अर्धवार्षिक परीक्षा 2023 सेट B का मॉडल उत्तर (MP Board)

अर्धवार्षिक परीक्षा 2023

कक्षा-10वी

विषय : सामाजिक विज्ञान Set-B

कुल प्रश्नों की संख्या : 23

समय 3:00 घण्टे                                                    पूर्णाक : 75

 

निर्देश :

1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।

2. प्रश्न क्रमांक से तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं जिनके लिए 1 x 30 = 30 अंक निर्धारित है।

3. प्रश्न क्रमांक से 17 तक प्रत्येक प्रश्न अंक का है। शब्द सीमा 30 शब्द है।

4. प्रश्न क्रमांक 18 से 20 तक प्रत्येक प्रश्न अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 75 शब्द है।

5. प्रश्न क्रमांक 21 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 120 शब्द है।

6. प्रश्न क्रमांक 23 मानचित्र प्रश्न है।

 मॉडल उत्तर

प्रश्न.सही विकल्प चुनिये -                                   (1x6=6)

(i) निम्नलिखित में से अजीव संसाधन है -

(क) मनुष्य                                         (ख) मत्स्य जीवन

(ग) चट्टानें                                         (घ) प्राणी जगत

उत्तर - (ग) चट्टानें

 

(ii) पहली महान क्रांति जिसने अपने मूल शब्दों “स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व” के साथ राष्ट्रवाद का स्पष्ट विचार दिया था -

(क) रुसी क्रांति                       (ख) फ्रांसीसी क्रांति

(ग) अमेरिकी क्रांति                  (घ) भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम

उत्तर - (ख) फ्रांसीसी क्रांति

 

(iii) साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान british पुलिस की लाथिचार्गे से शहीद हुए -

(क) बाल गंगाधर तिलक                (ख) विपिनचंद्र पाल

(ग) लाला लाजपतराय                    (घ) अरविन्द घोष

उत्तर - (ग) लाला लाजपतराय

 

(iv) लोकतंत्र के लिए आवश्यक है -

(क) धनबल                           (ख) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव

(ग) अशिक्षा                           (घ) निरंकुशता

उत्तर - (ख) स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव

 

(v) समवर्ती सूची का विषय है -

(क) शिक्षा                            (ख) सिंचाई

(ग) बैंकिंग                            (घ) पुलिस

उत्तर - (क) शिक्षा

 

 (vi) सामान्यतः किसी देश का विकास किस आधार पर निर्धारित किया जा सकता है -

(क) प्रति व्यक्ति आय                (ख) औसत साक्षरता स्तर

(ग) लोगों की स्वास्थ्य स्थिति        (घ) उपरोक्त सभी

उत्तर - (क) प्रति व्यक्ति आय

 

 प्रश्न 2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए                  (1x6=6)

 (i)   जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान .................... राज्य में स्थित है।

उत्तर – उत्तराखंड

(ii)   ........................................... को सुनहरा रेशा कहा जाता है।

उत्तर – जूट

(iii)   श्रीलंका की राजधानी ................................................... है।

उत्तर – कोलम्बो

(iv)   भारत में संघवाद की प्रणाली को .. देश के संविधान से ग्रहण किया गया।

उत्तर – कनाडा

(v)   भारत में करेंसी नोट .................................... जारी करता है।

उत्तर – रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया

(vi)   भारत में वयस्क मताधिकार की उम्र ........................ वर्ष है।

उत्तर – 18 वर्ष

 

प्रश्न. सत्य/असत्य की पहचान कीजिये-                                       (1x6=6)

 i. पुरानी जलोढ़ मृदा को बांगर भूमि कहा जाता है।               - सत्य

ii. रिहंद बाँध गंगा नदी पर बनाया गया है।                            - असत्य

iii. भारत का पहला लौह एवं इस्पात संयंत्र जमशेदपुर में स्थापित किया गया  

   था                                                                                 - सत्य

iv. जातिवाद, लोकतंत्र के मार्ग में बाधक नहीं है                          - असत्य

v. वैश्वीकरण के कारण मिले लाभ में श्रमिकों को न्याय संगत हिस्सा नहीं

   दिया गया है।                                                                - सत्य

vi. लैंगिक विभाजन से अभिप्राय पुरुषों और महिलाओं के बीच विभाजन से

   है।                                                                                - सत्य

 

प्रश्न. 4 सही जोड़ी बनाइये-                                      (1x6=6)

(अ)                                                               (ब)

i. सरदार सरोवर बाँध                                      अ. महानदी

ii. हीराकुंड बाँध                                             ब. केरल

iii. सोयाबीन                                                  स. जर्मनी

iv. औद्योगिक क्रांति                                        द. इंग्लैंड

v. बिस्मार्क                                                    इ. नर्मदा नदी

vi. सर्वाधिक साक्षर राज्य                                  फ. मध्यप्रदेश

उत्तर -        (अ)                                                                    (ब)

i. सरदार सरोवर बाँध                                     इ. नर्मदा नदी

ii. हीराकुंड बाँध                                            अ. महानदी

iii. सोयाबीन                                                 फ. मध्यप्रदेश

iv. औद्योगिक क्रांति                                       द. इंग्लैंड

v. बिस्मार्क                                                  स. जर्मनी

vi. सर्वाधिक साक्षर राज्य                                ब. केरल

 

प्रश्न 5 एक शब्द / वाक्य में उत्तर लिखिये -                        (1x6=6)


(i)  कांग्रेस के किस अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की मांग की गई थी?

उत्तर – 31 दिसम्बर 1929 को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का वार्षिक अधिवेशन तत्कालीन पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में हुआ। इस ऐतिहासिक अधिवेशन में कांग्रेस के 'पूर्ण स्वराज' का घोषणा-पत्र तैयार किया तथा 'पूर्ण स्वराज' को कांग्रेस का मुख्य लक्ष्य घोषित किया।

(ii) प्रथम विश्व युद्ध के मित्र देश कौन – कौन थे?

उत्तर –फ्राँस, रूस और ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देश शामिल थे।

(iii)  प्रति व्यक्ति आय ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।

उत्तर – प्रति व्यक्ति आय = कुल राष्ट्रीय आय / कुल जनसँख्या

(iv)  विकास की प्रारंभिक अवस्था में सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रक कौन – सा है?

