भारत में राष्ट्रवाद कक्षा 10

 भारत में राष्ट्रवाद 

अध्याय को समझने के लिए महत्वपूर्ण यूट्यूब लिंक

1.भारत में राष्ट्रवाद का उदय Class 10:  पहला विशवयुद्ध, खिलाफत और असहयोग (भाग - 1)

https://youtu.be/nMjX3fVqm4Q

2. भारत में राष्ट्रवाद का उदय Class 10: आंदोलन के भीतर अलग - अलग धाराएं (भाग - 2)

https://youtu.be/PkknEO0g7HM

3. भारत में राष्ट्रवाद का उदय Class 10: सविनय अवज्ञा की ओर (भाग - 3)

https://youtu.be/w54DPsndghQ

4. भारत में राष्ट्रवाद का उदय Class10: सामुहिक अपनेपन का भाव (भाग - 4)


https://youtu.be/i4EFZ9cGav4

कक्षा 10 के इतिहास विषय के सभी वीडियो देखने हेतु इस लिंक पर क्लिक करें।

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महत्वपूर्ण तथ्य

पहला विश्व युद्ध:खिलाफत और असहयोग

प्रथम विश्व युद्ध का प्रभाव

·      युद्ध के कारण रक्षा संबंधी खर्चे में बढ़ोतरी हुई थी । इसे पूरा करने के लिए कर्जे लिये गए और टैक्स बढ़ाए गए । अतिरिक्त राजस्व जुटाने के लिए कस्टम ड्यूटी और इनकम टैक्स को बढ़ाना पड़ा । युद्ध के वर्षों में चीजों की कीमतें बढ़ गई । 1913 से 1918 के बीच दाम दोगुने हो गए। दाम बढ़ने से आम आदमी को अत्यधिक परेशानी हुई । ग्रामीण इलाकों से लोगों को जबरन सेना में भर्ती किए जाने से भी लोगों में बहुत गुस्सा था।

·      भारत के कई भागों में उपज खराब होने के कारण भोजन की कमी हो गई । इंफ्लूएंजा की महामारी ने समस्या को और गंभीर कर दिया । 1921 की जनगणना के अनुसार , अकाल और महामारी के कारण 120 लाख से 130 लाख तक लोग मारे गए।

प्रथम विश्व युद्ध के कारण भारत पर आर्थिक प्रभाव

1. भारत में मैनचेस्टर से आयात में गिरावट आई क्योंकि ब्रिटिश मिलें युद्ध उत्पादन के साथ व्यस्त थीं इससे भारतीय मिलों को विशाल घरेलू बाजार के लिए आपूर्ति के लिए मार्ग प्रशस्त हो गया।

2. जैसे - जैसे युद्ध लंबा होता गया , भारतीय कारखानों को युद्ध की जरूरतों की आपूर्ति करने के लिए बुलाया गया। परिणामस्वरूप नए कारखाने स्थापित किए गए , नए श्रमिकों को नियुक्त किया गया और सभी को लंबे समय तक काम करने के लिए बनाया गया ।

3. युद्ध के बाद ब्रिटेन से सूती कपड़े का उत्पादन ढह गया और नाटकीय ढंग से निर्यात में गिरावट आई ,क्योंकि यह अमेरिका , जर्मनी , जापान के साथ आधुनिकीकरण और प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ था । इसलिए भारत जैसे उपनिवेशों के भीतर , स्थानीय उद्योगपतियों ने धीरे - धीरे अपनी स्थिति को मजबूत कर घरेलू बाजार पर कब्जा कर लिया।

सत्याग्रह का विचार

·      महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे । गांधीजी की जन आंदोलन की इस पद्धति को सत्याग्रह के नाम से जाना जाता है । सत्याग्रह ने सत्य पर बल दिया । गांधीजी का मानना था कि यदि कारण सत्य है , यदि संघर्ष अन्याय के विरुद्ध है , तो अत्याचारी से लड़ने के लिए शारीरिक बल आवश्यक नहीं था । अहिंसा के माध्यम से एक सत्याग्रही लड़ाई जीत सकता है । उत्पीड़कों सहित लोगों को सच्चाई देखने के लिए राजी होना पड़ा । इस संघर्ष में अंततः जीत सत्य की ही होती है।

सत्याग्रह का भारत में प्रथम प्रयोग

·      भारत में सबसे पहले 1916 में चंपारण में किसानों को दमनकारी तिनकठिया प्रणाली के खिलाफ संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया तथा सत्याग्रह का भारत में पहला सफल प्रयोग किया तथा 1917 में किसानों को समर्थन देने के लिए खेड़ा में सत्याग्रह किया और 1918 में अहमदाबाद में सत्याग्रहः सूती मिल मजदूरों के बीच किया ।

हिंदस्वराज (1909)

·      महात्मा गांधी द्वारा लिखित प्रसिद्ध पुस्तक , जिसमें भारत में ब्रिटिश शासन के असहयोग पर जोर दिया गया।

रॉलैट ऐक्ट 1991

·      इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल द्वारा 1919 में रॉलेट ऐक्ट को पारित किया गया था । भारतीय सदस्यों ने इसका समर्थन नहीं किया था , लेकिन फिर भी यह पारित हो गया था । इस ऐक्ट ने सरकार को राजनैतिक गतिविधियों को कुचलने के लिए असीम शक्ति प्रदान किये थे । इसके तहत बिना ट्रायल के ही राजनैतिक कैदियों को दो साल तक बंदी बनाया जा सकता था।

·      06 अप्रैल 1919 , को रॉलैट ऐक्ट के विरोध में गांधीजी ने राष्ट्रव्यापी आंदोलन की शुरुआत की। हड़ताल के आह्वान को भारी समर्थन प्राप्त हुआ । अलग - अलग शहरों में लोग इसके समर्थन में निकल पड़े , दुकानें बंद हो गईं और रेल कारखानों के मजदूर हड़ताल पर चले गये । अंग्रेजी हुकूमत ने राष्ट्रवादियों पर कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया । कई स्थानीय नेताओं को बंदी बना लिया गया । महात्मा गांधी को दिल्ली में प्रवेश करने से रोका गया।

 जलियांवाला बाग हत्याकांड

·   10 अप्रैल 1919 को अमृतसर में पुलिस ने शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई । इसके कारण लोगों ने जगह - जगह पर सरकारी संस्थानों पर आक्रमण किया । अमृतसर में मार्शल लॉ लागू हो गया और इसकी कमान जनरल डायर के हाथों में सौंप दी गई।

·      जलियांवाला बाग का दुखद नरसंहार 13 अप्रैल को उस दिन हुआ जिस दिन पंजाब में बैसाखी मनाई जा रही थी । ग्रामीणों का एक जत्था जलियांवाला बाग में लगे एक मेले में शरीक होने आया था । यह बाग चारों तरफ से बंद था और निकलने के रास्ते संकीर्ण थे । जनरल डायर ने निकलने के रास्ते बंद करवा दिये और भीड़ पर गोली चलवा दी । इस दुर्घटना में सैंकड़ो लोग मारे गए। सरकार का रवैया बड़ा ही क्रूर था । इससे चारों तरफ हिंसा फैल गई । महात्मा गांधी ने आंदोलन को वापस ले लिया क्योंकि वे हिंसा नहीं चाहते थे ।

आंदोलन को अखिल भारतीय स्वरूप की जरूरत

·      रॉलैट सत्याग्रह मुख्यतया शहरों तक ही सीमित था। महात्मा गांधी को लगा कि भारत में आंदोलन का विस्तार होना चाहिए। उनका मानना था कि ऐसा तभी हो सकता है जब हिंदू और मुसलमान एक मंच पर आ जाएँ।

·      खिलाफत के मुद्दे ने गाँधीजी को एक अवसर दिया जिससे हिंदू और मुसलमानों को एक मंच पर लाया जा सकता था । प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की की कराऱी हार हुई थी । ऑटोमन के शासक पर एक कड़े संधि समझौते की अफवाह फैली हुई थी । ऑटोमन का शासक इस्लामी संप्रदाय का खलीफा भी हुआ करता था । खलीफा की तरफदारी के लिए बंबई में मार्च 1919 में एक खिलाफत कमेटी बनाई गई।

·      मुहम्मद अली और शौकत अली नामक दो भाई इस कमेटी के नेता थे । वे भी यह चाहते थे कि महात्मा गाँधी इस मुद्दे पर जनांदोलन करें । 1920 में कांग्रेस के कलकत्ता अधिवेशन में खिलाफत के समर्थन में और स्वराज के लिए एक अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत करने का प्रस्ताव पारित हुआ।

असहयोग आंदोलन

·      अपनी प्रसिद्ध पुस्तक हिन्द स्वराज (1909) में महात्मा गाँधी ने लिखा कि भारत में अंग्रेजी राज इसलिए स्थापित हो पाया क्योंकि भारतीयों ने उनके साथ सहयोग किया और उसी सहयोग के कारण अंग्रेज हुकूमत करते रहे। यदि भारतीय सहयोग करना बंद कर दें , तो अंग्रेजी राज एक साल के अंदर चरमरा जायेगी और स्वराज आ जायेगा । गाँधीजी को विश्वास था कि यदि भारतीय लोग सहयोग करना बंद करने लगे, तो अंग्रेजों के पास भारत को छोड़कर चले जाने के अलावा और कोई चारा नहीं रहेगा।

असहयोग आंदोलन के तौर तरीके

·      अंग्रेजी सरकार द्वारा प्रदान की गई उपाधियों को वापस करना।

·      सिविल सर्विस, सेना , पुलिस , कोर्ट , लेजिस्लेटिव काउंसिल और स्कूलों का बहिष्कार।

·      विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार।

·      यदि सरकार अपनी दमनकारी नीतियों से बाज न आये, तो संपूर्ण अवज्ञा आंदोलन शुरु करना।

असहयोग आंदोलन का स्वरूप

·      असहयोग - खिलाफत आंदोलन की शुरुआत जनवरी 1921 में हुई थी । इस आंदोलन में समाज के विभिन्न वर्गों ने शिरकत की थी और हर वर्ग की अपनी - अपनी महत्वाकांक्षाएँ थी । सबने स्वराज के आह्वान का सम्मान किया था, लेकिन विभिन्न लोगों के लिए इसके विभिन्न अर्थ थे।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर असहयोग आंदोलन के प्रभाव

·      विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया , शराब की दुकानों के रास्ते बंद किए गए और विदेशी कपड़ा जला दिया गया।

·      192। - 1922 के बीच विदेशी कपड़े का आयात आधा हो गया । इसका मूल्य 102 करोड़ रुपये से घटकर 57 करोड़ रुपये रह गया । कई व्यापारियों ने विदेशी वस्तुओं या पैसा विदेशी व्यापार में लगाने से इनकार कर दिया।

·      लोगों ने आयातित कपड़े त्यागने और भारतीय कपड़े पहनने शुरू कर दिए । भारतीय कपड़ा मिलों और हाथ करघे का उत्पादन बढ़ा । खादी का उपयोग लोकप्रिय हुई।

आन्दोलन के भीतर अलग-अलग धाराएँ

शहरों में असहयोग आंदोलन का कमजोर असर

·      मशीन से बने कपड़े की तुलना में खादी का कपड़ा अधिक महंगा था और गरीब लोग इसे खरीद नहीं सकते थे। परिणामस्वरूप वे बहुत लंबे समय तक मिल के कपड़े का बहिष्कार नहीं कर सकते थे ।

·      ब्रिटिश संस्थानों के बहिष्कार के बाद वैकल्पिक भारतीय संस्थान वहां नहीं थे जिनका इस्तेमाल अंग्रेजों की जगह किया जा सकता था । विकल्प उलपब्ध होने की प्रक्रिया धीमी थीं।

·      इसलिए छात्रों और शिक्षकों ने सरकारी स्कूलों में वापस आना शुरू कर दिया और वकील सरकारी अदालतों में काम से जुड़ गए।

ग्रामीण इलाकों में असहयोग आंदोलन

·      अवध में , बाबा रामचंद्र की अगुवाई में किसानों का आंदोलन उन तालुकदारों और जमींदारों के खिलाफ था जिन्होंने किसानों से अत्यधिक किराए और विभिन्न प्रकार के अन्य उपायों की मांग की। किसानों को बिना किसी भुगतान ( बेगारी ) के जमींदारों के खेतों में काम करने के लिए मजबूर किया गया था । किसानों को जमीनों पर स्थाई रूप से काम करने का पट्टा भी नहीं दिया जाता था ताकि वे पट्टे पर दी गई भूमि पर कोई अधिकार प्राप्त न कर सकें इसलिए उन्हें नियमित रूप से बेदखल किया जाता था । किसानों की मांगें थीं - राजस्व में कमी , बेगारी का उन्मूलन और दमनकारी जमींदारों का सामाजिक बहिष्कार ।

·      आंध्र प्रदेश के गुडेम हिल्स में 1920 के दशक की शुरुआत में औपनिवेशिक सरकार द्वारा वन क्षेत्रों को बंद करने के खिलाफ एक उग्रवादी गुरिल्ला आंदोलन फैला था , अंग्रेजों द्वारा आदिवासियों लोगों को अपने मवेशियों को चराने के लिए जंगलों में प्रवेश करने से रोका गया, ईंधन की लकड़ी और फल एकत्र करने पर रोक लगा दी । उन्हें लगा कि उनके पारंपरिक अधिकारों को नकारा जा रहा है।

