यूरोप में समाजवाद
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1. यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति : सामाजिक परिवर्तन का युग (उदारवादी,रैडिकल और रूढ़िवादी)
2.यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति : सामाजिक
परिवर्तन का युग (औद्योगिक समाज और सामाजिक परिवर्तन)
3.यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति : सामाजिक
परिवर्तन का युग (यूरोप में समाजवाद का आना
और समाजवाद के लिए समर्थन)
4. यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति : रूसी क्रांति
(रूसी साम्राज्य,1914 एवं अर्थव्यवस्था
और समाज)
5. यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति : रूसी क्रांति
(रूस में समाजवाद, उथल-पुथल का समय
: 1905 की क्रांति एवं पहला विश्वयुद्ध और रूसी साम्राज्य)
6. यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति : रूसी क्रांति
(पेत्रोग्राद में फरवरी क्रांति और फरवरी के
बाद)
7.यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति : रूसी क्रांति
(अक्टुबर 1917 की क्रांति)
8. यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति : अक्टुबर
के बाद क्या बदला? (गृहयुद्ध)
9.यूरोप में समाजवाद और रूसी क्रांति : समाजवादी
समाज का निर्माण, स्तालिनवाद और सामूहिकीकरण
तथा रूसी क्रांति और सोवियत संघ का वैष्विक प्रभाव
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1.1 सामाजिक परिवर्तन का युग
1.2 उदारवादी, रैडिकल और रूढ़िवादी
1.3 औद्योगिक समयज और सामाजिक परिवर्तन
1.4 यूरोप में समाजवाद का अनान
1.5 समाजवाद के लिए सर्मथन
रूसी
क्रांति
2.1 रूसी साम्राज्य - 1914
2.2 अर्थव्यवस्था और समाज
2.3 रूस में समाजवाद
2.4 उथल - पुथल का समय : 1905 की क्रांति
2.5 पहला विश्वयुद्ध और रूसी साम्राज्य
पेत्रोग्राद
में फरवरी क्रांति
3.1 फरवरी के बाद
3.2 अक्टुबर 1917 की क्रांति
अक्टुबर
के बाद क्या बदला
4.1 गृहयुद्ध
4.2 समाजवादी समाज का निर्माण
4.3 स्तालिनवाद और सामूहिकीकरण
रूसी
क्रांति और सोवियत संघ का वैश्विक प्रभाव
नोट्स :-
सामाजिक परिवर्तन का युग -
·
यूरोप में सामाजिक संरचना के
क्षेत्र में फ्रांसीसी क्रांति के बाद आमूल परिवर्तन की संभावना का सूत्रपात हो
गया था।
·
भारत में भी राजा राममोहन राय और
डेराजियो ने फ्रांसीसी क्रांति के महत्व का उल्लेख किया।
· रूढ़िवादी - यूरोप का एक वर्ग जो आमूल समाज
परिवर्तन का पक्षधर नहीं था उसे रूढ़िवादी कहा जाता है। यह वर्ग बदलाव के लिए तो
तैयार था किन्तु बदलाव धीरे - धीरे चाहता था। यह वर्ग पारंपरिक मान्यताओं के आधार
पर कार्य करता था।
· उदारवादी - वह वर्ग जो चाहता था कि सभी
धर्मों को बराबर का सम्मान और स्थान मिले तथा कानून के समक्ष व्यक्तिमात्र की
स्वतंत्रता और अधिकारों के पक्षधर थे। यह वर्ग लोकतंत्र समर्थक नहीं था क्योंकि ये
लोग सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के पक्ष में नहीं थे।
· रैडिकल (आमूल परिवर्तनवादी) - यह वर्ग क्रांतिकारी रूप से
सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन चाहते थे। ये लोग बड़े जमींदारों और सम्पन्न
उद्योगपतियों को प्राप्त किसी भी विशेषाधिकार के खिलाफ थे तथा निजी सम्पत्ति के
विरोधी न होते हुए भी सम्पत्ति केवल कुछ लोगों के ही पास हो इसका विरोध करते थे।
यह वर्ग मताधिकार आंदोलन का समर्थक था।
·
ब्रिटेन की सरकार चर्च ऑफ इंग्लैंड
का समर्थन करती थी जबकि ऑस्ट्रिया और स्पेन कैथेलिक चर्च के समर्थक थे।
औद्योगिक समाज और सामाजिक परिवर्तन -
·
औद्योगीकरण का दुष्प्रभावः-
o औद्योगीकरण ने औरतों - आदमियों और बच्चों , सबको कारखानों में ला दिया।
o काम के घंटे बहुत अधिक तथा मजदूरी बहुत कम होती थी।
o औद्योगिक वस्तुओं की मांग में गिरावट आने पर बेरोजगारी बढ़ जाती थी।
o तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण आवास तथा साफ - सफाई का काम मुश्किल होता जा रहा
था।
·
मजदूरों की स्थिति सुधार हेतु
प्रयास –
o उदारवादी और रैडिकल दोनों वर्गों में उद्योगपतियों की उपस्थिति थी।
o ये उद्योगपति निरंतर लाभ कमाने के लिए स्वस्थ और पढ़े लिखे मजदूरों की
अपेक्षा रखते थे। अतः इस दिशा में कार्य करने लगे।
o इन उद्योगपतियों द्वारा सुधारात्मक प्रस्ताव रखने के कारण काफी लोग इनसे
प्रभावित हुए और इनसे जुड़ते चले गए।
o भारत सहित दुनिया भर में इटली के क्रांतिकारी गिसेप्पे मैजिनी की रचनाएं
पढ़ते हैं।
यूरोप में समाजवाद का आना -
·
समाजवादी - वह वर्ग जो निजी सम्पत्ति का घोर
विरोधी था तथा सम्पति पर पूरी तरह से समाज का नियंत्रण चाहता था। इनके अनुसार निजी
सम्पत्तिधारी लोग केवल निजी लाभ के लिए गरीबों को रोजगार देते हैं न कि गरीबों के
वास्तविक उत्थान के लिए।
·
सहकारिता - रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) जो कि स्वयं उद्योगपति थे उनके द्वारा न्यू हार्मानी के नाम से अमेरिका के
इंडियाना में एक नया प्रयोग किया गया। जिसमें मजदूरों की दशा सुधारने महत्वपूर्ण
कार्य किए। किन्तु ओवेन का यह प्रयास अपने कारखानों की उत्पादकता बढ़ाने के उद्देश्य
से किया गया माना जाता है।
·
लुई ब्लांक, फ्रांस (1813-1882) चाहते थे कि मजूदरों की दशा सुधारने
का व्यक्तिगत प्रयास एक तरह की एहसानदारी होती है जो कि नैसर्गिक नहीं है अतः
पूँजीवादी उद्यमों की जगह सरकार सामूहिक उद्यमों को बढ़ावा दे।
·
कार्ल मार्क्स (1818-1882) - इसके अनुसार
o औद्योगिक समाज पूँजीवादी समाज है।
o मजदूरों की मेहनत पर पूँजीपतियों को मुनाफा होता है।
o सम्पत्ति पर सामाजिक नियंत्रण और स्वामित्व सिर्फ मजदूरों का होना चाहिए।
o इस तरह के समाज को साम्यवादी समाज कहा जाता है।
·
फ्रेडरिक एंगेल्स (1820-1895) - यह कार्ल मार्क्स का सहयोगी था जिसने मार्क्स की किताब दास कैपिटल लिखने में
मदद की थी और मार्क्स के सिद्धांत को मार्क्सवाद नाम दिया था।
·
समाजवाद के लिए समर्थन - 1870 का दशक आते - आते समाजवादी विचार पूरे यूरोप में फैल चुके थे।
·
पहला इंटरनेशनल अथात पहली दुनिया -
पूँजीवादी समर्थक देश।
·
द्वितीय इंटरनेशनल - यूरोप की कुछ
सरकारों ने मजदूर हड़तालों को तोड़ने के लिए विदेशी मजदूरों का इस्तेमाल किया था। तो
साम्यवादियों ने फैसला किया कि इस स्थिति का मुकाबला करने के लिए एक अन्तराष्ट्रीय
संगठन बनाया जाए। इसे ही द्वितीय इंटरनेशनल कहा गया जिसके समर्थक दूसरी दुनिया के
देश भी कहलाते हैं।
·
इंग्लैंड और जर्मनी में इन संगठनों
ने अन्य संगठनों के साथ मिलकर मजदूरों की दशा सुधारने आंदोलन आरंभ किए। जैसे
जर्मनी में सोशल डेमाक्रेटिक पार्टी (एसपीडी) का समर्थन लेते हुए उसे संसदीय
चुनावों में भी सहयोग किया। इंग्लैंड में भी 1905 में लेबर पार्टी का गठन किया गया। जबकि फ्रांस में सोशलिस्ट पार्टी बनाई
गई।
·
रूसी क्रांति - फरवरी 1917 में राजशाही के पतन से लेकर अक्टूबर 1917 में रूस की सत्ता पर समाजवादियों के कब्जे तक कि घटनाओं को रूसी क्रांति
कहा जाता है।
· राजनीतिक स्थिति - रूसी साम्राज्य, 1914 - 1914 में रूस का साम्राज्य जार निकोलस द्वितीय के शासन में मास्को के आसपास से
लेकर आज के फिनलैंड, लातविया, लिथुआनिया, एस्तोनिया तथा पोलैंड, यूक्रेन और बेलारूस के कुछ हिस्सों तक फैला हुआ था। जिसमें आज के मध्य एशियाई
राज्यों के साथ - साथ जॉर्जिया, आर्मेनिया और अजरबैजान में सम्मिलित
थे।
· धार्मिक स्थिति - रूस में रूसी ऑर्थेडॉक्स जो कि
ग्रीक ऑर्थेडॉक्स से उपजी शाखा बहुमत में थी के अलावा कैथेलिक, प्रोटेस्टेंट, मुस्लिम और बौद्ध भी थे।
· आर्थिक स्थिति –
o रूसी अर्थव्यवस्था कृषि प्रधान थी। उद्योग बहुत कम थे।
o सेंटपीट्सबर्ग और मास्को प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र थे जहाँ विदेशी निवेश भी
होता था।
o लोगों की जरूरतों को पूरा करने का मुख्य कार्य निजी वर्कशापों से ही होता
था।
o कारखाने उद्योगपतियों की निजी सम्पत्ति थी जहाँ काम की दशाएँ बेहद खराब थी ।
साथ ही मजदूरों में कार्यकुशलता के आधार पर वर्ग विभेद भी था।
o उद्योगों में औरतों को पुरूषों से कम वेतन दिया जाता था।
o विभेदों के बावजूद सभी मजदूर संकट के समय एकजुट हो जाते थे।
o कृषि योग्य भूमि के मालिक सामंत, राजशाही परिवार के सदस्य और चर्च
हुआ करते थे।
o यहाँ के किसान समय - समय पर सारी जमीन अपने कम्यून ( मीर ) को सौंप देते थे
और फिर कम्यून परिवार की जरूरत के हिसाब से किसानों को जमीन बाँटता था।
·
तत्कालीन स्थिति –
o रूस के किसान चाहते थे कि जमींदारों से जमीन छीनकर किसानों में बाँट दी जाए।
o इसके लिए 1902 और 1905 में जमींदारों की हत्या तक की जाने लगी।
रूस में समाजवाद -
·
1914 से पहले रूस में सभी राजनैतिक
पार्टियां गैर कानूनी थीं।
· 1898 में गठित रशियन सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी (रूसी सामाजिक लोकतांत्रिक श्रमिक पार्टी) गुप्त रूप से कार्यरत थी।
· रूसी किसानों में स्वाभाविक रूप से समाजवादी भावना थी। जिस आधार पर समाजवादियां का मानना था कि क्रांति का अग्रदूत किसान बनेंगे।
· सन 1900 में समाजवादियों ने सोशलिस्ट रिवॉल्यूशनरी पार्टी (समाजवादी क्रांतिकारी पार्टी) का गठन किया। और वे सामंतों से जमीन छीनकर किसानों को देने की मांग करने लगे।
·
लोकतांत्रिक खेमा क्रांतिकारियों की
मांगों से सहमत नहीं था।
·
इस प्रकार समाजवादी लोग बोल्शेविक
और मेन्शेविक दलों में विभाजित हो गए।
उथल - पुथल का समय : 1905 की क्रांति -
·
यूरोपीय देशों के मुकाबले रूस में
एक निरंकुश राजशाही था। जो कि संसदीय व्यवस्था को नहीं मानता था।
