अध्याय 3 -
नात्सीवाद और हिटलर का उदय
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1. नात्सीवाद और हिटलर का उदय : आरंभिक परिचय (भाग - 1)
2. नात्सीवाद और हिटलर का उदयः वाइमर गणराज्य का जन्म ( भाग - 2 )
3. नात्सीवाद और हिटलर का उदयः हिटलर का उदय ( भाग - 3 )
4. नात्सीवाद और हिटलर का उदयः नात्सियों का विष्व दृष्टिकोण ( भाग - 4 )
5. नात्सीवाद और हिटलर का उदयः नात्सी जर्मनी में युवाओं की स्थिति ( भाग - 5 )
6. नात्सीवाद और हिटलर का उदयः आम जनता और मानवता के खिलाफ अपराध ( भाग - 6 )
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महत्वपूर्ण तथ्य
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पहला विश्वयुद्ध 1914-1918 तक लड़ा गया।
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अमरीका 1917 में पहले विश्वयुद्ध में शामिल हुआ ।
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नवम्बर 1918 में जर्मनी की पराजय के साथ प्रथम विश्व युद्ध का अन्त हुआ।
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जून 1919 में वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर हुए ।
·
जर्मनी की हार के बाद वाइमर लोकतांत्रिक संविधान पारित किया गया।
·
हिटलर का जन्म 1889 में हुआ।
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हिटलर ने 1919 में ’जर्मनी वर्कर्स पार्टी’ की सदस्यता ली।
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1921 में हिटलर ने नाजी पार्टी की नीव रखी ।
·
नात्सी यूथ लीग का गठन 1922 में हुआ।
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एडोल्फ हिटलर 1933 में जर्मनी का चांसलर बना।
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महामंदी के दौरान नात्सीवाद ने जन आंदोलन का रूप ग्रहण कर लिया।
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द्वितीय विश्व युद्ध (1939-45) तक चला ।
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1938 में म्यूनिख समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे।
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दिसंबर 1944 को अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में प्रवेश किया ।
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मई 1945 में सोवियत संघ की सेना ने बर्लिन में प्रवेश किया।
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1945 में मित्र राष्ट्रों को यूरोप में विजय प्राप्त हुई ।
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मित्र राष्ट्र - ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका और सोवियत संघ।
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धुरी राष्ट्र - जर्मनी, इटली और जापान
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नात्सी - यह शब्द जर्मन भाषा के शब्द नात्सियोणाल से बना है जिसके प्रारंभिक अक्षरों
को लेकर नात्सी बना।
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हर्जाना - किसी गलती के बदले दण्ड के रूप में नुकसान की भरपाई करना।
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खंदक - युद्ध के मोर्चे पर सैनिकों के छिपने के लिए खेदे गए गड्ढे।
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वॉल स्ट्रीट एक्सचेंज - अमेरिका में स्थित दुनिया का सबसे बड़ा शेयर बाजार।
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सर्वहाराकरण - गरीब होते - होते मजदूर वर्ग की आर्थिक स्थिति में पहुच जाना।
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प्रोपेगैंण्डा - जनमत को प्रभावित करने के लिए किया जाने वाला एक खास तरह का प्रचार।
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कंसन्ट्रेसन कैंम्प - ऐसे स्थान जहाँ बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के लोगों को कैद
रखा जाता था। ये कंसन्ट्रेसन कैम्प बिजली के करंट दौड़ते तारों से घिरे रहते थे।
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नॉर्डिक आर्यन जर्मन - आर्य बताए जाने वालों की एक शाखा। ये लोग उत्तरी यूरोपीय
देषों में रहते थे और जर्मन या मिलते जुलते मूल के लोग।
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ब्लॉन्ड - नीली आँखों और सुनहरे बालों वाले।
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युंगफोंक - 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए बना नात्सी युवा संगठन।
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अति मुद्रा स्फीति - बेहिसाब ऊँची कीमतें
वाइमर गणराज्य
की स्थापना
·
जर्मनी ने ऑस्ट्रियाई साम्राज्य के साथ मिलकर मित्र राष्ट्रों (इंग्लैंड, फ्रांस और रूस) के
खिलाफ प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918) लड़ा ।
·
जर्मनी ने शुरू में फ्रांस और बेल्जियम पर कब्जा करके लाभ कमाया । हालाँकि, मित्र राष्ट्रों
ने 1918 में जर्मनी और केंद्रीय शक्तियों को हराकर जीत हासिल की ।
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वाइमर में एक नेशनल असेंबली की बैठक हुई और एक संघीय ढांचे के साथ एक लोकतांत्रिक
संविधान की स्थापना की ।
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जून 1919 में वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर हुए जिसमें जर्मनी के ऊपर मित्र शक्तियों
ने कई अपमानजनक शर्तें थोपीं - जैसे :-
o युद्ध अपराध बोध अनुच्छेद के तहत छह अरब पौंड का
जुर्माना लगाना ।
o युद्ध में हुए क्षति के लिए सिर्फ जर्मनी को जिम्मेदार
मानना ।
o जर्मनी को सैन्यविहीन करना ।
o सारे उपनिवेश 10 प्रतिशत आबादी 43 % भू - भाग , 75 %लौह भंडार और 26 % कोयला भंडार का मित्र राष्ट्रों में आपस में बाँट लेना आदि
।
o वर्साय की संधि द्वारा जर्मनी में वाइमर गणराज्य
की स्थापना हुई ।
युद्ध का असर
:-
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युद्ध से मनोवैज्ञानिक और आर्थिक रूप से पूरे महाद्वीप पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा
।
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यूरोप कल तक कर्ज देने वालों का महाद्वीप कहलाता था जो युद्ध खत्म होते - होते
कर्जदारो का महाद्वीप बन गया।
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पहले महायुद्ध ने यूरोपीय समाज और राजनीतिक व्यवस्था पर अपनी गहरी छाप छोड़ दी थी
।
·
सिपाहियों को आम नागरिकों के मुकाबले ज्यादा सम्मान दिए जाने लगा ।
· राजनेता और प्रचारक इस बात पर जोर देने लगे कि पुरुषों को आक्रामक , ताकतवर और मर्दाना
गुणों वाला होना चाहिए।
राजनीतिक रैडिकलवाद
और आर्थिक संकट :-
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राजनीतिक रैडिकलवादी विचारों को 1923 के आर्थिक संकट से और बल मिला जर्मनी ने पहला
विश्वयुद्ध मोटे तौर पर कर्ज लेकर लड़ा था ।
·
युद्ध के बाद तो उसे स्वर्ण मुद्रा में हर्जाना भी भरना पड़ा । इस दोहरे बोझ से
जर्मनी के स्वर्ण भंडार लगभग खत्म होने की स्थिति में पहुंच गए थे ।
·
आखिरकार 1923 में जर्मनी ने कर्ज और हर्जाना चुकाने से इंकार कर दिया । इसका जवाब
में फ्रांसीसियों ने जर्मनी के मुख्य औद्योगिक इलाके रूर पर कब्जा कर लिया ।
·
यह जर्मनी के विशाल कोयला भंडारों वाला इलाका था । जर्मन सरकार ने इतने बड़े पैमाने
पर मुद्रा छाप दी की उसकी मुद्रा मार्क का मूल्य तेजी से गिरने लगा ।
·
अप्रैल में एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 24,000 मार्क के बराबर थी । जो जुलाई में
3,53,000 मार्क और अगस्त में 46,24,000 मार्क तथा दिसंबर में 9,88,60,000 मार्क हो
गई ।
अति - मुद्रास्फीति
:-
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जैसे - जैसे मार्क की कीमत गिरती गई , जरूरी चीजों की कीमत आसमान छूने लगी जर्मन समाज दुनिया
भर में हमदर्दी का पात्र बनकर रह गया इस संकट को बाद में अति - मुद्रास्फीति का नाम
दिया गया । जब कीमतें बेहिसाब बढ़ जाती है तो उस स्थिति को अति मुद्रास्फीति का नाम
दिया जाता है ।
मंदी के साल
:-
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1924 से 1928 तक जर्मनी में कुछ स्थिरता रही लेकिन यह स्थिरता मानो रेत के ढेर
पर खड़ी थी ।
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जर्मन निवेश और औद्योगिक गतिविधियों में सुधार मुख्यत : अमेरिका से लिए गए अल्पकालिक
कर्जो पर आश्रित था।
·
जब 1929 में शेयर बाजार धराशाई हो गया तो जर्मनी को मिल रही यह मदद भी रातों -
रात बंद हो गई ।
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कीमतों में गिरावट की आशंका को देखते हुए लोग धड़ाधड़ अपने शेयर बेचने लगे 24 अक्टूबर
को केवल 4 दिन में 4.3 करोड़ शेयर बेच दिए गए ।
·
यह आर्थिक महामंदी की शुरुआत थी फैक्ट्रियां बंद हो गई थी , निर्यात गिरता जा
रहा था , किसानों की हालत खराब थी, सट्टेबाज बाजार से पैसा खींचते जा रहे थे ।
·
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में आई इस मंदी का असर दुनियाभर में महसूस किया गया और सबसे
बुरा प्रभाव जर्मन अर्थव्यवस्था पर पड़ा ।
·
मजदूर या तो बेरोजगार होते जा रहे थे या उनके वेतन काफी गिर चुके थे बेरोजगारों
की संख्या 60 लाख तक जा पहुंची ।
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जर्मनी के सर्वहाराकरण का खतरा मंडरा रहा था। सर्वहाराकरण से तात्पर्य गरीब होते
हुए मजदूरी के स्थिति में पहुँच जाना।
वाइमर गणराज्य
की परेशानियां :-
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वर्साय में हुई शांति - संधि की वजह से जर्मनी को अपने सारे उपनिवेश , तकरीबन 40 प्रतिशत
आबादी , 3 प्रतिशत भूभाग , 75 प्रतिशत लौह भंडार और 26 प्रतिशत कोयला भंडार
फ्रांस , पोलैंड , डेनमार्क और लिथुआनिया के हवाले करने पड़े ।
·
मित्र राष्ट्रों ने उसकी सेना भी भंग कर दी । यद्ध अपराधबोध अनुच्छेद के तहत युद्ध
के कारण हुई सारी तबाही के लिए जर्मनी को ज़िम्मेदार ठहराकर उस पर छः अरब पौंड का जुर्माना
लगाया गया । खनिज संसाधनों वाले राईनलैंड पर भी बीस के दशक में ज़्यादातर मित्र राष्ट्रों
का ही क़ब्ज़ा रहा ।
आर्थिक संकट
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युद्ध में डूबे हुए ऋणों के कारण जर्मन राज्य आर्थिक रूप से अपंग हो गया था जिसका
भुगतान सोने में किया जाना था । इसके बाद , सोने के भंडार में कमी आई और जर्मन मुद्रा मार्क
का मूल्य गिर गया । आवश्यक वस्तुओं की कीमतें आसमान छूने लगीं ।
राजनीतिक संकट
:-
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राष्ट्रीय सभा द्वारा वाइमर गणराज्य का विकास तथा सुरक्षा के रास्ते पर लाने के
लिए एक नये जनतांत्रिक संविधान का निर्माण किया गया , किन्तु यह अपने उद्देश्य में असफल रहा । संविधान
में बहुत सारी कमजोरियाँ थीं। आनुपातिक प्रतिनिधित्व संबंधी नियमों तथा अनुच्छेद
48 के कारण एक राजनीतिक संकट पैदा हुआ जिसने तानाशाही शासन का रास्ता खोल दिया ।
हिटलर का उदय
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हिटलर का जन्म 1889 को ऑस्ट्रिया में हुआ था।
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अत्यंत गरीबी के कारण हिटलर प्रथम विश्व युद्ध की फौजी भर्ती में चला गया।
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हिटलर हालांकि ऑस्ट्रिया का नागरिक था किन्तु वह जर्मनी की तरफ से युद्ध लड़ा क्योंकि
वह जर्मनी को ही पितृभूमि मानता था।
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किन्तु जर्मनी की हार के कारण वह विचलित तो था ही वर्साय की संधि ने उसे आग बबूला
कर दिया।
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हिटलर ने 1919 में जर्मन वर्कर्स पार्टी की सदस्यता ली और धीरे - धीरे उसने इस
संगठन पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया ।
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फिर उसे नेशनल सोशलिस्ट पार्टी का नाम दे दिया । इसी पार्टी को बाद में नात्सी
पार्टी के नाम से जाना गया ।
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आरंभिक दौर में हिटलर ने जर्मन जनमा को प्रभावित नहीं कर पाया।
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1923 में हिटलर ने जर्मनी की सत्ता पर कब्जा करने का असफल प्रयास किया।
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1929 के चुनावों में हिटलर हार गया उसे केवल 2.6 प्रतिशत वोट मिले।
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महामंदी के दौरान जब जर्मन अर्थव्यवस्था जर्जर हो चुकी थी काम धंधे बंद हो रहे
थे । मजदूर बेरोजगार हो रहे थे । जनता लाचारी और भुखमरी में जी रही थी तो नात्सियों
ने प्रोपेगैंडा के द्वारा एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाकर अपना नात्सी आन्दोलन चमका
लिया ।
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और इसी के बाद 1932 के चुनावों में 37 फीसदी वोट से हिटलर जर्मन का चांसलर बना।
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वह लोगों को गोल बंद करने के लिए आडंबर और प्रदर्शन करने में विश्वास रखता था ।
जिसे प्रोपेगेंडा कहा जाता है।
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वह लोगों का भारी समर्थन दर्शाने और लोगों में परस्पर एकता की भावना पैदा करने
के लिए बड़े बड़े रैलियाँ और सभाएँ करता था ।
·
स्वस्तिक छपे लाल झंडे , नात्सी सैल्यूट का प्रयोग किया करता था और भाषण खास
अंदाज में दिया करता था ।
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भाषणों के बाद तालियाँ भी खास अंदाज ने नात्सी लोग बजाया करते थे ।
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चूँकि उस समय जर्मनी भीषण आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा था इसलिए वह खुद
को मसीहा और रक्षक के रूप में पेश कर रहा था जैसे जनता को इस तबाही उबारने के लिए ही
अवतार लिया हो ।
लोकतंत्र का ध्वंस
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30 जनवरी 1933 को राष्ट्रपति हिंडनबर्ग ने हिटलर को चांसलर का पदभार संभालने का
न्योता दिया यह मंत्रिमंडल में सबसे शक्तिशाली पद था।
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नाजियों का रूढ़िवादियों ने अपना समर्थन दे दिया।
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सत्ता हासिल करने के बाद हिटलर ने लोकतांत्रिक शासन की संरचना और संस्थाओं को भंग
करना शुरू कर दिया ।
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फरवरी महीने में जर्मन संसद भवन में हुए रहस्यमय अग्निकांड से उसका रास्ता और आसान
हो गया । इसके बाद हिटलर ने अपने कट्टर शत्रु कम्युनिस्टो पर निशाना साधा ज्यादातर
कम्युनिस्टों को रातो रात कंस्ट्रक्शन कैंपों में बंद कर दिया गया।
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नात्सी शासन ने कुल 52 किस्म के लोगों को अपना निषाना बनाया। जिनमें यहूदी, रूसी, बेलारूसी, पोलिस, समलैंगिक, दिव्यांग आदि प्रमुख
थे।
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मार्च 1933 को प्रसिद्ध विशेषाधिकार अधिनियम ( इनेबलिंग एक्ट ) पारित किया गया
। इस कानून के जरिए जर्मनी में बाकायदा तानाशाह स्थापित कर दी गई । नात्सी पार्टी और
उससे जुड़े संगठनों के अलावा सभी राजनीतिक पार्टियों और ट्रेड यूनियनों पर पाबंदी लगा
दी गई ।
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किसी को भी बिना कानूनी कार्रवाई के देश से निकाला जा सकता था या गिरफ्तार किया
जा सकता था । इसके लिए पुरानी पुलिस व्यवस्था में बदलाव किए गए तथा नई व्यवस्थाएं कायम
की गईं।
पुननिर्माण
:-
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हिटलर ने अर्थव्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी अर्थषास्त्री ह्यालमार शाख्त को
सौंपी।
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1933 में हिटलर ने लीग ऑफ नेशन्स से खुद को अलग कर लिया।
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एक जन, एक साम्राज्य ओर एक नेता का नारा देकर 1938 में ऑस्ट्रिया को
जर्मनी में मिला लिया।
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इस तरह जर्मनी ने 1936 में राइनलैंड पर वापस कब्जा कर लिया और अन्य प्रांत भी हासिल
कर लिए।
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ह्यालमार शाख्त द्वारा सेना और हथियारों पर पैसा खर्च न करने की नीति के कारण हिटलर
ने उसे 1939 में हटा दिया गया।
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हिटलर युद्धों के द्वारा अर्थव्यवस्था सुधारना चाहता था और 1936 से 1938 के बीच
उसने ऑस्ट्रिया, सुडेटेनलैंड, चेकोस्लोवाकिया, को हड़प ही चुका था।
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इसी कड़ी में उसने सितम्बर 1939 को पौलेंड पर आक्रमण कर दिया। पोलेंड को जर्मनी
के विरूद्ध युद्ध की स्थिति में फ्रांस और ब्रिटेन द्वारा रक्षा की संधि थी जिससे युद्ध
आरंभ हो गया।
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सितम्बर 1940 में जर्मनी ने इटली और जापान से त्रिपक्षीय संधि कर ली। दूसरी तरफ
ब्रिटेन, फ्रांस और अमेरिका हो गया।
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इस तरह दूसरा विश्वयुद्ध आरंभ हो गया जो कि मई 1945 में हिटलर की पराजय तथा जापान