·      असम में बागान श्रमिकों के लिए , स्वतंत्रता का अर्थ था कि वे उस सीमित स्थान से स्वतंत्र रूप से अंदर और बाहर घूमने का अधिकार जिसमें वे संलग्न थे । उनके लिए आजादी का मतलब उनके गाँव के साथ एक सम्पर्क को बनाए रखना था जिससे वे आए थे । 1859 के अंतर्देशीय उत्प्रवास अधिनियम के तहत , बागान श्रमिकों को अनुमति के बिना चाय बागानों को छोड़ने की अनुमति नहीं थी वास्तव में कभी कभार ही अनुमति शायद दी गई थी । जब उन्होंने असहयोग आंदोलन के बारे में सुना , तो हजारों श्रमिकों ने अधिकारियों को ललकारा और अपने घरों के लिए रवाना हो गए।

चौरी चौरा की घटना -

·      फरवरी 1922 में , गांधीजी ने नो टैक्स आंदोलन शुरू करने का फैसला किया । बिना किसी उकसावे के प्रदर्शन में भाग ले रहे लोगों पर पुलिस ने गोलियां चला दीं । लोग अपने गुस्से में हिंसक हो गए और पुलिस स्टेशन पर हमला कर दिया और उसमें आग लगा दी । यह घटना उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद के चौरी चौरा में हुई थी।

·      जब खबर गांधीजी तक पहुंची , तो उन्होंने असहयोग आंदोलन को बंद करने का फैसला किया क्योंकि उन्हें लगा कि यह हिंसक हो रहा है और सत्याग्रहियों को बड़े पैमाने पर संघर्ष के लिए प्रशिक्षित नहीं किया गया है ।

कांग्रेस के अंदर एक और नई पार्टी

·      स्वराज पार्टी की स्थापना सी आर दास और मोती लाई नेहरू ने काउंसिल पोलिटिक्स में वापसी के लिए की थी।

असहयोग की समाप्ति के बाद

·      1921 के अंत आते आते , कई जगहों पर असहयोग आंदोलन हिंसक होने लगा था । फरवरी 1922 में गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय ले लिया । कांग्रेस के कुछ नेता भी जनांदोलन से थक से गए थे और राज्यों के काउंसिल के चुनावों में हिस्सा लेना चाहते थे । राज्य के काउंसिलों का गठन गवर्नमेंट ऑफ इंडिया ऐक्ट 1919 के तहत हुआ था । कई नेताओं का मानना था सिस्टम का भाग बनकर अंग्रेजी नीतियों विरोध करना भी महत्वपूर्ण था ।

·      गांधीजी को मार्च 1922 में राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। और 06 वर्ष की कैद सुनाई गई। 05 फरवरी 1924 को गिरते स्वास्थ्य के कारण रिहा किया गया।

·      मोतीलाल नेहरू और सी आर दास जैसे पुराने नेताओं ने कांग्रेस के भीतर ही स्वराज पार्टी बनाई और काउंसिल की राजनीति में भागीदारी की वकालत करने लगे ।

·      सुभाष चंद्र बोस और जवाहरलाल नेहरु जैसे नए नेता जनांदोलन और पूर्ण स्वराज के पक्ष में थे।

·      यह कांग्रेस में अंतर्दद्व और अंतर्विरोध का एक काल था । इसी काल में महामंदी का असर भी भारत में महसूस किया जाने लगा । 1926 से खाद्यान्नों की कीमत गिरने लगी। 1930 में कीमतें मुँह के बल गिरी । महामंदी के प्रभाव के कारण पूरे देश में तबाही का माहौल था ।

·      लोगों को अब न केवल ब्रिटिशों के साथ सहयोग से इनकार करने के लिए कहा गया ,बल्कि औपनिवेशिक कानूनों को तोड़ने के लिए भी कहा गया ।

·      विदेशी कपड़े का बहिष्कार किया गया और लोगों से शराब की दुकानों को बंद करने के लिए कहा गया ।

·      किसानों को राजस्व और चौकीदारी करों का भुगतान नहीं करने के लिए कहा गया था।

·      छात्रों , वकीलों और गांव के अधिकारियों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों , कॉलेजों , अदालतों और कार्यालयों में उपस्थित नहीं होने के लिए कहा गया ।

·      अंग्रेजी सरकार ने सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक वैधानिक कमीशन गठित किया । इस कमीशन को भारत में संवैधानिक सिस्टम के कार्य का मूल्यांकन करने और जरूरी बदलाव के सुझाव देने के लिए बनाया गया था । लेकिन चूँकि इस कमीशन में केवल अंग्रेज सदस्य ही थे , इसलिए भारतीय नेताओं ने इसका विरोध किया।

·      1926 से 1930 के दौरान की विष्वव्यापी मंदी का असर भारत पर भी पड़ने लगा।

·      किसानों को लगान भरना भारी पड़ने लगा।

·      इसी बीच ब्रिटेन की सरकार ने मांट-फोर्ड सुधारों की समीक्षा के लिए सर जॉन साइमन के नेतृत्व में आयोग गठित किया जिसमें एक भी सदस्य भारतीय नहीं था जबकि सुधार भारतीयों के लिए ही किए जाना था। इसलिए 1928 में साइमन कमीशन का बहिष्कार किया गया।

·      साइमन आयोग के विरोध को शांत करने के लिए लार्ड इरविन ने डोमिनियन स्टेट (औपनिवेशिक स्वराज)  पर गोलमोल बात करते हुए गोलमेज सम्मेलन आयोजित करने की बात कही।

·      लार्ड इरविन की बातों और उदारवादी कांग्रेसियों के विरोध में जाते हुए जवाहरलाल नेहरू और सुभाष चंद्र बोस ने डोमिनियन स्टेट की मांग को नकार दिया और पूर्ण स्वराज की बात की।

·      1929 में लाहौर कांग्रेस अधिवेशन में कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज की माँग करने की बात स्वीकार कर ली और 26 जनवरी 1930 को पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया।

·      कांग्रेस के पूर्ण स्वराज की मांग को आम भारतीयों की मांग बनाने के लिए गांधीजी नए तरीके खोजने लगे।

साइमन कमीशन

·      साइमन कमीशन 1928 में भारत आया । ’साइमन वापस जाओ’ के नारों के साथ इसका स्वागत हुआ। विरोध में सभी पार्टियाँ शामिल हुईं । अक्तूबर 1929 में लॉर्ड इरविन ने ’ डोमिनियन स्टेटस ’ की ओर इशारा किया था लेकिन इसकी समय सीमा नहीं बताई गई । उसने भविष्य के संविधान पर चर्चा करने के लिए एक गोलमेज सम्मेलन का न्योता भी दिया ।

·      उग्र नेता कांग्रेस में प्रभावशाली होते जा रहे थे । वे अंग्रेजों के प्रस्ताव से संतुष्ट नहीं थे । नरम दल के नेता डॉमिनियन स्टेटस के पक्ष में थे, लेकिन कांग्रेस में उनका प्रभाव कम होता जा रहा था।

·      दिसंबर 1929 में जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन हुआ था । इसमें पूर्ण स्वराज के संकल्प को पारित किया गया । 26 जनवरी 1930 को स्वाधीनता दिवस घोषित किया गया और लोगों से आह्वान किया गया कि वे संपूर्ण स्वाधीनता के लिए संघर्ष करें । लेकिन इस कार्यक्रम को जनता का ज्यादा  समर्थन प्राप्त नहीं हुआ।

·      फिर यह महात्मा गाँधी पर छोड़ दिया गया कि लोगों के दैनिक जीवन के ठोस मुद्दों के साथ स्वाधीनता जैसे अमूर्त मुद्दे को कैसे जोड़ा जाए।

सविनय अवज्ञा की ओर

दांडी मार्च और सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत

·      महात्मा गाँधी का विश्वास था कि पूरे देश को एक करने में नमक एक शक्तिशाली हथियार बन सकता था।

·      31 जनवरी 1930 को महात्मा गांधी ने वाइसराय इरविन को एक पत्र भेजा जिसमें ग्यारह माँगें थीं, जिनमें से एक नमक कर को समाप्त करने की माँग थी । नमक अमीर और गरीब समान रूप से उपभोग किए जाने वाले सबसे आवश्यक खाद्य पदार्थों में से एक था और इस पर लगाया गया कर ब्रिटिश सरकार द्वारा लोगों पर अत्याचार माना जाता था।

·      महात्मा गांधी का पत्र एक अल्टीमेटम था और अगर 11 मार्च तक उनकी मांग पूरी नहीं हुई , तो उन्होंने सविनय अवज्ञा अभियान शुरू करने की धमकी दी थी। तो , महात्मा गांधी ने अपने विश्वसनीय स्वयंसेवकों में से 78 के साथ अपने प्रसिद्ध नमक मार्च की शुरुआत की।

·      दांडी मार्च या नमक आंदोलन को गाँधीजी ने 12 मार्च 1930 को शुरु किया । उन्होंने 24 दिनों तक चलकर साबरमती से दांडी तक की 240 मील की दूरी तय की। महात्मा गांधी को सुनने के लिए हजारों लोग आते , और उन्हें बताया कि स्वराज से उनका क्या तात्पर्य है और उन्होंने अंग्रेजों के कानूनों का शांतिपूर्वक अवहेलना करने की बात कही।

·      06 अप्रैल 1930 को वह दांडी पहुंचे और औपचारिक रूप से कानून का उल्लंघन किया , समुद्र के पानी को उबालकर नमक का निर्माण किया । यहीं से सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत हो गई।

सविनय अवज्ञा आंदोलन

·      देश के विभिन्न हिस्सों में सविनय अवज्ञा आंदोलन लागू हो गया । गांधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी तक अपने अनुयायियों के साथ सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू किया। ग्रामीण इलाकों में , गुजरात के अमीर पाटीदार और उत्तर प्रदेश के जाट आंदोलन में सक्रिय थे।

·      अमीर व्यवसायी महामंदी और गिरती कीमतों से बहुत प्रभावित थे , वे सविनय अवज्ञा आंदोलन के उत्साही समर्थक बन गए । व्यापारियों और उद्योगपतियों ने आयातित वस्तुओं को खरीदने और बेचने से इनकार करके वित्तीय सहायता देकर आंदोलन का समर्थन किया।

·      नागपुर क्षेत्र के औद्योगिक श्रमिक वर्ग ने सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी भाग लिया। रेलवे कर्मचारियों , डॉक वर्कर्स , छोटा नागपुर के खनिज आदि ने विरोध रैली और बहिष्कार अभियानों में भाग लिया ।

·      अछूतों द्वारा आंदोलन में कम भागीदारी - पृथक मतदाता के लिए अम्बेडकर और महात्मा गांधी के बीच 1932 की पूना समझौता हुआ।

·      भारतीय मुस्लिम राजनीतिक संगठन द्वारा आंदोलन के प्रति खास उत्साह नहीं दिखाया गया।

1932 का पूना समझौता

·      डॉ अंबेडकर और गांधीजी के बीच हस्ताक्षर। इसने केंद्रीय प्रांतीय परिषदों में दलित वर्गों को आरक्षित सीटें दी , लेकिन उन्हें आम मतदाताओं द्वारा वोट दिया जाना था।

सामुहिक अपनेपन का भाव

यद्यपि राष्ट्रवाद एकजुट संघर्ष के अनुभव से फैलता है , लेकिन विभिन्न सांस्कृतिक प्रक्रियाओं ने भारतीयों की राष्ट्र की कल्पना को और सामूहिकता की भावना को बढ़ावा दिया :-

1.आकृतियों या चित्रों का उपयोग :- भारत की पहचान भारत माता की छवि के साथ माँ के रूप से जुड़ी हुई थी। माता की आकृति के प्रति समर्पण को एक राष्ट्रवाद के प्रमाण के रूप में देखा गया।

2.भारतीय लोकगाथा :- राष्ट्रवादियों ने लोकगीतों और कहानियों की रिकॉर्डिंग और उपयोग करना शुरू कर दिया , उन्हें विश्वास था कि पारंपरिक संस्कृति की एक सच्ची तस्वीर जो बाहरी ताकतों द्वारा दूषित और क्षतिग्रस्त हो गई थी । इसलिए इनका संरक्षण किसी भी राष्ट्रीय पहचान की खोज और उसके अतीत के मूल्य की भावना को बहाल करने का एक तरीका बन गया।

3.झंडे के रूप में चिह और प्रतीकों का उपयोग :- तिरंगे झंडे को धारण करना और मार्च के दौरान इसे थाम कर चलना अवहेलना का प्रतीक बन गया और सामूहिकता की भावना को बढ़ावा दिया।

4.इतिहास की पुनर्व्याख्या :- भारतीयों ने कला , विज्ञान , गणित , धर्म और संस्कृति आदि के क्षेत्र में प्राचीन काल के गौरवशाली विकास को फिर से देखने के लिए अतीत की ओर देखना शुरू किया । इस गौरवशाली समय के बाद पतन का इतिहास सामने आया , जब भारत को गुलाम बना लिया गया। जैसा कि उपनिवेशवादियों द्वारा भारतीय इतिहास को बुरी तरह से लिखा गया था ।

 पाठ्यपुस्त आधारित प्रश्नोत्तर

1.व्याख्या करें

(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी ?