· दोनों समाजवादी दलों को साथ लेकर उदारवादियों ने जार को संसदीय व्यवस्था में लाने प्रयास किया। जिसमें आधुनिक मुस्लिम समुदाय जदीदियों का भी समर्थन मिला।
·
1904 ई. में जरूरी चीजों की कीमतें तेजी
से बढ़ने लगी। वेतन कम पड़ने लगा।
· 1904 में असेम्बली ऑफ रशियन वर्कर्स का गठन किया जिसके चार सदस्यों को नौकरी से हटाने पर हड़ताल हो गई।
· खूनी रविवार - 1905 में पादरी गैपॉन के नेतृत्व में अपनी मांगों को लेकर विंटर पैलेस के सामने से गुजर रहे जुलुस पर पुलिस ओर कोसैक्स ने हमला कर दिया जिसमें अनेक मजदूर मारे गए, उस दिन रविवार का दिन था अतः घटना को खूनी रविवार के नाम से जानते हैं।
· यूनियन ऑफ यूनिन्स - खूनी रविवार की घटना के विरोध में वकीलों, डॉक्टरों, इंजीनियरों और कामगारों के संगठनों में मिलकर एक महागठबंधन बना लिया जिसे यूनियन ऑफ यूनिन्स कहा गया।
·
इस उथल - पुथल से डरकर जार ने
निर्वाचित परामर्शदाता संसद अर्थात ड्यूमा के गठन को सहमति दे दी।
पहला विश्वयुद्ध और रूसी साम्राज्य -
· जार में ड्यूमा को दो बार बर्खास्त कर दिया और तीसरी बार उसने अपने पसंदीदा राजनेताओं को ड्यूमा का सदस्य बनवा दिया।
· 1914 में प्रथम विश्वयुद्ध छिड़ गया। जिसमें जार के नेतृत्व में रूस ने फ्रांस और ब्रिटेन के साथ मिलकर जर्मनी, ऑस्ट्रिया और तुर्की के खिलाफ युद्ध लड़ा।
·
जर्मन विरोध के कारण सेंटपीट्सबर्ग
का नाम बदल कर पेत्रोग्राद कर दिया गया।
·
जार की पत्नी का सलाहकार रासपुतिन
के कारण जार अलोकप्रिय होता गया।
· युद्ध के मोर्चों पर रूस की कमजोर स्थिति के कारण लोगों का समर्थन जार के प्रति कम होता गया और सैनिक भी लड़ने से कतराने लगे।
· रूस के उद्योग भी चौपट होने लगे जिससे अनाज की कीमतें बढ़ गईं और रोटियों की दुकानों पर दंगे होने लगे।
पेत्रोग्राद में फरवरी क्रांति -
· सरकार ने ड्यूमा को एक बार फिर बर्खास्त कर दिया जिससे राजनेता भी जार के खिलाफ हो गए और मजदूरों ने मालिकों के खिलाफ रोटी और वेतन के मसले पर हड़ताल शुरू कर दी।
· मजदूरों पर सैनिकों ने गोली चलाने से मना कर दिया। तिा मजदूर और सैनिकों ने मिलकर सोवियत का गठन कर लिया।
·
रूसी सेना को स्टीमरोलर कहा जाता
था। सेना द्वारा क्रांतिकारियों का समर्थन करने से जार की सत्ता ढह गई।
·
रूस में सत्ता जनता के हाथ में आ
गई।
फरवरी के बाद -
·
अप्रैल 1917 में बोल्शेविकों के निर्वासित नेता ब्लादिमीर लेनिन रूस वापस आ गए।
· लेनिन ने अप्रैल थीसिस दी कि विश्वयद्ध से रूस खुद को अलग करे, जमीनें किसानों को दे दी जावें और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जावे।
·
बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर
कम्युनिस्ट पार्टी कर दिया गया।
·
अंतरिम सरकार ने बोल्शेविकों का दमन
कर दिया।
अक्टुबर 1917 की क्रांति -
· 16 अक्टुबर 1917 को लेनिन ने सोवियतों को अपनी पार्टी के साथ मिलकर सत्ता पर कब्जा करने की योजना बना ली।
·
24 अक्टुबर को विद्रोह आरंभ हो गया और
बोल्शेविकों ने रूस पर नियंत्रण स्थपित कर लिया।
अक्टुबर के बाद क्या बदला -
·
निजी सम्पत्ति का खात्मा ।
·
बैंको एवं उद्योगों का राष्ट्रीकरण
।
·
जमीनों को सामाजिक सम्पत्ति घोषित
करना ।
·
अभिजात्य वर्ग की पुरानी पदवियों पर
रोक ।
·
रूस एक दलीय व्यवस्था वाला देश बन
गया ।
·
जर्मनी के साथ ब्रेस्टलिटोव्स्क की
संधि करके खुद को युद्ध से अलग कर लिया।
·
जीवन के हरेक क्षेत्र में सेंसरशिप
लागू ।
·
गृह युद्ध का आरंभ ।
गृहयुद्ध -
· क्रांति के पश्चात् रूसी समाज में तीन मुख्य समूह बन गए बोल्शेविक ( रेड्स ) सामाजिक क्रांतिकारी ( ग्रीन्स ) और जार समर्थक ( व्हाइटस ) इनके मध्य गृहयुद्ध शुरू हो गया ग्रीन्स और ‘ व्हाइटस ‘ को फ्रांस , अमेरिका और ब्रिटेन से भी समर्थन मिलने लगा क्योंकि ये समाजवादियों से सशंकित थे ।
· गैर रूसी राष्ट्रवादी तथा जदीदियों के समर्थन से बोल्षेविकों ने रूस में जीत हासिल की और सोवियत संघ का गठन किया गया।
समाजवादी समाज का निर्माण -
·
लेनिन की अप्रैल थीसिस को पूरा किया
गया तथा नए सोवियत रूस का निर्माण अत्यधिक कड़क अनुशासन के साथ किया जाने लगा, इससे मजदूरों और कामगारों को बहुत खराब हालातों में भी काम करना पड़ा किंतु
रूस विश्व शक्ति बनने की ओर अग्रसर होने लगा।
स्तालिनवाद और सामूहिकीकरण -
· कोलखोज - आरंभ में कृषि के क्षेत्र में अपेक्षाकृत सफलता नहीं मिलने पर स्तालिन ने सामूहिक खेतों की अवधारणा लागू की जिसे कोलखोज कहा गया।
रूसी क्रांति और सोवियत संघ का वैश्विक
प्रभाव -
·
रूसी क्रांति के बाद गठित सोवियत
संघ एक पिछड़े देश से अब वैश्विक महाशक्ति बन गया।
============000============
पाठ्यपुस्तक आधारित प्रश्नोत्तर
प्रश्न -
1. रूस के सामाजिक, आर्थिक और
राजनीतिक हालात 1905 से पहले कैसे थे?
उत्तर - उन्नीसवीं शताब्दी तक लगभग समस्त यूरोप में
महत्त्वपूर्ण सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक परिवर्तन हुए
थे। कई देश गणराज्य थे, तो कई संवैधानिक राजतंत्र । सामंती
व्यवस्था समाप्त हो चुकी थी और सामंतों का स्थान नए मध्य वर्गों ने ले लिया था ।
परंतु रूस अभी भी पुरानी रूढ़िवादी दुनिया में जी रहा था। यह बात रूस की सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक दशा से स्पष्ट हो जायेगी -
सामाजिक स्थिति :-1905 के पहले रूस का समाज भी तीन भागों
में विभाजित पहला वर्ग कुलीन तथा अमीर उद्योगपतियों का वर्ग होता था जबकि दूसरे
वर्ग में अमीर और उद्योगपति आया करते थे तीसरे वर्ग में मजदूर तथा किसान जो गरीब
हुआ करते थे उनका होता था।प्रथम दो वर्गों को जार द्वारा विशेष अधिकार प्राप्त थे
किंतु जो तीसरा वर्ग था वह भी सामाजिक स्तर पर बंटा हुआ था। कुछ मजदूर अपने मूल
गांव से भी भी जुड़े हुए थे जबकि बहुत सारे मजदूर स्थाई रूप से औद्योगिकरण के कारण
शहरों में बस चुके थे। शहरी और ग्रामीण मजदूरों में योग्यता और दक्षता के स्तर पर
काफी फर्क था इसके बावजूद भी वह लोग आपस में समन्वय बनाकर संगठित रूप से रहा करते
थे।
आर्थिक स्थिति :- बीसवीं सदी की शुरुआत में रूस की आबादी का बहुत बड़ा हिस्सा खेतीबाड़ी से
जुड़ा हुआ था। रूसी साम्राज्य की लगभग 85% जनता आजीविका के लिए खेती पर ही
निर्भर थी । यूरोप के अन्य देशों की तुलना करते हुए यदि हम देखें तो फ्रांस और
जर्मनी में खेती पर निर्भर आबादी 40 से 50% थी और रूसी साम्राज्य के किसान अपनी जरूरतों के साथ-साथ बाजार के लिए भी
पैदावार किया करते थे। रूस अनाज का एक बहुत बड़ा निर्यातक देश था। हालांकि रूस में
उद्योग बहुत कम थे किंतु रेल नेटवर्क के विस्तार तथा विदेशी पूंजी निवेश से यहां
के उद्योगों का विकास होने लगा था और मास्को प्रमुख औद्योगिक इलाके थे। ज्यादातर
कारखाने उद्योगपतियों की निजी संपत्ति हुआ करते थे। वहां पर औद्योगिक उत्पादों के
लिए रूस बड़े बड़े कारखानों की अपेक्षा स्थानीय कारीगरों के वर्क शॉप पर ज्यादा
निर्भर था।
राजनीतिक स्थिति :- रूस में जार के द्वारा सभी राजनीतिक पार्टियों को गैरकानूनी घोषित कर
दिया गया था इसके बावजूद भी मार्क्स के विचारों को मानने वाले समाजवादियों ने 1898 में रशियन सोशल डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी का गठन कर लिया था उसके बाद
उसके विरोधी पार्टी के तोर पर सोशल रिवॉल्यूशनरी पार्टी का गठन सन 1900 में किया गया। राजनीतिक रूप से देखा जाए तो रूस पूरी तरह से जारशाही के
अधीन था।
महिलाओं की स्थिति :- रूस में महिलाओं की स्थिति अच्छी नहीं थी। कारखानों में काम करने वाली
महिलाओं की संख्या 31 प्रतिशत थी किन्तु वेतन पुरूषों के
मुकाबले कम मिलता था।
2. 1917 से पहले रूस की
कामकाजी आबादी यूरोप के बाकी देशों के मुकाबले किन-किन स्तरों पर भिन्न थी ?
उत्तर - 1917 से पहले रूस की कामकाजी आबादी में
मजदूरों, किसानों और कारीगरों की गिनती की
जाती है। जो कि यूरोप के अन्य देशों की कामकाजी जनसंख्या से निम्नलिखित बातों में
भिन्न थी -
(अ) कृषि पर निर्भरता - रूस की अधिकांश जनता खेती पर
निर्भर थी। वहाँ के लगभग 85 प्रतिशत लोग कृषि द्वारा ही अपनी
रोजी कमाते थे। यह यूरोप के अन्य देशों की तुलना में कहीं अधिक था। उदाहरण के लिए
फ्रांस और जर्मनी में यह अनुपात 40-50 प्रतिशत ही था।
(ब) उद्योगों की स्थिति - यूरोप के कई अन्य देशों के
मुकाबले रूस में उद्योगों की कमी थी क्यांकि यूरोप में औद्योगिक क्रांति आ गई थी।
वहाँ कारखाने स्थानीय लोगों के हाथों में थे और मजदूरों का बहुत अधिक शोषण नहीं
होता था। परंतु रूस में अधिकांश कारखाने विदेशी पूंजी से स्थापित हुए। विदेशी
पूँजीपति रूसी श्रमिकों का खूब शोषण करते थे। सरकारी हस्तक्षेप के बावजूद मजदूरों
के काम के हालात बहुत खराब होते थे।
(स) रूस में महिला श्रमिकों की संख्या 31 प्रतिशत थी किंतु उनको पुरुष श्रमिकों की अपेक्षा बहुत ही कम वेतन दिया
जाता था। बच्चों से भी 10 से 15 घंटों तक काम लिया जाता था। यूरोप के अन्य देशों में श्रम कानूनों के कारण
स्थिति में सुधार आ चुका था।
(द) रूसी किसानों के खेत यूरोप के अन्य देशों के किसानों की तुलना में छोटे
थे।
(इ) रूसी किसान ज़मींदारों तथा जागीरदारों का कोई सम्मान नहीं करते थे। वे
उनके अत्याचारी स्वभाव के कारण उनसे घृणा करते थे। यहाँ तक कि वे प्रायः लगान देने
से इन्कार कर देते थे और ज़मींदारों की हत्या कर देते थे। इसके विपरीत फ्रांस में
किसान अपने सामंतों के प्रति वफ़ादार थे। फ्रांसीसी क्रांति के समय वे अपने सामंतों
के लिए लड़े थे।
(फ) रूस का कृषक वर्ग एक अन्य दृष्टि से यूरोप के कृषक वर्ग से भिन्न था । वे
एक समय अवधि के लिए अपनी जमीनों को इकट्ठा कर लेते थे। उनकी कम्यून (मीर) उनके
परिवारों की जरूरतों के अनुसार इसका बँटवारा करती थी।
3. 1917 में जार का शासन
क्यों खत्म हो गया?
