
उत्तर - भारत के पर्वतीय भाग, पठारी भाग तथा कुछ उतरी मैदानी भाग में दैनिक तापमान अधिक होता
है । इसके निम्नलिखित कारण है :
(1) इस भाग से कर्क वृत गुजरता है । देश का लगभग आधा भाग कर्क वृत
के दक्षिण में स्थित है,
जो उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र है ।
(2) समुद्र से दूरी होने के कारण इस क्षेत्र का दैनिक तापमान दिन
में काफी बढ़ जाता है जबकि रात में अपने न्यूततम स्तर पर होता है। यहाँ दैनिक तापान्तर
भी अधिक होता है।
(3) कर्क वृत के उत्तर में स्थित शेष भाग उपोष्ण कटिबंधीय है । इस
वृत के आस पास दिन में तापमान अधिक होता है
।
(iv) किन पवनों के कारण मालाबार तट पर वर्षा होती है?
उत्तर - मालाबार तट केरल के दक्षिणी तथा पूर्वी तटीय भाग है
जहाँ दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी पवनों के कारण यहाँ भारी वर्षा होती है ।
(v) जेट धाराएँ क्या हैं तथा वे किस प्रकार भारत की जलवायु को
प्रभावित करती हैं?
उत्तर - जेट धाराएँ एक संकरी पट्टी में स्थित क्षोभमंडल में
12000 मी० से अधिक ऊँचाई पर
प्रवाहित पश्चिमी हवाएँ होती हैं। ये लगभग 270 से 300 उत्तर अक्षांशो के बीच
स्थित होती है । इसलिए इन्हें उपोष्ण कटिबंधीय पश्चिमी जेट धाराएँ भी कहा जाता है ।
भारत की जलवायु को ये जेट धाराएं इस प्रकार प्रभावित करती हैं
:-
(1) भारत में ये जेट धाराएँ ग्रीष्म ऋतु को छोड़कर पूरे वर्ष हिमालय
के दक्षिण में प्रवाहित होती है।
(2) इस पश्चिमी प्रवाह के कारण देश के उत्तर तथा पश्चिमी भाग में
पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ आते है।
(3) गर्मियों में सूर्य की आभासी गति के साथ ही उपोष्ण कटिबंधीय
पश्चिमी जेट धाराएँ हिमालय के उत्तर में चली जाती है।
(vi) मानसून को परिभाषित
करें। मानसून में विराम से आप क्या समझते हैं?
उत्तर - एक वर्ष के दौरान वायु की दिशा में ऋतु के अनुसार परिवर्तन
को मानसून कहते है।
मानसून में विराम एक परिघटना है जिसमें मानसूनी वर्षा एक समय
में कुछ दिनों तक ही होती है फिर रूक जाती है। इस तरह वर्षा का कुछ दिनों के लिए रूक
जाना वर्षा रहित अंतराल कहलाता है। जिसे वर्षा में विराम कहा जाता है । इसमें दो अवस्थाएँ
होती है एक मानसूनी गर्त का अक्ष मैदान के ऊपर होता है तब वर्षा होती है दूसरा जब अक्ष
हिमालय के समीप चला जाता है तब मैदानों में काफी समय तक शुष्क अवस्था रहती है । और
जब वर्षा रुक जाती है ,
तब इसे ही मानसून में विराम कहते है।
(vii) मानसून को एक सूत्र
में बाँधने वाला क्यों समझा जाता है?
उत्तर – मानसून को एक सूत्र में बांधने वाला समझने के प्रमुख
कारण निम्नलिखित हैं -
(1) भारत का प्रत्येक भाग चाहे वो जम्मू-कश्मीर से तमिलनाडु हो या
गुजरात से पूर्वोत्तर भारत हो सभी मानसून का बेसब्री से प्रतीक्षा करते है । यह उनके
जान-जीवन से जुड़ा चीज है।
(2) मानसून की प्रत्येक स्थितियां जैसे मानसून का समय से आना, समय से पहले चले जाना, लम्बे समय तक रहना, अचानक गायब हो जाना आदि यहाँ के लोगों के जन जीवन को प्रभावित
करता है।
(3) भारत में वर्षा के जल का वितरण और कृषि प्रक्रिया पूर्णतः मानसून
पर निर्भर है यही कारण है कि मानसून को एक सूत्र में बाँधने वाला समझा जाता है।
3. उत्तर-भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की
मात्रा क्यों घटती जाती है?
उत्तर - उत्तर-भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा
घटने का निम्नलिखित कारण है।
(1) भारत में वर्षा का वितरण मुख्यतः देश के आकार द्वारा नियंत्रित
होती है । यह पवनों के प्रवेश और मार्ग पर निर्भर करता है ।
(2) दक्षिणी-पश्चिमी मानसून बंगाल की खाड़ी से प्रवेश कर भारत उतरी
पूर्वी भाग में अधिक वर्षा लाता है,
यह अपने साथ अधिक मात्रा में जलवाष्प और नमी लाता है । आगे बढ़कर
जब यह उत्तर-पश्चिम की ओर जाता है तो जलवाष्प और नमी की मात्रा घटती जाती है । जिससे
इन क्षेत्रों में वर्षा कम होता है ।
4. कारण बताएँ।
(i) भारतीय उपमहाद्वीप
में वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन क्यों होता है?
उत्तर - भारतीय उपमहाद्वीप में वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन
के निम्नलिखित कारण है।
(1) विभिन्न मौसमों में वायु दाब और पवन तंत्र भिन्न होता है। शीत
ऋतु में हिमालय के उत्तर में उच्च दाब होता है। इस क्षेत्र की ठंडी शुष्क हवाएँ दक्षिण
में निम्न दाब वाले महासागरीय क्षेत्र के ऊपर बहती हैं।
(2) ग्रीष्म ऋतु में, आंतरिक एशिया एवं उत्तर.पूर्वी
भारत के ऊपर निन्न दाब का क्षेत्र उपन्न होता है जिसके कारण गर्मी दिनों मे वायु की
दिशा पूरी तरह से परिवर्तित हो जाती है।
(3) वर्षा ऋतु में, दक्षिण में हिन्द महासागर
के उच्च दाब वाले क्षेत्र से बहते हुए वायु भारतीय उपमहाद्वीप पर स्थित निम्न दाब की
ओर बहने लगती है जिसे दक्षिणी पश्चिमी मानसूनी पवने कहा जाता है।
यही कारण है कि वायु की दिशा में मौसमी परिवर्तन होते रहते है।
(ii) भारत में अधिकतर वर्षा कुछ ही महीनों में होती है।
उत्तर - (1)
भारत में वर्षा का प्रमुख कारण यहाँ बहने वाली मानसूनी पवनें
होती हैं जो वर्ष के कुछ ही महीने जून से सितम्बर तक ही बहती है।
(2) इन महीनों में भारत का स्थलीय भाग बहुत गर्म होता है और महासागरीय
भाग कम गर्म होता है जिससे हिन्द महासागर के ऊपर उच्च दाब उत्पन्न होता है और वायु
के इस उच्च दाब से इस उपमहाद्वीप के स्थल के निम्न दाब की ओर बहने के कारण यह अपने
साथ बहुत अधिक मात्रा में जलवाष्प और नमी लाती है जो इन दिनों में वर्षा का प्रमुख
कारण होती है ।
(iii) तमिलनाडु तट पर शीत ऋतु में वर्षा होती है।
उत्तर - तमिलनाडु तट पर शीत ऋतु में वर्षा होती है क्योंकि
:-
(1) निम्न दाब वाली अवस्था बंगाल की खाड़ी पर स्थानांतरित होने के
कारण तमिलनाडु तट पर शीत ऋतु मे वर्षा होती है।
(2) सितम्बर के महीने में मानसून पीछे हटने लगता है। मानसूनी पवनें
स्थल भाग से वापस समुद्र की ओर जाने लगती हैं। उत्तर पूर्व दिशा से आने वाली ये पवनें
बंगाल की खाड़ी से नमी प्राप्त करती हैं और उत्तर पूर्वी मानसून के रूप में तमिलनाडु
के तट पर शीत ऋतु में भी वर्षा कराती हैं।
(iv) पूर्वी तट के डेल्टा वाले क्षेत्र में प्रायः चक्रवात आते
हैं।
उत्तर - बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती निम्न दाब का क्षेत्र नवंबर
के आरंभ में बनने के कारण तथा बंगाल की खाड़ी विभिन्न दाब परिवर्तन का केंद्र है इसलिए
वहाँ हमेशा चक्रवात के विकास का एक मौका है। साथ ही अरब सागर की तुलना में बंगाल की
खड़ी ज्यादा गर्म होती है इसलिए बंगाल की खाड़ी सें चक्रवात ज्यादा उठते हैं। और कोरियालिस
बल के प्रभाव से ये चक्रवात उत्तरी गोलार्द्ध में एंटिक्लॉक दिषा में चलते हुए पूर्वी
तट के डेल्टा वाले क्षेत्र से टकराते हैं। इ़स कारण, पूर्वी तट के डेल्टा वाले क्षेत्र में प्रायः चक्रवात आते हैं।
(v) राजस्थान, गुजरात के कुछ
भाग तथा पश्चिमी घाट का वृष्टि छाया क्षेत्र सूखा प्रभावित क्षेत्र है।
उत्तर - अरावलि पर्वत श्रृंखला दक्षिण पश्चिम मानसूनी हवाओं
के मार्ग में क्षैतिज न होकर ऊर्घ्वाधर पड़ता है। साथ ही रेतीली जमीन पेड़ पौधें से रहित
होने पर यहां की वायु नमी ग्रहण नहीं कर पाती।जिससे राजस्थान और गुजरात के कुछ क्षेत्र
में वर्षा नहीं हो पाती है। इसी तरह दक्षिण पश्चिम मानसून की हवाएं पष्चिमी घाट को
पार नही कर पातीं ओर उसकी दूसरी तरफ वृष्टि छाया प्रदेश बना जाता है। अत: ये क्षेत्र
सूखा प्रभावित हो जाते हैं।
5. भारत की जलवायु अवस्थाओं की क्षेत्रीय विभिन्नताओं
को उदाहरण सहित समझाएँ।
उत्तर - भारत की जलवायु परिस्थितियों में क्षेत्रीय भिन्नता
है। तापमान और वर्षण एक स्थान ले दूसरे स्थान पर तथा एक मौसम से दूसरे मौसम में भिन्न
हैं।
·
गर्मियों
में राजस्थान के मरूस्थल में कुछ स्थानों का तापमान लगभग 500 सेल्सियस तक पहुँच जाता
है. जबकि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में तापमान लगभग 200 सेल्सियस रहता है।
·
सर्दी की
रात में. जम्मू-कश्मीर में द्रास का तापमान -450 सेल्सियस तक हो सकता है.
