वन एवं वन्य जीव संसाधन Class 10

वन एवं वन्य जीव संसाधन 

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1.   वन एवं वन्य जीव संसाधन Class 10 : (सम्पूर्ण अध्याय)

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महत्वपूर्ण तथ्य

    · भू क्षेत्र जहाँ वृक्षों का घनत्व सामान्य से अधिक है उसे वन कहते हैं।

    · जैव विविधता (Biodiversity) :- किसी प्राकृतिक प्रदेश में पायी जाने वाली जंगली तथा पालतू जीव-जंतुओं एवं पादपों की प्रजातियों की बहुलता को जैव विविधता कहते हैं।

    · जैव विविधता के कुछ उदाहरण :- एक पेड़ है जिसकी जाति आम है। और आम के कई प्रजातियां पाई जाती है जैसे दशहरीअल्फासोंमालदा,लंगड़ा,चौसा इत्यादि। उसी प्रकार मछली में देखिए मछली एक प्रकार का जाति है या जीव है। इसमें कितने प्रजातियां है झींगाकतलारेहुसार्क, व्हेल इत्यादि। इसी प्रकार हरेक पेड़-पौधे तथा जीव-जंतुओं की प्रजातियां पाई जाती है। जिस क्षेत्र में जितनी ही अधिक जीव तथा जीवों के प्रजातियां पाई जाएंगीवहां जैव विविधता उतना ही बेहतर स्थिति में होगा।

    · जैव विविधता मानव जीवन के लिए आवश्यक है क्योंकि जैव विविधता हरेक जीवों के जीवन के लिए आवश्यक है। मानव और दूसरे जीवधारी आपस में जुड़े हुए हैं। भोजन और अन्य जरूरी चीजें एक दूसरे से पूरी होती है।

    · पारिस्थितिक या पारितंत्र (Eco system):- यह वह तंत्र है जिसमें समस्त जीवधारी आपस में एक दूसरे के साथ तथा पर्यावरण के उन भौतिक एवं रासायनिक कारकों के साथ परस्पर क्रिया करते हैंजिसमें वे निवास करते हैं यह सभी ऊर्जा एवं पदार्थ के स्थानांतरण द्वारा संबंध होते हैं एक छोटा तालाब या कुआं से लेकर पूरा पृथ्वी पारितंत्र हो सकता है।

    · पर्यावरणः- किसी भी सजीव प्राणी के चारों और पाए जाने वाले लोगस्थानवस्तुऐ एवं प्रकृति को पर्यावरण कहते हैं।

    · प्रकृति संरक्षण के अंतरराष्ट्रीय संघ (International Union for the Conservation of Nature) के अनुसार भारत में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं की निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

1. सामान्य जातियांः- इस श्रेणी के अंतर्गत वे जातियां शामिल की गई है जिनकी संख्या जीवित रहने के लिए सामान्य मानी जाती है। जैसेः- पालतू पशु ( गायबैलभैंसकुत्तेघरेलू बिल्लीचुहाघोड़ा) सालचीड़ और रोडेंड्स इत्यादि।

2. संकटग्रस्त जातियांः- इस वर्ग में उन जाति समूह को रखा जाता है। जिसे लुप्त होने का खतरा है। जिन विषम परिस्थितियों के कारण इनकी संख्या कम हुई है। यदि वे जारी रही तो इन जातियों का जीवत रहना कठिन हो जाएगा। काला हिरणमगरमच्छभारतीय जंगली गधागैंडा,  शेर-पूछ वाला बंदरसंगई (मणिपुरी हिरण) इत्यादि संकटग्रस्त जाति वर्ग में रखे गए हैं।

3. सुभेद्य जातियांः- ये वैसे जातियां हैं जिनकी संख्या लगातार घट रही है। यदि इन पर विपरीत प्रभाव डालने वाली परिस्थितियां नहीं बदली तो ये जातियां एक दिन संकटग्रस्त की श्रेणी में आ जाएगी। जैसे- नीली भेड़एशियाई हाथीगंगा नदी का डॉल्फिनइत्यादि।

4. दुर्लभ जातियांः- भारत में इस वर्ग के जातियों की संख्या बहुत ही कम है यदि इन पर विपरीत प्रभाव नहीं रुका तो ये जातियां संकटग्रस्त की श्रेणी में आ जाएंगी। हिमालय के भूरे भालूएशियाई भैंसारेगिस्तानी लोमड़ीहॉर्नबिल दुर्लभ जातियों की श्रेणी में है।

5. स्थानिक जातियांः- ये वे जातियां हैं जो प्राकृतिक या भौगोलिक सीमा के अलग किसी खास क्षेत्रों में पाए जाते हैं। जैसे-अंडमानी टील(ज्मंस)निकोबारी कबूतरअंडमानी जंगली सूअर और अरुणाचल के मिथुन इत्यादि।

6. लुप्त जातियांः- इस श्रेणी में वैसे जातियों को रखा गया है जो इसके मूल रहने के स्थान पर पता लगाने के बाद नहीं पाए गए। अर्थात इनका अस्तित्व अब समाप्त हो चुका है। इन्हें लुप्त जाति की श्रेणी में रखा गया है। जैसे- एशियाई चीतागुलाबी सिर वाली बत्तख इत्यादि।

· वे प्रतिकूल कारक जिनसे वनस्पतिजात और प्राणिजात का ऐसा भयानक क्षय हुआ है ।

(1) आवास बनाने हेतु भूमि की बढ़ती मांग के कारण हमने जंगलों को उजाड़ कर उसे कृषि भूमि में बदल दिया है। इससे वन क्षेत्र कम हो गया है।

(2) सड़करेल तथा बड़ी विकास योजनाओं के कारण हमने वनों को क्षति पहुंचाई है। इस तरह के मानवीय क्रियाकलापों ने प्रतिकूल प्रभाव डाला है।

(3) खनिजों को निकालने के लिए हमने जंगलों को बर्बाद किया है।

(4) कल-कारखानों को लगाने हेतु वनों को साफ किया गया है।

(5) वाणिज्य वानिकी के जरिए हमने कुछ ही पेड़ पौधों का रोपण किया है जिससे जैव विविधता खतरे में पड़ गया है।

(6) जंगलों में लगने वाली आग अर्थात दावानल के कारण जंगल के जंगल नष्ट हो रहे है।

(7) जंगली जानवरों का शिकारपर्यावरणीय प्रदूषणविषाक्तकरण जैसे कारकों से जीव-जंतुओं के अस्तित्व पर प्रतिकूल प्रभाव पडा है। जिससे कई वनस्पतिजात एवं प्राणीजात लुप्त हो चुके हैं।

·      वाणिज्य वानिकीः- इमारती वृक्षों का रोपण वाणिज्य वानिकी कहलाता है। इसमें वृक्षों को लगाने का उद्देश्य वाणिज्य अर्थात् पेड़ों को काटकर बेचना होता है। इसलिए इस प्रकार के रोपण में केवल इमारती या मूल्यवान वृक्षों का ही रोपण किया जाता है। इस प्रकार के वृक्षों के रूपन से धन की प्राप्ति होती है परंतु जैव विविधता के लिए इस प्रकार का रोपण उचित नहीं है। क्योंकि इस प्रकार के रोपण प्रक्रिया में कुछ खास या एकल वृक्षों का ही रोपण किया जाता है।

·      दावानल :- दावानल वन के उस प्रकार के आग की घटना को कहते हैं जब किसी वन क्षेत्र के एक भाग या पूरे भाग में आग लगने से पेड़-पौधेजीव-जंतु सभी जलकर नष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार की स्थिति तब उत्पन्न होती है जब उस क्षेत्र में वनस्पति और मिट्टी सूख जाती है और आद्रता बहुत कम हो जाती है। आग लगने का कारण प्राकृतिक जैसे बिजली गिरने या पेड़ों को टकराने से हो सकती है या फिर मानवीय गतिविधि के कारण भी आग लग सकती है।

·      विषाक्तकरण :- उद्योगों से निकलने वाले कचरे तथा कृषि क्षेत्र में प्रयोग होने वाले कीटनाशकों एवं रासायनिक उर्वरकों से जल एवं भूमि प्रदूषित हुई है। जिसका प्रतिकूल असर कई प्रकार के जीवों पर पड़ा है।

·      वनस्पतिजात और प्राणीजात के बचाव के उपाय हैंः-

(1) वृक्षों को लगाना तथा वृक्षों के काटने पर प्रतिबंध।

(2) शिकार पर पूर्णतः प्रतिबंध तथा सख्त कानून लाना।

(3) घरेलू इंधन में सामाजिक वानिकी एवं कृषि वानिकी का उपयोग करना।

(4) लकड़ी के फर्नीचर की जगह अन्य वस्तुओं के फर्नीचर जैसे प्लास्टिकलोहे आदि का प्रयोग करना।