उत्तर – प्राथमिक क्षेत्रक अथवा कृषि क्षेत्रक

(v)  किस बेरोजगारी को छिपी हुई बेरोजगारी भी कहते हैं?

उत्तर – प्रछन्न बेरोजगारी

(vi)  सकल घरेलु उत्पाद का मापन कौन करता है?

उत्तर – केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय भारत में सकल घरेलू उत्पाद को मापता है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत भारत में एक सरकारी एजेंसी है।


प्र.6- मृदा अपरदन के कोई दो कारण लिखिए।                             2

अथवा

जलोढ़ मृदा की कोई दो विशेषताएं लिखिए।

उत्तर - मृदा अपरदन के कारण –

1.       वनों का उन्मूलन

2.       खनन

3.       अति पशुचारण

4.       अधिक सिंचाई

5.       कृषि कार्य

अथवा

जलोढ़ मृदा की दो विशेषताएं –

1.       यह मृदा नदियों द्वारा निक्षेप के रूप में बहाकर लाई जाति है.

2.       जलोढ़ मृदा में रेत, सिल्ट और मृत्तिका के विभिन्न अनुपात पाए  

     जाते हैं.

3.       जलोढ़ मृदा बहुत उपजाऊ होती है.

4.       जलोढ़ मृदा में पोटाश, फोस्फोरस और चूना पाया जाता है.

5.       पुरानी जलोश मृदा को भांगर कहते हैं.

6.       नई जलोढ़ मृदा को खादर कहते हैं.

7.       जलोढ़ मृदा में गन्ना, चावल, गेहूं आदि उगाते हैं.

प्र7- उत्पत्ति के आधार पर संसाधन के प्रकार लिखिए।                   2

अथवा

मृदा संरक्षण के कोई दो उपाय लिखिए।

उत्तर – उत्पत्ति के आधार पर संसाधन के दो प्रकार होते हैं  –

1.       जैव संसाधन

2.       अजैव संसाधन

अथवा

मृदा संरक्षण के दो उपाय निम्नलिखित हैं  –

1.       समोच्च जुताई अथवा सोपान कृषि अथवा सीढ़ीदार कृषि

2.       पट्टी कृषि

3.       रक्षक मेखला बनाकर

4.       जैविक खेती

5.       वन संरक्षण

6.       वृक्षारोपण

7.       बाढ़ नियंत्रण

8.  नियोजित चराई

9.  मेढ बंधान

10. सिंचाई की आधुनिक विधि  

 

प्र.8-. आरक्षित वनों से क्या तात्पर्य है?                              2

अथवा

भारत में वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 द्वारा वनों की सुरक्षा का क्या प्रावधान है? लिखिए।

उत्तर -  आरक्षित वन (सुरक्षित वन) (Reserved Forest) :- इसके अंतर्गत स्थानीय वन क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है। जिनका रख-रखाव इमारती लकड़ीअन्य वन उत्पादों को प्राप्त करने और उनके बचाव के लिए किया जाता है।

o  इनमें पशुओं को चराने की अनुमति प्राप्त नहीं होती है।

o  देश के आधे से अधिक वन क्षेत्र आरक्षित वन के अंतर्गत शामिल है।

o  इस प्रकार के वन क्षेत्र को सबसे अधिक मूल्यवान माना जाता है।

अथवा

वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 के मुख्य प्रावधान :-

o  यह अधिनियम जंगली जानवरोंपक्षियों और पौधों को संरक्षण प्रदान करता है।

o  इस अधिनियम के तहत दुर्लभ तथा संकटग्रस्त प्रजातियों का शिकार करना प्रतिबंध है।

o  वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए समिति का गठन करना है।

o  संपूर्ण भारत में संरक्षित जातियों की सूची भी प्रकाशित की गई है।

o  पशु-पक्षियोंजीवों तथा पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाने पर 3 से 10 साल तक की सजा का भी प्रावधान किया गया।

o  इस अधिनियम में जुर्माना 10 हजार से 25 लाख हो सकता है।

o  कानूनी प्रावधान को 6 अनुसूचियों में वर्णित किया गया है।

o  वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम-1972 को संसद में पारित होने के बाद देशभर में अभ्यारण और राष्ट्रीय उद्यानों के माध्यम से कई भागों में संकटग्रस्त जीव के संरक्षण के लिए कई परियोजनाओं की शुरुआत की।

प्र.9- प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि की दो विशेषताएं लिखिए।           2

अथवा

भारतीय कृषि की दो समस्याएं लिखिए।

उत्तर - प्रारंभिक जीविका निर्वाह कृषि की दो विशेषताएं निम्नलिखित हैं  :-

(1) इसका उद्देश्य कृषि करके जीवन निर्वाह करना होता है।

(2) जीविका चलाने, परिवार का पोषण करने के लिए कृषि की जाती है।

(3) इस प्रकार की कृषि प्रायः मानसून पर निर्बह्र होती है।

(4) यह कृषि मृदा की प्राकृतिक उर्वरता और फसल उगाने के लिए अन्य पर्यावरणीय पारिस्थितियों की उपयुक्तता पर निर्भर करती है।

अथवा

भारतीय कृषि की समस्याएं की प्रमुख समस्याएं निम्नलिखित हैं –

1.  अन्तराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा – विश्व व्यापार संगठन के माध्यम से विकसित देशों के दबाव में भारत के किसानों को रासायनिक उर्वरकों पर सहायिकी (सब्सिडी) कम मिलने से उत्पादन लागत बढ़ रही है। साथ ही कृषि उत्पादों पर आयात कर घटाने से भी देश की कृषि पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहे हैं। जिससे किसान अन्तराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे हैं।

2.  कम पूँजी निवेश – किसान कृषि में स्वयं की पूँजी निवेश कम कर रहे हैं, जिसके कारण कृषि रोजगार घट रहे हैं।

3.  भारतीय कृषि पर जनसंख्या का भारी दबाव - हमारी जनसंख्या का बहुत बड़ा हिस्सा कृषि पर निर्भर करता है, इसलिए कृषि पर हमारी जनसंख्या का दबाव बहुत अधिक है। इसका कारण हमारी कृषि में यन्त्रीकरण का कम उपयोग है। अधिकांश कृषि कार्य किसान तथा उसके परिवार के सदस्य हाथों से करते हैं, जिससे प्रति व्यक्ति कृषि उत्पादन कम होता है।