जबकि थिरूवंनतपुरम में यह 220 सेल्सियस हो सकता है।
·
केरल या अंडमान
एवं निकोबार में दिन तथा दात का तापमान लगभग समान ही रहता है।
·
सामान्य रूप
से तटीय क्षेत्रों के तापमान में अंतर कम होता है तथा देश के आंतरिक भागों में मौसमी
या ऋतुनिष्ठ अंतर अधिक होता है।
·
उत्तरी मैदान
ने वर्षा की मात्रा सामान्यतः पूर्व से पश्चिम की ओर घटती जाती है।
·
देश के अधिकतर
भागों में जून मे सितंबर तक वर्षा होती है. लेकिन कुछ क्षेत्रों जैसे तनिलनाडु तट पर
अधिकतर वर्षा अक्टूबर एवं नवम्बर में होती है।
6. मानसून अभिक्रिया की व्याख्या करें।
उत्तर - निम्नलिखित कारक मानसून की अभिक्रिया के लिए जिम्मेदार
हैंः
·
स्थल और जल
के गर्म एवं ठंडे होने की विभेदी प्रक्रिया के कारण भारत के स्थल भाग पर निम्न दाब
का क्षेत्र उत्पन्न होता है. जबकि इसके आसपास के समुद्रों के ऊपर उच्च दाब का क्षेत्र
बनता है।
·
अंतःउष्ण
कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र प्रायः विषुवत वृत्त से 5० उत्तर मे
स्थित होता है। ग्रीष्म ऋतु के दिनों में अंतःउष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र की स्थिति
गंगा के मैदान की ओर खिसक जाती है। इसे मानसून ऋतू में मानसून गर्त के नाम से भी जाना
जाता है।
·
हिन्द महासागर
में मेडागास्कर के पूर्व लगभग 200 दक्षिण अक्षांश के ऊपर
उच्च दाब वाल क्षेत्र होता है। इस उच्च दाब वाले क्षेत्र की स्थिति एवं तीव्रता भारतीय
मानसून को प्रभावित करती है।
·
ग्रीष्म ऋतु
में, तिब्बत का पठार बहुत अधिक गर्म हो जाता है. जिसके परिणामस्वरुप
पठार के ऊपर समुद्र तल से लगभग 9 किलोमीटर की ऊँचाई पर
तीव्र ऊर्ध्वाधर वायु धाराओं एवं एवं उच्च दाब का निर्माण होता है।
·
ग्रीष्म ऋतु
में हिमालय के उत्तर-पश्चिमी जेट धाराओं का तथा भारतीय प्रायद्वीप के ऊपर उष्ण कटिबंधीय
पूर्वी जेट धाराओं का प्रभाव होता है।
·
दाब की अवस्था
में नियतकालिक परिवर्तन को दक्षिणी दोलन के नाम मे जाना जाता है।
·
डार्विन, उत्तरी आस्ट्रेलिया (हिन्द महा्ागर 12030’दक्षिण/1310 पूर्व) तथा ताहिती (प्रशांत
महासागर 180 दक्षिण/1490 पश्चिम) के दाब के अंतर
की गणना मानसून की तीव्रता के पूर्वानुमान के लिए की जाती है। अगर दाब का अंतर ऋणात्मक
है तो इसका अर्थ होगा औसत से कम तथा विलंब से आने वाला मानसून।
7.शीत ऋतु की अवस्था एवं उसकी विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर - शीत ऋतू की अवस्था एवं उसकी विशेषताएँ निम्नलिखित है
:-
·
उत्तरी भारत
में शीत ऋतु मध्य नवंबर से आरम्भ होकर फरवरी तक रहती है।
·
भारत के उत्तरी
भाग में दिसंबर एवं जनवरी सबसे ठंडे महीने होते है।
·
तापमान दक्षिण
से उत्तर की ओर बढ़ने पर घटता जाता है। पूर्वी तट पर चैन्नई का औसत तापमान 240 सेल्सियस से 250 सेल्सियस के बीच होता
है जबकि उत्तरी मैदान में यह 100 सेल्सियस से 150 सेल्सियस के बीच होता
है।
·
दिन गर्म
तथा रातें ठंडी होती हैं।
·
उत्तर मे
तुषारापात सामान्य है तथा हिमालय के ऊपरी ढालों पर हिमपात होता है।
·
देश में उत्तरी-पू्र्वी
व्यापारिक पवनें प्रवाहित होती हैं। चूँकि, ये पवनें स्थल से समुद्र की ओर बहती हैं इसलिए देश के अधिकतर
भाग में शुष्क मौसम होता है।
·
सामान्यतः
इस मौसम में आसमान साफ तथा आद्रता कम एवं पवनें शिथिल तथा परिवर्तित होती है।
·
शीत ऋतु में
उत्तरी मैदानो मे पश्चिम एवं उत्तर-पश्चिम मे चक्रवाती विक्षोभ का अंतर्वाह विशेष लक्षण
है।
·
कम दाब वाली
प्रणाली भूमध्यमागर एवं पश्चिमी एशिया के ऊपर उत्पन्न होती है तथा पश्चिमी पवनों के
साथ भारत में प्रवेश करती है। इसके कारण शीतकाल में मैदान में वर्षा होती है तथा पर्वतों
पर हिमपात होता है।
·
यद्यपि शीतकाल
में वर्षा कम होती है. लेकिन ये रबी फसलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। स्थानीय
तौर पर इस वर्षा को महावट कहा जाता है।
·
प्रायद्वीपीय
भागों में समुद्री प्रभावों के कारण शीत ऋतु स्पष्ट नहीं होती।
8. भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा एवं उसकी विशेषताएँ
बताएँ।
उत्तर - मानसून की विशेषताएँ -
·
मानसून का
समय जून के आरंभ मे लेकर मध्य सितंबर तक,100 से 120 दिनों के बीच होता है।
·
इसके आगमन
के समय सामान्य वर्षा में अचानक वृद्धि हो जाती है तथा लगातार कई दिनों तक यह जारी
रहती है। इसे मानसून प्रस्फोट (फूटना) कहते हैं।
·
सामान्यतः
जून के प्रथम सप्ताह में मानसून भारतीय प्रायद्वीप के दक्षिणी छोर से प्रवेश करता है
जो बाद में दो भागां में बंट जाता है - अरब सागर शाखा एवं बंगाल की खाड़ी शाखा।
·
देश भर में
वर्षा का असमान वितरण होता है।
मानसूनी वर्षा के प्रभाव-
·
भारत में
कृषि काफी हद तक पानी के लिए भारतीय मानसून पर निर्भर रहता है। देर से, कम या अत्यधिक बारिश फसलों पर एक नकारात्मक प्रभाव डालता है।
·
देश भर में
वर्षा के असमान वितरण के कारण कुछ स्थान सूखा प्रभावित रहते हैं तो कुछ बाढ़ प्रभावित।
·
मानसून भारत
को एक विविध जलवायु स्वरू्प प्रदान करता है जिस कारण महान क्षेत्रीय रूपों की उपस्थिति
के बावजूद यह देश और लोगों के लिए यह एकता का परिचायक है।
- मानचित्र कौशल
भारत के रेखा मानचित्र पर निम्नलिखित को दर्शाएँ-
(i) 400 सें०मी० से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र
(ii) 20 सेंमी० से कम वर्षा वाले क्षेत्र
(iii) भारत में
दक्षिण-पश्चिम मानसून की दिशा
परियोजना कार्य
(i) पता लगाएँ कि आपके क्षेत्र में एक विशेष मौसम से कौन से गानें, नृत्य, पर्व एवं भोजन संबंधित हैं? क्या भारत के दूसरे क्षेत्रों से इनमें कुछ समानता
है ?
हल :- हमारे देश भारत की एक खास बात है , यहा हर मौसम के हिसाब से त्यौहार होते हैं, पर्व होते है और नृत्य गीत के साथ भोजन भी होते हैं। हर क्षेत्र
में संबंधित मौसम के त्यौहार पर कुछ खास पकवान बनाए जाते हैं। जो उस मौसम की प्रतिकूलता
से लड़ने की ताकत शरीर को देता है।
अनेक त्यौहार, पर्व, नृत्य गीत और भोजन केवल कुछ क्षेत्र विशेष की पहचान होते हैं
किन्तु कुछ त्योहार ऐसे हैं जो सम्पूर्ण देश में मनाए जाते हैं वो भी अलग अलग नामों
के साथ। भारत त्यौहारों,
परम्पराओं,
लोकगीतों और अलग अलग भोजन तथा वेशभूषा वाला देश है। इन सभी पर्व
और परम्पराओं में अधिकतर का संबंध स्थानीय मौसम और उसके बदलावों से होता है। हमारे
मध्यप्रदेश में भी गीत गाने,
नृत्य,
पर्व और भोजन का संबंध अलग अलग मौसम की विशेषताओं के अनुसार
संबद्ध है।
सर्वाधिक गीत गाने, नृत्य,
पर्व और भोजन वर्षा ऋतु से जुड़े हुए हैं।
वर्षा ऋतु के गीतों में प्रमुख हैं कजरी, मल्हार और बारहमासी।
कजरी :बरसात की शुरूआत के साथ कजरी का मौसम आ जाता है। बिहार और
पूर्वी उत्तर प्रदेश की कजरी लोकगायन की वह शैली है जिसमें परदेस कमाने गए पुरुषों
की अकेली रह गईं स्त्रियां अपनी विरह-वेदना और अकेलेपन का दर्द व्यक्त करती हैं।
नवविवाहिताएं कजरी के माध्यम से मायके में छूट गए रिश्तों की
उपेक्षा की वेदना प्रकट करती हैं। स्त्रियों द्वारा समूह में गाए जाने वाली कजरी को
ढुनमुनिया कजरी कहते है। विंध्य क्षेत्र में गाई जाने वाली मिर्जापुरी कजरी में सखी-सहेलियों, भाभी-ननद के आपसी रिश्तों की मिठास और खटास के साथ सावन की मस्ती
का रंग घुला होता है।
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में कजरी महोत्सव वर्षा ऋतू के सावन
में ही आयोजित किया जाता है। प्रसिद्ध कजरी महोत्सव राजा कंतित की पुत्री कजली को श्रद्धांजली
प्रदान करता है। कजली अपने पति की याद में गाने गाया करती थी जिनसे वह अपने जीवन में
कभी नहीं मिल पाई।
यह सावन मास का गीत है। कजरी नाम सम्भवतः काजल जैसे काले मेघों
से पड़ा है। कजरी गीत मुख्यतः श्रृगारप्रधान होते हैं परन्तु इनमें विरह वेदना भी प्रचुर
मात्रा में पाई जाती है। ये प्रायः दो दलों
(नन्द-भाभी या सखियों) द्वारा प्रश्न और उत्तर के रूप में गाए जाते हैं। इनकी
टेक प्रायः रामा या ननदी होती है। इनके बोल त्वरित परंतु मधुर होते हैं।
बारहमासी : यह गीत विरह-प्रधान हैं। नाम के अनुसार इन गीतों में आषाढ़
मास से आरम्भ कर वर्ष के बारहों मासों का उल्लेख
होता है। प्रत्येक मास में शोकाकुल विरहणी अपनी दशा का मार्मिक वर्णन करती है
। बारह के स्थान पर छः या चार मास का भी प्रयोग होता है। इस दशा में इन्हें क्रमशः
छःमासा तथा चौमासा कहा जाता है।
मल्हार : यह गीत झूला-प्रधान होते हैं। इन्हें झूला झूलते समय गाया
जाता है। इनकी टेक अरी बहना,
हाँ-हाँ,
हम्बै कोई,
जी महाराज होती है।
इनमें झूले के साथ-साथ,
मेघों का,
वर्षा का,
बागों का और मोर, पपीहा, कोयल,
दादुर आदि का वर्णन होता है। सावन मास में भाई अपनी बहनों को
ससुराल से पीहर ले आते हैं। इस प्रकार बचपन की सखियाँ एकत्रित हो जाती हैं और बागों
में हिलमिल कर झूलती तथा गाती हैं। मल्हार की धुन अत्यंत मधुर और ठहराव लिए होती है
जिससे कि पींग बढ़ाते समय साँस को व्यवस्थित किया जा सके।
इसी प्रकार गर्मी की दस्तक देता पर्व होली होता है जिसमें फगुवा
गाए जाते हैं। जबकि शीत ऋतु में नवरात्रि पर भगतें और दीवाली पर दीवारी गाई जाती है।
ज्येष्ठ और आषाढ़ ग्रीष्म ऋतु के मास हैं। इसमें सूर्य उत्तरायण
की ओर बढ़ता है। ग्रीष्म ऋतु प्राणीमात्र के लिए कष्टकारी अवश्य है, पर तप के बिना सुख-सुविधा को प्राप्त नहीं किया जा सकता। यह
ऋतु अंग्रेजी कैलेंडर अनुसार मई और जून में रहती है।