(5) लोगों के बीच जागरूकता अभियानसेमिनार एवं वन संरक्षण से संबंधित सम्मेलन आदि करना।

उपरोक्त उपायों से वन संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा।

·   सामाजिक वानिकी :- आवासीय स्थल एवं क्रियाकलाप स्थल के आसपास खाली पड़े भू-भाग पर फलदार एवं इमारती वृक्षों को लगाना सामाजिक वानिकी कहा जाता है। इससे इंधन के लिए लकड़ीजानवरों के लिए चारा और छोटे-मोटे लकड़ी के उपयोग हेतु इस्तेमाल में लाने के उद्देश्य से किया जाता है। राष्ट्रीय कृषि आयोग ने 1976 में इसे बढ़ावा दिया था।

·    कृषि वानिकी (Agroforestry) :- फसलों के साथ-साथ पेड़ों एवं झाड़ियों को लगाकर दोनों के लाभ प्राप्त करने को कृषि वानिकी कहा जाता है। इस विधि में खेतों के आसपास पड़े खाली भूमिमेढ़ों या फसलों के बीच में वृक्षों या झाड़ियों का रोपण किया जाता है। इस विधि के द्वारा फसलों के उत्पादन के साथ-साथ लकड़ी एवं झाड़ियों का उपयोग पशुओं के लिए चाराईंधन के लिए लकड़ी तथा घरेलू फर्नीचर आदि जरूरतों को पूरा करने के लिए किया जाता है।

·      भारत में वन और वन्य जीवन का संरक्षण के प्रमुख उद्देश्यः-

o  पेड़-पौधों एवं वन्यजीवों के प्राकृतिक आवास की सुरक्षा।

o  सुरक्षित क्षेत्रों में जीवों का उचित रख-रखाव।

o  पेड़-पौधों एवं वन्यजीवों के लिए जैव मंडल रिजर्व के स्थापना करना।

o  विश्व के जियो में अनुवांशिकी पदार्थ की वर्तमान श्रृंखला को बनाए रखना।

o  अधिनियमों एवं कानून लाकर वन्य जीवों एवं पेड़-पौधों की रक्षा करना।

·    भारत में पेड़-पौधों तथा वन्य जीवन की सुरक्षा हेतु उठाए गए कदमः- आजादी के बाद भारत में तेजी से वन्य जीवों के संरक्षण की बात प्रबुद्धजनों में उठने लगी थी। देश की सामाजिक संस्थाओं और बुद्धिजीवियों ने 1960 और 70 के दशक में राष्ट्रीय वन्य जीवन सुरक्षा कार्यक्रम की पुरजोर वकालत की। इसे देखते हुए भारतीय संसद में 1972 को वन्य जीवन रक्षण( सुरक्षा) अधिनियम-1972 को पारित किया गया।

·   वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम 1972 के मुख्य प्रावधान :-

o  यह अधिनियम जंगली जानवरोंपक्षियों और पौधों को संरक्षण प्रदान करता है।

o  इस अधिनियम के तहत दुर्लभ तथा संकटग्रस्त प्रजातियों का शिकार करना प्रतिबंध है।

o  वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए समिति का गठन करना है।

o  संपूर्ण भारत में संरक्षित जातियों की सूची भी प्रकाशित की गई है।

o  पशु-पक्षियोंजीवों तथा पेड़-पौधों को नुकसान पहुंचाने पर 3 से 10 साल तक की सजा का भी प्रावधान किया गया।

o  इस अधिनियम में जुर्माना 10 हजार से 25 लाख हो सकता है।

o  कानूनी प्रावधान को 6 अनुसूचियों में वर्णित किया गया है।

o  वन्य जीव सुरक्षा अधिनियम-1972 को संसद में पारित होने के बाद देशभर में अभ्यारण और राष्ट्रीय उद्यानों के माध्यम से कई भागों में संकटग्रस्त जीव के संरक्षण के लिए कई परियोजनाओं की शुरुआत की।

·    बाघ परियोजना (Project Tiger) :- बाघ वन्य जीवन का एक अद्भुत जीव है। जैव विविधता को बनाए रखने में बाघ की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। बीसवीं शताब्दी के प्रारंभ में भारत में बाघों की अनुमानित संख्या 55,000 थी। जो 1973 में आधिकारिक गणना के अनुसार घटकर 1827 रह गया।

·    बाघों की संख्या के कम होने के प्रमुख कारणः-

o  बाघों की हड्डियों से औषधियों एवं खालों के लिए बाघों को मारकर उनका व्यापार करना।

o  सघन वनों में कमी के कारण बाघों के आवासीय स्थलों का सिंकुडना।

o  बाघों के भोजन जैसे हिरणखरगोशजंगली भैंसा आदि की संख्या में लगातार कमी होना।

o  वन क्षेत्रों और टाइगर रिजर्व क्षेत्रों के समीप आवास स्थल होने से मानव और बाघ के बीच परस्पर संघर्ष से बाघ की संख्या में कमी आई है।

·    प्रशासनिक उद्देश्य के आधार पर भारत के वन एवं वन्य जीवन संसाधनों को निम्न वर्ग में बांटा जा सकता है।

1. आरक्षित वन (सुरक्षित वन) (Reserved Forest) :- इसके अंतर्गत स्थानीय वन क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है। जिनका रख-रखाव इमारती लकड़ीअन्य वन उत्पादों को प्राप्त करने और उनके बचाव के लिए किया जाता है।

o  इनमें पशुओं को चराने की अनुमति प्राप्त नहीं होती है।

o  देश के आधे से अधिक वन क्षेत्र आरक्षित वन के अंतर्गत शामिल है।

o  इस प्रकार के वन क्षेत्र को सबसे अधिक मूल्यवान माना जाता है।

2. संरक्षित वन (रक्षित वन)(Protected Forest) :- इसके अंतर्गत वैसे वन क्षेत्र आते हैं जिनका नियंत्रण सरकार के अधीन तो रहता हैपरंतु कुछ शर्तों के साथ वन उत्पाद ग्रहण करने का अधिकार आम जनों को होता है।

o  एक चौथाई से अधिक वन क्षेत्र इसी प्रकार के वनों से घिरा है।

o  इन वनों को और अधिक नष्ट होने से बचाने के लिए इसे संरक्षण की आवश्यकता है।

3. अवर्गीकृत वन (Unclassified Forest) :- उपरोक्त दोनों प्रकार के वन को छोड़कर अन्य सभी प्रकार के वन और बंजर भूमि क्षेत्र जो सरकार व्यक्तियों या समुदायों के अधीन होता है। अवर्गीकृत वन कहा जाता है।

o  देश में कुल वन क्षेत्र का लगभग पांचवां हिस्सा भू-भाग पर इसी प्रकार का वन पाया जाता है।

o  इस प्रकार के वन क्षेत्र में वृक्षों को काटनेमवेशियों को चराने तथा वन उत्पाद ग्रहण करने का प्रतिबंध लगभग नहीं होता है।

·    मध्य प्रदेश में सबसे अधिक 75% वन क्षेत्र स्थानीय वन के अंतर्गत है।

·   चिपको आंदोलन :- चिपको आंदोलन पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण आंदोलन है। यह आंदोलन तत्कालीन उत्तर प्रदेश (अब उतराखण्ड) के चमोली जिले में सन् 1973 में 26 मार्च को प्रारंभ हुआ था। भारत के प्रसिद्ध पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट तथा श्रीमती गौरादेवी के नेतृत्व में यह आंदोलन शुरू हुआ जिसे सुंदरलाल बहुगुणागोविंद सिंह रावत ने आगे बढ़ाया। उत्तराखंड के रेणी में 2400 से अधिक पेड़ों को काटा जाना थाजिसे बचाने के लिए गौरा देवी के नेतृत्व में रेणी गांव की 27 महिलाओं ने प्राणों की बाजी लगाकर पेड़ों से चिपक कर पेड़ों की कटाई को असफल कर दिया था। सबसे इस आंदोलन का नाम चिपको आंदोलन के रूप में जाना जाने लगा।

·   बीज बचाओ आंदोलन :- यह आंदोलन परंपरागत अनाजों एवं उनके बीजों को संरक्षित रखने का एक अभियान है। इसकी शुरुआत चिपको आंदोलन से जुड़े विजय जड़धारी ने की थी। उन्होंने खेती की अनूठी परंपरा पद्धति से जुड़ी हुई बारहनाजा नामक पुस्तक की भी रचना की थी। बारहनाजा एक प्रकार का फसल चक्र पद्धति है।

·   नवदानय :- नवदानय भारत की एक गैर सरकारी संस्था है। जो जैव विविधता के संरक्षणजैविक कृषिकृषि अधिकार तथा बीज बचाने के लिए कार्य कर रही है। इसकी शुरुआत 1984 में हुई थी। वंदना शिवा इसके संस्थापकों में से एक हैं जो भारत के एक प्रसिद्ध और पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। इसे नवधान्य के नाम से भी जाना जाता है|

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 पाठ्य पुस्तक आधारित प्रश्नोत्तर

1. बहुवैकल्पिक प्रश्न

(i) इनमें से कौन सी टिप्पणी प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास का सही कारण नहीं है?