4.  मिट्टी की उपजाऊ शक्ति का कम होना - भारत में हजारों वर्षों से खेती होती जा रही है। सदा से उसी भूमि पर लगातार खेती होने के कारण मिट्टी की उपजाऊ शक्ति बहुत कम हो जाती है। आर्थिक साधनों के अभाव के कारण बहुत से किसान रासायनिक खादों का प्रयोग नहीं कर पाते।

5.  सिंचाई की सुविधाओं का अभाव - भारत में वर्षा मानसून पवनों द्वारा होती है जिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। इसलिए नियमित रूप से कृषि करने के लिए सिंचाई की सुविधाओं का पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होना अति आवश्यक है।

6.  श्रम प्रधान कृषि - भारतीय कृषि श्रम प्रधान कृषि है जिसमें खेत को जोतने, समतल करने, बोने, कटाई एवं घटाई करने, सिंचाई करने, फसल काटने और अनाज निकालने का सारा काम मानवीय श्रम द्वारा किया जाता है। अतः कृषि कार्यों के लिए अधिक व्यक्तियों की आवश्यकता होती है और प्रति व्यक्ति उत्पादकता निम्न स्तर की होती है।

7.  किसानों का रूढ़िवादी एवं भाग्यवादी होना - अधिकांश भारतीय किसान परिश्रम की अपेक्षा भाग्य में अधिक विश्वास करते हैं। वे सदियों से चली आ रही रूढ़ियों का पालन करते है और कृषि की नई पद्धति को अपनाने में संकोच करते हैं। इसके अतिरिक्त अधिकांश भारतीय किसान अशिक्षित एवं अप्रशिक्षित है जिससे वे चाहते हुए भी कृषि की नई विधियों को नहीं अपना सकते।

प्र.10- दांडी यात्रा का उद्देश्य क्या था?                                        2

अथवा

गाँधी – इरविन समझौता क्या था?

उत्तर – दांडी यात्रा का मुख्य उद्देश्य समुद्र के जल से नमक बनाकर अंग्रेजों के बनाये नमक कानून का को तोड़ना था। ताकि इस माध्यम से पूर्ण स्वराज की माँग को जन – जन तक पहुंचा कर सविनय अवज्ञा आन्दोलन को आरंभ किया जा सके।

अथवा

5 मार्च, 1931 को हुए गांधी-इर्विन समझौते के तहत गांधी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन को स्थगित करने तथा कांग्रेस द्वारा द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने का आश्वासन तत्कालीन वायसराय लार्ड इर्विन को दिया गया। इसके बदले में सरकार राजनीतिक बंदियों को रिहा करने के लिए राजी हो गई।

प्र.11- भारतीयों ने साइमन कमीशन का विरोध क्यों किया?             2

अथवा

असहयोग आन्दोलन में चौरा-चौरी की घटना का क्या महत्त्व है?

उत्तर – भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करने और उसपर सुझाव देने के लिए साइमन कमीशन का गठन किया गया था किन्तु इस आयोग में एक भी भारतीय सदस्य सम्मिलित नहीं था जिसे भारतियों ने अपना अपमान समझा और साइमन कमीशन का विरोध किया।         

अथवा

असहयोग आंदोलन पूर्णतः अहिंसक आंदोलन था जिसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं था। लेकिन 5 फरवरी, 1922 को गोरखपुर (उत्तरप्रदेश) के चौरा-चौरी नामक स्थान पर आंदोलनकारियों की भीड़ ने पुलिस थाना पर हमला कर अनेक पुलिसकर्मियों को जिंदा जला दिया। इस घटना से गाँधीजी काफी दुखित हुए और उन्होंने तत्काल असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय किया। 

.12- भूमंडलीकरण या वैश्वीकरण से क्या तात्पर्य है ?                      2

अथवा

कॉर्न लॉ क्या था?

उत्तर - भूमंडलीकरण एक परिघटना न होकर एक 'प्रक्रिया' है, जो क्रमशः एवं चरणबद्ध तरीके से वैश्विक समुदाय को एकीकृत करने का प्रयास कर रही है। अर्थात विभिन्न देशों के बीच परस्पर सम्बन्ध और तीव्र एकीकरण की प्रक्रिया ही वैश्वीकरण या भूमंडलीकरण है।

अथवा

ब्रिटेन सरकार ने बड़े भू-स्वामियों के दबाव में सरकार ने मक्का के आयात पर पाबंदी लगा दी थी। जिन कानूनों के सहारे सरकार ने यह पाबंदी लागू की थी उन्हें 'कॉर्न लॉ' कहा जाता था।

 

प्र.13गुमास्ता कौन थे?                                           2

अथवा

स्पिनिंग जेनी क्या है?

उत्तर - फ़ारसी में गुमास्ता का अर्थ एजेंट होता है। गुमाश्ता ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के द्वारा नियुक्त वेतन भोगी भारतीय प्रतिनिधि थे जो कंपनी को उत्पाद उपलब्ध कराने के लिए कारीगरों और स्थानीय बुनकरों के साथ सौदे करते थे। उन्होंने बुनकरों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। उन्होंने सामग्री एकत्र की और कपड़े की गुणवत्ता का विश्लेषण किया।

अथवा

जेम्स हरग्रीब्ज द्वारा 1764 में बने गई एक कताई करने की मशीन थी। जिसने मजदूरों की मांग कपड़ा उद्योग में घटा दी थी, इसमें एक ही मजदूर एक ही पहिया के घुमा कर अनेक तकलियों से धागा बना लेता था।

प्र.14- सत्ता का विकेन्द्रीकरण किसे कहते हैं?                             2

अथवा

संघवाद क्या है?

उत्तर -  सत्ता के विकेंद्रीकरण से तात्पर्य सत्ता अथवा शक्ति के समान वितरण से होता है। इस व्यवस्था में सत्ता का वितरण केवल एक स्थान पर केन्द्रीयकृत न होकर अनेक स्थानीय स्तर पर विभाजित कर दिया जाता है, जिससे सत्ता में सबकी समान भागीदारी हो जाती है।

अथवा

संघवाद सरकार की एक प्रणाली है जिसमें शक्ति को एक केंद्रीय प्राधिकरण और देश की विभिन्न घटक इकाइयों के बीच विभाजित किया जाता है। आमतौर पर संघवादी व्यवस्था में दो स्तर पर सरकारें होती हैं। एक सरकार पूरे देश के लिए और दूसरी प्रान्त के स्तर की।


प्र.15सेवा क्षेत्र को परिभाषित कीजिये।                                         2

अथवा

 संगठित क्षेत्रक के कोई दो लाभ बताइए?