ग्रीष्म माह में अच्छा भोजन और बीच-बीच में व्रत करने का प्रचलन
रहता है। इस माह में निर्जला एकादशी, वट सावित्री व्रत, शीतलाष्टमी,
देवशयनी एकादशी और गुरु पूर्णिमा आदि त्योहार आते हैं। गुरु
पूर्णिमा के बाद से श्रावण मास शुरू होता है और इसी से ऋतु परिवर्तन हो जाता है और
वर्षा ऋतु का आगमन हो जाता है।
मुझे लगता है कि त्योहारों का प्रचलन खाने से संबंधित है जैसा
कि प्रत्येक त्योहार में होता है कि विभिन्न प्रकार के व्यंजन परोसे जाते है। कुछ त्योहार
तो कुछ विशेष व्यंजन से संबंधित होते है। होली, दीपावली,
एस्टर,
ईद। गर्मी में अधिक खाना नुकसान दायक होता है अतः ज्यादातर त्योहार
ठंडी में पड़ते है।
मध्यप्रदेश के साथ साथ पूरे देश में मनाए जाने वाले प्रमुख त्यौहार
हैं मकर संक्रांति, दीपावली,
होली आदि।
(ii) भारत के विभिन्न क्षेत्रों के विशेष ग्रामीण मकानों तथा लोगों
की वेश-भूषा के फोटोग्राफ इकट्ठे कीजिए। देखिए कि क्या उनमें और उन क्षेत्रों की जलवायु
की दशाओं तथा उच्चावच में कोई संबंध है।
उत्तर -
1. सारणी-1 में दस प्रतिनिधि स्थानों
के औसत माध्य मासिक तापमान तथा औसत मासिक वर्षा दिया गया है। इसका अध्ययन करके प्रत्येक
स्थान के तापमान और वर्षा के आरेख बनाइए। इन आरेखों को देखकर आपको इन स्थानों के तापमान
और वर्षा के अंतर का तुरंत पता चल जाएगा। यहाँ एक आरेख उदाहरण के लिए दिया गया है।
क्या आप इसके अध्ययन से अपने देश की जलवायु की विभिन्न दशाओं के बारे में कोई अनुमान
लगा सकते हैं? हमें आशा है कि इन्हें जानकर आपको बड़ी प्रसन्नता होगी। निम्नलिखित
अभ्यास कीजिए।
उत्तर -
2. दस स्थानों को तीन भिन्न क्रमों में लिखिए -
(i) विषुवत वृत्त से उनकी दूरी के क्रम में
क्रमांक |
स्थान |
विषुवत वृत्त से दूरी |
1- |
थिरूवंनतपुरम |
8029’N |
2- |
बंगलोर |
12058’N |
3- |
चैन्नई |
1304’N |
4- |
मुंबई |
190’N |
5- |
नागपुर |
2109’N |
6- |
कोलकाता |
22034’N |
7- |
भोपाल |
23026’N |
8- |
शिलांग |
24034’N |
9- |
दिल्ली |
290’N |
10- |
लेह |
340’N |
क्रमांक |
स्थान |
समुद्र तल से ऊँचाई |
1- |
चैन्नई |
6.7 Metre |
2- |
कोलकाता |
9.14
Metre |
3- |
थिरूवनंतपुरम |
10 Metre |
4- |
मुंबई |
14
Metre |
5- |
नागपुर |
310 Metre |
6- |
भोपाल |
527
Metre |
7- |
दिल्ली |
225 Metre |
8- |
बंगलोर |
920
Metre |
9- |
शिलांग |
1525 Metre |
10- |
लेह |
3500
Metre |
(i) सर्वाधिक वर्षा वाले दो स्थान
1. चेरापूंजी 2. मासिनराम
(ii) दो शुष्कतम स्थान
1. लेह (शीत रेगिस्तान) 2. जोधपुर (उष्ण रेगिस्तान)
(iii) सर्वाधिक समान जलवायु वाले दो स्थान
1. तिरूवनंतपुरम 2. मुम्बई ( इसके अतिरिक्त
सम जलवायु वाला स्थान पुरी भी है)
(iv) जलवायु में अत्यधिक अंतर वाले दो स्थान
1. लेह 2. जोधपुर
(v) दक्षिण-पश्चिमी मानसून की अरब सागर शाखा के द्वारा सर्वाधिक
प्रभावित दो स्थान
1. मुम्बई 2. तिरूवनंतपुरम
(vi) दक्षिण-पश्चिमी मानसून की बंगाल की खाड़ी शाखा द्वारा सर्वाधिक
प्रभावित दो स्थान
1. शिलांग 2. कोलकाता
(vii) दोनों से प्रभावित दो स्थान
1. दिल्ली 2. नागपुर
(viii) लौटती हुई तथा उत्तर-पूर्वी मानसून से प्रभावित दो स्थान
1. तिरूवनंतपुरम 2. चैन्नई
(ix) पश्चिमी विक्षोभों के द्वारा शीत ऋतु में वर्षा प्राप्त करने
वाले दो स्थान
1. दिल्ली 2. जोधपुर
(x) संपूर्ण भारत में सर्वाधिक वर्षा वाले दो महीने
1. जुलाई 2. अगस्त
(xi) निम्नलिखित महीनों में सर्वाधिक गर्म दो स्थान-
(क) फरवरी - 1. तिरूवनंतपुरम 2. चैन्नई
(ख) अप्रैल - 1. नागपुर 2.
चैन्नई
(ग) मई - 1. नागपुर 2.
दिल्ली/जोधपुर
(घ) जून - 1. जोधपुर 2.
दिल्ली
4. अब ज्ञात कीजिए-
(i) थिरुवनंथपुरम तथा शिलांग में जुलाई की अपेक्षा जून में अधिक
वर्षा क्यों होती है?
उत्तर - 1 जून को दक्षिण पश्चिम
मानसून की अरब सागर शाखा तिरुवनंतपुरम और बंगाल की खाड़ी की शाखा शिलांग पहुंच जाती
है। आगमन के समय मानसून की तीव्रता अधिक होती है तथा लगातार कई दिनों तक जारी रहती
है। इसके बाद जुलाई आते आते मानसून देश के अन्य भागों में चला जाता है और तिरूवनंथपुरम
तथा शिलांग के क्षेत्र में इसकी तीव्रता कम हो जाती है। अतः इन दोनों स्थानों पर जुलाई
में मानसून के विराम से बारिश कम हो जाती है।
(ii) जुलाई में थिरुवनंथपुरम की अपेक्षा मुंबई में अधिक वर्षा क्यों
होती है?
उत्तर - दक्षिण पश्चिम मानसून से सबसे पहले तिरुवनंतपुरम में
पहली जून को वर्षा हो जाती है इसके लगभग 10 दिन बाद मानसून मुंबई
पहुंचता है और सितम्बर तक बारिश होती रहती है किन्तु पहली शुरुआती बारिश के बाद केरल
में मानसून में ब्रेक लग जाने से तिरूवनंतपुरम में जुलाई माह में बारिश कम होती है
और तब मुंबई में बारिश अधिक होती है क्योंकि तब तक मानसूनी पवनें मुंबई में डेरा डाल
चुकी होती हैं। अतः स्पष्ट है कि जुलाई माह में थिरूवनंतपुरत की अपेक्षा मुंबई में
अधिक वर्षा होती है।
(iii) चेन्नई में दक्षिण-पश्चिमी मानसून के द्वारा कम वर्षा क्यों
होती है?
उत्तर - चेन्नई में दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान ज्यादा बारिश
नहीं होती है, क्योंकि चैन्नई सहित भारत के दक्षिण (तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल राज्य) पश्चिम घाट के वृष्टि छाया क्षेत्र के
अंतर्गत आते हैं। भारत के दक्षिण (तमिलनाडु, कर्नाटक और केरल राज्य) अक्टूबर से दिसंबर तक उत्तर-पूर्वी मानसून
से अपनी अधिकांश वर्षा प्राप्त करते हैं।
(iv) शिलांग में कोलकाता की अपेक्षा अधिक वर्षा क्यों होती है?
उत्तर - शिलांग एक पहाड़ी क्षेत्र में है और पहाड़ियाँ मानसूनी
हवाओं को आकर्षित कर लेती हैं,
जिससे शिलांग कोलकाता की तुलना में अधिक वर्षा वाला हो जाता
है।
(v) कोलकाता में जुलाई में जून से अधिक वर्षा क्यों होती है? इसके विपरीत, शिलांग में जून में जुलाई से अधिक वर्षा क्यों
होती है?
उत्तर - मानसून कोलकाता से पहले शिलांग पहुंचता है और प्रारंभिक
मानसून की तीव्रता अधिक होती है इसके अलावा शिलांग कोलकाता की तुलना में शिलांग में
पहाड़ी क्षेत्र अधिक हैं जिससे जून में ही शिलांग में भारी बारिश हो जाती है जबकि मानसून
कोलकाता में जुलाई में पहुंचता है इसलिए जुलाई में कोलकाता में बारिश होती है।
(vi) दिल्ली में जोधपुर से अधिक वर्षा क्यों होती है?
उत्तर - मानसूनी पवनों की आर्द्रता में निरंतर कमी के कारण उत्तर
भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा घटती जाती है। जोधपुर थार मरुस्थल
के किनारे पर है और जब तक मानसूनी हवाएँ यहाँ पहुँचती हैं, तब तक उनकी अधिकांश नमी समाप्त हो जाती है। जबकि दिल्ली जोधपुर
से अधिक पूर्व में है और इसलिए यहां अधिक वर्षा होती है।
5. अब सोचिए! ऐसा क्यों होता है-
Ø थिरुवनंथपुरम की जलवायु सम है।
क्योंकि :- तिरूवनंतपुरम
समुद्र के निकट स्थित है इस कारण से यहां की जलवायु सम है।
Ø देश के अधिकतर भागों में मानसूनी वर्षा के समाप्त
होने के बाद ही चेन्नई में अधिक वर्षा होती है?
क्योंकि :- लौटते हुए मानसून (उत्तर पूर्वी मानसून ) तथा उष्ण
कटिबंधीय चक्रवातों के कारण चैन्नई में सबसे बाद में वर्षा होती है।
Ø जोधपुर की जलवायु उष्ण मरुस्थलीय है।
क्योंकि :- मानसूनी पवनों की आर्द्रता में निरंतर कमी के कारण
उत्तर भारत में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा घटती जाती है। जोधपुर थार मरुस्थल
के किनारे पर है और जब तक मानसूनी हवाएँ यहाँ पहुँचती हैं, तब तक उनकी अधिकांश नमी समाप्त हो जाती है। जिससे यहां बारिश
भी कम या नहीं ही हो पाती है। इसलिए जोधपुर की जलवायु उष्ण मरूस्थलीय है।
Ø लेह में लगभग पूरे वर्ष मध्य वर्षण होता है।
क्योंकि :- लेह शीत और शुष्क प्रदेष है जो कि लद्दाख के अंतर्गत
आता है। यह दो पहाड़ियों के बीच इस तरह से स्थित है जिससे कि मानसूनी हवाओं से वर्षा
नहीं हो पाती है।
अपने स्थलाकृतिक स्थान के कारण लेह में लगभग पूरे वर्ष मध्यम
वर्षा होती है। यह हिमालय से परे,
दो पहाड़ियों के बीच (Land Locked) उच्च लद्दाख
पठार पर स्थित है। स्थानीय वर्षा बहुत कम होती है, लेकिन यह गर्मियों में बारिश और सर्दियों में बर्फबारी के रूप
में अच्छी तरह से वितरित होती है।
Ø दिल्ली और जोधपुर में अधिकतर वर्षा लगभग तीन महीनों
में होती है, लेकिन थिरुवनंथपुरम
और शिलांग में वर्ष के 9 महीनों तक वर्षा होती है।
क्योंकि :- थिरुवनंथपुरम समुद्र तट पर ऐसे स्थित है कि यहां
दक्षिण पश्चिम मानसून तथा उत्तर पूर्वी मानसून दोनों से वर्षा होती है। साथ ही साथ
समुद्र के करीब होने से यहां स्थानीय विक्षाभों का भी प्रभाव पड़ता है जिससे वर्षा होती
रहती है। शिलांग बंगाल की खाड़ी के पास स्थित पर्वतीय क्षेत्र है जो आर्द्र पवनों को
आकर्षित कर वर्षा करवा लेता है। जबकि दिल्ली और जोधपुर समुद्र तट पर न होकर दूर हैं
जहां पर वर्षा केवल मानसूनी पवनों पर निर्भर करती है। इसलिए दिल्ली और जोधपुर में अधिकतर
वर्षा लगभग तीन महीनों में होती है,
लेकिन थिरुवनंथपुरम और शिलांग में वर्ष के 9 महीनों तक वर्षा होती
है।
क्रियाकलाप
(पाठ्यपुस्तक आधारित)
1. राजस्थान में घरों की दीवार मोटी तथा छत चपटी
क्यों होती है?
उत्तरः- राजस्थान के घरों की दीवार मोटी इसलिए होती हैं ताकि
वे गर्मी को घर के अंदर आने से रोकें वहीं चपटी छत रेगिस्तानी इलाके में होने वाली
हल्की बारिश को संरक्षित रखने के लिए होते हैं।
2. तराई क्षेत्र तथा गोवा एवं मंगलोर में ढाल वाली
छतें क्यों होती हैं?