(क) कृषि प्रसार                                                  (ख) वृहत स्तरीय विकास परियोजनाएँ

(ग) पशुचारण और ईंधन लकड़ी एकत्रित करना        (घ) तीव्र औद्योगीकरण और शहरीकरण

उत्तर - (ग) पशुचारण और ईंधन लकड़ी एकत्रित करना

(ii) इनमें से कौन सा संरक्षण तरीका समुदायों की सीधी भागीदारी नहीं करता?

(क) संयुक्त वन प्रबंधन                                          (ख) चिपको आंदोलन 

(ग) बीज बचाओ आंदोलन                                      (घ) वन्य जीव पशुविहार (Santuary) का परिसीमन

उत्तर - (घ) वन्य जीव पशुविहार (Sanctuary) का परिसीमन

2. निम्नलिखित प्राणियों/पौधों का उनके अस्तित्व के वर्ग से मेल करें।

जानवर/हिरण                                            अस्तित्व वर्ग

(1) काला हिरण                                       (अ) लुप्त

(2) एशियाई हाथी                                     (ब) दुर्लभ

(3) अंडमान जंगली सुअर                           (स) संकटग्रस्त

(4) हिमालयन भूरा भालू                             (द) सुभेद्य

(5) गुलाबी सिरवाले बत्तख                          (इ) स्थानिक

उत्तर –

जानवर/हिरण                                          अस्तित्व वर्ग

(1) काला हिरण                                      (स) संकटग्रस्त

(2) एशियाई हाथी                                    (द) सुभेद्य

(3) अंडमान जंगली सुअर                         (इ) स्थानिक

(4) हिमालयन भूरा भालू                           (ब) दुर्लभ

(5) गुलाबी सिरवाले बत्तख                       (अ) लुप्त

3. निम्नलिखित का मेल करें।

(1) आरक्षित वन                   (अ) सरकारव्यक्तियों के निजी और समुदायों के अधीन अन्य वन और बंजर भूमि

(2) रक्षित वन                       (ब) वन और वन्य जीव संसाधन संरक्षण की दृष्टि से सर्वाधिक  मूल्यवान वन।

(3) अवर्गीकृत वन                 (स) वन भूमि जो और अधिक क्षरण से बचाई जाती है।

उत्तर –

(1) आरक्षित वन       (ब) वन और वन्य जीव संसाधन संरक्षण की दृष्टि से सर्वाधिक मूल्यवान वन।

(2) रक्षित वन           (स) वन भूमि जो और अधिक क्षरण से बचाई जाती है।

(3) अवर्गीकृत वन     (अ) सरकारव्यक्तियों के निजी और समुदायों के अधीन अन्य वन और बंजर भूमि

4. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 30 शब्दों में दीजिये |

(i) जैव विविधता क्या हैयह मानव जीवन के लिए क्यों महत्वपूर्ण है?

उत्तर : पृथ्वी पर एक साथ विविध जीवों का रहना जैसे सूक्ष्म जीवाणु और बैक्टीरियाजोंक से लेकर वटबृक्षहाथी और ब्लू व्हेलमनुष्य बंदरआदि तथा अन्य करोड़ों जीवको जैव विविधता कहा जाता है।

इस जैव विविधता में वन प्राथमिक उत्पादन हैं तथा अन्य जीव उस उत्पाद पर निर्भर हैं। साथ ही प्रत्येक जीव भोजन जाल का एक हिस्सा हैं जिनमें से किसी एक के भी खत्म हो जाने के कारण भोजन जाल टूट सकता हैजिससे कारण जीवन के अस्तित्व को खतरा हो जायेगा। अतः यह जैव विविधता मानव जीवन के लिए अतिमहत्वपूर्ण है।

(ii) विस्तारपूर्वक बताएँ कि मानव क्रियाएँ किस प्रकार प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास के कारक हैं?

उत्तर : कृषि कार्यआवास के लिएसड़क निर्माणफैक्ट्रियों का निर्माणडैम का निर्माण आदि वैसी मानव क्रियायें हैं जिसके लिए लगातार वनों को काटा जा रहा है। ये क्रियायें तेजी से बढ़ती हुई आबादी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए किया जाता रहा है। वनों के नष्ट होने से जहाँ वनस्पतिजात नष्ट हो रहे हैं वहीं वन्य प्राणियों के प्राकृतिक आवास भी नष्ट हो रहे हैं।

ये मानव क्रियाएँ जो वनों के नष्ट होने के कारण हैं प्राकृतिक वनस्पतिजात और प्राणिजात के ह्रास के मुख्य कारक हैं।

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लगभग 120 शब्दों में दीजिये |

(i) भारत में विभिन्न समुदायों ने किस प्रकार वनों और वन्य जीव संरक्षण और रक्षण में योगदान किया है? विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिये|

उत्तर – वन संरक्षण की नीतियाँ हमारे देश में कोई नई बात नहीं है| हमारे देश अनेक मानव जातियों का प्राकृतिक आवास वन ही हैं| और ये मानव प्रजातियाँ जिन्हें हम जनजाति अथवा वनवासियों के नाम से जानते हैं सर्कार के साथ अपने आवास स्थल अर्थात वनों के संरक्षण में जुटे रहते हैं| भारत में लोगों और समुदायों का वनों और वन्य जीवों के संरक्षण में हमेशा से महत्वपूर्ण योगदान रहा है। परम्परागत रूप से चली आ रही पेड़ों और कई जानवरों की पूजा कर वास्तव में सामुदायिक स्तर पर वनों और वन्य जीवों को संरक्षण प्रदान किया जाता रहा है। जैसे कि

(1)     भैरोंदेव डाकव सेंच्यूरी  सरिस्का बाघ रिजर्व में राजस्थान के गाँवों के लोग स्वयं वन्य जीव आवासों की रक्षा कर रहे हैं और सरकार की ओर से हस्तक्षेप भी स्वीकार नहीं कर रहे हैं। राजस्थान के अलवर जिले में गाँवों के लोगों द्वारा 1200 हेक्टेयर वन भूमि को "भैरोंदेव डाकव सेंच्यूरीघोषित कर दी है। इस सेंच्यूरी के लिये लोगों द्वारा नियम बनाये गये हैं जो शिकार तथा बाहरी लोगों की घुसपैठ को वर्जित करते हैं।

(2)     चिपको आंदोलन - चिपको आंदोलन पर्यावरण संरक्षण का एक महत्वपूर्ण आंदोलन है। यह आंदोलन तत्कालीन उत्तर प्रदेश (अब उतराखण्ड) के चमोली जिले में सन् 1973 में 26 मार्च को प्रारंभ हुआ था। भारत के प्रसिद्ध पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट तथा श्रीमती गौरादेवी के नेतृत्व में यह आंदोलन शुरू हुआ जिसे सुंदरलाल बहुगुणागोविंद सिंह रावत ने आगे बढ़ाया। उत्तराखंड के रेणी में 2400 से अधिक पेड़ों को काटा जाना थाजिसे बचाने के लिए गौरा देवी के नेतृत्व में रेणी गांव की 27 महिलाओं ने प्राणों की बाजी लगाकर पेड़ों से चिपक कर पेड़ों की कटाई को असफल कर दिया था। सबसे इस आंदोलन का नाम चिपको आंदोलन के रूप में जाना जाने लगा।

(3)           बीज बचाओ आंदोलन :- यह आंदोलन परंपरागत अनाजों एवं उनके बीजों को संरक्षित रखने का एक अभियान है। इसकी शुरुआत चिपको आंदोलन से जुड़े विजय जड़धारी ने की थी। उन्होंने खेती की अनूठी परंपरा पद्धति से जुड़ी हुई बारहनाजा नामक पुस्तक की भी रचना की थी। बारहनाजा एक प्रकार का फसल चक्र पद्धति है।

·    नवदानय :- नवदालय भारत की एक गैर सरकारी संस्था है। जो जैव विविधता के संरक्षणजैविक कृषिकृषि अधिकार तथा बीज बचाने के लिए कार्य कर रही है। इसकी शुरुआत 1984 में हुई थी। वंदना शिवा इसके संस्थापकों में से एक हैं जो भारत के एक प्रसिद्ध और पर्यावरण कार्यकर्ता हैं। इसे नवधान्यके नाम से भी जाना जाता है|

लोगों और समुदायों के इस प्रयास को देखते हुए सरकार ने "संयुक्त वन प्रबंधननाम से एक कार्यक्रम चलाया है जिसका उद्देश्य समुदायों के साथ मिलकर क्षरित वनों के बचाव के लिए कार्य करना है। इस कार्यक्रम की औपचारिक शुरूआत सर्वप्रथम उड़ीसा राज्य में वर्ष 1988 में की गयी थी।