के हिरोषिमा पर अमेरिका द्वारा परमाणु गिराने के साथ ही खत्म हुआ।
नात्सीवाद :-
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यह एक सम्पूर्ण व्यवस्था और विचारों की पूरी संरचना का नाम है । जिसका जनक हिटलर
को माना जाता है । जर्मन साम्राज्य में यह एक विचारधारा की तरह फ़ैल गई थी जो खास तरह
की मूल्य - मान्यताओं , एक खास तरह के व्यवहार सम्बंधित था ।
नात्सियों का
विश्वदृष्टिकोण :-
o राष्ट्रीय समाजवाद का उदय ।
o सक्षम नेतृत्व ।
o नस्ली कल्पनालोक ( यूटोपिया )
o जीवन परिधि ( लेबेन्सत्राउम ) अपने लोगों को बसाने
के लिए ज्यादा से ज्यादा इलाकों पर कब्जा करना ।
o नस्लीय श्रेष्ठता शुद्ध और नार्डिक आर्यो का समाज
।
o चार्ल्स डार्विन और हर्बर्ट स्पेंसर के सिद्धांतों
का आधार।
नस्लवादी राज्य
की स्थापना :-
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नात्सी शुद्ध और स्वस्थ नॉर्डिक आर्यों का समाज स्थापित करना चाहते थे।
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इसके लिए नात्सियों द्वारा 52 किस्म के अवांछित वर्गां की सूची बनाई गई जिनका सफाया
किया जाने लगा।
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सबसे ज्यादा अत्याचार यूहदियों पर किया गया।
नस्ली कल्पनालोक
(यूटोपिया)
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नात्सी अपने आदर्श विश्व के निर्माण जिसमें शुद्ध नस्लीय नागरिक ही रह सकें के
निर्माण में जुट गए।
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इसका पहला शिकार बना पोलेंड और उसे पूरी तरह से तहस नहस कर दिया गया।
·
अपने नस्ली कल्पनालोक की स्थापना के लिए नात्सियों द्वारा चरणबद्ध कार्यक्रम लाए
गए।
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1933 से 1939 तक अवांछितों के बहिष्कार का समय।
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1940 से 1944 तक अवांछितों विषेषकर यहूदियों की दड़बाबंदी की गई और उनको निर्धारित
क्षेत्रों में बंद कर दिया गया।
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1941 के बाद सामूहिक हत्याओं का सिलसिला आरंभ किया गया।
नात्सी जर्मनी
में युवाओं की स्थिति :-
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जर्मन और यहूदियों के बच्चे एक साथ बैठ नहीं सकते थे ।
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जिप्सयों , शारीरिक रूप से अक्षम तथा यहूदियों को स्कूल से निकाल दिया गया
।
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स्कूली पाठ्य पुस्तक को फिर से लिखा गया जहाँ नस्लीय भेदभाव को बढ़ावा दिया गया
।
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10 साल की उम्र के बच्चों को ’ युगफोंक ’ में दाखिल करा दिया जाता था जो एक युवा
संगठन था ।
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14 साल की उम्र में सभी लड़कों को ’ हिटलर यूथ ’ की सदस्यता अनिवार्य कर दी गई ।
नात्सी जर्मनी
में महिलाओं की स्थिति :-
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लड़कियों को अच्छी माँ और शुद्ध रक्त वाले बच्चों को जन्म देना उनका प्रथम कर्तव्य
बताया जाता था ।
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नस्ल की शुद्धता बनाए रखना , यहूदियों से दूर रहना और बच्चों का नात्सी , मूल्य मान्यताओं
की शिक्षा देने का दायित्व उन्हें सौंपा गया ।
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1933 में हिटलर ने कहा - मेरे राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नागरिक माँ है ।
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नस्ली तौर पर वांछित बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को अस्पताल में विशेष सुविधाएँ
, दुकानों में ज्यादा छूट थियेटर और रेलगाड़ी के सस्ते टिकट और ज्यादा बच्चे पैदा
करने वाली माताओं को कांसे , चाँदी और सोने के लगाये दिए जाते थे।
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लेकिन अवांछित बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को दंडित किया जाता था । आचार संहिता
का उल्लंघन करने पर उन्हें गंजा कर मुँह पर कालिख पोत पूरे समाज में घुमाया जाता था
। न केवल जेल बल्कि उनसे तमाम नागरिक सम्मान और उनके पति व परिवार भी छीन लिए जाते
थे ।
प्रचार की कला
:-
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हिटलर ने राजनीति की एक नई शैली रची थी । वह लोगों को गोलबंद करने के लिए आडंबर
और प्रदर्शन की अहमियत समझता था ।
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हिटलर के प्रति भारी समर्थन दर्शाने और लोगों में परस्पर एकता का भाव पैदा करने
के लिए ना्तसियों ने बड़ी - बड़ी रैलियाँ और जनसभाएँ आयोजित कीं ।
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स्वस्तिक छपे लाल झंडे , नात्सी सैल्यूट और भाषणों के बाद खास अंदाज में तालियों
की गड़गड़ाहट।ये सारी चीजे शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा थीं ।
·
नात्सियों ने अपने धूआँधार प्रचार के जरिये हिटलर को एक मसीहा , एक रक्षक , एक ऐसे व्यक्ति के
रूप में पेश किया जिसने मानो जनता को तबाही से उबारने के लिए ही अवतार लिया था ।
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एक ऐसे समाज को यह छवि बेहद आकर्षक दिखाई देती थी जिसकी प्रतिष्ठा और गर्व का अहसास
चकनाचूर हो चुका था और जो एक भीषण आर्थिक एवं राजनीतिक संकट से गुजर रहा था ।
आम जनता और मानवता
के खिलाफ अपराध :-
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जर्मनी में बहुत सारे लोग हिटलर के इस प्रोपेगेंडा का षिकार हो गए और वे नात्सीवाद
को ही देष की तरक्की का आधार मानने लगे।
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किन्तु कुछ ऐसे भी थे जो हिटलर और नाजीवाद से प्रभावित नहीं थे। वे इसका विरोध
भी करते थे। इनमें से पादरी नीम्योलर एक थे ।
·
नात्सी जर्मनी के दौर में यहूदियों की स्थितियों पर शार्लट बेराट ने एक डायरी लिखी
। जिसका शीर्षक थर्ड राइख ऑफ ड्रीम्स था।
महाध्वंस के बारे
में जानकारियां :-
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नात्सी दौर में दमन की जानकारी पूरी तरह से नहीं मिलती थी किन्तु युद्ध के बाद
हिटलर की हार होते ही यहूदियों ने अपनी दर्दनाक दास्तानों को दुनिया के सामने रखना
शुरू किया।
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नात्सियों ने युद्ध में अपनी आसन्न हार को देखते हुए नाजी विचारों वाले दस्तावेजों
को जलाना शुरू कर दिया।
·
फिर भी स्म्तियों वृत्तचित्रों, डायरियों स्मारकों आदि के माध्यम से उस महाध्वंस
की जानकारियां दुनिया को मिलती गईं।
अध्याय
के अंत में अंत में दिए गए प्रश्नों के उत्तर –
प्रश्न 1. वाइमर गणराज्य के सामने क्या समस्याएँ थीं?
उत्तर :-
विश्व युद्ध के प्रारंभ में जर्मनी एक शक्तिशाली देश था, लेकिन अंत होते-होते जर्मनी को मित्र राष्ट्रों ने हरा दिया। उस समय जर्मनी में
वाइमर का शासन था। प्रथम विश्व युद्ध के बाद वाइमर गणराज्य के सामने अनेक समस्याए खड़ी
हो गई-
वाइमर संधि - वर्साय में हुई शांति-संधि की वजह से जर्मनी
को अपने सारे उपनिवेश, तकरीबन 10 प्रतिशत आबादी, 13 प्रतिशत भूभाग, 75 प्रतिशत लौह भंडार और 26 प्रतिशत कोयला भंडार
फ्रांस, पोलैंड, डेनमार्क और लिथुआनिया के हवाले करने पड़े। मित्र राष्टों ने उसकी सेना भी भंग
कर दी। युद्ध अपराधबोध अनुच्छेद के तहत युद्ध के कारण हुई सारी तबाही के लिए
जर्मनी को ज़िम्मेदार ठहराकर उस पर छः अरब पौंड का जुर्माना लगाया गया। खनिज
संसाधनों वाले रा्ईनलैंड पर भी बीस के दशक में ज़्यादातर मित्र राष्ट्रों का ही
क़ब्ज़ा रहा।
आर्थिक संकट - युद्ध में डूबे हुए ऋणों के कारण जर्मन राज्य
आर्थिक रुप से अपंग हो गया था जिसका भुगतान सोने में किया जाना था। इसके बाद, सोने के भंडार में कमी आर्ई और जर्मन निशान का मूल्य गिर गया। आवश्यक वस्तुओं
की कीमतें आसमान छूने लगीं।
राजनीतिक संकट - राष्ट्रीय सभा द्वारा वाइमर गणराज्य का विकास
तथा सुरक्षा के रास्ते पर लाने के लिए एक नये जनतांत्रिक संविधान का निर्माण किया
गया, किन्तु यह अपने उद्देश्य में असफल रहा। संविधान में बहुत
सारी कमजोरियाँ थीं। आनुपातिक प्रतिनिधित्व संबंधी नियमों तथा अनुच्छेद 48 के कारण एक राजनीतिक संकट पैदा हुआ जिसने तानाशाही शासन का रास्ता खोल दिया।
स्थानीय विद्रोह - रूस की बोल्वेशिक क्रांति की तरह ही जर्मनी में
स्पार्टकिस्ट लीग द्वारा विद्रोह की योजना बनाई गई। इसे वाइमर गणराज्य ने विफल तो कर
दिया परन्तु जर्मनी के साम्यवादी और समाजवादी एक दुसरे के कट्टर दुश्मन बन गए।
युद्ध में पराजय
और राष्ट्रीय अपमान और हर्जाने के लिए इसी को दोषी ठहराया गया । गणराज्य के समर्थकों
को नवम्बर का अपराधी कहकर उनका मजाक उडाया जाता था ।इस प्रकार वाइमर गणराज्य समस्याओ
से जूझ रहा था व लोकतांत्रिक होने के बाद लोगों की समस्याएं नहीं सुलझा पा रहा था।
प्रश्न 2. इस बारे में चर्चा कीजिए कि 1930 तक आते- आते जर्मनी में नात्सीवाद को लोकप्रियता क्यों मिलने
लगी?
उत्तर :- जर्मनी में 1930 के बाद से नाजीवाद बहुत लोकप्रिय हो गया क्योंकि :-
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नात्सी प्रोपेगैंडा - नाजी प्रचार अद्वितीय था। स्वास्तिक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्यूट और भाषणों के बाद खास अंदाज़ में तालियों की गड़गड़ाहट - ये सारी चीजें
शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा थीं।
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असमर्थ वाइमर गणराज्य- यह जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध से उबारने में असफल रहा। जर्मनियों का अपनी सरकार
पर से भरोसा उठ चुका था, उन्हें किसी ऐसे विकल्प की खोज
थी जो उन्हें उनका खोया हुआ सामान वापस दिलवा सके।
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हिटलर का उदय- ऑस्ट्रिया में जन्मा यह व्यक्ति जर्मनी की हार व हुए अपमान से आग बबूला हो चुका
था। वह हर हाल में जर्मनी को ताकतवर बनाना चाहता था। 1919 में उसने जर्मन वर्कर्स पार्टी
की सदस्यता ली, जो आगे चलकर नात्सी पार्टी कहलायी। वह अपनी वक्ता
शैली से सओ को आकर्षित करता था। धीरे-थीरे लोगों का विश्वास उसमें बढ़ता गया।
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1929 की महामंदी- इस मंदी ने लोगों को नात्सियों की तरफकर्षित किया।
इस समय नात्सीवाद एक जन आंदोलन बन गया। यह लोगों को एक अच्छा भविष्य दिख़ाई देने लगा।
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राजनीतिक फेरबदल - 1933 तक हिटलर को राष्ट्रपति ने चांसलर बना दिया। हिटलर
ने रुढ़िवादियों को भी अपने साथ कर लिया था। अब लोकतांत्रिक संगठनों व प्रणाली को समाप्त
किया जाने लगा, कम्युनिस्टों को मात के घाट उतार दिया गया।
इस प्रकार एक राष्ट्र की कल्पना व गौरवपूर्ण जर्मनी
के सपने ने नात्सीवाद को काफी लोकप्रिय बना दिया था।
प्रश्न 3. नात्सी सोच के खास पहलू कौन-से थे?
उत्तर :- नात्सीवाद एक संपूर्ण व्यवस्था, विचारों की एक पूरी संरचना का नाम है। नात्सी सोच ने जर्मनी को सुनहरे सपने दिखाए
पर उसके लिए स्वयं जर्मन वासियों को ही आरी कीमत चुकानी पड़ी। नात्सी सोच की विशेष पहलू
इस प्रकार थे-
सभी समान नहीं होते- नात्सी लोग ’नॉर्डिक जर्मन आर्य’ व प्रतिआशाली
लोगों को ही सर्वश्रेष्ठ समझते थे। इसके विपरीत सभी अवांछित लोग थे, जिन्हें मार देना ही बेहतर समझा जाता था।
चार्ल्स डार्विन व हर्बर्ट स्पेंसर
का प्रभाव- अपनी गलत सोच को
वह इन विचारकों के सिद्धांतों से जोड़कर प्रमाणिक दिखाने की कोशिश करते थे, उनके हिसाब से क्योंकि स्पेंसर ने कहा है कि ’जो सबसे योग्य है वही जीवित बचेगा’
, इसलिए यहूदियों व अवांछितों का मरना ही तर्कसंगत है।
“लेबेन्त्राउम’’ या जीवन परिधि की भू राजनीतिक अवधारणा- हिटलर यह मानता था कि साम्राज्य का प्रसार जरुरी
है ताकि जर्मनी के लोगों को रहने की जगह कम ना पड़े। इससे एक तरफ देश का क्षेत्रफल बढ़ेगा
और दूसरी तरफ देश ताकतवर भी बनेगा।
नात्सी श्रेष्ठ है वाली सोच- नात्सीलोग
यह सोचते थे कि सिर्फ वही श्रेष्ठ हैं। समूचे विश्व को उन्हीं की तरह होना चाहिए अर्थात
विविधता से परे नात्सी सोच एकरूपता की पैरवी करती थी।
उपरोक्त पहलुओं को देखकर यही लगता है कि इस तरह की
सोच में अल ही प्रारंभ में हानि न पहुंचाई, पर आगे जाकर तानाशाही रवैये का पर्याय बन गई।
अन्य उत्तर
उत्तर :- जैसा कि हम जानते हैं, जर्मनी में हिटलर के समय यहूदियों के साथ बुरे से बुरा व्यवहार किया गया। एक तरह का नरसंहार संपूर्ण विश्व ने देखा, पद ड्रेस प्रौपेगेडा के असरदार होने के पीछे कुछ कारण थे-
राजनीतिक स्वीकृति- ऐसा नहीं थाएक्कि यहूदियों के खिलाफ नफरत को एक
संगठन फैला रहा था, अपितु स्वयंदेश की सरकार का यह एक एजेंडा था।
धार्मिक स्वीकृति- सभी ईसाई, यहूदियों को ईसा मसीह के कातिल की तरह ही देखते थे, क्योंकि ईसाइयों का आरोप था कि यहूदियों ने ही ईसा मसीह को मारा था। ईसाई उन्हें
हत्यारे और सूदखोर समझते थे।
आर्थिक स्वीकृति- यहूदियों को पैसे के भूखे समझा जाता था। वह ब्याज
वसूलते थे और उधार देने का कारोबार करके जीविका चलाते थे। नात्सियों को यह पसंद नहीं
था।
सामाजिक स्वीकृति- हिटलर ने यह बात पूरी जर्मन समाज में घर करा दी
थी कि यहूदी अच्छी नस्ल के नहीं है, वे आया के लिए खतरा हैं, इसलिए समाज से उनका खात्मा आवश्यक है।
अतः सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक स्वीकृतियों ने नात्सी प्रोपेगेंडा
को यहूदियों के खिलाफ नफरत फैलाने में इतना असरदार बनाया।
प्रश्न 4. नात्सियों का प्रौपेगैंडा यहूदियों के खिलाफ़ नफ़रत पैदा करने
में इतना असरदार कैसे रहा?
उत्तर :- नात्सियों का प्रोपेगैंडा के लिए घृणा पैदा
करने में निम्नलिखित कारण कारगर थे -
·
नात्सियों ने बड़ी सावधानी से भाषा और मीडिया का प्रभावी ढंग से उपयोग किया। नात्सियों
द्वारा नस्लीय सिद्धांत को सामने रखा गया कि यहूदी निचली नस्ल के थे और इसलिए अवांछनीय
थे।
·
नात्सियों ने मध्यकाल में यहूदियों की निम्न स्थिति का सफलतापूर्वक शोषण किया क्योंकि
परंपरागत रूप में ईसाई, यहूदियों मे घृणा करते थे। यहूदियों
को यीषु का हत्यारा माना जाता था। उन्हें सांस्कारिक हत्यारा माना जाता था तथा जमीन
खरीदने से प्रतिबंधित कर दिया गया था। उन्हें शोषक महाजन के रूप में देखा जाता था।
·
नात्सियों ने स्कूली दिनों के दौरान शुरु से ही बच्चों के मन में यहूदियों के खिलाफ
नफरत करना सिखाया। जो शिक्षक यहूदी थे उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और यहूदी बच्चों
को स्कूलों मे बाहर निकाल दिया गया। नई पीढ़ी के बच्चों को इस तरह के नए वैचारिक प्रशिक्षण
दिए गए ताकि वे यहूदियों के लिए अपने दिल में नफरत रखें।
प्रश्न 5. नात्सी समाज में औरतों की क्या भूमिका थी? फ्रांसीसी क्रांति के बारे में जानने के लिए अध्याय
1 देखें फ्रांसीसी क्रांति और नात्सी
शासन में औरतों की भूमिका के बीच क्या फ़र्क था? एक पैराग्राफ़ में बताएँ।
उत्तर :- नात्सी
समाज में महिलाओं ने द्वितीयक स्तर की भूमिका अदा की। उन्हें आर्य संस्कृति का संवाहक
माना जाता था। इस संहिता का उल्लंघन करने वाली महिलाओं को दंडित तथा अपमानित कर जेलों
में कैद कर दिया जाता था। दूसरी तरफ, जो महिलाएँ इन आचार संहिताओं
का पालन करती थीं उन्हें सम्मानित किया जाता था। गैर-जर्मन महिलाओं के आत्सम्मान को
ठेस पहुँचाई जाती थी।
इसके उलट फ्रांसीसी
क्रांति ने महिलाओं के जीवन में नई गतिविधियों का संचार किया। महिलाओं को क्रांति में
बराबर का साझीदार माना जाता था। वे कई प्रगतिशील गतिविधियों जैसे राजनीतिक क्लबों की
सदस्यता, अखबार, नौकरी आदि में भाग ले सकती थीं।
महिलाओं ने अपनी एक संस्था ’क्रांतिकारी एवं गणतांत्रिक मार समाज’ की स्थापना की।
उन्होंने अपने लिए समान राजनीतिक अधिकारों की माँग
की जिसे अंततः 300 वर्ष लंबे संघर्ष के बाद प्राप्त किया 1946 में फ्रांसीसी महिलाओं को मत देने का अधिकार प्रदान कर दिया गया।
अन्य उत्तर
उत्तर :- हिटलर ने जर्मनी में पितृसत्तात्मक समाज
बनाने पर बल दिया। नात्सी विचारधारा में महिलाओं को पुरुषों से कम माना गया। उन्हें
हमेशा ओग की वस्तु के रूप में समझा गया। हिटलर ने महिलाओं का काम केवल बच्चे पैदा करने
तक ही सीमित कर दिया था।
यदि हम 1940 के जर्मनी की तुलना 1780-90 के फ्रांस से करें
तो पाएंगे कि दोनों देशों में महिलाओं की स्थिति में जमीन आसमान का अंतर था। जहां एक
और फ्रांस में महिलाओ ने लुईस 16वें का तखतापलट कर दिया था; विश्वविद्यालय में रोजगार हेतु शिक्षा प्राप्त करने का प्रयास किया; मताधिकार के लिए संघर्ष किया, वहीं दूसरी ओर जर्मनी में महिलाएं
कभी ओी पुरुषों के समकक्ष नहीं मानी गई। हिटलर ने नात्सीवाद के जरिए पूरे समाज में
यही सोच बना दी थी कि महिलाएं -. पुरुषों में समानता का संघर्ष बेकार की बात है। महिलाओ
का दायित्व हमेशा अच्छे, गोरे, प्रतिआशालीहआर्य बच्चे पैदा करना है। उल्टा जर्मनी में ज्यादा से ज्यादा बच्चे
पैदा करने वाली महिलाओ को पुरूस्कृत किया जाता था।
इस प्रकार फ्रांसीसी क्रांति में जहां अबला नारी
की कल्पना साकार होती है वहीं नात्सी शासन में वही नारी अबला प्रतीत होती है।
प्रश्न 6. नात्सियों ने जनता पर पूरा नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन-कौन
से तरीके अपनाए?