हल - पहाड़ी क्षेत्रों में ढालदार छत, देखने मे जितनी आकर्षक लगती है उतना ही हैरान भी करती है , जो कि लाज़मी है।
मेरी जानकारी में दो कारण हैं जिनकी वजह से पहाड़़/तराई क्षेत्र
में ढालदार छत का प्रचलन है
1 वैज्ञानिक कारण
अ- पहाड़ों
पर अत्यधिक हिमपात होता है,
कोई भी सामान्य छत (flat slab) अपने ऊपर
इतने भारी वज़न को सह नहीं सकती। इसलिए यह वजन जल्द से जल्द नीचे गिर जाए इसलिए ढालदार
छतों का प्रयोग किया जाता रहा है।
ब- अमूमन
छत की यह ढाल मुख्य प्रवेश द्वार या अधिक खिड़कियों वाली तरफ़ को रखी जाती हैं, जिससे बाहर से आने वाली सर्द हवाएँ कम प्रवेश पा सके और अंदर
का तापमान गर्म रह सके।
2- एतिहासिक कारण
गढ़वाल/ कुमाऊँ पर गोरखा आक्रमण के बाद बहुत से लोग बेघर हो गए
थे जिन्हें जबरन अपना मूल स्थान छोड़ कर दुर्गम पहाड़ियों पर आश्रय लेना पड़ा। अतः आत्मरक्षा
के लिये उन लोगों ने ढालदार छतों का प्रयोग किया, क्योंकि मुख्य प्रवेश द्वार की ऊँचाई कम होने की वजह से बाहर
से आने वाले व्यक्ति को झुक के ही आना पड़ता है, और अंदर स्थित लोग इतने समय में हथियार के साथ तैयार हो सकते
थे।
जबकि गोवा में 3००० मिमी की वार्षिक वर्षा
होती है, और इतनी भारी वर्षा प्राप्त करने वाले देश के कुछ राज्यों में
से एक है।
ढलान वाली छतों को इस समस्या के समाधान के रूप में देखा जाता
है, क्योंकि पानी छत पर कहीं जमा नहीं होता है, और स्वतंत्र रूप से बहता है।
इसके अतिरिक्त, सपाट छतें अव्यावहारिक
होंगी, क्योंकि वे निश्चित रूप से अधिक वर्षा के कारण लीक करना शुरू
कर देंगी और पानी आसानी से नहीं बहता है, चाहे कितना भी जलरोधी
किया जाए।
परंपरागत रूप से, गोवा के घरों में पकी
हुई मिट्टी की टाइलों से बनी छतें होती हैं। ये दो प्रकार के होते हैंः
1. कम प्रचलित बर्तन टाइल
2. अधिक प्रचलित मैंगलोर टाइल्स
हालांकि,
सीमेंट के सस्ते और अधिक स्थायी विकल्प के रूप में उभरने के
साथ, सीमेंट से बनी ढलान वाली छतें तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं।
3. असम में प्रायः कुछ घर बाँस के खंभों पर क्यों
बने होते हैं
हल - असम में मकान स्लिट्स पर बनाए गए हैं क्योंकि राज्य में
प्रचुर मात्रा में वर्षा होती है जिसके कारण बाढ़ की संभावना होती है। बाढ़ के मामले
में घरों के अंदर पानी जमा हो सकता है, अगर मकान जमीनी स्तर पर
बनते हैं, तो घरों की बाढ़ से बचने के लिए, घरों को जमीनी स्तर पर और ऊपर जमीन पर बनाया जाता है।
अथवा
असम में स्टिल्ट हाउस को ’चांग घर’ कहा जाता है और यह मुख्य
रूप से असम के जनजातीय क्षेत्रों में देखा जाता है। इसके अस्तित्व के पीछे कई कारण
हैं।
असम में बार-बार बाढ़ और भूकंप आने के दो प्रमुख कारण हैं। आरसीसी
और इकोरा हाउस (असम टाइप हाउस) क्रमशः भूकंप और बाढ़ से ग्रस्त हैं। जबकि मध्यम बाढ़
के मामले में स्टिल्ट हाउस समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं। भारी बाढ़ के दौरान हालांकि
झुके हुए घर नुकसान को सहन करने में सक्षम नहीं होते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में, नीचे के हिस्से का उपयोग जानवरों के लिए शेड के रूप में किया
जाता है। चूंकि ग्रामीण असम मुख्य रूप से कृषि आधारित है, कृषि और कई अन्य उद्देश्यों (जैसे पशुधन पालन) के लिए मवेशियों
का उपयोग एक आम बात है।
ऐसे घरों के निर्माण के पीछे फिर से पारंपरिक मान्यताएं जुड़ी
हुई हैं। मुख्य घर के अलावा उठे हुए चबूतरे पर एक पारंपरिक अन्न भंडार है। मिसिंग जनजातियों
(the missing tribes) के बुजुर्गों द्वारा यह कहा जाता है कि ब्रह्मपुत्र के वर्तमान
नदी तट लंबे घास के मैदान थे और इसमें जंगली हाथियों के पसंदीदा खेल क्षेत्र में जाने
वाले नरकट की बहुत मोटी वनस्पति भी थी। उनका कहना है कि हाथी स्टिल्ट पर घरों पर हमला
नहीं करते हैं और इसलिए अन्न भंडार को भी नष्ट नहीं करते हैं।
साथ ही ऐसे घरों के निर्माण की लागत अन्य प्रकार के घरों की
तुलना में काफी कम होती है,
और गरीब ग्रामीणों को आमतौर पर घरों के निर्माण पर भारी खर्च
करना बहुत मुश्किल लगता है,
इसलिए स्टिल्ट हाउस का निर्माण किया जाता है।
4. विश्व के अधिकतर मरुस्थल उपोष्ण कटिबंधीय भागों
में स्थित महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर क्यों स्थित हैं?
हल - विश्व के अधिकतर मरूस्थल उपोष्ण कटिबंधीय भागों में स्थित
महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर स्थित हैं क्योंकि इस क्षेत्र में चलने वाली व्यापारिक
पवनें अपनी नमी को पूर्वी भाग में ही निकाल देती हैं। ये महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों
तक पहुंचने के पहले ही सूख जाती हैं। ठंडी महासागरीय धाराएं भी हवा तट के उपर स्थिर
कर देतीं हैं जिससे बादल का निर्माण नहीं होता है।
अथवा
महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों में गर्म मरुस्थल निम्नलिखित
कारणों से हैंः
अपतटीय व्यापारिक
पवनें : यह महाद्वीपों के पश्चिमी
सीमांत पर गर्म मरुस्थलों की अवस्थिति के प्रमुख कारणों में से एक है। व्यापारिक पवनें
उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तर पूर्वी दिशा में चलती हैं जबकि दक्षिणी गोलार्द्ध में दक्षिण
पूर्वी दिशा में चलती हैं। ये पवनें जमीन पर उड़ती हैं और बहुत शुष्क होती हैं इसलिए
वर्षा होने की कोई संभावना नहीं होती है।
शीत महासागरीय
धाराएँः महाद्वीपों के पश्चिमी तटों
के साथ ठंडी महासागरीय धाराओं की उपस्थिति से पानी की सतह पर उच्च दबाव का विकास होता
है। इस उच्च दाब के कारण वायु का अवतलन होता है जिससे बादल बनने में बाधा उत्पन्न होती
है।
भौगोलिक/पर्वत
अवरोध की उपस्थितिः मोजावे रेगिस्तान
(यूएसए) जैसे गर्म रेगिस्तानों के मामले में जहां रॉकीज और थार रेगिस्तान (भारत) जहां
अरावली पर्वत बारिश वाली हवाओं के लिए भौगोलिक अवरोध (वृष्टि छाया क्षेत्र में होते
हैं) के रूप में कार्य करते हैं।
===000===
बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर
1. मानसून शब्द की व्युत्पत्ति ‘मौसिम’ से हुई है, ‘मौसिम’ इनमें से किस भाषा का शब्द है।
(अ) यूनानी (ब)
अरबी (स) भारतीय (द) अमेरिकन
2. एक विशाल क्षेत्र में लम्बे समयावधि (30 वर्ष से अधिक) में मौसम की अवस्थओं तथा विविधताओं के कुल योग
को क्या कहा जाता है?
(अ) मानसून (ब)
जलवायु (स) मौसम (द) वायुदाब
3. जलवायु को निर्धारित करने मौसमी अवस्थाओं का अध्ययन
कितने वर्षों तक किया जाना होता है?
(अ) 10 वर्ष (ब) 20 वर्ष (स) 30 वर्ष (द) 40 वर्ष
4. मौसम क्या है?
(अ) वायुमंडलीय अवस्था (ब)
वर्षा और ताप की अवस्था
(स) नदी और झीलों का अध्ययन (द)
पवनों की अवस्था
5. महीनों के औसत वायुमंडलीय अवस्था के आधार पर निम्नलिखित
में से क्या निर्धारित किया जाता है?
(अ) जलवायु (ब)
ऋतुएं (स) तापमान (द) पवन की दिषा
6. एक वर्ष के दौरान वायु की दिषा में ऋतु के अनुसार
परिवर्तन से क्या कहलाता है?
(अ) तापमान (ब)
चक्रवात (स) मानसून (द) पवन
7. इनमें से कौन जलवायु का तत्व नहीं है?
(अ) तापमान (ब)
वर्षा (स) नदी (द) पवन
8. एक विशेष समय में एक क्षेत्र के वायुमंडलीय की
अवस्था को क्या कहा जाता है?
(अ) मौसम (ब)
जलवायु (स) मानसून (द) पवन तंत्र
9. पृथ्वी पर प्राप्त सौर ऊर्जा की मात्रा अक्षांशों
के अनुसार अलग - अलग होती है। क्यों?
(अ) पृथ्वी की गोलाई के कारण (ब) सूर्य की आभासी गति के कारण
(स) समुद्रों की स्थिति के कारण (द) पवनों के दिशा के कारण
10. महाद्वीपीय अवस्था क्या है?
(अ) गर्मी में बहुत गर्म तथा सर्दी में बहुत सर्द (ब)
गर्मी में बहुत सर्द तथा सर्दी में बहुत गर्म
(स) गर्मी में कम गर्म तथा सर्दी में कम सर्द (द) गर्मी में कम सर्द तथा सर्दी
में कम गर्म
11. पश्चिम में कच्छ के रन से लेकर पूर्व में मिजोरम
से होकर गुजरने वाला अक्षांशीय वृत्त कौन सा है?
(अ) विषुवत वृत्त (ब)
मकर वृत्त (स) कर्क वृत्त (द) ध्रुवीय वृत्त
12. भारत के उत्तर में स्थित है-
(अ) हिंद महासागर (ब)
हिमालय (स) बंगाल की
खाड़ी (द) अरब सागर
13. इनमें से कौन सा मरुस्थल भारत में स्थित है?
(अ) अटाकामा (ब) कालाहारी (स) सहारा (द)
थार
14. नीचे दिए गए स्थानों पर विश्व में सबसे अधिक वर्षा
होती है?
(अ) सिलचर (ब)
चेरापूंजी (स) मासिनराम (द) गुवाहाटी
15. ग्रीष्म ऋतु में उत्तरी मैदानों में बहने वाली
पवन को निम्नलिखित में से क्या कहा जाता है?
(अ) काल वैसाखी (ब)
व्यापारिक पवनें (स) लू (द) इनमें से कोई नहीं
16. निम्नलिखित में से कौन-सा कारण भारत के उत्तर-पश्चिम भाग में
शीत ऋतु में होने वाली वर्षा के लिए उत्तरदायी है।
(अ) चक्रवर्ती अवदाब (ब)
पश्चिमी विक्षोभ
(स) मानसून की वापसी (द)
दक्षिण-पश्चिम मानसून
17. जेट धारा के संबंध में इनमे से कौन-सा कथन सत्य
है।
(अ) जेट धारा 270 से 300 उत्तरी अक्षांशों के बीच
स्थित 12000 मीटर से भी अधिक ऊंचाई
पर चलने वाली पश्चिमी हवायें है।
(ब) जेटधारा की गति ग्रीष्म ऋतु में 110 किमी प्रति घंटा तथा ठण्ड में 184किमी प्रति घंटा से होती है।
(स) जेट धाराओं के कारण उत्तर एवं उत्तर पश्चिमी भाग में पश्चिमी
चक्रवातीय विक्षोभ आते।
(द) उपयुक्त सभी
18. इनमें से कौन सा वाक्य कोरियालिस बल से संबंधित
है?