उत्तर - विभिन्न यूरोपीय महाशक्तियों जैसे ब्रिटेन, फ्रांस, पुर्तगाल, नीदरलैंड आदि ने अफ्रीका तथा एशियाई देशों को आर्थिक और राजनीतिक रूप से गुलाम बना लिया था। इन देशों की जनता को इन विदेशी शासकों के खिलाफ संघर्ष करना पड़े। इन्हीं संघर्षां से भारत को भी प्रेरणा मिली। उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से निम्नलिखित कारणों से जुड़ी हुई थी :-

1. वियतनाम तथा अन्य उपनिवेशों की तरह भारत में भी आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की घटना उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के साथ जुड़ी हुई थी।

2. औपनिवेशक शासकों द्वारा उत्पीड़न और दमन के कारण विभिन्न समूह एक-दूसरे के समीप आ गए थे और आपसी एकता का महत्व समझने लगे।

3. जनता में एक - दूसरे के प्रति उत्तरदायित्व की भावना थी।

4. विभिन्न वर्गों और समूहों - जिनके लिए स्वतंत्रता का अलग-अलग अर्थ था, को महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इकट्ठा करके एक विशाल आंदोलन कर दिया।

(ख) पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्र आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया?

उत्तर- पहले विश्वयुद्ध में भारत ने सीधे तौर पर हिस्सा नहीं लिया था और न ही यह युद्ध भारत की भूमि पर लड़ा गया था फिर भी भारतीय लोगों ने ब्रिटेन की तरफ से इस युद्ध में भागीदारी की। और युद्ध में ब्रिटेन पर पड़े हर बोझ को भारत को सहन करना पड़ा था। इस युद्ध के कारण निम्नलिखित कारणों ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में योगदान दिया :-

1. प्रथम विश्व युद्ध के कारण एक नई धार्मिक और राजनीतिक स्थिति पैदा होने से रक्षा व्यय में काफी वृद्धि हो गई।

2. युद्ध में होने वाले खर्च को पूरा करने के लिए कर्ज लिए गए, करों में वृद्धि की गई, सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया और आय पर कर लगा दिया गया।

3. युद्ध के समय कीमतें तेजी से बढ़ रही थी। 1913 से 1918 के बीच कि कीमतें दोगुनी हो गई जिसके कारण साधारण जनता की कठिनाइयां बढ़ गई।

4. गांव में युवकों को जबरदस्ती सेना में भर्ती किया गया, जिसके कारण ग्रामीणों में व्यापक गुस्सा था।

5. 1918 - 1919 और 1920 - 1921 में देश के अनेक भागों में फसल खराब हो जाने से खाद्य पदार्थों की कमी हो गई। जिसके कारण भूख से भी लोग मरने लगे।

6. उसी समय फ्लू की महामारी भी फैल गई। 1921 की जनगणना के अनुसार अकाल और बीमारी के कारण लगभग 120 - 130 लाख लोग मारे गए।

            लोगों को उम्मीद थी कि युद्ध के बाद हालात बदलेंगे किन्तु ऐसा नहीं हुआ और भारत में राष्ट्रवादी भावनाओं को बल मिला।

(ग) भारत में लोग रॉलेट एक्ट के विरोध में क्यों थे?

उत्तर- प्रथम विश्वयुद्ध के बाद रूस में बोल्शिविकों का तथा जर्मनी में नाजीवादियों का प्रभाव बढ़ रहा था ब्रिटिश सरकार को आशंका थी कि भारत के क्रांतिकारियों को इनसे मदद मिल रही है। सरकार को डर सता रहा था कि कोई आंदोलन अवश्य होगा। अतः अराजकता और क्रांतिकारी गतिविधियों को रोकने के लिए एक अधिनियम लाया गया जिसका भारतीयों द्वारा विरोध किया गया क्योंकि :-

1. इस कानून के जरिए किसी भी भारतीय नागरिक को राजनीतिक कैदी के रूप में दो साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद करने का प्रावधान था।

2. बिना सर्च वारंट के शंका के आधार पर किसी भी नागरिक के घर की तलाषी का अधिकार पुलिस को दिया गया।

3. महात्मा गांधी ऐसे अन्याय पूर्ण कानूनों के विरुद्ध अहिंसक ढंग से नागरिक अवज्ञा चाहते थे। और इसे काला कानून की संज्ञा दी और लोगों ने रॉलट एक्ट का विरोध किया।

(घ)  गांधी जी ने अहसयोग आंदोलन को वापस क्यों लिया?

उत्तर- अहसयोग आंदोलन अपने पूरे चरम पर था। जब महात्मा गांधी ने 1922 में इसे वापस ले लिया। इस आंदोलन को वापस लेने के दो मुख्य कारण थे-

1. महात्मा गांधी अहिंसा और शांति के समर्थक के थे जब उन्हें पता चला की चौरी-चौरा के पुलिस थाने में आग लगा कर 22 पुलिस वालों को हत्या कर दी तो वो परेशान हो गए।

2. उन्होंने सोचा यदि आंदोलन हिंसक हों जाए तो अंग्रेज सरकार और उग्र हों जाएगी और बहुत निर्दोष लोग मारे जाएंगे। इसलिए महात्मा गांधी ने अहसयोग आंदोलन वापस ले लिया।

2. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?

उत्तर- सत्याग्रह शारीरिक बल नहीं है अपितु यह शुद्ध आत्मबल है। जिसको निम्नलिखित प्रकार से समझा जा सकता है :-

1. सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता था। इसका अर्थ यह था, कि यदि आप का उद्देश्य सच्चा है, यदि आपका संघर्ष अन्याय के विरुद्ध है तो उत्पीड़क का मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है।

2. सत्याग्रह के विचार में प्रतिशोध या बदले की भावना लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के बल पर ही अपने संघर्ष में सफल हो सकता है।

3. उत्पीड़क शत्रु को ही नहीं बल्कि सभी लोगों को हिंसा की अपेक्षा सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने के स्थान पर, सच्चाई को देखने और सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

4. इस संघर्ष में अंत में जीत सत्य की ही होती है। गांधी जी का विश्वास था कि अहिंसा का यह धर्म सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बांध सकता है। क्योंकि जब सच्चाई के साथ लड़ाई लड़ी जाती है तो अंत में जीत सच्चाई की ही होती है। इसलिए गांधी जी का भी यही विश्वास था कि अंत में जीत सत्य की ही होगी।

3. निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें -

(क) जलियांवाला बाग हत्याकांड

उत्तर-

जलियांवाला बाग हत्याकांड

13 अप्रैल 1919

हिंदुस्तान के एक पवित्र शहर अमृतसर में अंग्रेजों ने किया मौत का तांडव। सम्पूर्ण देश में शोक के साथ रोष का माहौल। ज्ञात हो कि अंग्रेजों द्वारा जबरन लाए गए रोलेट एक्ट के विरोध में बड़े नेतृत्वकर्ता महात्मा गांधी और सत्य पाल किचलू को गिरफ्तार किया गया इस गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए 1913 को वैशाखी पर्व के दिन जलियांवाला बाग में जनसभा का आयोजन किया गया था। बाग शहर से बाहर होने के कारण लोगों को यह पता नहीं था, कि इलाके में मार्शल लॉ लागू किया जा चुका है। अमृतसर के प्रशासक जनरल डायर ने इस सभा में कुछ सिपाहियों के साथ अवैध तरीके से घुसपैठ की और उन्होंने वहां गोलियां चलवाई थी। इसमें सैकड़ों लोगों की मौत हो गई इस हत्याकांड पर रिपोर्ट मांगने के लिए ब्रिटिश सरकार में हंटर कमीशन की स्थापना की और इस आयोग की रिपोर्ट के बाद जनरल डायर को सम्मान दिया गया जिसमें उसने बताया कि वह भारतीयों के मन में दहशत और विस्मय के भाव पैदा करना चाहता था।

समस्त समाचार पत्रों से निवेदन है कि प्रमुखता से इस खबर को प्रकाशित कर भारतीय जनता के दुःख में भागीदार बनें तथा निर्दयी अंग्रेज सरकार के खिलाफ विश्व जनमत तैयार करने में सहयोग करें।

सादर धन्यवाद

(ख) साइमन कमीशन

उत्तर-

साइमन कमीशन

22 फरवरी 1928

1919 एक्ट के तहत यह निर्णय लिया गया था कि प्रत्येक 10 साल बाद सुधारों का मूल्यांकन किया जाएगा इसी के लिए इंग्लैंड की टोरी सरकार ने भारत में कमीशन भेजा जिसका नाम साइमन कमीशन था 1928 में जॉन साइमन की अध्यक्षता में एक आयोग भारत आया इस कमीशन का उद्देश भारतीयों के हितों का देखभाल करना था जबकि इसमें एक भी भारतीय नहीं था इसलिए भारतीय ने इस मिशन का बहिष्कार किया और साइमन गो बैक के नारे लगाए जब आयोग लाहौर पहुंचा तो लाला लाजपत राय  प्रदर्शन कर रहे थे पुलिस के लाठीचार्ज में  लाला लाजपत राय घायल हो गए और उनकी मृत्यु हो गई।

सभी समाचार पत्रों से अनुरोध है कि साइमन कमीशन के माध्यम से अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अत्याचारों को प्रमुखता से अखबारों में प्रकाशित कर भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को सहयोग प्रदान करें।

सादर धन्यवाद

4. भारत माता की छवि और जर्मनिया की छवि की तुलना करें।

उत्तर- फिलिप वेट ने अपने राष्ट्र को जर्मीनिया के रूप में प्रस्तुत किया है। इसमें बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहने हुए दिखाई गई है क्योंकि बलूत जर्मन वीरता का प्रतीक है। भारत में भी अवनींद्रनाथ टैगोर ने भारत को भारत माता का रूप में दिखाया है एक चित्र में उन्होंने माता को भोजन कपड़े देती हुई दिखाया है एक और चित्र में माता शेर और हाथी के बीच खड़ी है और उसके हाथ में त्रिशूल दिखाया गया। इस प्रकार चित्रात्मक प्रतीकों के माध्यम से राष्ट्र को एक दैवीय स्वरूप प्रदान कर उसके लिए त्याग और बलिदान की भावना जगाई गई। इन छवियों की तुलना निम्नलिखित प्रकार से की जा सकती है :-

1. भारत माता की छवि भारतीय राष्ट्रीयता का प्रतीक थी जबकि जर्मनिया जर्मन राष्ट्रीयता का प्रतीक थी।

2. भारत माता की छवि पर सांप्रदायिकता का आरोप लगा जबकि जर्मनिया की छवि के साथ ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।

3. भारत माता को एक हिंदू देवी के रूप में चित्रित किया गया है। उसके हाथ में त्रिशूल है। जिस पर राष्ट्रीय ध्वज लगा है। वह हाथी और शेर के बीच खड़ी है। दोनों ही सत्ता और शक्ति के प्रतीक हैं। जबकि जर्मनिया बलूत वृक्ष के पत्तों का मुकुट पहनती है, क्योंकि बलूत वीरता का प्रतीक है। जर्मनिया के चित्र को सूती झंडे पर बनाया गया था। दोनों तस्वीरों में महिला को पारंपरिक परिधानों से सजाया गया है।

चर्चा करें -

1. 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूह की सूची बनाइए। इसके बाद उनमें से किन्ही तीन को चुनकर उनकी आशाओं और संघर्षों के बारे में लिखते हुए यह दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए।

उत्तर - 1921 ई. में असहयोग में शामिल होने वाले विभिन्न सामाजिक समूहों की सूची निम्नलिखित हैः

1. मध्यवर्गीय लोग जैसे शिक्षक, वकील, विद्यार्थी आदि।

2. व्यापारी वर्ग।

3. मद्रास की ‘ जस्टिस पार्टी ’ छोड़कर अन्य सभी राजनीतिक दल।

4. अवध के किसान।

5. सीताराम राजू के नेतृत्व में आंध्र प्रदेश के किसान।

6. बागान के श्रमिक।

ब. ऊपर लिखित तीन समूह ने निम्नलिखित कारणों से असहयोग आंदोलन में भाग लिया

क. आंध्र प्रदेश के आदिवासी :-

1. प्रदेश की गुडेम पहाड़ियों में 1920 के दशक के आरंभ में एक उग्र गुरिल्ला आंदोलन फैल गया।

2. यहां अंग्रेजी सरकार ने बड़े जंगलों में लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी थी।

3. लोग इन जंगलों में न तो पशुओं को चरा सकते थे,न ही ईंधन और बीज आदि प्राप्त कर सकते थे। इससे न केवल उनकी रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा था, बल्कि वे यह भी अनुभव कर रहे थे कि उनके परंपरागत अधिकार छीने जा रहे हैं। इस कारण से पहाड़ी लोगों में गुस्सा था।

4. जब लोगों को सड़क बनाने के लिए बेगार करने के लिए विवश किया गया तो उन्होंने विद्रोह कर दिया।

5. विद्रोहियों का नेतृत्व करने वाले अल्लूरी सीताराम राजू में लोगों का विश्वास था तथा लोग उसे ईश्वर का अवतार मानते थे।

6. राजू महात्मा गांधी का गुणगान करता था। उसने लोगों को खादी पहनने और शराब न पीने के लिए प्रेरित किया। उनका कहना था कि भारत अहिंसा के बल पर नहीं बल्कि हिंसा के प्रयोग से ही आजाद हो सकता है।

7. गुडेम विद्रोहियों ने पुलिस पर हमले किए और अंग्रेज अधिकारियों को मारने की कोशिश की तथा स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए गुरिल्ला युद्ध करते रहे।

8. 1924 ई. में राजू को फांसी दे दी गई लेकिन उस समय तक वे लोकनायक बन चुके थे।

ख. बागान के श्रमिक :-

1. श्रमिकों के लिए स्वतंत्रता का अर्थ था कि वे अपने गावों के संपर्क में रहेंगे।

2. असम के बागान श्रमिकों के लिए आजादी का अर्थ था कि वे उन चारदिवारियो से जब चाहे आ - जा सकते हैं जिनमें उन्हें बंदी बनाकर रखा गया था।