उत्तर :- नात्सी सरकार ने जनता पर संपूर्ण नियंत्रण
स्थापित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए -
युवाओं का विचार परिवर्तन - उनकी बाल्यावस्था से ही नात्सी सरकार ने बच्चों
के मन-मस्तिष्क पर कब्जा लिया जैसे-जैसे वे बड़े होते गये उन्हें वैचारिक प्रशिक्षण
द्वारा नात्सीवाद की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया।
स्कूली बच्चों का विचार परिवर्तन
- नात्सी सरकार ने
अपनी विचारधारा पर आधारित नए पाठ्यक्रम के अनुरुप पस्तकें तैयार करवाईं। कई युवा चित्रकारिता
कार्यक्रम बनाये गये। इ़न सबके द्वारा उन्हें नम्रता तथा कृतज्ञता पाठ पढाया गया। उनसे
कहा जाता था कि वे यहूदियों से घृणा तथा हिटलर की पूजा करें।
खेल गतिविधियाँ - उन सभी खेल गतिविधियों (खासकर बॉक्सिंग) को प्रोत्साहित
किया गया जो बच्चों में हिंसा तथा आक्रामकता की भावना पैदा करती थीं।
लड़कियों का विचार परिवर्तन - लड़कियों को शिक्षा दी जाती थी कि उन्हें अच्छी
माँ बनना था तथा शुद्ध रक्त वाले आर्य बच्चों का लालन-पालन करना था।
महिलाओं के बीच भेदभाव - महिलाओं के बीच उनके बच्चों के आधार पर भेदभाव
किया जाता था। एक अनुपयुक्त बच्चे की माँ होने पर महिलाओं को दंडित किया जाता था तथा
जेल में कैद कर दिया जाता था। किंतु, बच्चे के शुद्ध आर्य प्रजाति
का होने पर महिलाओं को सम्मानित किया जाता था तथा इनाम दिया जाता था।
आर्यों के आर्थिक हितों की रक्षा - आर्य प्रजाति के लोगों के लिए आर्थिक अवसरों की
भरमार थी। उन्हें रोजगार दिया जाता था, उनके व्यापार को सुरक्षा दी
जाती थी तथा सरकार की तरफ से उन्हें हर संभव सहायता दी जाती थी।
नाजी प्रचार - जनता पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने में नात्सियों
द्वारा विशेष पूर्वी नियोजित प्रचार का सर्वाधिक योगदान था।
नात्सियों ने आबादी के विभिन्न हिस्से को अपील करने
का हर संभव प्रयास किया। उन्होंने इस आधार पर उनका समर्थन प्राप्त करने का प्रयार किया
कि केवल नात्सी ही उनकी हर समस्या का हल ढूँढ सकते थे।
अन्य उत्तर
उत्तर :- प्रथम विश्व युद्ध के सम्पन्न सै लेकर दवितीय
विश्वयुद के समापन तक जर्मनी में नात्सीवाद चरम सीमा पर रहा इस दौरान उन्होंने जर्मनी
के समाज और उसकी जनता पर निम्नलिखित तरीकों से नियंत्रण हासिल किया-
एक उच्चतम देश की कल्पना- हिटलर ने जर्मनी के लोगों को इतना आकर्षक सपना
दिखाया कि जनता उस सपने को पूरा करने के लिए नरसंहार तक करने को तैयार हो गई।
युवाओ व बच्चों पर विशेष ध्यान- अच्छे जर्मन बच्चों को नात्सी शिक्षा प्रणाली से
गुजरना पड़ता था। बच्चों को सिखाया जाता था कि वह यहूदियों से नफरत और हिटलर की पूजा
करें। 10 साल के बच्चों को यूंगफोक में अर्ती कराया जाता था।
1922 में बनी नात्सी यूथ लीग में लाखों युवा शामिल हुए।
पितृसत्तात्मक समाज- पुरुषों को महिलाओ से श्रेष्ठ माना गया। उन्हें
हमेशा बच्चा पैदा करने वाली वस्तु के रूप में देखा जाता था।
प्रचार के तरीके- अप्रत्यक्ष रूप से शब्दों का प्रयोग होता था, यथा ’सामूहिक हत्या’ को ’अंतिम समाधान’ कहा जाता था। नात्सी विचारों को फैलाने
के लिए तस्वीरों, फिल्मों, रेडियो, आकर्षक पोस्टरों और नारों का सहारा लिया जाता था।
अन्य विचारधाराओ को कमतर बताना- समाजवादियों, उदारवादियों को कमजोर व भ्रष्ट बताया जाता था। उन्हें विदेशी एजेंट कहा जाता था।
इस प्रकार उपरोक्त तरीकों से धीरे-थीरे नात्सी विचार
पूरी जर्मनी में फैल गए। हालांकि कुछ जर्मन-वासियों ने विरोध ओ किया पर वह खुले रूप
से कुछ करने से हमेशा बचते रहे, जिसके चलते हिटलर तानाशाह की
तरह जर्मनी पर शासन कर सका।
- अध्याय
के अंत में दिए गए क्रियाकलापों का हल -
क्रियाकलाप - 1
1. एक पन्ने में जर्मनी का इतिहास लिखिए :
·
नात्सी जर्मनी के एक स्कूल बच्चे की नजर से।
·
यातना गृह से जिंदा बच निकले एक यहूदी की नजर से।
·
नात्सी शासन के राजनीतिक विरोधी की नजर से।
हल :-
नात्सी जर्मनी के एक स्कूली
बच्चे की नज़र से।
·
हिटलर अपने नात्सी विचारों को स्थापित करने बच्चों और युवाओं की मनोदशा को पूरी
तरह बदलने के लिए तरह तरह के यत्न करता था।
·
सभी स्कूलों के भीतर और बाहर बच्चों पर नात्सियों द्वारा बुरी तरह से नियंत्रण
रखा गया था।
·
यहूदी व राजनीतिक रूप से अविश्वसनीय दिखाई देने वाले शिक्षकों को नौकरियों से निकाल
दिया गया था।
·
जर्मन व यहूदी बच्चों को अलग अलग बैठाया जाता था।
·
बाद में अवांछित बच्चों को याने कि यहूदियों, जिप्सियों के बच्चो और विकलांग बच्चों को स्कूल से निकाल दिया गया।
·
जर्मन बच्चों को नात्सी शिक्षा प्रक्रिया से गुजरना होता था।
·
बच्चों को सिखाया जाता कि वे वफादार बनें, यहूदियों से नफरत करें तथा हिटलर की पूजा करें।
·
जब हिटलर ने आत्महत्या कर ली तो बच्चों के माता पिता जो हिटलर को देवता की तरह
पूजते थे उन्होंने भी स्वयं को खत्म कर लिया। हेलमुट के पिता की तरह।
यातना गृह से ज़िंदा बच निकले
एक यहूदी की नज़र से।
·
27 जनवरी 1945 को सोवियत सैनिकों ने आउशवित्स यातना शिविर को आजाद कराया था. लेकिन
इससे पहले वहां अनुमानित दस लाख लोगों की हत्याएं हुईं, उनमें से ज्यादातर यहूदी थे. कैंप को आजाद कराए जाने के दिन वहां सोवियत सैनिकों
को सात हजार लोग मिले थे. इनमें से ज्यादातर कुछ समय बाद ही भूख, बीमारी और थकान से मर गए.
·
जिंदा बच निकली यहूदी महिला के अनुसार, “मैं हर दिन सवेरे उन भयानक हालात को याद करती हूं.” वह बताती है कि उन्हें आउशवित्स
के लेबर कैंप में नंगे पैर बर्फ पर चलने को मजबूर किया जाता था. उनके मुताबिक, “बहुत ज्यादा सर्दी थी, बहुत ही ज्यादा. मुझे कभी गर्मी
नहीं मिली, आज तक नहीं मिली.”
·
30 के दशक में बनी सीक्रेट पुलिस यानी गेस्टापो तो सत्ता का केंद्र बन गई. इन कोठरियों
में वो इतने लोगों को भरते कि उनका दम घुटने लगता. कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट, डेमोक्रेट और कई बंधुआ मजदूर जो खासतौर से रूस, पोलैंड और से लाए गए, जिन्हें कॉलोन या जर्मनी के
दूसरे हिस्सों में रखा गया. इन लोगों ने दीवारों पर कभी लंबी तो कभी छोटी कहानियां
लिखीं.
·
फ्रांस की मैरीनेट इसी दौर में यहां कैद की गईं, जिन्होंने दीवारों पर अपने माता-पिता समेत कई परिवार जनों को पत्र लिखे. मैरीनेट
उस वक्त गर्भवती थीं. उनकी बच्ची का जन्म यहीं इस कोठरी में हुआ. नन उसकी बेटी को अपने
साथ ले गईं. बाद में अमेरिकियों ने जब मैरीनेट को आजाद करवाया तो वह अपने बेटी के साथ
फ्रांस लौट गईं, लेकिन मैरीनेट ने अपनी बेटी को कभी अपनी यातनाओं
के बारे में नहीं बताया.
नात्सी शासन के राजनीतिक विरोधी
की नज़र से।
·
नात्सियों को 1930 के दशक के शुरूआती सालों में कोई नहीं जानता था। लेकिन विश्वव्यापी
महामंदी के दौर में नात्सियों ने एक जन आंदोलन का रूप ग्रहण कर लिया था।
·
नात्सी जिस तरह प्रोपेगेंडा करते हुए खुद को उद्धारक और हिटलर को अवतार की तरह
पेश करते उससे जर्मनी की जनता को नात्सियों में मसीहा दिखाई देने लगा और 1932 तक आते
आते नात्सी सबसे बड़ी पार्टी बन गए।
·
हिटलर पूरे आंडबर के साथ जब भाषण देता तो पूरा जर्मनी मंत्रमुग्ध होकर सुनता और
उसके मायाजाल में फंस गया।
·
हिटलर का विरोध करने वाले कम्युनिस्टों, वाइमर समर्थकों को कंसन्ट्रेशन कैंम्पों में बंद कर दिया गया।
अंततः हिटलर ने निरंकुश रूप से सभी अधिकार अपने हाथों में ले
लिए और तानाशाह बन गया।
क्रियाकलाप - 2
2.कल्पना कीजिए कि आप हेलमुट हैं।
स्कूल में आपके बहुत सारे यहूदी दोस्त हैं। आपका मानना है कि यहूदी खराब नहीं होते।
ऐसे में आप अपने पिता से क्या कहेंगे, इस बारे में एक पैराग्राफ लिखें।
हल :- पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम
पिताजी विगत कुछ वर्षों से मैं महसूस कर रहा हूँ
कि आप मेरे विद्वालय में मेरे साथ पढ़ाई कर रहे मेरे यहूदी मित्रों और उनके माता पिता
को अवांछित मानते आ रहे हैं और उनकी हत्या भी की जा रही है। पिताजी यह जो कुछ भी हो
रहा है यह ठीक नहीं हो रहा है। यहूदी बच्चे भी मेरी तरह ही मासूम और पढ़ाई लिखाई में
मन लगाने वाले होते है। वे भी पढ़ लिखकर बड़ा होकर जर्मनी के विकास में योगदान देना चाहते
हैं।
पिताजी
संख्या बल में अधिक हो जाने मात्र से हम जर्मन को यह अधिकार नहीं मिल जाता है कि कम
संख्या वाले यहूदियों को खत्म कर दें। आपके द्वारा यहूदियों को ईसा मसीह का हत्यारा
माना जाता है किन्तु किसी एक व्यक्ति या एक छोटे समूह द्वारा किए गए किसी कार्य की
सजा सम्पूर्ण समुदाय को दिये जाना भी तो न्याय संगत नहीं है। यदि आज ईसा मसीह भी हमारे
साथ होते तो वो भी मेरे यहूदी मित्रों की सहायता ही करते।
अतः
पूज्य पिताजी मेरे सभी यहूदी मित्र बहुत अच्छे हैं तथा हमारी मित्रता हमेशा पवित्र
बनी रहे इसमें आप भी सहयोग करें तथा जर्मन और यहूदी जिस तरह हमेशा से रहते आ रहे हैं
वैसे ही आगे भी रहें ऐसा कुछ कीजिए।
आपका पुत्र
हेलमुट
- अध्याय के अंतर्गत में दिए गए क्रियाकलापों का हल -
मैं
कम्युनिस्ट नहीं था
इसलिए
मैंने कुछ नहीं कहा।
फिर
वे सोशल डेमोक्रैट्स को ढूँढ़ते आए,
मैं
सोशल डेमोक्रैट नहीं था
इसलिए
चुप रहा।
इसके
बाद वे ट्रेड यूनियन वालों को ढूँढ़ते आए,
पर
मैं ट्रेड यूनियन में नहीं था।
और
फिर वे यहूदियों को ढूँढ़ते आए,
लेकिन
मैं यहूदी नहीं था-इसलिए मैंने कुछ नहीं किया।
फिर, अंत में जब वह मेरे लिए. आए
तो
वहाँ कोई नहीं बचा था जो मेरे साथ खड़ा हो सके।’
(अ) इस लेख का स्रोत क्या है?
(ब) इस संदेश की व्याख्या करें।
हल - (अ) यह लेख फादर नीम्योलर द्वारा लिख गया है।
(ब) इस संदेश के माध्यम
से फादर नीम्योलर एकजुट होकर अन्याय के विरूद्ध संघर्ष करने की बात अप्रत्यक्ष रूप
से करते हैं। लेखक के अनुसार यदि समाज अलग अलग जाति , वर्ग और सम्प्रदायों में
विभाजित रहेगा तो विभाजनकारी ताकतें उसका फायदा उठाएंगी और एक एक कर सभी को खत्म
कर देगी।
अतः यदि आप यह
चाहते हैं कि आपके साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ कोई आपका साथ दे तो यह तभी संभव है
जब आप अपने आसपास हो सहे अन्याय के खिलाफ आवाज उठाऐगे। अन्यथा आपके साथ भी काई खड़ा
नहीं होगा और अंत में आप भी समाप्त हो जाऐंगे।
क्रियाकलाप - 5.
स्रोत क
- ’ यह पृथ्वी न तो किसी को हिस्से में मिली है और न तोहफे में। नियति ने यह उन्हें
सौंपी है जिनके हृदय में इसको जीत लेने का, इसको बचाए रखने का साहस है और जिनके पास इस पर हल चलाने की उद्यमषीलता
है.......। इस दुनिया का सबसे बुनियादी अधिकार है जीवन का अधिकार बषर्ते किसी के पास
उसे हासिल करने की ताकत हो। इस अधिकार के आधार पर एक ऊर्जावान राष्ट्र अपने भूभाग को
अपनी जनसंख्या के हिसाब से फैलाने के रास्ते ढूँढ लेगा।’
हिटलर, सीक्रेट बुक सं., टेलफोर्ड टेलर
स्रोत ख
- ’ पृथ्वी को लगातार राज्यों के बीच बांटा जा रहा है और उनमे से कई महाद्वीप
जितने बड़े हैं | ऐसे युग में हम किसी एसी विश्व शक्ति की बात नहीं कर सोच सकते
जिसका राजनितिक मातृ देश केवल पांच सौ वर्ग
किलोमीटर जैसे वाहियात से क्षेत्रफल में सिमटा हुआ हो |
हिटलर, मीन केम्फ़
(अ) इनसे हिटलर के साम्राज्यवादी
मंसूबों के बारे में आपको क्या पता चलता है?
(ब) आपकी राय में इन विचारों पर
महात्मा गाँधी हिटलर से क्या कहते?
हल - (अ) हिटलर के उपरोक्त कथन से यह स्पष्ट
होता है कि हिटलर के अनुसार जो ताकतवर होगा वही इस पृथ्वी पर राज करेगा। हिटलर
कहता था कि यह पृथ्वी किसी को अधिकार या ईनाम के रूप में नहीं मिली हुई है बल्कि
इस पृथ्वी पर वहीं अधिकार कर सकता है जिसके पास इसको वश में करने की ताकत है। और
हिटलर सभी जर्मनों को नस्ल, भाषा, परंपरा और रीतिरिवाज के आधार पर एक करना चाहता था इसके लिए उसने आसपास के
राज्यों को हड़प लिया। सर्वश्रेष्ठता का अहंकार लिए हिटलर को यह पता था कि जर्मनी
के पास भूमि और संसाधन की कमी है अतः उसको इस जर्मनी की बढ़ती आबादी के लिए अधिक
भूमि और संसाधनों की व्यवस्था करना था जो कि अन्य देशों पर कब्जा करके ही पूरा कर
पाता।
(ब) हिटलर के साम्राज्यवादी
विचारों पर महात्मा गाँधी कहते कि
प्रिय मित्र हिटलर,
आपके इन कथनों को सुनकर हालाँकि मुझे कोई
प्रतिक्रिया तो नहीं देना चाहिए था किन्तु जब आप सम्पूर्ण पृथ्वी को केवल
जर्मनियों के लिए जीत लेने की बात करते हो तो यह उस ईश्वर की बनाई सृष्टि का अपमान
होता है जिसमें उसने सभी प्राणीमात्र को बिना किसी भेदभाव के रहने का हक दिया है।
बाहुबल से पृथ्वी पर अपनी सत्ता को स्थापित करना किसी भी दृष्टि से न्यायसंगत नहीं
है क्योंकि ऐसा करने से विभिन्न वर्गों में वर्गसंघर्ष की स्थिति निर्मित होगी और
व्यर्थ में हिंसात्मक गतिविधियों से सारा विश्व कलंकित होगा।
अतः
मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप अपनी साम्राज्यवादी विचारधारा का त्याग कर
वसुधैव कुटुम्कबम के भाव पर कार्य कीजिए।
आपका सच्चा मित्र
मो.क. गाँधी
क्रियाकलाप - 6.