(अ) इस बल के कारण पवनें उत्तरी गोलार्ध में दाहिनी ओर तथा दक्षिणी
गोलार्ध में बांई ओर विक्षेपित हो जाती है।
(ब) इस बल के कारण पवनें उत्तरी गोलार्ध में बांई ओर तथा दक्षिणी
गोलार्ध में दाहिनी ओर विक्षेपित हो जाती है।
(स) इस बल के कारण जेट धारा की उत्पत्ति होती है।
(द) उपर्युक्त सभी
19. पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ की उत्पत्ति कहां होती
है?
(अ) भूमध्य सागर (ब)
बंगाल की खाड़ी (स) अरब सागर (द) तिब्बत का पठार
20. असम में प्रायः बांस के खंभों पर घर बने होने
के प्रमुख कारण क्या है?
(अ) क्योंकि वहां भूमि बहुत ही उबड़-खाबड़ है।
(ब) क्योंकि वहां बांस अधिक पाए जाते हैं।
(स) क्योंकि वहां बाढ़ अधिक आते हैं।
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
21. पश्चिमी तटीय भागों में ढाल वाली छत बने होने
के प्रमुख कारण क्या है?
(अ) वर्षा अधिक होने के कारण (ब) गर्मी अधिक के कारण
(स) समुंद्र से आने वाली तीव्र हवा से बचने के लिए (द) उपयुक्त सभी
22. विश्व के अधिकतर मरुस्थल महाद्वीपों के पश्चिमी
भागों के उपोष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों में क्यों है?
(अ) निम्न दाब के केंद्र बनने के कारण (ब) उच्च दाब के केंद्र बनने के कारण
(स) पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ के कारण (द) उपरोक्त सभी
23. भारत में मानसून का आगमन निम्नलिखित में से कब
होता है-
(अ) मई के आरंभ में (ब)
जून के प्रारंभ में
(स) जुलाई के प्रारंभ में (द)
अगस्त के प्रारंभ में
24. निम्नलिखित में से कौन-सी भारत में शीत ऋतु की
विशेषता है?
(अ) गर्म दिन एवं गर्म रातें (ब) गर्म दिन एवं ठंडी रातें
(स) ठंडा दिन एवं ठंडी रातें (द) ठंडा दिन एवं गर्म रातें
25. इनमें से कौन सा कारण जलवायु को नियंत्रित नहीं
करता?
(अ) अक्षांश (ब)
वायुदाब
(स) देशांतर (द)
समुद्र से दूरी
26. भारत में मानसून के प्रस्फोट के लिए इनमें से
कौन जिम्मेदार कारक माना जाता है?
(अ) पश्चिमी जेट धारा (ब)
व्यापारिक पवनें
(स) पूर्वी जेट धारा (द)
ला-नीना
27. भारतीय मानसून की दोनों शाखाएं अरब सागर की शाखा
और बंगाल की खाड़ी की शाखा इनमें से कहां मिलती है?
(अ) गंगा के मैदान के उत्तर पश्चिम भाग में (ब) हिमालय के पूर्वी भाग
(स) कश्मीर हिमालय (द)
विंध्याचल श्रेणी
28. तमिलनाडु में अधिकतर वर्षा होती है-
(अ) पश्चिमी चक्रवर्ती है विक्षोभ द्वारा (ब) दक्षिण-पश्चिम मानसूनी पवनें द्वारा
(स) चक्रवातों द्वारा (द)
उत्तर-पूर्वी मानसूनी पवने द्वारा
29. शीत ऋतु में गोदावरी कृष्णा एवं कावेरी नदी के
डेल्टाई क्षेत्रों में आने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवात किस सागर में उत्पन्न होते हैं?
(अ) अरब सागर (ब)
बंगाल की खाड़ी (स) भूमध्य सागर (द) लाल सागर
30. भारत में मानसून की उत्पत्ति से संबंधित इनमें
से कौन सा कथन सही है?
(अ) स्थल तथा जल के गर्म एवं ठंडे होने की विभ्रेदी प्रक्रिया
के कारण उत्तर के भारत में निम्न दाब का केंद्र उत्पन्न हो जाता है.
(ब) अंतः उसने कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र सूर्य की आभासी गति के
साथ ग्रीष्मकाल में उत्तर की ओर गंगा के मैदान में स्थित हो जाती है.
(स) ग्रीष्म ऋतु में तिब्बत का पठार बहुत अधिक गर्म हो जाता है.
इस कारण तीव्र ऊर्ध्वाधर वायु धारा का निर्माण होता है.
(द) उपर्युक्त सभी
31. इनमें से कौन मानसून में वर्षा कम होने के लिए
जिम्मेवार कारक है?
(अ) दक्षिण पश्चिम मानसून (ब)
ला-नीनाएलनीन (स) एलनीनो (द) पूर्वी जेट धारा
32. उत्तर के मैदानों में शीत ऋतु में होने वाले हैं
वर्षा को इनमें से किस नाम से जानते हैं?
(अ) महावट (ब)
आम्र वृष्टि (स) लू (द) फूलों की बौछार
33. ग्रीष्म ऋतु में गरज के साथ पश्चिम बंगाल में
होने वाले वर्षा को इनमें से किस नाम से जानते है?
(अ) महावट (ब)
आम्र वृष्टि (स) फूलों की बौछार (द) काल वैशाखी
34. झारखंड में मानसून पहुंचने का इनमें से उपयुक्त
समय क्या है?
(अ) 10 जून से 15 जून (ब) 1 जून से 10 जून
(स) 15 जून से 25 जून (द) 25 मई से 31 मई
35. इनमें से किस स्थान पर 200 सेंटीमीटर से अधिक वर्षा होती है?
(अ) थार मरुस्थल (ब)
दिल्ली
(स) पश्चिमी घाट का पश्चिमी किनारा (द) झारखंड
36. उत्तर भारत में शीत ऋतु आरंभ कब होता है?
(अ) मध्य अक्टूबर से (ब)
मध्य नवंबर से (स) मध्य दिसंबर
से (द) 1 जनवरी से
37. इनमें से सबसे भारत में मानसून की पहली वर्षा
कहां होती है?
(अ) केरल में (ब)
तमिलनाडु में (स) भारतीय द्वीप समूहों
पर (द) असम हिमालय
38. भारत में इनमें से सबसे अधिक वर्षा किस से होती
है?
(अ) दक्षिण-पश्चिम मानसून से (ब) उत्तर-पूर्व मानसून से
(स) पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ से (द) हिंदमहासागर में उठने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों से
39. जाड़़े में तमिलनाडु के तटीय भागों मे वर्षा का
क्या कारण है?
(अ) दक्षिण-पश्चिमी मानसून (ब)
उत्तर-पूर्वी मानसून
(स) शीतोष्ण कटिबंधीय चक्रवात (द) स्थानीय वायु परिसंचरण ।
40. दक्षिण भारत के संदर्भ में कौन-सा तथ्य गलत है
?
(अ) दैनिक तापांतर कम होता है। (ब) वार्षिक तापांतर कम होता है।
(स) तापांतर वर्ष भर अधिक रहता है । (द) विषम जलवायु पायी
जाती है।
41. जब सूर्य कर्क रेखा पर सीधा चमकता है, तो उसका क्या प्रभाव होता है ?
(अ) उत्तरी पश्चिमी भारत में उच्च वायुदाब रहता है।
(ब) उत्तरी पढिमी भारत में निम्न वायुदाब रहता है
(स) उत्तरी पश्चिमी भारत में तापमान एवं वायुदाब में कोई परिवर्तन
नहीं होता है।
(द) उत्तरी-पश्चिमी भारत से मौनसून लौटने लगता है।
42. उत्तर पश्चिमी भारत में शीतकालीन वर्षा का क्या
कारण है ?
(अ) उत्तर-पूर्वी मानसून (ब) दक्षिण-पश्चिमी मौनसून
(स) पश्चिमी विक्षोभ (द)
उष्णकटिबंधीय चक्रवात
43. ग्रीष्म ऋतु की अवधि क्या है ?
(अ) नवम्बर से फरवरी (ब) जून से सितम्बर
(स) अक्टुबर से दिसम्बर (द)
मार्च से मई
44. कौन सी गर्म महासागरीय धारा पेरू की ठंडी धारा
का स्थान लेती है?
(अ) ला-नीना (ब)
अलनीनो
(स) एन्सो (द)
दक्षिणी दोलन
रिक्त स्थान की पूर्ति करें
1. जनवरी में चेन्नई का तापमान कोलकाता से ........ से रहता है। (कम/अधिक)
2. उत्तर भारत में वर्षा पूरब की अपेक्षा पश्चिम की ओर
........... होती है। (कम/अधिक)
3. मॉनसून शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम ..................... नाविकों
ने किया था। (अरब/भारत)
4. पश्चिम घाट पहाड़ के पश्चिमी भाग में वर्षा होती है। (कम/अधिक)
5. पर्वत का ................ भाग वृष्टि छाया का प्रदेश होता है।
(पवन विमुख/पवन अभिमुख)
6. एलनीनो एक ............... जलधारा है। (गर्म/ठंडी)
सही जोड़ी बनाइए -
1. स्तम्भ ‘‘क’’ स्तम्भ
‘‘ख’’
(i) मानसून - (अ)
स्पैनिष भाषा
(ii) हिमालय -
(ब) अल्पवर्षा क्षेत्र
(iii) पवनविमुख ढाल -
(स) मासिनराम
(iv) एलनीनो -
(द) अरबी भाषा
(v) महावट - (इ)
शीतकालीन वर्षा
(vi) स्टैलैग्माइट -
(फ) 6000 मीटर
एक शब्द में उत्तर दीजिए
1. विश्व
में सबसे अधिक वर्षा कहाँ होती है?
2. गर्मी
के मौसम में उत्तरी मैदानों में बहने वाली गर्म एवं शुष्क पवन को कया कहा जाता है?
3. भारत
में सबसे ठंडा स्थान कौन सा है?
4. वह
प्रदेश जहां दिन और रात के तापमान में अधिक अंतर नहीं पाया जाता है।कौन सा है?
5. भारत
में मानसून का आगमन कब होता है?
6. भारत
में शीतऋतु में स्थल से समुद्र की ओर बहने वाली पवनों को क्या कहा जाता है।
7. भारत
में कौन सी मुख्य ऋतुएं पायी जाती हैं?
8. कौन
सी धारा क्रिसमस के समय बहना शुरू करती है जिसकी वजह से उसे बेबी क्राइस्ट भी कहा जाता
है?
9. पेरू
के समुद्री तट का संबंध किस जलधारा से है?
10. भारत में
कौन सी मुख्य ऋतुएं पायी जाती हैं?
सत्य/असत्य लिखिए
1. भारत
की मुख्य भूमि में मानसून का आगमन मई माह में होता है।
2. हिमालय पर्वत मध्य एषिया की ठंडी हवाओं से भारत की रक्षा करता
है। भारत दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनों वाले क्षेत्र में स्थित है।
3. व्यापारिक
पवने अनियमित पवनें होती हैं।
4. मनसूनी
पवनें अनियमित पवनें होती हैं।
5. द्वीपों
पर मानसून की सबसे पहली वर्षा होती है।
6. प्रायद्वीपीय
भाग में शीत ऋतु स्पष्ट नहीं होती है।
7. शीत
ऋतु में भारत में उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवनें प्रवाहित होती हैं।
8. आम्रवर्षा
शीत ऋतु में होती है।
9. कुंवार की उमस का संबंध मानसून के आगमन से है।
---000---
उत्तरमाला
बहुविकल्पीय प्रश्न
1 | ब | 12 | ब | 23 | ब | 34 | अ |
2 | द | 13 | द | 24 | ब | 35 | स |
3 | स | 14 | स | 25 | स | 36 | ब |
4 | अ | 15 | स | 26 | स | 37 | स |
5 | ब | 16 | ब | 27 | अ | 38 | अ |
6 | स | 17 | द | 28 | द | 39 | अ |
7 | स | 18 | अ | 29 | ब | 40 | अ |
8 | स | 19 | अ | 30 | द | 41 | ब |
9 | अ | 20 | स | 31 | स | 42 | स |
10 | अ | 21 | अ | 32 | अ | 43 | द |
11 | स | 22 | ब | 33 | द | 44 | ब |
रिक्त स्थानों की पूर्ति
1. अधिक , 2. कम, 3. अरब, 4. अधिक, 5. पवन विमुख, 6. गर्म
सही जोड़ी
(i) - (द) , (ii) - (फ) , (iii) - (ब) , (iv) - (अ) , (v) - (इ) , (vi) - (स) ,
एक वाक्य/शब्द में उत्तर
1. मासिनराम, 2. लू, 3. द्रास, 4. केरल (समुद्र तटीय स्थल), 5. जून के प्रारम्भ में, 6. उत्तरी-पूर्वी व्यापारिक पवनें, 7. चार ऋतुएं 1) शीतऋतु 2) ग्रीष्म ऋतु 3) वर्षा ऋतु 4)लौटते हुए मानसून की ऋतु, 8. एलनिनो, 9. एलनिनो नामक गर्म जलधारा, 10. चार ऋतुएं 1) शीतऋतु 2) ग्रीष्म ऋतु 3) वर्षा ऋतु 4)लौटते हुए मानसून की ऋतु।
सत्य/असत्य
1. असत्य 2. सत्य 3. असत्य 4. असत्य 5. सत्य 6. सत्य 7. सत्य 8. सत्य 9. असत्य
अति लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
(02 अंक)
1. भारत के कौन से स्थान में विश्व की अधिकतम वर्षा होती है ?