उत्तर – अर्थव्यवस्था के तृतीयक क्षेत्रक की गतिविधियाँ जिसमें वस्तुओं के बजाय सेवाओं का सृजन होता है उसे सेवा क्षेत्रक कहते हैं। जैसे – परिवहन,  बैंकिंग, बीमा, अध्यापन आदि।

अथवा

संगठित क्षेत्रक के दो लाभ निम्नलिखित हैं –

1.  रोजगार की अवधि नियमित होती है।

2.  लोगों के पास सुनिश्चित काम होता है।

3.  ये क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं।

4.  इन क्षेत्रकों में सरकारी नियमों तथा विनियमों का पालन होता है।

5.  कार्य के घंटे निर्धारित होते हैं।

6.  कर्मचारियों को रोजगार सुरक्षा के लाभ मिलते हैं।

7.  अधिक कार्य करने पर नियोक्ता द्वारा अतिरिक्त वेतन दिया जाता है।

8.  सवैतनिक अवकाश तथा साप्ताहिक अवकाश का लाभ मिलता है।

9.  चिकित्सीय लाभ पाने का हक मिलता है।

10.            सेवानिवृत्त होने पर पेंशन का लाभ मिलता है।

 

प्र.16मुद्रा का क्या अर्थ है?                                                   2

अथवा

स्वयं सहायता समूह के कोई दो कार्य बताइए?

उत्तर – मुद्रा वस्तुओं और सेवाओं के आदान-प्रदान के साधन के रूप में कार्य करती है। कागज या सिक्कों के रूप में सरकार द्वारा जारी किया गया और अंकित मूल्य पर स्वीकार किया जाने वाला धन, मुद्रा के रूप में जाना जाता है। वस्तु विनिमय में, वस्तुओं और सेवाओं का अन्य वस्तुओं और सेवाओं के लिए सीधे आदान-प्रदान किया जाता था। अर्थात मुद्रा का अर्थ वस्तु विनिमय का माध्यम है।

अथवा

स्वयं सहायता समूह के कोई दो कार्य निम्नलिखित हैं –

1.  सदस्यों के लिए स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराना

2.  समूह को बैंकों से ऋण लेने हेतु साख निर्माण करना।

3.  कर्जदारों को ऋणआधार की कमी की समस्या से उबरने में मदद करता है।

4.  ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों को संगठित करने में मदद करता है।

5.  विशेषकर महिलाओं को स्वाबलंबी बनाने में सहायता करता है।

 

प्र.17वैश्वीकरण को बढ़ावा देने वाले कारक कौन – कौन से हैं?             2

अथवा

वैश्वीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई दो प्रभाव लिखिए।

उत्तर – वैश्वीकरण को संभव बनाने वाले कारक :-

1.  प्रौद्योगिकी का विकास - प्रौद्योगिकी में तीव्र उन्नति वह मुख्य कारक है जिसने वैश्वीकरण की प्रक्रिया को उत्प्रेरित किया। 

2.  परिवहन में सुधार –विगत पचास वर्षों में परिवहन प्रौद्योगिकी में बहुत उन्नति हुई है। इसने लम्बी दूरियों तक वस्तुओं की तीव्रतर आपूर्ति को कम लागत पर संभव किया है।

3.  सूचना प्रौद्योगिकीवर्तमान समय में दूरसंचारकंप्यूटर और इंटरनेट के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी द्रुत गति से परिवर्तित हो रही है। दूरसंचार सुविधाओं (टेलीग्राफटेलीफोनमोबाइल फोन एवं फैक्स) का विश्व भर में एक-दूसरे से सम्पर्क करनेसूचनाओं को तत्काल प्राप्त करने और दूरवर्ती क्षेत्रों से संवाद करने में प्रयोग किया जाता है।

4.  दूरसंचार एवं संचार उपग्रह – उपरोक्त सुविधाएँ संचार उपग्रहों द्वारा सुगम हुई हैं। इंटरनेट से हम तत्काल इलेक्ट्रॉनिक डाक (ई-मेल) भेज सकते हैं और अत्यंत कम मूल्य पर विश्व-भर में बात (वॉयस मेल) कर सकते हैं।

5.  सरकार द्वारा अवरोधों की समाप्ति (उदारीकरण की प्रक्रिया) - बीसवीं शताब्दी के मध्य तक उत्पादन मुख्यतः देशों की सीमाओं के अन्दर ही सीमित था। अनेक देशों ने अपने द्वारा उत्पादित वस्तुओं को विदेशी प्रतियोगिता से बचाने के लिये अनेक प्रकार के कठोर प्रतिबन्ध लगा दिये थे। भारत ने भी 1950 एवं 1960 के दशकों में केवल अनिवार्य वस्तुओं जैसे मशीनरी, उर्वरक और पेट्रोलियम के आयात की ही अनुमति दी थी। इस नीति से देश में अनेक उद्योगों का विकास हुआ और भारत अनेक क्षेत्रों में आत्मनिर्भर बन गया। किन्तु 1970 एवं 1990 के दशकों में अनेक ऐसे परिवर्तन हुए, जिनसे विदेशी व्यापार को उदार बनाने की प्रक्रिया प्रारंभ हुई। सन् 1995 में विश्व व्यापार संगठन की स्थापना के बाद प्रायः विश्व के सभी देशों ने अपने आयात करों में कमी की है और अपने देश के बाजार को अन्य देशों के लिये खोल दिया है।

6.  प्रतियोगिता एवं बाजार का विस्तार – पूंजीवादी आर्थिक प्रणाली में प्रतियोगिता का विशेष महत्व है। इस प्रणाली में विभिन्न उत्पादक कम्पनियाँ बाजारों पर कब्जा करने के उद्देश्य से प्रतियोगिता का सहारा लेती हैं। इसके लिये ये कम्पनियाँ कीमत कम करने के साथ-साथ विज्ञापनों एवं प्रचार-प्रसार के विभिन्न माध्यमों का उपयोग करती हैं।