उत्तर - रूस से ज़ार का शासन समाप्त करने के लिए निम्नलिखित
परिस्थितियाँ उत्तरदायी थीं-
(i) जार की निरंकुशता - रूस का ज़ार निकोलस द्वितीय राजा
के दैवी अधिकारों में विश्वास रखता था। निरंकुश तंत्र की रक्षा करना वह अपना परम
कर्त्तव्य समझता था। उसके समर्थक केवल कुलीन वर्ग तथा अन्य उच्च वर्ग के लोग ही
थे।शेष जनसंख्या उसका विरोध करती थी।
(ii) संवैधानिक व्यवस्था को नकारना - जार निकोलस द्वितीय द्वारा अपनी
सत्ता के विरुद्ध उठे सवालों को नियत्रित करने राजनैतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी
गई व मतदान के नियम बदल डाले। इससे लोगों में असंतोष पैदा होने लगा। प्रथम विश्व
युद्ध के प्रारंभ में रुसी जनता जार के साथ थी परन्तु जार द्वारा ड्यूमा के प्रमुख
दलों से सलाह लेने के इंकार के कारण उसने रुसी जनता का समर्थन खो दिया।
(iii) विजित प्रदेशों की संस्कृति पर प्रहार - रूसी साम्राज्य में ज़ार द्वारा विजित कई गैर-रूसी राष्ट्र भी सम्मिलित
थे। ज़ार ने इन लोगों पर रूसी भाषा लादी और उनकी संस्कृतियों का महत्त्व कम करने का
पूरा प्रयास किया। इस प्रकार देश में टकराव की स्थिति बनी हुई थी।
(iv) जरीना अलेक्सांद्रा - राजपरिवार में नैतिक पतन चरम
सीमा पर था। निकोलस द्वितीय पूरी तरह अपनी पत्नी जरीना अलेक्सांद्रा के दबाव में
था जो स्वयं एक ढोंगी साधु रास्पुतिन के कहने पर चलती थी। ऐसे भ्रष्टाचारी शासन से
जनता बहुत दुःखी थी ।
(v) जार का साम्राज्यवादी व्यवहार - ज़ार ने अपनी साम्राज्यवादी
इच्छाओं की पूर्ति के लिए देश को प्रथम विश्व- युद्ध में झोंक दिया। परंतु वह
राज्य के आंतरिक खोखलेपन के कारण मोर्चे पर लड़ रहे सैनिकों की ओर पूरा ध्यान न दे
सका। परिणामस्वरूप रूसी सेना बुरी तरह पराजित हुई। इससे लोगों के साथ-साथ सेना में
असंतोष फैल गया।
(vi) तत्कालीन कारण - प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी व
आस्ट्रिया से पराजित हो पीछे हटती रुसी सेनाओं ने फसलों व इमारतों को नष्ट कर दिया
इससे ब्रेड रोटी और आटे की किल्लत हो गई ब्रेड रोटी की दुकानों पर दंगे होने लगे।
इस कारण ने भी जार शासन को अलोकप्रिय बना दिया। जार द्वारा 25 फरवरी 1917 को ड्यूमा को बर्खास्त करने के
फैसले से असंख्य लोग जार के खिलाफ खड़े हो गए। यह आखिरी दांव साबित हुआ और इसने जार
के शासन को पूरी तरह जोखिम में डाल दिया। 2 मार्च 1917 को जार गद्दी छोड़ने पर मजबूर हो गया और इससे निरंकुशता का अंत हो गया।
4. दो सूचियाँ बनाइए
- एक सूची में फरवरी क्रांति की मुख्य घटनाओं और प्रभावों को लिखिए और दूसरी सूची
में अक्तूबर क्रांति की प्रमुख घटनाओं और प्रभावों को दर्ज कीजिए।
उत्तर - ज़ार की गलत नीतियों, राजनीतिक भ्रष्टाचार तथा साधारण जनता एवं सैनिकों की दुर्दशा के कारण रूस
में क्रांति का वातावरण तैयार हो चुका था। एक छोटी-सी घटना ने इस क्रांति की
शुरुआत कर दी और यह दो चरणों में पूर्ण हुई। ये दो चरण थेः फरवरी क्रांति तथा
अक्तूवर क्रांति।
फरवरी क्रांति : 1917 की सर्दियों में राजधानी
पेत्रोग्राद में हालात बिगड़ गए।
(क) फरवरी क्रांति मुख्य घटनाएं -
·
22 फरवरी - फैक्ट्री में तालाबंदी
घोषित।
·
23 फरवरी - हड़ताली मजदूरों के समर्थन
में पचास अन्य फैक्ट्रियों के मजदूरों ने भी हड़ताल का ऐलान कर दिया। आंदोलनकारी
‘जनता बस्ती’ पार करके राजधानी के बीचां-बीच -नेव्स्की प्रोस्पेक्ट- तक आ गए। जब फैशनेबल रिहायशी इलाकों और सरकारी इमारतों को मजदूरों ने घेर लिया तो सरकार ने
कर्फ्यू लगा दिया। शाम तक प्रदर्शनकारी तितर-बितर हो गए।
·
24 फरवरी - शाम को मजदूर फिर से
इकट्ठा होने लगे। तो सरकार ने नजर रखने सैंनिकों और पुलिस को तैनात कर दिया।
·
25 फरवरी - सरकार ने ड्यूमा को
बर्खास्त कर दिया।
·
26 फरवरी - प्रदर्शनकारियों ने फैशनेबल
इलाके, रिहायशी इलाके और कारखानों को घेर लिया।
·
27 फरवरी - प्रदर्शनकारियों ने पुलिस
मुख्यालय को तहस - नहस कर दिया।
·
02 मार्च - जार ने गद्दी छोड़ दी और
रूस में अंतरिम सरकार ने कार्यभार संभाल लिया।
फरवरी क्रांति के प्रभाव
:
(क) फरवरी के बाद जनसाधारण तथा संगठनों की बैठकों पर से प्रतिबंध हटा लिया
गया।
(ख) पेत्रोग्राद सोवियत की तरह ही सभी जगह सोवियत बन गई यद्यपि इनमें एक जैसी
चुनाव प्रणाली का अनुसरण नहीं किया गया।
(ग) अप्रैल 1917 में बोल्शेविकों के नेता व्लादिमीर
लेनिन देश निकाले से रूस वापस लौट आए। उसने “अप्रैल थीसिस’ के नाम से जानी जाने
वाली तीन मांगें रखीं। ये तीन मांगें थीं : युद्ध को समाप्त किया जाए, भूमि किसानों को हस्तांतरित की जाए और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए।
(घ) उसने इस बात पर भी जोर दिया कि अब अपने रेडिकल उद्देश्यों को स्पष्ट करने
के लिए बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर कम्युनिस्ट पार्टी रख दिया जाए।
अक्तूबर क्रांति :
·
अक्तूबर क्रांति अंतरिम सरकार तथा बोल्शेविकों
में मतभेद के कारण हुई।
·
सितंबर में व्लादिमीर लेनिन ने
विद्रोह के लिए समर्थकों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया।
·
16 अक्तूबर 1917 को उसने पेत्रोग्राद सोवियत तथा बोल्शेविक पार्टी को सत्ता पर सामाजिक
कब्जा करने के लिए मना लिया। सत्ता पर कब्जे के लिए लियोन ट्रॉटस्की के नेतृत्व
में एक सैनिक क्रांतिकारी सैनिक समिति नियुक्त की गई।
·
24 अक्टुबर से विद्रोह आरंभ हो गया।
सरकार ने बोल्शेविक अखबारों के दफ्तरों पर छापा पड़ गया और विद्रोह का दमन करने
विंटर पेलेस की सुरक्षा बढ़ा दी गई। प्रतिक्रियास्वरूप बोल्शेविकों ने भी सरकारी
कार्यालयों पर कब्जे कर लिए और मंत्रियों को गिरफ्तार कर लिया। विंटर पैलेस पर
ऑरोरा युद्धपोत से बमबारी की गई।
·
अंततः रूस की सत्ता पर बोल्शेविकों
का नियंत्रण स्थापित हो गया।
अक्टुबर क्रांति के
प्रभाव :-
(क) ग्रामीण क्षेत्रों में प्रभाव - जमीन को सामाजिक संपत्ति घोषित कर
दिया गया। किसानों को सामंतों की जमीनों पर कब्जा करने की खुली छूट दे दी गई।
(ख) नगरीय क्षेत्रों में प्रभाव - शहरों में बड़े बड़े मकानों को सरकारी
नियंत्रण में लेकर मकान मालिक को उसकी जरूरत के मुताबिक जगह छोड़कर शेष जगह को बेघरबार
तथा जरूरतमंदों के आवास के लिए उपयोग में लिया गया।
(ग) प्रशासनिक क्षेत्र में प्रभाव - अफसरों तथा सेना की वर्दियों में
बदलाव कर दिया गया और सोवियत टोपी को अपनाया गया।
(घ) राजनीतिक क्षेत्र में प्रभाव - युद्ध समाप्ति के लिए जर्मनी से
ब्रेस्ट लिटोव्स्क की संधि की गई। बोल्शेविक पार्टी का नाम बदलकर रूसी कम्यूनिस्ट
पार्टी ( बोल्शेविक ) कर दिया गया।
5. बोल्शेविकों ने
अक्तूबर क्रांति के फौरन बाद कौन-कौन से प्रमुख परिवर्तन किए?
उत्तर - अक्तूबर क्रांति के पश्चात बोल्शेविकों द्वारा रूस
में मुख्यतः निम्नलिखित परिवर्तन किए -
(1) नवंबर 1917 में अधिकांश उद्योगों तथा बैंकों
का राष्ट्रीयीरण कर दिया गया। फलस्वरूप इनका स्वामित्व एवं प्रबंधन सरकार के हाथों
में आ गया।
(2) भूमि को सामाजिक संपत्ति घोषित कर दिया गया। किसानों को अनुमति दे दी गई कि
वे सरदारों तथा जागीरदारों की भूमि पर कब्ज़ा कर लें।
(3) बड़े मकानों का परिवार की आवश्यकताओं के अनुसार बँटवारा कर दिया गया ।
(4) निरंकुश तंत्र द्वारा दी गई पुरानी उपाधियों के प्रयोग पर रोक लगा दी गई।
सेना तथा सरकारी अधिकारियों के लिए नई वर्दी निश्चित कर दी गई।
(5) बोल्शेविक पार्टी का नाम बदल कर रशियन कम्युनिस्ट पार्टी (बोल्शेविक) रख
दिया गया।
(6) व्यापार संघों पर नई पार्टी का नियंत्रण स्थापित कर दिया गया।
(7) गुप्तचर पुलिस ’चेका’ को ओजीपीयु तथा एनकेवीडी नाम दिए गए। इन्हें
बोल्शेविकों की आलोचना करने वाले लोगों को दंडित करने का अधिकार दिया गया।
(8) मार्च, 1918 में अपनी ही पार्टी के विरोध के
बावजूद बोल्शेविकों ने ब्रेस्ट लिटोवस्क में जर्मनी से शांति संधि कर ली।
6. निम्नलिखित के
बारे में संक्षेप में लिखिए -
(i) कुलकों
(ii) द ड्यूमा
(iii) 1900 और 1930 के बीच महिला
कामगार
(iv) उदारवादी।
(v) स्टालिन का
सामूहिक कार्यक्रम।
उत्तर. (i) कुलक - कुलक सोवियत रूस के अमीर किसान
थे। 1927-28 तक सोवियत रूस के कस्बों को अनाज
की आपूर्ति की समस्या का सामना करना पड़ रहा था। कुलकों को इसके लिए आंशिक रूप से
जिम्मेदार माना जाता था। स्टालिन भी खेतों को विकसित करना था और औद्योगिक लाइनों
के साथ पार्टी के नेतृत्व में उन्हें चलाना था, इसलिए स्टालिन ने सोचा कि कुलकों को खत्म करना जरूरी है।
(ii) द ड्यूमा - 1905 की क्रांति के दौरान, ज़ार ने रूस में एक निर्वाचित
सलाहकार संसद के निर्माण की अनुमति दी। रूस में इस निर्वाचित सलाहकार संसद को डूमा
कहा जाता था।
(iii) 1900 और 1930 के बीच महिला कार्यकर्ता - 1905 की रूसी क्रांति, 1917 की फरवरी क्रांति के दौरान, महिला श्रमिकों ने भी रूस के भविष्य को आकार देने में भाग लिया। 1914 तक फैक्ट्री श्रम बल का 31% हिस्सा महिला श्रमिकों का था, लेकिन उन्हें पुरुषों की तुलना में कम वेतन दिया जाता था। महिला श्रमिकों को
न केवल कारखानों में काम करना था, बल्कि अपने परिवार और बच्चों की
देखभाल भी करनी थी। वे देश के सभी मामलों में भी बहुत सक्रिय थी।
वे अक्सर अपने पुरुष सहकर्मियों को प्रेरित करते थी। उदाहरण
के लिए, आइए हम टेलीफोन फैक्ट्री में एक महिला कार्यकर्ता मारफ़ा
वासिलिवा की घटना को लें, जिन्होंने बढ़ती कीमतों और फ़ैक्टरी
मालिकों के उच्च-स्तर के खिलाफ आवाज़ उठाई और एक सफल हड़ताल भी आयोजित की।
मारफा वासिल्वा का उदाहरण अन्य महिला श्रमिकों द्वारा लिया
गया था और वे तब तक बेकार नहीं बैठीं जब तक उन्होंने रूस में एक समाजवादी राज्य
स्थापित नहीं कर लिया।
(iv) उदारवादी - रूस में उदारवादी वे व्यक्ति थे
जो एक ऐसा राष्ट्र चाहते थे जिसने सभी धर्मों को सहन किया हो। वे सरकारों के खिलाफ
व्यक्तियों के अधिकारों को सुरक्षित रखना चाहते थे। उन्होंने वंशीय शासकों की
अनियंत्रित शक्ति का विरोध किया। वे एक प्रतिनिधि, कानूनों के अधीन संसदीय सरकार निर्वाचित हुए। वे एक स्वतंत्र न्यायपालिका
चाहते थे लेकिन उदारवादियों को सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार पर विश्वास नहीं था। वे
महिलाओं का मतदान अधिकार भी नहीं चाहते थे।
(v) स्टालिन का सामूहिक कार्यक्रम - 1927-28 तक सोवियत रूस के शहर अनाज की आपूर्ति की तीव्र समस्या का सामना कर रहे थे।
स्टालिन, जो उस समय पार्टी के नेता थे, ने इस समस्या के कारणों की जांच की और तदनुसार कुछ आपातकालीन उपाय पेश किए। 1929 में स्टालिन का सामूहिक कार्यक्रम इन उपायों में से एक था। इस कार्यक्रम के
तहत पार्टी ने सभी किसानों को सामूहिक खेतों (कोलखोज) में खेती करने के लिए मजबूर
किया।
सामूहिक खेत से होने वाला लाभ या उपज किसानों द्वारा साझा
किया जाता था। हालांकि, जो किसान सामूहिकता का विरोध करते
थे उन्हें कड़ी सजा दी जाती थी। वे कई कारणों से सामूहिक खेतों में काम नहीं करना
चाहते थे। स्टालिन की सरकार ने कुछ स्वतंत्र खेती की अनुमति दी, लेकिन ऐसे कृषकों के साथ विषम व्यवहार किया।
स्टालिन के सामूहिक कार्यक्रम के बावजूद, उत्पादन में तुरंत वृद्धि नहीं हुई। वास्तव में 1930-33 की खराब फसल ने सोवियत इतिहास के सबसे बुरे अकालों में से एक को जन्म दिया।
- क्रियाकलाप -
1. कल्पना कीजिए कि
एक मजदूर के तौर पर आपने 1905 की हड़ताल में हिस्सा लिया है और उसके लिए अदालत में आप
पर मुकदमा चलाया जा रहा है। मुकदमे के दौरान अपने बचाव में आप क्या कहेंगे? अपना वक्तव्य
तैयार कीजिए और कक्षा में वही भाषण दीजिए।
हल - आदरणीय न्यायाधीश महोदय जी, मैंने कोई अपराध नहीं किया है, यद्यपि मुझ पर विद्रोह भड़काने का
मुकदमा चल रहा है। आप जानते हैं कि रोटी की कीमत कैसे बढ़ गई है। मेरी मजदूरी उसी
हिसाब से बढ़ाई जानी चाहिए थी, ताकि मेरा परिवार भूखा न रहे।
हम एक दिन में केवल एक बार ही भोजन करते हैं, क्योंकि अधिक भोजन खरीदने के लिए पैसे नहीं हैं। तो अगर मैं वेतन में वृद्धि
की मांग करता हूं तो इसमें गलत क्या है? मुझे दिन में 12 घंटे काम करने के लिए मजबूर किया जाता है, जो अमानवीय है। मैंने आठ घंटे के कार्य दिवस की मांग की है, जो काफी उचित है। क्या मैंने इसमें कोई अपराध किया है?
अब, मैं यह तय करने के लिए आपके हाथ में
छोड़ देता हूं कि मैं अपराधी हूं या नहीं।
2. निम्नलिखित
अखबारों के लिए 24 अक्टुबर 1917 के विद्रोह के बारे में शीर्षक सहित एक छोटी - खबर
तैयार कीजिए-
·
फ्रांस के एक रूढ़िवादी अखबार के लिए
·
ब्रिटेन के एक रैडिकल अखबार के लिए
·
रूस के एक बोल्शेविक अखबार के लिए
हल -
1. फ्रांस में रूढ़िवादी समाचार पत्र - रूस में समाजवादी आतंक बोल्शेविक के समर्थकों ने रूस में हंगामा किया है।
अंतरिम सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए सैनिकों ने सरकारी कार्यालयों पर कब्जा कर
लिया है। ये परेशान करने वाली घटनाएँ रूस के इतिहास में एक काला दिन है और इसकी
व्यापक रूप से निंदा की जाती है।
2. ब्रिटेन में रैडिकल समाचार पत्र - रूस में समाजवादी सूरज उगता है। 24 अक्टूबर की सुबह रूस में आनंद और
आश्चर्य की सुबह थी। दमनकारी अंतरिम सरकार के खिलाफ बोल्शेविकों का उदय अधिक
आधुनिक विचारों और प्रथाओं के लिए समर्थन का स्वागत योग्य रोना है जिसकी दुनिया को
वर्तमान में आवश्यकता है। यह दिन न केवल रूस में बल्कि पूरे विश्व में समाजवादियों
के लिए शानदार जीत का प्रतीक है।
3. रूस में बोल्शेविक समाचार पत्र - रूस के इतिहास का सबसे शानदार दिन रहा 24 अक्टुबर जिसमें हम जीतते हैं यह दिन रूसियों के लिए एक उल्लेखनीय दिन है
क्योंकि हमने आखिरकार बेहूदा अंतरिम सरकार के खिलाफ बहुप्रतीक्षित कदम उठाया। हमने
सभी सरकारी कार्यालयों में पक्षपाती अधिकारियों को उखाड़ फेंका और एक अधिक
जन-केंद्रित समाजवादी सरकार स्थापित करने का वादा किया।
3. मान लीजिए
सामुहिकरण हो चुका है और आप रूस के एक मँझोले गेंहूँ उत्पादक किसान हैं। आप
सामूहिकीकरण के बारे में अपनी आपत्तियां व्यक्त करते हुए स्तालिन को एक पत्र लिखना
चाहते हैं। अपनी जीवन परिस्थितियों के बारे में आप क्या लिखेंगे? आपकी राय में ऐसे
किसान का पत्र पाकर स्तालिन की क्या प्रतिक्रिया होती?
