वार्षिक मासिक परीक्षा सत्र - 2021-22
कक्षा - 9
विषय - सामाजिक विज्ञान
समय 03.00 घण्टे पूर्णाक : 80
प्रश्न पत्र कोड - 229006-B (962)
निर्देष :-
1. सभी प्रश्न अनिवार्य हैं।
2. प्रश्न क्रमांक से 5 तक वस्तुनिष्ठ प्रश्न हैं जिसमें 32 उपप्रश्न हैं। प्रत्येक उपप्रश्न 1 अंक का है।
3. प्रश्न क्रमांक 6 से 23 तक प्रत्येक में आंतरिक विकल्प दिये गये हैं।
4. प्रश्न क्रमांक 6 से 15 तक प्रत्येक प्रश्न 2 अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 30 शब्द है।
5. प्रश्न क्रमांक 16 से 19 तक प्रत्येक प्रश्न 3 अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 75 शब्द है।
6. प्रश्न क्रमांक 20 से 23 तक प्रत्येक प्रश्न 4 अंक का है। उत्तर लिखने की शब्द सीमा लगभग 120 शब्द है।
प्र.1-. सही विकल्प चुनिये - (6x1=6)
1. कर्क रेखा निम्न में से किस राज्य से होकर गुजरती है?
(अ) पंजाब (ब) आंध्रप्रदेश (स) तमिलनाडु (द) मध्यप्रदेश
2. रूस की क्रांति कब हुई?
(अ) 1914 (ब) 1917 (स) 1920 (द) 1925
3. प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष थे -
(अ) डॉ. राजेंद्र प्रसाद (ब) डॉ. भीमराव अम्बेडकर (स) डॉ. राधाकृष्णन (द) जगजीवन राम
4. पालमपुर में गैर कृषि क्रियाएं हैं -
(अ) परिवहन (ब) दुकानदारी (स) लघु विनिर्माण (द) उपरोक्त सभी
5. संसार में क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का स्थान है -
(अ) पहला (ब) सातवां (स) पांचवा (द) दूसरा
6. भारत में हरित क्रांति का उदय हुआ -
(अ) 1950 में (ब) 1960 में (स) 1970 में (द) 1980 में
प्र.2- रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए (7x1=7)
1. विश्व का सर्वोच्च पर्वत शिखर ...................... है। (ऑस्टिन/माउंट एवरेस्ट/कंचनजंगा)
2. 1914 में रूस पर ........................ का शासन था। (जार निकोलस द्वितीय/हिटलर/सिकंदर)
3. भारतीय संविधान .......................... को लागू हुआ। (1949/1950/1990)
4. जो अपने परिवार के साथ खेती का काम करते हैं उसे ................. कहते हैं। (बड़े किसान/मझोले किसान/छोटे किसान)
5. लोकसभा में बहुमत दल के नेता को .................... कहते हैं। (प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति/लोकसभाध्यक्ष)
6. भारत में हरित क्रांति की शुरूआत .................. के दशक से हुई। (1940/1950/1960)
7. कृषि भूमि को नापने की मानक इकाई ..................................... है। (हेक्टेयर/मीटर/किलामीटर)
प्र.3- सही जोड़ी बनाइये- (6x1=6)
स्तम्भ ‘अ‘ स्तम्भ ‘ब’
1. गंगा - क) 230
2. द्वितीय विश्व युद्ध - ख) 2013
3. मध्यप्रदेश विधानसभा की सदस्य संख्या - ग) कृषि
4. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियिम - घ) झूम खेती
5. प्राथमिक क्षेत्र - ड.) 1939
6. हिन्दुस्तान - च) भागीरथी नदी (गंगोत्री)
प्र.4- सत्य/असत्य की पहचान कीजिये- (6x1=6)
1. हिमालय पर्वत की औसत ऊँचाई 8000 मीटर है। (सत्य/असत्य)
2. बाढ़ और सुनामी एक अप्राकृतिक घटना है। (सत्य/असत्य)
3. गुज्जर बकरवाल जाति जम्मू कश्मीर में रहते हैं। (सत्य/असत्य)
4. लोकतांत्रिक व्यवस्था में शासकों को भी कानून का पालन करना होता है। (सत्य/असत्य)
5. आम चुनाव दस साल बाद होते हैं। (सत्य/असत्य)
6. सन 1600 में हिन्दुस्तान के कुल भू - भाग के लगभग छठे हिस्से पर खेती होती थी। (सत्य/असत्य)
प्र.5.- एक वाक्य / शब्द में उत्तर लिखिये - (7x1=7)
1. रॉयल बंगाल टाइगर कहाँ पाये जाते हैं?
2. थार रेगिस्तान कहाँ स्थित है?
3. एमनेस्टी इंटरनेशनल संस्था क्या है?
4. संसाधन क्या हैं?
5. निर्धनता का अर्थ लिखिए।
6. एफ.सी.आई. का अर्थ लिखिए।
7. सरकार का प्रमुख कौन होता है?
प्र.6- भाखड़ा नंगल परियोजना क्या है? 2
अथवा
सिंधु एवं गंगा नदियां कहाँ से निकलती हैं?
प्र.7- रूसी क्रांति से प्रेरित होने वाले भारतीयों के नाम लिखिए। 2
अथवा
निरंकुश राजशाही किसे कहते हैं?
प्र.8- संविधान क्या है? 2
अथवा
वयस्क मताधिकार क्या है?
प्र.9- मानव पूँजी क्या है? 2
अथवा
मौसमी बेरोजगारी किसे कहते हैं?
प्र.10- प्राकृतिक वनस्पति से क्या आषय है? 2
अथवा
भारत के दो औषधीय पौधों के नाम लिखिए।
प्र.11- जनगणना किसे कहते हैं? 2
अथवा
250 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से कम जनसंख्या घनत्व वाले राज्यों के नाम लिखिए।
प्र.12- झूम खेती किसे कहते हैं? 2
अथवा
वन्य इलाकों में रहने वाले लोगों के जीविकोपार्जन के दो साधन कौन - कौन से हैं?
प्र.13- चुनाव क्यों होते हैं? 2
अथवा
निर्वाचन क्षेत्र से क्या आशय है?
प्र.14- कार्यपालिका क्या है? 2
अथवा
संसद के कौन - कौन से सदन होते हैं?
प्र.15- कुलक शब्द को परिभाषित कीजिए। 2
अथवा
रूस में जार का शासन समाप्त होने के कोई दो कारण लिखिए।
प्र.16- खादर एवं बांगर में कोई तीन अंतर लिखिए। 3
अथवा
प्रवाल से आप क्या समझते हैं? प्रवाल के प्रकार लिखिए।
प्र.17- नात्सी सोच के खास पहलू क्या थे? 3
अथवा
नात्सियों ने जनता पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन - कौन से तरीके अपनाए?