7.  बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का विस्तार- दूरस्थ देशों को आपस में जोड़ने में बहुराष्ट्रीय कम्पनियों का विशेष महत्व है। ये कम्पनियाँ उन देशों में उत्पादन के लिए कारखाने स्थापित करती हैं, जहाँ उन्हें सस्ता श्रम एवं अन्य साधन मिलते हैं। इससे उत्पादन लागत में कमी आती है। तथा कम्पनियों की प्रतियोगिता करने की क्षमता बढ़ जाती है।
बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ केवल वैश्विक स्तर पर ही अपने उत्पादन नहीं बेचतीं, वरन् अधिक महत्वपूर्ण यह है कि वे वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन विश्व स्तर पर करती हैं।

अथवा

उत्तर: भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्वीकरण का प्रभाव इस प्रकार है:

1.  इसने स्थानीय और विदेशी दोनों उत्पादकों के बीच प्रतिस्पर्धा पैदा कर दी है, जो उपभोक्ताओं, विशेषकर संपन्न लोगों के लिए फायदेमंद है। अब उपभोक्ताओं के सामने वस्तुओं के अधिक विकल्प मौजूद हैं।

2.  इसने कई भारतीय कंपनियों को टेट मोटर्स, इंफोसिस और रैनबैक्सी जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां बनने में सक्षम बनाया है।

3.  इसने विशेष रूप से सूचना प्रौद्योगिकी सेवाएं प्रदान करने वाली कंपनियों के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा किए हैं। डेटा एंट्री, अकाउंटिंग, प्रशासनिक कार्य जैसी कई सेवाएं भारत में सस्ते में की जाती हैं और दूसरे देशों में निर्यात की जाती हैं।

4.  इलेक्ट्रॉनिक्स, सेल फोन, ऑटोमोबाइल और फास्ट फूड जैसे उद्योगों में नई नौकरियाँ पैदा होती हैं।

5.  इसका छोटे निर्माताओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। प्रतिस्पर्धा के कारण, कुछ उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुए हैं जैसे बैटरी, कैपेसिटर, प्लास्टिक के खिलौने, वनस्पति तेल आदि। कई इकाइयाँ बंद हो गई हैं और बहुत सारे कर्मचारी बेरोजगार हो गए हैं।

प्र.18भारत में वन संरक्षण के तीन उपाय लिखिए।                       3

अथवा

जैव विविधता को प्रभावित करने वाले कोई तीन कारकों का वर्णन कीजिये।

उत्तर – भारत में वन संरक्षण के तीन उपाय निम्नलिखित हैं -  

(1) वृक्षारोपण :- वनों का विस्तार ही वनों का सर्वोत्तम संरक्षण है। भारतीय राष्ट्रीय वन नीति में उल्लेखित 33 प्रतिशत वन भूमि के लिए ठोस प्रयास किया जाना है। वन विहीन पहाड़ोंपठारों एवं अन्य खाली क्षेत्रों में वृक्षों का रोपण किया जाना चाहिए।

(2) वनों की कटाई पर रोक :- वनों की कटाई पर कठोरता से रोक लगाई जानी चाहिए। प्राकृतिक वनों को काटे जाने पर उनके स्थान पर शीघ्र पनपने वाले वृक्षों को लगाना चाहिए। आदिवासी क्षेत्रों में वनों को कांटकर खेती करने की प्रथा पर पूर्णरूप से रोक लगायी जानी है।

(3) वनों को आग से बचाना :- वनों में आग लगने की समस्या सामान्य हो गयी है। अतः वनों में अग्नि शमन के लिए आवश्यक उपकरण तथा प्रशिक्षित कर्मचारियों को तैयार किया जाना चाहिए।

(4) परिवहन के मार्गो का विकास :- वनों को सुरक्षित रखने के लिए जंगली क्षेत्रों में सड़कों का विकास तथा संचार के साधनों का विकास करना नितान्त आवश्यक है। इससे वनों को सुरक्षित रखने में शासन को आसानी होगी।

(5) वानिकी विकास :- वनों को संरक्षण प्रदान करने के लिए परम्परागत वानिकी के अतिरिक्त कृषि वानिकीविस्तार वानिकीरक्षापंक्ति वानिकी के साथ-साथ सामाजिक वानिकी विकास पर ध्यान दिया जाना चाहिए।

(6) समुदायों की भागीदारी – सरकार के साथ साथ भारत में वनों के संरक्षण के लिए समुदायों की भागीदारी को भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए जैसा कि भैंरोदेव डाकव परियोजना, चिपको आन्दोलन आदि में दिखाई देती है।

(7) जनजातीय परम्पराओं को प्रोत्साहन और प्रचार – भारत की जनजातियों द्वारा वनों की पूजा की परंपरा को आम जन समुदाय के बीच प्रचारित कर लोगों के मन में वनों के प्रति आदर और सम्मान के भाव जाग्रत करके भी वन संरक्षण किया जा सकता है।

अथवा

 उत्तर – जैव विविधता को प्रभावित करने वाले तीन कारक निम्नलिखित हैं –

1. जंगलों का विनाश – उपनिवेश काल में रेललाइन, कृषि व्यवसाय, वाणिज्य-वानिकी और खनन प्रक्रियाओं के कारण वनों का जो विनाश हुआ वह आज़ादी के बाद भी कृषि जरूरतों के कारण जारी रहा जिससे जैव विविधता प्रभावित हुई।

2. शिकार करना – खूंखार जंगली जानवरों का शिकार कर बहादुरी दिखाने की प्रवृत्ति हो या मनोरंजन तथा भोजन हेतु अन्य जानवरों का शिकार करने से जैव विविधता गंभीर रूप से प्रभावित हुई है।

3. वन औषधियों का दोहन – औषधीय पौधों का दोहन तो किया जा रहा है किन्तु उनका रोपण और पोषण नहीं किया जा रहा है फलस्वरूप in पौधों के विनाश ने इनसे सम्बंधित जैव विविधता को प्रभावित किया है।

4. वन क्षेत्र में कमी – स्थानान्तरी कृषि जैसी खेती ने विशेषकर जनजातीय क्षेत्रों में वनों का गंभीर दोहन किया है।

5. विकास परियोजनाएं – बड़ी – बड़ी विकास परियोजनाओं के कारण न केवल पर्यावरण प्रदूषण जैसा गंभीर खतरा आया है बल्कि ग्लोबल वार्मिंग के संकट ने विभिन्न जीवों के जीवन पर संकट ला दिया है।