हल - आदरणीय स्टालिन,
मैं पुतिन हूँ और मैं मॉस्को में एक किसान हूँ। मैं एक
मंझोले स्तर का रूसी गेहूं किसान हूं। मैं यह पत्र आपके लिए अत्यंत महत्वपूर्ण बात
कहने के लिए लिख रहा हूं। पारंपरिक कृषि पद्धतियों को बदलने के लिए जो सामूहिक
नीति लागू की गई है, वह कुछ लोगों के लिए वरदान है, लेकिन कई लोगों के लिए अभिशाप है। इसके कारण समृद्ध किसानों को अपनी भूमि
छोड़ने और बड़े सामूहिक खेतों में शामिल होने के लिए मजबूर होना पड़ा है। जिन जमीनों
पर हम वर्षों से स्वामित्व रखते थे और उनकी देखभाल करते थे, वे अब हमारे नियंत्रण में नहीं हैं। इसके अलावा, हम तेजी से औद्योगीकरण की समस्या का भी सामना कर रहे हैं। कुछ लोगों के लिए
सामूहिकता वांछनीय और समाजवादी मानी जाती है। लेकिन यहां का वास्तविक परिदृश्य
केवल हमें ही पता है। सामूहिकता के परिणामस्वरूप, कई नेता हमें आधुनिक मशीनरी का उपयोग करके अधिक फसलों का उत्पादन करने के
लिए मजबूर कर रहे हैं और हमारी फसलों को कम लागत में बेच रहे हैं, हम अपने व्यक्तिगत खेतों को छोड़ने में बहुत अनिच्छुक महसूस कर रहे हैं।
कृपया हमारी स्थिति को समझें और आवश्यक कार्रवाई करें।
स्टालिन की प्रतिक्रियाः
प्रिय पुतिन,
मैं आपकी दुर्दशा को समझता हूं और आपको इस स्थिति से बाहर
निकालने में मैं निश्चित रूप से आप सभी की मदद करूंगा।
अध्याय के अंतर्गत दिए गए क्रियाकलापें
का हल
1. मान लीजिए कि
निजी संपत्ति को खत्म करने और उसकी जगह सामूहिक स्वामित्व की व्यवस्था लागू करने के
सवाल पर आपके इलाके में एक बैठक बुलाई गई है। निम्नलिखित व्यक्तियों के रूप में उस
बैठक में आप जो भाषण देंगे वह लिखें-
·
एक गरीब खेतिहर मज़दूर
·
एक मंझौला भूस्वामी
·
एक गृहस्वामी
हल -
· एक गरीब खेतिहर मज़दूर - प्रिय दोस्तों, प्रकृति ने सभी को संसाधन उपलब्ध कराने में कोई पक्षपात नहीं किया है। खेतों में काम करने वाले एक गरीब मजदूर की तुलना में कुछ लोगों के पास अधिक भूमि का स्वामित्व होना गलत है। हमारी फसलों से होने वाला सारा मुनाफा मुझ जैसे लोगों की मेहनत का नतीजा है। मैं बीज बोने, फसलों को सींचने, खरपतवारों से मुक्त रखने और उनकी कटाई करने में अपना खून पसीना लगा देता हूँ। तो, सोचो हम मजदूरों को निर्वाह मजदूरी पाने के बजाय फसलों की बिक्री से होने वाले लाभ में हिस्सा लेना चाहिए या नहीं।
अतः इस प्रक्रिया को लागू करने के लिए, संपत्ति के निजी स्वामित्व को समाप्त कर दिये जाने की आवश्यकता है तथा उसके स्थान पर सभी मजदूरों को खेतों पर सामूहिक स्वामित्व दिया जाना स्वागत योग्य कदम है। शुक्रिया।
·
एक मंझौला भूमि स्वामी - आदरणीय मित्रों, इस बात से सहमत नहीं हूँ कि संपत्ति के निजी स्वामित्व को हटा दिया जाना
चाहिए। यह तर्कसंगत नहीं है और इससे फसलों का उत्पादन कम होगा। सामूहिकीकरण में
यदि पूरा लाभ विभाजित किया जा रहा है तो आप फसल उत्पादन बढ़ाने की कोशिश नहीं
करेंगे। इसके लिए वास्तव में, सभी को भूमि का समान वितरण किया जाए, ताकि केवल कुछ लोगों के पास भूमि के बड़े हिस्से न हों, और इससे सभी किसान अपनी - अपनी जमीन पर मेहनत करके ज्यादा लाभ कमाएगा। सभी
को जमीन का मालिक होना चाहिए ताकि सभी को लाभ हो सके। सामूहिकरण में मेहनत नहीं
करने वाले को भी बराबर का लाभ मिलना श्रम का अपमान होगा। शुक्रिया।
·
एक गृहस्वामी - दोस्तो, लगता है कि हर किसी के पास जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं होनी चाहिए जैसे भोजन, आवास और वस्त्र, लेकिन यह अन्य लोगों की संपत्ति के
खर्च पर निर्भर न हो। जिनके पास जमीन नहीं है, उन्हें जीविका कमाने का अन्य साधन जो सुविधाजनक हो दिया जाना चाहिए। हमने
अपने पूर्वजों के ईमानदार प्रयासों से अपनी संपत्ति अर्जित की है और इसलिए हमें
इससे वंचित नहीं रहना चाहिए। भूमि अधिग्रहण में हमारे पूर्वजों का श्रम और ज्ञान
हमसे छीन लिया जावेगा। सोचो क्या यह उचित है। शुक्रिया।
2. निजी सम्पत्ति के
बारे में पूँजीवादी और समाजवादी विचारधारा के बीच दो अंतर बताएँ।
हल –
पूँजीवादी विचारधारा |
समाजवादी विचारधारा |
1. पूँजीवादी अधिक से अधिक निजी
सम्पत्ति एकत्र करने पर बल देता है। |
1. समाजवादी पूँजी के समान वितरण का
पक्ष लेता है। |
2. पूँजीवाद निजी सम्पत्ति को मेहनत
से कमाई पवित्र धन मानता है। |
2. समाजवादी निजी सम्पत्ति को
मजदूरों की मेहनत पर डाका डाल कर की गई काली कमाई मानता है। |
3. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था एक ऐसी
प्रणाली है जहां निजी संस्थाएं उत्पादन के कारकों जैसे श्रम, प्राकृतिक संसाधनों या पूंजीगत वस्तुओं को नियंत्रित करती हैं। |
3. एक समाजवादी अर्थव्यवस्था एक ऐसी
आर्थिक प्रणाली है जहां उत्पादन के कारक जैसे श्रम, प्राकृतिक संसाधन या पूंजीगत सामान सरकार के नियंत्रण में होते हैं। |
4. पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में, मांग और आपूर्ति बल वस्तुओं और सेवाओं की कीमत को प्रभावित करते हैं। |
4. एक समाजवादी अर्थव्यवस्था में, वस्तुओं और सेवाओं की कीमत सरकार के पर्यवेक्षण और नियंत्रण में होती है। |
5. कई व्यवसायों के बीच प्रतिस्पर्धा
पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का एक अभिन्न अंग है। |
5. समाजवादी अर्थव्यवस्था में सरकार
का कोई प्रतिस्पर्धी नहीं होता। |
3. रूस में 1905 में क्रांतिकारी
उथल - पुथल क्यों पैदा हुई थी? क्रांतिकारियों की क्या मांगें थीं?
हल - रूस में 1905 में क्रांतिकारी उथल - पुथल पैदा
होने के निम्नलिखित कारण थे -
(अ) निरकुंष राजशाही - 1905 अर्थात बीसवीं सदी के आरंभ तक जहाँ यूरोप के अन्य देशों में संवैधानिक
राजतंत्र की शुरूआत हो चुकी थी किन्तु रूस में अभी भी निरंकुश राजशाही थी। और सभी
राजनैतिक पार्टियों को गैर कानूनी घोषित कर दिया गया था।
(ब) बढ़ती मँहगाई - 1904 का साल रूस के लिए बहुत बुरा था। जरूरी चीजों की कीमतें तेजी से बढ़ रही थीं
जिससे लोगों का वेतन 20 प्रतिशत तक कम हो गया। खाने तक के
लाले पड़ने लगे थे।
(स) तात्कालिक परिस्थितियां - मंहगाई और आर्थिक संकट से जूझ
रहे मजदूरों के लिए राहत की मांग कर रहे असेंबली ऑफ रशियन वर्कर्स के चार सदस्यों
को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया जिससे हड़ताल भड़क गई। और हालात क्रांति के पैदा
हो गए।
क्रांतिकारियों की मांगें - क्रांति का नेतृत्व उदारवादियों
ने किया जिनकी प्रमुख मांगें थी कि देष के लिए एक संविधान की रचना की जाए जिसके
माध्यम से शासन संचालित हो न कि राजा के निरंकुश तंत्र से।
4. 1916 के दिन हैं। आप
जार की सेना के जनरल हैं और पूर्वी मोर्चे पर तैनात हैं। आप मास्को सरकार के लिए
एक रिपोर्ट लिख रहे हैं। अपनी रिपोर्ट में सुझाव दीजिए कि स्थिति को सुधारने के
लिए आपकी राय में क्या किया जाना चाहिए?
हल - शाही रूसी सेना को स्टीमरोलर कहा जाता था। यह दुनिया की
सबसे बड़ी सशस्त्र सेना थी किन्तु इस सेना में देश भक्ति अथवा राष्ट्रीयता की भावना
का अभाव था। जनरल इत्यादि दरबार में उच्च पद प्राप्त करने जार को प्रसन्न करते
रहते रहते थे। सर्वप्रथम तो मैं ऐसी सेना का जनरल होता ही नहीं तथापि मुझे पूर्वी
मोर्चा पर जनरल के रूप में तैनात किया जाता तो मैं कुछ इस तरह की रिपोर्टिंग करता
-
मेरे महामहिम सम्राट,
यहाँ पूर्वी सीमा पर सेना अच्छा प्रदर्शन कर रही है, परंतु शहीदों व घायलों की संख्या बहुत अधिक है। जर्मनों के हाथों युद्ध में
हमारी पराजय चौंकाने वाली और मनोबल गिराने वाली रही है। हालाँकि, हमने पीछे हटते हुए, जर्मनों को रोकने के लिए फसलों और
इमारतों को नष्ट कर दिया है, जिसका नुकसान हमें भी हो रहा है और
आपको भी बदनाम किया जा रहा है। हमारे सैनिक ऐसा युद्ध नहीं लड़ना चाहते। अतः मेरा
सुझाव है कि स्थिति में सुधार के लिए सरकार को निम्नलिखित कदम उठाने चाहिएः
(i) सेना प्रमुख को जमीन में खोदी गई खाइयों से गुरिल्ला
युद्ध करने के लिए कहें, ताकि हमारे सैनिकों की हत्याएं कम
हों। अतः हमें खाइयां खोदने के लिए उपकरण उपलब्ध कराए जाने चाहिए।
(ii) जर्मनों पर हमला करने के लिए अधिक और बेहतर हथियार, विशेष रूप से तोपखाने की बंदूकें प्रदान करें।
(iii) सैनिकों के लिए पर्याप्त मात्रा में पौष्टिक राशन और
सुरक्षात्मक सर्दियों के कपड़े उपलब्ध कराएं, क्योंकि वर्तमान में राशन और कपड़े दोनों ही अपर्याप्त हैं।
मुझे उम्मीद है कि मेरे द्वारा दिए गए सुझावों पर कुछ कदम
उठाए जाएंगे, क्योंकि यह लड़ाई लड़ने और जीतने की
हमारी रणनीति काफी हद तक इन्हीं बातों पर निर्भर है।
आपका
जनरल
रूसी सेना के जनरल
5. वर्तमान कैलेंडर
के हिसाब से अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की तिथि का पता लगाएं।
हल - जिस दिन रूसी महिलाओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, वह रूस में इस्तेमाल होने वाले जूलियन कैलेंडर के मुताबिक़, 23 फ़रवरी और रविवार का दिन था। जबकि 1 फरवरी 1918 से रूस में ग्रेगोरियन कैंलेंडर का अनुसरण किया जाने लगा। ग्रेगोरियन
कैलेंडर, जूलियन कैलेंडर से 13 दिन आगे चलता है। अतः 23 फरवरी का यह दिन दिन ग्रेगॉरियन
कैलेंडर के मुताबिक़, आठ मार्च था और तब से इसी दिन
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा।
6. फरवरी क्रांति की
तैयारियों और उसके दौरान -
·
मजदूरों की मनोदशा में आए पाँच परिवर्तन को बताएं।
·
खुद को इन दोनों परिस्थितियों की प्रत्यक्षदर्शी महिला
के रूप में देखिए और लिखिए कि पहले वाली स्थिति से दूसरी स्थिति के बीच क्या बदलाव
आया?