इस तरह हम देख सकते हैं कि भारत में वन तथा वन्य जीवों के संरक्षण में लोगों तथा समुदायों का किस प्रकार योगदान रहा है।

(ii) वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति-रिवाजों पर एक निबंध लिखिए |

उत्तर –  निबंध का शीर्षक - वन और वन्य जीव संरक्षण में सहयोगी रीति – रिवाज़

प्रस्तावना – प्रकृति की पूजा सदियों पुराना जनजातीय विश्वास है, जिसका आधार प्रकृति के हर रूप की रक्षा करना है| इन्हीं विश्वासों ने विभिन्न वनों को मूल एवं कौमार्य रूप में बचाकर रखा है, जिन्हें पवित्र पेड़ों के झुरमुट (देवी-देवताओं के वन) कहते हैं| वनों के इन भागों में या तो वनों के इसे बड़े भागों में स्थानीय लोग ही घुसते तथा न ही किसी और को छेड़छाड़ करने देते हैं| कुछ समाज विशेष पेड़ों की पूजा करते हैं और आदिकाल से उनका संरक्षण करते आ रहे हैं| भारतीय वन विभिन्न समुदायों के लिए घर हैं। इन समुदायों का अपने पर्यावरण के साथ एक जटिल संबंध है। जो कि निम्न प्रकार से समझा जा सकता है |

वृक्ष पूजा - छोटा नागपुर क्षेत्र के मुंडा और संथाल महुआ और कदंब के पेड़ों की पूजा करते हैं| उड़ीसा और बिहार के आदिवासी विवाह के दौरान इमली और आम के पेड़ों की पूजा करते हैं। हम लोग भी पीपल और बरगद के वृक्षों को पवित्र मानते हैं| वन्य जीव पूजा -  राजस्थान के बिश्नोई गाँवों के आसपास काले हिरन, चिंकारा, नीलगाय, और मोरों को अपने समुदाय का अभिन्न हिस्सा मानते हैं और उनको कोई नुक्सान नहीं पहुंचा सकता|

पर्वत पूजा – भारतीय समाज में अनेक संस्कृतियाँ हैं और प्रत्येक संस्कृति में प्रकृति को संरक्षित करने के पारंपरिक तरीके हैं| झरनों, पर्वतों और चोटियों को पूजने की भी परंपरा विभिन्न समुदायों में है|

वन और वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में अच्छी प्रथाएँ बहुत हैं। आजकलकई गैर-सरकारी संगठन जंगल के घटते जंगल और लुप्त हो रहे वन्य जीवों के संरक्षण के लिए जन जागरूकता पैदा करने की दिशा में काम कर रहे हैं। भारत में केंद्र और राज्य सरकारों ने वनों और लुप्तप्राय प्रजातियों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय उद्यानों और वन्यजीव अभयारण्यों की स्थापना की है। संरक्षण के प्रति हाल ही में विकासशील अभ्यास विभिन्न संरक्षण उपायों की खोज है। वन और वन्यजीवों के संरक्षण की दिशा में अच्छी प्रथाओं का नया बायोडायवर्सिटी है। विभिन्न समुदायविशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों मेंजो अपने रहने के लिए जंगलों पर निर्भर हैंअब संरक्षण के इस रूप में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।

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01 अंक के लिए अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

बहुविकल्पीय प्रश्न

1. वन संरक्षण एवं प्रबंधन की दृष्टि से वनों को वर्गीकृत किया गया है -

(अ) 5 वर्गां में            (ब) 4 वर्गां में             (स) 3 वर्गां में             (द) 2 वर्गां में

2. एक जीव जिसकी आँख के कोने से मुँह तक नाक के दोनों ओर आँसूनुमा लकीर होती है-

(अ) तेंदुआ                (ब) चीता                  (स) बिल्ली               (द) दरयाई घोड़ा

3. स्लैश और बर्न (काटो और जलाओ) का संबंध है -

(अ) जनजातीय कृषि से          (ब) सामान्य कृषि से     (स) पहाड़ी कृषि से      (द) सहकारी कृषि से

4. कैंसर रोग के उचपार में उपयोगी है -

(अ) सिनकोना                      (ब) टक्सोल               (स) अ और ब दोनों     (द) दोनों नहीं

5. हिमालयन यव है -

(अ) एक प्राणी                     (ब) एक वनस्पति        (स) एक मछली          (द) इनमें से कोई नहीं

6. वे उत्पाद जिन पर सभी जीव निर्भर रहते हैं –

(अ) द्वितीयक उत्पादक (ब) प्राथमिक उत्पादक (स) तृतीयक उत्पादक (द) इनमें से कोई नही

7. वन्य जीवो के आवास रक्षण हेतु पहला कानून बनाया गया था-

(अ) प्रोजेक्ट टाइगर 1973                           (ब) वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972

(स) संयुक्त वन प्रबंधन अधिनियम 1988         (द) वन्य जीव अधिनियम 1986

8. नर्मदा सागर परियोजना से किस राज्य का वन क्षेत्र प्रभावित हो रहा है-

(अ) मध्यप्रदेश           (ब) उत्तर प्रदेश           (स) छत्तीसगढ़            (द) महाराष्ट्र

9. शांत घाटी का सम्बन्ध किस राज्य से है-

(अ) तमिलनाडु           (ब) केरल                  (स) कर्नाटक              (द) उड़ीसा

10. सरिस्का बाघ रिज़र्व परियोजना किस राज्य में स्थित हैं-

(अ) राजस्थान            (ब) केरल                  (स) कर्नाटक              (द) उड़ीसा

11. निम्न लिखित में से किस राज्य में संयुक्त वन प्रबंधन का पहला प्रस्ताव पास किया गया था?

(अ) राजस्थान            (ब) पंजाब                 (स) उड़ीसा                (द) कर्नाटक

12. पूर्वोत्तर और मध्य भारत में वनो की कटाई का मुख्य कारण हैं-

(अ) ईधन के लिए       (ब) स्थानांतरित के लिए          (स) आवास के लिए   (द) उद्योग के लिए

13.  निम्नलिखित में से स्थाई वनो का सर्वाधिक क्षेत्र किस राज्य में स्थित है-

(अ) राजस्थान            (ब) पंजाब                 (स) उड़ीसा                (द) मध्य रदेश

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिये –

(i) छोटा नागपुर क्षेत्र में …………….…………. जनजातियाँ निवास करती हैं। (मुंडा,संथाल/गोंड,बैगा)

(ii) स्थाई वन क्षेत्रों का सर्वाधिक क्षेत्र …………….……………. राज्य में स्थित है। (मध्यप्रदेश/असम)

(iii) भारत में सघन वन क्षेत्र …………….……………. प्रतिशत है। (12.4%/9.26%)

(iv) चीड एक प्रकार का .................................. वृक्ष है| (सदाबहार/पर्वतीय)

(v)  भारत में कुल वनक्षेत्र ....................... प्रतिशत है| (24.56/33)

सही जोड़ी बनाइये

स्तम्भ क                                                 स्तम्भ ख

(i)                   बीज बचाओ आन्दोलन                    (अ) वन कटाई रोकथाम

(ii)                  चिपको आन्दोलन                           (ब) नवदानय

(iii)                 संयुक्त वन प्रबंधन                            (स) 1972

(iv)                 सर्वाधिक वन क्षेत्र                            (द) 1988

(v)                  भारतीय वन्य जीव अधिनियम            (ई) बंजर भूमि

(vi)                 अवर्गीकृत वन                                (फ) मध्य प्रदेश

एक वाक्य में उत्तर दीजिये –

1.   टिहरी में किसानों  द्वारा कौन-सा आंदोलन चलाया गया था?

2.   भारत में स्थानांतरी (झूम) खेती मुख्यतः किन क्षेत्रो  में की जाती हैं ?

3.   जैव संसाधनों का विनाश किसके विनाश से जुड़ा हैं ?

4.   छोटा नागपुर क्षेत्र की जनजातियाँ किसकी पूजा करती हैं ?

5.   भूमि पर पाया जाना वाला सबसे तेज स्तनधारी जीव है ?

6.   स्लैश और बर्न’ किससे संबधित है विकासशील देशों में पर्यावरण विनाश का मुख्य दोषी किसे माना जाता है ?