6. संसाधनों का असमान बंटवारा – विकसित देशों के नागरिकों द्वारा अपनी अमीरी का फायदा उठाकर अत्यधिक वन संसाधनों का उपभोग किया जाता है जबकि संसाधनों की कमी का ठीकरा अधिक जनसँख्या वाले विकासशील देशों पर फोड़ दिया जाता संसाधनों का यह असमान उपभोग और बंटवारा भी जैव विविधता को प्रभावित करता है।

7. वनों में आग लगना – दावानल जैव विविधता के विनाश का एक प्रमुख कारण है।

8. लोगों का जागरूक न होना – लोगों में जागरूकता का आभाव होने से जहाँ पेड़ की डाली काट देने मात्र से काम हो सकता है वहां भी पूरा पेड़ काट कर नुकसान कर दिया जाता है।

9. जलवायु परिवर्तन - ग्लोबल वार्मिंग पिछली दो शताब्दियों में पृथ्वी के औसत तापमान में दीर्घकालिक वृद्धि है। तापमान में यह वृद्धि वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और अन्य ग्रीनहाउस गैसों की बढ़ती सांद्रता के कारण है। ग्लोबल वार्मिंग के कारण क्षेत्रों की जलवायु में बदलाव आया है क्योंकि इसने ऋतुओं के चक्र को बिगाड़ दिया है।

10. प्राकृतिक आपदाएं - सूखा, बाढ़ और तूफान पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान पहुंचाते हैं और आवास और भोजन को नष्ट कर देते हैं। वे खाद्य जाल को भी बदल सकते हैं, जिससे पौधों और जानवरों के लिए क्षेत्र को फिर से आबाद करना मुश्किल हो जाएगा। सूखा भी तेजी से विशाल क्षेत्रों को नष्ट कर सकता है और आग को बढ़ावा दे सकता है जो जैव विविधता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। ज्वालामुखी, जंगल की आग, बाढ़, तूफान, सूखा, प्लेग और सुनामी जैसी प्राकृतिक आपदाएँ जैव विविधता के लिए विनाशकारी हो सकती हैं।


प्र.19भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति का विभाजन किस प्रकार किया जाता है?                                                  3

अथवा

संघीय शासन व्यवस्था की कोई तीन प्रमुख विशेषताएं लिखिए।

उत्तर -  भारतीय संविधान में केंद्र और राज्यों के बीच शक्ति का विभाजन निम्नानुसार किया गया है -

भारत के संविधान में मौलिक रूप से दो स्तरीय शासन व्यवस्था का प्रावधान किया गया था। एक केन्द्र सरकार जिसका प्रमुख राष्ट्रपति होता है और प्रधानमंत्री के माध्यम से शासन संचालित करता है। जिसे संघ सरकार भी कहते हैं। दूसरा राज्य सरकारें होती हैं जिनका प्रमुख राज्यपाल होता है और वह मुख्यमंत्री के माध्यम से शासन संचालित करता है।

बाद में 1992 को पंचायतों और नगरपालिकाओं के रूप में संघीय शासन का तीसरा स्तर भी जोड़ा गया।

संविधान में स्पष्ट रूप से केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच विधायी अधिकारों को तीन हिस्सों में बाँटा गया है। ये तीन सूचियाँ निम्नलिखित हैं :- 

1. संघ सूची :- इसमें राष्ट्रीय महत्व के विषय जैसे – प्रतिरक्षा, विदेशी मामले, संचार, बैंकिंग और मुद्रा इत्यादि शामिल हैं।

2. राज्य सूची :- इस सूची में स्थानीय और प्रांतीय महत्व के विषय होते हैं - जैसे – पुलिस, वाणिज्य और व्यापर, इत्यादि

3. समवर्ती सूची :- इस सूची में वे विषय होते हैं जो केन्द्र के साथ प्रांतीय सरकारों की साझा दिलचस्पी में आते हैं।

4. बाकी बचे विषय (अवशिष्ट शक्ति) :- ऐसे विषय जो किसी भी सूची में नहीं आते उनको केन्द्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में चले जाते हैं।

अथवा

(i) सरकार के दो या दो से अधिक स्तर - संघवाद सरकार की एक प्रणाली है जिसमें सरकारी शक्ति को एक केंद्रीय प्राधिकरण और उसकी विभिन्न घटक इकाइयों के बीच विभाजित किया जाता है। आमतौर परएक संघ में सरकार के दो स्तर होते हैं। एक पूरे देश के लिए सरकार हैऔर दूसरी राज्य या प्रांतीय स्तर पर सरकारें हैं।

(ii) समान नागरिक अलग क्षेत्राधिकार - सरकार के विभिन्न स्तर समान नागरिकों को नियंत्रित करते हैंलेकिन कानूनकराधान और प्रशासन के विशिष्ट मामलों में प्रत्येक स्तर का अपना अधिकार क्षेत्र होता है।

(iii) संविधान की श्रेष्ठता - सरकार के संबंधित स्तरों या स्तरों के क्षेत्राधिकार संविधान में निर्दिष्ट हैं। इसलिए सरकार के प्रत्येक स्तर के अस्तित्व और अधिकार की संवैधानिक रूप से रक्षा की जाती है।

(iv) कठोर संविधान - संविधान के मूल प्रावधानों को सरकार के एक स्तर द्वारा एकतरफा नहीं बदला जा सकता है। ऐसे परिवर्तनों के लिए सरकार के दोनों स्तरों की सहमति की आवश्यकता होती है।

(v) न्यायालयों का सर्वोच्च अधिकार - न्यायालयों के पास संविधान की व्याख्या करने की शक्ति हैऔर सरकार के विभिन्न स्तरों की शक्तियाँ हैं। सर्वोच्च न्यायालय अपनी-अपनी शक्तियों के प्रयोग में सरकार के विभिन्न स्तरों के बीच उत्पन्न होने वाले विवादों के मामले में एक अंपायर के रूप में कार्य करता है.