प्र.18- ग्रीष्म ऋतु और शीत ऋतु में कोई तीन अंतर लिखिए। 3
अथवा
शीत ऋतु की अवस्था एवं विषेषताएं लिखिए। (कोई तीन)
प्र.19- प्रधानमंत्री के अधिकारों की व्याख्या कीजिए। 3
अथवा
राष्ट्रपति के अधिकारों को समझाइए।
प्र.20- भारत के दिए गए सीमाकार मानचित्र में निम्नलिखित को प्रदर्शित कीजिए। 4
(i) कर्क रेखा (ii) बंगाल की खाड़ी (iii) नर्मदा नदी (iv) छोटा नागपुर का पठार
अथवा
(i) अरब सागर (ii) अंडमान निकोबार द्वीप समूह (iii) दिल्ली (iv) मध्यप्रदेश
प्र.21- 18 वीं शताब्दी में फ्रांसीसी समाज के तीनों एस्टेट्स के बारे में लिखिए। 4
अथवा
फ्रांसीसी क्रांति के परिणाम लिखिए।
प्र.22- लोकतांत्रिक शासन तथा गैर लोकतांत्रिक शासन में 4 अंतर लिखिए। 4
अथवा
हमें संविधान की आवश्यकता क्यों होती है?
प्र.23- उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरूपाय हैं। 4
अथवा
भारत में अंर्तराज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए।
---000---
वार्षिक परीक्षा सत्र - 22
कक्षा-9वीं
विषय - सामाजिक विज्ञान
समय - 3 घंटा पूर्णांक - 80 अंक
मॉडल उत्तर
प्रश्न पत्र कोड - 229006-B (962)
प्र.1-. सही विकल्प चुनिये - (6x1=6)
1. कर्क रेखा निम्न में से किस राज्य से होकर गुजरती है?
(अ) पंजाब (ब) आंध्रप्रदेश (स) तमिलनाडु (द) मध्यप्रदेश
उत्तर :- (द) मध्यप्रदेश
2. रूस की क्रांति कब हुई?
(अ) 1914 (ब) 1917 (स) 1920 (द) 1925
उत्तर :- (ब) 1917
3. प्रारूप कमेटी के अध्यक्ष थे -
(अ) डॉ. राजेंद्र प्रसाद (ब) डॉ. भीमराव अम्बेडकर (स) डॉ. राधाकृष्णन (द) जगजीवन राम
उत्तर :- (ब) डॉ. भीमराव अम्बेडकर
4. पालमपुर में गैर कृषि क्रियाएं हैं -
(अ) परिवहन (ब) दुकानदारी (स) लघु विनिर्माण (द) उपरोक्त सभी
उत्तर :- (द) उपरोक्त सभी
5. संसार में क्षेत्रफल की दृष्टि से भारत का स्थान है -
(अ) पहला (ब) सातवां (स) पांचवा (द) दूसरा
उत्तर :- (ब) सातवां
6. भारत में हरित क्रांति का उदय हुआ -
(अ) 1950 में (ब) 1960 में (स) 1970 में (द) 1980 में
उत्तर :- (ब) 1960 में
प्र. 2. रिक्त स्थान भरिये- (1x6=6)
1. विश्व का सर्वोच्च पर्वत शिखर ...................... है। (ऑस्टिन/माउंट एवरेस्ट/कंचनजंगा)
उत्तर :- माउंट एवरेस्ट
2. 1914 में रूस पर ........................ का शासन था। (जार निकोलस द्वितीय/हिटलर/सिकंदर)
उत्तर :- जार निकोलस द्वितीय
3. भारतीय संविधान .......................... को लागू हुआ। (1949/1950/1990)
उत्तर :- 1950
4. जो अपने परिवार के साथ खेती का काम करते हैं उसे ................. कहते हैं। (बड़े किसान/मझोले किसान/छोटे किसान)
उत्तर :- छोटे किसान
5. लोकसभा में बहुमत दल के नेता को .................... कहते हैं। (प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति/लोकसभाअध्यक्ष)
उत्तर :- प्रधानमंत्री
6. भारत में हरित क्रांति की शुरूआत .................. के दशक से हुई। (1940/1950/1960)
उत्तर :- 1960
7. कृषि भूमि को नापने की मानक इकाई ..................................... है। (हेक्टेयर/मीटर/किलामीटर)
उत्तर :- हेक्टेयर
प्र.3- सही जोड़ी बनाइये- (1x7=7)
स्तम्भ ‘अ‘ स्तम्भ ‘ब’
1. गंगा - क) 230
2. द्वितीय विश्व युद्ध - ख) 2013
3. मध्यप्रदेष विधानसभा की सदस्य संख्या - ग) कृषि
4. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियिम - घ) झूम खेती
5. प्राथमिक क्षेत्र - ड.) 1939
6. हिन्दुस्तान - च) भागीरथी नदी (गंगोत्री)
उत्तर :-
स्तम्भ ‘अ‘ |
स्तम्भ ‘ब’ |
1. गंगा |
च)
भागीरथी नदी (गंगोत्री) |
2. द्वितीय विश्व
युद्ध |
ड.)
1939 |
3. मध्यप्रदेश विधानसभा की
सदस्य संख्या |
क)
230 |
4. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा
अधिनियिम |
ख)
2013 |
5. प्राथमिक क्षेत्र |
ग)
कृषि |
6. हिन्दुस्तान |
घ)
झूम खेती |
प्र.4- सत्य/असत्य की पहचान कीजिये- (6x1=6)
1. हिमालय पर्वत की औसत ऊँचाई 8000 मीटर है।
उत्तर :- असत्य।
2. बाढ़ और सुनामी एक अप्राकृतिक घटना है।
उत्तर :- असत्य।
3. गुज्जर बकरवाल जाति जम्मू कश्मीर में रहते हैं।
उत्तर :- सत्य।
4. लोकतांत्रिक व्यवस्था में शासकों को भी कानून का पालन करना होता है।
उत्तर :- सत्य।
5. आम चुनाव दस साल बाद होते हैं।
उत्तर :- असत्य।
6. सन 1600 में हिन्दुस्तान के कुल भू - भाग के लगभग छठे हिस्से पर खेती होती थी।
उत्तर :- सत्य।
प्र.5.- एक वाक्य / शब्द में उत्तर लिखिये - (7x1=7)
1. रॉयल बंगाल टाइगर कहाँ पाये जाते हैं?
उत्तर :- सुंदरवन , पश्चिम बंगाल
2. थार रेगिस्तान कहाँ स्थित है?
उत्तर :- राजस्थान
3. एमनेस्टी इंटरनेशनल संस्था क्या है?
उत्तर :- मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ताओं का एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन। यह संगठन दुनिया भर में मानवाधिकारों के उल्लंघन पर स्वतंत्र रिपोर्ट जारी करता है।
4. संसाधन क्या हैं?
उत्तर :- मानवीय आवश्यकताओं की पूर्ति अथवा उनकी किसी कठिनाई का निवारण करने वाले या निवारण मे योग देने वाले आश्रय या स्त्रोत को संसाधन कहते है।
दुसरे शब्दों मे, कोई वस्तु या तत्व तभी संसाधन कहलाता है जब उससे मनुष्य की किसी आवश्यकता की पूर्ति होती है, जैसे जल एक संसाधन है क्योंकि इससे मनुष्यों व अन्य जीवों की प्यास बुझती हैं, खेतो मे फसलों की सिंचाई होती है और यह स्वच्छता प्रदान करने, भोजन बानने और भी आदि मानव की बहुत सी महत्वपूर्ण आवश्यकताओं की पूर्ति करता है। इसी प्रकार वे सभी प्रदार्थ जो मानव की आवश्यकताओं की पूर्ति मे सहायतक होते है उन्हें संसाधन कहा जाता है।
5. निर्धनता का अर्थ लिखिए।
उत्तर :- निर्धनता वह स्थिति या स्तर है जहां पर व्यक्ति की आय इतनी कम हो जाती है कि वह व्यक्ति अपनी आधारभूत जरूरतों को भी पूरा करने में सक्षम नहीं होता है।
6. एफ.सी.आई. का अर्थ लिखिए।
उत्तर :- भारतीय खाद्य निगम (फ़ूड कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया)
7. सरकार का प्रमुख कौन होता है?