3. 1859 के इंग्लैंड इमीग्रेशन एक्ट के अनुसार बागानों में काम करने वाले श्रमिकों को बिना अनुमति बागान से बाहर जाने की छूट नहीं थी।

4. असहयोग आंदोलन के कारण हजारों मजदूर अपने अधिकारियों की अवहेलना करने लगे। उन्होंने बागान छोड़ दिए और घर चले गए।

5. उन्हें अब यह आशा हो गई थी कि गांधी राज आने पर प्रत्येक को गांव में जमीन मिल जाएगी।

6. रेलवे और स्टीमरो की हड़ताल के कारण वे रास्ते में ही फंस गए। उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया और बुरी तरह पिटाई की।

ग. अवध के किसान :-

1. अवध के सन्यासी बाबा रामचंद्र जो पहले फिजी में गिरमिटिया मजदूर के रुप में काम कर चुके थे, किसानों का नेतृत्व कर रहे थे।

2. उनका यह आंदोलन उन तालुकदारों और जमींदारों के विरुद्ध था जो किसानों से बहुत अधिक लगान और अनेक प्रकार के कर ले रहे थे तथा उनसे बेगार भी करवाते थे।

3. पट्टेदारों के पट्टे निश्चित नहीं थे बल्कि उन्हें बार-बार पट्टे से हटा दिया जाता था ताकि उनका अधिकार न हो सके।

4. किसान चाहते थे कि लगान कम किया जाए, बेगार खत्म की जाए और दमनकारी जमींदारों का बहिष्कार किया जाए।

5. अनेक स्थानों पर जमींदारों को नाईदृ धोबी से वंचित रखने के लिए भी निर्णय लिए गए।

6. जून, 1920 में जवाहर लाल नेहरू ने अवध के गांव में जाकर वहां के किसानों की व्यथा सुनी। अक्टूबर तक अनेक नेताओं के नेतृत्व में अवध किसान सभा का गठन हो गया और एक ही महीने में 300 से भी अधिक शाखाएं बन गई।

7. 1921 के असहयोग आंदोलन में कांग्रेस के अवध के किसान संघर्ष को इस आंदोलन में शामिल करने का प्रयास किया।

2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि यह उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।

उत्तर - नमक यात्रा की चर्चा इस प्रकार है :-

भारत में नमक पर कर आरंभिक काल से ही लगाया जाता रहा है। परंतु मुगल सम्राटों की अपेक्षा इस्ट इंडिया कंपनी के शासन काल में इसमें अत्यधिक वृद्धि कर दी गई।1835 में इस पर ब्रिटिश नमक व्यापारियों के हितों के लिए कर लगा दिया गया। जिससे भारत में नमक का आयात होने लगा और ईस्ट इंडिया कंपनी के व्यापारियों को बहुत फायदा हुआ।1858 के सत्ता परिवर्तन के बाद भी कर लगा रहा। भारतीयों द्वारा इसकी आरंभ से ही निंदा की गई।1885 के कांग्रेस के पहले सम्मेलन में एस ए स्वामीनाथन अय्यर ने यह मुद्दा उठाया। बाद में गांधीजी ने 1930 में इसे व्यापक मुद्दा बना दिया।

भारत नमक को छोड़कर लगभग अन्य सभी खाद्य सामग्रियों के मामले में आत्मनिर्भर था किन्तु नमक जो कि भारतीय रसोई का मुख्य अंग था उस नमक पर कर लगाना हर भारतीय को बुरा लगता था। गांधीजी पूर्ण स्वराज के मुद्दे को घर घर तक पहुँचाने के लिए ऐसे ही किसी युक्ति की तलाष में थे।

देश को संगठित करने के लिए गांधी जी ने नमक कानून तोड़कर शक्ति का परिचय दिया तथा 31 जनवरी, 1930 को वायसराय इरविन को पत्र लिखकर अपनी 11 मांगों का उल्लेख किया। गांधीजी अपनी मांगों के द्वारा समाज के सभी वर्गों को अपने आंदोलन में शामिल करना चाहते थे। गांधी जी की सबसे महत्वपूर्ण मांग नमक कर को खत्म करने की थी, क्योंकि नमक का प्रयोग अमीर - गरीब सभी करते थे।

गांधी जी का इरविन को लिखा गया पत्र एक चेतावनी की तरह था, क्योंकि उसमें लिखा गया था कि यदि उनकी मांगों को 11 मार्च तक पूरा नहीं किया गया तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ कर देगी। उनमें नमक कर का उल्लेख प्रमुखता से किया गया था।

गांधी जी ने नमक कानून को तोड़ने के लिए अपने 78 वालंटियरो के साथ 240 किलोमीटर की पैदल यात्रा 24 दिन में पूरी की।

गांधीजी अपने आश्रम से दांडी तक की पैदल यात्रा में जहां भी रुकते, हजारों लोग उनके भाषण सुनते। उन्होंने स्वराज का अर्थ स्पष्ट किया तथा लोगों को कहा कि अंग्रेजों का कहना न मानें। लोगों ने जगह जगह नमक बनाकर नमक यात्रा को सफल बनाया वास्तव में यह सत्याग्रह और अहिंसा की जीत थी।

3. कल्पना कीजिए कि आप सिविल नाफरमानी (सविनय अवज्ञा) आंदोलन में हिस्सा लेने वाली महिला है। बताइए कि इस अनुभव का आपके जीवन में क्या अर्थ होता?

उत्तर - तत्कालीन भारतीय समाज में औरतों को घर की चहारदीवारी तक ही सीमित रखा जाता था किन्तु अमीर तथा सम्पन्न परिवारों की महिलाएं धीरे धीरे पर्दों से बाहर आने लगी थीं। यदि मैं सिविल नाफरमानी आंदोलन में हिस्सा लेने वाली एक महिला होती तो इस अनुभव का मेरे जीवन में बहुत सारे अर्थ होते। जैसेः-

1. पर्दे के पीछे रहने वाली भारतीय महिलाओं के लिए सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लेना वास्तव में गर्व की बात थी।

2. गांधी जी ने महिलाओं की आंतरिक शक्ति को पहचाना और उन्हें राष्ट्रवादी आंदोलन में भाग लेने का मौका दिया।

3. इससे महिलाओं को समाज में पुरुषों के बराबर सम्मान मिलेगा उनका जीवन स्तर ऊंचा होगा।

4. राष्ट्रवादी आंदोलन में महिलाओं के भाग लेने का अर्थ गृहकार्यों से छुटकारा नहीं है, क्योंकि गांधीजी भी मानते हैं कि घर की जिम्मेदारी मुख्यतः महिलाओं की है।

सविनय अवज्ञा आंदोलन में हिस्सा लेकर मैं राष्ट्र निर्माण में भागीदारी कर सकूंगी। इसमें हिस्सा लेना मेरे लिए किसी प्रोत्साहन से कम नहीं होगा। मेरी जो जिम्मेदारी होगी मैं उसे पूरी अच्छी तरह से निभाऊंगी।

4. राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचिका के सवाल पर क्यों बंटे हुए थे?

उत्तर - विभिन्न भारतीय राजनीतिक नेता समाज के अलग-अलग वर्गों का नेतृत्व कर रहे थे। डॉ. बी. आर. अंबेडकर दलितों के नेता थे जबकि जिन्ना मुसलमानों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। सभी नेता अपने संप्रदाय विशेष के जीवन स्तर में सुधार के लिए अलग निर्वाचन क्षेत्र और राजनीतिक अधिकार चाहते थे।

अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी इस तरह की मांगों के विरुद्ध थी क्योंकि इससे राष्ट्रीय एकता पर विपरीत प्रभाव पड़ता था।

इसलिए इस मांग के विरोध में गांधी जी एक बार आमरण अनशन पर भी बैठे थे। इस प्रकार ऊपर लिखित कारणों से ही राजनीतिक नेता पृथक निर्वाचित के सवाल पर बंटे हुए थे।

परियोजना कार्य

इंडो-चाइना के उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन का अध्ययन करें। भारत के राष्ट्रीय आंदोलन की तुलना इंडो - चाइना के स्वतंत्रता संघर्ष से करे।

01 अंक के लिए प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. भारत में राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना कब हुई थी?

(अ) 1884         (ब) 1882          (स) 1885          (द) 1886

2. गांधी जी ने किस वर्ष बिहार में चंपारण आंदोलन शुरू किया?

(अ) 1917         (ब) 1916          (स) 1930          (द) 1915

3. 1929 में लेजिस्लेटिव असेंबली पर बम किसने फेंका था?

(अ) भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त   (ब) चंद्रशेखर आजाद और रामप्रसाद बिस्मिल         

(स) शचींद्र सान्याल और चमनलाल           (द) भगत सिंह और चंद्रशेखर आजाद

4. गांधी इरविन समझौता कब हुआ था?

(अ) 10 मार्च 1931         (ब) 5 मार्च 1931       (स) 7 मार्च 1931        (द) 8 मार्च 1931

5.असहयोग आंदोलन के दौरान अवध में किसानों का नेतृत्व किसने किया था?

(अ) बाबा रामचंद्र                        (ब) सुभाष चंद्र बोस         (स) महात्मा गांधी                        (द) शौकत अली

6. असहयोग आंदोलन किस वर्ष शुरू हुआ था?

(अ) 14 अप्रैल 1919       (ब) 13 अप्रैल 1919       (स) 15 अप्रैल 1919       (द) 12 अप्रैल 1919

7. गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस कब आए?

(अ) 1905         (ब) 1915          (स) 1919          (द) 1921

8. गांधीजी ने सत्याग्रह का पहला प्रयोग भारत में किस स्थान पर किया?

(अ) चम्पारन      (ब) यरवदा         (स) खेड़ा                       (द) अहमदाबाद

9. 1918 में सूती मिल मजदूरों का आंदोलन कहाँ हुआ था?

(अ) चम्पारन      (ब) यरवदा         (स) खेड़ा                       (द) अहमदाबाद

10. रॉलेट एक्ट किस वर्ष पारित किया गया था?

(अ) 1905         (ब) 1915          (स) 1919          (द) 1921

11. जलियांवाला बाग हत्याकांड किस स्थान पर हुआ था?

(अ) चम्पारन      (ब) गोरखपुर       (स) लाहौर         (द) अमुतसर

12. जलियांवाला बाग हत्याकांड कब हुआ था?

(अ) 05 अप्रैल 1919       (ब) 09 अप्रैल 1919       (स) 13 अप्रैल 1919       (द) 05 मार्च 1919

13. खिलाफत कमेटी का गठन किया गया था -

(अ) दिल्ली        (ब) बॉम्बे          (स) चैन्नई          (द) नागपुर

14. दिसम्बर 1920 का कांग्रेस अधिवेशन कहाँ हुआ था?

(अ) दिल्ली        (ब) मुम्बई          (स) कोलकाता   (द) नागपुर

15. असहयोग आंदोलन किस वर्ष शुरू किया गया था?

(अ) 1919         (ब) 1920          (स) 1921          (द) 1922

16. असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया गया था क्योंकि इस स्थान पर हिंसा हुई थी।

(अ) नागपुर        (ब) चंपारन         (स) चौरीचौरा     (द) सोलापुर

17. चौरीचौरा कांड किस वर्ष हुआ था?

(अ) 1919         (ब) 1920          (स) 1921          (द) 1922

18. स्वराज पार्टी के संस्थापक कौन थे?

(अ) सी आर दास                        (ब) एम एल नेहरू                        (स) दोनों                        (द) दोनों नहीं

19. भारत में साइमन कमीशन का आगमन कब हुआ था?

(अ) 1924         (ब) 1927          (स) 1928          (द) 1930

20. पूर्ण स्वराज की मांग कहाँ की गई थी?

(अ) दांडी           (ब) लाहौर         (स) दिल्ली         (द) खेड़ा

21. पूर्ण स्वराज की मांग किस वर्ष की गई थी?

(अ) 1928         (ब) 1929          (स) 1930          (द) 1942

22. पूर्ण स्वराज दिवस कब मनाया गया था?

(अ) 1928         (ब) 1929          (स) 1930          (द) 1942

23. नमक कानून का उल्लंघन किस स्थान पर किया गया था?

(अ) दांडी           (ब) लाहौर         (स) दिल्ली         (द) खेड़ा

24. गांधी-इरविन समझौते पर हस्ताक्षर कब किए गए?

(अ) 1929         (ब) 1930          (स) 1931          (द) 1932

25. पूना समझौता कहाँ हुआ था?

(अ) यरवदा जेल         (ब) दिल्ली जेल          (स) रंगून जेल         (द) लंदन

26. हिन्द स्वराज पुस्तक के लेखक कौन थे?

(अ) जवाहर लाल नेहरू    (ब) मोहनदास करमचंद गांधी                     (स) वल्लभभाई पटैल      (द) भीमराव अम्बेडकर

27. सितम्बर 1920 का कांग्रेस अधिवेशन कहाँ हुआ था?

(अ) दिल्ली        (ब) मुम्बई          (स) कोलकाता   (द) नागपुर

28. भारतमाता का पहला चित्र किसने बनाया था?

(अ) महात्मा गांधी                       (ब) रवीन्द्रनाथ टैगोर         (स) अवनींद्रनाथ टैगोर      (द) बंकिमचंद्र चटर्जी

29. लोक गाथा गीत, बाल गीत और मिथकों को एकत्र करने का कार्य भारत में किसने किया?

(अ) महात्मा गांधी     (ब) रवीन्द्रनाथ टैगोर         (स) अवनींद्रनाथ टैगोर      (द) बंकिमचंद्र चटर्जी

30. द फोकलार्स ऑफ ऑफ सदर्न इंडिया के नाम से तमिल लोक कथाओं का विशाल संग्रह किसने किया?