(vi) दोहरे उद्देश्यः संघीय प्रणालीइस प्रकार दोहरे उद्देश्य हैंः देश की एकता की रक्षा और बढ़ावा देनाजबकि एक ही समय मेंक्षेत्रीय विविधता को समायोजित करने के लिए।

(vii) वित्तीय स्वायत्तता – विभिन्न स्तर की सरकारों के लिए राजस्व के लिए अलग – अलग स्रोत निर्धारित होते हैं।

 

प्र.20भारतीय रिज़र्व बैंक के कार्यों का वर्णन कीजिये।                 3

अथवा

कर्जदाता कर्ज देते समय ऋण- आधार की माँग क्यों करता है? व्याख्या कीजिये।

उत्तर- भारतीय रिजर्व बैंक के कार्यः-

1.  मुद्रा जारीकर्त्ता - यह केन्द्रीय सरकार की तरफ से करेंसी और नोट जारी करता है और उसका विनिमय करता है अथवा परिचालन के योग्य नहीं रहने पर करेंसी और सिक्कों को नष्ट करता है।

2.  भारत सरकार का बैंक: भारतीय रिजर्व बैंक का दूसरा महत्वपूर्ण कार्य भारत सरकार और राज्यों के बैंक, एजेंट और सलाहकार के रूप में कार्य करना है

3.  बैंकों का बैंक - भारतीय रिजर्व बैंक अन्य वाणिज्यिक बैंकों के लिए उसी प्रकार कार्य करता है जिस प्रकार अन्य बैंक आमतौर पर अपने ग्राहकों के लिए कार्य करते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक देश के सभी वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है।

4.  निगरानी रखना – ऋण के औपचारिक स्रोतों की कार्यप्रणाली पर नजर रखना। और देखना कि बैंक वास्तव में नकद शेष बनाए हुए है। समय-समय पर बैंकों से यह जानकारी लेता है कि कितना और किनकोकिस ब्याज दर पर ऋण दे रहा है।

5.  खाताधारकों तथा कर्जदारों की सुविधा का ध्यान रखना - रिज़र्व यह भी देखता है कि बैंक केवल लाभ कमाने लिए ही लेन – देन करें अपितु कुटीर उद्योगोंछोटे कर्जदारों और छोटे उत्पादकों के संरक्षण का भी ध्यान रखें।

6.  ब्याज दरों की जानकारी रखना - बैंकों द्वारा समय-समय पर रिज़र्व बैंक को ऋण पर लिए जा रहे ब्याज दरों की जानकारी भी देना होती है।

अथवा

उधारदाता ऋण के विरुद्ध सुरक्षा के रूप में समर्थक ऋणाधार की माँग करता है। समर्थक ऋणाधार एक संपत्ति है जो उधारकर्ता के पास होती है (जैसे भूमि, भवन, वाहन, पशुधन, जमा, आदि)। यह ऋणदाता द्वारा निम्नलिखित उद्देश्य से मांगा जाता है:-

 

·      ऋण चुकाने तक ऋणदाता को गारंटी के रूप में।

·     डिफॉल्ट यानी ऋण चुकाने में असमर्थ होने की स्थिति में ऋणदाता इसे बेच सकता है या इसका उपयोग कर सकता है। 

प्र.21गांधीजी ने असहयोग आन्दोलन क्यों आरंभ किया? यह प्रथम जनांदोलन कैसे बना?                                        3

अथवा

नमक यात्रा किस प्रकार उपनिवेशवाद के विरुद्ध प्रतिरोध का एक प्रभावी हथियार बन गया? स्पष्ट कीजिये।

उत्तर – महात्मा गांधी का मानना था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ है और यह शासन इसी सहयोग के कारण चल पा रहा है। अगर भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो साल भर के भीतर ब्रिटिश शासन ढह जाएगा और स्वराज की स्थापना हो जाएगी।  अतः विभिन्न कारणों से असहयोग आंदोलन आरंभ हुआ जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं :-

1. प्रथम विश्वयुद्ध :- पहले विश्व युद्ध में भारतीयों ने अंग्रेजों को इस उम्मीद के साथ मदद की थी कि युद्ध के बाद स्वराज प्राप्त हो जाएगा किन्तु ऐसा नहीं हुआ। बल्कि युद्ध के दौरान ही अनेक गांवों में जबरन भर्ती से नाराजगी का माहौल बन गया और जनता में रोष हो गया। गांधीजी इस रोष को व्यापक रूप देना चाहते थे। और असहयोग आंदोलन की बात उन्होंने कही।

2. रोलेट एक्ट :- एक तरफ भारतीय युद्ध के बाद कुछ अच्छे की उम्मीद कर रहे थे किन्तु अंग्रेजों ने भारतीय क्रांतिकारियों और राजनीतिक अराजकता को रोकने की आड़ में एक काला कानून ले आए जिसे रोलेट एक्ट कहा गया। इसके माध्यम से अंग्रेजी सरकार किसी भी भारतीय को बिना पूर्व सूचना दिए गिरफ्तार कर सकती थी। पुलिस कभी भी किसी भी समय घर को सर्च कर सकती थी। इससे भारतीयों में गुस्सा छा गया और वे विरोध करने लगे।

3. जलियांवाला बाग :- रोलेट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण चल रही सभा पर ब्रिटिष सरकार ने गालियां चलवा दीं जिसमें सैंकड़ों निहत्थे लोग मारे गए जिसका गुस्सा पूरे देश में फैल गया।

4. ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गुस्से को गांव गांव तक पहुचाना :- जलियांवाला बाग के बाद जब लोगों में गुस्सा देखा तो गांधी जी ने इस गुस्से को सम्पूर्ण भारत के एक एक नागरिक तक ले जाने का प्रयास आरंभ कर दिया।

5. खिलाफत के सवाल पर मुसलमानों में असंतोष :- गांधीजी भारत के हिन्दू और मुसलमान को एक बार फिर एकजुट कर 1857 के संग्राम की तरह अंग्रेजों के खिलाफ देखना चाहते थे। तभी तुर्की के खलीफा के साथ दुर्व्यवहार की खबरों से सारे मुसलमान अंग्रेजां से नाराज हो गए। भारत में भी ऐसा ही हुआ। गांधीजी ने इसे अच्छा अवसर माना और जिसकी परिणति असहयोग आंदोलन के रूप में सामने आई।

प्रथम जन आन्दोलन - रॉलेट कानूनजालियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में तथा खिलाफत आंदोलन के समर्थन में गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन चलाने का निर्णय लिया। इसका उद्देश्य स्वराज्य की प्राप्ति था। इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने पहली बार व्यापक रूप से भाग लिया। शहरी मध्यमवर्ग की इसमें मुख्य भागीदारी रही। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानोंमजदूरों तथा आदिवासियों ने भी इस आंदोलन में भाग लिया। इस प्रकारयह प्रथम जनआंदोलन बन गया।