·
आपके लिए नागरिकता का क्या मतलब है?
अध्याय 1 एवं 3 को देखें और 200 शब्दों में
बताएँ कि फ्रांसीसी क्रांति और नात्सीवाद ने नागरिकता को किस तरह परिभाषित किया?
·
नात्सी जर्मनी में ’अवांछितों’ के लिए न्यूरेम्बर्ग कानूनों
का क्या मतलब था? उन्हें इस बात का अहसास कराने के
लिए कि वह “अवांछित’ हैं। अन्य कौन-कौन
से कानूनी कदम उठाए गए?
फ्रांसीसी
क्रांति के आधार पर नागरिकता |
नात्सीवाद के
आधार पर नागरिकता |
1. जन्म से समान पैदा
होने के कारण सभी मनुष्यों को समान नागरिक अधिकार मिलना चाहिए। |
1. जन्म के आधार पर सभी
मनुष्यों में बराबरी का हक नहीं मिलना चाहिए अपितु नस्ल की श्रेष्ठता के आधार पर
नागरिक अधिकार दिए जाने चाहिए। |
2. फ्रांसीसी क्रांति के
जरिए स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का नारा दुनिया के सभी
देशों के नागरिकों के लिए सभी समय के लिए है। |
2. नात्सीवाद के अनुसार
श्रेष्ठ नस्ल ही दुनिया पर शासन करने योग्य है और जो नस्लें कमतर हैं उनको मर
जाना चाहिए। |
3. सम्पत्ति का अधिकार
सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव प्राप्त होना चाहिए। |
3. सम्पत्ति का अधिकार
केवल ताकतवर नस्ल के पास होना चाहिए और वह नस्ल केवल आर्यां की है। |
4. कानून की नजर में सभी
नागरिक समान हैं। |
4. कानून के अनुसार जर्मन
आर्यों को विशेषाधिकार प्राप्त हैं। |
5. महिलाओं को किसी भी
प्रकार का कोई राजनैतिक अधिकार नहीं दिया जा सकता वे दोयम दर्जे की नागरिक मानी
गईं। |
5. नात्सीवाद के अनुसार
वे महिलाएं जो उच्च जर्मन नस्ल की आर्य संतान को जन्म देती है उसे उच्च सम्मान
दिया जाए और जो ऐसा न करे उसे दण्डित किया जाए। |
·
नात्सी जर्मनी में ’अवांछितों’ के लिए न्यूरेम्बर्ग कानूनों का मतलब :- 15 सितम्बर 1935 को न्यूरेम्बर्ग कानून बना
कर जर्मन यहूदियों सहित अवान्छितों को जर्मन नागरिकता से वंचित कर दिया गया था।
इसका मतलब यह था कि जर्मनी का नागरिक वही बन सकता है जो जर्मनी के लिए वांछित हो
जरूरी हो। कानून के अनुसार जिसके दादा दादी या नाना नानी जर्मन होंगे वही वांछित
जर्मन नागरिक होगा बाकि सभी गैर जरूरी या अवांछित नागरिक कहलाए। जैसे खेत में फसल
वांछित होती है जबकि उसके साथ उग आई खरपतवार अवांछित इसी खरपतवार की तरह यहूदियों
और अन्य को अवांछित माना गया। न्यूरेम्बर्ग कानून के प्रमुख प्रावधान निम्नलिखित
थे :-
1. जर्मन या उससे संबंधित रक्त वाले व्यक्ति ही
जर्मन नागरिक होंगे और उन्हें जर्मन साम्राज्य का संरक्षण मिलेगा।
2. यहूदियों और जर्मनों के बीच विवाह पर पाबंदी।
3. यहूदियों और जर्मनों के बीच विवाहेतर संबंधों
को अपराध घोषित कर दिया गया।
4. यहूदियों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने पर
पाबंदी लगा दी गई।
उन्हें इस बात का अहसास कराने के लिए कि वह
“अवांछित’ हैं इसके लिए उठाए गए अन्य कानूनी कदम निम्नलिखित थे :-
·
यहूदी व्यवसायों का बहिष्कार।
·
सरकारी सेवाओं से निकाला जाना।
·
यहूदियों की संपत्ति की ज़ब्ती और बिक्री।
इसके अलावा नवंबर 1938 के एक जनसंहार में
यहूदियों की संपत्तियों को तहस-नहस किया गया, लूटा गया, उनके घरों पर हमले हुए, यहूदी प्रार्थनाघर जला दिए गए और उन्हें
गिरफ़्तार किया गया। इस घटना को “नाइट ऑफ़ ब्रोकन ग्लास’ के नाम से याद किया जाता
है।
क्रियाकलाप - 7.
अगर आप ऐसी किसी कक्षा में होते
तो यहूदियों के प्रति आप का रवैया कैसा होता?
क्या आपने कभी सोचा है कि आपके
जान पहचान वाले अन्य समुदायों के बारे में क्या सोचते हैं? उन्होंने
इस तरह की छवियां कहाँ से हासिल की है?
हल - मेरी कक्षा में जो यहूदी होते उनके प्रति
मेरा रवैया आंतरिक रूप से सहानुभूति वाला ही होता किन्तु हिटलर के सिपाहियों के भय
से मैं यहूदियों के प्रति नफरत के भाव प्रकट करने का दिखावा करता।
मेरी जान पहचान के अन्य समुदायों के बारे में
मेरी जानकारी पारिवारिक चर्चाओं, दोस्तों तथा अन्य समाज के लोगों की चर्चाओं के
साथ साथ समाचार पत्रों और न्यूज चैनलों के आधार पर है।
क्रियाकलाप - 8.
दिए गए तीनों चित्रों को देखिए :-
कल्पना कीजिए कि आप नात्सी जर्मनी में रहने वाले
यहूदी या पोलिश मूल के व्यक्ति हैं। आप सितम्बर 1941 में जी रहे हैं और अभी - अभी
कानून बनाया गया है कि यहूदियों को डेविड का तमगा पहनकर रहना होगा। ऐसी परिस्थिति
में अपने जीवन के एक दिन का ब्यौरा लिखिए।
हल - डेविड का तमगा या सितारा :-
डेविड का सितारा जीवन के कई पहलुओं , विश्वस, यहूदी परम्परा और यहूदी राज्य इजराइल का प्रतीक
है। यहूदी प्रतीक को अपने धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के साथ गर्व और पहचान के
प्रतीक के रूप में उपयोग करते हैं।
जीवन के एक दिन का ब्यौरा :-
आज अलसुबह ही सोकर उठा हालांकि सारी रात मुझे
नींद नहीं आई, अब तो हिटलर के फरमान के बाद दिन हो या रात हालत एकसमान ही
लगते हैं। नात्सियों का प्रतीक चिन्ह उल्टा स्वास्तिक है जबकि हम यहूदियों का
पवित्र प्रतीक डेविड का सितारा है। नात्सियों का फरमान है कि डेविड के सितारे को
सभी यहूदियों को अपने गले में लटकाकर रखना है ताकि हमारी पहचान अलग से दिखे। मुझे
इस सितारा को पहनने के बाद ताकत और ऊर्जा मिलती है क्योंकि यही तो हमारी संस्कृति , धर्म और परंपरा
का प्रतीक है। नात्सी सैनिक हमको हमारी ही पहचान के साथ जोड़े रखना चाहते हैं।
हालांकि हमारे बच्चों को लेकर हमारे मन में डर बना रहता है कि इस तमगे के आधार पर
पहचान कर हमारे बच्चों का जीवन खतरे में न पड़ जाए किन्तु यदि हमारे ईश्वर की यही
मर्जी है तो हमको यह भी स्वीकार है।
क्रियाकलाप - 9.
अगर आप
·
यहूदी औरत या
·
गैर - यहूदी जर्मन औरत होतीं तो हिटलर के विचारों पर किस
तरह की प्रतिक्रिया देतीं।
हल -
·
यदि मैं एक यहूदी महिला होती तो मैं हिटलर के विचारों के विपरीत जाकर अपने
अधिकारों के लिए प्रतिक्रिया करती क्योंकि उसके विचार हमारे समुदाय के खिलाफ तो थे
ही महिलाओं के भी खिलाफ थे। हर यहूदी को यह पता था कि जब तक हिटलर जिंदा है अथवा
जर्मनी युद्ध नहीं हार जाता यहूदियों का जीवन नरक से भी बदतर है।
·
अगर मैं एक गैर यहूदी जर्मन महिला होती तो -
इसके दो उत्तर हो सकते हैं :-
पहला :- मेरा सोचने का तरीका हिटलर जैसा ही होता और
सोचती कि यहूदी जर्मन के दुश्मन थे। उनको इस धरती पर रहने का कोई अधिकार नहीं है।
दूसरा :- तो मैं हिटलर के विपरीत प्रतिक्रिया करते
हुए जीवन में महिलाओं की भूमिकाओं के लिए बहुत अधिक प्रतिबंधक होने की निंदा करती।
साथ ही, मैं यहूदियों के ’अवांछनीय’ होने के विचार के बारे में
हिटलर से सहमत नहीं होती, क्योंकि मेरे पास मेरे दोस्तों के रूप में कई
यहूदी महिलाएं हैं और मैं उन्हें अन्य मनुष्यों की तरह ही पसंद करता हूं। उन्हें
अवांछनीयता ’नहीं कहा जाना चाहिए।
क्रियाकलाप - 10.
·
पोस्टर में यहूदियों का मज़ाक उड़ाया जा रहा है, यह दर्शा रहे
हैं कि वे केवल पैसा बनाने में रुचि रखते हैं। यह दिखाने की कोशिश की जा रही है कि
यहूदी लालची हैं। चित्रित किए गए आदमी की मोटापा इंगित करता है कि पोस्टर निर्माता
ने महसूस किया कि यहूदियों का लालच अत्यधिक है।
क्रियाकलाप - 11. दोनों पोस्टर देखकर उत्तर दें।
पहला पोस्टर जर्मन किसान को संबोधित किया गया है, जिसमें में एक
जर्मन कार्यकर्ता को संबोधित किया गया है। यह हमें बताता है कि इस तरह के प्रचार
के माध्यम से, नाज़ी श्रमिक वर्गों के समर्थन को जीतने की कोशिश कर रहे थे।
दूसरा पोस्टर उन्हें हिटलर के लिए वोट करने के लिए कह रहा है, जो प्रथम विश्व युद्ध में अग्रिम पंक्ति पर लड़े हैं। पहला पोस्टर पूंजीवादियों और बोल्शेविकों की निंदा कर रहा है, क्योंकि वे नाज़ीवाद के दुश्मन हैं। इस विधि से, नाजियों ने आबादी के विभिन्न हिस्सों को उनकी भावनाओं के अनुरूप समर्थन जुटाने की कोशिश
क्रियाकलाप
- 12.
एर्ना क्राँत्य ने ये क्यों कहा -
‘‘ कम से कम मुझे तो यही लगता है।’’ आप उनकी राय को किस तरह देखते हैं?
हलः- एर्ना क्राँत्य ऐसा इसलिए कहा क्योंकि उस समय, वह व्यक्तिगत रूप से महसूस करती थी कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवन मिल रहा है। चूंकि वह उस समय दूसरों की स्थितियों को नहीं देख पा रही थी, इसलिए बाहर जाना और यह देखना कि कहीं और क्या हो रहा है।
जहां तक वह आजीविका और अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित
थी, उसकी राय सही हो सकती है, लेकिन जैसा कि देश के बाकी अन्य हिस्सों में हो रहा था, उसके बारे में उसे कोई जानकारी नहीं थी, हमारी राय से यह कहना काफी मुश्किल है कि क्या दूसरों को भी
एर्ना क्राँत्य की तरह ही लगा।
वस्तुनिष्ठ
प्रकार के प्रश्नोत्तर (01 अंक)
प्र. 01 सही
विकल्प चुनिए :
(1)
आरंभ में मित्र राष्ट्रों का
नेतृत्व किनके हाथों में था?
(अ) ब्रिटेन और फ्रांस (ब) सोवियत संघ और अमेरिका (स)
जर्मनी और इटली (द) जापान और तुर्की
(2)
नेशनल सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य
कहलाते थे।
(अ) नेशनलिस्ट (ब)
नात्सी (स)
डेमाक्रेटस (द) लिबरल
(3) हिटलर का प्रचार मंत्री जिसने
हिटलर के साथ आत्महत्या कर ली थी।
(अ) हिंडनबर्ग (ब)
ह्यालमार शाख्त (स)
ग्योबल्स (द) विलियम कैसर
(4) द्वितीय विश्व युद्ध के बाद
स्थापित अंतर्राष्ट्रीय युद्ध न्यायालय था।
(अ) बर्लिन अदालत (ब) न्यूरेम्बर्ग अदालत (स)
होलोकास्ट (द) वर्साय की संधि
(5) नात्सियोणाल शब्द का हिन्दी
भाषा में अर्थ होता है -
(अ) नेशनल (ब)
जर्मन (स)
राष्ट्रीय (द) दल
(6) पहला विश्व युद्ध लड़ा गया -
(अ) 1914 -1918 (ब) 1939 - 1945 (स) 1942 - 1947 (द) 1885 - 1890
(7) राइखस्टॉग है -
(अ) फ्रेंच संसद (ब) जर्मन संसद (स)
तुर्क संसद (द) जापानी संसद
(8) प्रथम विश्व युद्ध में हुई सारी
तबाही का जिम्मेदार किसे ठहराया गया?
(अ) इटली (ब)
फ्रांस (स)
जर्मनी (द) जापान
(9) जर्मनी का खनिज संसाधनों से
युक्त प्रदेश कोन सा था?
(अ) सिलेसिया (ब)
प्रशा (स)
राइनलैंड (द) पोसेन
(10) युद्ध के मोर्चे पर सैनिकों के
छिपने के लिए खेदे गए गड्ढे -
(अ) खंदक (ब)
बंकर (स)
मोर्चा (द) उपरोक्त सभी
(11) बोल्शेविक पार्टी की तर्ज पर
जर्मनी में स्थापित क्रांतिकारी दल -
(अ) नात्सीवादी पार्टी (ब) सोशलिस्ट पार्टी (स) स्पार्टकिस्ट
लीग (द)
इनमें से कोई नहीं
(12) वाइमर गणराज्य के पुराने
सैनिकों का संगठन -
(अ) स्पार्टकिस्ट लीग (ब) फ्री कोर (स)
युंगफोक (द) गेस्तापो
(13) जर्मनी के विशालकाय कोयला भंडार
वाला इलाका जो कि प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र भी था।
(अ) राइनलैंड (ब)
न्यूरेम्बर्ग (स)
रूर (द) बर्लिन
(14) जर्मनी की मुद्रा -
(अ) रूपया (ब)
डॉलर (स)
रूबल (द) मार्क
(15) डॉव्स योजना का प्रमुख उद्देश्य
क्या था?
(अ) जर्मनी से हर्जाना वसूलना (ब) जर्मनी को आर्थिक संकट से बचाना
(स) जर्मनी में गणतंत्र की स्थापना (द) जर्मनी में कम्युनिस्ट शासन लाना
(16) वॉल स्ट्रीट एक्सचेंज क्या है?
(अ) एक सुरक्षा दीवार (ब) अमेरिकी शेयर बाजार स) गली में उठाई गई दीवाल (द)
एक फैक्ट्री
(17) जब कीमतें बेहिसाब बढ़ जाती हैं
तो उस स्थिति को क्या कहते हैं?
(अ) अति मुद्रा स्फीति (ब) अति मुद्रा संकुचन (स) दोनों (द) उपरोक्त में कोई नहीं
(18) जब आर्थिक स्थिति मजदूर वर्ग के
स्तर पर चली जाए तो उस अवस्था को कहते हैं-
(अ) सर्वहाराकरण (ब) बेरोजगारी (स)
भुखमरी (द) उपरोक्त
में कोई नहीं
(19) अनुच्छेद 48 के अंतर्गत जर्मन राष्ट्रपति को कौन कौन से अधिकार दिए गए
थे?
(अ) आपातकाल लागू करना (ब)
नागरिक अधिकार रद्द करना
(स) अध्यादेश जारी करना (द)
उपरोक्त सभी
(20) हिटलर का जन्म कहाँ हुआ था?
(अ) जर्मनी (ब)
ऑस्ट्रिया (स)
इटली (द) फ्रांस
(21) प्रथम विश्व युद्ध में हिटलर ने
कौन सा काम किया था?
(अ) डाकिया
(ब) सैनिक (स) सैन्य
कमांडर (द) चिकित्सक
(22) जर्मन वर्कस पार्टी को हिटलर ने
कौन सा नया नाम दिया?
(अ) जर्मन नेशनल पार्टी (ब) नेशनल सोशलिस्ट
पार्टी (स) कम्युनिस्ट पार्टी (द) मीन कैम्फ
(23) जनमत को प्रभावित करने के लिए
किया जाने वाला एक खास तरह का प्रचार -
(अ) कैम्पेनिंग (ब)
जयघोष (स)
प्रोपेगेंडा (द)
रैली
(24) नाजी पार्टी का प्रतीक था -
(अ) रेड शर्ट (ब) लोटस (स) स्वस्तिक (द)
ब्लैक शर्ट
(25) बहुमत मिलने के बाद हिटलर को
चांसलर के पद हेतु किसने न्यौता दिया ?