(अ) महात्मा गांधी     (ब) रवीन्द्रनाथ टैगोर         (स) नटेसा शास्त्री    (द) अल्लूरी सीताराम राजू

31. सत्याग्रह क्या है?

(अ) हथियारों की ताकत   (ब) विशुद्ध आत्मिक बल (स) भौतिक बल    (द) प्रेम और स्नेह

32. प्रथम विश्व युद्ध का समय है -

(अ) 1914-1918            (ब) 1939-1945       (स) 1905-1915        (द) 1920-1922

33. जबरन भर्ती का संबंध है -

(अ) सेना में भर्ती से      (ब) पुलिस में भर्ती से     (स) शिक्षक भर्ती से      (द) गिरमिटिया से

34. गांधीजी भारत कब लौटे थे?

(अ) 1915                     (ब) 1916                      (स) 1917                      (द) 1918

35. जलियां वाला बाग के समय अमृतसर का अधिकारी कौन था?

(अ) सर जॉन साइमन        (ब) सॉण्डर्स                    (स) जनरल डायर             (द) डॉ किचलू

36. ऑटोमन सम्राट का संबंध किस देश से है?

(अ) भारत                      (ब) सूडान                      (स) दक्षिण अफ्रीका         (द) तुर्की

37. गांधीजी ने असहयोग संबंधी विचार किस किताब में लिखे थे?

(अ) हिंदुत्व                    (ब) हिंद स्वराज               (स) प्रार्थना           (द) सत्य के मेरे प्रयोग

38. गिरमिट से तात्पर्य था -

(अ) एग्रीमेंट                    (ब) किसान                    (स) लेबर             (द) सामंत

39. गुजरात के बारदोली तालुका में किसानों का नेतृत्व किया -

(अ) महात्मा गांधी           (ब) जवाहरलाल नेहरू      (स) बाबा रामचंद्र     (द) सरदार पटेल

40. हथियारबंद आदिवासी किसे ईश्वर का अवतार मानते थे?

(अ) महात्मा गांधी को      (ब) बाबा रामचंद्र को       (स) सीताराम राजू को       (द) सरदार पटेल को

41. बागानों में काम करने वाले मजदूरों को बिना इजाजत बागान के बाहर निकलने की छूट नहीं थी। इसके लिए बनाया गया कानून था -

(अ) इंडेन्चर्ड लेबर          (ब) इनलैंड इमिग्रेशन एक्ट       (स) रोलेट एक्ट        (द) कार्न लॉ

 42. साइमन कमीशन के खिलाफ प्रदर्षन में हुए लाठीचार्ज से शहीद हुए -

(अ) बाल गंगाधर तिलक  (ब) विपिनचंद्र पाल          (स) लाला लाजपतराय     (द) अरविंद घोष

43. स्वतंत्रता दिवस की शपथ ली गई -

(अ) 26 जनवरी 1930     (ब) 26 जनवरी 1950      (स) 15 अगस्त 1947      (द) 14 अगस्त 1947

44. दूसरा सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू हुआ -

(अ) 1930                     (ब) 1931                      (स) 1932                      (द) 1933

45. पूना पैक्ट, दमित वर्ग एसोशिएशन तथा संविधान से संबंधित हैं -

(अ) महात्मा गांधी          (ब) ज्योतिबा फुले            (स) डॉ अम्बेडकर             (द) सी आर दास

46. सेवाग्राम आश्रम स्थित है -

(अ) साबरमति            (ब) वर्धा                         (स) इलाहाबाद               (द) चम्पारण

47. मुस्लिम बहुल प्रांत थे -

(अ) बंगाल और पंजाब         (ब) बॉम्बे और उडीसा 

(स) मद्रास और महाराष्ट्र       (द) मध्यप्रांत और संयुक्त प्रांत

48. अवनींद्रनाथ टैगोर द्वारा बनाए गए चित्र में भारत माता के हाथ में फूल है तथा वे हाथी और शेर के बीच खड़ी हैं। इस चित्र में हाथी और शेर प्रतीक हैं -

(अ) जंगली जानवर के      (ब) शक्ति और सत्ता के     (स) रंगों के        (द) किसी के नहीं

49. करो या मरो का नारा महात्मा गांधी के द्वारा दिया गया था। इसका संबंध है -

(अ) असहयोग आंदोलन से               (ब) सविनय अवज्ञा आंदोलन से   

(स) भारत छोड़ो आंदोलन से              (द) भारत के विभाजन से

50. भारत छोड़ो अंदोलन का प्रस्ताव कांग्रेस ने किस अधिवेशन में रखा -

(अ) बम्बई                     (ब) कलकत्ता                 (स) मद्रास                      (द) ग्वालियर

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -

1. मार्च 1919 में बम्बई ..................... कमेटी का गठन किया गया।        (खिलाफत/असहयोग)

2. असहयोग-खिलाफत आंदोलन .................. में आंरभ हुआ।              (1920/1922)

3. 1929 में भगतसिंह और बटुकेश्वरदत्त ने ................ में बम फेंका।         (असेंबली/रेल्वे स्टेशन)

4. दूसरा गोलमेज सम्मेलन ............................ में हुआ।                       (लंदन/दिल्ली)

5. आनंदमठ उपन्यास के लेखक .......................... हैं।               (बंकिमचंद्र/रवीन्द्रनाथ)

6. बंगाल स्वदेशी आंदोलन के दौरान तैयार तिरंगा झंडा में हरा, लाल और ........... रंग थे।            (पीला/नारंगी)

7.अवनींद्रनाथ टैगोर के पूर्ववर्ती चित्रकार ............... थे।                        (रवि वर्मा/नटेसा शास्त्री)

8.महात्मा गाँधी के .................. विष्वस्त सहयोगियों ने नमक यात्रा शुरू की।       (88/78)

9. न्यूकैसल से .................................... तक महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह मार्च निकाला।            ( डर्बन/ट्रांसवाल)

10. बहिष्कार के दौरान ............................ का सर्वाधिक बहिष्कार हुआ था।       (स्कूल/कपड़े)

सही जोड़ी बनाइए

(1)                               स्तम्भ ‘क’                                             स्तम्भ ‘ख’

                        (i)गांधीजी का भारत आगमन        -           (अ) 1909

                        (ii)रॉलेट एक्ट                             -          (ब) 1930

                        (iii)हिंद स्वराज                          -           (स) 1929

                        (iv)सविनय अवज्ञा                      -           (द) 1915

                        (v)असहयोग आंदोलन                -           (इ) 1919

                        (vi)पूर्ण स्वराज की मांग                -          (फ) 1920

 

(2)                               स्तम्भ ‘क’                                             स्तम्भ ‘ख’

                        (i)महात्मा गाँधी                          -           (अ) भारत माता

                        (ii)बाबा रामचंद्र                          -           (ब) इंकलाब जिंदाबाद

                        (iii)वल्लभ भाई पटैल                  -           (स) रम्पा विद्रोह

                        (iv)अल्लूरी सीताराम राजू             -           (द) बारडोली सत्याग्रह

                        (v)भगत सिंह                              -          (इ) गिरमिटिया मजदूर

                        (vi)अबनींद्रनाथ टैगोर                  -           (फ) सत्याग्रह

एक शब्द/वाक्य में उत्तर दीजिए

1.         अंग्रेजों द्वारा भारत के लोगों को जबरदस्ती सेना में भर्ती करने को क्या कहा गया?

2.         गाँधीजी ने बिहार के चंपारन इलाके का दौरा कब किया था ?

3.         भगत सिंह का प्रसिद्ध नारा कौन सा था ?

4.         बंबई में मार्च 1919 में कौन-सी समिति का गठन किया गया था ?

5.         साइमन कमीशन भारत कब आया ?

6.         पूर्ण स्वंतत्रता का प्रस्ताव कब पारित हुआ था ?

7.         भारत छोड़ों आंदोलन कब शुरू हुआ था ?

8.         बेगार का क्या अर्थ है ?

9.         बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व किसने किया था ?

10.       असहयोग आन्दोलन कब शुरू हुआ था ?

11.       जलियांवाला हत्याकाण्ड की तिथि क्या है ?

12.       चौरी-चौरा काण्ड कब हुआ था ?

13.       गाँधीजी ने वायसराय इरविन को कब खत लिखा ?

14.       गाँधीजी ने कितने साथियों के साथ नमक आन्दोलन किया ?

15.       नमक कानून का उल्लंघन गाँधीजी के द्वारा कब किया गया था ?

16.       अब्दुल गफ्फार खान को किस वर्ष गिरफ्तार किया गया ?

17.       सविनय अवज्ञा आन्दोलन कब शुरू हुआ ?

18.       भगत सिंह-राजगुरू-सुखदेव को किस वर्ष फाँसी की सजा हुई थी ?

19.       किस महान स्वतंत्रता सेनानी का निधन साइमन-कमीशन के विरोध के दौरान घायल होने से हुआ ?

20.       साण्डर्स का वध किसने किया ?

21.       करो या मरों का नारा किस आन्दोलन की उपज है ?

22.       साइमन कमीशन भारत कब आया ?

23.       गिरमिटिया मजदूरों को अंग्रजी में क्या कहा जाता है ?

24.       अवध किसान सभा का गठन किन लोगों के नेतृत्व मैं हुआ था ?

25.       “बहिष्कार’ शब्द का अर्थ क्या है?

26.       जलियांवाल बाग हत्याकाण्ड कब और कहाँ हुआ ?

27.       1917 में गाँधीजी ने बिहार के चंपारन इलाके का दौरा क्यों किया ?

28.       मार्च 1919 में खिलाफत समिति का गठन क्यो किया गया था ?

29.       “पिकेटिंग’ शब्द का आशय क्या है ?

30.       1859 का ’इग्लैंड इमिग्रेशन एक्ट’ क्या था ?

31.       स्वराज पार्टी का गठन किसने और कब किया ?

32.       लाला लाजपतराय का निधन किस घटना के कारण हुआ ?

33.       गाँधीजी ने  माँगो का उल्लेख कब किया था ?

34.       बारदोली सत्याग्रह क्या है ?

35.       कांग्रेस के किस अधिविशन में असहयोग कार्यक्रम पर स्वीकृति की मोहर लगी ?

36.       पूना पैक्ट क्या था ?

37.       साइमन कमीशन का गठन ब्रिटेन की किस सरकार ने किया था?

38.       क्रांति मानवजाति का जन्मजात अधिकार है, जिसका अपहरण नहीं किया जा सकता। यह किसने कहा था?

 सत्य/असत्य बताइए

1.         1939 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने लेजिस्लेटिव असेंबली में बम फेका।

2.         1927 में भारतीय वाणिज्य एवं उदयोग परिसंघ (फिक्की) का गठन हुआ।

3.         डॉ. अंबेडकर द्वारा मार्च 1933 में दलित वर्ग एसोसिएशन की स्थापना की गई।

4.         5 फरवरी 1922 को चौरी-चौरा की घटना हुई।  

5.         अब्दुल गफ्फार खांन और महात्मा गाँधी दोनों अच्छे मित्र थे।

6.         1859 में इग्लैंड इमिग्रेशन एक्ट लाया गया।

7.         अल्लूरी सीताराम को ईश्वर का अवतार माना जाता था।

8.         जॉन टोरी अमेरिका के प्रधानमंत्री थे।           

9.         सेवाग्राम आश्रम नागपुर में स्थित है।

10.       करो या मरो का नारा सुभाषचंद्र बोस ने दिया था।

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उत्तरमाला

बहुविकल्पीय प्रश्न

1

(स)

11

(द)

21

(ब)

31

(ब)

41

(ब)

2

(ब)

12

(स)

22

(स)

32

(अ)

42

(स)

3

(अ)

13

(ब)

23

(अ)

33

(अ)

43

(अ)

4

(ब)

14

(द)

24

(स)

34

(अ)

44

(स)

5

(अ)

15

(ब)

25

(अ)

35

(स)

45

(स)

6

(ब)

16

(स)

26

(ब)

36

(द)

46

(ब)

7

(ब)

17

(द)

27

(स)

37

(ब)

47

(अ)

8

(अ)

18

(स)

28

(स)

38

(अ)

48

(ब)

9

(द)

19

(स)

29

(ब)

39

(द)

49

(स)

10

(स)

20

(ब)

30

(स)

40

(स)

50

(अ)

 रिक्त स्थानों की पूर्ति

1 - खिलाफत कमेटी,  2 – 1920,  3 – असेंम्बली,  4 – लंदन,  5 - बंकिमचंद्र चटर्जी,

6 – पीला,  7 - रवि वर्मा,  8 – 78,  9 – ट्रांसवाल,  10 - कपड़ा

 

सही जोड़ी

(1)  (i)-(द),      (ii) -    (इ) , (iii) -(अ), (iv) -   (ब), (v) -          (फ) ,    (vi)-     (स)

(2)  (i)-(फ),     (ii) -    (इ) , (iii) -(द), (iv) -     (स), (v) -         (ब) ,     (vi)-     (अ)

 

एक वाक्य में उत्तर

 

1. जबरन भर्ती, 2. 1917 , 3. इन्कलाब जिंदाबाद, 4. खिलाफत समिति , 5. 1928 , 6. दिसंबर 1929 ,

7. 1942, 8. बिना किसी पारिश्रमिक के काम करवाना, 9.  सरदार वल्लभ भाई पटेल, 10. 1920, 11. 13 अप्रैल 1919, 12.  फ़रवरी 1922,

13. 31 जनवरी 1930 को, 14. 78, 15. अप्रैल 1930, 16. 06 अप्रैल 1930, 17. 06 अप्रैल 1930, 18. 1931,

19. लाला लाजपतराय, 20.  भगत सिंह और राजगुरु ने, 21. भारत छोडो आन्दोलन, 22. 1928, 23. इंडेंचार्ड लेबर, 24. जवाहर लाल नेहरु तथा बाबा रामचंद्र ,

25. किसी के साथ संपर्क रखने तथा जुड़ने से इनकार करना, 26.  1919 को अमृतसर में, 27. तिनकठिया पद्धति के खिलाफ, 28.  तुर्की के खलीफा के सम्मान की रक्षा हेतु, 29. विरोध के दौरान किसी फैक्ट्री,दुकान या दफ्तर का रास्ता रोक लेना, 30.  श्रमिकों को बिना अनुमति चाय बागन छोड़ने की अनुमति नहीं थी,

31. जनवरी, 1923 को देशबन्धु चित्तरंजन दास तथा मोतीलाल नेहरु ने , 32. साइमन कमीशन के विरोध के कारण, 33. 31 जनवरी 1930, 34. भू राजस्व के खिलाफ गुजरात के किसानों का आन्दोलन, 35. दिसम्बर 1920 नागपुर, 36. अंग्रेजों के सांप्रदायिक निर्णय के खिलाफ गाँधी जी और आंबेडकर के बीच समझौता, 37. टोरी सरकार ने, 38. भगत सिंह

सत्य/असत्य

1.असत्य      2. सत्य       3. असत्य      4. सत्य      5. सत्य      

6. सत्य        7. सत्य       8. असत्य      9. असत्य  10.असत्य

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02 अंकों के लिए प्रश्नोत्तर

1. खिलाफत आंदोलन क्यों हुआ था ?