सत्य/असत्य बताइए :-

1.   चीता एक तेंदुआ होता है।

2.   झूम खेती से वनों को कोई नुकसान नहीं होता है।

3.   संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम की शुरूवात 1988 में हुई।

4.   चिपको आंदोलन में वृक्षों से चिपक कर उनकी रक्षा के प्रयास किए जाते हैं।

5.   कान्हा राष्ट्रीय उद्यान म0प्र0 में स्थित है।

6.   डिशा राज्य ने संयुक्त वन प्रबंधन का पहला प्रस्ताव पास किया।

7.   चिपको आंदोलन हिमालयी प्रदेश में चलाया गया।

8.   सरिस्का बाघ रिज़र्व मध्य प्रदेश राज्य में स्थित है।

9.   देश के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 24.56 प्रतिशत हिस्सा वन आवरण के अंतर्गत आता है।

10.  भारत और नेपाल देशों को बाघों का आवास स्थल माना जाता है।

11.  भारतीय वन्य जीव अधिनियम 1972 में लागू किया गया  

12.  आरक्षित वनों को सर्वाधिक मूल्यवान माना जाता है l

---000---

उत्तरमाला

सही विकल्प

1

(स)

5

(ब)

9

(ब)

2

(ब)

6

(ब)

10

(अ)

3

(अ)

7

(ब)

11

(स)

4

(ब)

8

(अ)

12

(ब)

13

(द)

रिक्त स्थान

(i) - मुंडा,संथाल, (ii) – मध्यप्रदेश, (iii) – सदाबहार, (iv) – सदाबहार, (v) - 24.56%

सही जोड़ी

(i) -    (ब) , (ii) - (अ), (iii) - (द), (iv) - (फ), (v) - (स), (vi) - (ई)

एक वाक्य में उत्तर

(1) - चिपको आन्दोलन , (2) - पूर्वोत्तर और मध्य भारत , (3) - सांस्कृतिक विविधता, (4) - महुआ और कदम्ब  के वृक्षों की, (5) – चीता, (6) - स्थानान्तरी कृषि से, (8) – अत्यधिक जनसँख्या

सत्य/असत्य

(1) – असत्य, (2) – असत्य, (3) – सत्य, (4) – सत्य, (5) – सत्य, (6) – सत्य, (7) – सत्य, (8) – असत्य, (9) – सत्य, (10) – सत्य, (11) – सत्य ,(12) - सत्य

02 अंकों के लिए प्रश्नोत्तर

1. आरक्षित वन क्या है?

उत्तर : वे वन जिनमें इमारती लकड़ी तथा वन उत्पादों को प्राप्त करने के लिए स्थाई रूप से सुरक्षित रखा जाता है तथा जिनमें पशुओं के चराने तथा खेती करने की अनुमति नहीं होती उन्हें आरक्षित वन कहते हैं।

2. रक्षित वन क्या है?

उत्तर : ये वन जिनमें कुछ सामान्य प्रतिबन्धों के साथ पशुओं को चराने एवं खेती करने की अनुमति दे दी जाती है उन्हें रक्षित वन कहते हैं।

3. अवर्गीकृत वन क्या है?

उत्तर : ऐसे वन जिन तक पहुँचना दुर्गम होता है और जहाँ पशुओं को चराने तथा खेती करने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं होता उन्हें अवर्गीकृत वन कहा जाता है। ऐसे वन प्रायः अनुपयोगी होते हैं।

4. जैव-विविधता के दो लाभ लिखें।

उत्तर : जैव-विविधता के दो लाभ-

(क) सर्वप्रथम हमारी प्राकृतिक सम्पदा विशेषकर विभिन्न जीव-जन्तु प्रकृति के सौन्दर्य को चार चाँद लगा देते हैं और धरती को स्वर्ग का रूप दे देते हैं।

(ख) भारत की प्राकृतिक सम्पदा और वन्य-प्राणियों को देखने के लिए हर वर्ष अनेक पर्यटक भारत आते रहते हैंइस प्रकार अनजाने में भारत को बहुत सी विदेशी मुद्रा प्राप्त हो जाती है।

5. राष्ट्रीय उद्यान क्या है?

उत्तरःयह सुरक्षित क्षेत्र जहाँ प्राकृतिक वनस्पतिप्राकृतिक सुंदरता तथा वन्य-प्राणियों को सुरक्षित रखा जाता है. राष्ट्रीय उद्यान कहलाता है।

6. पौधों और प्राणियों की स्थानिक जातियों कौन-कौन सी हैंउदाहरण सहित लिखें।

डतर : पौधों और प्राणियों की स्थानिक जातियों वे हैं जो विशेष क्षेत्रों में ही पाई जाती हैजैसे-निकोबारी कबूतरअंडमानी जंगली सूअर तथा टीलअरुणाचल की मिथुन आदि।

7. पौधों और प्राणियों की लुप्त जातियों कौन-कौन सी हैंउदाहरण सहित लिखें।

उत्तर : पौधों और प्राणियों की लुप्त जातियों वे हैं जो इनके रहने के स्थानों से भी लुप्त पाई गई है। जैसे- एशियाई चीतागुलाबी सिर वाली बत्तख आदि।

8. वनों के हास की समस्या को किस प्रकार हल किया जा सकता है?

उत्तर : सामाजिक वानिकी द्वारा वनों का विस्तार। वन महोत्सव’ द्वारा अधिक से अधिक वृक्षारोपण तथा पेड़ों के महत्व के विषय में लोगों को जानकारी देना।

9. भारत में हाथी किस प्रकार के वनों में पाए जाते हैं ऐसे दो राज्य बताएँ जहाँ हाथी सबसे अधिक मिलते हैं।

उत्तर : उष्ण विषुवतीय वन हाथी का प्राकृतिक आवास है। केरलकर्नाटक राज्यों के पश्चिमी घाट क्षेत्र में तथा असम राज्य में।

10. एक सींग वाला गैंडा भारत में कहाँ मिलता है इसके लिए कैसी भूमि व जलवायु अनुकूल है?

उत्तर : असम तथा पश्चिमी बंगाल के ऊष्ण व आर्द्र दलदली क्षेत्रों में। असम में काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान एक सींग वाले गैंडे का प्राकृतिक आवास है।

11. एशियाई सिंह का प्राकृतिक आवास कहाँ है यह किस राज्य में स्थित है ?

उत्तर : गिर राष्ट्रीय उद्यान । गुजरात राज्य के सौराष्ट्र संभाग में।

12. देश के कुल कितने प्रतिशत भाग पर वन है?

उत्तर : 24.56 प्रतिशत

13. जैव विविधता को संरक्षित करने बनाए गए अंतर्रराष्ट्रीय संघ का क्या नाम है?

उत्तर : अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण एवं प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ (प्न्ब्छ)

14. डोलोमाइट के उत्खनन से किस वन क्षेत्र को संकट है?

उत्तर : पश्चिम बंगाल में बक्सा टाईगर रिजर्व को

15. भारतीय वन्य जीव संरक्षण अधिनियम कब लागू किया गया?

उत्तर : 1972 ईं को

16.प्रोजेक्ट टाईगर परियोजना का आरंभ कब हुआ?

उत्तर : 1973 ई. से

17.भारत की प्रमुख बाघ परियोजनाओं के नाम लिखिए।

उत्तर : कॉरबेट राष्ट्रीय उद्यान (उत्तराखंड) सुंदरवन राष्ट्रीय उद्यान (पष्चिम बंगाल)बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान (मध्यप्रदेश)सरिस्का वन्य जीव पशु विहार (राजस्थान)मानस बाघ रिजर्व (असम) और पेरियार बाघ रिजर्व (केरल)

18. सरकारी तौर पर वनों का विभाजन कितने प्रकार से किया गया है?

उत्तर : तीन प्रकार से किया गया है। 1. आरक्षित वन 2. रक्षित वन 3. अवर्गीकृत वन

19. भारत देश में सर्वाधिक वन क्षेत्र किस राज्य में है?

उत्तर : मध्यप्रदेश

20. जनभागीदारी के माध्यम से संरक्षित प्रमुख जैव परियोजनाओं के नाम बताओ।

उत्तर : सरिस्का बाघ परियोजना और भैंरोदेव डाकव सेंचुरी

21. कांजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान कहां स्थित है?

उत्तरः असम में।

22. संवर्धन वृक्षारोपण से आप क्या समझते हैं?

उत्तरः जब व्यावसायिक महत्व के किसी एक प्रजाति के पादपों का वृक्षारोपण किया जाता है तो इसे संवर्धन वृक्षारोपण कहते हैं।

23. संसाधनों के कम होने से समाज पर क्या प्रभाव पड़ते हैं?