(अ) ह्यालमार शाख्त (ब) विलियम कैसर (स)
जॉन एबर्ट (द) हिंडनबर्ग
(26) अभिव्यक्ति, प्रेस और सभा करने की आजादी को छीन लिया गया -
(अ) इनेबलिंग एक्ट (ब) फायर डिक्री (स)
न्यूरेम्बर्ग कोर्ट (द) प्रोपेगेंडा
(27) जर्मनी में हिटलर की तानाशाही
को स्थापित कर देने वाला नियम कौन सा था?
(अ) इनेबलिंग एक्ट (ब) फायर डिक्री (स)
न्यूरेम्बर्ग कोर्ट (द) प्रोपेगेंडा
(28) हिटलर का प्रमुख अर्थशास्त्री
कौन था?
(अ) ह्यालमार शाख्त (ब) विलियम कैसर (स)
जॉन एबर्ट (द) हिंडनबर्ग
(29) एक जन, एक
साम्राज्य, एक नेता का नारा किसने दिया था?
(अ) हिटलर ने (ब)
विलियम कैसर ने (स) मुसोलिनी
ने (द) लेनिन ने
(30) ऑस्ट्रिया को जर्मनी में मिला
लिया गया -
(अ) 1933 में (ब)
1936 में (स)
1938 में (द) 1940 में
(31) वर्साय की संधि के नाम पर जर्मनी के साथ ज्यादती हुई थी।
ऐसा किसका मानना था?
(अ) फ्रांस (ब)
अमेरिका (स)
रूस (द) इंग्लैंड
(32) द्वितीय विश्व युद्ध का आरंभ कैसे हुआ था?
(अ) हिटलर के पोलेंड पर आक्रमण से (ब)
हिटलर द्वारा ऑस्ट्रिया पर कब्जा से
(स) हिटलर द्वारा रूस पर हमले से (द) उपरोक्त सभी
(33) हिटलर की एतिहासिक बेवकूफी किसे कहते हैं?
(अ) रूस पर हमला (ब) पोलेंड पर हमला (स)
ब्रिटेन पर हमला (द) जापान से संधि
(34) पर्ल हार्बर पर किसने हमला किया था?
(अ) जर्मनी ने (ब)
इटली ने (स) जापान
ने (द) चीन ने
(35) अमरिका द्वारा जापान के किस शहर पर परमाणु बम गिराया गया?
(अ) क्योटो
(ब) हिरोशिमा (स) टोक्यो (द) ओकायामा
(36) गेस्टापो क्या था?
(अ) गुप्तचर पुलिस दल (ब) सेना का विशिष्ट टुकड़ी (स)एक राजनीतिक दल (द) एक श्रमिक संगठन
(37) हिटलर के
राष्ट्रसंघ की सदस्यता कब छोड़ी?
(अ) 1923 में (ब) 1933 में (स)
1939 में (द)
1945 में
(38) हिटलर की प्रजातीय नीति के विशेष शिकार बने-
(अ) शुद्ध नस्लवाले आर्य (ब) यहूदी
(स) जिप्सी (द)
ईसाई
(39) हिटलर ने अपनी
नस्ली सोच का आधार किन वैज्ञानिकों के सिद्धांतों को बनाया?
(अ) चार्ल्स डार्विन (ब)
हर्बर्ट स्पेंसर (स) दोनों (द) कोई नहीं
(40) ‘‘पृथ्वी को
लगातार राज्यों में बांटा जा रहा है और उनमें से कई तो महाद्वीप जितने बड़े हैं।
ऐसे युग मे हम किसी ऐसी विश्व शक्ति की बात नहीं सोच सकते जिसका राजनीतिक मातृ वंश
केवल पांच सौ वर्ग किलोमीटर जैसे वाहियात से क्षेत्रफल में सिमटा हो।’’ किसका कथन
है?
(अ) ग्योबल्स का
(ब) हिंडनबर्ग
का (स)
कैसर विलियम का (द) हिटलर का
(41) किसी समुदाय को औरों से अलग - थलग करके रखना -
(अ) घेटो
(ब)
कंसनट्रेशन कैम्प (स) चेंबर (द) युटोपिया
(42) नाइट ऑफ ब्रोकन ग्लास क्या है?
(अ) हिटलर द्वारा आत्महत्या करना (ब) यहूदी प्रार्थनाघर जलाना
(स) न्यूरेम्बर्ग कोर्ट द्वारा नाजियों को
मृत्युदंड देना (द) अवांछितों को यातना देकर मार डालना
(43) हिटलर का उपनाम क्या था?
(अ) फ्यूहरर
(ब)
नाजी (स)
एडॉल्फ (द) हिट्टू
(44) हिटलर यूथ का पुराना नाम क्या था?
(अ) नात्सी यूथ
(ब) यूथनेजिया (स)
युंगफोक (द)
लेबर सर्विस
(45) युंगफोक क्या था?
(अ) विशिष्ट जर्मन सेवा (ब) एक नात्सी युवा संगठन
(स) जर्मन युवाओं द्वारा खेला जाने वाला एक खेल (द) एक जर्मन सांस्कृतिक संगठन।
(46) जुड आऊफ ग्रुनर हीद का अर्थ हुआ -
(अ) ग्रीन हीद में किसी यहूदी पर यकीन मत
करो (ब)
किसी पर यकीन मत करो
(स) यहूदी को ग्रीन हीद में मार डालो (द)
ग्रीन हीद केवल यहूदियों का है
(47) ‘ मेरे राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नागरिक माँ
है।’’ किसने कहा था?
(अ) लेनिन ने
(ब) ओलम्प दे गूज
ने (स) हिटलर ने (द)
महात्मा गाँधी ने
(48) यहूदियों के प्रति घृणा फैलाने के
लिए नात्सियों ने कौन सी फिल्म बनवाई थी?
(अ) अंतिम समाधान (ब) गुप्त कानून (स) अक्षय यहूदी (द) द ईवल ज्यूज
(49) मित्र राष्ट्र में सम्मिलित थे
-
(अ) जर्मनी, ऑस्ट्रिया और इटली (ब) भारत, रूस और अमेरिका
(स) ब्रिटेन, फ्रांस और रूस (द) अमेरिका, जापान और रूस
(50) प्रथम निम्नलिखित में से कौन प्रथम विश्वयुद्ध
के दौरान मित्र देशों के खेमे में नहीं था।
(अ) इंग्लैंड (ब)
फ्रांस (स) अमेरिका (द) जर्मनी
(51) नवम्बर के अपराधी कहकर किसका मजाक उड़ाया जाता
था?
(अ) वाइमर गणराज्य के समर्थकों का (ब)
जर्मन सम्राट के समर्थकों का
(स) स्पार्टकिस्ट लीग के समर्थकों का (द)
हिटलर के समर्थकों का
(52) जर्मनी में ’स्पार्टकिस्ट लीग’ की मुख्य माँग
क्या थी ?
(अ) राजशाही की पुनर्स्थापना (ब) हिटलर को
तानाशाह बनाना
(स) जर्मनी में सोवियत ढंग की सरकार बनाना (द) जर्मनी को ऑस्ट्रिया से अलग करना
(53) जर्मनी को आर्थिक संकट से
निकालने के लिए डॉव्स योजना किसने बनाई?
(अ) अमेरिका
(ब) रूस (स) फ्रांस (द)
ब्रिटेन
(54) वाइमर संविधान के दोष का नाम
लिखिए जिसने इसे क्षणभंगुर बना दिया था?
(अ) समानुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (ब)
अनुच्छेद 48 (स) दोनों कथन सत्य हैं (द) इनमें से कोई नहीं
(55) वाइमर संविधान में समानुपातिक
प्रतिनिधित्व प्रणाली में क्या खामी थी ?
(अ) केवल एक दल बहुमत में आ सकती थी (ब)
एकल पार्टी बहुमत में नहीं आ सकती थी।
(स) यह द्विदलीय प्रणाली का समर्थक था (द)
इनमें से कोई नहीं।
(56) नाजीवाद किसका समर्थक था?
(अ) राजतंत्र का (ब) प्रजातंत्र का (स)
राज्य की सर्वोच्च के सिद्धांत का (द)
इनमें से कोई नहीं
(57) नाजीवाद का उत्कर्ष हुआ-
(अ) जर्मनी में
(ब) इटली में (स)जापान
में (द)
सोवियत संघ में
(58) मीन केम्फ का लेखक था-
(अ) हिटलर
(ब) मुसोलिनी (स) बिस्मार्क (द) कैजर विलियम
(59) हिटलर जर्मनी का चांसलर बना-
(अ) 1919 में (ब) 1929 में (स) 1933 में (द) 1939 में
(60) डेयर गिफ्टपिल्ज़ का क्या मतलब होता है ?
(अ) मीठा मशरूम
(ब)
खट्टा मशरूम
(स) कड़वा मशरूम
(द)
विषैला मशरूम
प्र.02
रिक्त स्थान भरिए :
(i) प्रथम विश्वयुद्ध के लिए ............... को जिम्मेदार ठहराया गया। (जर्मनी/इटली)
(ii) प्रथम विश्व युद्ध का सर्वाधिक प्रभाव .................. महाद्वीप पर पड़ा। (यूरोप/अमेरिका)
(iii) समाजवदियों, डेमोक्रेट्स और कैथेलिक ग्रुप ने .................... का
विरोध किया। (स्पार्टकिस्ट
लीग/हिटलर)
(iv) जर्मन वर्कस पार्टी का नया नाम ...... था। (नेशनल सोशलिस्ट पार्टी/हिटलर यूथ)
(v) ............... जर्मनी की गुप्तचर पुलिस थी। (गेस्तापो/स्तोर्म्स
टूपेर्स)
(vi) .................... में जर्मनी ने खुद को लीग ऑफ नेशन्स से अलग कर लिया। (1933 में/1938 में)
(viii) सिन्ती और रोमा समुदाय को ........... की संज्ञा दी गई। (जिप्सी/ज्यूस)
(viii) प्रथम विश्वयुद्ध के बाद जर्मनी में..... गणतंत्र की स्थापना हुई। (वाइमर गणराज्य/वर्साय )
(ix) एक जनता, एक साम्राज्य और एक नेता का नारा....... ने दिया। (हिटलर/मुसोलिनी)
(x) हिटलर ने पोलैंड पर आक्रमण......
में किया। (1939/1945)
प्र.03 सही
जोड़ी बनाइये ।
(1)
स्तंभ - (i) स्तंभ
- (ii)
(i) विशेष व्यवहार (अ)
खाली कराना
(ii) अंतिम समाधान (ब)
विकलागों की हत्या
(iii) यूथनेजिया (स)
यहूदियों की हत्या
(iv) इवैक्युएशन (द) सामूहिक हत्या
(v) घेटो (ई) गुप्तचर
सेवा
(vi) गेस्तापो (फ)
अलग - थलग करना
(2)
स्तंभ - (i) स्तंभ
- (ii)
(i) हिंडेनबर्ग (अ) अपराध नियंत्रण पुलिस
(ii) लेबेन्स्त्राउम (ब)
सुरक्षा सेवा
(iii) फॉक्सवागन (स)
स्टॉर्म टूपर्स
(iv) एसए
(द) जर्मन कार
(v) एसडी (ई)
जीवन परिधि
(vi) एसएस (फ)
जर्मन राष्ट्रपति
प्र.04 एक
शब्द में उत्तर दीजिए
(1) मित्र राष्ट्र देश कौन से थे?
(2) अमेरिका कब मित्र राष्ट्रों में शामिल हुआ?
(3) वाइमर गणतंत्र को किस संधि पर हस्ताक्षर करने पड़े?
(4) प्रथम विश्व युद्ध के बाद मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी के किस प्रदेश पर
अधिकार किया?
(5) हिटलर का जन्म कब और कहाँ हुआ?
(6) हिटलर ने अग्नि अध्यादेश (फायर डिक्री) के जरिए क्या-क्या निलंबित किया?
(7) हिटलर ने जिस विचारधारा को जन्म दिया उसे क्या कहते हैं?
(8) धुरी शक्तियों में कौन-कौन से देश शामिल थे?
(9) प्रथम विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में किस
गणराज्य का जन्म हुआ?
(10) नात्सी विचारधारा का मुख्य आधार क्या था?
(11) जर्मनी की संसद को किस नाम से जाना जाता है?
(12) जर्मनी को हरजाने के रूप में कितना धन देना पड़ा?
(13) नाज़ी लोग सब से अधिक किन लोगो के विरूद्ध थे?
(14) आर्थिक महामंदी कब शुरू हुई?
(15) हिटलर के गुप्तचर राज्य पुलिस का क्या नाम था?
(16) “युंगफोक’ क्या था?
(17) नात्सियों ने ‘यूथनेजिया’ शब्द का प्रयोग किसके लिये किया था ?
(18) वर्साय की संधि किस सन में हुई ?
(19) विषैला मशरूम शीर्षक में यहूदी नाक को अंग्रेजी के किस
अंक की तरह दिखाया गया है ?
(20) अर्नेस्ट हीमर ने विषैला मशरूम की संज्ञा किसे दी है ?
(21) 30 जनवरी 933 को जर्मनी के किस राष्ट्रपति ने हिटलर को
चांसलर का पद-भार संभालने का न्योता दिया ?
(22) नात्सी शासन में कुल कितने किस्म के लोगों को अपने दमन
का निशाना बनाया ?
(23) द्वितीय विश्व युद्ध में हिटलर ने सबसे बड़ी भूल क्या की
?
(24) हिटलर ने आर्थिक संकट से निकालने के लिए कौन सा विकल्प
चुना ?
(25) ’नवम्बर का अपराधी’ कहकर किसे बुलाया जाता था ?
(26) जर्मनी की नात्सी सरकार ने सर्वाधिक अत्याचार किस समुदाय
पर किया?
(27) अमेरिका ने द्वितीय विश्व युद्ध में पहला परमाणु बम किस
जापानी नगर पर गिराया?
(28) हिटलर ने आत्महत्या कब की?
(29) हिटलर की सेना ने पोलैण्ड पर कब आक्रमण किया?
(30) विश्व तुष्टीकरण की नीति को सर्वाधिक बढ़ावा किस नेता ने
दिया?
(31) वाइमर गणराज्य का सम्बन्ध किस देश से था?
(32) जर्मनी के किस नेता को ‘द फ्यूहरर’ (लीडर ऑफ लीडर्स ) के
नाम से सम्बोधित किया जाता था?
(33) राइख्सटाग के किस अधिनियम ने हिटलर को एक अधिकार सम्पन्न
शासक बनाया?
(34) नात्सी पार्टी का पूरा नाम क्या था?
(35) हिटलर जर्मनी का
भाग्यविधाता किस वर्ष बना?
(36) ‘नवम्बर के अपराधी’
शब्द किसके लिए प्रयोग किया जाता था?
(37) बोल्शेविक क्रांति की तर्ज पर जर्मनी में किस संगठन की
स्थापना हुई?
(38) 1923 में जर्मनी में अति मुद्रा स्फीति का कारण क्या था?
(39) किस देश ने जर्मनी
को अति मुद्रा स्फीति की स्थिति से बाहर निकाला?
(40) किस घटना को महामंदी
की शुरूआत माना जाता है?
(41) इनेबलिंग
एक्ट क्या था?
प्र.05 सत्य
/ असत्य लिखिएः
(1) मई 1945 में जर्मनी ने मित्र राष्ट्रों के सामने समर्पण कर दिया।
(2) हिटलर ने बर्लिन में आत्महत्या की।
(3) न्यूरेम्बर्ग अदालत में हजारों नाजियों को मौत की सजा दी।
(4) यूरोप को कर्ज देने वाले महाद्वीप के नाम से जाना जाता था।
(5) वाइमर समर्थकों को मार्च का अपराधी कहा जाता था।
(6) चांसलर पद जर्मनी का सर्वोच्च पद होता है।
(7) शाख्त ने हिटलर को सेना पर धन खर्च करने से रोका था।
(8) हिटलर आर्थिक संकट दूर करने उद्योग स्थापित करना चाहता था।
(9) हिटलर स्त्री - पुरूष समानता का पक्षधर था।
(10) गाँधी जी ने हिटलर को अहिंसा का संदेश भेजा था।
(11) नात्सी जर्मनी में सारी माताओं के साथ एक जैसा बर्ताव होता था।
(12) हिटलर के उत्कर्ष में वर्साय की संधि का योगदान था।
(13) हिटलर गणतंत्र का समर्थक था ।
(14) हिटलर साम्यवादी नीति का समर्थक था ।
(15) नाजीवाद यहूदी विरोधी था।
उत्तरमाला
वस्तुनिष्ठ
प्रश्न
1 |
(अ) |
11 |
(स) |
21 |
(अ) |
31 |
(द) |
41 |
(अ) |
51 |
(अ) |
2 |
(ब) |
12 |
(ब) |
22 |
(ब) |
32 |
(अ) |
42 |
(ब) |
52 |
(स) |
3 |
(स) |
13 |
(स) |
23 |
(स) |
33 |
(अ) |
43 |
(अ) |
53 |
(अ) |
4 |
(ब) |
14 |
(द) |
24 |
(स) |
34 |
(स) |
44 |
(अ) |
54 |
(स) |
5 |
(स) |
15 |
(ब) |
25 |
(द) |
35 |
(ब) |
45 |
(ब) |
55 |
(ब) |
6 |
(अ) |
16 |
(ब) |
26 |
(ब) |
36 |
(अ) |
46 |
(अ) |
56 |
(स) |
7 |
(ब) |
17 |
(अ) |
27 |
(अ) |
37 |
(ब) |
47 |
(स) |
57 |
(अ) |
8 |
(स) |
18 |
(अ) |
28 |
(अ) |
38 |
(ब) |
48 |
(स) |
58 |
(अ) |
9 |
(स) |
19 |
(द) |
29 |
(अ) |
39 |
(स) |
49 |
(स) |
59 |
(स) |
10 |
(अ) |
20 |
(ब) |
30 |
(स) |
40 |
(द) |
50 |
(द) |
60 |
(द) |
रिक्त स्थानों की पूर्ती
1 जर्मनी 2 यूरोप 3 स्पार्टकिस्ट लीग 4 नेशनल सोशलिस्ट पार्ट
5 गेस्तापो 6 1933 में 7 जिप्सी 8 वाइमर गणराज्य
9 हिटलर 10 1939
सही जोड़ी बनाइये
(1)
I (द) II (स) III (ब) IV (अ) V (फ) VI (ई)
(2)
I (फ) II (ई) III (द) IV (स) V (ब) VI (अ)
एक शब्द में उत्तर
1 इंग्लैंड, फ्रांस, रूस और सहयोगी
2 1917 में
3 वर्साय की संधि पर
4 राइन लैंड
5 1889 में ऑस्ट्रिया में
6 अभिव्यक्ति, प्रेस, सभा करने की आज़ादी आदि
7 नाजीवाद या नात्सीवाद
8 जर्मनी, इटली, जापान और सहयोगी
9 वाइमर गणराज्य का
10 नस्ली आधार पर भेद भाव
11 राइखस्टैग
12 6 अरब पौंड
13 यहूदियो के
14 1929 में
15 गेस्तापो
16 10 से 14 वर्ष के बच्चों का नात्सी युवा संगठन
17 विकलांगों के लिए
18 1919 में
19 अंग्रेजी के 6 की तरह
20 यहूदियों को
21 राष्ट्रपति हिंडनबर्ग
ने
22 52 किस्म के लोगों
को
23 रूस पर
आक्रमण
24 हिटलर ने आर्थिक
संकट से निकालने के लिए युद्ध का विकल्प चुना ।
25 वाइमर गणराज्य
के समर्थकों को ’नवम्बर का अपराधी’ कहकर बुलाया जाता था
26 यहूदियों पर।
27 हिरोशिमा पर।
28 30 अप्रैल, 1945 ई. को।
29 1 सितम्बर, 1939 ई. को।
30 ब्रिटेन के प्रधानमंत्री
चैम्बरलेन ने।
31 जर्मनी से।
32 हिटलर को।
33 समर्थकारी अधिनियम
34 इस पार्टी का
पूरा नाम राष्ट्रीय समाजवादी जर्मन कामगार पार्टी (National
Socialist German Workers Party) था।
35 हिटलर 1936 ई.