हल - (1) मजदूरों की मनोदशा में पाँच
परिवर्तन निम्नलिखित थे -
(i) पहले केवल संगठित तरीके से बैठकें होती थीं। अब, मजदूरों ने अपने अधिकारों के लिए दबाव बनाने के लिए काम करना बंद कर दिया, जैसे मारफा वासिलिवा ने किया।
(ii) इससे पहले, किसी भी महिला कार्यकर्ता का कोई
उल्लेख नहीं है। लेकिन अब एक महिला कर्मचारी ने काम रोककर हड़ताल शुरू कर दी है।
(iii) इससे पहले, पुरुष और महिला श्रमिकों के बीच
एकता का कोई प्रदर्शन नहीं होता था। अब महिलाओं ने एकता दिखाते हुए पुरुषों को लाल
पट्टियां भेंट कीं, साथ ही, हड़ताल पर गई महिलाओं के समर्थन में पुरुषों ने औजार भी गिरा दिए।
(iv) कार्यकर्ताओं का मिजाज अब और दृढ़ हो गया था। उन्होंने
सिर्फ बात करने के बजाय कार्रवाई की।
(v) पहले प्रबंधन की ओर से किसी कार्रवाई के डर से
श्रमिकों के डर से काम चलता था, लेकिन अब कामगारों की निडरता दिखाते
हुए काम बंद कर दिया गया।
(2) मैंने दोनों स्थितियों को देखा है और मुझे लगता है कि हालांकि पहले, कार्यकर्ता केवल बैठकें आयोजित करके अपनी समस्याओं को प्रकट करते थे, लेकिन अब वे निडर हैं, अपनी नौकरी का त्याग करने के लिए
तैयार हैं, विद्रोही हैं और एक-दूसरे के
कार्यों का समर्थन करने के साथ-साथ महिला और पुरुष भी एक साथ काम कर रहे हैं।
मार्फा वासीलेवा ने लॉरेंज़ को थोड़ी रियायत की पेशकश की गई, परंतु उसने तब तक हड़ताल समाप्त करने से इंकार कर दिया जब तक सभी मजदूरों से
समानता का व्यवहार न किया गया।
इस प्रकार, दूसरी स्थिति में हड़ताल के द्वारा
विरोध प्रदर्शन किया गया, जबकि पहली स्थिति में हड़ताल के बजाय
प्रचार, मज़दूरों की सभाओं आदि के द्वारा विरोध प्रदर्शन किया
गया।
6. ग्रामीण इलाकों
में हुई क्रांति के बारे में दोनों दृष्टिकोणों को पढ़िए। कल्पना कीजिए कि आप इन
घटनाओं के साक्षी हैं। निम्नलिखित की नजर से इन घटनाओं का ब्यौरा लिखिए :
·
एस्टेट मालिक
·
छोटा किसान
·
पत्रकार
हल - (i) एस्टेट मालिक - मेरी संपत्ति पर मेरे खेतिहर
मजदूरों ने कब्जा कर लिया था। उन्होंने मुझे और मेरे परिवार को जान से तो नहीं
मारा, लेकिन अब मैं पूरी तरह से उनकी दयादृष्टि पर ही निर्भर
हूं। वे मुझे इस बारे में कुछ नहीं बता रहे हैं कि भविष्य में मेरी संपत्ति मुझे
वापस मिलेगी या नहीं।
(ii) छोटा किसान - मुझे खुशी है कि इस खेत में हम
सभी मजदूर अब हमारे द्वारा उत्पादित अनाज की बिक्री से होने वाले मुनाफे को साझा
करके अधिक कमा सकते हैं। पहले सारा मुनाफा जमींदार बिना कोई काम किए ले लेता था।
मैं उस क्रांति को सलाम करता हूं, जिसने हमारे जीवन को बेहतर बनाया
है।
(iii) पत्रकार - जमींदारों पर हावी होने और
संयुक्त रूप से खेतों को चलाने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में विद्रोह की खबर का
स्वागत किया गया है। बागों को उन किसानों में बाँट दिया गया है, जो पहले उन पर काम करते थे, ताकि वे उनसे लाभ का आनंद उठा सकें, निश्चित रूप से क्रांति ने जमींदारों की कीमत पर आम आदमी के लिए समृद्धि की
शुरुआत की है।
7. स्रोत ख को देखें
और बताएं कि रूसी क्रांति पर मध्य एशिया के लोगों की प्रतिक्रिया इतनी अलग अलग
क्यों थी?
हल - बोल्शेविकों ने जनवरी 1920 तक अधिकांश पूर्व रूसी साम्राज्य को नियंत्रित किया। मध्य एशिया के लोगों
ने निम्नलिखित कारणों से 1917 की फरवरी क्रांति के लिए सकारात्मक
और उत्साह के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त की।
(i) क्रांति ने उन्हें ज़ार के शासन के उत्पीड़न से मुक्त
कर दिया और स्वायत्तता के लिए उनकी आशाओं को मजबूत किया।
(ii) उन्होंने 1917 की अक्टूबर क्रांति का भय के साथ
जवाब दिया, क्योंकि ज़ार की निरंकुशता की जगह
बोल्शेविकों की निरंकुशता ने ले ली थी।
(iii) मध्य एशिया के खिवा में, बोल्शेविक उपनिवेशवादियों ने समाजवाद की रक्षा के नाम पर स्थानीय
राष्ट्रवादियों का क्रूरतापूर्वक नरसंहार किया।
(iv) इस स्थिति में मध्य एशिया के लोग बोल्शेविक सरकार के
वास्तविक स्वरूप को लेकर भ्रमित थे।
इन कारणों और स्थितियों के कारण, मध्य एशिया के लोगों ने रूसी क्रांति का अलग तरह से प्रतिक्रिया दी।
8. शौकत उस्मानी और
रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा लिखे गए उद्धरणों की तुलना कीजिए। उन्हें स्रोत ग, घ और च के साथ
मिला कर पढ़िए और बताइए कि -
·
भारतीयों को सोवियत संघ में सबसे प्रभावषाली बात क्या
दिखायी दी?
·
ये लेखक किस चीज को नहीं देख पाए?
हल - (अ) जिस समय दोनों ने इन अंशों को लिखा था, उस समय भारत पर अंग्रेजों का शासन था। विशाल जाति और वर्ग अंतर थे और लोग
अज्ञानी और पिछड़े थे। वे इस तथ्य से प्रभावित थे कि रूस में सभी व्यक्तियों के साथ
समान व्यवहार किया जाता था। बहुत समृद्ध न होने के बावजूद वे खुशी-खुशी अपने काम
पर जा रहे थे। एशियाई और यूरोपीय रूस में स्वतंत्र रूप से घुलमिल गए, जबकि उस समय भारत में इसकी कल्पना नहीं की जा सकती थी।
(ब) दोनों लेखक यह नोटिस करने में असफल रहे कि अनिवार्य रूप से लोग अपनी पसंद
के अनुसार कार्य करने के लिए स्वतंत्र नहीं थे। बोल्शेविकों ने तानाशाहों की तरह
शासन किया और राष्ट्र को तेजी से विकसित करने के लिए दमनकारी नीतियों का पालन
किया। इन लेखकों ने लोगों के कठिन जीवन और खराब कामकाजी परिस्थितियों पर ध्यान
नहीं दिया।
प्रश्नोत्तर (01 अंक के लिए)
बहुविकल्पीय
प्रश्न -
1. ये लोग राजशाही
के समर्थक तथा सुधारों में धीमे बदलावों के समर्थक थे।
(अ) उदारवादी (ब) रैडिकल (स)
रूढ़िवादी (द)
समाजवादी
2. ये लोग बड़े
जमींदारों और सुपन्न उद्वोगपतियों को प्राप्त विशेषाधिकारों के खिलाफ थे। ये निजी
संपत्ति के विरोधी नहीं थे किन्तु संपत्ति के केन्द्रण व्यक्ति विशेष के पास हो
इसके विरोधी थे।
(अ) उदारवादी (ब) रैडिकल (स) रूढ़िवादी (द)
समाजवादी
3. वह समूह या
विचारधारा जो सभी धर्मां को बराबर का सम्मान और जगह देने तथा कानून के समक्ष
समानता में विश्वास करती है।
(अ) उदारवादी (ब) रैडिकल (स)
रूढ़िवादी (द)
समाजवादी
4. ये लोग निजी
संपत्ति के सख्त विरोधी थे तथा संपत्ति पर समाज का नियंत्रण रखना चाहते थे।
(अ) उदारवादी (ब) रैडिकल (स)
रूढ़िवादी (द)
समाजवादी
5. किस वर्ग के लोग
मताधिकार आंदोलन के समर्थक थे?
(अ) उदारवादी (ब) रैडिकल (स)
रूढ़िवादी (द)
समाजवादी
6. किस वर्ग के लोग
स्वयं के औद्योगिक लाभ के लिए स्वस्थ और शिक्षित मजदूरों की पैरोकारी करते थे?
(अ) उदारवादी (ब) रैडिकल (स)
दोनों (द) दोनों नहीं
7. यूरोप में 1815 में किस तरह की
सरकारें बनीं ?
(अ) उदारवादी (ब) रैडिकल (स)
रूढ़िवादी (द)
समाजवादी
8. भारत सहित दुनिया
भर के राष्ट्रवादी इसकी रचनाएं पढ़ते थे जिसने 1815 के बाद इटली में
राजा के खिलाफ साजिश रची थी। वह कौन था?
(अ) काबूर (ब) गैरीबाल्डी (स)
विक्टर द्वितीय (द) गिस्सेपे मैजिनी
9. ये इंग्लैंड के
जाने माने उद्योगपति थे जिन्होंने इंडियाना (अमेरिका) में न्यू हॉरमोनी के नाम से
एक नए समुदाय की रचना की तथा सहकारिता के क्षेत्र में कार्य किया।
(अ) रॉबर्ट ओवेन (ब) लुई ब्लांक (स) कार्ल मार्क्स (द) फ्रेडरिक एंगेल्स
10. सरकार पूँजीवादी
उद्यमों की जगह सामूहिक उद्यमों को बढ़ावा दे। यह कौन कहता था?
(अ) रॉबर्ट ओवेन (ब) लुई ब्लांक (स) कार्ल मार्क्स (द) फ्रेडरिक एंगेल्स
11. संपत्ति का
समाजीकरण होना चाहिए क्योंकि संपत्तिधारी लोग मजदूरों का हित नही कर सकते। यह कथन किसका है?
(अ) रॉबर्ट ओवेन (ब) लुई ब्लांक (स) कार्ल मार्क्स (द) फ्रेडरिक एंगेल्स
12. मजदूरों के लाल
झंडे का उदय किस घटना के बाद हुआ था?
(अ) पेरिस कम्यून (ब) खूनी रविवार (स) बास्तील का घ्वंस (द)
फरवरी क्रांति
13. अक्टुबर 1917 के पूर्व रूस का
जार कौन था?
(अ) निकोलस द्वितीय (ब) लेनिन (स) स्टालिन (द) लुई सोलहवां
14. रूस के शासकों को
क्या कहा जाता था?
(अ) सम्राट (ब) सुल्तान (स)
राजा (द) जार
15. साम्यवादी विचार
के संस्थापक कौन थे?
(अ) रॉबर्ट ओवेन (ब) लुई ब्लांक (स) कार्ल मार्क्स (द) फ्रेडरिक एंगेल्स
16. दास कैपिटल किसकी
रचना है?
(अ) रॉबर्ट ओवेन (ब) लुई ब्लांक (स) कार्ल मार्क्स (द) फ्रेडरिक एंगेल्स
17. बीसवीं सदी की
शुरूवात में रूस की आबादी किस पर निर्भर थी
(अ) खेती पर (ब) उद्योगों पर (स) समुद्रो पर (द)
इनमें से कोई नहीं
18. रूस की विशाल
सम्पत्तियों पर किनका अधिकार था?
(अ) सामंतों का (ब)
राजशाही का (स) ऑर्थेडॉक्स चर्च का (द)
सभी का
19. रशियन सोशलिस्ट
डेमोक्रेटिक वर्कर्स पार्टी का गठन कब किया गया थ?
(अ) 1914 (ब) 1898 (स) 1917 (द) 1900
20. रूस में सोशलिस्ट
रिवॉल्यूशनरी पार्टी का गठन कब किया गया थ?
(अ) 1914 (ब) 1898 (स) 1917 (द) 1900
21. किसान समाजवादी
आंदोलन का हिस्सा नहीं हो सकते। यह किसका मानना था?
(अ) ट्राट्स्की (ब) स्टालिन (स) लेनिन (द)
फ्रेडरिक एंगेल्स
22. रूस की राजशाही
किस प्रकार की थी?
(अ) संवैधानिक (ब) विवेकपूर्ण (स) निरंकुश (द) पूंजीवादी
23. जदीदी कौन थे?
(अ) आधुनिकीकरण समर्थक इस्लामिक (ब) औद्योगिक विरोधी इस्लामिक
(स) रूस के अमीर किसान (द) पोलैंड के राष्ट्रवादी
24. असेंबली ऑफ रशियन
वर्कर्स नामक मजदूर संघ की स्थापना कब की गई?
(अ) 1898 (ब) 1900 (स) 1904 (द) 1917
25. विंटर पैलेस जा
रहे जुलुस का नेतृत्व कौन कर रहा था?
(अ) फादर गैपॉन (ब) मिराब्यो (स) लेनिन (द)
मैक्समिलियन
26. ड्यूमा का गठन
करने जार ने अपनी सहमति किस सन में दी?
(अ) 1914 (ब) 1917 (स) 1905 (द) 1904
27. सेंटपीट्सबर्ग का
नाम बदल कर क्या रखा गया?
(अ) पेरिस (ब) नेवा (स)
मास्कवा (द) पेत्रोग्राद
28. शाही रूसी सेना
को क्या कहा जाता था?
(अ) स्टीमरोलर (ब) महासेना (स) जार सेना (द) बुलडोजर
29. नेवा है -
(अ) एक फल (ब) रूस की एक नदी (स)
एक रूसी महिला (द) एक सब्जी
30. रूसी क्रांति का
आरंभ किस जगह से हुआ था ?
(अ) ब्रिटनी (ब) पेरिस (स)
पेत्रोग्राद (द) मास्को
31. फरवरी क्रांति की
शुरूवात जूलियन कैलेंडर के अनुसार कब से हुई थी ?
(अ) 22 फरवरी (ब) 23 फरवरी (स) 07 मार्च (द) 08 मार्च
32. नेव्स्की
प्रोस्पेक्ट क्या है?
(अ) पेत्रोग्राद की मुख्य सड़क (ब) जनता बस्ती (स) ड्यूमा का अन्य नाम (द)
जार की पत्नी
33. रूस के स्थानीय
स्वशासी संगठन को क्या कहा जाता है?
(अ) कम्यून (ब) जदीदी (स)
कुलक (द) सोवियत
34. ‘‘जब बाकी सारे
भूखे हों तो मैं अकेले पेट भरने की नहीं सोच सकती।’’ रूसी क्रांति के दौरान किसने
कहा था?
(अ) ओलम्प दे गूज (ब) मेरी एंतेओनत (स) मार्फा वासीलोवा (द)
जारीना
35. अप्रैल 1917 में बोल्शेविकों
के निर्वासित नेता रूस लौट आए। ये नेता कौन थे?