उत्तर - पहले विशवयुद्ध में तुर्की की हार के बाद खलीफा की तात्कालिक शक्तियों की रक्षा करने के लिए जो आंदोलन हुआ उसे खिलाफत आंदोलन कहते हैं।

2. रॉलेट एक्ट से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर - अंग्रेजों द्वारा 1919 में पारित किया गया एक ऐसा कानून जिसमें किसी भी भारतीय को बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद किया जा सकता था।

3. दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था ?

उत्तर - दांडी यात्रा का उद्देश्य समुद्र के पानी से नमक बनाकर अंग्रेजी कानून का उल्लंघन करना था।

4. गाँधी - इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या था ?

उत्तर - सविनय अवज्ञा आंदोलन की व्यापकता ने अंग्रेजी सरकार को समझौता करने के लिए बाध्य किया। 05 मार्च 1931 को गाँधी जी और लॉड इरविन के बीच दिल्ली में जो समझौता हुआ उसे गाँधी - इरविन समझौता अथवा दिल्ली समझौता कहा गया।

5. चम्पारण सत्याग्रह के बारे में आप क्या जानते हो ?

उत्तर - बिहार के चम्पारण में नील की खेती करने वाले किसानों पर हो सहे अत्याचार के खिलाफ गाँधीजी ने सत्य और अंहिंसा के माध्यम से जो आंदोलन चलाया उसे चम्पारण आंदोलन कहते है।

6. 06 नवम्बर 1913 के ट्रांसवाल मार्च से आप क्या समझते हो ?

उत्तर - महात्मा गाँधी द्वारा दक्षिण अफ्रीका में रहने वाले भारतीय गिरमिटिया मजदूर के अधिकारों की रक्षा करने निकाले गए मार्च को न्यूकैसल से ट्रांसवाल मार्च कहा गया।

7. सत्याग्रह से क्या तात्पर्य है ?

उत्तर - प्रथम दृष्टया सत्याग्रह दुर्बलों के हथियर के रूप में निष्क्रिय प्रतिरोध की तरह दिखाई देता है किंतु सत्याग्रह वास्तव में शारीरिक बल नहीं अपितु शुद्ध आत्मबल है।

8. अल्लूरी सीताराम राजू कौन थे?

उत्तर . आंध्रप्रदेश की गूडेम पहाड़ियों में 1920 के दशक में नये वन कानूनों के लगाए जाने के प्रतिरोध में आदिवासियों का विद्रोह हुआ। जिसका नेतृत्व अल्लूरी सीताराम राजू ने किया।

9. कांग्रेस के किस अधिवेशन में पूर्ण स्वाधीनता की माँग की गई तथा इस अधिवेशन के अध्यक्ष कौन थे ?

उत्तर . भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन 1929 में पूर्ण स्वाधीनता की माँग की गई। इस अधिवेशन के अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू थे।

10. दलितों को पृथक निर्वाचक मंडल प्रदान करने के संबंध में गांधी जी की क्या आशंकाएँ थीं ?

उत्तर- गांधीजी का मानना ​​था कि पृथक निर्वाचक मंडल की स्वीकृति राष्ट्रीय आंदोलन को कमजोर करेगी और समाज की मुख्यधारा में दलितों के एकीकरण की प्रक्रिया को धीमा कर देगी।

03 अंकों के लिए प्रश्नोत्तर

1. भारत में राष्ट्रवाद के उदय के सामाजिक कारणों पर प्रकाश डालें।

उत्तर . भारतीय राष्ट्रवाद के उदय के सामाजिक कारणों में प्रमुख था । अंग्रेजों की प्रजातीय विभेद की नीति। अंग्रेज अपने को श्रेष्ठ तथा भारतीयों को उपेक्षा तथा हेय की दृष्टि से देखते थे। भारतीयों पर अनेक प्रतिबंध थे जैसे रेलगाड़ी, क्लबा, होटलों में वे सफर या प्रवेश नहीं कर सकते थे, जिसमें अंग्रेज हों। सरकारी सेवाआ में अंग्रेजों की पक्षपातपूर्ण नीति ने भी राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरित किया। सरकारी नागरिक सेवा में भारतीयों का प्रवेश काफी मुश्किल था। बहुत बार परीक्षा में सफल होने के बाद भी उन्हें या तो नियक्त नहीं किया जाता था या अकारण नोकरी से हटा दिया जाता था। सुरेन्द्रनाथ बनर्जी के साथ भी ऐसा ही किया गया। न भारतीय शिक्षित मध्यम वर्ग मर्माहत हो गया जिसने राष्ट्रवाद के विकास म महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।

2. प्रथम विश्वयुद्ध के भारत पर हुए प्रभावों का वर्णन करें।

उत्तर . प्रथम विश्वयद्ध का भारत पर गहरा प्रभाव पड़ा था। विश्वयद्ध के आर्थिक और राजनीतिक परिणामों से राष्ट्रीय आंदोलन भी प्रभावित हुआ। ब्रिटेन ने भारतीय नेताओं की सहमति लिए बिना भारत को युद्ध में घसीट लिया था। कांग्रेस, उदारवादियों और भारतीय रजवाड़ों ने इस उम्मीद से अंग्रेजी सरकार को समर्थन दिया कि युद्ध के बाद उन्हें स्वराज की प्राप्ति होगी, परंतु ऐसा नहीं हुआ। प्रथम विश्वयुद्ध ने भारतीय अर्थव्यवस्था को अव्यवस्थित कर दिया जिससे जनता की स्थिति काफी बेहतर हो गई। विश्वयुद्ध का प्रभाव राजनीतिक गतिविधियों पर भी पड़ा। विश्वयुद्ध के दौरान क्रांतिकारी गतिविधियाँ काफी बढ़ गई तथा राष्ट्रवादी आंदोलन को बल मिला।

3. साइमन कमीशन का गठन क्यों किया गया ? भारतीयों ने इसका विरोध क्यों किया ?

उत्तर . 1919 ई० के ‘भारत सरकार अधिनियम’ में यह व्यवस्था की गई थी कि दस वर्ष के बाद एक ऐसा आयोग नियक्त किया जाएगा जो इस बात की जाँच करेगा कि इस अधिनियम में कौन-कौन से परिवर्तन संभव है। अतः ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने समय से पूर्व सर जॉन साइमन के नेतृत्व में 8 नवंबर, 1927 को साइमन कमीशन की स्थापना की। इसके सभी 7 सदस्य अंग्रेज थे। इस कमीशन का उद्देश्य संवैधानिक सुधार के प्रश्न पर विचार करना था। इस कमीशन में किसी भी भारतीय को शामिल नहीं किया गया जिसके कारण भारत में इस कमीशन का तीव्र विरोध हुआ।

4. मुस्लिम लीग ने भारतीय राजनीति को किस प्रकार प्रभावित किया ?

उत्तर . मुस्लिम लीग ने कांग्रेस के विरुद्ध अंग्रेजी सरकार का साथ दिया। इस कारण सरकार ने मुसलमानों को पृथक निर्वाचन क्षेत्र, व्यवस्थापिका सभा में प्रतिनिधित्व आदि सुविधाएँ दी थी। इन सुविधाओं के कारण हिंदू तथा मुसलमानों में मतभेद उत्पन्न हुआ जिससे राष्ट्रीय आंदोलन पर बुरा असर पड़ा। जिन्ना के नेतत्व में लीग ने 14-सूची माँग रखकर भारत के विभाजन में सहायता की।

5. स्वराज पार्टी की स्थापना एवं उद्देश्य की विवेचना करें।

उत्तर . असहयोग आंदोलन की एकाएक समाप्ति से उत्पन्न निराशा और क्षोभ का प्रदर्शन 1922 में कांग्रेस के गया अधिवेशन में हुआ जिसके अध्यक्ष चितरंजन दास थे। चितरंजन दास और मोती लाल नेहरू ने कांग्रेस से असहमत होकर पदत्याग करते हुए 1922 ई० में स्वराज पार्टी की स्थापना की।

स्वराज पार्टी के नेताओं का मुख्य उद्देश्य था देश के विभिन्न निर्वाचनों में भाग लेकर व्यावसायिक सभाओं एवं सार्वजनिक संस्थाओं में प्रवेश कर सरकार के कामकाज में अवरोध पैदा किया जाए। वे अंग्रेजों द्वारा भारत में चलाई गयी सरकारी परंपराओं का अंत चाहते थे। उनकी नीति थी नौकरशाही की शक्ति को कमजोर कर दमनकारी कानूनों का विरोध करना और राष्ट्रीय शक्ति का विकास करना एवं आवश्यकता पड़ने पर पदत्याग कर सत्याग्रह में भाग लेना।

6. गाँधीजी ने खिलाफत आंदोलन को समर्थन क्यों दिया ?

उत्तर . गाँधीजी ने हिन्दू - मुस्लिम एकता के लिए खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया, क्योंकि गाँधीजी को भारत में एक बड़ा जन-आंदोलन ‘असहयोग आन्दोलन’ चलाना था।

7. चंपारण आंदोलन कब हुआ तथा इसके क्या कारण थे ?

उत्तर . चंपारण आंदोलन अप्रैल 1917 ई० में बिहार के चंपारण जिले में हुआ था। बिहार में गोरों द्वारा तिनकठिया व्यवस्था प्रचलित थी जिसमें किसान को अपनी भमि के 3/20 हिस्से में नील की खेती करनी होती थी। किसान नील की खेती नहीं करना चाहते थे क्योंकि इससे भमि की उर्वरा कम हो जाती थी। उसे उत्पादन का उचित कीमत भी नहीं मिलता था जिससे उसकी स्थिति दयनीय हो गई थी। किसानों के पक्ष को लेकर महात्मा गाँधी ने चंपारण में सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की। ब्रिटिश सरकार को अंततः झुकना पड़ा।

8. गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन क्यों आरंभ किया ? यह प्रथम जनआंदोलन कैसे था ?

उत्तर . रॉलेट कानून, जालियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में तथा खिलाफत आंदोलन के समर्थन में गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन चलाने का निर्णय लिया। इसका उद्देश्य स्वराज्य की प्राप्ति था। इसमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों ने पहली बार व्यापक रूप से भाग लिया। शहरी मध्यमवर्ग की इसमें मुख्य भागीदारी रही। ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों, मजदूरों तथा आदिवासियों ने भी इस आंदोलन में भाग लिया। इस प्रकार, यह प्रथम जनआंदोलन बन गया।

9. 1932 के पूना समझौता का क्या परिणाम हुआ ?

उत्तर . 26 सितंबर, 1932 को पूना में गाँधीजी और डा० अंबेडकर के बीच पूना समझौता हुआ जिसके परिणामस्वरूप दलित वर्गों (अनुसूचित जातियों) के लिए प्रांतीय और केंद्रीय विधायिकाओं में स्थान आरक्षित कर दिए गए। गाँधीजी ने अपना अनशन तोड़ दिया और हरिजनोद्धार कार्यों में लग गए।

10. रॉलेट एक्ट से आप क्या समझते हैं? इसका विरोध क्यों हुआ ?

उत्तर . भारत में बढ़ती हुई राष्ट्रवादी घटनाओं एवं असंतोष को दबाने के लिए रॉलेट एक्ट को लाया गया था जिसके अंतर्गत सरकार किसी भी व्यक्ति को बिना साक्ष्य एवं वारंट के भी गिरफ्तार कर सकती थी। इस अधिनियम के अंतर्गत एक विशेष न्यायालय के गठन का प्रावधान था जिसके निर्णय के विरुद्ध कोई अपील नहीं की जा सकती थी। इसीलिए इसका विरोध हुआ।

11. गाँधीजी ने दांडी यात्रा क्यों की? इसका क्या परिणाम हआ ?