में शासक की समस्त शक्तियाँ अपने में केन्द्रित कर लीं।
36 वाइमर सरकार को।
37 स्पार्टकिस्ट
लीग की।
38 मुद्रा की अत्यधिक
छपाई।
39 अमेंरिका।
40 वॉल स्ट्रीट के
धराशाई होने को।
41 तानाशाही
को स्थापित करने वाला विशेषाधिकार अधिनियम।
सत्य / असत्य
1 सत्य 2 सत्य 3 असत्य 4 सत्य 5 असत्य 6 सत्य 7 सत्य
8 असत्य 9 असत्य 10 सत्य 11 असत्य 12 सत्य 13 असत्य
14 असत्य 15 सत्य
प्र.01
नॉर्डिक जर्मन आर्य कौन थे?
उत्तर - नॉर्डिक आर्यन जर्मन - आर्य बताए जाने वालों की एक
शाखा। ये लोग उत्तरी यूरोपीय देशों में रहते थे और जर्मन या मिलते जुलते मूल के
लोग।
प्र.02
नात्सी शब्द की उत्पत्ति कैसे हुई?
उत्तर - नात्सी- यह शब्द जर्मन भाषा के शब्द नात्सियोणाल से
बना है जिसके प्रारंभिक अक्षरों को लेकर नात्सी बना।
प्र.03
प्रोपेगैंडा का क्या अर्थ है?
उत्तर - प्रोपेगंडा का हिंदी में शाब्दिक अर्थ है प्रचार, अधिप्रचार अथवा मत-प्रचार। प्रोपेगंडा किसी विशेष उद्देश्य से, विशेष तौर से राजनीतिक उद्देश्य के तहत, किसी विचार और नज़रिये को फैलाने के लिए किया जाता है। जैसे - नात्सी प्रोपेगैंडा
- नाजी प्रचार अद्वितीय था। स्वास्तिक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्यूट और भाषणों के बाद खास अंदाज़ में तालियों की गड़गड़ाहट - ये सारी चीजें
शक्ति प्रदर्शन का हिस्सा थीं।
प्र.04 ‘कंसन्ट्रेशन
कैम्प क्या थे?
उत्तर - ‘कंसन्ट्रेशन कैम्प - ऐसे स्थान जहाँ बिना किसी क़ानूनी
प्रक्रिया के लोगों को कैद रखा जाता था| ये कंसंट्रेशन कैंप यानी नज़रबंदी शिविर बिजली का करंट दौड़ते तारों से घिरे रहते थे|
प्र.5 ‘नाइट
ऑफ ब्रोकन ग्लास’ के नाम से किस घटना को याद किया जाता है ?
उत्तर - तीस के दशक के
अंत से 1945 यानी दूसरे विश्व युद्ध के अंत तक हुए होलोकॉस्ट
में करीब 60 लाख यहूदियों की हत्या की गई. 9 नवंबर 1938 की रात को होलोकॉस्ट की ड्रेस रिहर्सल भी कहा जाता है. भारी हिंसा और लूट की इस रात में बिखरे कांच और मलबे के
कारण नाइट ऑफ ब्रोकन ग्लास या राइष्सक्रिस्टाल नाख्ट कहा जाता है|
प्र.6 ‘जिप्सी’ व ‘घेटो’ का अर्थ बताइए।
उत्तर – जिप्सी – जिप्सी के नाम
से श्रेणीबद्ध किये गए समूहों की अपनी सामुदायिक पहचान थी | सिन्ती और रोमा ऐसे ही
दो समुदाय थे|
घेटो – किसी समुदाय को औरों से अलग -थलग करके रखना |
प्र.7
अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध में सम्मिलित होने से क्यों बचना चाहता था?
उत्तर – अमेरिका पहले विश्वयुद्ध की वजह से पैदा हुई आर्थिक
समस्यायों को दोबारा नहीं झेलना चाहता था इसलिए द्वितीय विश्वयुद्ध में सम्मिलित
होने से बचना चाहता था|
प्र.8 नात्सियों
द्वारा किसानों को किन खतरों से आगाह किया जाता था?
उतर- नात्सियों द्वारा किसानों को अमेरिकी पूंजीवाद और रुसी
बोल्शेविकवाद के खतरों से आगाह करना चाहता था|
प्र. 9. हिटलर के विचार किन दार्शनिकों के विचारों
पर आधारित था ?
उत्तरः चार्ल्स डार्विन और हर्बर्ट स्पेंसर
उत्तरः सोवियत संघ पर हमला करना हिटलर की ऐतिहासिक बेवकूफी मानी
जाती है ।
प्र. 10. द्वितीय विश्व युद्ध में जर्मनी का साथ
किन किन देशों ने दिया ?
इन्हें क्या कहा जाता है ?
उत्तरः जर्मनी, इटली और जापान , इन्हें धूरी राष्ट्र कहा जाता है।
प्र. 11. हिटलर की विदेश नीति के दो प्रमुख उद्देश्य
बताइए।
उत्तरः 1. हिटलर
जर्मनी को विश्व की सबसे बड़ी शक्ति बनाना चाहता था।
2. उसे
विस्तारवादी नीति में विश्वास था।
प्र. 12. 1929 ई. तथा 1932 ई. के चुनावों में
नात्सी पार्टी को कितने प्रतिशत वोट मिले थे?
उत्तरः 1929 के चुनाव में 2.6%, 1932 के चुनाव में 37%।
प्र.13. स्कूलों में साफ सफाई और
शुद्धिकरण की मुहिम से क्या तात्पर्य है?
उत्तर - नात्सी शासन काल में स्कूलों से यहूदी
तथा राजनीतिक रूप से अविश्वसनीय लोगों को हटा दिया गया। अवांछित बच्चों (यहूदियों, जिप्सियों और विकलांग बच्चों) को स्कूलों से निकाल दिया गया। इस समस्त
प्रक्रिया को स्कूलों की सफाई और शुद्धीकरण के नाम से जाना जाता है।
प्र. 14. द्वितीय विश्व युद्ध का अंत
कैसे हुआ ?
उत्तरः जब द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिका कूद पड़ा
। तो धुरी राष्ट्रों को घुटने टेकने पड़े, इसके साथ ही हिटलर की पराजय हुई और जापान के हिरोशिमा
और नागासाकी शहर पर अमेरिका के बम गिराने के साथ द्वितीय विश्व युद्ध का अंत हो गया।
प्र.1. वर्साय में संधि की शर्तें बताएं।
उत्तर - मित्र देशों (इंग्लैण्ड, फ्रांस और रूस) ने
जर्मनी को प्रथम विश्व युद्ध में पराजित करने के बाद उसे वर्साय सन्धि नामक एक शान्ति
समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए विवश किया। इस सन्धि की शर्ते जर्मनी के लिए अत्यन्त
अपमानजनक और कठोर थीं। सन्धि के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार थे-
1. युद्ध अपराधबोध अनुच्छेद के तहत युद्ध के कारण
मित्र देशों को हुई हानि और सारी तबाही के लिए जर्मनी को जिम्मेदार ठहराया गया। इसके
एवज में उस पर छः अरब पौंड का जुर्माना लगाया गया।
2. खनिज संसाधनों वाले राईनलैण्ड पर भी बीस के दशक
में ज्यादातर मित्र राष्ट्रों का ही कब्जा रहा।
3. जर्मनी को अपने समुद्र पार के उपनिवेश, 13 प्रतिशत भू-भाग, 75 प्रतिशत लौह-भण्डार, 26 प्रतिशत कोयला
भण्डार फ्रांस, पोलैण्ड, डेनमार्क और लिथुआनिया के हवाले करने पड़े।
4. जर्मनी की रही-सही ताकत खत्म करने के लिए मित्र
राष्ट्रों ने उसकी सेना भी भंग कर दी।
प्र.2. न्यूरेम्बर्ग नागरिकता अधिकार
क्या था?
उत्तर – न्यूरेमबर्ग नागरिक अधिकार सितम्बर ,
1935 –
1.
जर्मन या उससे सम्बंधित रक्त वाले व्यक्ति ही जर्मन नागरिक होंगे और उन्हें
जर्मन साम्राज्य का संरक्षण मिलेगा|
2.
यहूदियों और जर्मनों के बीच विवाह पर पाबन्दी|
3.
यहूदियों और जर्मनों के बीच विवाहेत्तर संबंधों को अपराध घोषित कर दिया गया|
4.
यहूदियों द्वारा राष्ट्रीय ध्वज फहराने पर पाबन्दी लगा दी गई|
प्रश्न 3. नात्सियों का विश्व दृष्टिकोण
क्या था ?
उत्तरः नात्सियों का विश्व दृष्टिकोण
-
·
सभी समाजों का जर्मन साम्राज्य में बराबरी का हक नहीं था । वे नस्लीय आधार पर या
तो बेहतर थे या कमतर थे । उनका मानना था की जर्मन आर्य सबसे उच्च कोटि की नस्ल है और
इसे ही जीने का हक है बाकि किसी को भी जीने का हक नहीं है अतः इन्हें मौत के घाट उतार
दिया जाये|
·
उनकी दूसरी दृष्टिकोण जीवन-परिधि की भू-राजनितिक अवधारणा से संबच्धित था उनका मानना
था कि अपने लोगों को बसाने के लिए ज्यादा से ज्यादा इलाकों पर कब्जा करना जरुरी है
। उनका मानना था की युद्धों से जर्मन राष्ट्र के लिए संसाधन, धन और बेहिसाब शक्ति
इक्कठा किया जा सकता है ।
प्र.4. हिटलर का उदय कब और कैसे हुआ?
उत्तर - ऑस्ट्रिया में जन्मा यह व्यक्ति जर्मनी की
हार व हुए अपमान से आग बबूला हो चुका था। वह हर हाल में जर्मनी को ताकतवर बनाना चाहता
था। 1919 में उसने जर्मन वर्कर्स पार्टी की सदस्यता ली, जो आगे चलकर नात्सी पार्टी कहलायी। वह अपनी वक्ता शैली से सभी को आकर्षित करता
था। धीरे-थीरे लोगों का विश्वास उसमें बढ़ता गया। महामंदी
के दौरान जब जर्मन अर्थव्यवस्था जर्जर हो चुकी थी काम धंधे बंद हो रहे थे । मजदूर बेरोजगार
हो रहे थे । जनता लाचारी और भुखमरी में जी रही थी तो नात्सियों ने प्रोपेगैंडा के द्वारा
एक बेहतर भविष्य की उम्मीद दिखाकर अपना नात्सी आन्दोलन चमका लिया । और इसी के बाद चुनावों
में 33 फीसदी वोट से हिटलर जर्मनी का चांसलर बना ।
चूँकि उस समय जर्मनी
भीषण आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा था इसलिए वह खुद को मसीहा और रक्षक के रूप
में पेश कर रहा था जैसे जनता को इस तबाही उबारने के लिए ही अवतार लिया हो ।
प्र.5. हिटलर की राजनैतिक शैली क्या थी?
अथवा
हिटलर की राजनैतिक शैली का वर्णन कीजिए ।
उत्तरः हिटलर की राजनैतिक शैली में निम्नलिखित बातें
शामिल थी :-
·
वह लोगों को गोल बंद करने के लिए आडंबर और प्रदर्शन करने में विश्वास रखता था।
जिसे प्रोपेगेंडा कहा जाता है।
·
वह लोगों का भारी समर्थन दर्शाने और लोगों में परस्पर एकता की भावना पैदा करने
के लिए बड़े-बड़े रैलियाँ और सभाएँ करता था ।
·
स्वस्तिक छपे लाल झंडे, नात्सी सैल्यूट का प्रयोग किया करता था और भाषण खास
अंदाज में दिया करता था । भाषणों के बाद तालियाँ भी खास अंदाज ने नात्सी लोग बजाया
करते थे ।
·
चूँकि उस समय जर्मनी भीषण आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा था इसलिए वह खुद
को मसीहा और रक्षक के रूप में पेश कर रहा था जैसे जनता को इस तबाही उबारने के लिए ही
अवतार लिया हो।
प्र.6. लोकतंत्र का ध्वंस करने के लिए हिटलर और
नात्सियों ने क्या कदम उठाए?
उत्तर – लोकतंत्र का ध्वंस करने के लिए नाजियों
ने निम्नलिखित कदम उठाये –
(1) 28 फ़रवरी, 1983 को अग्नि अध्यादेश (फायर डिक्री) के जरिए
अभिव्यक्ति, प्रेस एवं सभा करने की, आजादी जैसे अधिकारों को निलंबित कर दिया गया |
(2) कम्युनिस्टों का बर्बरता
पूर्वक दमन किया गया उनकी हत्याएँ करवाई गयी |
(3) सभी राजनैतिक विरोधियों और
गैर-नात्सियों की हत्याएँ की गयी या उन्हें यातना गृह भेज दिया जाता, था।
(4) नात्सी पार्टी तथा उसके संगठनों के अतिरिक्त
सभी पार्टियों पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया |
(5) समाज पर निगरानी और नियंत्रण के लिए विशेष
निगरानी और सुरक्षा दस्ते गठित किये गए |
प्र.7. महात्मा गांधी द्वारा एडोल्फ हिटलर को क्या
नसीहत दी गई?
उत्तर - महात्मा गांधी ने वर्ष 1939 में जर्मनी के नाज़ी तानाशाह एडोल्फ हिटलर को पत्र लिखा था। हालांकि ये पत्र हिटलर को मिला नहीं था। 23 जुलाई, 1939 को लिखे इस पत्र में महात्मा गांधी
ने हिटलर से युद्ध टालने की अपील की थी।हमें अहिंसा के रूप में एक ऐसी शक्ति प्राप्त हो गई है
जिसे यदि संगठित कर लिया जाए तो यह संसार भर की सभी प्रबलतम हिंसात्मक शक्ति के
गठजोड़ का मुकाबला कर सकती है।
प्र. 8. महामंदी ने नाजीवाद को जन-आन्दोलन बनाने में क्या भूमिका निभायी?
उत्तर - नाजीवाद 1930 ई. के दशक में अधिक लोकप्रिय नहीं बन पाया किन्तु मंदी के दौरान नाजीवाद एक जनआंदोलन
बन गया। 1929 ई. के बाद बैंक दिवालिया
हो चुके थे, काम-धन्धे बन्द होते जा रहे थे, मजदूर बेरोजगार हो रहे थे और मध्यवर्ग को लाचारी
और भुखमरी का डर सता रहा था। ऐसे में लोगों को नाजी प्रोपेगैन्डा में एक बेहतर भविष्य
की उम्मीद दिखाई देती थी। 1929 में नाजियों को जर्मन संसद ‘राइख्सटाग’ में केवल 2.6 प्रतिशत वोढ़ मिले। 1932 ई. तक यह सबसे बड़ा दल बन गई और इसे 27 प्रतिशत वोट मिले।
इस दौरान नाजियों ने अनेक बड़ी रैलियों का आयोजन किया।
हिटलर का जनसमर्थन दिखाने और लोगों में एकता की भावना का संचार करने के लिए जनसभाओं
का आयोजन किया गया। इस अवसर पर हिटलर ने बेरोजगार युवाओं को रोजगार देने तथा युवाओं
के लिए बेहतर भविष्य का वायदा किया।
प्र. 9. जनसामान्य की नाजीवाद के प्रति क्या धारणा थी?
उत्तर – जनसामान्य की नाजीवाद के प्रति धारणा -
1. बहुत से लोग नाजीवाद की निरंकुश
पुलिस, दमन एवं हत्याओं के विरुद्ध खड़े हो गए।
2. अधिकतर जर्मनीवासी निष्क्रिय
मूकदर्शक एवं उदासीन बने रहे। वे इतने भयभीत थे कि न तो वे कुछ कर पाए, न मतभेद जता पाए
और न ही विरोध कर पाए।
3. कई लोगों ने नाजियों की दृष्टि
से देखा और नाजियों की भाषा में उनके मस्तिष्क की बातें बताईं। उन्होंने यहूदियों के
प्रति गुस्सा और घृणा विकसित कर ली थी। यहूदियों के घर चिह्नित किए गए और संदिग्ध पड़ोसी
के रूप में उनकी शिकायत की गई। उनका विश्वास था कि नाजीवाद खुशहाली लाएगा और उनके जीवन
को सुखी बना देगा।
प्र. 10. विशेषाधिकार अधिनियम के प्रावधान बताइए।
उत्तर - 3 मार्च, 1933 को पारित विशेषाधिकार
अधिनियम के प्रमुख प्रावधान इस प्रकार थे-
1. नाजियों व उनके सहयोगियों को
छोड़ कर अन्य सभी राजनैतिक दलों व ट्रेड यूनियनों पर प्रतिबंध लगा दिया।
2. अर्थव्यवस्था, मीडिया, सेना और न्यायपालिका
पर राज्य ने पूर्ण रूप से नियंत्रण कर लिया।
3. इसने जर्मनी में तानाशाही स्थापित
कर दी।
4. इसने संसद को दरकिनार करते हुए
हिटलर को डिक्री से शासन करने की सारी शक्तियाँ दे दी।
प्र. 11. नात्सीवाद की विजय के प्रमुख परिणामों का उल्लेख कीजिए।
अथवा
नात्सी विरोधियों की नजर से जर्मनी
का इतिहास पर अपनी राय दें।
उत्तरः नात्सीवाद की विजय के प्रमुख परिणाम-
1. जर्मनी में सैन्यकरण का कार्य
बड़े पैमाने पर शुरू किया गया तथा युद्ध की तैयारियाँ बड़े जोर-शोर से शुरू की गयीं।
2. जर्मनी में अन्य सभी साहित्य
को जला दिया गया जिसमें उदारवाद, समाजवाद व लोकतंत्र के विचारों की प्रशंसा की गई
थी।
3. हिटलर व नात्सी पार्टी का उत्थान
द्वितीय विश्वयुद्ध का प्रमुख कारण बना।
4. जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व
में नात्सी पार्टी की तानाशाही स्थापित हो गई। इससे वहाँ आतंकवाद छा गया तथा नात्सी
विरोधी नेताओं की बड़े पैमाने पर हत्या कर दी गई।
5. जर्मनी की कम्युनिस्ट पार्टी
पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। समाजवादियों व साम्यवादियों का भी विरोध किया गया।
प्र. 12. नात्सीवादी शासन में वांछित बच्चों को जन्म देनेवाली माताओं
को किस प्रकार पुरस्कृत किया गया?