उत्तर :- प्रधानमंत्री
प्र.6- भाखड़ा नंगल परियोजना क्या है? 2
अथवा
सिंधु एवं गंगा नदियां कहाँ से निकलती हैं?
उत्तर :- भाखड़ा नंगल परियोजना :- जल विद्युत उत्पादन के लिए सतलुज नदी पर बनाया गया बाँध जिसे गुरू गोविंद सागर कहा जाता है। भाखड़ा नंगल परियोजना है।
अथवा
सिंधु नदी का उद्गम मानसरोवर झील के निकट तिब्बत से तथा गंगा नदी गंगोत्री हिमानी से निकलती है।
प्र.7- रूसी क्रांति से प्रेरित होने वाले भारतीयों के नाम लिखिए। 2
अथवा
निरंकुष राजशाही किसे कहते हैं?
उत्तर :- रूसी क्रांति से प्रेरित होने वाले भारतीयों के नाम :-
1. रवींद्र नाथ टैगोर
2. जवाहर लाल नेहरू
3. आर. एस. अवस्थी
4. एस.डी.विद्यालंकार
5. शौकत उस्मानी
अथवा
निरंकुश राजशाही :- निरंकुश राजशाही से तात्पर्य उस शासन व्यवस्था से है, जहाँ का शासन किसी एक व्यक्ति अथवा एक ही राजवंश या परिवार के हाथ में होता है। जहाँ का मुख्य शासनकर्ता, जो कि राजा होता है, वह ही शासन का सर्वेसर्वा होता है। निरंकुश राजशाही में लोकतंत्र का अभाव होता है और राजा के आदेश ही सर्वोपरि होते हैं। इसी तरह की निरंकुश राजशाही रूस में व्याप्त थी।
प्र.8- संविधान क्या है? 2
अथवा
वयस्क मताधिकार क्या है?
उत्तर :- संविधान :- देश का सर्वोच्च कानून। इसमें किसी देश की राजनीति और समाज को चलाने वाले मौलिक कानून होते हैं।
अथवा
वयस्क मताधिकार :- 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी नागरिकों को प्राप्त मत देने का अधिकार वयस्क मताधिकार कहलाता है।
प्र.9- मानव पूँजी क्या है? 2
अथवा
मौसमी बेरोजगारी किसे कहते हैं?
उत्तर :- मानव पूँजी - उत्पादन करने के लिए भूमि, श्रम और भौतिक पूंजी को एक साथ करने योग्य बनाने के लिये ज्ञान और उद्यम की जरूरत पड़ती है जिसे मानव पूंजी कहा जाता है। इसके निर्माण में षिक्षा और स्वास्थ्य का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
अथवा
मौसमी बेरोजगारी :- जब लोग वर्ष के कुछ महीनो में रोजगार प्राप्त नहीं कर पाते । कृषि पर आश्रित लोग प्रायः इस तरह की समस्या से जूझते है। वर्ष में कुछ व्यस्त मौसम होता है जब बुआई कटाई निराई आदि होती है। कुछ विशेष महीनो में कृषि पर आधारित लोगो को काम नहीं मिल पाता । अतः साल के कुछ महीनो में वे बेकार रहते है । इसे ही मौसमी बेरोजगार कहते है।
प्र.10- प्राकृतिक वनस्पति से क्या आशय है? 2
अथवा
भारत के दो औषधीय पौधों के नाम लिखिए।
उत्तर :- प्राकृतिक वनस्पति :- प्राकृतिक वनस्पति का अर्थ है कि वनस्पति का वह भाग जो कि मनुष्य की सहायता के बिना अपने आप पैदा होता है और लम्बे समय तक उस पर मानवी प्रभाव नहीं पड़ता है।
अथवा
भारत के दो औषधीय पौंधों के नाम तथा गुण :-
क्रमांक नाम गुण
1. तुलसी - जुकाम एवं खाँसी की दवा के रूप में प्रयोग।
2. नीम - जैव और जीवाणु प्रतिरोधक
3. सर्पगंधा - रक्तचाप के निदान के लिए। केवल भारत में पाया जाता है।
4. जामुन - मधुमेह में उपयोगी।
5. बबूल - शारीरिक शक्ति में वृद्धि के लिए।
6. कचनार - अल्सर और दमा के उपचार में।
प्र.11- जनगणना किसे कहते हैं? 2
अथवा
250 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से कम जनसंख्या घनत्व वाले राज्यों के नाम लिखिए
उत्तर :- जनगणना :- एक निश्चित समयांतराल में जनसंख्या की आधिकारिक गणना जनगणना कहलाती है।
अथवा
250 व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर से कम जनसंख्या घनत्व वाले राज्यों के नाम :-
1. अरूणाचल प्रदेश (17)
2. नागालैंड (119)
3. मणिपुर (122)
4. मिजोरम (22)
5. मेघालय (132)
6. छत्तीसगढ़ (189)
7. मध्यप्रदेश (236)
8. राजस्थान (201)
9. उत्तराखंड (189)
10. हिमाचल प्रदेश (123)
प्र.12- झूम खेती किसे कहते हैं? 2
अथवा
वन्य इलाकों में रहने वाले लोगों के जीविकोपार्जन के दो साधन कौन - कोन से हैं?
उत्तर :- झूम खेती :- जब वन के एक भाग को काट-फूंक कर साफ करने के पश्चात् उसमें अल्पकाल के लिये खेती की जाती है और उसकी उर्वता समाप्त हो जाने पर उसे छोड़कर आगे बढ़ लिया जाता है तो ऐसी अल्पकालीन कृषि को झूम या घुमंतू खेती जाता है। ऐसी कृषि प्रायः वन-निवासी करते हैं।
अथवा
वन्य इलाकों में रहने वाले लोगों के जीविकोपार्जन के दो साधन निमनलिखित हैं :-
1. खेती
2. शिकार
3. वन उत्पाद
प्र.13- चुनाव क्यों होते हैं? 2
अथवा
निर्वाचन क्षेत्र से क्या आशय है?
उत्तर :- हमें निम्नलिखित कारणों से चुनाव की जरूरत होती है :-
1. अधिकांश लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में लोग अपने प्रतिनिधि के माध्यम से शासन करते हैं।
2. बिना चुनाव के हम किसी भी लोकतंत्र की कल्पना नहीं कर सकते।
3. लोकतंत्र की बहाली के लिए चुनाव आवश्यक हैं।
4. चुनाव के माध्यम से लोग अपने शासक को खुद चुन सकते हैं।
5. चुनाव के माध्यम से हम किसी भी शासक अथवा सरकार को बदल सकते हैं।
6. चुनाव के माध्यम से हम राजनीतिक प्रक्रिया का हिस्सा बनते हैं।
अथवा
निर्वाचन क्षेत्र :- चुनाव के उद्देष्य से देष को अनेक क्षेत्रों में बाँट लिया जाता है। इन्हें निर्वाचन क्षेत्र कहते हैं।
प्र.14- कार्यपालिका क्या है? 2
अथवा
संसद के कौन - कौन से सदन होते हैं?