उत्तर - असम राज्य के मासिनराम
2. कोरिआलिस बल क्या है
उत्तर- पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न आभासी बल को कोरिआलिस
बल कहते है।
3. जेट धारा कितने अक्षांशो के बीच स्थित होती है.
उत्तर- 270 से 300
4. मानसून का प्रवाह उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में लगभग कितने अक्षांष में होता है?
उत्तर- मानसून का प्रवाह उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में लगभग 200 उतर एंव 200 दक्षिण के बीच रहता है।
5. एलनीनो किसे कहते है
उत्तर- ठंडी पेरू जल धारा के स्थान पर अस्थाई तौर पर गर्म जल
धारा के विकास को एलनीनो कहते है।
6. मानसूनी जलवायु विश्व के किन भागों में पाई जाती
उत्तरः- मानसनी जलवाया जलवायु मख्यतः दक्षिण तथा दक्षिण पूर्वी
एशिया मे पाई जाती है।
7. जाड़े के दिनों में भारत में कहाँ-कहाँ वर्षा होती है ?
उत्तर - जाड़े के दिनों में भारत के पूर्वी तटीय भाग तमिलनाडु
तथा केरल में वर्षा होती है।
8. किसी भी क्षेत्र की जलवायु को नियंत्रित करने वाले कारकों के नाम लिखिए।
उत्तर - किसी भी क्षेत्र की जलवायु को नियंत्रित करने वाले छः
प्रमुख कारक हैं : 1.
अक्षांश 2.
तुंगता (ऊँचाई) 3. वायु दाब एवं पवन तंत्र
4. समुद्र से दूरी 5. महासागरीय धाराएं 6. उच्चावच लक्षण
9. ग्रीष्म ऋतु में चलने वाली स्थानीय पवनों के नाम लिखिए।
उत्तरः लू,
काल बैसाखी और आम की बारिश।
10. भारत में ग्रीष्म ऋतु में तापमान में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तरः गर्मियों में, राजस्थान के रेगिस्तान के कुछ हिस्सों में पारा कभी-कभी 50 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच
जाता है, जबकि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में यह 20 डिग्री सेल्सियस के आसपास
हो सकता है।
11. भारत में शीत ऋतु में तापमान में क्या परिवर्तन होता है?
उत्तरः सर्दियों में, जम्मू और कश्मीर में द्रास में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस और तिरुवनंतपुरम
में 22 डिग्री सेल्सियस हो सकता
है।
12. भारत में वार्षिक वर्षा की भिन्नता क्या है?
उत्तरः मेघालय में वार्षिक वर्षा 400 सेमी से अधिक और लद्दाख
और पश्चिमी राजस्थान में 10 सेमी से कम है।
13. भारत में वर्षा ऋतु का अनुभव किन महीनों में होता है?
उत्तरः भारत के अधिकांश भागों में जून से सितंबर तक वर्षा होती
है।
14. भारत के तटीय क्षेत्रों में तापमान में कम अंतर का अनुभव क्यों होता है?
उत्तरः समुद्र के प्रभाव के कारण तटीय क्षेत्रों में तापमान
में कम विपरीतता का अनुभव होता है,
उदा. मुंबई एक समान जलवायु का अनुभव करता है।
15. उत्तरी मैदानों में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा में कमी क्यों होती है?
उत्तरः उत्तरी मैदानों में पूर्व से पश्चिम की ओर वर्षा की मात्रा
में सामान्य कमी होती है क्योंकि पश्चिमी भाग में पहुँचने पर हवाओं में नमी कम होती
है।
16. महाद्वीपीय अवस्था शब्द का क्या अर्थ है?
उत्तरः जैसे-जैसे समुद्र से दूरी बढ़ती है, समुद्र का मध्यम प्रभाव कम होता जाता है और लोग अत्यधिक मौसम
की स्थिति का अनुभव करते हैं। इसे महाद्वीपीय अवस्था कहते हैं अर्थात् ग्रीष्मकाल में
अत्यधिक गर्म और शीतकाल में ठण्डा,
उदा. दिल्ली में।
17. सौर विकिरण की मात्रा अक्षांश के साथ भिन्न क्यों होती है?
उत्तरः पृथ्वी की वक्रता के कारण सौर विकिरण की मात्रा अक्षांश
के साथ बदलती रहती है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक तापमान घटता जाता है।
18. ऊंचाई के साथ तापमान कैसे घटता है?
उत्तरः प्रत्येक 165 मीटर चढ़ाई पर वायु का तापमान 10C की दर से
घटता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि ऊंचाई के साथ हवा का घनत्व कम होता जाता है। यही कारण
है कि ग्रीष्मकाल में पहाड़ियाँ ठंडी होती हैं।
19. कौन से दो कारक किसी क्षेत्र की हवा और दबाव प्रणाली को प्रभावित करते हैं और कैसे?
उत्तरः किसी स्थान का अक्षांश और ऊँचाई उस क्षेत्र के तापमान
और वर्षा को प्रभावित करती है।
20. महासागरीय धाराएँ क्या हैं? दो प्रकारों के नाम बताइए।
उत्तरः महासागरीय धाराएँ पानी की धाराएँ हैं जो पूरे वर्ष एक
ही दिशा में चलती हैं। दो प्रकार की समुद्री धाराएँ गर्म धाराएँ और ठंडी धाराएँ हैं।
21. किसी क्षेत्र का उच्चावच किसी स्थान की जलवायु को कैसे प्रभावित करती है?
उत्तरः किसी स्थान की उच्चावच उस स्थान की जलवायु को प्रभावित
करती है जब ऊंचे पहाड़ ठंडी और गर्म हवाओं के लिए अवरोध का काम करते हैं, उदा. हिमालय। यदि वे बहुत अधिक हैं तो वे वर्षा की मात्रा को
भी प्रभावित करते हैं। वे हवा को हवा की तरफ भारी बारिश और हवा की तरफ कम बारिश देने
के लिए मजबूर करते हैं।
22.काल बैसाखी को स्पष्ट करें?
उत्तर - पश्चिमी बंगाल में तीव्र हवाओं के साथ बैशाख के महीने
में होने वाली मूसलाधार वर्षा। जो भारी तबाही का कारण बनती है । काल बैसाखी कहलाती
है।
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर (03 अंक)
1. एलनीनो की व्याख्या कीजिये।
उत्तर - एलनीनो एक गर्म जलधारा है। यह पेरु के तट पर उत्पन्न
होती है और पेरु की शीत जलधारा को अस्थायी रूप से हटाकर उसका स्थान ले लेती है। एलनिनो
एक स्पैनिश शब्द है, जिसका अर्थ होता है बच्चा, जो कि बेबी क्राइस्ट को व्यक्त करता है। क्योंकि यह धारा किसमस
के समय बहना शुरू करती है।
2.
दक्षिणी-पश्चिमी मानसून और उत्तरी पूर्वी मानसून के बीच तीन अंतर बताइये।
उत्तर –
दक्षिणी -पश्चिमी मानसून |
उत्तरी -पूर्वी मानसून |
1) यह मानसून अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से उत्तर की ओर बढ़ता
है। |
1) यह मानसून उत्तर-पूर्व से समुद्र की ओर बढ़ता है। |
2) ये मानसूनी पवने जून से सितम्बर माह में बहती है। |
2) ये पवनें अक्टूबर-नवम्बर माह में चलती हैं। |
3) ये पवनें देश व्यापी वर्षा करती है। |
3) ये पवनें तमिलनाडु में वर्षा करती है। |
3. भारत में मानसूनी प्रकार की जलवायु क्यों है?
उत्तर – भारत की जलवायु मानसूनी प्रकार की है क्योंकि -
1) भारतीय जलवायु मानसूनी पवनों से नियन्त्रित रहती है।
2) भारत उष्ण-कटिबन्धीय क्षेत्र में स्थित है। इसका आधा भाग कर्क
रेखा से दक्षिण की ओर पड़ता है।
3) यहाँ पृथ्वी का घूर्णन सक्रिय रहता है। जो उत्तरी और दक्षिणी
गोलार्द्ध की पवनों को दाएं और बाएं मोड़ता है।
4.
भारत के किस भाग में दैनिक तापमान अधिक होता है एवं क्यों?
उत्तर – भारत में दैनिक तापान्तर की स्थिति निम्न प्रकार की
होती है -
1) यह भारत का उत्तरी-पश्चिमी हिस्सा है। यहाँ का तापमान 48 डिग्री तक बढ़ जाता है।
2) मई-जून माह में भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सो में न्यून वायुदाब
की दशायें तीव्र हो जाती हैं।
3) भारत में दक्षिणी-पश्चिमी मानसूनी हवायें प्रवेश करती हैं| जिससे
इन भागों में आर्द्रता एवं उमस बढ़ जाती है।
4) मई जनू के माह में धूल भरी, गर्म और शुष्क पवनें चलती हैं, जिन्हें लू कहा जाता है।
5. जेट धाराएँ क्या हैं, तथा वे किस प्रकार भारत की जलवायु को प्रभावित करती हैं?
उत्तर - ऊपरी क्षोममंडल के संकीर्ण क्षेत्र में तीव्र वेग से
बहने वाली पवन जेट धारा कहलाती है। इसके प्रवाह की दिशा जलधाराओं की तरह निश्चित होती
है इसलिए इसे जेट धारा कहा जाता है। ये धरातल से 6 से 12 किमी. की ऊँचाई पर लहरदार
रूप में बहती है।
1) भारत की जलवायु पर जेट धाराओं की गति का गहरा प्रभाव पड़ता है।
2) शीत ऋतु में हिमालय के दक्षिणी भाग के ऊपर समताप मंडल में पश्चिमी
जेट धाराओं की स्थिति रहती है । जून के महीने में यह उत्तर की ओर खिसक जाती है।
6. भारत में वर्षा का वितरण असमान क्यों हैं?
उत्तर – भारत में वर्षा का वितरण असमान है क्योंकि -
1) मानसूनी पवनें नियमित नहीं हैं।
2) उष्ण कटिबन्धीय स्थल व समुद्रों के ऊपर प्रवाह के दौरान ये विभिन्न
वायुमंडलीय अवस्थाओं से प्रभावित होती हैं।
3) मानसून का समय जून से लेकर सितम्बर तक होता है।
7. कोरिआलिस बल क्या है?
उत्तर - पृथ्वी के घूर्णन के कारण उत्पन्न आभासी बल को कोरिआलिस
बल कहते हैं। इस बल के कारण पवने उत्तरी गोलार्द्ध में दाएं और दक्षिणी गोलार्द्ध में
बाएं ओर मुड़ जाती हैं । इसे फेरेल का नियम भी कहते हैं।
8. पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ की व्याख्या कीजिये?
उत्तर - सर्दी के महीनों में उत्पन्न होने वाला पश्चिमी चक्रवातीय
विक्षोभ भूमध्यसागरीय क्षेत्रों से आने वाले पश्चिमी प्रवाह के कारण होता है। वे प्रायः
भारत के उत्तर एवं उत्तर पश्चिमी क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं। उष्ण कटिबन्धीय चक्रवात
मानसूनी महीनों के साथ-साथ अक्टूबर व नवम्बर के महीनों में भी आते है। तथा ये पूर्वी
प्रवाह के एक भाग होते हैं एवं देश के तटीय क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं।
9. उष्ण कटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र क्या है?