उत्तरः इस समयावधि में प्रजातीय आधार पर वांछित दिखने
वाले बच्चों को जन्म देने वाली माताओं को पुरस्कार दिया जाता था। जो इस प्रकार से थे
:-
1. ऐसी माताओं को चिकित्सालयों
में विशेष सुविधाएँ दी जाती थीं।
2. दुकानों में सामान खरीदने पर
उन्हें अधिक छूट दी जाती थी।
3. इसके साथ ही थियेटर व रेलगाड़ी
के टिकट सस्ती दर पर दिए जाते थे।
4. हिटलर ने ढेर सारे बच्चों को
जन्म देने वाली माताओं को उसी प्रकार पदकों से सम्मानित करने की व्यवस्था की थी जिस
प्रकार सेना में शौर्य प्रदर्शित करने वाले सैनिकों को सम्मानित किया जाता था।
5. चार बच्चे पैदा करने वाली माँ
को कांस्य पदक, छः बच्चे पैदा करने वाली माँ को रजत पदक तथा आठ या उससे अधिक
बच्चे पैदा करने वाली माँ को सोने के पदक दिए जाते थे।
प्र. 13. नात्सी लोग यहूदियों से क्यों घृणा करते थे?
उत्तरः जर्मन लोगों द्वारा यहूदियों से घृणा करने
की निम्न वजह थी-
1. नात्सी विचारधारा के अनुसार
नस्ली श्रेष्ठता के आधार पर यहूदी विश्व की सबसे निम्न स्तरीय नस्ल है तथा जर्मनी की
सभी समस्याओं का मूल कारण यहूदी ही हैं।
2. यहूदी लोग जर्मन समाज से बिलकुल
अलग बस्तियों में रहते थे जिन्हें घेटो’ कहा जाता था।
3. जर्मनों के अनुसार यहूदी आदतन
हत्यारे और सूदखोर थे।
4. यहूदी लोग मुख्य रूप से व्यापार
और धन उधार देने का धन्धा करते थे।
5. जर्मन ईसाई धर्म के अनुयायी
थे और ईसाइयों का आरोप था कि ईसा मसीह को यहदियों ने ही मारा था। इसीलिए मध्यकाल तक
जर्मनी में यहूदियों को जमीन का मालिक बनने की मनाही थी।
प्र. 14. नात्सी आचार संहिता का उल्लंघन करने वाली महिलाओं को किस प्रकार
दण्डित किया जाता था?
उत्तरः
1. आचार संहिता का उल्लंघन करने
वाली महिलाओं को न केवल जेल की सजा दी जाती थी बल्कि उनके नागरिक सम्मान, पति और परिवार से
उन्हें वंचित कर दिया जाता था।
2. आचार संहिता का उल्लंघन करने
वाली आर्य महिलाओं की सार्वजनिक रूप से निन्दा की जाती थी तथा उन्हें कठोर दण्ड दिया
जाता था।
3. आचार संहिता उल्लंघन की दोषी
अनेक महिलाओं को गंजा करके, मुँह पर कालिख पोत कर और उनके गले में तख्ती लटका
कर उन्हें सारे शहर में घुमाया जाता था। उनके गले में लटकी तख्ती पर लिखा होता था कि
मैंने राष्ट्र के सम्मान को मलिन किया है।
प्र. 15. प्रथम विश्व युद्ध का यूरोप पर प्रभाव बताइए।
उत्तरः प्रथम विश्व युद्ध के यूरोप पर निम्नलिखित
प्रभाव पड़े-
1. मीडिया में खंदकों की जिंदगी
का महिमामंडन किया जा रहा था। लेकिन सच्चाई यह थी कि सिपाही इन खंदकों में बड़ी दयनीय
जिंदगी जी रहे थे। वे लाशों को खाने वाले चूहों से घिरे रहते थे। वे जहरीली गैस और
दुश्मनों की गोलाबारी का बहादुरी से सामना करते हुए भी अपने साथियों को पल-पल मरते
देखते थे।
2. सार्वजनिक जीवन में आक्रामक
फौजी प्रचार और राष्ट्रीय सम्मान प्रतिष्ठा की चाह के सामने बाकी सारी चीजें गौण हो
गई जबकि हाल ही में सत्ता में आए रूढ़िवादी तानाशाहों को व्यापक जनसमर्थन मिलने लगा।
3. यूरोप कृर्ज देने वाले महाद्वीप
से कर्जदारों का महाद्वीप बन गया।
4. पहले महायुद्ध ने यूरोपीय समाज
और राजनीतिक व्यवस्था पर अपनी गहरी छाप छोड़ दी थी। सिपाहियों को आम नागरिकों के मुकाबले
ज्यादा सम्मान दिया जाने लगा। राजनेता और प्रचारक इस बात पर जोर देने लगे कि पुरुषों
को आक्रामक, ताकतवर और मर्दाना गुणों वाला होना चाहिए।
प्र. 16.
वाइमर संविधान के दोषों को बताइए।
उत्तरः वाइमर गणतंत्र ने आनुपातिक प्रतिनिधित्व पर
निर्भर ऐसी प्रणाली का विकास किया जिसमें किसी एक दल को बहुमत पाना लगभग असंभव था, फलस्वरूप देश में
गठबन्धन सरकारें बनती थीं। अनुच्छेद 48 राष्ट्रपति को नागरिक अधिकार समाप्त करते हुए आपातकाल
लागू करके डिक्री द्वारा शासन करने की शक्ति देता था। अल्पकाल में ही वाइमर रिपब्लिक
ने 20 अलग-अलग मन्त्रिमण्डल देखे जिनका औसत कार्यकाल 239 दिन था और साथ ही अनुच्छेद 48 का भी भरपूर प्रयोग
हुआ। फिर भी संकट का समाधान नहीं हो सका। परिणामस्वरूप लोगों का लोकतांत्रिक संसदीय
प्रणाली से विश्वास उठ गया।
विश्लेषणात्मक
प्रश्न (4अंक)
प्र.1.
जर्मनी पर आए 1923 के आर्थिक संकट पर टिप्पणी
कीजिए।
उत्तर - जर्मनी पर आए 1923 के आर्थिक संकट पर टिप्पणी
·
प्रथम विश्व युद्ध कर्ज लेकर लड़ा गया ।
·
जर्मनी को हर्जाना भी स्वर्ण मुद्रा में देना पड़ा।
·
बहुत अधिक मात्रा में कागजी मुद्रा छापने से जर्मनी में अति मुद्रास्फीति आ गई
। वहाँ की मुद्रा मार्क की कीमत गिर गई ।
·
महंगाई बहुत बढ़ गई । इस आर्थिक संकट से उबरने के लिए उसे अमेरिका से शर्तों पर
आर्थिक सहायता लेनी पड़ी ।
·
जर्मनी का कर्ज और हर्जाना न चुकाए जाने पर फ्रांसिसियों ने जर्मनी के प्रमुख औद्योगिक
इलाके पर कब्जा कर लिया और उसके कोयले के भंडार क्षेत्र पर भी कब्जा कर लिया।
प्र.2.
वाईमर गणराज्य की स्थापना के क्या कारण थे? वाईमर
गणराज्य की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तरः वाईमर गणराज्य की स्थापना के कारण - प्रथम विश्व
युद्ध में जर्मनी की पराजय और सम्राट के त्यागपत्र के पश्चात वहाँ की संसदीय पार्टियों
ने एक नई राजनितिक व्यवस्था की स्थापना की यही वाईमर गणराज्य था ।
वाईमर गणराज्य की विशेषतायें -
·
यह एक संघीय और लोकतांत्रिक गणराज्य था जिसका एक लोकतान्त्रिक संविधान भी था ।
·
इसमें प्रतिनिधियों के चुनाव के लिए औरत सहित सभी व्यस्क नागरिकों को समान और सार्वभौमिक
मताधिकार प्राप्त था ।
·
इसमें अनुपातिक चुनाव प्रणाली की व्यवस्था थी।
·
धारा 48 के अंतर्गत राष्ट्रपति
को आपातकाल लागु करने, नागरिक अधिकार रद्द करने और अध्यादेश जारी करने का अधिकार था।
प्र.3 जर्मनी पर नाजीवाद के क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर – जर्मनी पर नाजीवाद के प्रभाव –
·
नाज़ी के अनुसार केवल नीली आंखों वाले गोरे ब्लॉन्ड जर्मन आदर्शवादी आर्य नागरिकता
में शीर्ष पर थे।
·
नाज़ी ने कभी भी आधिकारिक बोलचाल में हत्या या हत्या जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं
किया, वे हमेशा कीटाणुशोधन, कुल समाधान आदि जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते थे।
·
नाज़ी यहूदियों से नफरत करते थे, नाज़ी शासन के दौरान लगभग 6
मिलियन यहूदी मारे गए थे।
·
हिटलर ने यहूदियों को चूहों के रूप में इस्तेमाल किया और कृन्तकों के रूप में संदर्भित
किया।
·
नाजी हर्बर्ट स्पेंसर और चार्ल्स डार्विन के कुछ सिद्धांतों का उदाहरण देते हैं, उनके अनुसार केवल वे ही जीवित रह सकते हैं जो उपयुक्त परिस्थितियों के अनुसार स्वयं
को अनुकूलित कर सकें।
प्र.4.
1930 तक आते आते जर्मनी में नाजीवाद को
लोकप्रियता क्यों मिलने लगी?
उत्तर - 1930 के बाद जर्मनी में नाज़ीवाद लोकप्रिय
हो गया। इसकी लोकप्रियता के कारण नीचे सूचीबद्ध हैं
(I) कठोर वर्साय संधि जर्मनों की राष्ट्रीय प्रतिष्ठा और अर्थव्यवस्था के लिए एक गंभीर
आघात थी|
(II) 1929 की महामंदी
से आर्थिक स्थिति और खराब हो गई थी, जिसने पहले से ही नाजुक जर्मन
अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया था। स्थिति को ठीक करने के लिए वीमर गणराज्य
की अक्षमता ने केवल सार्वजनिक भावनाओं को और भड़काया।
(III) राजनीतिक परिदृश्य
कोई बेहतर नहीं था क्योंकि विभिन्न राजनीतिक गुटों, जैसे कि कम्युनिस्ट और समाजवादी एक-दूसरे के साथ लड़े, जिसने किसी भी नीति को रोक दिया जो जर्मन लोगों की दुर्दशा को ऊपर उठाए।
(IV) इसी पृष्ठभूमि में
हिटलर ने नवेली नेशनल सोशलिस्ट जर्मन वर्कर्स पार्टी, जिसे नाज़ी पार्टी के नाम से जाना जाता था, को एक जन आंदोलन के रूप में संगठित किया।
(V) नाजी आदर्शों को
लागू करके, हिटलर ने वर्साय संधि के अन्याय को पूर्ववत करने
और जर्मन लोगों की गरिमा को बहाल करने, आर्थिक सुरक्षा का वादा करने
और सभी विदेशी प्रभावों और 'षड्यंत्रों' से मुक्त एक मजबूत जर्मन राष्ट्र बनाने का वादा किया।
(VI) उन्हें जर्मन मध्यम वर्ग के बीच मजबूत समर्थन मिला, जिन्हें आर्थिक पतन के कारण विनाश का खतरा था, जिसने बैंकों, व्यवसायों और कारखानों को बंद कर दिया था।
(VII) नाजी प्रचार, हिटलर के शक्तिशाली वक्तृत्व कौशल के साथ, हिटलर को एक उद्धारकर्ता के रूप में और नाज़ीवाद को जर्मन लोगों को तीव्र आर्थिक
और राजनीतिक संकट के समय में जीने के संकट से बचाने के साधन के रूप में सफलतापूर्वक
चित्रित किया।
प्र.5.
नात्सीवाद का प्रचार यहूदियो के विरूद्ध घृणा उत्पन्न करने में किस प्रकार प्रभावी
सिद्ध हुआ?
उत्तर - यहूदियों के लिए नफरत पैदा करने में नाजी
प्रचार कारगर था -
• भाषा और मीडिया का इस्तेमाल नाजियों द्वारा इस नस्लीय सिद्धांत
का पालन करते हुए प्रभावी ढंग से और बड़ी सावधानी से किया गया था कि यहूदी निचली जाति
के थे और उन्हें अवांछनीय माना जाता था।
• यहूदियों के प्रति अपनी घृणा को सही ठहराने के लिए, उन्होंने यहूदियों
के लिए पारंपरिक ईसाई घृणा के विचार को बढ़ावा दिया और लोगों का शोषण किया, क्योंकि उन पर आरोप
लगाया गया था कि उन्होंने यहूदियों के खिलाफ जर्मनों को पूर्व-न्यायिक बनाने के लिए
मसीह को मार डाला था।
• नाजियों ने स्कूलों के माध्यम से बच्चों के मन में भी यहूदियों
के प्रति घृणा का संचार किया जहां उन्हें अपनी नस्ल की शुद्धता के बारे में आक्रामक
और रूढ़िवादी होना सिखाया गया। जो शिक्षक यहूदी थे उन्हें बर्खास्त कर दिया गया और
यहूदी बच्चों को स्कूलों से निकाल दिया गया। नई पीढ़ी के बच्चों को इस तरह के तरीकों
और नए वैचारिक प्रशिक्षण ने यहूदियों के लिए नफरत पैदा करने में नाजी के प्रचार को
काफी प्रभावी बनाने में एक लंबा रास्ता तय किया।
• यहूदियों के लिए नफरत पैदा करने के लिए प्रचार फिल्में बनाई
गईं। रूढ़िवादी यहूदी रूढ़िवादी और चिह्नित थे। उदाहरण के लिए, ऐसी ही एक फिल्म
थी .द इटरनल ज्यू|
प्र.6.