(अ) ब्लादिमीर लेनिन (ब) कार्ल मार्क्स (स) स्टालिन (द)
लियॉन ट्राट्स्की
36. ब्रेस्ट
लिटोव्स्क किन देशों के बीच हुई?
(अ) रूस और जर्मनी (ब) रूस और फ्रांस (स) जर्मनी और फ्रांस (द) ब्रिटेन और रूस
37. प्रथम विश्व
युद्व से स्वयं को अलग करने रूस और जर्मनी के बीच कौन सी संधि हुई?
(अ) वियना की संधि (ब) न्यूरेम्बर्ग कोर्ट (स) वर्साय की संधि (द)
ब्रेस्ट लिटोव्स्क की संधि
38. रूसी सेना में
ज्यादातर सिपाही किस वर्ग से आते थे?
(अ) मजदूर (ब) किसान (स) औद्योगिक श्रमिक (द) कारीगर
39. सोवियत संघ (
यूएसएसआर) का गठन कब किया गया?
(अ) फरवरी 1905 (ब) अक्टुबर 1917 (स) दिसंबर 1922 (द) दिसंबर 1991
40. कॉमिन्टर्न के
प्रमुख भारतीय सदस्य कौन थे?
(अ) राजा राममोहन राय (ब) एम.एन.रॉय (स) शौकत उस्मानी (द) रवीन्द्रनाथ टैगोर
उत्तर -
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
1. भारत में ................. और
डेराजियो ने फ्रांसीसी क्रांति का उल्लेख किया है? (राजा राममोहन राय/एम.एन.रॉय)
2. ................. ने औरतों-आदमियों और बच्चों, सबको कारखानों में ला दिया। (समाजीकरण/औद्योगीकरण)
3. समाज के पुनर्गठन की संभवतः सबसे
दूरगामी दृष्टि प्रदान करने वाली विचारधारा ..................... ही थी।
(पूँजीवाद/समाजवाद)
4. 1914 में फैक्ट्री में औरतों की संख्या .............. थी। (31 प्रतिशत/45 प्रतिशत)
5. फ्रांसीसी क्रांति के दौरान
.............. के किसान नवाबों का सम्मान करते थे। (ब्रिटनी/बास्तील)
6. ................. नामक युद्धपोत ने विंटर पैलेस पर बमबारी की। (विक्रांत/ऑरोरा)
7. सोवियत टोपी को
......................... नाम से जाना जाता है। (मिखाइलोविच/बुदियोनोव्का)
8. ..................... से पहले रूस में सभी पार्टियां गैरकानूनी थी। (1917/1914)
9. 1905 की क्रांति में ...................... को राष्ट्रवादियों और जदीदियो का भी
समर्थन मिला। (उदारवादियों/क्रांतिकारियों)
10. रूसी साम्राज्य में सक्रिय मुस्लिम
सुधार वादियों को .............. कहा जाता है। (ग्रीन्स/जदीदी)
उत्तर - 1. राजा राममोहन राय, 2. औद्योगीकरण, 3. समाजवाद, 4. 31 प्रतिषत, 5. ब्रिटनी, 6. ऑरोरा, 7. बुदियोनोव्का, 8. 1914, 9. उदारवादियों, 10. जदीदी
सही जोड़ी बनाइए -
स्तम्भ ‘क’ स्तम्भ
‘ख’
(1) नया समन्वय (अ) लेनिन
(2) सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (ब) स्टालिन
(3) लेबर पार्टी (स) रूस
(4) पंच वर्षीय योजना (द) ब्रिटेन
(5) अप्रैल थीसिस (इ) रॉबर्ट ओवेन
(6) कोलखोज (फ) जर्मनी
उत्तर - (1) - (इ) , (2) - (फ) , (3) - (द) , (4) - (स) , (5) - (अ) , (6) - (ब)
एक शब्द में उत्तर दीजिए -
1. वह कौन सी विचारधारा है जो समाज के पुर्नगठन का काम
करती है ?
उत्तरः समाजवादी विचार धारा
2. 1917 की रूस की
क्रांति का आरंभ किस शहर से हुई था?
उत्तर- पैत्रोग्राद ।
3. रूस की संसद का नाम क्या था ?
उत्तर- इयूमा ।
4. मैनशेविक और बोल्शेविक के नेता कौन थे ?
उत्तर- केरेंस्की और लेनिन ।
5. रूस के जार निकोलस द्वितीय ने त्यागपत्र कब दिया ?
उत्तर- 2 मार्च 1917
6. कुलक कौन थे ?
उत्तर- रूस में संपन्न किसानों को
कुलक कहा जाता था ।
7. रूस के संदर्भ में कोलखोज क्या थी ?
उत्तर- रूस में सामूहिक खेत को
कोलखोज कहा जाता था ।
8. साम्यवादी विचार के संस्थापक कौन थे ?
उत्तर- कार्ल मार्क्स ।
9. रूस में आर्थिक नीति को किसने प्रारंभ किया था ?
उत्तर- लेनिन ने ।
10. खूनी रविवार का संबंध रूस की किस क्रांति से है ?
उत्तर- 1905 की क्रांति ।
11. रूस के शासकों को क्या कहा जाता था ?
उत्तर- जार ।
12. रूसी इतिहास के किस तिथि को आज अंतराष्ट्रीय महिला दिवस
के रूप में मनाया जाता है?
उत्तर- 22 फरवरी ( जूलियन कैलेंडर ) 8 मार्च ( ग्रेगोरियन कैलेंडर )
13. समाजवादियों ने अपने प्रयासों में समन्वय लाने के लिए 1870 के दशक में किस
नाम से संस्था बनाई ?
उत्तरः द्वितीय इंटरनेशनल ।
14. किस क्रांति के जरिए रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने
कब्ज़ा किया ?
उत्तरः अक्टूबर क्रांति ।
15. रुसी सम्राज्य की अधिकांश जनता का आजीविका का साधन क्या
था ?
उत्तरः कृषि ।
16. पेट्रोग्राड में बोल्शेविक विद्रोह कब हुआ?
उत्तर :- 24 अक्टूबर
17. अक्टूबर क्रांति के दौरान रूस के प्रधानमंत्री कौन थे?
उत्तरः- प्रधानमंत्री करेंसकी
18. अक्टूबर क्रांति किन नेताओं के नेतृत्व में आरंभ हुई?
उत्तरः- बोल्शेविक नेता व्लादिमीर
लेनिन और लियोन टाटास्की
19. लेनिन के बाद बोल्शेविक पार्टी की कमान किसने संभाली?
उत्तरः- स्टॉलिन में
20. ब्रिटेन की सरकार किस चर्च का समर्थन करती थी?
उत्तर - चर्च ऑफ इंग्लैंड
21. किस गीत को फ्रांस की क्रांति के दौरान 1792 में युद्धगीत के
तौर पर लिखा गया था?
उत्तर - मार्सेयस
22. फरवरी 1917 में राजशाही को गद्दी से हटाने वाली क्रांति का
नेतृत्व कौन कर रहा था?
उत्तर - पेत्रोग्राद की जनता
23. रूस में जागीरों के मालिक को क्या कहा जाता है?
उत्तर - मिखाइल मिखाइलोविच
सत्य/असत्य लिखिए -
1. उदारवादी समूह लोकतंत्र में विश्वास
रखता था।
2. उदारवादी समूह वंश आधारित शासकों की
अनियंत्रित सत्ता का विरोधी था।
3. समाजवादी निजी सम्पत्ति के समर्थक
थे।
4. सन 1900 तक फ्रांस में कारीगारों और औद्योगिक श्रमिकों की संख्या लगभग बराबर हो गई
थी।
5. रूस में मजदूर सामाजिक स्तर पर बंटे
हुए थे।
6. रासपुतिन एक सन्यासी था।
सही उत्तर - 1. असत्य, 2. सत्य, 3. असत्य, 4. सत्य, 5. सत्य, 6. सत्य
अति लघुत्तरीय प्रश्नोत्तर (02अंक)
1. उदारवादी किसे कहा जाता है ?
उत्तर - उदारवादी एक विचारधारा है जिसमें सभी धर्मों को बराबर का सम्मान और
जगह मिले । वे व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा के पक्षधर थे ।
2. रूस में उदारवादी विचारधारा/समूह “’लोकतंत्रवादी“ नहीं
था । क्यों ?
उत्तर - यह समूह “लोकतंत्रवादी“ नहीं था। ये लोग सार्वभौमिक व्यस्क मताधिकार
यानि सभी व्यस्क नागरिकों को वोट का अधिकार देने के पक्ष ने नहीं थे । उनका मानना
था कि वोट का अधिकार केवल सम्पतिधारियों को ही मिलना चाहिए।
3. समाजवादी विचारधारा से आप क्या समझते है ?
उत्तर - समाजवादी विचारधारा वह विचारधारा है जो निजी सम्पति रखने के विरोधी
है और समाज में सभी को न्याय और संतुलन पर आधारित विचारधारा है ।
4. समाजवादी निजी सम्पति का विरोध क्यों करते थे ?
उत्तर - समाजवादी निजी सम्पति का विरोध इसलिए कर रहे थे क्योंकि निजी
सम्पतियाँ सामंतवाद और समाज में असंतुलन को जन्म देते है।
5. अक्टूबर क्रांति किसे कहते है ?
उत्तर - फरवरी 1917 में राजशाही के पतन और 1917 के ही अक्टूबर के मिश्रित घटनाओं को अक्टूबर क्रांति कहा जाता है ।
6. निरंकुश राजशाही किसे कहते है ?
उत्तर - ऐसा शासन जहाँ राजा ही सर्वेसर्वा होता है तथा अन्य लोगों को कोई
अधिकार प्राप्त नहीं होता, निरंकुश राजशाही या निरंकुश शासन
कहलाता है ।
7. रूस के प्रमुख औद्योगिक इलाके कौन - कौन से थे?
उत्तर - सेंट पीट्सबर्ग और मास्को
8. खूनी रविवार की घटना के बाद वकीलों, डॉक्टरों, इंजीनियरों और अन्य कामगारों के सभी संगठनों ने सम्मिलित रूप से एक महासंघ बनाया। जिसे क्या कहते हैं?
उत्तर - यूनियन ऑफ यूनियन्स
9. ‘‘प्लग’’ से क्या तात्पर्य है?
उत्तर - आंदोलन की तैयारियों के लिए मुख्य दरवाजे पर होने वाली मीटिंग के
दौरान दरवाजे पर खड़े सबसे जागरूक मजदूर को प्लग कहा गया।
10. रूस में गृहयुद्ध के दौरान रेड्स, व्हाइट्स और
ग्रीन्स से क्या तात्पर्य है?
उत्तर - रेड्स - बोल्शेविक, ग्रीन्स - सामाजिक क्रांतिकारी और व्हाइट्स - जार समर्थक
11. ‘‘चिमनियों से निकलता धुआँ ही सोवियत रूस की साँस हैं’’
एक पोस्टर पर लिखा यह कथन क्या दर्षाता है?
उत्तर - यह कथन दर्शाता है कि
कारखाने समाजवाद के प्रतीक बन बए थे।
12. ‘हम खेती में कमी लाने वाले कुलक पर
वार करेंगे।’ एक पोस्टर पर लिखा यह कथन क्या दर्शाता है?
उत्तर - यह कथन खेती में सामहिकीकरण
का समर्थन प्रदर्षित करता है।
13. ब्रिटेन के समाजवादियों द्वारा किस
पार्टी का गठन किया गया?
उत्तर - ब्रिटेन के समाजवादियों
द्वारा 1905 में लेबर पार्टी का गठन किया गया।
14. शाही रूसी सेना को क्या कहा जाता था?
उत्तर - शाही रूसी सेना को ‘‘रूसी
स्टीमरोलर’’ कहा जाता था। यह दुनिया की सबसे बड़ी सशस्त्र सेना थी।
लघुत्तरीय
प्रश्नोत्तर (03 अंक)
1. रैडिकल समूह की
क्या विचारधाराएँ थी ?
उत्तर – रेडिकल समूह की विचारधारा निम्नलिखित थी -
(अ) वे ऐसी सरकार के पक्ष में थे जो देश
की आबादी के बहुमत के समर्थन पर आधारित हो।
(ब) इनमें से बहुत सारे लोग महिला
मताधिकार आन्दोलन के भी समर्थक थे ।
(स) ये लोग बड़े जमींदारों और संपन्न
उद्योगपतियों को प्राप्त किसी भी तरह के विशेषाधिकारों के खिलाफ थे।
(द) वे किसी भी निजी सम्पतियों के विरोधी नहीं थे लेकिन केवल चंद लोगों के
पास सम्पति के केन्द्रण के खिलाफ थे।
2. रुढ़िवादी रूस में
किस प्रकार के बदलाव चाहते थे ?
उत्तर – रुढ़िवादी रूस में निम्न प्रकार का बदलाव चाहते थे -
(अ) रुढ़िवादी तबका रैडिकल और
उदारवादी दोनों के खिलाफ था ।
(ब) वे बदलाव की धीमी प्रक्रिया
चाहते थे ।
(स) वह चाहते थे कि अतीत का सम्मान
किया जाए अर्थात अतीत को पूरी तरह ठुकराया न
जाए ।
3. रूस में समाजवादियों की प्रमुख विचारधाराएँ क्या थी ?
उत्तर - रूस में समाजवादियों की प्रमुख विचारधाराएँ निम्न थी
:-
(अ) वे निजी सम्पति के विरोधी थे ।
यानि, वे संपति पर निजी स्वामित्व को सही नहीं मानते थे ।
(ब) वे संपति के निजी स्वामित्व की
व्यवस्था को ही सारी समस्याओं की जड़ मानते थे ।
(स) कुछ समाजवादियों को को-आपरेटिव
यानि सामूहिक उद्यम के विचार में दिलचस्पी थी।
(द) केवल व्यक्तिगत पहलकदमी से बहुत बड़े सामूहिक खेत नहीं बनाए जा सकते । वह
चाहते थे कि सरकार अपनी तरफ से सामूहिक खेती को बढ़ावा दे।
(इ) वे चाहते थे कि सरकार पूंजीवादी
उद्यम की जगह सामूहिक उद्यम को बढ़ावा दे ।
4. रूस में उदारवादी विचारधारा का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – रूस में उदारवादी विचारधारा का वर्णन -
(अ) सभी धर्मों को बराबर का सम्मान
और जगह मिले ।
(ब) वे सरकार से व्यक्ति मात्र के अधिकारों
की रक्षा के पक्षधर थे ।
(स) उनका कहना था कि सरकार को किसी के अधिकारों का हनन करने या उन्हें छीनने
का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए ।
(द) यह समूह प्रतिनिधित्व पर आधारित एक ऐसी निर्वाचित सरकार के पक्ष में था
जो शासकों और अफ्सरों के प्रभाव से मुक्त और सुप्रक्षिक्षित न्यायपालिका द्वारा
स्थापित किये गए कानूनों के अनुसार शासन-कार्य चलाये ।
5. इंग्लैंड और जर्मनी के मजदूरों ने अपने जीवन और
कार्यस्थिति में सुधार लाने के लिए कौन- कौन से प्रयास किये ?