उत्तर - विषुवतीय अंक्षाशो में विस्तृत गर्त एवं निम्न दाब का
क्षेत्र होता है। यहीं पर उत्तर पूर्वी तथा दक्षिण-पूर्वी व्यापारिक पवनें आपस में
मिलती हैं। यह अभिसरण क्षेत्र विषुवत वृत्त के लगभग समानान्तर होता है। लेकिन सूर्य
की आभासी गति के साथ-साथ यह उत्तर या दक्षिण की ओर खिसकता है।
10.भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक
कौन-कौन से है? व्याख्या कीजिये।
उत्तर – भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले कारक
निम्नलिखित हैं -
अक्षांश - अक्षांश पर किसी भी देश की स्थिति का प्रभाव जलवायु पर पड़ता
है।
ऊँचाई - ऊँचाई के बढ़ने पर तापमान में कमी होती जाती है।
समुद्र से दूरी - समुद्र से दूर होने पर विषम जलवायु तथा निकट होने पर सम जलवायु
होती है।
महासागरीय धारायें - गर्म महासागरीय धाराओं के प्रभाव के कारण जलवायु सम और ठंडी
धाराओं के कारण जलवायु विषम होती है।
वायुदाब - किसी भी क्षेत्र का वायुदाब उस स्थान के अक्षांश तथा ऊँचाई
पर निर्भर करता है।
11. भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की विशेषताएँ
बताइयें।
उत्तर – भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की प्रमुख
विशेषताएँ निम्नलिखित हैं -
वर्षा का समय व मात्रा - देश की अधिकांश वर्षा मानसूनी पवनों द्वारा गर्मी के मौसम
में होती है।
असमान वितरण - देश में वर्षा का वितरण समान नहीं है।
अनिश्चितता - भारत में होने वाली मानसूनी वर्षा की मात्रा पूरी तरह निश्चित
नहीं है।
मूसलाधार वर्षा - मानूसनी वर्षा अत्याधिक मात्रा में और कई-कई दिनो तक लगातार
होती है।
शुष्क अन्तराल - कई बार शुरुआत में मानसूनी वर्षा लगातार न होकर कुछ दिन या
सप्ताह के अंतराल से होती है।
12.भारत की जलवायु अवस्थाओं की क्षेत्रीय विभिन्नताओं
को उदाहरण सहित समझाइये?
उत्तर – भारत की जलवायु अवस्थाओं की क्षेत्रीय विभिन्नताओं
का उल्लेख उदहारण सहित निम्नलिखित हैं -
1) गर्मी के मौसम में राजस्थान के कुछ रेगिस्तानी भागों में तापमान
50 डिग्री तक हो जाता है
वहीं पहलगाम और जम्मू कश्मीर में 20 डिग्री के आस पास रहता
है।
2) स्थान विशेष पर दिन और रात के तापमानों में बड़ा अंतर होता है।
थार के रेगिस्तान में दिन का तापमान 50 से. हो सकता है और उसी रात यह नीचे गिरकर 45 से. तक पहुँच सकता है।
13.मौसम और जलवायु में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - एक विशाल इलाके में एक लंबी समयावधि (30 वर्ष से अधिक) में मौसम
की अवस्थाओं तथा विविधताओं का कुल योग ही जलवायु है ।
मौसम एक विशेष समय में एक क्षेत्र के वायुमंडल की स्थिति को
बताता है।
14. भारत की शीत ऋतु की विशेषताये लिखिये।
उत्तर – भारत की शीत ऋतू की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित
हैं -
1) मध्य नवंबर से फरवरी तक।
2) दिन सामान्यतः गर्म और राते ठंडी होती है।
3) इस ऋतु में आसमान साफ, तापमान और आद्रता कम एवं पवने शिथिल एवं परिवर्तित होती है।
15. भारत में जलवायु संबंधित मौसमी अवस्थाएँ किन वायुमंडलीय
अवस्थाओ से संचालित होती है?
उत्तर : भारत में जलवायु संबंधित मौसमी अवस्थाएँ निम्नलिखित
वायुमंडलीय अवस्थाओ से संचालित होती हैं
(1) वायुदाब एवं धरातलीय पवनें
(2) ऊपरी वायु परिसंचरण
(3) पश्चिमी चक्रवाती विक्षोभ एव उष्ण कटिबंधीय चक्रवात
16. पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ क्या होते हैं?
उत्तर : सर्दी के महीनो में उत्पन्न होने वाला पश्चिमी चक्रवातीय
विक्षोभ भूमध्य सागरीय क्षेत्र से आने वाली पश्चिमी प्रवाह के कारण होता है। इन्हें
ही पश्चिमी चक्रवातीय विक्षोभ कहते है।
17. भारतीय मानसून की तीन प्रमुख विशेषताएँ बताइए?
उत्तर- भारतीय मानसून की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(1) मानसून वर्षा भूआकृति द्वारा नियमित होती है ।
(2) मानसूनी वर्षा का भारत में वितरण भी असमान होता है जो औसत 12 से०मी० से 1180 से०मी० के नीचे पाया जाता
है।
(3) मानसून कभी पहले और कभी देर से आती है, कभी अतिवृष्टि एवं कभी अनावृष्टि लाती है । फलतःः फसलें प्रभावित
होती हैं तथा बाढ़ एवं सूखा जैसी आपदाएँ लाती हैं।
18. लू से आप क्या समझते हैं?
उत्तर :- ग्रीष्म ऋतु में मई के महीने में उत्तर भारत में चलने
वाली हवा अत्यन्त गर्म और शुष्क होती है, तापक्रम लगभग 400C तक चला जाता
है । इस शुष्क चलने वाली हवा को ’लू’ कहते हैं।
19. मानसून का विस्फोट क्या है?
उत्तर-उत्तर भारत में आधे जून से मौसम में अचानक बदलाव आने लगता
है। तेजी से हवा दक्षिण पश्चिम से आने लगती है। आकाश बादलों से आच्छदित हो जाता है
तथा गर्जन-तर्जन के साथ भारी वर्षा होने लगती है। इसे ही मौनसून का फटना (Monsoon Burst) कहा जाता
है। लोगों को गर्मी से राहत मिलती है।
20. हिमालय पर्वत की उपस्थिति से भारत को क्या लाभ
मिलता है?
उत्तर - भारत के उत्तर में हिमालय पर्वत स्थित है। इसकी औसत
ऊँचाई 6000 मीटर है। हिमालय मध्य
एशिया से आने वाली ठंडी हवाओं को भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करने से रोकता है। इस
कारण इस क्षेत्र में मध्य एशिया की तुलना में ठंड कम पड़ती है।
21. तापमान में परिवर्तन भारत में लोगों के जीवन को
कैसे प्रभावित करता है?
उत्तरः तापमान में परिवर्तन भारत में लोगों को निम्न प्रकार
से प्रभावित करता है :-
(अ) तापमान लोगों द्वारा खाए जाने वाले भोजन को प्रभावित करता
है।
(ब) लोग जो कपड़े पहनते हैं वह तापमान के अनुकूल होते हैं।
(स) लोग तापमान से बचने तापानुकूलित घरों में निवास करते हैं।
22. जेट स्ट्रीम क्या है?
उत्तरः जेट स्ट्रीम को निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर समझा जा
सकता है :-
(अ) ये क्षोभमंडल में उच्च ऊंचाई वाली पश्चिमी हवाओं की एक संकीर्ण
बेल्ट हैं।
(ब) उनकी गति गर्मियों में लगभग 110 किमी/घंटा से लेकर सर्दियों
में लगभग 184 किमी/घंटा तक भिन्न होती
है।
(स) जेट धाराओं की पहचान की गई है, सबसे अधिक स्थिर मध्य अक्षांश और उपोष्णकटिबंधीय जेट स्ट्रीम
हैं।
(द) जेट धाराओं की उपस्थिति 270 से 300 उत्तर अक्षांशों के बीच
होती है।
(इ) भारत के ऊपर यह 140 उत्तरी अक्षांश पर प्रवाहित
होती है।
23. आईटीसीजेड क्या है?
उत्तरः आईटीसीजेड को निम्न प्रकार से विष्लेषित किया जा सकता
है -
(अ) इंटर ट्रॉपिकल कन्वर्जेंस ज़ोन एक कम दबाव का विस्तृत गर्त
है जो विषुवत अक्षांशों के क्षेत्र में स्थित है।
(ब) उत्तर पूर्व और दक्षिण पूर्व व्यापारिक हवाएं यहां आपस में
मिलती हैं।
(स) आईटीसीजेड सूर्य की स्पष्ट गति के साथ भूमध्य रेखा के उत्तर
या दक्षिण की ओर खिसक़ता है।
24. दक्षिणी दोलन की व्याख्या कीजिए।
उत्तरः दक्षिणी दोलन -
(अ) आम तौर पर जब उष्णकटिबंधीय पूर्वी दक्षिण प्रशांत महासागर
उच्च दबाव का अनुभव करता है,
उष्णकटिबंधीय पूर्वी हिंद महासागर में कम दबाव है।
(ब) कभी-कभी दबाव की स्थिति में उलटफेर होता है।
(स) दबाव की स्थिति में यह आवधिक परिवर्तन दक्षिणी दोलन या एस.ओ.
के रूप में जाना जाता है। यदि दबाव अंतर नकारात्मक हैं तो इसका मतलब देर से मानसून
होगा।
25. अल नीनो परिघटना का दक्षिणी दोलन से क्या संबंध
है?
उत्तरः अलनीनो की घटना का दक्षिणी दोलन से संबंध -
(अ) आम तौर पर पेरू के तट के साथ एक ठंडी जल धारा बहती है।
(ब) हर दो से पांच साल में एक गर्म महासागरीय धारा ठंडी पेरू
की धारा का स्थान लेती है।
(स) दबाव की स्थिति में परिवर्तन अल नीनो से जुड़ा हुआ है, इसलिए इस घटना को ईएनएसओ (अल नीनो दक्षिणी दोलन) कहा जाता है।
26. ’मानसून की वापसी’ से आप क्या समझते हैं? यह कब होता है?
उत्तरः मानसून की वापसी -
(अ) देश से मानसून की वापसी को मानसून के पीछे हटने के रूप में
जाना जाता है।
(ब) निकासी एक क्रमिक प्रक्रिया है। सितंबर में मानसून उत्तर
पश्चिमी राज्यों से और अक्टूबर तक प्रायद्वीप के उत्तरी भाग से वापस आ जाता है।
(स) दिसंबर की शुरुआत में मानसून आखिरकार देश से हट जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर (04 अंक)
भौगोलिक कारण बताएँ
1. पश्चिमी राजस्थान एक मरुस्थल है ?
उत्तर- राजस्थान का पश्चिमी भाग मरस्थल है. जो थार की मरुभूमि
कहलाता है । मरुस्थल होने के कई कारण हैं.
(1) बंगाल की खाड़ी मानसून शाखा की हवाएँ उत्तर पश्चिम के निम्नतम
दाब वाले क्षेत्र में पहुँचने के पहले ही सूख जाती है । अतः वर्षा नहीं कर पाती हैं।
(2) अरब सागरीय मानसून शाखा के मार्ग में अरावली पहाड़ियाँ कोई अवरोध
उत्पन्न नहीं करती क्योंकि ये मानसून पवनों के समानांतर स्थित है । अतः वहाँ हवाएँ
ऊपर चढ़कर आगे बढ़ जाती हैं।
(3) बलुई क्षेत्र का ग्रीष्म ऋतु में तापमान इतना अधिक रहता है जिससे
कि मानसून पवनों की आर्द्रता वाष्पीकृत हो जाती है । इस क्षेत्र में सालाना वर्षा , 25 से०मी० होती है। इन कारणों
से राजस्थान का पश्चिमी भाग मरूस्थल है।
2. तमिलनाडू में जाड़े मे वर्षा होती है।
उत्तर :- सितम्बर के अंत में सूर्य के दक्षिणायन होने के कारण
उत्तरी-पश्चिमी भाग का निम्नदाब समाप्त होकर दक्षिण में खिसक जाता है। फलतः मानसून
वापस लौटने लगता है। हवाएँ स्थल की ओर से चलने लगती है, अतः शुष्क होती हैं । ये हवाएँ बंगाल की खाड़ी को पार करके लौटते
आर्द्रता ग्रहण कर दक्षिण-पूर्वी का कारोमंडल तट पर भारी वर्षा करती है। यह तमिलनाडु
का क्षेत्र है जहाँ वर्षा की अधिकतम मात्रा 44 से 60 इसी शीत ऋतु में होती
है। इसी शीतऋ़तु में बंगाल की खाड़ी में बनने वाले चक्रवातों से भी यहाँ भारी वर्षा
होती है।
3. भारतीय कृषि मानसून के साथ जुआ है ?