उत्तरः संसाधनों के कम होने से समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ते हैं। कुछ चीजें इकट्ठा करने के लिये महिलाओं पर अधिक बोझ होता हैजैसे ईंधनचारापेयजल और अन्य मूलभूत चीजें। इन संसाधनों की कमी होने से महिलाओं को अधिक काम करना पड़ता है। कुछ गाँवों में पीने का पानी लाने के लिये महिलाओं को कई किलोमीटर पैदल चलकर जाना होता है।

03 अंक के लिए प्रश्नोत्तर

1.  भारतीय वन्यजीवन (रक्षण) अधिनियम पर एक टिप्पणी लिखें।

उत्तरः सरकार ने भारतीय वन्यजीवन (रक्षण) अधिनियम 1972 को लागू किया। इस अधिनियम के तहत संरक्षित प्रजातियों की एक अखिल भारतीय सूची तैयार की गई। बची हुई संकटग्रस्त प्रजातियों के शिकार पर पाबंदी लगा दी गई। वन्यजीवन के व्यापार पर रोक लगाया गया। वन्यजीवन के आवास को कानूनी सुरक्षा प्रदान की गई। कई राज्य सरकारों और केंद्र सरकारों ने नेशनल पार्क और वन्यजीवन अभयारण्य बनाए। कुछ खास जानवरों की सुरक्षा के लिए कई प्रोजेक्ट शुरु किये गयेजैसे प्रोजेक्ट टाइगर।

2. ज्वाइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट (संयुक्त वन प्रबंधन) पर एक टिप्पणी लिखें।

उत्तरः स्थानीय समुदाय द्वारा संरक्षण में भागीदारी का एक और उदाहरण है ज्वाइंट फॉरेस्ट मैनेजमेंट। यह कार्यक्रम उड़ीसा में 1988 से चल रहा है। इस कार्यक्रम के तहत गाँव के लोग अपनी संस्था का निर्माण करते हैं और संरक्षण संबंधी क्रियाकलापों पर काम करते हैं। उसके बदले में सरकार द्वारा उन्हें कुछ वन संसाधनों के इस्तेमाल का अधिकार मिल जाता है।

3. पारिस्थितिकी तंत्र क्या हैवन पारिस्थितिकी तंत्र की उपयोगिता बताइयें।

उत्तर - पारिस्थितिक या पारितंत्र (Eco system):- यह वह तंत्र है जिसमें समस्त जीवधारी आपस में एक दूसरे के साथ तथा पर्यावरण के उन भौतिक एवं रासायनिक कारकों के साथ परस्पर क्रिया करते हैंजिसमें वे निवास करते हैं यह सभी ऊर्जा एवं पदार्थ के स्थानांतरण द्वारा संबंध होते हैं एक छोटा तालाब या कुआं से लेकर पूरा पृथ्वी पारितंत्र हो सकता है।

वन पारिस्थितिकी तंत्र की उपयोगिता – मानवदूसरे जीवधारी तथा पेड़-पौधे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करते हैं। वायुजलअनाज के बिना व्यक्ति जीवित नहीं रह सकता तथा पौधेपशु और सूक्ष्मजीवी इनका पुनः सजन करते हैं। वन पारिस्थितिकी तंत्र में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं क्योंकि ये प्राथमिक उत्पादक हैं जिन पर दूसरे सभी जीव निर्भर करते हैं।

4. जैव विविधता को प्रभावित करने वाले कोई तीन कारक लिखिए।

उत्तर – जैव विविधता को प्रभावित करने वाले तीन कारक निम्नलिखित हैं –

1. जंगलों का विनाश

2. शिकार करना

3. वन औषधियों का दोहन

4. वन क्षेत्र में कमी

5. पर्यावरण प्रदुषण

6. ग्लोबल वार्मिंग

7. वनों में आग लगना

8. लोगों का जागरूक न होना

5. पर्यावरण विनाश के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं?

उत्तर - पर्यावरणीय विनाश सामाजिक-आर्थिकसंस्थागत और तकनीकी गतिविधियों के गतिशील परस्पर क्रिया का परिणाम है। पर्यावरणीय परिवर्तन आर्थिक विकासजनसंख्या वृद्धिशहरीकरणकृषि की गहनताऊर्जा के बढ़ते उपयोग और परिवहन सहित कई कारकों से प्रेरित हो सकते हैं।

6. आरक्षित  वनो से क्या तात्पर्य हैंसमझाइये।

उत्तर - इसके अंतर्गत स्थानीय वन क्षेत्र को सम्मिलित किया गया है। जिनका रख-रखाव इमारती लकड़ीअन्य वन उत्पादों को प्राप्त करने और उनके बचाव के लिए किया जाता है।

o  इनमें पशुओं को चराने की अनुमति प्राप्त नहीं होती है।

o  देश के आधे से अधिक वन क्षेत्र आरक्षित वन के अंतर्गत शामिल है।

o  इस प्रकार के वन क्षेत्र को सबसे अधिक मूल्यवान माना जाता है।

7. पर्यावरण के विनाश और पुनर्निर्माण की क्रियाशीलता से हमें क्या सीख मिलती है?

उत्तर – पर्यावरण के विनाश और पुनर्निर्माण की क्रियाशीलता से यह सीख मिलती है कि स्थानीय समुदायों को हर जगह प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन में शामिल करना चाहिए| परन्तु स्थानीय समुदायों को फैसले लेने की प्रक्रिया में मुख्य भूमिका में आने में अभी देर है| अतः वे ही विकास क्रियाएं मानी होनी चाहिए जो जनमानस पर केन्द्रित हों,पर्यावरण हितैषी हों और आर्थिक रूप से प्रतिफलित हों|

8. भारत में वनो को सबसे बड़ा नुकसान कब और किन कारणो से हुआ?

उत्तर – भारत में वनों सबसे बड़ा नुकसान उपनिवेश काल में हुआ इसके प्रमुख कारण रेल लाइन का विस्तार, कृषि, व्यवसाय, वाणिज्य वानिकी और खनन क्रियाएं हैं|

9. स्थानान्तरी कृषि से क्या तात्पर्य हैं?

उत्तर - स्थानान्तरी कृषि अथवा स्थानान्तरणीय कृषि ( Shifting cultivation) कृषि का एक प्रकार है जिसमें कोई भूमि का टुकड़ा कुछ समय तक फसल लेने के लिये चुना जाता है और उपजाऊपन कम होने के बाद इसका परित्याग कर दूसरे टुकड़े को ऐसी ही कृषि के लिये चुन लिया जाता है।

10. वनों की कटाई के कोई तीन परोक्ष परिणाम लिखिए।

उत्तर – वनों की कटाई के प्रमुख परोक्ष परिणाम निम्नलिखित हैं –

1.   वनों के काटने से मृदा अपरदन में वृद्धि होती है l

2.   बाढ़ का खतरा बढ़ जाता है l

3.   वनों से प्राप्त होने वाले उत्पादकों में कमी  जाती है l

4.   शुद्ध हवा ना मिलने की वजह से बिमारियां फैल जाती है l

5.   आस पास के तापमान में वृद्धि हो जाती है l

6.   जंगली जानवरों के विलुप्त होने का खतरा बढ़ जाता है l

7.   ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है और जहरीली गैसों की मात्रा बढ़ जाती है l

8.   ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ जाता है l

11. जैव संसाधनों के विनाश द्वारा सभ्यता और संस्कृति का पतन हो रहा हैं कथन की व्याख्या कीजिए।

उत्तर – जैव संसाधनों के विनाश द्वारा सभ्यता और संस्कृति का पतन हो रहा है क्योंकि जैव विनाश के कारण कई मूल जातियां और वनों पर आधारित समुदाय निर्धन होते जा रहे हैं और आर्थिक रूप से हाशिये पर पहुँच गए हैं| यह समुदाय खाने पीने , औषधि, संस्कृति, अध्यात्म इत्यादि के लिए वनों और वन्यजीवों पर निर्भर है|

12. वन संरक्षण में संयुक्त वन प्रबंधन कार्यक्रम की भूमिका स्पष्ट कीजिये।

उत्तर – वन विभाग के अंतर्गत संयुक्त वन प्रबंधन क्षरित वनों के बचाव के लिए कार्य करता है और इसमें गाँव के स्तर पर संस्थाएं बनाई जाति हैं जिसमें ग्रामीण और वन विभाग के अधिकारी संयुक्त रूप से कार्य करते हैं | इसके बदले में समुदाय को गैर इमारती लकड़ी और वन उत्पाद की हकदारी मिल जाति है और वन सुरक्षित हो जाते हैं|

13एशियाई चीते की संक्षिप्त जानकारी दीजिये। यह विलुप्त क्यों हो गया है?
उत्तर - एशियाई चीता स्थल पर रहने वाला विश्व का सबसे तेज स्तनधारी प्राणी है। यह बिल्ली परिवार का एक अजूबा और विशिष्ट सदस्य है जो कि 112 किलोमीटर प्रति घण्टा की गति से दौड़ सकता है। इनके आवासीय क्षेत्र और शिकार की उपलब्धता कम होने के कारण ये लगभग लुप्त हो चुके हैं।

14भारत में प्रोजेक्ट टाइगर को शुरू करने के दो उद्देश्य क्या थे
उत्तर - भारत में प्रोजेक्ट टाइगर को शुरू करने के दो प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित थे-

1. बाघों की संख्या में वृद्धि करना।  2. बाघों की खाल एवं हड्डियों के व्यापार को रोकना।