अथवा

'नमक मार्चउपनिवेशवाद के विरुद्ध प्रतिरोध का प्रभावी साधन बन गया क्योंकि:

(i) महात्मा गांधी ने नमक में एक शक्तिशाली प्रतीक पाया जो राष्ट्र को एकजुट कर सकता था।

(ii) गांधीजी ने वायसराय इरविन को ग्यारह मांगों को बताते हुए एक पत्र भेजा। सबसे अधिक हलचल नमक कर को समाप्त करने की मांग थी।

(iii) नमक भोजन की सबसे आवश्यक वस्तु थी और इसका सेवन अमीर और गरीब समान रूप से करते थे।

(iv) इरविन बातचीत के लिए तैयार नहीं थेइसलिए गांधीजी ने 78 स्वयंसेवकों के साथ नमक मार्च शुरू किया। 6 अप्रैल को उन्होंने दांडी में एक-एक कर कानून का उल्लंघन किया और नमक बनाया। इस मार्च ने राष्ट्रवाद की भावना विकसित कीदेश के विभिन्न हिस्सों में लोगों ने नमक कानून तोड़ा और नमक का निर्माण किया और सरकारी नमक कारखानों के सामने प्रदर्शन किया।

प्र.22सविनय अवज्ञा आन्दोलन के क्या कारण थे? वर्णन कीजिए।        4

अथवा

सांस्कृतिक प्रक्रियाओं ने भारत में सामूहिक अपनेपन की भावना पैदा करने में कैसे मदद कीवर्णन कीजिए।

उत्तर- 1927 ईस्वी में साइमन कमीशन की नियुक्ति और इसके प्रतिवेदन ने देशभर में असंतोष की लहर दौड़ा दी और सविनय अवज्ञा आंदोलन की पृष्ठभूमि तैयार हो गई।1930 ईस्वी में गांधी जी द्वारा सविनय अवज्ञा आंदोलन को प्रारंभ करने के निम्नलिखित प्रमुख कारण थे-

1.  नेहरू रिपोर्ट की अस्वीकृति - सरकार ने सर्वदलीय सम्मेलन में पारित नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार कर दिया जिससे भारत में संवैधानिक तथा उत्तरदायीशासन की माँग समाप्त होती दिखाई दी।

2.  अत्यधिक आर्थिक मन्दी - उस समय भारत बहुत अधिक आर्थिकमन्दी की चपेट में था जिससे मजदूरों तथा कृषकों की आर्थिक दशा निरन्तर शोचनीय होती जा रही थी।

3.  स्वतन्त्रता की माँग की अस्वीकृति - ब्रिटिश सरकार ने भारत को पूर्णस्वराज्य देने से इनकार कर दिया था। वह डोमिनियन स्टेटस  के लिए संविधान बनाने गोलमेज सम्मेलन को बुलाने के लिए तैयार न थी। इसलिए कांग्रेस के पास इस आन्दोलन को चलाने के अतिरिक्त कोई अन्यविकल्प शेष नहीं था।

4.  नमक कानून का उल्लंघन - सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत दांडी नमक सत्याग्रह के कारण हुई थी, जिसे नमक के उत्पादन और बिक्री पर सरकार के नियंत्रण के कारण शुरू किया गया था।

5.  तत्कालीन कारण - दिसम्बर 1929 के लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस कार्यसमिति को सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ करने की स्वीकृति दी गई थी। वायसराय लार्ड इरविन ने लाहौर अधिवेशन के पूर्ण स्वाधीनता प्रस्ताव को मानने से इन्कार कर दिया था परन्तु गांधीजी अभी भी समझौते की आशा रखते थे। अतः उन्होंने 30 जनवरी, 1930 को लार्ड इरविन के समक्ष 11 माँगें प्रस्तुत कीं। गांधीजी ने यह भी घोषित किया कि माँगें स्वीकार न होने की स्थिति में सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ किया जायेगा।
गांधीजी चाहते थे कि सरकार विनिमय की दर घटाए, भू-राजस्व कम करे, पूर्ण नशाबन्दी लागू हो, बन्दूकों को रखने का लाइसेन्स दिया जाये, नमक पर कर समाप्त हो, हिंसा से दूर रहने वाले राजनीतिक बन्दी छोड़े जायें, गुप्तचर विभाग पर नियन्त्रण स्थापित हो, सैनिक व्यय में पचास प्रतिशत कमी हो, कपड़ों का आयात कम हो आदि। वायसराय ने इन माँगों को अस्वीकार कर दिया। अतः गांधीजी ने योजनानुसार सविनय अवज्ञा आन्दोलन आरम्भ किया।

अथवा

(अ) सामूहिक अपनेपन की भावना आंशिक रूप से एकजुट संघर्षों के अनुभव और औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ लोगों के बीच बढ़ते गुस्से के माध्यम से आई थी।

(ब) लेकिन कई तरह की सांस्कृतिक प्रक्रियाएं भी थीं जिनके माध्यम से राष्ट्रवाद ने लोगों की कल्पना पर कब्जा कर लिया:

(i) साहित्यगीतपेंटिंग आदि के माध्यम से बनाई गई भारत माता की एक आकृति या छवि के प्रतीक राष्ट्र की पहचान।

(ii) राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ाने के लिए भारतीय लोककथाओं को पुनर्जीवित करने के लिए आंदोलन।

(iii) लोगों को एकजुट करने और उनमें राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरित करने में प्रतीकों और प्रतीकों की भूमिका।

(iv) इतिहास की पुनर्व्याख्या के माध्यम से राष्ट्रवाद की भावना पैदा करना था।

 

प्र.23भारत के मानचित्र में निम्नलिखित परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को दर्शाइए -    4

(अ)       काकरापारा परमाणु संयंत्र      (ब) रावतभाटा परमाणु संयंत्र

(स) कलपक्कम परमाणु संयंत्र        (द) नरोरा परमाणु संयंत्र

अथवा

भारत के मानचित्र में निम्नलिखित लोहा इस्पात संयंत्रों को दर्शाइए -

(अ)       दुर्गापुर                     (ब) जमशेदपुर

(स) भिलाई                       (द) बोकारो

उत्तर – भारत के मानचित्र में

परमाणु ऊर्जा संयंत्र                                               लोहा इस्पात संयंत्र

धन्यवाद 

आप सफल हों

https://www.youtube.com/eclassesbymanishsir

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