उत्तर :- कार्यपालिका :- सरकार की नीतियों को कार्यरूप देने वाला महत्वपूर्ण अंग कार्यपालिका कहलाता है। अर्थात कानूनों का क्रियान्वयन करने वाली संस्था या कानून का निर्माण करने वाली संस्था कार्यपालिका कहलाती है। कार्यपालिका राज्य के प्रधान तथा उसके मन्त्रीमण्डल दोनों रूप में होती है।
अथवा
भारत में संसद के प्रमुख दो सदन हैं :-
1. उच्च सदन जिसे लोकसभा कहते हैं।
2. निम्न सदन जिसे राज्य सभा कहते हैं।
प्र.15- कुलक शब्द को परिभाषित कीजिए। 2
अथवा
रूस में जार का शासन समाप्त होने के कोई दो कारण लिखिए।
उत्तर :- कुलक - रूस के सम्पन्न किसानों को कुलक कहा जाता था।
अथवा
जार की नीतियों से जनता में बढ़ते अविश्वास व विद्रोह स्वरुप 1917ई. में जार के शासन का अंत हो गया उसके लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी थे -
i. रोमनाव वंश के शासक जार निकोलस द्वितीय द्वारा अपनी सत्ता के विरुद्ध उठे सवालों को नियंत्रित करने राजनैतिक गतिविधियों पर रोक लगा दी गई व मतदान के नियम बदल डाले। इससे लोगों में असंतोष पैदा होने लगा।
ii. प्रथम विश्व युद्ध के प्रारंभ में रुसी जनता जार के साथ थी परन्तु जार द्वारा ड्यूमा के प्रमुख दलों से सलाह लेने के इंकार के कारण उसने रुसी जनता का समर्थन खो दिया।
iii. जार निकोलस की पत्नी महारानी जरीना के जर्मन मूल का होने और उसके रासपुतिन जैसे सलाहकारों ने राजशाही को अलोकप्रिय बना दिया।
iv. प्रथम विश्वयुद्ध में जर्मनी व आस्ट्रिया से पराजित हो पीछे हटती रुसी सेनाओं ने फसलों व इमारतों को नष्ट कर दिया इससे ब्रेड रोटी और आटे की किल्लत हो गई ब्रेड रोटी की दुकानों पर दंगे होने लगे। इस कारण ने भी जार शासन को अलोकप्रिय बना दिया।
v. जार द्वारा 25 फरवरी 1917 को ड्यूमा को बर्खास्त करने के फैसले से असंख्य लोग जार के खिलाफ खड़े हो गए तब 2 मार्च को जार गद्दी छोड़ने को मजबूर हो गया। और इससे निरंकुशता का अंत हो गया।
प्र.16- खादर एवं बांगर में कोई तीन अंतर लिखिए। 3
अथवा
प्रवाल से आप क्या समझते हैं? प्रवाल के प्रकार लिखिए।
उत्तर :- बांगर और खादर में अंतर
बांगर |
खादर |
1. ये पुरानी जलोढ़ मिट्टी वाले भू भाग हैं। |
1. ये नवीनतम जलोढ़ मिट्टी वाले भू भाग हैं। |
2. इसकी संरचना जलोढ़ के जमाव के छज्जेनुमा हो जाती है। |
2. लगभग हर वर्ष इसकी मिट्टी बदलती रहती है। |
3. ये नदियों के बाढ़ वाले मैदान के ऊपर स्थित हैं। |
3. ये नदियों के बाढ़ वाले मैदान होते हैं। |
4. यह भू भाग अनुपजाऊ होता है। |
4. यह भू भाग अत्यधिक उपजाऊ होता है। |
अथवा
प्रवाल :- प्रवाल पॉलिप्स कम समय तक जीवित रहने वाले सुक्ष्म प्राणी हैं जो कि समूह में रहते हैं।
प्रवाल तीन प्रकार के होते हैं।
1. प्रवाल रोधिका 2. तटीय प्रवाल भित्ति 3. प्रवाल वलय द्वीप
प्र.17- नात्सी सोच के खास पहलू क्या थे? 3
अथवा
नात्सियों ने जनता पर पूर्ण नियंत्रण हासिल करने के लिए कौन - कौन से तरीके अपनाए?
उत्तर :- नात्सी सोच के खास पहलू निम्नलिखित थे :-
1. आर्य (जर्मन) विश्व की सर्वश्रेष्ठ नस्ल है, उसे अपनी शुद्धता बनाए रखनी है।
2. नात्सियों का मानना था कि श्रेष्ठ जाति (जर्मन) जीवित रहेगी तथा हीन (यहूदी) को नष्ट होना पड़ेगा।
3. नात्सी विचारधारा में हिटलर को एक मसीहा के रूप में प्रस्तुत किया गया है जो उन्हें सभी विपत्तियों से छुटकारा दिला सकता है।
अथवा
नात्सी सरकार ने जनता पर संपूर्ण नियंत्रण स्थापित करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए
ऽ युवाओं का विचार परिवर्तन - उनकी बाल्यावस्था से ही नात्सी ससकार ने बच्चों के मन-मस्तिष्क पर कब्जा लिया जैसे-जैसे वे बड़े होते गये उन्हें वैचारिक प्रशिक्षण द्वारा नात्सीवाद की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया गया।
ऽ स्कूली बच्चों का विचार परिवर्तन-नात्सी सरकार ने अपनी विचारधारा पर आधारित नए पाठ्यक्रम के अनुरुप पस्तकें तैयार करवाईं। कई युवा चित्रकारिता कार्यक्रम बनाये गये। इ़न सबके द्वारा उन्हें नम्रता तथा कृतज्ञता पाठ पढाया गया। उनसे कहा जाता था कि वे यहूदियों से घृणा तथा हिटलर की पूजा करें।
ऽ खेल गतिविधियाँ-उन सभी खेल गतिविधियों (खासकर बॉक्सिंग) को प्रोत्साहित किया गया जो बच्चों में हिंसा तथा आक्रामकता की भावना पैदा करती थीं।
ऽ लड़कियों का विचार परिवर्तन-लड़कियों को शिक्षा दी जाती थी कि उन्हें अच्छी माँ बनना था तथा शुद्ध रक्त वाले आर्य बच्चों का लालन-पालन करना था।
ऽ महिलाओं के बीच भेदभाव-महिलाओं के बीच उनके बच्चों के आधार पर भेदभाव किया जाता था। एक अनुपयुक्त बच्चे की माँ होने पर महिलाओं को दंडित किया जाता था तथा जेल में कैद कर दिया जाता था। किंतु, बच्चे के शुद्ध आर्य प्रजाति का होने पर महिलाओं को सम्मानित किया जाता था तथा इनाम दिया जाता था।
ऽ आर्यों के आर्थिक हितों की रक्षा-आर्य प्रजाति के लोगों के लिए आर्थिक अवसरों की भरमार थी। उन्हें रोजगार दिया जाता था, उनके व्यापार को सुरक्षा दी जाती थी तथा सरकार की तरफ से उन्हें हर संभव सहायता दी जाती थी।
ऽ नाजी प्रचार-जनता पर पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने में नात्सियों द्वारा विशेष पूर्वी नियोजित प्रचार का सर्वाधिक योगदान था।