उत्तर - इंग्लैंड और जर्मनी के मजदूरों ने अपने जीवन और
कार्यस्थिति में सुधार लाने के लिए निम्न प्रयास किये -
(अ) संगठन बनाना शुरू किया ।
(ब) अपने सदस्यों को मदद पहुँचाने के
लिए कोष स्थापित किए।
(स) काम के घंटे में कमी तथा
मताधिकार के लिए आवाज उठाना शुरू किया ।
6. 1914 तक यूरोप में
समाजवादी कही भी सरकार बनाने में क्यों सफल नहीं हो पाए ? कारण दीजिए ।
उत्तर - संसदीय राजनीति में उनके प्रतिनिधि बड़ी संख्या में
जीतते रहे, उन्होंने कानून बनवाने में भी अहम
भूमिका निभाई, मगर 1914 तक यूरोप में समाजवादी कही भी सरकार बनाने में सफल इसलिए नहीं पाए पाए
क्योंकि सरकरों में रुढ़िवादियों, उदारवादियों और रैडिकलों का ही
दबदबा बना रहा।
7. रुसी किसान यूरोप के अन्य किसानों से किस प्रकार भिन्न
थे ? वर्णन कीजिए ।
उत्तर – रुसी किसान यूरोप के अन्य किसानों से भिन्न थे जिसके
कारण निम्न प्रकार से समझ सकते हैं -
(1) यहाँ के किसान समय-समय पर सारी जमीन को अपने कम्यून को सौप देते थे और फिर
प्रत्येक परिवार की जरुरत के अनुसार के हिसाब से किसानों की जमीन बॉटी जाती थी ।
(2) फ्रांसिसी क्रांति के दौरान ब्रिटनी के किसान न केवल नबाबों का सम्मान करते
थे, बल्कि उन्हें बचाने के लिए उनकी लड़ाइयाँ भी लड़ते थे।
इसके विपरीत रुसी किसान चाहते थे कि नबाबों की जमीन छीनकर किसानों के बीच बाँट दी
जाए ।
8. विश्व में लोकतंत्र स्थापित करने में किन्ही तीन घटनाओं
का नाम बताइए ।
उत्तर – विश्व में लोकतंत्र स्थापित करने वाली तीन प्रमुख
घटनाएँ निम्न हैं -
(1) इंग्लैंड की 1688 ई 0 की शानदार क्रांति
(2) 1776 ई 0 में अमेरिका की स्वतंत्रता की घोषणा पत्र ।
(3) 1789 ई 0 की फ्रांस की क्रांति जिसने विश्व
में स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के तीन महान
सिद्धांतों नींव राखी जो लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तंभ सिद्ध हुए ।
9. खूनी रविवार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर - रूस में जार शासन में जनवरी 1905 ई 0 के एक रविवार के दिन कुछ लोगों ने
जुलुस निकालकर जार से मिलने और एक याचिका देने की कोशिश किया परन्तु जार के
सैनिकों ने उन पर गोलियाँ बरसाई जिसमें लगभग सौ से ज्यादा मजदूर मारे गए और 300 के लगभग घायल हुए इसलिए यह हत्याकांड को खूनी रविवार के नाम से प्रसिद्ध
हुआ ।
10. सोवियत शब्द की व्याख्या अपने शब्दों में कीजिए ।
उत्तर - मजदूरों के प्रतिनिधियों के परिषद् को 1905 ई 0 की रुसी क्रांति के बाद पहली बार
सोवियत का नाम दिया गया । सोवियत शब्द रूस में मजदूरों और किसानों के संघ को कहा
जाता है ।
11. लेनिन कौन था ? उसकी तीन माँगे कौन-कौन सी थी ? अथवा
बोल्वेशिक कौन थे ? उनकी तीन माँगे
कौन-कौन सी थी ?
उत्तर - बोल्वेशिक रूस की एक राजनैतिक पार्टी थी जिसका नेता
लेनिन था । उनकी तीन प्रमुख माँगे
निम्नलिखित थी :-
(1) युद्ध को तुरंत बंद किया जाए ।
(2) सारी जमीन किसानों को सौप देनी
चाहिए ।
(3) बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए ।
12. स्टालिनवाद क्या था?
उत्तरः- समाजवाद की स्थापना ही स्तालिन का मुख्य उद्देश्य
था। इसके लिए उसने सामूहिकीकरण कार्यक्रम को लागू किया वह उसे सफल बनाने के लिए
कड़े कदम उठाए उसने अपने आलोचकों को सख्त दंड दिया इसे ही स्तालिनवाद कहा गया।
13. कोआपरेटिव यानी सामूहिक उद्यम का अर्थ समझाइए।
उत्तर - कोआपरेटिव या सामूहिक उद्यम ऐसे लोगों के समूह थे जो
मिलकर निर्माण कार्य करते थे और मुनाफे को प्रत्येक सदस्य द्वारा किए गए काम के
हिसाब से आपस में बांट लिया करते थे।
14. अप्रैल थीसिस क्या है?
उत्तर - जब लेनिन अप्रैल, 1917 में पेत्रोग्राद पहुंचा तब उसने अपने स्वागत के लिए उमरी भीड़ के सामने
बोल्शेविकों का कार्यक्रम घोषित करते हुए कहा कि जनता को शांति, रोटी और जमीन चाहिए युद्ध, भूख और रोटी नहीं। इसी को हम अप्रैल
थीसिस के नाम से जानते हैं। इसके अंतर्गत लेनिन में तीन प्रमुख बातें रखीं, जो कि इस प्रकार हैं -
1. प्रथम विश्वयुद्ध से रूस को पृथक हो
जाना चाहिए।
2. सारी जमीन जिसके मालिक सामंत हैं
किसानों के हवाले कर दी जाना चाहिए।
3. बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाना
चाहिए।
15. फ्रांसीसी क्रांति का दुनिया के देशों पर क्या प्रभाव
पड़ा?
उत्तर - फ्रांसीसी क्रांति ने सामाजिक संरचना के क्षेत्र में
आमूल परिवर्तन की संभावनाओं का सूत्रपात कर दिया था। अठारहवीं सदी से पहले फ्रांस
का समाज मोटे तौर पर एस्टेट्स और श्रेणियों में बँटा हुआ था। समाज की आर्थिक और
सामाजिक सत्ता पर कुलीन वर्ग और चर्च का नियंत्रण था। लेकिन क्रांति के बाद इस
संरचना को बदलना संभव दिखाई देने लगा। यूरोप और एशिया सहित दुनिया के बहुत सारे
हिस्सों में व्यक्तिगत अधिकारों के स्वरूप और सामाजिक सत्ता पर किसका नियंत्रण हो-
इस पर चर्चा छिड़ गई। भारत में भी राजा राममोहन रॉय और डेरोज़ियो ने फ्रांसीसी
क्रांति के महत्त्व का उल्लेख किया।
16. यूरोप में समाजवाद का विचार क्या था?
उत्तर - समाज के पुनर्गठन की संभवतः सबसे दूरगामी दृष्टि
प्रदान करने वाली विचारधारा समाजवाद ही थी। उन्नीसवीं सदी के मध्य तक यूरोप में
समाजवाद एक जाना-पहचाना विचार था। उसकी तरफ बहुत सारे लोगों का ध्यान आकर्षित हो
रहा था। समाजवादी निजी संपत्ति के विरोधी थे। यानी, वे संपत्ति पर निजी स्वामित्व को सही नहीं मानते थे। उनका कहना था कि
संपत्ति के निजी स्वामित्व की व्यवस्था ही सारी समस्याओं की जड़ है।
17. कोई समाज संपत्ति के बिना कैसे चल सकता है? समाजवादी समाज का
आधार क्या होगा?
उत्तर - यह समाजवादी अर्थव्यवस्थाओं में ही है कि समाज किसी
भी संपत्ति के मालिक के बिना काम कर सकता है। एक समाजवादी समाज में, राज्य कारखानों, भूमि, बैंकों और अन्य संसाधनों का मालिक होता है।
समाजवादियों के पास भविष्य की एक बिल्कुल भिन्न दृष्टि थी।
कुछ समाजवादियों को कोऑपरेटिव यानी सामूहिक उद्यम के विचार में दिलचस्पी थी।
इंग्लैंड के जाने-माने उद्योगपति रॉबर्ट ओवेन (1771-1858) ने इंडियाना (अमेरिका) में नया समन्वय के नाम से एक नये तरह के समुदाय की
रचना का प्रयास किया। कुछ समाजवादी मानते थे कि केवल व्यक्तिगत पहलकदमी से बहुत
बड़े सामूहिक खेत नहीं बनाए जा सकते। वह चाहते थे कि सरकार अपने तरफ से सामूहिक
खेती को बढ़ावा दे। उदाहरण के लिए, फ़्रांस में लुई ब्लांक (1813-1882) चाहते थे कि सरकार पूँजीवादी उद्यमों की जगह सामूहिक उद्यमों को बढ़ावा दे।
कोऑपरेटिव ऐसे लोगों के समूह थे जो मिल कर चीज़ें बनाते थे और मुनाफे को प्रत्येक
सदस्य द्वारा किए गए काम के हिसाब से आपस में बाँट लेते थे।
18. यूरोप में अक्टूबर क्रांति के नाम से कौन सी क्रांति
प्रसिद्ध है?
उत्तर - यूरोप के अधिकतर देशों में 1914 तक कहीं भी समाजवादी
सरकार नहीं बन पाई थी क्योंकि सरकारों में रुढ़िवादियों, उदारवादियों और रेडिकल्स का दबदबा बना रहता था किन्तु सबसे
पिछड़े औद्योगिक देशों में से एक, रूस में यह समीकरण उलट गया। 1917 की अक्तूबर क्रांति के ज़रिए रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने कब्ज़ा कर लिया।
फरवरी 1917 में राजशाही के पतन और अक्तूबर की
घटनाओं को ही अक्तूबर क्रांति कहा जाता है।
19. रूस में समाजवाद की शुरुवात किस प्रकार हुई?
उत्तर - यूरोप के अधिकतर देशों में 1914 तक कहीं भी समाजवादी
सरकार नहीं बन पाई थी क्योंकि सरकारों में रुढ़िवादियों, उदारवादियों और रेडिकल्स का दबदबा बना रहता था किन्तु सबसे
पिछड़े औद्योगिक देशों में से एक, रूस में यह समीकरण उलट गया। 1917 की अक्तूबर क्रांति के ज़रिए रूस की सत्ता पर समाजवादियों ने कब्ज़ा कर लिया।
फरवरी 1917 में राजशाही के पतन और अक्तूबर की
घटनाओं को ही अक्तूबर क्रांति कहा जाता है। अप्रैल 1917 में बोल्शेविकों के निर्वासित नेता व्लादिमीर लेनिन रूस लौट आए। लेनिन के
नेतृत्व में बोल्शेविक 1914 से ही युद्ध का विरोध कर रहे थे।
उनका कहना था कि अब सोवियतों को सत्ता अपने हाथों में ले लेनी चाहिए। लेनिन ने
बयान दिया कि युद्ध समाप्त किया जाए, सारी ज़मीन किसानों के हवाले की जाए
और बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया जाए। इस प्रकार बोल्शेविक सरकार के सत्ता में आते
ही रूस में समाजवाद की शुरुवात हो गई |
20. फरवरी क्रांति में महिलाओं का योगदान बताइए।
उत्तर :- महिला कामगार पुरुष सहकर्मियों के को हमेशा प्रेरित
करती रहती थी । मार्फा वासीलोवा नामक महिला ने तो अकेले ही एक सफल हड़ताल को अंजाम
दिया था । मार्फा के समर्थन में फैक्ट्री के दूसरे विभाग में काम करने वाली
महिलाएं भी इकट्ठी हो गई और धीरे-धीरे बाकी सारी औरतों ने भी काम रोक दिया।
महिलाओं से प्रेरणा लेते हुए पुरुषों ने भी औजार जमीन पर डाल दिए और वे सभी सड़कों
पर उतर आए इस प्रकार फरवरी क्रांति का महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा।
दीर्घ
उत्तरीय प्रश्नोत्तर (04अंक)
1. उदारवादी समूह किस प्रकार का समाज चाहते थे?
उत्तर - समाज परिवर्तन के समर्थकों में एक समूह उदारवादियों
का था। उदारवादी ऐसा राष्ट्र चाहते थे जिसमें सभी धर्मों को बराबर का सम्मान और
जगह मिले। शायद आप जानते होंगे कि उस समय यूरोप के देशों में प्रायः किसी एक धर्म
को ही ज़्यादा महत्व दिया जाता था (ब्रिटेन की सरकार चर्च ऑफ इंग्लैंड का समर्थन
करती थी, ऑस्ट्रिया और स्पेन, कैथलिक चर्च के समर्थक थे)। उदारवादी समूह वंश-आधारित शासकों की अनियंत्रित
सत्ता के भी विरोधी थे। वे सरकार के समक्ष व्यक्ति मात्र के अधिकारों की रक्षा के
पक्षधर थे। उनका कहना था कि सरकार को किसी के अधिकारों का हनन करने या उन्हें
छीनने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए।
यह समूह प्रतिनिधित्व पर आधारित एक ऐसी निर्वाचित सरकार के
पक्ष में था जो शासकों और अफसरों के प्रभाव से मुक्त और सुप्रशिक्षित न्यायपालिका
द्वारा स्थापित किए गए कानूनों के अनुसार शासन-कार्य चलाए। पर यह समूह
‘लोकतंत्रवादी’ नहीं था। ये लोग सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार यानी सभी नागरिकों को
वोट का अधिकार देने के पक्ष में नहीं थे। उनका मानना था कि वोट का अधिकार केवल
संपत्तिधारियों को ही मिलना चाहिए।
2. समाजवाद पर कार्ल मार्क्स के विचार क्या थे?