उत्तर :- भारत एक कृषि प्रधान देश है जहाँ की कृषि मुख्यतः वर्षा
पर ही आधारित है। भारत में वर्षा मानसून पवनों द्वार ही होती है, पर भारत की कृषि मौनसून के साथ जुआ हैं। इनके निम्नलिखित कारण
हैं
(1) अनिश्चितता - भारत में
होने वाली मौनसूनी वर्षा की मात्रा पूरी तरह निश्चित नहीं है। कभी तो मानसून पवन समय
से पहले पहुँच भारी वर्षा करती है । कई स्थानों में बाढ़ आ जाती है । कभी यह वर्षा इतनी
कम होती है या निश्चित समय से पहले ही खत्म हो जाती है कि सूखे की स्थिति पैदा हो जाती
है।
(2) असमान वितरण
- देश में वर्षा का वितरण समान नहीं है । पश्चिमी घाट की पश्चिमी ढलानों ओर मेघालय
तथा असम की पहाड़ियों में 250 मिमी से भी अधिक वर्षण
होती है । दूसरी ओर पश्चिमी राजस्थान, पश्चिमी गुजरात, उत्तरी कश्मीर आदि जगहों पर 25 मिमी से भी कम वर्षा होती
है।
(3) अस्थिरता - भारत में
मानसून पवनों से वर्षा भरोसे योग्य नहीं है। यहाँ के किसान खेतों में बीज बो देते हैं
पर मानसून के अनिश्चित होने के कारण फसल मारी जाती है, तो कभी अच्छी फसल भी हो जाती है अतः कहा जाता है कि भारतीय कृषि
मानसून के साथ जुआ है।
4. मासिनराम में विश्व की सर्वाधिक वर्षा होती है।
क्यों?
उत्तर :- दक्षिण-पश्चिम मानसून बंगाल की खाड़ी से जलवाष्प लेकर
उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ता है । यह मेघालय तक पहुँच जाता है । उसके पहले यह मानसून हवा
मेघालय पठार के दक्षिण स्थित गारो,
खासी,
जैन्तिया पहाड़ियों से टकराती है । वह खासी पहाड़ी पर स्थित मौसिमराम
नामक स्थान में संसार की सबसे अधिक वर्षा 1187 से०मी० करती है, हवा दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ती जाती है, उन पहाड़ियों का फैलाव कीपनुमा है जिससे हवाएँ तीन ओर से घिरकर
ऊपर उठने लगती है और वर्षा करने लगती है और अधिक वर्षा करने में समर्थ हो जाती है।
5. ऊटी में सालभर तापमान काफी नीचे रहता है।
उत्तर - सौर किरणों के सीधा या तिरछा होने पर सौर ऊर्जा की मात्रा
में अन्तर हो जाता है। सूर्य की किरणें निम्न अक्षांशों पर सीधी तथा उच्च अक्षांशों
पर तिरछी पडती है। जैसे-जेसे समुद्रतल से धरातल की ऊँचाई बढती जाती है, वायुमण्डल विरल होता जाता है तथा तापमान घटता जाता है। यही कारण
है कि निम्न आक्षांश में स्थित ऊँटी (तमिलनाडु) जो अधिक ऊँचाई पर स्थित है सालभर तापमान
कम रहता है ।
6. फैरेल का क्या नियम है?
उत्तर :-पृथ्वी पर स्थायी वायु दाब पेटियों के बीच चलनेवाली
प्रचलित हवाएँ (Pre Calling Winds) की दिशा पर पृथ्वी के घूर्णन का प्रभाव पड़ता है । पृथ्वी के.घूर्णन
के कारण ही कोरियोलिस बल (Coriolis
Force) उत्पन्न होता है जिसके कारण उत्तरी गोलार्द्ध
में हवाएँ दाहिनी ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बायीं ओर मुड़ जाती है । अर्थात विषुवत
रेखा को पार करने के बाद दक्षिणी गोलार्द्ध की हवाएँ दाहिनी ओर मुड़ जाती हैं तथा दक्षिण-पश्चिम
से चलने लगती है। इसे सबसे पहले फेरल महोदय ने पता लगाया इसीलिए इसे फैरल का नियम कहते
हैं।
7. भारत में कितनी ऋतुएँ पायी जाती हैं ?
उत्तर- भारत में कुल छः ऋतुएँ पायी जाती हैं- वसंत, ग्रीष्म,
वर्षा,
शीत ,
शरद एवं शिशिर। पर भौगोलिक दृष्टि से तथा मौसम विभाग के अनुसार
भारत में मुख्यतः चार ऋतुएँ हैं
(1)
शीत ऋतु - मध्य
नवम्बर से मध्य मार्च तक ।
(2)
ग्रीष्म ऋतु - मध्य
मार्च से मध्य जून तक ।
(3)
वर्षा ऋतु - मध्य
जून से मध्य सितम्बर तक ।
(4) लौटती मौनसून ऋतु -
मध्य सितम्बर से मध्य नवम्बर तक ।
8. जम्मू कश्मीर के लेह में वर्षा कम क्यों होती
है ?
उत्तर- समुद्र की समह से लगभग 11500 फुट की ऊँचाई पर लेह बसा
है जिसका मौसम अत्यधिक ठंडा होता है। नवम्बर
से मार्च के बीच तापमान जीरो 40 डिग्री तक नीचे चला जाता
है। यही कारण है कि इसे भारत का ठंडा रेगिस्तान कहा जाता है। ऐसे मौसम के कारण ही लेह
में कम वर्षा होती है।
9. भारत की वायुदाब और पवन तंत्र अद्वितीय है। स्पष्ट
कीजिए।
उत्तर- भारत उत्तर पूर्वी व्यापारिक पवनों वाले क्षेत्र में
स्थित है। ये पवनें उत्तरी गोलार्द्ध के स्थलीय भागों से उत्पन्न होती एवं बहती हैं।
इसलिए इन पवनों के द्वारा वर्षा कम या नहीं होती है। इस प्रकार भारत को एक शुष्क क्षेत्र
होना चाहिए। किन्तु ऐसा नहीं है क्योंकि भारत की वायुदाब और पवनतंत्र ऐसा है कि उससे
भारत में दक्षिण पूर्वी मानसूनी पवनों को नमी के साथ प्रवेश करने का अवसर मिल जाता
है और भारत वर्षा युक्त आर्द्र क्षेत्र बन जाता है।
· सर्दियों
के दौरान, हिमालय के उत्तर में एक उच्च दबाव का क्षेत्र विकसित हो जाता
है।
· इस क्षेत्र
से दक्षिण की ओर महासागरों के ऊपर कम दबाव वाले क्षेत्रों में ठंडी शुष्क हवाएँ चलती
हैं।
· गर्मियों
में, एक कम दबाव का क्षेत्र आंतरिक एशिया के साथ-साथ उत्तर-पश्चिमी
भारत पर विकसित होता है।
· इससे गर्मियों
के दौरान हवाओं की दिशा पूरी तरह उलट जाती है।
· दक्षिण हिंद
महासागर के ऊपर उच्च दबाव वाले क्षेत्र से दक्षिण-पश्चिम दिशा में हवा चलती है, भूमध्य रेखा को पार करती है और भारतीय उपमहाद्वीप पर कम दबाव
वाले क्षेत्र की ओर दाहिनी ओर मुड़ जाती है।
·
इन हवाओं
को दक्षिण-पश्चिम मानसूनी हवाओं के रूप में जाना जाता है।
ये हवाएँ गर्म महासागरों के ऊपर से बहती हैं, नमी इकट्ठा करती हैं और भारत की मुख्य भूमि पर व्यापक वर्षा
लाती हैं। इस प्रकार जिस भारत भूमि को शुष्क क्षेत्र होना था वह आर्द्र क्षेत्र हो
जाता है इसीलिए भारत की वायुदाब और पवनतंत्र को अद्वितीय कहा जाता है।
10. भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले किन्हीं
पाँच कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तरः भारत की जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख पांच कारकों
की व्याख्या -
(अ) दबावः सर्दियों
में जमीन पर दबाव अधिक और समुद्र के ऊपर कम होता है। इसलिए ठंडी हवाएँ भूमि से समुद्र
की ओर चलती हैं। गर्मियों में हवाएं समुद्र से जमीन की ओर चलती हैं जहां दबाव कम होता
है।
(ब) समुद्र से दूरीः
समुद्र के पास के स्थानों में भूमि और समुद्री हवाओं के प्रभाव के कारण मध्यम जलवायु
होती है। इंटीरियर में दूर के स्थानों में महाद्वीपीय या चरम जलवायु होती है।
(स) महासागरीय धाराएँः
महासागरीय धाराएँ तटीय क्षेत्रों को प्रभावित करती हैं। ठंडी धाराएँ उन क्षेत्रों के
तापमान को कम कर देती हैं जिनके साथ वे बहती हैं। गर्म धाराएं तटीय क्षेत्रों के तापमान
में वृद्धि करती हैं।
(द) उच्चावच : पवनों
के समकोण पर स्थित पर्वतों से भारी वर्षा होती है जबकि पवनों के समानांतर स्थित पर्वत
वर्षा का कारण नहीं बनते। पहाड़ों की हवा की ओर की ढलानों के कारण लीवार्ड ढलान या वर्षा
छाया क्षेत्र की तुलना में भारी बारिश होती है।
(ई) अक्षांशः पृथ्वी
के गोलाकार आकार के कारण पृथ्वी द्वारा प्राप्त सौर ऊर्जा की मात्रा अक्षांश के अनुसार
बदलती रहती है। भूमध्य रेखा से ध्रुवों तक तापमान घटता जाता है।
11. प्रत्येक की पांच विशिष्ट विशेषताओं की व्याख्या
करते हुए उत्तर-पूर्वी मानसून और दक्षिण-पश्चिम मानसून के बीच अंतर करें।
उत्तरः
दक्षिण-पश्चिम मानसून |
उत्तर-पूर्वी मानसून |
ये जून से सितंबर तक गर्मियों में बहती
हैं। |
ये दिसंबर से फरवरी तक सर्दियों में बहती
हैं। |
ये (उच्च दबाव) समुद्र से (निम्न दबाव)
भूमि पर प्रवाहित होती हैं। |
ये (उच्च दबाव) भूमि से (निम्न दबाव)
समुद्र की ओर प्रवाहित होती हैं। |
ये नमी वाली हवाएं हैं। |
ये शुष्क होती हैं क्योंकि ये भूमि पर
उत्पन्न होते हैं। |
ये दो शाखाओं अरब सागर शाखा, बंगाल की खाड़ी की शाखा में प्रवाहित होती हैं और भारत को 75 से 90 तक भारी
वर्षा देते हैं। |
बंगाल की खाड़ी को पार करते हुए, ये नमी उठाती हैं और कोरोमंडल तट (तमिलनाडु) में वर्षा करते
हैं। |
उच्च तापमान, कम दबाव और उच्च आर्द्रता |
कम तापमान, उच्च दबाव,
कम आर्द्रता। |
अभ्यास हेतु विश्लेषणात्मक
प्रश्न
1. भारत में वर्षा का वितरण असमान क्यों है? कोई पाँच कारक बताइए?
2. भारत की जलवायु को नियंत्रित करने में अल नीनो और दक्षिणी दोलन
की भूमिका का वर्णन कीजिए।
3. उपयुक्त उदाहरणों की सहायता से भारत की जलवायु परिस्थितियों
में क्षेत्रीय भिन्नताओं का वर्णन कीजिए।
4. मानसून के कारण होने वाली वर्षा के वितरण की व्याख्या कीजिए।
5. पश्चिम बंगाल तट से टकराने के बाद मानसूनी हवाओं के मार्ग का
वर्णन करें।
धन्यवाद