नात्सियों ने आबादी के विभिन्न हिस्से को अपील करने का हर संभव प्रयास किया। उन्होंने इस आधार पर उनका समर्थन प्राप्त करने का प्रयार किया कि केवल नात्सी ही उनकी हर समस्या का हल ढूँढ सकते थे।
प्र.18- ग्रीष्म ऋतु और शीत ऋतु में कोई तीन अंतर लिखिए। 3
अथवा
शीत ऋतु की अवस्था एवं विषेषताएं लिखिए। (कोई तीन)
उत्तर :- ग्रीष्म ऋतु और शीत ऋतु में अंतर :-
ग्रीष्म ऋतू | शीत ऋतू |
1. सूर्य की आभासी गति उत्तर की ओर होने पर ग्रीष्म ऋतु होती है। | 1. सूर्य की आभासी गति मकर रेखा की ओर होने पर शीत ऋतु होती है। |
2. मार्च से मई तक भारत में ग्रीष्म ऋतु होती है। | 2. उत्तरी भारत में शीत ऋतु नवम्बर मध्य से फरवरी तक होती है। |
3. दिन और रातें गर्म होती हैं। | 3. दिन गर्म और रातें ठंडी होती हैं। |
4. धूल भरी गर्म एवं शुष्क पवनें चलती हैं। | 4. उत्तर-पूर्वी व्यापारिक पवने देष में प्रवाहित होती हैं। |
5. प्रमुख फसलें रबी के अंतर्गत होती हैं। गेंहू, चना, मटर आदि | 5. प्रमुख फसलें जायद के अंतर्गत होती हैं। मूंग, तरबूज, खरबूज आदि |
अथवा
शीत ऋतू की अवस्था एवं उसकी विशेषताएँ निम्नलिखित है :-
ऽ उत्तरी भारत में शीत ऋतु मध्य नवंबर से आरम्भ होकर फरवरी तक रहती है।
ऽ भारत के उत्तरी भाग में दिसंबर एवं जनवरी सबसे ठंडे महीने होते है।
ऽ तापमान दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ने पर घटता जाता है। पूर्वी तट पर चैन्नई का औसत तापमान 240 सेल्सियस से 250 सेल्सियस के बीच होता है जबकि उत्तरी मैदान में यह 100 सेल्सियस से 150 सेल्सियस के बीच होता है।
ऽ दिन गर्म तथा रातें ठंडी होती हैं।
ऽ उत्तर मे तुषारापात सामान्य है तथा हिमालय के ऊपरी ढालों पर हिमपात होता है।
ऽ देश में उत्तरी-पू्र्वी व्यापारिक पवनें प्रवाहित होती हैं। चूँकि, ये पवनें स्थल से समुद्र की ओर बहती हैं इसलिए देश के अधिकतर भाग में शुष्क मौसम होता है।
ऽ सामान्यतः इस मौसम में आसमान साफ तथा आद्रता कम एवं पवनें शिथिल तथा परिवर्तित होती है।
ऽ शीत ऋतु में उत्तरी मैदानो मे पश्चिम एवं उत्तर--पश्चिम मे चक्रवाती विक्षोभ का अंतर्वाह विशेष लक्षण है।
ऽ कम दाब वाली प्रणाली भूमध्यमागर एवं पश्चिमी एशिया के ऊपर उत्पन्न होती है तथा पश्चिमी पवनों के साथ भारत में प्रवेश करती है। इसके कारण शीतकाल में मैदान में वर्षा होती है तथा पर्वतों पर हिमपात होता है।
ऽ यद्यपि शीतकाल में वर्षा कम होती है. लेकिन ये रबी फसलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। स्थानीय तौर पर इस वर्षा को महावट कहा जाता है।
ऽ प्रायद्वीपीय भागों में समुद्री प्रभावों के कारण शीत ऋतू स्पष्ट नहीं होती।
प्र.19- प्रधानमंत्री के अधिकारों की व्याख्या कीजिए। 3
अथवा
राष्ट्रपति के अधिकारों को समझाइए।
उत्तर :- प्रधानमंत्री के अधिकारों की व्याख्या :-
मंत्रीपरिषद के संबंध में प्रधानमंत्री की शक्तियां
1. मंत्रीपरिषद की बैठक को बुलाना तथा आयोजित बैठक की अध्यक्षता करना।
2. मंत्रियों के लिए मंत्रालय निर्धारित करना।
3. मंत्रियों के माध्यम से होने वाले विकास कार्यों का नेतृत्व करना।
राष्ट्रपति के संबंध में प्रधानमंत्री की शक्तियां
1. राष्ट्रपति को सलाह देना (मंत्रियों की नियुक्ति आदि में)
2. तत्कालीन योजनाओं एवं विकास कार्यों के बारे में राष्ट्रपति को अवगत कराना /सूचित करना।
संसद के संबंध में शक्तियां
1. प्रधानमंत्री सम्पूर्ण मंत्रीपरिषद का प्रमुख होता है।
2. राष्ट्रपति को लोकसभा के विघटन के लिए सलाह देना
3. संसद में सरकार का प्रतिनिधित्व करते हैं।
4. संसद में जनता के सवालों का जवाब देते हैं।
प्रधानमंत्री के अन्य कार्य
1. नीति आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं।
2. अंतर्राज्यीय परिषद के अध्यक्ष
3. राष्ट्रीय एकता परिषद
4. ऐसे ही अन्य कई परिषद हैं जिनकी अध्यक्षता का दायित्व प्रधानमंत्री का होता है।
अथवा
राष्ट्रपति के अधिकार :- राष्ट्रपति को दो प्रकार की शक्तियां प्राप्त होती हैं।
1. साधारण परिस्थितियों अथवा शांतिकाली शक्तियां
2. असाधारण परिस्थितियों में अथवा आपातकालीन शक्तियां
भारतीय संविधान के तहत भारत के राष्ट्रपति को अनेक प्रकार की शक्तियां एवं अधिकार प्राप्त है जैसे-
1. कार्यपालिका शक्तियां
2. विधायी शक्तियां
3. न्यायिक शक्तियां
4. सैन्य शक्तियां
5. विवेकी शक्तियां
6. आपातकालीन शक्तियां
राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्तियां
केंद्र सरकार की समस्त शक्तियां राष्ट्रपति के हाथों में निहित होती है। राष्ट्रपति के नाम से देश की नीतियों का संचालन होता है।
राष्ट्रपति को निम्न पदों पर नियुक्ति करने का अधिकार है -
ऽ प्रधानमंत्री के सलाहकार मंत्रीपरिषद के अन्य सदस्यों;
ऽ सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों;
ऽ भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक;
ऽ भारत के महान्यायवादी;
ऽ राज्यों के राज्यपाल;
ऽ मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त;
ऽ संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों;
ऽ वित्त आयोग, भाषा आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग, अल्पसंख्यक आयोग एवं अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में रिपोर्ट देने वाले आयोग के सदस्यों;
ऽ राष्ट्रपति विदेशी राजनयिकों का आमंत्रण-पत्र स्वीकार करता है तथा राजदूतों को नियुक्ति पत्र जारी करता है।
राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां
ऽ राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है। उसके हताशा से ही कोई कानून बनता है।
ऽ राष्ट्रपति लोकसभा का प्रथम सत्र को संबोधित करता है तथा संयुक्त अधिवेशन बुलाकर अभी भाषण देने की शक्तियां प्राप्त है।
ऽ राष्ट्रपति को संसद सत्र आहूत, सत्रावसान करना एवं लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी रखता है।
ऽ नए राज्यों के निर्माण राज्य की सीमा में परिवर्तन संबंधित विधेयक, धन विधेयक या संचित निधि से व्यय करने वाला विधेयकएवं राज्य हित से जुड़े विधेयक बिना राष्ट्रपति के पूर्व अनुमति के संसद में प्रस्तुत नहीं होते हैं।
ऽ राष्ट्रपति लोकसभा के लिए आंग्ल भारतीय समुदाय से 2 सदस्य तथा राज्यसभा के लिए कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा क्षेत्र के 12 सदस्यों को मनोनीत करने का शक्तियां प्राप्त है।
राष्ट्रपति की न्यायिक / क्षमादान शक्तियां
ऽ भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को किसी अपराधी को सजा को क्षमा करने, उसका प्रविलंवन करने, परिहार और सजा लघुकरन करने का अधिकार प्राप्त है। राष्ट्रपति को मृत्युदंड माफ करने का भी अधिकार प्राप्त है।
ऽ क्षमा :- दंड और बंदी कारण दोनों हटा दिया जाता है तथा दोषी को मुक्त कर दिया जाता है।
ऽ प्रविलंवन :- राष्ट्रपति किसी धन पर रोक लगाता है ताकि दोषी व्यक्ति क्षमा याचना कर सके।
ऽ परिहार :- दंड के स्वरूप में बिना परिवर्तन किए हुए उसकी अवधि कम कर दी जाती है।
ऽ लघुकरण :- दंड के स्वरूप में परिवर्तन कर दिया जाता है।
ऽ राष्ट्रपति शासन प्रशासन द्वारा प्राप्त सजा या कोर्ट मार्शल की सजा को माफ कर सकता है।
ऽ राष्ट्रपति अनुच्छेद - 143 के अनुसार किसी भी सार्वजनिक हित के प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श ले का अधिकार रखता है।
राष्ट्रपति की सैन्य शक्तियां
ऽ भारत के राष्ट्रपति के पास सैन्य बलों की सर्वोच्च कमांडर होता है।
ऽ राष्ट्रपति को युद्ध और शांति की घोषणा करने तथा सैन्य बलों को विस्तार करने हेतु आदेश देने की शक्ति प्राप्त है।
राष्ट्रपति की विवेकी शक्तियां
- भारतीय संविधान के अनुसार राष्ट्रपति मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करता है किंतु विशेष परिस्थितियों में उसे अपने विवेक से काम करना होता है वह स्थितियां निम्न है-
- जब किसी एक पार्टी को लोकसभा में स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हो।
- पद धारण किए व्यक्ति की अचानक मृत्यु की दशा में प्रधानमंत्री को नियुक्ति करनी हो।
- यदि सत्तारूढ़ मंत्री परिषद के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पारित हो गया हो।
राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां
भारतीय संविधान में राष्ट्रपति को तीन स्थितियों में विशिष्ट आपातकालीन शक्तियां प्रदान की गई हैः-
ऽ अनुच्छेद 352 :- अनुच्छेद 352 के अंतर्गत युद्ध बाहरी आक्रमण या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में राष्ट्रपति को यह शक्ति प्राप्त है कि पूरे भारत या किसी एक भाग की सुरक्षा खतरे में है तो वह संपूर्ण भारत या किसी भाग में आपातकाल घोषणा कर सकता है।
ऽ अगर यह अवधि 1 माह के पश्चात संसद से अनुमोदित ना हो तो ऐसी स्थिति में स्वतः समाप्त हो जाती है। इस तरह की घोषणा को संसद के दो तिहाई बहुमत से पास होना आवश्यक होता है।
ऽ अनुच्छेद 356 :- अनुच्छेद 356 के अंतर्गत यदि कोई राज्य सरकार संवैधानिक नियमों के अनुरूप कार्य नहीं कर रही है तो राष्ट्रपति तत्काल की घोषणा वहां ऐसी घोषणा को राष्ट्रपति शासन कहा जाता है जिसे संसद द्वारा 2 माह के भीतर अनुमोदन करना आवश्यक होता है।
ऽ अनुच्छेद 360 :- अनुच्छेद 360 के अंतर्गत देश में आर्थिक संकट की स्थिति में राष्ट्रपति अपनी विशिष्ट शक्तियों का प्रयोग कर वित्तीय आपात की घोषणा कर सकता है।
प्र.20- भारत के दिए गए सीमाकार मानचित्र में निम्नलिखित को प्रदर्शित कीजिए। 4
(i) कर्क रेखा (ii) बंगाल की खाड़ी (iii) नर्मदा नदी (iv) छोटा नागपुर का पठार
अथवा
(i) अरब सागर (ii) अंडमान निकोबार द्वीप समूह (iii) दिल्ली (iv) मध्यप्रदेश
प्र.21- 18 वीं शताब्दी में फ्रांसीसी समाज के तीनों एस्टेट्स के बारे में लिखिए। 4
अथवा
फ्रांसीसी क्रांति के परिणाम लिखिए।
उत्तर :- क्रांति के पूर्व फ्रांसीसी समाज में सत्ता और सामाजिक हैसियत को अभिव्यक्त करने वाली श्रेणी को एस्टेट कहते हैं। 18वीं सदी में फ्रांसीसी समाज तीन एस्टेट में बंटा था। जो कि इस प्रकार थीं :-
1. प्रथम एस्टेट : इस एस्टेट में पादरी वर्ग आता था उन्हें कुछ विशेषाधिकार प्राप्त थे। जैसे राज्य को दिये जाने वाले करों से छूट। पादरी वर्ग चर्च के लिए एक धार्मिक कर भी वसूलता था जिसे टाइद कहा जाता था।
2. द्वितीय एस्टेट : इस एस्टेट में कुलीन वर्ग आता था। इस वर्ग के लोगों को भी राज्य को दिये जाने वाले करों से छूट प्राप्त थी। साथ ही इन्हें कुछ अन्य सामंती विशेषाधिकार भी हासिल थे। वह किसानों से सामंती कर वसूलता था साथ ही अपने घरों में किसानों से बेगारी भी करवाते थे।