वर्साय की संधि द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बनी. स्पष्ट कीजिये|
उत्तर - वर्साय की संधि –
·
प्रथम विश्व युद्ध के बाद विजयी मित्र राष्ट्रों ने जर्मनी के भविष्य का फैसला
किया। जर्मनी को वर्साय की संधि पर हस्ताक्षर करने के लिये मज़बूर किया गया था।
·
इस संधि के तहत जर्मनी को युद्ध का दोषी मानकर उस पर आर्थिक दंड लगाया गया, उसके प्रमुख खनिज और औपनिवेशिक क्षेत्र को ले लिये गया तथा उसे सीमित सेना
रखने के लिये प्रतिबद्ध किया गया।
·
इस अपमानजनक संधि ने जर्मनी में अति-राष्ट्रवाद के प्रसार का मार्ग प्रशस्त
किया।
इस संधि ने जर्मनी
में बड़ी समस्याएँ खड़ी कर दी जिसके कारण जर्मन नागरिकों में असंतोष और संधि से
उत्पन्न विपरीत हालातों को ख़त्म करने की इच्छा प्रबल होने लगी थी। वर्साय की संधि ने
जर्मनी को आर्थिक विनाश के कगार पर लाकर खड़ा दिया| इसे में एक असंतोषजनक सरकार, एक कट्टरपंथी आबादी, और एक अलग तरह
की सोच के जर्मन लोग। नफरत के अलावा और कुछ नहीं कर सकते थे| इस संधि ने उनके देश और उनके प्रभावों को नष्ट कर दिया था । उनकी नाराजगी और जर्मनी
को पुनः बेहतर सम्मान दिलाने की इच्छा ही थी जिसके कारण जर्मनी में हिटलर और फासीवाद
का उदय हुआ । जर्मन लोगों द्वारा हिटलर को पूरा समर्थन दिया गया ताकि वर्साय की संधि
द्वारा जर्मनी पर लगाए गए प्रतिबंधों को खत्म किया जा सके जिसकी परिणति द्वितीय विश्व
युद्ध की शुरुआत के रूप में हुई। यदि वर्साय की संधि बनाने वाले मित्र राष्ट्रों के
प्रतिनिधि भविष्य के बारे में अधिक चिंतित होते और तो जर्मनी को सजा देने के बजाय यूरोप
के भविष्य पर सोचते तो द्वितीय विश्व युद्ध कभी नहीं हुआ होता। परंतु वर्साय की संधि
की कठोर शर्तों के कारण द्वितीय विश्व युद्ध अपरिहार्य हो गया क्योंकि जर्मन लोगों के
लिए अपने राष्ट्र की सत्ता और एकता की वापसी की इच्छा करना स्वाभाविक था। अतः वर्साय
की संधि द्वितीय विश्व युद्ध का प्रमुख कारण बनी।
प्र. 7. नात्सीवाद की प्रमुख विशेषताओं
का वर्णन कीजिए।
उत्तरः नात्सीवाद का उदय जर्मनी में हुआ था। नात्सी
लोगों ने एडोल्फ हिटलर के नेतृत्व में आधुनिक काल की सर्वाधिक बर्बर तानाशाही की जर्मनी
में स्थापना की।
नात्सीवाद की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
1. यहूदी नस्ल सबसे घटिया नस्ल है तथा संसार की अन्य
सभी नस्लें यहूदी और जर्मन के बीच की नस्लें हैं।
2. हिटलर का मानना था कि लोगों को बसाने के लिए ज्यादा
से ज्यादा इलाकों पर कब्जा करना जरूरी है। इससे मातृदेश का क्षेत्रफल भी बढ़ेगा और नए
इलाकों में जाकर बसने वालों को अपने जन्म स्थान से सम्बन्ध बनाए रखने में कोई समस्या
नहीं आएगी।
3. वह पूर्व में जर्मनी की सीमाओं को फैलाना चाहता
था ताकि सारे जर्मनों को भौगोलिक दृष्टि से
एक ही जगह इकट्ठा किया जा सके।
4. नात्सीवाद के अनुसार राज्य सबसे ऊपर है। लोग राज्य
के लिए हैं न कि राज्य लोगों के लिए।
5. नात्सीवाद लोकतंत्र तथा साम्यवाद को जड़ से मिटा
देना चाहता था।
6. नात्सीवाद युद्ध तथा शक्ति के प्रयोग को राज्य
के विस्तार के लिए आवश्यक मानता था।
7. नात्सीवाद के अनुसार ब्लाँड, नीली आँखों वाले
नॉर्डिक जर्मन आर्य सर्वश्रेष्ठ नस्ल है। उसे अपनी शुद्धता बनाए रखनी चाहिए तथा उसे
ही पूरी दुनिया पर वर्चस्व स्थापित करने का हक है।
प्र. 8. वर्साय संधि के प्रावधानों
का उल्लेख कीजिए।
उत्तरः वर्साय संधि के प्रमुख प्रावधानों का विवरण
इस प्रकार है-
1. जर्मनी भविष्य में आक्रमणकारी नीति का अनुकरण
कर पुनः युद्ध न छेड़ दे, इसको रोकने के लिए जर्मनी की सैनिक शक्ति को घटा
दिया गया। जर्मनी में लामबंदी और अनिवार्य सैनिक शिक्षा की मनाही कर दी। उसकी सेना
की संख्या एक लाख निश्चित की गई। शस्त्र बनाने, उन्हें बाहर भेजने या बाहर से मँगवाने पर भी पाबंदी
लगा दी गई। जर्मनी के सैनिक विभाग की शक्ति सीमित कर दी गई। राइनलैण्ड और कील के क्षेत्रों
को सेना-रहित क्षेत्र करार दिया गया।
2. जर्मनी की जल-शक्ति में भी भारी कमी कर दी गई।
उसे पनडुब्बियाँ रखने की मनाही कर दी गई। उसे केवल 6 लड़ाई के जहाज, 6 हल्के और 12 टारपीडो
किश्तियाँ रखने का अधिकार दिया गया।
3. युद्ध की सारी जिम्मेदारी जर्मनी पर डाली गई।
उसे युद्ध क्षतिपूर्ति के रूप में 6 अरब 10 करोड़ पौंड की बड़ी धनराशि मित्र राष्ट्रों
को देने के लिए विवश किया गया।
4. जर्मनी ने 10 लाख टन कोयला प्रतिवर्ष फ्रांस को
और 80 लाख टन कोयला प्रतिवर्ष बेल्जियम और इटली को देना स्वीकार किया।
5. युद्ध के लिए जर्मनी के सम्राट कैसर विलियम को
जिम्मेदार ठहराया गया। उस पर मुकद्दमा चलाने का निर्णय किया गया परन्तु वह जर्मनी से
भाग कर हालैण्ड चला गया। अन्तः इस दिशा में कोई कदम न उठाया जा सका। इस प्रकार जर्मनी
के लिए यह संधि बड़ी अपमानजनक और घातक सिद्ध हुई और इसने जर्मनी को आर्थिक व सैनिक दृष्टि
से असहाय बना दिया।
6. आल्सेस और लोरेन के प्रांत फ्रांस को, यूपेन, मोर्सनेट और माल्मेडी
के तीन जिले बेल्जियम को, मेमल का तटवर्ती बंदरगाह लिथूनिया को और संपूर्ण
पश्चिमी प्रशिया के प्रदेश पोलैण्ड को दिए गए।
7. सार की घाटी की कोयले की खानों का अधिकार फ्रांस
को दिया गया। सार का शासन-प्रबन्ध 15 वर्ष के लिए लीग ऑफ नेशंस की अधीनता में एक अन्तर्राष्ट्रीय
कमीशन को सौंपा गया। 1935 में वहाँ जनमत हुआ और उसके आधार पर सार की घाटी को जर्मनी
के साथ मिला दिया गया।
8. राइनलैण्ड को सेना-रहित कर दिया गया। इस प्रदेश
में किलेबंदी तोड़ दी गई और भविष्य में जर्मनी को इसकी किलेबंदी करने की मनाही कर दी
गई।
9. डैजिग को लीग ऑफ नेशंस के अधीन एक स्वतन्त्र नगर
रखा गया। पोलैण्ड के विशेषाधिकारों को इसमें मान्यता दी गई।
10. हेलिगोलैंड और ड्यून की बंदरगाहों तथा उनकी किलेबंदी
को समाप्त कर दिया गया।।
11. बेल्जियम, पोलैण्ड और चैकोस्लोवाकिया को स्वतंत्र राज्यों की
मान्यता जर्मनी को देनी पड़ीं। पोलैंड को समुद्र तक पहुँचने के लिए जर्मनी के प्रदेशों
में से एक संत रास्ता दिया गया।
12. जर्मनी से उसका औपनिवेशिक साम्राज्य छीन लिया
गया और लीग ऑफ नेशन्स के अधीन इसका शासन विभिन्न मित्र-राष्ट्रों को सौंपा गया। पश्चिमी
अफ्रीका में जर्मन-उपनिवेश इंग्लैण्ड को दिए गए। कैमरून और टोगोलैण्ड को फ्रांस और
इंग्लैण्ड में बाँटा गया। सैमोया द्वीप न्यूजीलैण्ड को तथा शांतुग और क्याओ-चाओ जापान
को प्राप्त हुए।
प्र.9. नाजियों के अधीन शिक्षण संस्थाओं
का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
अथवा
नात्सी जर्मन बच्चे की नजर से जर्मनी
का इतिहास लिखें।
उत्तरः एडोल्फ हिटलर ने इस बात का अनुभव किया कि
बच्चों को नाजी विचारधारा सिखाकर ही नाजी समाज का निर्माण संभव है। अतः बच्चों को नाजी
विचारधारा में प्रशिक्षित करने के लिए विद्यालयों को माध्यम बनाया। इसके लिए नाजियों
ने निम्न प्रयास किए-
1. नाजियों ने सभी स्कूलों में सफाई और शुद्धीकरण
किया जिसका आशय था कि वे अध्यापक जो यहूदी थे अथवा जो राजनैतिक रूप से विश्वसनीय नहीं
थे, बर्खास्त कर दिए गए।
2. विद्यालयों में जर्मनों और यहूदियों को एक साथ
बैठने-खेलने की मनाही थी।
3. नाजियों द्वारा यूथ लीग की स्थापना 1922 ई. में
की गयी जिसका नाम बदलकर बाद में हिटलर ने ‘यूथ’ रख दिया।
4. ‘अवांछित बच्चे’, यहूदी, शारीरिक विकलांग, जिप्सी आदि को स्कूलों से बाहर निकाल दिया गया और
अंततः 1940 ई. में इन्हें गैस चैम्बरों में ले जाया गया।
5. स्कूलों की पाठ्य पुस्तकें पुनः लिखी गईं। नस्ल
के बारे में नाजी विचारधारा को सही ठहराने के लिए नस्ल विज्ञान विषयं लागू किया गया।
6. यहाँ तक कि गणित की कक्षाओं के जरिए भी यहूदियों
की खास छवि गढ़ने का प्रयास किया जाता।
7. बच्चों को वफादार, आज्ञाकारी बनना, यहूदियों से घृणा करना और हिटलर की पूजा करना सिखाया
जाता था।
8. खेल सिखाने का उद्देश्य बच्चों में हिंसा एवं
आक्रामकता पैदा करना था। हिटलर का विश्वास था कि मुक्केबाजी लड़कों को पत्थरदिल, मजबूत एवं मर्दाना
बना देगी।
9. युवा संगठनों को जर्मन युवकों को राष्ट्रीय समाजवाद
की भावना से लैस करने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
10. 10 वर्ष की आयु के बच्चों को युंगफोक (14 वर्ष
से कम आयु के नाजी बच्चों का संगठन) में दाखिल कराया जाता। 14 वर्ष की आयु में सभी
लड़कों को नाजी युवा संगठन हिटलर यूथ का सदस्य बनना पड़ता जहाँ वे युद्ध की पूजा, हिंसा व आक्रामकता
को गौरवान्वित करने, लोकतन्त्र की निन्दा करने, यहूदियों, कम्युनिस्टों, जिप्सी और अन्य इसी प्रकार के अवांछित वर्ग के लोगों
से घृणा करना सीखते थे।
11. 18 वर्ष की आयु में वे लेबर सर्विस में शामिल
हो जाते जिसके बाद उन्हें सेना में काम करना पड़ता था और किसी ‘एक नाजी संगठन की सदस्यता
लेनी पड़ती थी।
प्र. 10. जर्मनी में नासीवाद का प्रसार
किस प्रकार किया गया?
उत्तरः जर्मनी में नात्सीवाद का प्रसार इस प्रकार
किया गया-
(क) हिटलर ने 1921 ई. में नासी दल का गठन किया था।
उसने जर्मन राजधानी बर्लिन की ओर एक अभियान जारी कर सत्ता हासिल करने की योजना बनायी
थी, किन्तु वह पकड़ा गया तथा उसे जेल में डाल दिया गया। लेकिन सजा की अवधि पूरी होने
से पहले ही उसे छोड़ दिया गया।
(ख) जेल में ही उसने एक पुस्तक ‘मेरा संघर्ष’ लिखी।
इस पुस्तक में उसने नात्सी आन्दोलन के दर्शन और डरावने विचार व्यक्त किए। इस पुस्तक
में उसने बल प्रयोग, बर्बरतापूर्ण व्यवहार, महान् नेता द्वारा शासन की महिमा का गुणगान करने
के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीयता, लोकतंत्र वे शान्ति का मजाक उड़ाया। उसने जर्मन यहूदियों
के प्रति बहूत ज्यादा घृणा का प्रचार किया और उन्हें न सिर्फ प्रथम विश्वयुद्ध में
जर्मनी की हार के लिए बल्कि उसकी अनेक आर्थिक समस्याओं के लिए पूरा उत्तरदायी ठहराया।
उसने उग्र राष्ट्रवाद का प्रचार किया।
(ग) हिटलर के सत्तारूढ़ होने से पूर्व जर्मनी में
चुनाव हुए जिसमें नात्सी दल को समाजवादियों व कम्युनिस्टों को कुल मिलाकर जितने मत
मिले थे, उससे भी कम मत मिले थे। वह और उसका दल 650 स्थानों में से केवल
196 स्थान ही ले सका। हिटलर राजनीतिक षड्यंत्रों के जरिए सत्ता में आया। चुनावों में
विफलता के बावजूद जर्मनी के राष्ट्रपति हिंडेनबर्ग ने 30 जनवरी, 1933 ई. को उसे जर्मनी
वा चांसलर नियुक्त किया। हिटलर के सत्ता में आने के कुछ ही सप्ताहों के भीतर जर्मनी
में जनतंत्र का ढाँचा छिन्न-भिन्न हो गया।
(घ) सत्ता में आते ही हिटलर ने चुनाव कराने के आदेश
दिए तथा आतंक का राज्य स्थापित किया। नात्सी-विरोधी नेताओं की हत्या बड़े पैमाने पर
कराई गई। नात्सी लोगों ने 27 फरवरी, 1933 ई. को संसद भवन में आग लगा दी। अग्निकाण्ड के
लिए जर्मनी की कम्युनिस्ट पार्टी पर दोषारोपण कर उसे कुचल दिया गया। नात्सी लोगों द्वारा
आतंक फैलाने के बावजूद नात्सी दल को संसद में बहुसंख्यक स्थान नहीं मिल पाए। फिर भी, हिटलर ने तानाशाही
अधिकार ग्रहण कर लिए तथा वह राष्ट्रपति भी बन गया।
श्रमिक संघों को प्रतिबन्धित कर दिया गया। हजारों
समाजवादियों, कम्युनिस्टों और नात्सी-विरोधी राजनीतिक नेताओं को मंत्रणा शिविरों
में भेज दिया गया। नासी लोगों ने पुस्तकों को जलाना शुरू कर दिया। उन्होंने जर्मनी
एवं अन्य देशों के प्रतिष्ठित लेखकों की रचनाओं को आग के हवाले कर दिया। समाजवादियों, कम्युनिस्टों, यहूदियों को अपमानित
एवं प्रताड़ित किया गया। देश में सैन्यीकरण का एक विशाल कार्यक्रम आरम्भ किया गया। नात्सीवाद
की विजय न केवल जर्मन लोगों के लिए, बल्कि सम्पूर्ण यूरोप एवं विश्व के लिए विपत्ति सिद्ध
हुई। द्वितीय विश्व युद्ध को आरम्भ करने में इसकी प्रमुख भूमिका थी।
प्र. 11. जर्मन अर्थव्यवस्था पर आर्थिक
मंदी का प्रभाव बताइए।
उत्तरः आर्थिक मंदी का जर्मन अर्थव्यवस्था पर व्यापक
प्रभाव पड़ा। इस प्रभाव को निम्न रूप में प्रकट किया जा सकता है-
1. औद्योगिक उत्पादन 1929 ई. के मुकाबले 1932 ई.
में 40 प्रतिशत तक घट गया।
2. जैसे-जैसे मुद्रा का अवमूल्यन होता जा रहा था, मध्यवर्ग, खासतौर से वेतनभोगी
कर्मचारी और पेंशनधारियों की बचत भी सिकुड़ती जा रही थी।
3. कारोबार ठप्प हो जाने से छोटे-मोटे व्यवसायी, स्वरोजगार में लगे
लोग और खुदरा व्यापारियों की हालत भी खराब होती जा रही थी।
4. बड़ा व्यापार भी संकट में था।
5. किसानों का एक बहुत बड़ा वर्ग कृषि उत्पादों की
कीमतों में बेहिसाब गिरावट की वजह से परेशान था। महिलाएँ अपने बच्चों का पेट भर पाने
में असफल हो रहीं थीं।
6. मजदूर या तो बेरोजगार हो गए या उन्हें घटी हुई
मजदूरी मिली।
7. बेरोजगारी एक गम्भीर समस्या बन गई। बेरोजगार नौजवान
या तो ताश खेलते पाए जाते थे या नुक्कड़ों पर झुंड लगाए रहते थे या फिर रोजगार दफ्तरों
के बाहर लम्बी-लम्बी कतार में खड़े पाए जाते थे।
प्र.12. हिटलर की विदेश नीति के बारे में बताएं।
किन्हीं तीन विशेषताओं का उल्लेख करें।
उत्तर - प्रथम
विश्व युद्ध के बाद उत्पन्न परिस्थितियों से फासिस्ट शक्तियों का उदय हुआ,
जिसकी अभिव्यक्ति जर्मनी में हिटलर के नेतृत्व में नाजीवाद के रूप
में हुई। हिटलर की विदेश नीति जर्मन साम्राज्य के विस्तार पर आधारित थी, जो अंतत: द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण बनी।
वस्तुत:
हिटलर जर्मनी को विश्व का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्र बनाना चाहता था। इसलिये उसने अपनी
विदेश नीति के लिये निम्नलिखित उद्देश्य अपनाए:
§ वर्साय की संधि का उल्लंघन करना। इस संधि के प्रावधान
जर्मनी के लिये अपमानजनक थे तथा उस पर आरोपित किये गए थे।
§ अखिल जर्मन साम्राज्य की स्थापना करना। इसके लिये वह
विश्व में समस्त जर्मन जातियों को एकसूत्र में संगठित करना चाहता था।
- साम्यवाद के प्रसार
को रोकना।
- अपनी विदेश नीति की
अभिव्यक्ति तथा उसे अमलीजामा पहनाने के लिये कई आक्रामक कदम उठाए, जो
अंतत: द्वितीय विश्व युद्ध का कारण बनी, जैसे:
- 1933 में
राष्ट्र संघ से अलग होना।
- 1935 में
राइनलैंड का सैन्यीकरण करना।
- 1936 में
रोम-बर्लिन धुरी का निर्माण करना जिसमें जापान के शामिल होने पर यह
रोम-बर्लिन-टोकियो धुरी बन गया। यह साम्यवाद विरोधी गुट था।
- 1938 में
ऑस्ट्रिया पर हमला तथा बाद में चेकोस्लोवाकिया पर नियत्रंण।
- 1 सितंबर,
1939 को पोलैंड पर आक्रमण जिससे द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत
हुई।
प्र.13. हिटलर या नाजियों द्वारा डार्विन ओर स्पेंसर
के विचारों को किस तरह अपनाया गया। समीक्षा कीजिए।
उत्तर - हिटलर ने चार्ल्स डार्विन और हर्बर्ट स्पेंसर
जैसे विचारकों से नस्लवाद उधार लिया था। डार्विन एक प्राकृतिक वैज्ञानिक थे, जिन्होंने विकास
और प्राकृतिक चयन की अवधारणा के माध्यम से पौधों और जानवरों के निर्माण की व्याख्या
करने की कोशिश की। हर्बर्ट स्पेंसर ने बाद में योग्यतम की उत्तरजीविता का विचार जोड़ा।
इस विचार के अनुसार, पृथ्वी पर केवल वही प्रजातियाँ बची हैं जो बदलती जलवायु परिस्थितियों
के अनुकूल स्वयं को ढाल सकती हैं। डार्विन ने कभी भी मानवीय हस्तक्षेप की वकालत नहीं
की, जिसे उन्होंने सोचा था कि चयन की एक पूरी तरह से प्राकृतिक प्रक्रिया थी। हालाँकि, उनके विचारों का
इस्तेमाल नस्लवादी विचारकों और राजनेताओं द्वारा विजित लोगों पर शाही शासन को सही ठहराने
के लिए किया गया था।
नाजी तर्क सरल था: सबसे मजबूत दौड़ बच जाएगी और कमजोर
लोग नष्ट हो जाएंगे। आर्य जाति श्रेष्ठ थी। उसे अपनी पवित्रता बनाए रखनी थी, मजबूत बनना था और
दुनिया पर हावी होना था।
अभ्यास
हेतु विश्लेषणात्मकप्रश्न
प्र.1. एक शासक के रूप में हिटलर को आप कैसा मानते हैं? अपने शब्दों में व्याख्या कीजिए।
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धन्यवाद
आप सफल हों