15. भारत में बाघों की घटती संख्या के मुख्य कारण दीजिए। 
उत्तर - भारत में बाघों की घटती संख्या के मुख्य कारण निम्न हैं-

·        बाघों को मारकर उनको व्यापार के लिए चोरी करना। 

·        बाघों के आवासीय स्थलों का सिकुड़ना अर्थात् वन क्षेत्रों का घटना।

·        बाघों के भोजन के लिए आवश्यक जंगली उपजातियों की संख्या में कमी होना। 

·        जनसंख्या में वृद्धि होना। 

·        बाघों की खाल तथा हड्डियों का व्यापार होना। 

04 अंक के लिए प्रश्नोत्तर

1. वर्तमान समय में भारत की जैव विविधता खतरे में है। उदाहरण देकर समझाइये।

उत्तर -  पर्यावरणविदों द्वारा लगाये गये अनुमानों से ज्ञात होता है कि भारत में कम से कम 10 प्रतिशत जंगली पेड़-पौधे तथा 20 प्रतिशत स्तनधारी खतरे में हैं। इनमें से अनेक प्रजातियों को वर्तमान में संकटापन्न प्रजातियों की श्रेणी में रखा जा सकता हैजो बिल्कुल लुप्त होने के कगार पर हैं। इनमें चीतागुलाबी सिर वाली बतखपहाड़ी कोयलजंगली चित्तीदार उल्लू शामिल हैं। चीता को 1952 में लुप्त घोषित कर दिया गया। पौधों की भी अनेक प्रजातियों पर लुप्त होने का खतरा मंडरा रहा हैजैसे-मधुका इनसिगनिस (महुआ की जंगली किस्म) और हुबरडिया हेप्टान्यूरोन (घास की प्रजाति) आदि। अनेक प्रजातियाँ तो पहले ही विलुप्त हो चुकी हैं। आज हमारा ध्यान अधिक बड़े और दिखाई देने वाले प्राणियों और पौधे के लुप्त होने पर अधिक केंद्रित है परंतु छोटे प्राणी जैसे कीट और पौधे भी महत्वपूर्ण होते हैं। वास्तव में कोई भी नहीं बता सकता कि अब तक कितनी प्रजातियाँ लुप्त हो चुकी हैं।

2भारत में बाघों का संरक्षण किस कारण आवश्यक हैस्पष्ट कीजिये।

उत्तर - वन्य जीवन संरचना में बाघ एक महत्त्वपूर्ण जंगली जाति है। सन् 1973 में ज्ञात हुआ कि देश में 20वीं शताब्दी के आरंभ में बाघों की संख्या अनुमानित संख्या 55,000 से घटकर केवल 1827 रह गई। बाघों को मारकर उनको व्यापार के लिए चोरी करनाउनके आवासीय स्थलों का सिकुड़नाभोजन के लिए आवश्यक जंगली उपजातियों की संख्या कम होना और जनसंख्या में वृद्धि बाघों की घटती संख्या के मुख्य कारण हैं । बाघों की खाल का व्यापार और उनकी हड्डियों का एशियाई देशों में परम्परागत औषधियों में प्रयोग के कारण यह जाति विलुप्त होने के कगार पर पहुँच गई है। अतः भारत में बाघों का संरक्षण वर्तमान समय की आवश्यकता है। एक बहुत बड़े आकार की जैवजाति को बचाने हेतु भी बाघ संरक्षण आवश्यक है।

3. जैव संसाधनों का विनाश सांस्कृतिक विविधता के विनाश से कैसे जुड़ा हुआ हैसमझाइए।
उत्तर – जैव संसाधनों का विनाश सांस्कृतिक विविधता के विनाश से जुड़ा हुआ है इसे इस प्रकार से समझा जा सकता है –

1. जैव संसाधनों के विनाश के कारण कई मूल जातियाँ एवं वनों पर आश्रित समुदाय बहुत अधिक निर्धन हो गये हैं। वे आर्थिक रूप से हाशिये पर पहुँच गये हैं।

2.वनों पर आश्रित समुदाय अपने भोजनजलऔषधिसंस्कृति एवं अध्यात्म आदि के लिए वनों एवं वन्य जीवों पर ही निर्भर हैं।

·        3.जैव संसाधनों के विनाश के कारण ऐसे निर्धन वर्ग में पुरुषों की अपेक्षा महिलाएँ अधिक प्रभावित हुई हैं।

·        जैव संसाधनों के ह्रास के कारण महिलाओं पर काम का बोझ बढ़ गया है। इसके कारण उनमें स्वास्थ्य सम्बन्धी कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हुई हैं। महिलाओं के पास अपने बच्चों की देखभाल के लिए पर्याप्त समय नहीं है जिसके गम्भीर सामाजिक परिणाम हो सकते हैं।

·        4.वन और वन्य जीवन मानव जीवन के लिए बहुत कल्याणकारी है। 

अतः कहा जा सकता है कि जैविक संसाधनों का विनाश सांस्कृतिक विविधता के विनाश से सम्बन्धित है।

5."वन एवं वन्य जीवों के ह्रास से वनों पर आश्रित समुदायों की महिलाओं की स्थिति अधिक प्रभावित हुई है।" स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - वनों पर आश्रित अधिकांश समुदायों में भोजनपानीचारा एवं अन्य आवश्यकताओं की वस्तुओं को इकट्ठा करने की जिम्मेदारी महिलाओं की होती है। ऐसे समुदायों की महिलाएँ वन एवं वन्य-जीवों के ह्रास से अत्यधिक प्रभावित हुई हैं। यह निम्नलिखित बिन्दुओं से स्पष्ट है-

·        1. जैसे-जैसे वन संसाधन कम होते जा रहे हैं महिलाओं को उन्हें जुटाने के लिए और अधिक परिश्रम करना पड़ रहा है। कभी-2.कभी उन्हें इन संसाधनों को जुटाने के लिए 10 किमी. से भी अधिक लम्बी दूरी तक पैदल चलना पड़ता है।

·        3.अत्यधिक परिश्रम के कारण महिलाओं को स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

·        4.काम का समय बढ़ने के कारण महिलाएं अपने घर एवं बच्चों की ढंग से देखभाल नहीं कर पाती हैं जिसके गम्भीर सामाजिक परिणाम होते हैं।

6. अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ के अनुसार पौधे एवं प्राणियों की जातियों का वर्गीकरण प्रस्तुत कीजिये। 
उत्तर - पौधों और जातियों का वर्गीकरण 
अन्तर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण संघ के अनुसार पौधे और प्राणियों की जातियों को निम्नलिखित श्रेणियों में विभाजित किया गया है-
(1) 
सामान्य जातियाँ वे जातियाँ जिनकी संख्या जीवित रहने के लिए सामान्य मानी जाती हैसामान्य जातियाँ कहलाती हैं। यथा पशुसालचीड़ और कृन्तक (रोडेंट्स) आदि।

(2) संकटग्रस्त जातियाँ-वे जातियाँ जिनके लुप्त होने का खतरा हैसंकटग्रस्त जातियाँ कहलाती हैं। जिन विषम परिस्थितियों के कारण इनकी संख्या में कमी हो रही हैयदि वे परिस्थितियाँ अभी भी जारी रहती हैं तो इन जातियों का जीवित रहना कठिन है। यथा काला हिरणमगरमच्छभारतीय जंगली गधागैंडाशेर-पूंछ वाला बन्दरसंगाई अर्थात् मणिपुरी हिरण इत्यादि। 

(3) सुभेद्य जातियाँ- वे जातियाँ जिनकी संख्या घट रही हैसुभेद्य जातियाँ कहलाती हैं। यदि इनकी संख्या पर विपरीत प्रभाव डालने वाली परिस्थितियाँ नहीं बदली जातीं और इनकी संख्या घटती रहती है तो यह संकटग्रस्त जातियों की श्रेणी में शामिल हो जायेंगी। यथा-नीली भेड़एशियाई हाथीगंगा नदी की डॉल्फिन आदि। .