3. तृतीय एस्टेट : तृतीय एस्टेट-इस एस्टेट में बड़े व्यावसायी, व्यापारी, अदालती कर्मचारी, वकील, किसान, कारीगर, भूमिहीन मजदूर और नौकर आदि सम्मिलित थे। राज्य के वित्तीय काम काज का सारा बोझ करों के माध्यम से यही वर्ग अर्थात जनसाधारण वहन करता था। सभी तरह के कर भी इसी एस्टेट को लोग देते थे। और ये लोग प्रताड़ित भी होते थे। यह एस्टेट भी आंतरिक रूप से तीन वर्गों में विभाजित थी। 1. बड़े व्यवसायी, व्यापारी, अदालती कर्मचारी , वकील आदि 2. किसान और कारीगर 3. छोटे किसान, भूमिहीन मजदूर, नौकर आदि।
अथवा
फ्रांस की क्रांति के परिणाम :-
(1) सामंत शाही का अंत - फ्रांसीसी क्रांति की महत्वपूर्ण उपलब्धि सामंती व्यवस्था का अंत करना था। इस व्यवस्था के अंतर्गत अनेक वर्षों तक सामान्य जनता का शोषण किया गया। आर्थिक शोषण तो इस व्यवस्था की चारित्रिक विशेषता थी। फ्रांस की क्रांति द्वारा विशेष अधिकारों का अंत करके समानता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया। क्रांति का अन्य देशों पर भी प्रभाव पड़ा कि यूरोप के अन्य देशों में भी धीरे-धीरे सामंत शाही का अंत हो गया।
(2) धर्मनिरपेक्ष राज्य की स्थापना - इस क्रांति के परिणाम स्वरुप यूरोपीय देश में धार्मिक सहिष्णुता का दुष्प्रभाव हुआ एवं लोगों को धार्मिक उपासना की स्वतंत्रता प्राप्त हुई तथा धर्म के संबंध में राजा का कोई हस्तक्षेप नहीं रहा।
(3) सामाजिक समानता एवं राष्ट्रीय बंधुत्व की भावना का विकास - क्रांति के समय क्रांति कार्यों द्वारा तीन सिद्धांतों स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के प्रसार को अपना ध्येय बनाया गया। क्रांति ने राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक तथा धार्मिक दृष्टि से प्रत्येक नागरिक को पूर्ण रूप से स्वतंत्रता का अधिकार प्रदान किया। स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व का प्रचार केवल फ्रांस में ही नहीं अपितु समस्त यूरोप में किया गया।
(4) राष्ट्रीयता की भावना का विकास - इस क्रांति की एक महत्वपूर्ण देन नागरिक के हृदय में अपने देश की सुरक्षा के लिए राष्ट्रीयता की भावना उत्पन्न करना है। जब विदेशी सेनाओं ने राजतंत्र की सुरक्षा के लिए फ्रांस पर आक्रमण किया तो उस समय किसान, मजदूर एवं अन्य लोगों ने सेना में भर्ती होकर अत्यंत वीरता के साथ विदेशी सेनाओं का सामना किया तथा विजय प्राप्त की। राष्ट्रीयता की भावना यूरोप के अन्य देशों में भी व्याप्त होती गई। 1830 ई. से 1848 ई. की व्यापक क्रांतियां तथा 1870-71 में इटली और जर्मनी के एकीकरण इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
(5) लोकप्रिय संप्रभुता के सिद्धांत का प्रतिपादन - इस क्रांति के द्वारा राजनीतिक दृष्टि से राजाओं के अधिकार के सिद्धांत का अंत करके लोकप्रिय लोकतांत्रित सिद्धांत का प्रतिपादन किया गया। सर्वसाधारण द्वारा देश की राजनीति में प्रत्यक्ष रूप से हिस्सा बताने में उनमें आत्मविश्वास की भावना का संचार हुआ।
(6) समाजवाद की स्थापना - कुछ इतिहासकारों के अनुसार फ्रांस की क्रांति समाजवादी विचारधारा का स्रोत थी। इस घोषणा में स्पष्ट रूप से कहा गया कि “सभी मनुष्य समान है तथा उनकी उन्नति का अवसर प्रत्येक को समान रूप से दिया जाना चाहिए।“ विशेषाधिकार युक्त वर्ग का अंत करने के लिए अगस्त 1789 ई. को प्रस्ताव पास किया गया जिसके द्वारा कुलीन वर्ग का अंत हो गया अब कुलीन लोग साधारण वर्ग के समान ही थे तथा अब वे दरिद्र किसानों पर अत्याचार नहीं कर सकते थे। दास प्रथा का भी अंत हो गया। जागीरदारों ने जनता के रुख को देखकर स्वयं ही अपना विशेष अधिकार त्याग दिए तथा फ्रांस में असमानता समाप्त हो गई।
(7) शिक्षा एवं संस्कृति का विकास - फ्रांस की क्रांति ने शिक्षा को चर्च के अधिपत्य से निकालकर उसे राष्ट्रीय सार्वभौमिक तथा धर्मनिरपेक्ष बनाया साथ ही पुरातन व्यवस्था के अंधविश्वासों को नष्ट किया यूरोप साहित्य में स्वच्छंदतावादी आंदोलन भी क्रांति का ही परिणाम था।
क्रांति के स्थाई परिणाम - क्रांति के समय होने वाले भीषण रक्तपात आदि व्यवस्था से जनता थक चुकी थी, अतः वह शासन सुदृढ़ हाथों में देखना चाहती थी। इन परिस्थितियों में नेपोलियन बोनापार्ट का मार्ग प्रशस्त कर दिया। कई वर्षों की क्रांति के पश्चात नेपोलियन का एक डिटेक्टर के रूप में उदय हुआ। नेपोलियन ने सही अर्थों में अपने को क्रांति का उत्तराधिकारी सिद्ध कर दिखाया। यद्यपि उसके शासन में स्वतंत्रता को स्थान नहीं था, किंतु क्रांति की दो अन्य भावनाओं का समानता एवं बंधुत्व से उसने पूर्णतया पालन किया। नेपोलियन ने इटली जर्मनी रूस, ऑस्ट्रिया व स्पेन आदि देशों में भी इन भावनाओं को फैलाया। नेपोलियन के पतन के पश्चात 1815 ई. में वियना की कांग्रेस में प्रतिक्रियावादी लोगों ने संधि करते समय इन भावनाओं का ख्याल नहीं रखा फलतः संधि अस्थाई सिद्ध हुई। यूरोप वासी उस संधि को तोड़कर क्रांतिकारी भावना से प्रोत्साहित होकर अपने राष्ट्रों के निर्माण करने का प्रयत्न करने लगे। अंत में संपूर्ण यूरोप में नए युग का प्रारंभ हुआ। जिसका संपूर्ण श्रेय फ्रांस की क्रांति को दिया जा सकता है, क्योंकि सर्वप्रथम इसी के द्वारा नवीन युग गणतंत्र भावनाओं का विकास हुआ।
प्र.22- लोकतांत्रिक शासन तथा गैर लोकतांत्रिक शासन में 4 अंतर लिखिए। 4
अथवा
हमें संविधान की आवश्यकता क्यों होती है?