उत्तर - कार्ल मार्क्स (1818-1882) और फ्रेडरिक एंगेल्स (1820-1895) ने इस दिशा में कई नए तर्क पेश किए।
मार्क्स का विचार था कि औद्योगिक समाज ‘पूँजीवादी’ समाज है। फैक्ट्रियों में लगी
पूँजी पर पूँजीपतियों का स्वामित्व है और पूँजीपतियों का मुनाफा मज़दूरों की मेहनत
से पैदा होता है। मार्क्स का निष्कर्ष था कि जब तक निजी पूँजीपति इसी तरह मुनाफे
का संचय करते जाएँगे तब तक मज़दूरों की स्थिति में सुधार नहीं हो सकता। अपनी स्थिति
में सुधार लाने के लिए मज़दूरों को पूँजीवाद व निजी संपत्ति पर आधारित शासन को उखाड़
फेंकना होगा। मार्क्स का विश्वास था कि खुद को पूँजीवादी शोषण से मुक्त कराने के
लिए मज़दूरों को एक अत्यंत भिन्न किस्म का समाज बनाना होगा जिसमें सारी संपत्ति पर
पूरे समाज का यानी सामाजिक नियंत्रण और स्वामित्व रहेगा। उन्होंने भविष्य के इस
समाज को साम्यवादी (कम्युनिस्ट) समाज का नाम दिया। मार्क्स को विश्वास था कि
पूँजीपतियों के साथ होने वाले संघर्ष में जीत अंततः मज़दूरों की ही होगी। उनकी राय
में कम्युनिस्ट समाज ही भविष्य का समाज होगा।
3. प्रथम विश्वयुद्ध का रूसी साम्राज्य पर क्या प्रभाव हुआ?
उत्तर :- प्रथम विश्व युद्ध का रूसी साम्राज्य पर निम्नलिखित
प्रभाव हुआ :-
1. जैसे जैसे युद्ध लंबा होता गया जार के प्रति जन समर्थन कम होने लगा।
2. जर्मन विरोधी भावना बलवती होने के
कारण लोगों ने सेंट पीट्सबर्ग का नाम बदलकर पेत्रोग्राद रख दिया क्योंकि सेंट
पीट्सबर्ग नाम से जर्मन उच्चारण आता था।
3. लगभग 70 लाख सैनिकों की मौत से रुसियों का
मनोबल टूट गया।
4. पीछे हटती रूसी सेनाओं द्वारा
रास्ते में पड़ने वाली फसलों तथा इमारतों को नष्ट करने से रूस में 30 लाख से ज्यादा लोग शरणार्थी हो गए।
5. युद्ध से उद्योगों पर बहुत बुरा असर
पड़ा जरूरी सामान बनाने वाली छोटी-छोटी वर्कशॉप भी बंद होने लगी शहरों में रहने
वालों के लिए रोटी और आटे की किल्लत होने लगी।
4. पेत्रोग्राद-सोवियत किस प्रकार अस्तित्व में आया?
उत्तर :- जार द्वारा ड्यूमा अर्थात रूसी संसद संसद को
बर्खास्त करने पर प्रदर्शनकारियों द्वारा पुलिस मुख्यालयों पर हमला करके उसे
तहस-नहस कर दिया गया। रोटी , तनख्वाह और काम के घंटों में कमी
तथा लोकतांत्रिक अधिकारों के पक्ष में नारे लगाते हुए प्रदर्शनकारियों पर सैनिकों
ने गोली चलाने से इंकार कर दिया। सिपाहियों की रेजीमेंट में भी बगावत होने लगी और
वह वे मजदूरों के साथ जाकर मिल गए तथा सिपाहियों और मजदूरों के द्वारा सोवियत या
परिषद का गठन किया गया यहीं से पेत्रोग्राद सोवियत अस्तित्व में आया।
5. रूसी क्रांति और सोवियत संघ का वैश्विक प्रभाव किस
प्रकार परिलाक्षित होता है?
उत्तर – रूस की क्रान्ति का वैश्विक प्रभाव इस प्रकार है- रूस की देखा-देखी अन्य सरकारों ने भी अपनी प्रजा की रोटी, कपड़ा व मकान जैसी मौलिक आवश्यकताओं की पूर्ति को अपना मुख्य कर्तव्य समझना शुरू किया। जब राष्ट्रसंघ की नींव रखी गई तो उसने विश्वभर के श्रमिकों की दशा सुधारने के लिए एक विशेष संस्था का निर्माण किया। यह संस्था अन्तर्राष्ट्रीय श्रमिक संघ के नाम से प्रसिद्ध हुई। इसी प्रकार अनेक सरकारों ने शिक्षा देने का कार्य चर्च से छीन लिया। पहले विश्वयुद्ध के बाद समाजवादी आंदोलन मोटे तौर पर दो भागों-सोशलिस्ट पार्टियों और कम्युनिस्ट पार्टियों में बँट गया। समाजवाद लाने की विधियों बल्कि समाजवाद की परिभाषा को लेकर भी उनके बीच अनेक मतभेद थे। इन मतभेदों के बावजूद अपने उदय के कुछ ही दशकों के अन्दर समाजवाद सबसे अधिक स्वीकृत विचारधाराओं में से एक बन गया। प्रथम विश्वयुद्ध के बाद समाजवादी आंदोलन के प्रभाव को फैलना कुछ सीमा तक रूसी क्रांति का परिणाम है। कम्युनिस्ट इंटरनेशनल (कोमिंटर्न), जिसका गठन पहली और दूसरी अन्तर्राष्ट्रीय क्रान्ति की तर्ज पर किया गया था, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर क्रांतियों को प्रोत्साहन देने का साधन था। समाजवादी आन्दोलन में फूट पड़ गई। सोशलिस्ट पार्टियों के वामपंथी धड़ों ने अब स्वयं को कम्युनिस्ट पार्टियों के रूप में ढाल लिया। दुनिया के अधिकांश देशों में कम्युनिस्ट पार्टियों की स्थापना हुई जो कम्युनिस्ट इंटरनेशनल से संबंधित थीं। कम्युनिस्ट इंटरनेशनल एक ऐसा मंच बन गया जहाँ नीतियों पर विचार-विमर्श होते थे और दुनिया में लागू करने के लिए साझी नीतियाँ तय होती थीं। 1943 ई. में कोमिंटर्न को समाप्त कर दिया। क्रांति ने राजनीतिक, आर्थिक व सामाजिक सभी क्षेत्रों में क्रान्ति ला दी। रूस की साम्यवादी सरकार को देखकर संसार के अन्य देशों, जैसे चीन व वियतनाम इत्यादि देशों में भी साम्यवादी सरकारें बनीं।। रूस की क्रान्ति के बाद पूरे विश्व में पूँजीपतियों व मजदूर वर्ग में एक निरंतर संघर्ष-सा चल पड़ा। रूस में किसान व मजदूर वर्ग की सरकार स्थापित हो जाने से इस वर्ग का सम्मान संसार के अन्य देशों में भी बढ़ा।
जब दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हुआ तब तक सोवियत संघ की वजह से
समाजवाद को एक वैश्विक पहचान और हैसियत मिल चुकी थी।
6. अक्टूबर क्रांति का रूसी ग्रामीण इलाकों पर क्या प्रभाव
पड़ा?
उत्तर :- अक्टुबर क्रांति का रूसी ग्रामीण इलाकों पर
निम्नलिखित प्रभाव पड़ा :-
1. जमींदारों की हत्याएं आरंभ हो गईं।
2. किसानों द्वारा सामंतों की जमीनों पर कब्जे किए जाने लगे।
3. किसान सामूहिक खेती नहीं करना चाहते थे।
4. किसान स्थिर कीमतों के साथ अनाज नहीं बेचना चाहते थे।
5. कर नहीं चुकाने वाले किसानों की संपत्तियां जब्त कर ली गईं।
6. इस क्रांति द्वारा किसानों ने समझ
लिया कि उन्हें जमीनी बाटी जाएंगी तथा युद्ध का खात्मा हो जाएगा। जिस दिन क्रांति
की खबर मिली उसी दिन जमीदारों की हवेली लूट ली गई उसके खेतों में कब्जा कर लिया
गया विशालकाय भागों को काटकर लकड़ियां किसानों ने बांट ली और उनकी सारी इमारतें तोड़
दी प्रकार ग्रामीण जनता भी सोवियत जिंदगी जीने को तैयार थी।
7. रूस में गृह युद्ध क्यों प्रारंभ हुआ?
उत्तरः- रूस में गैर बोल्शेविक समाजवादियों को उदारवादी और
राजषाही के समर्थकों ने बोल्शेविक विद्रोह की निंदा की। इन सभी के द्वारा संगठित
होकर टुकड़ियों का निर्माण किया गया ताकि बोल्षेविकों का विरोध किया जा सके । इन
सामाजिक क्रांतिकारियों और जार समर्थकों को लगातार फ्रांसीसी, अमेरिकी, ब्रिटिश व जापानी टुकड़ियों द्वारा
समर्थन मिलता रहा। ये लोग रूस में समाजवाद को फलते फूलते नहीं देखना चाहती थे। इस
प्रकार रूस में इन टुकड़ियों और बोल्शेविकों के बीच युद्ध आरंभ हो गया इस प्रकार
रूस के अंदर हुए इस युद्ध को ही गृहयुद्ध
कहा गया। गृह युद्ध के दौरान लूटमार, डकैती और भुखमरी जैसी समस्याएं बड़े
पैमाने पर फैल गई।
8. रूस में समाजवादी समाज के निर्माण के लिए कौन द्वारा
क्या कदम उठाए गए?
उत्तरः- रूस में समाजवादी समाज के निर्माण के लिए निम्नलिखित
कदम उठाए गए :-
1. खेती का सामाजिकरण कर दिया गया।
2. उद्योगों और बैंकों के राष्ट्रीयकरण जारी रखे गए।
3. पंचवर्षीय योजना लागू की गई जिसमें
औद्योगिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने सभी तरह की कीमतें स्थिर कर दी।
4. एक विस्तारित शिक्षा व्यवस्था
विकसित की गई जिसमें फैक्ट्री कामगारों और किसानों को विश्वविद्यालयों में दाखिला दिया
गया।
5. स्वास्थ्य सेवाएं सस्ती रूप से उपलब्ध कराईं गईं तथा मजदूरों के लिए आदर्श
रिहायशी मकान बनाए गए।
9. समाजवादी खेती से क्या अभिप्राय है?
उत्तरः- बोल्शेविक रूस में समाजवादी व्यवस्था स्थापित करना
चाहते थे। उन्होंने जमीदारों से जब्त किए गए खेतों का इस्तेमाल सामुहिकता क्या
होती है? यह दिखाने के लिए किया। कब्जा किए
गए खेतों को लेकर एक कम्यून बनाया गया। सभी तरह के जब्त किए गए कृषि उपकरणों को कम्यून के हवाले कर दिया गया।
सहकारी साम्यवाद के सिद्धांत के आधार पर आमदनी को सबके बीच बांट लिया जाना था । सदस्यों
के श्रम से होने वाली सारी आय और कम्यून के पास मौजूद सारे रिहायशी मकानों और
सुविधाओं का कम्यून के सदस्य मिलकर बराबरी से इस्तेमाल करते थे।
10. स्टालिन के सामूहिकीकरण कार्यक्रम पर प्रकाश डालिए।
उत्तरः- 1927 - 28 के आसपास रूस के शहरों में अनाज का
भारी संकट पैदा हो गया था। इसे नियंत्रित करने के लिए सरकार ने अनाज की कीमतें तय
कर दी। किंतु किसान उस कीमत पर सरकार को अनाज नहीं बेचना चाहते थे स्तालिन ने
स्थिति से निपटने के लिए किसानों से जबरन अनाज खरीदा और कुलकों के ठिकाने पर छापा
मारे इसके बाद भी अनाज की कमी बनी रही तो स्तालिन ने खेतों के सामूहिकीकरण का
कार्यक्रम शुरू किया। 1929 से पार्टी के ज्यादातर जमीन और
साजो सामान सामूहिक खेती के स्वामित्व को सौंप दिए गए। सभी किसान खेतों में काम
करते थे तथा मुनाफा सभी किसानों के बीच बांट दिया जाता था। किसानों ने सामूहिक
खेती का विरोध किया जिस वजह से उन्हें सख्त सजा दी गई। सामूहिक के बावजूद भी
उत्पादन में अपेक्षाकृत वृद्धि नहीं हुई और रूस में भयंकर अकाल पड़ गया।
11. रूसी क्रांति और सोवियत संघ का विश्व पर क्या प्रभाव
पड़ा?
उत्तरः- रूस में समाजवादियों द्वारा चलाए गए शासन से यूरोप
की समाजवादी पार्टियां बहुत सहमत नहीं थी किंतु रूस में मेहनतकषो के राज्य की
स्थापना की संभावना ने दुनिया भर के लोगों में एक नई उम्मीद जगा दी थी । बहुत सारे
देशों में कम्युनिस्ट पार्टी का गठन किया गया। बोल्शेविकों ने उपनिवेषों को भी
उनके मार्ग का अनुसरण करने के लिए कहा । बोल्षेविकों द्वारा बनाए गए कॉमिन्टर्न
अर्थात बोल्शेविक समर्थक समाजवादी पार्टियों का अंतरराष्ट्रीय महासंघ में बहुत
सारे देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। कई विदेशियों को कम्युनिस्ट
विद्यालयों में सोवियत समाजवादी शिक्षा भी दी गई।
12. रूसी क्रांति का भारत पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तरः- रूसी क्रांति से बहुत से भारतीय प्रेरित हुए। कई
भारतीयों ने कम्युनिस्ट महाविद्यालयों से शिक्षा ग्रहण की। 1920 के दशक में भारत में भी कम्युनिस्ट पार्टी का गठन कर लिया गया। इस पार्टी
के सदस्य सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के संपर्क में रहते थे। भारत के कई महत्वपूर्ण
राजनीतिक व सांस्कृतिक व्यक्तियों जैसे जवाहरलाल नेहरू, रविंद्र नाथ टैगोर आदि ने सोवियत समाजवाद के बारे में लिखा और उन्होने
सोवियत संघ में दिलचस्पी ली।
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अभ्यास
हेतु विश्लेषणात्मक प्रश्न
HOTS
Questions for Practise
1. किस बात ने ज़ार को ’सभी रूसियों का
निरंकुश’ बना दिया? रूसी क्रांति से ठीक पहले उसके
द्वारा उठाए गए कदमों का वर्णन कीजिए।
2. ज़ारिस्ट रूस को दमनकारी समाज क्यों
कहा जाता है?
3. प्रथम विश्व युद्ध का रूस के उद्योग
पर क्या प्रभाव पड़ा?
4. स्टालिन द्वारा रूसी अर्थव्यवस्था
में किए गए किन्हीं दो परिवर्तनों का उल्लेख कीजिए। स्टालिन ने आलोचकों के साथ
कैसा व्यवहार किया?
5. “1950 के दशक तक देश के भीतर यह स्वीकार कर लिया गया था कि यूएसएसआर में सरकार की
शैली रूसी क्रांति के आदर्शों के अनुरूप नहीं थी।“ ऐसा क्यों कहा गया?
6. रूसी क्रांतिकारियों के मुख्य
उद्देश्य क्या थे?
7. यूएसएसआर के इतिहास में लेनिन की
भूमिका और महत्व पर चर्चा करें।
धन्यवाद
आप सफल हों