(4) दुर्लभ जातियाँ- इन जातियों की संख्या बहुत कम है और यदि इनको प्रभावित करने वाली विषम परिस्थितियाँ परिवर्तित नहीं होती हैं तो ये संकटग्रस्त जातियों की श्रेणी में आ जायेंगी।

(5) स्थानिक जातियाँ- ये विशेष क्षेत्रों में पाई जाने वाली स्थानीय जातियाँ होती हैं। अण्डमानी टील (teal), निकोबारी कबूतरअण्डमानी जंगली सूअर और अरुणाचल के मिथुन इन जातियों के उदाहरण हैं।

(6) लुप्त जातियाँ- वे जातियाँ जो स्थानीय क्षेत्रप्रदेशदेशमहाद्वीप या सम्पूर्ण पृथ्वी से ही लुप्त हो गई हैंलुप्त जातियों के नाम से जानी जाती हैं। यथा एशियाई चीता और गुलाबी सिर वाली बतख आदि।

7भारत में वनों के प्रकार एवं उनके क्षेत्र बताइये।
उत्तर- भारत में वनों के प्रकार भारत में अधिकतर वन और वन्य जीवन या तो प्रत्यक्ष रूप से सरकार के अधिकार क्षेत्र में है या वन विभाग अथवा अन्य विभागों के माध्यम से सरकार के प्रबन्धन में है। प्रशासनिक आधार पर भारत में वनों को निम्नलिखित तीन भागों में बाँटा गया है-

(1) आरक्षित वन- ये वे वन हैं जो इमारती लकड़ी या वन उत्पादों को प्राप्त करने के लिए पूर्णतः सुरक्षित कर लिए गए हैं। इन वनों में पशुओं को चराने या खेती करने की अनुमति नहीं दी जाती है।

भारत के कुल वन क्षेत्र के आधे से अधिक वन क्षेत्र आरक्षित वन घोषित किये गये हैं। आरक्षित वनों को सर्वाधिक मूल्यवान माना जाता है। मध्य प्रदेश में स्थायी वनों के अन्तर्गत सर्वाधिक क्षेत्र है जो कि प्रदेश के कुल वन क्षेत्र का 75 प्रतिशत है। इसके अलावा जम्मू और कश्मीरआंध्र प्रदेशउत्तराखण्डकेरलतमिलनाडुपश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में भी कुल वनों में एक बड़ा अनुपात आरक्षित वनों का है।

(2) रक्षित वन- वन विभाग के अनुसार देश के कुल वन क्षेत्र का लगभग एक-तिहाई हिस्सा रक्षित वनों का है। इन वनों को और अधिक नष्ट होने से बचाने के लिए इनकी सुरक्षा की जाती है। इनका रख-रखाव इमारती लकड़ी और अन्य पदार्थों और उनके बचाव के लिए किया जाता है। इन वनों में पशुओं को चराने व खेती करने की अनुमति कुछ विशिष्ट प्रतिबन्धों के साथ प्रदान की जाती है। बिहारहरियाणापंजाबहिमाचल प्रदेशओडिशा और राजस्थान में कुल वनों में रक्षित वनों का एक बड़ा अनुपात है।

(3) अवर्गीकत वन- देश में अन्य सभी प्रकार के वन और बंजर भूमि जो कि सरकार. व्यक्तियों और समदायों के स्वामित्व में होते हैंअवर्गीकृत वन कहलाते हैं। पूर्वोत्तर के सभी राज्यों में और गुजरात में अधिकतर वन क्षेत्र अवर्गीकृत वन हैं तथा स्थानीय समुदायों के प्रबंधन में हैं।

8भारत में वन्य जीवन के ह्रास पर विवेचना कीजिये।
उत्तर- भारत में वन और वन्य जीवन का ह्रास-भारत में वन और वन्य जीवन के ह्रास के उत्तरदायी कारक निम्नलिखित हैं-
(1) 
औपनिवेशिक काल की क्रियाएँ- भारत में वनों को सबसे बड़ा नुकसान उपनिवेश काल में रेल लाइनों के विस्तारकृषिव्यवसायवाणिज्यवानिकी और खनन क्रियाओं में वृद्धि के फलस्वरूप हुआ।

(2) कृषि का विस्तार- देश में स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरान्त वन संसाधनों के सिकुड़ने में कृषि का फैलाव महत्त्वपूर्ण कारकों में से एक रहा है। वन सर्वेक्षण के अनुसार देश में 1951 और 1980 के मध्य लगभग 26,200 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र कृषि भूमि में परिवर्तित किया गया।

(3) स्थानांतरी (झूम) खेती- अधिकतर जनजातीय क्षेत्रोंविशेषकर पूर्वोत्तर भारत एवं मध्य भारत में स्थानांतरी (झूम) खेती अथवा 'स्लैश और बर्नखेती के कारण वनों की कटाई अथवा वन निम्नीकरण हुआ है।

(4) विकास परियोजनाएँ- देश में बड़ी विकास परियोजनाओं ने भी वनों को बहुत अधिक हानि पहुँचाई है। 1952 से नदी घाटी परियोजनाओं के कारण 5000 वर्ग किमी. से अधिक वन क्षेत्रों को साफ करना पड़ा है और यह प्रक्रिया अभी भी जारी है। मध्यप्रदेश में 4,00,000 हैक्टेयर से अधिक वन क्षेत्र नर्मदा सागर परियोजना के पूर्ण हो जाने पर जलमग्न हो जायेगा।

(5) खनन क्रियाएँ-देश में वनों के ह्रास में खनन ने भी महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। पश्चिमी बंगाल में बक्सा टाइगर रिजर्व डोलोमाइट के खनन के कारण गंभीर खतरे में है।

(6) पशुचारण और ईंधन की लकड़ी-अनेक वन अधिकारी और पर्यावरणविद् यह मानते हैं कि वन संसाधनों की बर्बादी में पशुचारण और ईंधन के लिए लकड़ी की कटाई मुख्य भूमिका निभाते हैं। यद्यपि इसमें कुछ सच्चाई हो सकती है किन्तु चारे और ईंधन हेतु लकड़ी की आवश्यकता की पूर्ति मुख्य रूप से पेड़ों की टहनियाँ काटकर की जाती है न कि पूरे पेड़ काटकर।

9भारत में वन और वन्य जीवन के संरक्षण के लिए सही नीति की आवश्यकता पर प्रकाश डालिए।
उत्तर- भारत में वन और वन्य जीवन के संरक्षण के लिए सही नीति की आवश्यकता होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
(1) 
जैव विविधता कम होना-भारत में जैव विविधता को कम करने वाले कारकों में वन्य जीव के आवास का विनाशजंगली जानवरों को मारना व आखेटनपर्यावरणीय प्रदूषण व विषाक्तिकरण तथा दावानल आदि शामिल हैं। पर्यावरण विनाश के अन्य मुख्य कारकों में संसाधनों का असमान बंटवारा व उनका असमान उपभोग और पर्यावरण के रख-रखाव की जिम्मेदारी में असमानता शामिल है।

(2) जनसंख्या वृद्धि-आमतौर पर विकासशील देशों में पर्यावरण विनाश का मुख्य दोषी अत्यधिक जनसंख्या को माना जाता है। यद्यपि यह सही नहीं है। विकसित देशों में प्रति नागरिक औसत संसाधन उपभोग विकासशील देशों के प्रति नागरिक औसत संसाधन उपभोग से अधिक है।

(3) प्राकृतिक वनों का ह्रास-वर्तमान समय में भारत के आधे से अधिक प्राकृतिक वन लगभग खत्म हो चुके हैं । एक-तिहाई जलमग्न भूमि सूख चुकी है, 70 प्रतिशत धरातलीय जल क्षेत्र प्रदूषित है, 40 प्रतिशत मैंग्रोव क्षेत्र लुप्त हो चुका है और जंगली जानवरों के शिकार और व्यापार तथा वाणिज्य की दृष्टि से मूल्यवान पेड़-पौधों की कटाई के कारण हजारों की संख्या में वनस्पति और वन्य जीव जातियाँ लुप्त होने के कगार पर पहुँच गई हैं।

(4) सांस्कृतिक विविधता का विनाश होना-जैव संसाधनों का विनाश सांस्कृतिक विविधता के विनाश से भी जुड़ा हुआ है। जैव विनाश के कारण अनेक मूल जातियाँ और वनों पर आधारित समुदाय निर्धन होते जा रहे हैं तथा आर्थिक रूप से हाशिये पर पहुँच गये हैं। ये समुदाय खानेपीनेसंस्कृतिअध्यात्म इत्यादि के लिए वनों और वन्य जीवों पर निर्भर हैं।

(5) प्रतिकूल परिस्थितियाँ उत्पन्न होना - वनों की कटाई के परोक्ष परिणाम यथा सूखा और बाढ़ भी गरीब वर्ग के लोगों को सबसे अधिक प्रभावित करते हैं। इस स्थिति में गरीबीपर्यावरणं निम्नीकरण का सीधा परिणाम होता है। भारतीय उपमहाद्वीप में वन और वन्य जीवन मानव जीवन के लिए बहुत कल्याणकारी है।।

उपर्युक्त कारणों से यह बहुत आवश्यक है कि भारत में वन और वन्य जीवन के संरक्षण के लिए सही नीति अपनाई जावे।

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अभ्यास हेतु विश्लेषणात्मक प्रश्न

    1.   हम वन्य जीवों की रक्षा कैसे करते हैं?

    2.   जीव के अस्तित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा क्या है?

    3.   अपने आसपास की ऐसी गतिविधियों का उल्लेख कीजिये जिनसे जैव विविधता कम होती है|

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धन्यवाद 

आप सफल हों

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