उत्तर :- लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था और गैर लोक तांत्रिक शासन व्यवस्था में अंतर :-
लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था | गैर - लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था |
जनता द्वारा चुनी जाती है। | जनता द्वारा नहीं चुनी जाती है। |
ऐसी सरकार में लोगों को मौलिक अधिकार प्राप्त होते हैं। | लोगों को मौलिक अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं। |
लोकतंत्र में नियत समयांतराल में चुनाव होते रहते हैं जिससे जनता सरकार बदल सकती है। | नियत अंतराल में चुनाव नहीं होते न ही जनता के पास सरकार बदलने का कोई विकल्प होता है। |
सरकार संविधान के अनुसार कार्य करती है। | सरकार शासक के इच्छानुसार कार्य करती है। |
लोकतंत्र में संसद प्रमुख होती है। | अलोकतांत्रिक सरकार में शासक समूह ही प्रमुख होता है। |
अथवा
संविधान की आवश्यकता :
किसी भी देश के नागरिकों के लिए उस देश का संविधान महत्त्वपूर्ण होता है। संविधान सरकार की शक्तियों को निश्चित करता है तथा उन पर नियंत्रण लगाता है। संविधान सरकार के विभिन्न अंगों की शक्तियों को भी निश्चित करता है जिससे उनमें झगड़े की संभावना नहीं रहती। यह नागरिकों के अधिकारों तथा सरकार के साथ नागरिकों के सम्बन्ध भी निश्चित करता है। संविधान के द्वारा लोग अपने अधिकारों की रक्षा कर सकते हैं तथा सरकार पर अंकुश लगा सकते हैं। संविधान के अभाव में शासन के सभी कार्य शासकों की इच्छानुसार ही चलाए जाएँगे, जिससे नागरिकों पर अत्याचार होने की संभावना बनी। रहेगी। ऐसे शासक से छुटकारा पाने के लिए नागरिकों को विद्रोह का सहारा लेना पड़ेगा जिससे देश में अशांति और अव्यवस्था का वातावरण बना रहेगा। अतः निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए हमें संविधान की आवश्यकता होती है :-
लोकतान्त्रिक सरकार का निर्माण और उसके कार्य तय करने के लिए।
सरकार के विभिन्न अंगो के अधिकार क्षेत्र तय करने के लिए।
सरकार को अपनी शक्तियों के दुरूपयोग से रोकने के लिए ।
नागरिकों के अधिकार सुरक्षित करने के लिए (या अन्य कोई)।
प्र.23- उन सामाजिक और आर्थिक समूहों की पहचान करें जो भारत में निर्धनता के समक्ष निरूपाय हैं। 4
अथवा
भारत में अंर्तराज्यीय निर्धनता में विभिन्नता के कारण बताइए।
उत्तर :- निर्धनता के समक्ष निरूपाय भारतीय सामाजिक और आर्थिक समूह निम्नलिखित हैं :-
अ. सामाजिक समूह - जो सामाजिक समूह निर्धनता के प्रति सर्वाधिक असुरक्षित हैं वे हैं। 1. अनुसूचित जाति के परिवार 2. अनुसूचित जनजाति के परिवार
इस सामाजिक समूह में आंकड़ों पर ध्यान दिया जाये तो अनुसूचित जाति वर्ग में प्रति सौ पुरूष में निर्धनता की संख्या 29 है जबकि अनुसचित जनजाति में यही संख्या 43 है।
ब. आर्थिक समूह - इसी प्रकार आर्थिक समूहों में सर्वाधिक असुरक्षित समूह ग्रामीण कृषि श्रमिक परिवार और नगरीय अनियत मजदूर परिवार हैं।
आर्थिक समूह के अंतर्गत निर्धनता को देखें तो ग्रामीण अनियत कृषि मजदूर वर्ग में प्रति सौ पुरूष निर्धनता की संख्या 34 हैं और नगरीय अनियत मजदूर की निर्धनता संख्या भी 34 ही है। ये आंकड़े 2016 के विष्व बैंक के भारतीय संदर्भ में दिए गए हैं।
उपरोक्त अनुसार अध्ययन करने पर यह आता है कि यदि किसी अनुसूचित जाति या जनजाति वर्ग का व्यक्ति या परिवार उपरोक्तानुसार आर्थिक समूह के अंतर्गत भी आता है तो उसे दोहरी असुविधा की समस्या का सामना गंभीरता से करना पड़ जाता है।
सामाजिक समूह की निर्धनता भारत में सदियों से व्याप्त जाति व्यवस्था के कारण है। इसकी वजह से समाज में संसाधनों का असमान वितरण कायम रहता है और निर्धनता एक संरचनात्मक स्वरूप प्राप्त कर लेती है।
आर्थिक समूह की निर्धनता पर नजर डालें तो पाते हैं कि भारत में किसानों के साथ साथ मजदूर भी घोर निर्धनता के घेरे में है। इसका कारण मालिकों द्वारा उनका शोषण है। वे उनको कम से कम मजदूरी देकर अधिक से अधिक काम लेने की चेष्टा करते हैं। अनियत मजदूर ग्रामीण हो या नगरीय संख्या में अधिक तथा अषिक्षित होने के कारण इस जाल से निकल नहीं पाते और निर्धनता के समक्ष निरूपाय महसूस करते हैं।
इसें अतिरिक्त महिलाओं , वृद्ध और बच्चियों को भी इस श्रेणी में रखा जा सकता है क्योंकि उन्हें सुव्यवस्थित ढंग से परिवार के उपलब्ध संसाधनों तक पहुंच से वंचित रखा जाता है।।
अथवा
प्रत्येक राज्य में निर्धन लोगों का अनुपात एक समान नहीं है। यद्यपि 1970 के दशक के प्रारंभ से राज्य स्तरीय निर्धनता में सुदीर्घकालिक कमी हुई है, निर्धनता कम करने में सफलता की दर विभिन्न राज्यों में अलग-अलग है। 20 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में निर्धनता अनुपात राष्ट्रीय औसत से कम है। दूसरी ओर निर्धनता अब भी उड़ीसा, बिहार, असम, त्रिपुरा और उत्तर प्रदेश में एक गंभीर समस्या है।
उड़ीसा और बिहार क्रमशः 47 और 43ः निर्धनता औसत के साथ दो सर्वाधिक निर्धन राज्य बने हुए हैं। इन राज्यों में ग्रामीण और शहरी दोनों प्रकार की निर्धनता का औसत अधिक है। उड़ीसा, मध्य प्रदेश, बिहार और उत्तर प्रदेश में ग्रामीण निर्धनता के साथ नगरीय निर्धनता भी अधिक है। इसकी तुलना में केरल, जम्मू-कश्मीर, आंध्र-प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात और पश्चिम बंगाल में निर्धनता में उल्लेखनीय गिरावट आई है।
इस अंतर्राज्यीय असमानता के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं :-
1. एतिहासिक कारण :- औपनिवेषिक काल में जिन राज्यों में खनिज भंडारों की प्रचुरता थी उन राज्यों में स्वतंत्रता के बाद भी ज्यादा ध्यान दिया गया।
2. भौगोलिक कारण :- उत्तर के उपजाऊ मैदान में स्थित राज्यों में पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों में उच्च कृषि वृद्धि दर से निर्धनता को कम करने में पारंपरिक रूप से सफलता पाई है।
3. राजनैतिक कारण :- केरल राज्य ने मानव संसाधन विकास पर अधिक ध्यान देकर निर्धनता में कमी लाया है। जबकि आंध्रप्रदेष और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने अनाज का सार्वजनिक वितरण, मानव संसाधन विकास पर अधिक ध्यान, अधिक कृषि विकास, भूमि सुधार उपायों से इन राज्यों में निर्धनता कम करने में सहायता मिली है।
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