उत्तर . नमक के व्यवहार और उत्पादन पर सरकारी नियंत्रण था। गाँधीजी इसे अन्याय मानते थे एवं इसे समाप्त करना चाहते थे। नमक कानून भंग करने के लिए 12 मार्च, 1930 को गाँधीजी अपने 78 सहयोगियों के साथ दांडी यात्रा (नमक यात्रा) पर निकले। वे 6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुँचे। वहाँ पहुँचकर उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाकर नमक कानून भंग किया। इसी के साथ नमक सत्याग्रह (सविनय अवज्ञा आंदोलन) आरंभ हुआ और शीघ्र ही पूरे देश में फैल गया।

12. खिलाफत आंदोलन के क्या कारण थे ? अथवा, खिलाफत आंदोलन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर . ‘तुर्की का सुल्तान’ खलीफा इस्लामी जगत का धर्मगुरु भी था। सेवर्स की संधि द्वारा उसकी शक्ति और प्रतिष्ठा नष्ट कर दी गई। इससे भारतीय मुसलमान उद्वेलित हो गए। खलीफा को पुराना गौरव या उसकी प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने के लिए 1919 में अली बंधुओं ने खिलाफत समिति बनाकर आंदोलन करने की योजना बनाई। 17 अक्टूबर, 1919 को खिलाफत दिवस मनाया गया। 1924 में तुर्की के शासक मुस्तफा कमाल पाशा द्वारा खलीफा के पद को समाप्त कर देने से खिलाफत आंदोलन स्वतः समाप्त हो गया।

13. साइमन कमीशन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें।

उत्तर . साइमन कमीशन के गठन का उद्देश्य 1919 के अधिनियम द्वारा स्थापित उत्तरदायी शासन की स्थापना में किए गए प्रयासों की समीक्षा करना एवं आवश्यक सुझाव देना था। साइमन कमीशन फरवरी 1928 में भारत आया।

आयोग के बंबई (मुंबई) पहुँचने पर इसका स्वागत काले झंडों एवं प्रदर्शनों से किया गया एवं साइमन वापस जाओ के नारे लगाए गए। देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए जिसका जवाब अंग्रेजी सरकार ने लाठी से दिया।

14. सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या कारण थे ?

उत्तर . सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रमुख कारण थे -

(i) साइमन कमीशन का बहिष्कार तथा नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार किया जाना,

(ii) 1929-30 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी,

(iii) भारत में समाजवादी का बढ़ता प्रभाव,

(iv) गाँधीजी के 11 सूत्री मांगों को मानने से इरविन का इनकार,

(v) पूर्ण स्वराज की माँग।

15. गाँधी इरविन पैक्ट अथवा दिल्ली समझौता क्या था ?

उत्तर . सविनय अवज्ञा आंदोलन की व्यापकता ने अंग्रेजी सरकार को समझौता करने के लिए बाध्य किया। 5 मार्च, 1931 को वायसराय लार्ड इरविन तथा गाँधीजी के बीच समझौता हुआ जिसे दिल्ली समझौता के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत गाँधीजी ने आंदोलन को स्थगित कर दिया तथा वे द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने हेतु सहमत हो गए।

16. असहयोग आंदोलन में चौरी-चौरा की घटना का क्या महत्त्व है ?

उत्तर . असहयोग आंदोलन पूर्णतः अहिंसक आंदोलन था जिसमें हिंसा का कोई स्थान नहीं था। लेकिन 5 फरवरी, 1922 को गोरखपुर (उत्तरप्रदेश) के चौरा-चौरी नामक स्थान पर आंदोलनकारियों की भीड़ ने पुलिस थाना पर हमला कर अनेक पुलिसकर्मियों को जिंदा जला दिया। इस घटना से गाँधीजी काफी दुखित हुए और उन्होंने तत्काल असहयोग आंदोलन को वापस लेने का निर्णय किया।

17. नमक सत्याग्रह पर एक टिप्पणी लिखें।

उत्तर . सविनय अवज्ञा आंदोलन नमक सत्याग्रह से आरंभ हुआ। नमक कानून भंग करने के लिए गाँधीजी ने दांडी को चुना। 12 मार्च, 1930 को अपने 78 विश्वस्त सहयोगियों के साथ गाँधीजी ने साबरमती आश्रम से दांडी यात्रा आरंभ की। 24 दिनों की लम्बी यात्रा के बाद 6 अप्रैल, 1930 को दांडी पहुँचे। वहाँ पहुँचकर उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाया और शांतिपूर्ण अहिंसक ढंग से नमक कानून भंग किया।

18. भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में जनजातीय समूह की क्या भूमिका थी, वर्णन करें।

उत्तर . भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में जनजातिय लोगों की प्रमुख भूमिका रही। 19 वीं शताब्दी की तरह 20 वीं शताब्दी में भी भारत के अनेक भागों में आदिवासी विद्रोह हुए। इन विद्रोहों में रम्पा विद्रोह, अलमरी विद्रोह, उड़ीसा का खोड़ विद्रोह, यह 1914 से 1920 तक चला। 1917 में मयूरभंज में संथालों ने एवं मणिपुर में ‘पोडोई कुकियों’ ने विद्रोह किया था। 1930 में सविनय अवज्ञा आन्दोलन के समय पश्चिमोत्तर प्रांत का जनजातियों ने तीव्र राष्ट्रवादी भावना दिखायी। दक्षिण बिहार के आदिवासियों ने भी राष्ट्रीय चेतना का परिचय दिया। इस प्रकार भारत के कोने-कोने से आदिवासी जनता ने समय - समय पर राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिया।

19. खिलाफत आंदोलनकारियों की माँग क्या थी ?

उत्तर . खिलाफत आंदोलनकारियों की माँग निम्नलिखित थी -

(i) तुर्की के सुल्तान की शक्ति और प्रतिष्ठा की पुनः स्थापना,

(ii) अरब प्रदेश खलीफा के अधीन करना,

(iii) खलीफा को मुसलमानों के पवित्र स्थलों का संरक्षक बनाया जाए।

20. गरीब किसान सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34) में क्यों शामिल हुए? कांग्रेस उनकी मांगों को पूरा समर्थन क्यों नहीं दे पाई?

उत्तर- गरीब किसान सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930-34) में शामिल हुए क्योंकि जमींदार राजस्व मांग को कम करने में रुचि नहीं रखते थे । कई लोगों के पास किराए की जमीन थी। मंडी और घटती नकद आय के कारण वे किराए का भुगतान नहीं कर सके। कांग्रेस गरीब किसानों को पूर्ण समर्थन नहीं दे सकी क्योंकि उन्हें लगा कि अमीर किसान और जमींदार परेशान होंगे। कांग्रेस ज्यादातर जगहों पर 'नो रेंट' अभियान का समर्थन करने को तैयार नहीं थी। इसलिए, गरीब किसानों और कांग्रेस के बीच संबंध अनिश्चित बने रहे।

21. द्वितीय गोलमेज सम्मेलन के बाद गांधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को फिर से क्यों शुरू किया? कोई तीन कारण स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : दिसम्बर 931 में गांधीजी सम्मेलन के लिए लन्दन गए लेकिन वार्ता टूट गई और हीन निराश होकर लौट गए।

भारत में वापस, गांधीजी ने पाया कि सरकार ने दमन का एक नया चक्र शुरू किया था। गफ्फार खान और जवाहरलाल नेहरू दोनों जेल में थे, कांग्रेस को अवैध घोषित कर दिया गया था और बैठकों, प्रदर्शनों और बहिष्कार को रोकने के लिए कई उपाय किए गए थे। बड़ी आशंका के साथ, महात्मा गांधी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन फिर से शुरू किया।

22. बंगाल में 'स्वदेशी आंदोलन' के दौरान किस प्रकार के झंडे का डिजाइन तैयार किया गया था? इसकी प्रमुख विशेषताएँ स्पष्ट कीजिए।

उत्तर बंगाल में स्वदेशी आंदोलन के दौरान लाल, हरे और पीले रंग के तिरंगे झंडे को डिजाइन किया गया था। इसमें आठ कमल की पंखुड़ियाँ शामिल थीं जो आठ प्रांतों को प्रदर्शित करती थीं और अर्धचंद्राकार हिंदुओं और मुसलमानों को प्रकट करता था।

04 अंकों के लिए प्रश्नोत्तर

1. भारत माता और जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।

उत्तर - भारतमाता और जर्मेनिया के बीच तुलना -

क्रं.

भारत माता

जर्मेनिया

1

1905 में अवनींद्रनाथ टैगोर ने चित्रित किया।

1848 में चित्रकार फिलिप वेट ने चित्रित किया।

2

भारत माता को सन्यासिनी के रूप में दर्शाया गया था।

जर्मेनियां को जर्मनी की पहरेदार के रूप में दर्शाया गया था।

3

भारतमाता को शांत,गंभीर, दैवीय और आध्यात्मिक गुणों से युक्त बताया गया है।

एक वीर, साहसी तथा देश की रक्षक के रूप में दिखाया गया है।

4

शिक्षा, भोजन और कपड़े देने वाली मां का रूप।

तलवार लिए हुए वीर महिला का रूप

5

राष्ट्रवादी आंदोलन में श्रद्धा की प्रतीक।

राष्ट्रीय एकता का प्रतीक

 

2. असहयोग आंदोलन का कारण और परिणाम लिखिए।

उत्तर : महात्मा गांधी का मानना था कि भारत में ब्रिटिश शासन भारतीयों के सहयोग से ही स्थापित हुआ है और यह शासन इसी सहयोग के कारण चल पा रहा है। अगर भारत के लोग अपना सहयोग वापस ले लें तो साल भर के भीतर ब्रिटिष शासन ढह जाएगा और स्वराज की स्थापना हो जाएगी।  अतः विभिन्न कारणों से असहयोग आंदोलन आरंभ हुआ जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं :-

1. प्रथम विश्वयुद्ध :- पहले विश्व युद्ध में भारतीयों ने अंग्रेजों को इस उम्मीद के साथ मदद की थी कि युद्ध के बाद स्वराज प्राप्त हो जाएगा किन्तु ऐसा नहीं हुआ। बल्कि युद्ध के दौरान ही अनेक गांवों में जबरन भर्ती से नाराजगी का माहौल बन गया और जनता में रोष हो गया। गांधीजी इस रोष को व्यापक रूप देना चाहते थे। और असहयोग आंदोलन की बात उन्होंने कही।

2. रोलेट एक्ट :- एक तरफ भारतीय युद्ध के बाद कुछ अच्छे की उम्मीद कर रहे थे किन्तु अंग्रेजों ने भारतीय क्रांतिकारियों और राजनीतिक अराजकता को रोकने की आड़ में एक काला कानून ले आए जिसे रोलेट एक्ट कहा गया। इसके माध्यम से अंग्रेजी सरकार किसी भी भारतीय को बिना पूर्व सूचना दिए गिरफ्तार कर सकती थी। पुलिस कभी भी किसी भी समय घर को सर्च कर सकती थी। इससे भारतीयों में गुस्सा छा गया और वे विरोध करने लगे।

3. जलियांवाला बाग :- रोलेट एक्ट के विरोध में अमृतसर के जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण चल रही सभा पर ब्रिटिष सरकार ने गालियां चलवा दीं जिसमें सैंकड़ों निहत्थे लोग मारे गए जिसका गुस्सा पूरे देश में फैल गया।

4. ब्रिटिश सरकार के खिलाफ गुस्से को गांव गांव तक पहुचाना :- जलियांवाला बाग के बाद जब लोगों में गुस्सा देखा तो गांधी जी ने इस गुस्से को सम्पूर्ण भारत के एक एक नागरिक तक ले जाने का प्रयास आरंभ कर दिया।

5. खिलाफत के सवाल पर मुसलमानों में असंतोष :- गांधीजी भारत के हिन्दू और मुसलमान को एक बार फिर एकजुट कर 1857 के संग्राम की तरह अंग्रेजों के खिलाफ देखना चाहते थे। तभी तुर्की के खलीफा के साथ दुर्व्यवहार की खबरों से सारे मुसलमान अंग्रेजां से नाराज हो गए। भारत में भी ऐसा ही हुआ। गांधीजी ने इसे अच्छा अवसर माना और जिसकी परिणति असहयोग आंदोलन के रूप में सामने आई।

असहयोग आंदोलन के परिणाम :-

1.जनता में चेतना ओर निर्भीकता का संचार हुआ।

2.राष्ट्रीय आंदोलन एक जन आंदोलन में बदल गया।

3.सामाजिक विषमता तथाअमीरी - गरीबी और बेरोजगारी को दूर करने का वातावरण बना।

4.साम्प्रदायिक सौहार्द्र का माहौल बना।

3. सविनय अवज्ञा आंदोलन को विस्तारपूर्वक समझाइए।

उत्तर. नेहरू रिपोर्ट में भारत के लिए औपनिवेशिक स्वराज की बात कही गई और चेतावनी दी गई कि एक वर्ष के अंदर मांग नहीं मानी गई तो कांग्रेस पूर्ण स्वराज की मांग प्रस्तुत करेगी। लेकिन ब्रिटिश सरकार ने इस चेतावनी पर कोई ध्यान नहीं दिया तो 1929 ई. में लाहौर के काँग्रेस अधिवेशन में काँग्रेस कार्यकारणी ने गाँधीजी को यह अधिकार दिया कि पूर्ण स्वराज के लक्ष्य के साथ वह सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करें। तद्नुसार 1930 में साबरमती आश्रम में कांग्रेस कार्यकारणी की बैठक हुई। इसमें एक बार पुनः यह सुनिश्चित किया गया कि गाँधीजी जब चाहें जैसे चाहें सविनय अवज्ञा आंदोलन आरंभ करें।

सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण

1.साइमन कमीशन के बहिष्कार आंदोलन के दौरान जनता के उत्साह को देखकर यह लगने लगा अब एक आंदोलन आवश्यक है।

2.सरकार ने मोतीलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट अस्वीकार कर दी थी इससे असंतोष व्याप्त था।

3.चौरी-चौरा कांड (1922) को एकाएक रोकने से निराशा फैली थी, उस निराशा को दूर करने भी यह आंदोलन आवश्यक प्रतीत हो रहा था।

4.1929 की आर्थिक मंदी भी एक कारण थी।

5.क्रांतिकारी आंदोलन को देखते हुए गांधीजी को डर था कि कहीं समस्त देश हिंसक आंदोलन की ओर न बढ़ जाए, अतः उन्होंने नागरिक अवज्ञा आंदोलन चलाना आवश्यक समझा।

6.देश में साम्प्रदायिकता की आग भी फैल रही थी इसे रोकने भी आंदोलन आवश्यक था।

30 जनवरी, 1930 ई. को गाँधीजी ने अपने पत्र ‘यंग इण्डिया’ में वायसराय के सम्मुख ग्यारह माँगे रखीं और शासन को चेतावनी दी, कि यदि वह माँगें नहीं मानता है तो उसे एक सषक्त आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए । अंग्रेज सरकार द्वारा कोई ध्यान नही देने पर आंदोलन आरंभ करने का तय हुआ और मुख्य लक्ष्य नमक कर को समाप्त करना रखा गया।

आंदोलन प्रारम्भ होना-

12 मार्च, 1930 ई. को गाँधीजी ने नमक कानून तोड़ने के उद्देश्य से अपने चुने हुए 78 साथियों को लेकर गुजरात के समुद्र तट पर स्थित दाण्डी नामक गांव को प्रस्थान किया और 6 अप्रैल को उन्होंने दाण्डी समुद्र तट पर स्वयं नमक कानून का उललंघर कर सत्याग्रह का श्रीगणेश किया । जगह-जगह सार्वजनिक सभाएं हुई ।

कलकत्ता, मद्रास, पटना, करांची, दिल्ली, नागपुर और पेशावर आदि स्थानों में प्रदर्शनों और हड़तालों का अत्यधिक जोर था । सैकड़ों सरकारी कर्मचारियों ने अपनी नौकरियां छोड़ दीं, अनेक विधायकों ने कौंसिलों से त्याग पत्र दे दिये । महिलाओं ने शराब और अफीम की दुकानों पर धरने दिये तथा उनके गुण्डों की मार सही । विदेशी कपड़ों की होली जलाई गई । नवयुवकों ने सरकारी स्कूलों और कॉलेजों को त्याग कर राष्ट्रीय शिक्षा को अपनाया । कहीं-कहीं किसानों ने लगान देना बंद कर दिया । बम्बई में अंग्रेज व्यापारियों की मिलें बंद हो गई ।

गांधीजी के आव्हान पर लोगों ने जाति-भेद व छुआछूत को समाज से समाप्त कर देने का बीड़ा उठाया । समस्त सरकारी कार्य ठप्प हो गये । जून, 1930 ई. तक सारा देश विद्रोह के पथ पर चलता हुआ दिखाई दे रहा था ।

सरकार का दमन-चक्र-

सरकार ने देशव्यापी आन्दोलन के दमन के लिए अपनी पूरी शक्ति लगा दी । कांग्रेस गैर-कानूनी संस्था घोषित कर दी गई । आंदोलन आरम्भ भी नहीं होने पाया था कि उससे पहले ही हजारों स्वयसंसेवक किसी न किसी बहाने जेलों में डाल दिये गये । सरकार ने आंदोलन को निर्ममतापूर्वक कुचलना शुरू किया । पिलस ने लाठी-गोली चलाना अपना दैनिक कार्य बना लिया । कलकत्ता और पेशावर आदि स्थानों में स्वयंसेवकों की टोली पर गोलियों और बमों की वर्षा की गई, परनतु जनता के उत्साह के कारण आंदोलन थमने का नाम ही नहीं लेता था ।

5 मई को सरकार ने गांधीजी, सरदार बल्लभ भाई पटेल, जवाहरलाल नेहरू, डॉं. राजेन्द्र प्रसाद आदि नेताओं सहित हजारों लोगों को बन्दी बना लिया ।

गांधी-इरविन समझौता-

जब सरकार सख्ती से आंदोलन का दमन नहीं कर पायी तो उसने समझौते के लिए हाथ बढ़ाया । तेज बहादुर सप्रू और डॉं. जयकर आदि ने समझौते का प्रयत्न किया । अतः जनवरी, 1931 ई. में गांधीजी और कुछ मान्य नेताओं को कारावास से मुक्त कर दिया गया । इसी वर्ष 5 मार्च को ‘गांधी-इरविन समझौतैता’ हुआ जिसके अन्तर्गत आंदोलन समाप्त कर दिया गया ।

सविनय अवज्ञा आंदोलन का महत्व

सविनय अवज्ञा आंदोलन के अत्यन्त व्यापक व दूरगामी प्रभाव हुए जो हैं-

1.इस आंदोलन में पहली बार बड़ी संख्या में भारतीयों ने भाग लिया, जिसमें मजदूर व किसानों से लेकर उच्चवर्गीय लोग तक थे ।

2.इस आंदोलन में करबन्दी को प्रोत्साहन दिये जाने के फलस्वरूप किसानों में भी राजनीतिक चेतना एवं अधिकारों की मांग के लिए संघर्ष करने की क्षमता का विकास हुआ ।

3.इस आंदोलन के फलस्वरूप जनता में निर्भयता, स्वावलंबन और बलिदान के गुण उत्पन्न हो गये जो स्वतंत्रता की नींव हैं ।

4.जनता ने अब समझ लिया कि युगों से देश के दुःखों के निवारण के लिए दूसरों का मुख ताकना एक भ्रम था, अब अंग्रेजों के वायदों और सद्भावना में भारतीय जनता का विश्वास नहीं रहा। अब जनता के सारे वर्ग स्वतंत्रता चाहने लगे थे ।

इस आंदोलन में कांग्रेस की कमजोरियों को भी स्पष्ट कर दिया । कांग्रेस के पास भविष्य के लिये आर्थिक, सामाजिक कार्यक्रम न होने के कारण वह भारतीय जनता में व्याप्त रोष का पूर्णतया उपयोग न सकी ।

4. नमक मार्च किस प्रकार उपनिवेशवाद के विरुद्ध प्रतिरोध का एक प्रभावी हथियार बन गया? समझाइए|

उत्तर : 'नमक मार्च' उपनिवेशवाद के विरुद्ध प्रतिरोध का प्रभावी साधन बन गया क्योंकि:

(i) महात्मा गांधी ने नमक में एक शक्तिशाली प्रतीक पाया जो राष्ट्र को एकजुट कर सकता था।

(ii) गांधीजी ने वायसराय इरविन को ग्यारह मांगों को बताते हुए एक पत्र भेजा। सबसे अधिक हलचल नमक कर को समाप्त करने की मांग थी।

(iii) नमक भोजन की सबसे आवश्यक वस्तु थी और इसका सेवन अमीर और गरीब समान रूप से करते थे।

(iv) इरविन बातचीत के लिए तैयार नहीं थे, इसलिए गांधीजी ने 78 स्वयंसेवकों के साथ नमक मार्च शुरू किया। 6 अप्रैल को उन्होंने दांडी में एक-एक कर कानून का उल्लंघन किया और नमक बनाया। इस मार्च ने राष्ट्रवाद की भावना विकसित की, देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों ने नमक कानून तोड़ा और नमक का निर्माण किया और सरकारी नमक कारखानों के सामने प्रदर्शन किया।

5. प्रथम विश्व युद्ध के भारत पर पड़ने वाले प्रभावों की व्याख्या कीजिए।

उत्तर: प्रथम विश्व युद्ध ने एक नई आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पैदा की और भारत में निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न कीं:

i. इससे रक्षा व्यय में भारी वृद्धि हुई जिसे भारतीयों पर करों में वृद्धि करके वित्तपोषित किया गया।

ii. सीमा शुल्क बढ़ाया गया और आयकर पेश किया गया।

iii. कीमतें बढ़ीं, 1913 और 1918 के बीच दोगुनी हो गईं, लगातार कीमतों में वृद्धि ने आम लोगों को अत्यधिक कठिनाई का कारण बना दिया।

iv. ग्रामीणों को ग्रामीण क्षेत्रों में जबरन भर्ती करके सैनिकों की आपूर्ति करने का आह्वान किया गया, जिससे व्यापक आक्रोश फैल गया।

vi.1918-19 के दौरान भारत के कई हिस्सों में फसलें ख़राब हो गईं जिससे भोजन की कमी हो गई।

vi. इन्फ्लूएंजा महामारी का प्रसार और 12 से 13 मिलियन लोगों की मृत्यु।

6. सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न सामाजिक समूह क्यों शामिल हुए? समझाइए।

उत्तर : सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न कारणों से विभिन्न सामाजिक समूह शामिल हुए:

(i) अमीर किसान समूह: पाटीदार और जाटों ने राजस्व में कमी की मांग की और बहिष्कार कार्यक्रम में भाग लिया।

(ii) गरीब किसान समूह: वे चाहते थे कि लगान की राशी में माफ़ी चाहते थे , वह समाजवादी और कम्युनिस्ट द्वारा संचालित रेडिकल आंदोलन में शामिल हो गए।

(iii) बिजनेस क्लास ग्रुप: प्रमुख उद्योगपति जैसे पुरुषोत्तमदास, जी डी बिड़ला ने एफआईसीसीआई का गठन किया। वे विदेशी वस्तुओं के आयात और स्थिर रुपया स्टर्लिंग विनिमय अनुपात के खिलाफ सुरक्षा चाहते थे और आयातित सामान बेचने से इनकार कर दिया।

(iv) मजदूर वर्ग समूह: नागपुर के श्रमिकों ने अपनी मजदूरी और खराब काम करने की स्थिति के खिलाफ विदेशी सामानों का बहिष्कार अपनाया।

(v) महिलाएँ: इन्होने विरोध मार्च में भाग लिया, नमक का निर्माण किया और विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया।

7. सांस्कृतिक प्रक्रियाओं ने भारत में सामूहिक अपनेपन की भावना पैदा करने में कैसे मदद की? समझाना।

उत्तर: (अ) सामूहिक अपनेपन की भावना आंशिक रूप से एकजुट संघर्षों के अनुभव और औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ लोगों के बीच बढ़ते गुस्से के माध्यम से आई थी।

(ब) लेकिन कई तरह की सांस्कृतिक प्रक्रियाएं भी थीं जिनके माध्यम से राष्ट्रवाद ने लोगों की कल्पना पर कब्जा कर लिया:

(i) साहित्य, गीत, पेंटिंग आदि के माध्यम से बनाई गई भारत माता की एक आकृति या छवि के प्रतीक राष्ट्र की पहचान।

(ii) राष्ट्रवादी भावनाओं को बढ़ाने के लिए भारतीय लोककथाओं को पुनर्जीवित करने के लिए आंदोलन।

(iii) लोगों को एकजुट करने और उनमें राष्ट्रवाद की भावना को प्रेरित करने में प्रतीकों और प्रतीकों की भूमिका।

(iv) इतिहास की पुनर्व्याख्या के माध्यम से राष्ट्रवाद की भावना पैदा करना था।

उत्तर: लोककथाओं का निर्माण भारत की स्वर्णिम परंपरा और इतिहास की याद में किया गया था। इन लोककथाओं के योगदान को इस प्रकार गिना जा सकता है:

(i) इतिहास और कल्पना, लोकगीत और गीत, लोकप्रिय प्रिंट और प्रतीक राष्ट्रवादी भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण थे।

(ii) देश की पहचान बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित भारत माता की छवि के समान थी।

(iii) 1870 के दशक में बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने एक भजन के रूप में "वन्दे मातरम" (जय मातृभूमि) की रचना की |

(iv) राष्ट्रवाद की धारणा एक आंदोलन के माध्यम से बनी जिसने भारतीय लोकगीत संस्कृति को पुनर्जीवित किया।

 अभ्यास हेतु विश्लेष्णात्मक प्रश्न

प्रश्न 1. राष्ट्रवादियों पर शिकंजा कसने के लिए ब्रिटिश प्रशासन द्वारा उठाए गए किन्हीं तीन दमनात्मक उपायों का वर्णन कीजिए।

प्रश्न 2. हरिजनों को उनका अधिकार दिलाने के लिए गांधीजी द्वारा किए गए किन्हीं तीन प्रयासों का उल्लेख कीजिए।

प्रश्न 3. 'लोगों को एकजुट करने और उनमें राष्ट्रवाद की भावना जगाने के लिए कुछ प्रतीकों और प्रतीकों का इस्तेमाल किया गया था।' उपरोक्त कथन के समर्थन में दो प्रमाण दें।                           

अथवा

भारत में राष्ट्रवाद की वकालत करने वाले चिह्नों और प्रतीकों का उल्लेख कीजिए।

प्रश्न 4.  क्या आप बता सकते हैं कि कुछ कांग्रेसी नेता नवंबर 1920 के परिषद चुनावों का बहिष्कार करने के लिए अनिच्छुक क्यों थे?

प्रश्न 5.  सविनय आज्ञाकारिता आंदोलन असहयोग आंदोलन से किस प्रकार भिन्न था? अंतर के किन्हीं तीन बिन्दुओं का उल्लेख कीजिए।

 


आप सफल हों 

धन्यवाद 

 

 

 

 

 

 


 



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